KOLI TIMES
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कोली टाइम्स देश भर में फैले कोरी-कोली समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। हमारा उद्देश्य समाज को जोड़ना और जागरूक करना है। शिक्षा, राजनीति, विज्ञान सहित सभी क्षेत्र में यह समुदाय काफी पिछड़ा है। संगठित और जागरूक भी नहीं है। हमारा प्रयास होगा कि कोरी-कोली समुदाय प्रगति करे, समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। कोली टाइम्स आपका चैनल है। सब्सक्राइब करें, शेयर करें। [email protected]
घर-घर एलपीजी पहुंचाने वाले देवता के दर्शन करें और चढ़ावा चढ़ाएं।
अगर गाड़ी के पीछे जूता टांगने से गाड़ी बच सकती है तो
गाड़ी वाले का जीवन तो अनमोल है, उसे अपने गले में भी एक जूता टांग लेना चाहिए!
जम्मू। उधमपुर निवासी रेवा कोली पुत्री जसवंत सिंह कोली ने राज्य स्तरीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। कोली टाइम्स परिवार की ओर से रेवा कोली को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
Source: Ganesh Dutt Shundal
हापुड़ की आयुषी कोरी को बधाई
हापुड़। एटीएमएस कॉलेज अच्छेजा हापुड़ में सबली निवासी आयुषी कोरी को एम ए इंग्लिश में स्वर्ण पदक मिलने पर संस्था के कार्यकारी निदेशक डॉ राकेश अग्रवाल और बीएड के प्राचार्य डॉ सत्यवीर सिंह ने सम्मानित किया। संस्था के अध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल रजत अग्रवाल और छात्र-छात्राओं व स्टाफ ने आयुषी कोरी को बधाई दी है।
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भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार लाखों साल पहले भारत विश्वगुरु था, और उस समय लोगों के पास इतना ज्ञान था कि वे पुष्पक विमान बनाते और उड़ाते थे। सर्जरी के तो इतने विशेषज्ञ थे कि बच्चे के कटे सिर पर हाथी का सिर भी लगा देते थे। बादल बरसाने, अग्नि बरसाने, हवा बहाने, स्वयं दिशा बदलने और लक्ष्य वेध करके लौट आने वाले तीर और ऐसे तीर चलाने वाले तीरंदाज भी थे। चुल्लू में सागर पी जाते थे। पहाड़ों को आदेश देकर बढ़ने से रोक देते थे। यज्ञ वेदी से पुरुष और स्त्री सशरीर निकल आते थे। हाथी को आदमी मुक्का से मार देता था। एक व्यक्ति के शरीर में हजार हाथियों का बल था। बच्चा पैदा करने के तो इतने तरीके थे कि उन्हें गिनना भी संभव नहीं है। सर शैय्या पर बिना खाये-पीये आदमी छ: महीने तक मृत्यु के इंतजार में लेटा रहा। इतना सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात, मोती और गाय दान करता था कि उतना उस काल में उनका होना ही संभव नहीं है। किसी व्यक्ति के महान कार्य से खुश होकर आकाश से देवी-देवता उसके ऊपर पुष्प की वर्षा करने लगते थे। आखिर वे फूल लाते कहाँ से थे? इतने महान धनुर्धर थे कि गंगा की धार को ही रोक देते थे। ऐसी ही मूर्खतापूर्ण, अनर्गल और वाहियात बातों और कपोल कल्पित कथाओं से वेद, पुराण, उपनिषद, ब्राह्मण ग्रंथ भरे पड़े हैं। एक बात समझ में नहीं आती है कि अगर वे इतने ही बड़े ज्ञानी, वैज्ञानिक, डाक्टर, सर्जन, हथियार निर्माता धातु विशेषज्ञ ही थे, तो फिर एकाएक सब खत्म कैसे हो गया? ज्ञान और चमत्कार की वह महान परंपरा को तो आगे भी चलते रहना चाहिए था। ऐसी ही कपोल कल्पित पौराणिक कथाओं ने भविष्य की पीढ़ियों को झूठी शान, अकर्मण्यता और मूर्खता के जाल म उलझाकर उनका और देश का भविष्य ही अंधकारमय बना दिया।
✍️ राम अयोध्या सिंह
आमंत्रण
कोली समाज विकास एवं सुधार संस्था, कोटा, राजस्थान के तत्वधान कोली छात्रावास दादाबाड़ी में 75वां गणतंत्र दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया।
समस्त देशवासियों को 75वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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चुनिए वह जो आपके लिए सही है...
