Tulsi Sadhna
सनातन धर्म की रोचक कहानियां तथा तथ्य के लिए फॉलो करें? जय श्रीमन्नारायण
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हे शनिदेव भगवान जो लोग लाईक शेयर करें उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना
भगवान परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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कल शिव रात्रि पर भगवान का दर्शन किया ।
वैसाखी शिवरात्रि व्रत की ढेर सारी शुभकामनाएं।🎉✨
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Srikrishna
Jai Sri Krishna
जय श्रीमन्नारायण
अद्भुत और प्यारी सी बिटिया वृन्दा मिश्रा जिनके जन्म होने पर पिता ने छोड़ दिया और माता जी गांव गांव जाकर भागवत कथा कहकर पालन करती है और इस बिटिया को भी कथा वाचिका बनना है अभी यह बच्ची पांच घंटे माला करती है। शेयर करें।
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Jai shree Krishna
रावण सीता संवाद अशोक वाटिका
जय श्री राम
रामचरितमानस के अनुसार हनुमान जी महाराज का रंग कैसा है
(का)काला (ख) श्याम
(ग) सुनहरे (घ)गोरे
मेरे साथ हाल ही में जुड़ने वाले लोगों के लिए ज़ोरदार तालियाँ!
Jagdish Makwana, Mantukumar Yadavg, Akhilesh Kumar, Shivram Shivram Shivram Shivram, Mahesh Sharma, Thandiram Meena, शिवभक्त पंडित पाटील, Suraj Paudel, Mukul Pathak, Ranjita Kumari, Tinku Singla, Sanjyakumarsahoo Bachalo, Suresh Parmar, Shivkamal Gupta, Parimal Patel, Komal Khandekar
अर्पित शर्मा जी का अद्भुत लेख 🙏🙏
ऐसे क्या तथ्य हैं जिन्हें जान कर लोग कहें, "ऐसा हो ही नहीं सकता!"?
आर्थिक स्थिति सुखद बनाने का एक उपाय बताऊं?
बड़े भैया के एक शिष्य है श्रीमुकेश कश्यप जो हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले सरकाघाट निवासी है।
साल 2018 के मार्च महीने में मुकेश भैया की ये स्थिति थी की उनके घर के निर्माण का कार्य धन के अभाव में बंद पड़ गया था, पहाड़ी क्षेत्र था और मजबूरी इस स्तर तक बढ़ गई की इन्हे स्वयं नीचे जाकर ईट रेती ठेलेगाड़ी में भरकर ऊपर पहाड़ पर लाना पड़ती और एक मिस्त्री की सहायता से जैसे तैसे नींव के ऊपर एक छत बनाई जा सकी।
एक दिन वे बहुत दुखित होकर फोन पर अश्रु पात कर रहे थे तब फोन पर ही बड़े भाई ने उन्हें एक कथा सुनाई थी, जो आज आप मित्रों के साथ साझा करना अति आवश्यक अनुभव कर रहा हूं।
आप कृपया ध्यान से पढ़िएगा, इस रोचक कथा में आपको बहुत आनंद आएगा और फिर एक चमत्कारिक सत्य घटना का वर्णन अंत में आपके सामने रखूंगा।
एक सीधे साधे भगवद् भक्त पंडितजी महाराज थे….
धन के अभाव में इनकी सुयोग्य पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था, कही से कोई सहायता–कार्य ना मिलता देखकर इन्होंने एक विचार मन में किया:
"अब तो मैं शंकर भगवान को ही यजमान बनाकर राम कथा सुनाऊंगा, जब वे ही सेठों के सेठ है तो मुझे पर्याप्त दक्षिणा देकर इस धन के अभाव से अवश्य ही निकाल लेंगे!"
ठीक है साहब! अगले ही दिन पंडितजी महाराज गांव के मंदिर पहुंचे और शंकर भगवान को साष्टांग दंडवत प्रणाम करके बोले:
"बाबा मैं आपको आज से श्रीराम कथा सुनाने जा रहा हूं और इस हेतु आपको ही मुख्य यजमान के रूप में वरण करता हूं। मेरे जीवन के सारे योग क्षेम का वहन आप कर लेना बाबा।"
और लगे पंडितजी महाराज शंकर भगवान को श्रीराम कथा सुनाने।
बड़े भक्ति भाव से वे ऐसे कथा सुनाते जैसे उनके और शंकर भगवान के अलावा उस मंदिर में कोई और उपस्थित ही नही है, एक वक्त वे स्वयं और एकमात्र श्रोता श्रीमहादेव जी स्वयं।
तीसरे दिन एक सेठ साहब मंदिर में आए, उन्होंने पंडितजी को भोले बाबा को कथा सुनाते हुए देखा और इसके पीछे का कारण पूछा।
पंडितजी ने बता दिया की मेरी पुत्री विवाह योग्य है और उसी के विवाह हेतु पर्याप्त धन राशि और पर्याप्त पूजा पाठ के कार्य ना मिल पाने से मैं भगवान को ही यजमान बनाकर कथा सुना रहा हूं।
"भली बात है!" कहकर वो सेठ जी मंदिर में ही बने श्रीराम दरबार के दर्शन करने आगे बढ़ गए।
दर्शन करके जब वे परिक्रमा कर रहे थे श्रीराम दरबार की तभी उन्हें कही से दो लोगों के मध्य बात करने की ध्वनि सुनाई दी।
"देखो हनुमान! कितने प्रेम से ये भक्त मेरे महादेव को कथा सुना रहा है!"
