Ayodhyavaasi_

Ayodhyavaasi_

You may also like

munna raz
munna raz
lukyy_nagle
lukyy_nagle

jai shree sitaram

12/02/2024

सहादतगंज में बना भव्य त्रिशूल द्वार..!!🙏🏼
अयोध्या में प्रवेश करने के लिए राम पथ पर बना है ये प्रवेश द्वार..!!🛕🚩

#अयोध्या

21/09/2023

दिव्य भूमि है जहां साक्षात #भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है
त्रियुगीनारायण मंदिर

भगवान शिव और माता पार्वती विवाह दिव्य स्थली 😍❤️🚩

त्रियुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड 😍
इस दिव्य मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। जिसका साक्ष्य यहाँ पर जल रही अग्नि कुंड है जो तीन युगों से निरन्तर जल रही है इस दिव्य अग्नि कुंड में बाबा भोलेनाथ और माता भगवती पार्वती ने सात फेरे लिए थे।।
:--वेदों में उल्लेख है कि यह त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है। जबकि केदारनाथ व बदरीनाथ द्वापरयुग में स्थापित हुए। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान ने वामन देवता का अवतार लिया था।

24/08/2023

चंद्रमा की सतह पर आज ये छवि "अशोक स्तंभ'' स्थायी रूप से अंकित हो गई है.. रोवर के टायरों पर यह छाप बनाई गई थी , क्योंकि चंद्रमा पर कोई हवा नहीं है इसलिए ये पदचिन्ह हमेशा के लिए वहाँ बने रहेंगे।
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🇮🇳


Note:-इस तस्वीर की सत्यता की पुष्टि यें पेज नहीं करता है।

09/07/2023

राम की पैड़ी

Photos from Ayodhyavaasi_'s post 15/06/2023

#माँ_भवानी_का_मंन्दीर .....शेर देते है पहरा | जवाई राजस्थान के माँ भवानी मंन्दीर की सीढीयो पे आप को तीस तक की संख्या मे शेर दिखाई दे जायेगे जैसे ही पुजारी आता है शेर सीढीयो से हट जाते है|कभी किसी मनुष्य पे हमला नही करते सिर्फ 160 साल पहले ऐक अटैक हुआ था |वाहा तालाबो मे मगर मच्छ रहते है आज तक के ईतीहास मे ऐक भी हमला ईनसानो पे नही हुआ आदमी आता देख पानी मे चले जाते है महिलाये खेतो मे काम करती रहती है शेर पास से गुजर जाता है ऐक दूसरे को सम्मान देते है | सनातन सत्य है |सनातन धर्म के रुप मे प्रमात्मा का प्रसाद है |
जय मां भद्रकाली माता की जय 🙏

26/05/2023

पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना!

इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी!

जानिए अमरनाथ का पूरा इतिहास ताकि अपने बच्चों को बता सकें .

बाबा बर्फानी के दर्शन के अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी है। अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इसलाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं। लेकिन यह भारत का सेक्यूलरिज्म है, जो तथ्यों और इतिहास से नहीं, मार्क्सवादी-नेहरूवादियों के ‘परसेप्शन’ से चलता है! वही ‘परसेप्शन’ इस बार भी बनाने का प्रयास आरंभ हो चुका है।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ
कश्मीर में हुए राजवंशों का इतिहास कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है। राजतरंगिणी बारहवीं शताब्दी की रचना है। संस्कृत के विद्वान एस पी पंडित के अनुसार राजतरंगिणी ऐसी रचना है जिसे प्रामाणिक ‘इतिहास’ कहा जा सकता है। राजतरंगिणी की प्रथम तरंग के 267वें श्लोक में अमरनाथ यात्रा का उल्लेख है। ग्रंथ में अन्यत्र भी कल्हण भगवान शिव के अमरनाथ स्वरूप को अमरेश्वर के नाम से संबोधित करते हैं।

अमरनाथ की गुफा प्राकृतिक है न कि मानव नर्मित। इसलिए पांच हजार वर्ष की पुरातत्व विभाग की यह गणना भी कम ही पड़ती है, क्योंकि हिमालय के पहाड़ लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यानी यह प्राकृतिक गुफा लाखों वर्ष से है। कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में इसका उल्लेख है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।

नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ।

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे।

नीलमत पुराण में तब अमरनाथ यात्रा का जिक्र है जब इस्लामी पैगंबर मोहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था। तो फिर किस तरह से बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गड़रिया अमरनाथ गुफा की खोज कर कर सकता है? ब्रिटिशर्स, मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकार का पूरा जोर इस बात को साबित करने में है कि कश्मीर में मुसलमान हिंदुओं से पुराने वाशिंदे हैं। इसलिए अमरनाथ की यात्रा को कुछ सौ साल पहले शुरु हुआ बताकर वहां मुसलिम अलगाववाद की एक तरह से स्थापना का प्रयास किया गया है!

