Social Worker
Help to poor , orphan , and Street Children. Serve food to Hungry people.
सोचनीय पहलू - एक बार जरूर सोचें
किताबें हमें रोटी नहीं देतीं लेकिन यह बताती ज़रूर हैं ।
कि हमारे हिस्से की.......रोटी कौन खा रहा है ।
बार बार पेपर नहीं लीक हो रहा. सिस्टम चलाने वालों का चरित्र जनता के सामने "लीक" हो रहा है. बीमारी गहरी, ईलाज भी गहरा.
2024 से 2029 का समय बहुत ही भयंकर है फिर चाहे इस विषय को आप वैज्ञानिकों की भाषा में समझो या ज्योतिषियों की भाषा में समझो या New World Order वालों की भाषा में या फिर भविष्यवक्ताओं की भाषा में ये आप लोगों की मर्ज़ी । तबाही शुरू ......
मालिका विचार—:
दूई हजार चौबीस मशीहा अंको आठो, ऐ अंको रो शनि ग्रह छाया पुत्रो,
ऐ अंको चलन हौऊ थिबा समय रे, मीनो शनि भोगो होऊ थिबो पृथ्वी रे, अनेको वित्पातो मानो पृथ्वी रे होईबो ,ब्रह्मांडो कंपी उठीबो धारीत्री थरीबो I
अर्थात 2024 को जोडने पर आठ अंक होगा ये आठ अंक शनि ग्रह छाया पुत्र का होता है इस अंक का चलन जब होगा तब मीन राशि मे शनि का भोग होगा , पृथ्वी पर अनेक उत्पात मचेगा ब्रह्माण्ड कांप उठेगा धरती थर्रा उठेगी I
भाई भाई बंधु बंधु होणा होणी होईबे, दिवा हाणो लागीबो काहाकू न छाड़िबे, धरीत्री रक्त रंजितो होऊ थिबो, चतुर्दिगे भय भय भय दिसी जिबो , लोको माने पागलो होऊ थिबे, प्रसाशनो होतोवाको होई देखिबे I
अर्थात भाई भाई बंधु बंधु मे मारकाट होगी, दिन दहाड़े काटेंगे किसी को नही छोडेंगे, धरती रक्त रंजित होगी चारों ओर भय का वातावरण बनेगा, लोग पागल हो रहे होंगे प्रसाशन मुक दर्शक बना रहेगा I
केहि किछी उपायो कोरी न पारिबे, बुद्धि ज्ञानो हजी जीबो निरूपायो हेबे, कड़ी गोड़ो उपजिबो मीनो शनि थिबो, गुप्ते रहीबो बाबू केही न जाणिबो I
अर्थात कोई कुछ उपाय नहीं कर पायेगा, बुद्धि ज्ञान सब खो जाऐंगे सभी निरूपाय होंगे, मार काट मचेगी शनि मीन में गुप्त रूप से रहेंगे कोई जान नहीं पाएगा I
चौबीस रूं लेखा यंत्र उलटी पड़ीबो, कम्प्यूटरो मोबाइलो कामो न जे देबो, कोलो कारोखाना सबू भांगी ण जे जीबो, स्कूलो कोलेजो कोषागारो बंदो होई जीबो I
अर्थात 2024 से कम्प्यूटर मोबाइल काम नही करेंगे, कल कारखाने सब नष्ट हो जाऐंगे, स्कूल कालेज बैंक बंद हो जाऐंगे I
महात्मा कौटिल्य:
राजा को कर ऐसे एकत्र करना चाहिए जैसे मधुमक्खी,शहद भी इकट्ठा करती है और पुष्प की वंश वृद्धि भी!
last 3 year का डाटा, 43 लाख लड़कियों में बाझपन और 30 लाख में कैंसर पाया गया...
Valentine के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गायनेकोलोजिस्टो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है...
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टीवी पे ऐड आता है सिर्फ एक कैप्सूल से 72 घंटो के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा...