"जी मेरे प्रभु। आनंद बरस रहा है पंडितजी की कथा में!"
"तो हनुमान पंडितजी की दक्षिणा का प्रबन्ध कर दिया है ना?"
"जी हां प्रभु पूर्णाहूति वाले दिन चढ़ावे के द्वारा सौ रुपयों की दक्षिणा इन्हे मिल जायेगी।"
ये बात उस समय की है जब दो रुपए तोला सोना मिला करता था, तो सौ रुपए आज के एक करोड़ बराबर हमे समझना चाहिए।
यहां सेठ जी ने जैसे ही ये बात सुनी की कथा पूर्ण होने पर पूरे सौ रुपए पंडितजी महाराज को मिलने वाले है वैसे ही उनकी बुद्धि जोड़ गणित बिठाने लग गई।
परिक्रमा जल्दी जल्दी पूरी करके वो सीधे पंडितजी के पास आ गए।
सेठ जी बोले: "पंडितजी महाराज! एक बात निसंकोच बताइएगा?"
पंडितजी: "हां भैया अपन में कोई लाग लपेट नही है। आप तो पूछो।"
सेठ जी: "पंडितजी, गुड़िया के विवाह के लिए मैं पचास रुपए देने की इच्छा रखता हूं। इतने से कार्य साधन हो जाएगा आपका?"
मित्रों पंडितजी बड़े लो प्रोफाइल साधारण जीवनशैली वाले व्यक्ति थे, उनका बीस रुपए में तो बड़े मजे से कार्य सिद्ध हो जाता। पचास रुपए तो स्वप्न की बात थी इनके लिए।
तुरंत नेत्रों में अश्रु लिए उन्होंने सिर हिलाकर स्वीकृति दे दी और सेठ जी के हाथ जोड़े।
सेठ जी ने अपनी घोड़ा गाड़ी से पचास रुपए मंगवाए और तुरंत पंडितजी को दे दिए।
पर फिर सेठ जी और बोले:
"लेकिन पंडितजी एक बात माननी पड़ेगी आपको! अंतिम दिन चढ़ावे की जो भी दक्षिणा आए ना वो मेरी रहेगी?"
पंडितजी सोच कर बैठे थे की अंतिम दिन एक या दो रुपए आ जाए अगर चढ़ावे में तो बहुत बड़ी बात होगी, तो उन्हे भला सेठ जी की बात से क्या आपत्ति होना थी।
राजी खुशी मान गए पंडितजी तो!
अब सेठ जी बड़ी उत्सुकता से कथा के अंतिम दिन की प्रतीक्षा करने लगे, एक का डबल होने का दिन आने वाला था ना भैया तो काहे प्रसन्न ना होते।
और अंततोगत्वा पूर्णाहूति का दिन आ ही गया।
कथा पूर्ण हुई, हवन हुआ और फिर आरती हुई।
पंडितजी महाराज बारंबार भोलेनाथ को प्रणाम करते जाते जिन्होंने सेठ जी को माध्यम बनाकर कथा के बीच में से ही विवाह समेत सारी धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलवा दी थी।
परंतु यहां सेठ जी तो हावले बावले होकर कभी तो चढ़ावे की थाली देखते जहां मात्र पांच दस पैसे चढ़े हुए थे तो कभी पंडितजी के आस पास एकत्र लोगों को देखते, क्या पता इनमे से ही कोई पूरे सौ रुपए इन्हे हाथ में देने वाला हो!
पर ऐसा कुछ ना हुआ, धीरे धीरे भीड़ कम हुई, इधर मंदिर में पंडितजी अपना सामान समेटने लगे और उधर ये सेठजी थके मांदे निराश युद्ध हारे हुए वीर के समान भगवान के दर्शन करने लगे।
राम दरबार के दर्शन करके जैसे ही परिक्रमा करने लगे सेठ जी वैसे ही उन्हें उस दिन दो व्यक्तियों की वार्ता याद आ गई सौ रुपयों वाली।
क्रोध में आकर उन्होंने दीवार पर एक मुक्का जड़ दिया, पर ये क्या!
उनका हाथ दीवार से चिपक गया, लाख कोशिश करने पर भी हाथ नही छूट पाया मानो किसी ने हाथ बुरी तरह से जकड़ रखा है।
और इसी समय सेठ जी को फिर वही दो व्यक्तियों के बीच की ध्वनि सुनाई दी!
"हनुमान! आज पूर्णाहुति हो गई है। पंडितजी की दक्षिणा उन्हे प्राप्त हो गई?"