इतिहास में अमरनाथ गुफा का उल्लेख

अमित कुमार सिंह द्वारा लिखित ‘अमरनाथ यात्रा’ नामक पुस्तक के अनुसार, पुराण में अमरगंगा का भी उल्लेख है, जो सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी। अमरनाथ गुफा जाने के लिए इस नदी के पास से गुजरना पड़ता था। ऐसी मान्यता था कि बाबा बर्फानी के दर्शन से पहले इस नदी की मिट्टी शरीर पर लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। शिव भक्त इस मिट्टी को अपने शरीर पर लगाते थे।

पुराण में वर्णित है कि अमरनाथ गुफा की उंचाई 250 फीट और चौड़ाई 50 फीट थी। इसी गुफा में बर्फ से बना एक विशाल शिवलिंग था, जिसे बाहर से ही देखा जा सकता था। बर्नियर ट्रेवल्स में भी बर्नियर ने इस शिवलिंग का वर्णन किया है। विंसेट-ए-स्मिथ ने बर्नियर की पुस्तक के दूसरे संस्करण का संपादन करते हुए लिखा है कि अमरनाथ की गुफा आश्चर्यजनक है, जहां छत से पानी बूंद-बूंद टपकता रहता है और जमकर बर्फ के खंड का रूप ले लेता है। हिंदू इसी को शिव प्रतिमा के रूप में पूजते हैं। ‘राजतरंगिरी’ तृतीय खंड की पृष्ठ संख्या-409 पर डॉ. स्टेन ने लिखा है कि अमरनाथ गुफा में 7 से 8 फीट की चौड़ा और दो फीट लंबा शिवलिंग है। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। जनश्रुति भी लिख दी गई जिसमें बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूट को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा माया। वह वह हीरा लौटाने या फिर खुश होकर धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है।

चढ़ावा देने से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को दसफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिशर्स-मार्क्सवादी-नेहरूवादी इतिहासकार सफल रहे हैं।

हर_हर_महादेव

25/05/2023

स्थान: श्री हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या जी मंदिर।
समय: साल 1998 का एक अघोषित दिन।
मंदिर परिसर में लगे ठंडे पानी की मशीन के पास बैठा एक छोटा सा वानर मुंह में दो बिजली के तारों को लिए चबाए जा रहा था, मानों कोई फल हो।
पूरा मंदिर खाली करा लिया गया था, एक एक श्रद्धालु और एक एक दर्शनार्थी।
केवल पुलिस बल और बम निरोधक दस्ता वहां उस समय हनुमान गढ़ी मंदिर के भीतर था, और वे सभी के सभी उस छोटे से वानर को बिजली का तार चबाते हुए देख रहे थे।
पर मंदिर पूरा खाली क्यों था और पुलिस के साथ में बम निरोधक दस्ता वहां क्या कर रहा था?
इसे थोड़े से में बता रहा हूं क्योंकि 1998 में घटी ये सत्य घटना आज तक किसी अखबार या न्यूज चैनल में ये घटना दिखाई नही गई है अयोध्या के अति संवेदनशील होने के कारण।
साल 1998 में करीब बीस किलो आरडीएक्स अयोध्या में आने की खबर उत्तरप्रदेश की एसटीएफ यानी विशेष पुलिस दस्ते को लगी थी, जिसमे से अधिकांशतः आरडीएक्स को समय रहते पुलिस की मुस्तैदी से जब्त कर लिया गया और अयोध्या में किसी प्रकार का धमाका नही हुआ।
परन्तु एक आतंकी बम निरोधक दस्ते का भेष बनाकर अयोध्या के सबसे प्राचीन हनुमान गढ़ी मंदिर में घुस गया और उसने टाइमर सेट करके वहां ठंडे पानी की मशीन में बम लगा दिया।
जब तक पुलिस ने उसे बाहर भागते समय पकड़ा और पूछताछ शुरू की तब तक केवल एक मिनट का समय शेष रह गया था मंदिर में बम के विस्फोट के लिए, ऐसा उस आतंकी ने स्वयं बताया था।
तुरत फुरत पूरा का पूरा पुलिस बल जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा कर रहे थे, मंदिर में घुसे और वो टाइम बम को खोजने लगे।
मंदिर का हर एक कोना हर एक गलियारा छान मारा पर बम जैसा कुछ भी किसी को दिखाई नही दे रहा था की तभी सबने देखा…..
मंदिर के प्रांगण में बने ठंडे पानी की मशीन के पास एक छोटा वानर बैठकर अपने हाथों में दो तार लिए उनसे खेल रहा था और मुंह में लेकर चबाए जा रहा था, जैसे कुछ काट रहा हो।
पुलिस को अंदेशा हो गया की हो ना हो इसी मशीन में बम फिट किया गया है, उन्होंने उस वानर के मुंह से तार छुड़ाने के लिए केले उसकी ओर फेंके।
और केले जैसे ही उस वानर की ओर फेंके गए वैसे ही वो तार छोड़कर बिना केले लिए वहां से उतरकर चला गया या यूं कहूं लुप्त हो गया।
तुरंत ही बम निरोधक दस्ता वहां बुलवाया गया और जैसे ही मशीन खोली गई, उसमे से एक टाइमर सेट किया गया बम पाया गया।
"सर इस बम को तो डिफ्यूज (नष्ट) किया जा चुका है! ये देखिए टाइमर 3 सेकेंड पर रुक चुका है!"
"उस छोटे से बंदर ने तार काटकर बम को फटने से रोक दिया है!"
बड़े उत्साह के साथ बम निरोधक दस्ते के उस सिपाही ने सूचना दी।
और कुछ ही देर में सारे पुलिस बल ने हनुमान गढ़ी मंदिर के शिखर पर वही छोटे से वानर को देखा, जो शिखर के कलश को सहला रहा था।
मित्रों आप ही बताइए वो छोटा सा वानर था या फिर भक्त प्रवर श्री हनुमान जी महाराज संसार से कुछ कह रहे थे!
निश्चित ही वो हनुमान बाबा थे और वो ये डंके की चोट पर सारे संसार को बता रहे थे की अवध मेरे प्रभु श्रीराम की है और इसकी ओर जब जब संकट आएगा तब तब एक वानर आकर इस अवध की रक्षा करेगा।
अपने प्रभु की परम प्रिय नगरी पर आंच भी नही आने देगा!