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बिना दिमाग की लडकिया , ऐसी गोलियां जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट…
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बस निगल जाती हैं…
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इन फेक गोलियों में आर्सेनिक भरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूण को खत्म नही करता बल्कि पूरा का पूरा fertility_system ही करप्ट कर देता है…
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शुरू में तो गोलिया खाकर सती_सावित्री बन जाती हैं लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये अब माँ नही बन सकती…
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तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है, पर कोई बोलता नही जिन्दगी खुद अभिशाप बन जाती है…
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सरकार हर साल मातृत्व_सुरक्षा, जननी सुरक्षा, बेटी बचाओ जैसी योजनाओ के नाम पर करोड़ो ₹ फुक देती है।
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आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चिया बैग में i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नही तो क्या होगा…
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और ऐसी जहरीली चीजे valentine पर medical mafia भारतीय बाजारों में जानबुझकर उतारता है...
------- क्युकी सबको पता है, भारत में बुद्धिजीवी वर्ग का कोई मान नही होता ...पहले ये लड़कियों को जहर खिलाकर बीमारी देते हैं...फिर उसकी दवाई बेचकर अरबो रूपये कमाते हैं...जिसमे नेता भी कमाई करते हैं...क्युकी ऐसे जहर को बेचने का परमिट और उनकी चेकिंग न करवाने का काम नेता ही कर सकते हैं...
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बेटी आपकी, तो उसकी जिम्मेदारी भी आपकी... इस valentine उसके पीछे संत - महापुरुष का ही नही बल्कि आप खुद सजग रोहोगे , देखने पर विरोध करोगे।
समय है वेलेंटाइन जैसे कुकर्म को बढ़ावा देने वाले घटिया मानसिकता की जगह जगह अपने माता पिता का पूजन कर देश की युवा पीढी को सुदृढ़ बनाने का.....🙏👍🏻
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या फिर अगर चाहते हो आपकी बेटे- बेटी जमके अय्याशी करे, और बाद में कैंसर , बाझपन, STD की वजह से मर जाए और आपका बोझ हल्का हो...
-------------- तो एक ही बार में सल्फास दे दो...
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समस्या आपके बेटी की अय्याशी और उसके मरने से ही नही, बल्कि जो दवाईया बेचकर विदेशी कम्पनिया हर साल हमारे देश का अरबो रुपया लुट लेती हैं उससे भी है...✍️
जमीदार ।।
जय सियाराम
भारत में क्या अच्छे और खानदानी रहीस मुस्लिमों की कमी थी। जो सानिया मिर्जा ने एक पाकिस्तानी खिलाड़ी को चुना , जब इनका करियर खत्म हो गया और इनकी जीवन की चमक दमक खतम हो गई , तो लात मारकर निकाल दिया अपनी लाइफ से, और भेज दिया बच्चे के साथ भारत , खुद कर ली दूसरी शादी. ।
सानिया मिर्जा किस से शादी करेंगी किस से नही ये उनका निजी मामला है.. लेकिन किसी समय ये महिला भारत की तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा थी .. लेकिन अब शायद कोई बाप चाहेगा उसकी बेटी का जीवन सानिया मिर्जा की तरह हो..
सानिया मिर्जा आप एक भारतीय टेनिस स्टार और भारतीय लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल थे लेकिन आपने जान बूझकर कीचड़ में पैर रखा....
और अपना सम्मान खो दिया अब केवल एक टेनिस स्टार तो रहे लेकिन अब आपको एक रोल मॉडल की तरह देखना गलत होगा...
अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर , तेरा बेटा तो चोर-डाकू था . इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“
जंगल में लकड़ी बिन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़ें भील ने हंसते हुए कहा ...
“ नही चंदू ने आजादी के लिए कुर्बानी दी हैं “
बुजुर्ग औरत ने गर्व से कहा .उस बुजुर्ग औरत का नाम जगरानी देवी था और इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया था , जिसमे आखरी बेटा कुछ दिन पहले ही शहीद हुआ था ...
उस बेटे को ये माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनियां उसे "आजाद " चंद्रशेखर आजाद तिवारी के नाम से जानती है ...!