"जी प्रभु पचास रुपए तो तीसरे दिन ही दिलवा दिए थे एक सेठ जी के द्वारा, बाकी के पचास रुपयों के लिए उनका हाथ पकड़ रखा है।"
पसीने पसीने हुए सेठ जी समझ गए की ये ध्वनि श्रीराम और भक्त हनुमान के मध्य के संवाद की ही है।
मन ही मन सेठ जी ने संकल्प लिया की अगर हाथ दीवार से छूट जाए तो तुरंत पचास रुपए पंडितजी को हाथ जोड़कर दे दूंगा।
और उसी समय उनका हाथ दीवार से ऐसे छूटा जैसे कभी चिपका ही ना हो।
भागे भागे सेठ जी पंडितजी महाराज के पास गए और उनके पैर पकड़ लिए।
फिर लाख मना करने के बाद भी पचास रुपए पंडितजी को अर्पित करके पुनः से भगवान के दर्शन करके वे अपने स्थान पर गए।
यहां पंडितजी की पुत्री का विवाह बड़े धूम धाम से संपन्न हुआ और फिर वो पंडितजी घर के हाथ जोड़कर भगवान को प्राप्त करने तीर्थों तीर्थों में भ्रमण करते करते कथा सुनाते सुनते रहे।
कथा सुंदर थी ना! आनंद आया होगा मन में आपके!
यही कथा भैया ने मुकेश भैया को सुनाई थी और उसके अगले ही दिन सरकाघाट क्षेत्र में एक शिव मंदिर में बैठ कर नवान्ह पारायण का श्रीरामचरितमानस का पाठ करने लगे।
और भोले बाबा ने इनकी भी सुनी मित्रों।
कथा में जैसे सुना हमने की पंडितजी को सौ रुपए प्राप्त हुए थे, यहां मुकेश भैया के जीवन में भी भगवान ने क्या अद्भुत सुखद परिवर्तन लाए!
हमारे इंदौर से ही कुछ किलोमीटर दूर सिमरोल क्षेत्र में इन्हे श्रावण मास पर्यन्त चौबीस घंटे सतत रुद्राभिषेक पूजन का निमंत्रण मिला।
अपने चार सहयोगियों के साथ इन्होंने महीने भर का वो रुद्राभिषेक अनुष्ठान पूर्ण किया और अंत में साठ हजार रुपए दक्षिणा प्राप्त हुई।
इसके बाद हिमाचल प्रदेश में ही धीरे धीरे अनेक स्थानों पर इनका कार्यक्षेत्र बढ़ता गया, कार्य प्राप्त होते गए और साल 2019 जनवरी में ऐसी स्थिति बनी की इन्होंने अपने अर्जित धन से एक चार पहिया वाहन क्रय किया।
आज की स्थिति में भोले बाबा की दया से आर्थिक मानसिक और शारीरिक संपन्नता इन्हे प्राप्त है और मेरी आंखों देखी है की श्रीराम कथा भोले बाबा को सुनाने के बाद यह सब संपन्नता इनके जीवन में आई है।
अब प्रमाण अगर किसी को चाहिए तो वो फेसबुक के माध्यम से मुकेश भैया से स्वयं संपर्क करके ऊपर प्रस्तुत घटना का सत्यापन कर सकता है, मुकेश कश्यप हिमाचल प्रदेश नाम से सर्च करने पर आप इन्हे खोज पाएंगे।
इसके अलावा अगर आप भगवान एवम् सनातन धर्म में थोड़ा भी विश्वास रखते है तो आपने मन ने आपको इस घटना की सत्यता का भास करवा ही दिया होगा।
तो मेरे मित्रों अगर थोड़े भी आर्थिक, मानसिक या शारीरिक कष्ट से आप पीड़ित है तो एकमात्र अचूक उपाय जीवन में अवश्य अपनाइए:
भोले बाबा को श्रीराम कथा सुनाइए।
जय रामजी की🙏
रामनवमी शोभा यात्रा तुलसी ग्रामवासी
रोकर कटे या हंसकर कटती है जिंदगानी
धार्मिक प्रश्नोत्तरी में भाग लेकर अपना ज्ञान वर्धन करें
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का अद्भुत नजारा देखें प्रभु श्री कृष्ण बालक रूप में कैसे लगते हैं
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तय आपको करना है कि अपने #सनातन परंपरा के अनुसार 🌿 #तुलसी_पूजन और 📙 #गीता_दिवस मनाएंगे या फिर क्रिसमस दिवस?
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देर से ही सही पाप का हिसाब ईश्वर जरूर करता है एक बार इसी केरल में दरिंदों ने सरेआम गाय काट कर खाया था तो बाढ़ ने पूरे केरल को डुबो दिया था इस बार इन दरिंदों ने एक हथिनी को बेरहम मौत दिया है इस बार भी ईश्वर जरूर कहर बरपाएगा।
दोस्तों राष्ट्र हित के ज्वलंत मुद्दों पर बेबाक #वीडियो देखने के लिए हमें #यूट्यूब पर भी सब्सक्राइब करें और ज्यादा से ज्यादा इसे #शेयर करें।
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hii frends I am sumit and the is provided by sad ,broken heart shot so please ,please,please follow