07/04/2023

मंत्रमुग्ध करने वाली अंजयनाद्री पहाड़ी, हनुमान जी का जन्म स्थल।

जय श्री राम 🚩🚩

28/03/2023

सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना॥

13/01/2023

झारखंड के रांची शहर से 150 कि. मी. दूर घने जंगलों में स्थित "टांगीनाथ धाम" में भगवान परशुराम जी का फरसा आज भी गड़ा हुआ है। हजारों वर्ष से खुले आसमान के नीचे गड़े इस फरसे पर जंग नहीं लगा। यहाँ वर्ष में केवल एक बार महाशिवरात्रि पर ही मेला लगता हैं।🙏🙏

10/01/2023

मैं पावन प्रयारगराज हूँ !!

31/10/2022

नाथद्वारा राजस्थान में विश्व की सबसे ऊंची शिव मूर्ति का आज लोकार्पण हुआ
ख़ास बाते 1. मूर्ति को बनाने में 3000 टन स्टील और 10 वर्ष का समय लगा
2. मूर्ति की ऊंचाई 369 फीट है
3.मूर्ति के अंदर 4 लिफ्ट और एक हाल बनाया गया है
4. मूर्ति की आंख ही 16 फीट के बराबर है
5.250 किलोमीटर रफ्तार की हवा को सह सकने में सक्षम
6. मूर्ति हर मौसम को सहने में सक्षम
7. नवंबर तक लोकार्पण कार्यक्रम में श्री मुरारी बापू की राम कथा का आयोजन.

27/10/2022

सोने की परत चढ़ने के बाद बाबा के धाम के इस वर्ष के आखिरी दर्शन।
बाबा अगले साल के दर्शन लिए आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा।
जय बाबा केदार🙏🙏

26/05/2022

एक ऐसा मंदिर जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया था?
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

भगवान शिव का प्राचीन मंदिर। मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है । चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है. जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं इसका एक एक पत्थर लटकते हुए भी दिखाई देने लगता है. जितना नजदीक जाएंगे मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है. लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके. आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है, आस-पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलता है।

इस मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां हैं. पूरे अंचल में एक किवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है कि मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था. लेकिन मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है. भोलेनाथ ना सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं. पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है।

कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी. ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब एक हज़ार साल हजार पुराना है. बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है. मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई. कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है. इस मंदिर के बीचो बीच शिव लिंग स्थापित है. 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का उपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है।