पहली तस्वीर आत्मविश्वास बढ़ाती है।
दूसरी तस्वीर अंधविश्वास बढ़ाती है।
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में विवेकानंद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी पेंटिंग प्रस्तुत करते हुए कंपाउंडर कैलाश कोली।
यूट्यूब पर कोली टाइम्स का महत्वपूर्ण पड़ाव। सभी व्यूवर्स, सब्सक्राइबर्स और सपोर्टर्स का बहुत बहुत धन्यवाद और आभार।
हजार साल पहले महमूद गजनवी ने दो बातें सिद्ध की-
1.पहली बात यह कि इस देश के मंदिरों में भगवान नहीं, बेईमान बैठे हैं !और दूसरीइस देश के बड़े-बड़े दुर्गों में राजा नहीं, कायर रहते हैं!
पर आज भी हम इन बेईमानों में चमत्कार ढूंढ रहे हैं, ये हमारी आस्था नहीं, हमारा अज्ञान है!
1025 में महमूद गजनवी ने देवसोमनाथ को लूटा,तब इस देश में यही सब हो रहा था, जो 2019 हो रहा है!एक हजार साल बीत गये, पर हम नहीं सुधरे!आज भी यज्ञ और हवन हो रहे हैं, मन्त्र जाप हो रहे हैं, तंत्र-साधना चल रही है !
बताते हैं कि "महमूद" जब गजनी से चला तो गुप्तचरों ने गुजरात के राजा को बताया कि महमूद "देवसोमनाथ" को लूटने आ रहा है,तो गुजरात के राजा ने अपने राजपुरोहित और सोमनाथ के पुजारियों से सलाह की कि देवसोमनाथ को कैसे बचाया जाय ? तो पंडितों ने कहा - पूरे राज्य से घी, दूध और धन इकट्ठा करो, हम यज्ञ, हवन और मृत्युंजय जाप करेंगे!गजनवी यहाँ तक नहीं पहुंचेगा और रास्ते में ही अँधा हो जायेगा!पूरे राज्य में ऐसा किया गया।
परंतु गजनवी अंधा नहीं हुआ और निकट आ गया! गुजरात की सरहदों में आ गया तो गुजरात का कायर राजा लड़ने की बजाय रात में गुजरात छोड़कर भाग गया,और जब गजनवी देवसोमनाथ पहुंचा तो चंद पण्डे, पुजारियों को देखकर हैरान हो गया कि गजनी से सोमनाथ तक मेरे से कोई लड़ने तक नहीं आया और मैं बिना किसी अवरोध के मन्दिर तक पहुँच गया।
पुजारियों को देखकर उसने पूछा कि ये क्या कर रहे हैं तो लोगों ने बताया कि ये हवन, यज्ञ और मारण मन्त्र चल रहे हैं, ये आपको अन्धा करने की विधियाँ चल रही हैं, वही विधियाँ आज भी चल रही हैं, वो हवन, यज्ञ आज भी उसी रूप में जारी हैं।
सोमनाथ मन्दिर में अथाह धन देखकर गजनवी अचम्भित हो गया कि इतना धन कैसे इकट्ठा हुआ तो लोगों ने बताया कि मूर्ति का चमत्कार है जो हवा में लटकी है।
इस चमत्कार को जानने के लिये गजनवी ने मन्दिर का गुम्बद तुड़वाया तो चारों तरफ चुम्बक निकला और चमत्कारी मूर्ति जमीन पर आ गिरी।
बस यही एक चमत्कार है, जो हजार साल पहले से इस देश में काम कर रहा है बाकी बेईमानी के अलावा इस देश में दूसरा कोई भौतिक चमत्कार नहीं है।
सामाजिक परिवर्तन की नायिका, भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती पर सादर नमन!