हिंदुस्तान आजाद हो चुका था , आजाद के मित्र सदाशिव राव एक दिन आजाद के माँ-पिता जी की खोज करतें हुए उनके गाँव पहुंचे ...
आजादी तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था ...
चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी ...
आज़ाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी . अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात आज़ाद की निर्धन निराश्रित वृद्ध माताश्री उस वृद्धावस्था में भी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने के बजाय जंगलों में जाकर लकड़ी और गोबर बीनकर लाती थी तथा कंडे और लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं ...
लेकिन वृद्ध होने के कारण इतना काम नहीं कर पाती थीं कि भरपेट भोजन का प्रबंध कर सकें .
कभी ज्वार कभी बाज़रा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं क्योंकि दाल चावल गेंहू और उसे पकाने का ईंधन खरीदने लायक धन कमाने की शारीरिक सामर्थ्य उनमे शेष ही नहीं थी ...
शर्मनाक बात तो यह कि उनकी यह स्थिति देश को आज़ादी मिलने के 2 वर्ष बाद (1949 ) तक जारी रही ...
चंद्रशेखर आज़ाद जी को दिए गए अपने एक वचन का वास्ता देकर सदाशिव जी उन्हें अपने साथ अपने घर झाँसी लेकर आये थे, क्योंकि उनकी स्वयं की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के कारण उनका घर बहुत छोटा था अतः उन्होंने आज़ाद के ही एक अन्य मित्र भगवान दास माहौर के घर पर आज़ाद की माताश्री के रहने का प्रबंध किया था और उनके अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की ...
मार्च 1951 में जब आजाद की माँ जगरानी देवी का झांसी में निधन हुआ तब सदाशिव जी ने उनका सम्मान अपनी माँ के समान करते हुए उनका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से ही किया था ...
आज़ाद की माताश्री के देहांत के पश्चात झाँसी की जनता ने उनकी स्मृति में उनके नाम से एक सार्वजनिक स्थान पर पीठ का निर्माण किया . प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस निर्माण को झाँसी की जनता द्वारा किया हुआ अवैध और गैरकानूनी कार्य घोषित कर दिया ...
किन्तु झाँसी के नागरिकों ने तत्कालीन सरकार के उस शासनादेश को महत्व न देते हुए चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित करने का फैसला कर लिया ...
मूर्ति बनाने का कार्य चंद्रशेखर आजाद के ख़ास सहयोगी कुशल शिल्पकार रूद्र नारायण सिंह जी को सौपा गया ...
उन्होंने फोटो को देखकर आज़ाद की माताश्री के चेहरे की प्रतिमा तैयार कर दी ...
जब केंद्र की सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकारों को यह पता चला कि आजाद की माँ की मूर्ति तैयार की जा चुकी है और सदाशिव राव, रूपनारायण, भगवान् दास माहौर समेत कई क्रांतिकारी झांसी की जनता के सहयोग से मूर्ति को स्थापित करने जा रहे हैं तो इन दोनों सरकारों ने अमर बलिदानी शहीद पंडित चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापना को देश, समाज और झाँसी की कानून व्यवस्था के लिए खतरा घोषित कर उनकी मूर्ति स्थापना के कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर पूरे झाँसी शहर में कर्फ्यू लगा दिया ...
चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति की स्थापना न की जा सके ...!
जनता और क्रन्तिकारी आजाद की माता की प्रतिमा लगाने के लिए निकल पड़े ...
अपने आदेश की झाँसी की सडकों पर बुरी तरह उड़ती धज्जियों से तिलमिलाई तत्कालीन सरकारों ने पुलिस को गोली मार देने का आदेश दे डाला ...
आज़ाद की माताश्री की प्रतिमा को अपने सिर पर रखकर पीठ की तरफ बढ़ रहे सदाशिव को जनता ने चारों तरफ से अपने घेरे में ले लिया ...
जुलूस पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया ...
सैकड़ों लोग घायल हुए, दर्जनों लोग जीवन भर के लिए अपंग हुए और कुछ लोग की मौत भी हुईं . (मौत की आधिकारिक पुष्टि कभी नही की गयी)...
इस घटना के कारण चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी ll
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