इस मंदिर को देखने में लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है.. लेकिन ककनमठ मंदिर सैकडों सालों से इसी तरह टिका हुआ है यह एक अदभुत करिश्मा है. इसकी एक औऱ ये विशेषता है..कि इस मंदिर के आस पास के सभी मंदिर टूट गए हैं , लेकिन ककनमठ मंदिर आज भी सुरक्षित है. मुरैना में स्थित ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष स्थल है. यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देख कर पर्यटक भी इस मंदिर की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमायें पर्यटकों को खजुराहो की याद दिलाती हैं. मगर प्रशासन की उपेक्षा के चलते पर्यटक यदा-कदा यहां आ तो जाते हैं।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

25/05/2022

🌹यह मंदिर देवराज इंद्र ने बनवाया था - करोड़ो साल पहले🌹

🌹मीनाक्षी अम्मा मंदिर - इसी मंदिर में शिव विवाह हुआ था🌹

मीनाक्षी मंदिर, मदुरई - जिसके आगे दुनिया की प्रत्येक सुंदर से सुंदर चीज कुछ नही ...

"कांची तु कामाक्षी, मदुरै मिनाक्षी,
दक्षिणे कन्याकुमारी ममः शक्ति रूपेण भगवती ।।
नमो नमः नमो नमः।।

अर्थात , शक्ति का कांची ने नाम कामाक्षी जी, मदुरई में मीनाक्षी, दक्षिण में कन्याकुमारी ।

यहां के लोगो की मान्यता है, की भगवान शिव का विवाह इसी मंदिर में हुआ था । मां का यह विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडू के मदुरै शहर में है। यह मंदिर मीनाक्षी अम्मन मंदिर प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। माँ मीनाक्षी का यह अम्मन मंदिर को विश्व के नए सात अजूबों के लिए नामित किया गया है।

इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।

इस इमारत समूह में 12 भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं। इन पर बडी़ महीनता एवं कुशलतापूर्वक रंग एवं चित्रकारी की गई है, जो देखते ही बनती है। यह मन्दिर तमिल लोगों का एक अति महत्वपूर्ण द्योतक है, एवं इसका वर्णन तमिल साहित्य में पुरातन काल से ही होता रहा है।

🌹पौराणिक_कथा🌹

हिन्दू आलेखों के अनुसार, भगवान शिव पृथ्वी पर सुन्दरेश्वरर रूप में स्वयं देवी पार्वती पृथ्वी पर मिनाक्षी से विवाह रचाने अवतरित हुए। इस विवाह को विश्व की सबसे बडी़ घटना माना गया, जिसमें लगभग पूरी पृथ्वी के लोग मदुरई में एकत्रित हुए थे।

भगवान विष्णु स्वयं, अपने निवास बैकुण्ठ से इस विवाह का संचालन करने आये। ईश्वरीय लीला अनुसार इन्द्र के कारण उनको रास्ते में विलम्ब हो गया। इस बीच विवाह कार्य स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा संचालित किया गया।

बाद में क्रोधित भगवान विष्णु आये और उन्होंने मदुरई शहर में कदापि ना आने की प्रतिज्ञा की। और वे नगर की सीम से लगे एक सुन्दर पर्वत अलगार कोइल में बस गये। बाद में उन्हें अन्य देवताओं द्वारा मनाया गया, एवं उन्होंने मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरर का पाणिग्रहण कराया।

यह विवाह एवं भगवान विष्णु को शांत कर मनाना, दोनों को ही मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जिसे चितिरई तिरुविझा या अझकर तिरुविझा, यानि सुन्दर ईश्वर का त्यौहार ।

इस दिव्य युगल द्वारा नगर पर बहुत समय तक शासन किया गया। यह वर्णित नहीं है, कि उस स्थान का उनके जाने के बाद्, क्या हुआ? यह भी मना जाता है, कि इन्द्र को भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग रूप में मिली और उन्होंने मूल मन्दिर बनवाया।

इस प्रथा को आज भी मन्दिर में पालन किया जाता है ― त्यौहार की शोभायात्रा में इन्द्र के वाहन को भी स्थान मिलता है।

22/05/2022

1800 साल पहले बनी ग्रेनाइट पर 3डी नक्काशी . . .

और वो हमसे पूछते हैं - हमने क्या बनाया ?

जब दुनिया को पेंटिंग का ज्ञान भी नहीं था तो हमारे पूर्वजो ने दुनिया से सबसे कठोर चट्टान यानी ग्रेनाइट पर 3डी नक्काशी बनाई थी.