कोली कोरी समाज के भी बहुत से लोग आजकल भाजपा और संघ के वानर बने हुए हैं।
एक युवक से फोन पर बातचीत हुई
वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे
बहुत लम्बी बातचीत में उनकी कई शंकाओं का समाधान हुआ
मैनें उन्हें संघ के सांस्कृतिक पुनरउत्थान के षडयंत्र के बारे में समझाया
संघ कहता है कि हमें भारत का स्वर्ण युग वापिस लाना है
लेकिन भारत मैं कोई स्वर्ण युग था ही नहीं
भारत के अतीत में दास प्रथा है
भारत के अतीत में जात पात है
भारत के अतीत में औरतों की गुलामों जैसी हालत है
भारत के अतीत की झलक देखनी है तो आज के भारत से पीछे को देखना शुरू कीजिये
संघ अतीत की महानता की काल्पनिक कहानियां आपकी दिमागों में भरता हैं
अतीत के गौरवशाली वीर देवता जिन राक्षसों को मार रहे थे वे भारत के दलित और आदिवासी थे
ऋषि मुनि राजाओं के चापलूस पुरोहित थे
राजा असल में व्यापारियों, महाजनों और भूमिवानों की रक्षा करता था
मेहनत करने वाले नीच जात घोषित कर दिये गये
किसान ,कारीगर , मज़दूर नीच जात और गरीब बना दिये गये थे
सारी सामाजिक , राजनैतिक और आर्थिक ताकत राजा, सैन्य अधिकारी , महाजन, भूमिवान और पुरोहितों के पास आ गयी थी ,
आज़ादी के बाद सामाजिक , राजनैतिक और आर्थिक समानता लाना तय हुआ था
लेकिन आज़ादी की लड़ाई से घबरा कर पुराने शासक वर्ग में घबराहट थी
उसी पुराने शासक वर्ग नें अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिये संघ का गठन किया
ध्यान दीजिये संध में सवर्ण, धनी लोगों का वर्चस्व है
संघ के लोग आज़ादी की लड़ाई में भगत सिंह , अम्बेडकर , नेहरू , और गांधी का विरोध करते रहे
संघ के लोग हमेशा अंग्रेजों की चापलूसी करते रहे और बराबरी की बात करते वालों पर हमले करते रहे
आज़ादी मिलते ही संघ ने गांधी की हत्या कर दी , अम्बेडकर पर राजनैतिक प्रहार किये
संघ ने समानता की घोषणा करने वाले संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया
संघ में शामिल बड़ी जातियों के अमीर , सवर्ण , भूमिपति गिरोह ने मिलकर भारत की राजनीति की दिशा को भटका दिया
इन्होंने कहा भारत की समस्या सामाजिक राजनैतिक या आर्थिक गैर बराबरी नहीं है
बल्कि भारत की समस्या मुसलमान , इसाई और साम्यवादी है
और इसका हल यह है कि भारत में हम हिन्दु गौरव की स्थापना करें , और भारत को हिन्दु राष्ट्र बनायें
हिन्दु राष्ट्र बनाने की मुहिम को भड़काने के लिये आज़ादी मिलते ही बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति रखी गई
मन्दिर निर्माण को हिन्दु गौरव की पुर्नस्थापना का प्रतीक बना दिया गया
संघ द्वारा हिन्दु राष्ट्र बनाने की मुहिम में ओबीसी , दलित और आदिवासियों को एक रणनीति के तहत जोड़ा गया
आज बजरंग दल , शिवसेना , विश्व हिन्दु परिषद में ओबीसी , दलित और आदिवासी बड़ी तादात में मिलेंगे
संघ द्वारा एक तरफ तो इन ओबीसी , दलित, आदिवासियों का इस्तेमाल मुसलमानों और इसाइयों पर हमलों में किया गया
दूसरी तरफ इससे भाजपा को सत्ता में आने में इन वर्गों ने महत्वपूर्ण भूमिका निबाही , क्योंकि संघ के मालिकान सवर्ण भारत की आबादी में अल्पसंख्यक हैं
लेकिन अपनी चालाकी से यह सवर्ण , अमीर कम संख्या में होते हुए भी हिन्दु राष्ट्र का धोखा खड़ा कर के सत्ता पर काबिज़ है
संघ के झ्स हिन्दुत्व के धोखे से सबसे बड़ा नुकसान भारतीय समाज को यह हुआ कि भारत के दलित , ओबीसी और आदिवासी बराबरी के लिये संघर्ष करने की बजाय संघ की वानर सेना बन कर रह गये
इस लिये संघ का स्वर्ण युग की वापसी का नारा दरअसल सवर्ण अमीरों का वर्चस्व बनाये रखने का षडयंत्र है
हम इसलिये संघ का विरोध करते हैं
- हिमांशु कुमार
Good one
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का इतना शौक है कि खुद से ही खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर लिया। तो साथियों "अखिल भारतीय कोली समाज, नयी दिल्ली" के अब कुल मिलाकर तीन राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गये हैं।