जम्बुकेश्वर मंदिर - तमिलनाडु

22/05/2022

80 टन के नक्काशीदार ग्रेनाइट को लगभग 216 फीट की ऊंचाई पर बिना मशीन ले जाया गया ..... और लगभग शून्य डिग्री वाला झुकाव।

1,30,000 टन का भार और 6 बड़े भूकंप से बचा हुआ है... और वे पूछते हैं कि हमने क्या बनाया है ।। हमारे ऋषि मुनियों ने कितना पढा !! स्कूल तो गए नहीं !! जहां से दुनिया सोचना बंद कर देती है वहां से सनातन धर्म की रहस्यमई दुनिया और अविष्कार शुरू होते हैं, आखिर क्यों ना करें हम गर्व खुद पर
बृहदेश्वरा मंदिर। तंजुर। तमिलनाडु।

जय सनातन हिन्दू धर्म की। महान सनातन धर्म। भारतीय होने पर गर्व कीजिये। और स्कूलोँ में इसे पढ़ाईये।

07/04/2022

#आचार्य_चाणक्य

Photos from Ayodhyavaasi_'s post 02/11/2021

भव्य #दीपोत्सव के लिए तैयार है..
राजा #रामचंद्र की नगरी अयोध्या❣️

01/11/2021

अवध में लगेगा श्रीराम दरबार
्री_राम 🙏
ोध्या_धाम ❣️

14/09/2021

इस तस्वीर का भाव ही भारतीयता है..
यही भक्ति है..यही देशभक्ति है...

29/08/2021

अद्भुत, दुर्लभ, अकल्पनीय #आँध्रप्रदेश के श्रीशैलम वन में पाए जाने वाले #हनुमत_वीरा नाम के पेड़ की सभी पत्तियों में श्रीहनुमान जी की छवि पायी जाती है
#सनातन धर्म- प्रकृति स्वयं जिसकी साक्षी है।
साभार🙏

09/08/2021

सारे खान मिलकर भी हमारे हीरो से मुकाबला नहीं कर सकते हैं🤗

#सुपर_हीरो Neeraj Chopra 🏅

26/07/2021

#श्री_राम_भरत_मिलाप
भरतकुंड नंदीग्राम

Photos from Ayodhyavaasi_'s post 08/07/2021

श्री राम जन्म भूमि और अयोध्या जनपद से सम्बंधित योजनाएं....
माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

06/07/2021

जहां भाव.. वही भगवान और वही मन्दिर
यही है सनातन धर्म की खूबसूरती 🤩❣️

🚩जय श्री राम🚩

28/06/2021

इस बार 15 दिन का होगा दीपोत्सव,
चलेगी रामायण क्रूज
्री_राम
ोध्या_धाम

25/06/2021

#बालस्वरूप
ंजनि_पुत्र

Want your business to be the top-listed Photography Service in Ayodhya?
Click here to claim your Sponsored Listing.

Videos (show all)

#jaimaavaishnodevi #JammuAndKashmir #jaimatadi #mauntain #aydwale Aydwale
महादेव ❣️
#आचार्य_चाणक्य
#jai_shree_ram
भगवा लहराएंगे।
#ayodhya
jai bajrang bali 🙏
#viral_reels,#team_ayd_official
https://youtube.com/channel/UCAtzAk1nioetvWWQvqC2_QA
#team_ayd_official
kis baat ki chinta 🙏
#shivbaba🙏🙏

Category

Telephone

Address

Ayodhya

Other Camera/Photo in Ayodhya (show all)
Funny club Funny club
सिधौना
Ayodhya, 224229

Don't politics

Youtag business Youtag business
Ayodhya
Ayodhya

S.K

जगतगुरु परमहंस आचार्य जगतगुरु परमहंस आचार्य
Ayodhya
Ayodhya, 224123

जय श्री राम

mr_ayodhya_wale_up42 mr_ayodhya_wale_up42
Ayodhya

hello all of you my friend's plsz like

Bhay_abhay Bhay_abhay
Ayodhya

Laadli gaushala Laadli gaushala
Rasulabad
Ayodhya

JRGblog JRGblog
Ayodhya, 224141

hy friends

Ayodhya vasi Shivam Ayodhya vasi Shivam
Ayodhya

हमारे। फेसबुक पेज पर स्वागत है अभिनन्दन है

Tecno xz Tecno xz
Hissamuddinpur Pure Surti Ka Purva
Ayodhya, 224164

Akash Kumar yadav

TG Alok vlogs TG Alok vlogs
Ayodhya

https://youtu.be/3_M_hvUDG6k