1. अजित भाई पटेल
2. कुंवर बावलिया
3. डॉ एम एल माहौर
जिन भाई को जो पसंद हो उसे अपना-अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष मान ले।
अपनी भाषा पर ध्यान दीजिए
आप जिन शब्दों को गाली की तरह या किसी को नीचा दिखाने के लिए इस्तेमाल करते हैं
वह शब्द किसी के पेशे को नीचा बताने वाले
या रंगभेदी या लिंग भेदी गरीब विरोधी या महिला विरोधी हो सकते हैं
अगर आप एक ऐसा समाज चाहते हैं
जिसमें किसी व्यक्ति को उसके जन्म के कारण
या उसके पेशे के कारण अपमानित ना किया जाए
तो आपको अपनी बोलचाल की भाषा में
किसी भी पेशे रंग शारीरिक अक्षमता विकलांगता या लिंग के आधार पर
अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
कुछ उदाहरण नीचे दे रहा हूं
हमारे कई मित्र भांड शब्द का इस्तेमाल करते हैं
भांड वह व्यक्ति होता था
जो राजा के दरबार में अपना पेट पालने के लिए हास्य नाटक करके तथा लोगों की नकल करके अपना पेट पालता था
वह कोई गरीब व्यक्ति ही होता था
अपना पेट पालने के लिए किए जाने वाले कला के प्रदर्शन को
अपमानजनक पेशा कहना हमारी गरीब विरोधी मानसिकता दर्शाता है
भांड एक जाति भी होती है
जिसके लोग गांव-गांव जाकर लोगों को हंसा कर पेट पालते हैं
किसी को नीचा दिखाने के लिए भांड शब्द का इस्तेमाल मत कीजिए
हमारे कई मित्र रंडी शब्द का इस्तेमाल करते हैं
यदि कोई महिला वेश्यावृत्ति करती है
तो यह हमारी आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था का दोष है
इसलिए किसी को नीचा दिखाने के लिए रंडी शब्द का इस्तेमाल करने का अर्थ है
कि आप महिलाओं की कमजोर आर्थिक और सामाजिक स्थिति का मजाक बना रहे हैं
किसी महिला का रंडी होना उस महिला का दोष नहीं है
बल्कि यह इस समाज का दोष है
जिसने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक तौर पर इतना कमजोर बनाया
कि उसे जिंदा रहने के लिए रंडी बनना पड़ा
इसी तरह से अगर आप कमीन शब्द का इस्तेमाल करते हैं
या कमीना शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो वह भी गरीब और मजदूर विरोधी शब्द है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कमीन का अर्थ होता है खेतों में काम करने वाला कर्मी या कमेरा
और किसी को कमीन कहने का अर्थ है
कि आप मेहनत करने वाले को नीच और गाली योग्य मान रहे हैं
इसी तरह आप बिना ध्यान दिए काला शब्द का इस्तेमाल करते हैं
आप कहते हैं काला धन या काला दिल
काले रंग को बुरा मानना काले इंसानों को असुंदर मानना
हमारी रंगभेदी सोच का परिणाम है
इसी तरह से आप किसी पुरुष को कमजोर या कायर का आरोप लगाने के लिए हिजड़ा कह देते हैं
किसी का हिजड़ा होना प्रकृति का काम है
और इसका किसी के बहादुर या डरपोक होने से कोई लेना-देना नहीं है
या आप किसी पुरुष को नपुंसक कह देते हैं यानी वह डरपोक है
नपुंसक का अर्थ है जो संतान नहीं पैदा कर सकता
जो संतान नहीं पैदा कर सकता वह डरपोक भी होगा यह सच नहीं है
इसलिए इन शब्दों का इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए
समाज में जो जैसा है प्रकृति ने उसे जैसा बनाया है
समाज ने उसे जो पेशा करने के लिए मजबूर किया है
उसके आधार पर न तो किसी का अपमान होना चाहिए
ना उसे नीच या हीन माना जाना चाहिए
यही आपकी नई राजनीतिक सोच होनी चाहिए
अपनी सोच पर ध्यान दीजिए
अपनी भाषा पर ध्यान दीजिए
लोकतांत्रिक इंसान बनिए
आपके मज़हब ने आपको यह सब नहीं सिखाया है
लेकिन अब आप लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं
एक आधुनिक समाज में रहते हैं
इसलिए अपनी भाषा को आधुनिक बनाइये
✍️ हिमांशु कुमार
ये हैं भाजपा के दिग्गज नेताओं की छत्रछाया में सरेआम पनपते और घूमते भाजपाइयों की वो नयी फसल, जिनकी ‘तथाकथित ज़ीरो टॉलरेंस सरकार’ में दिखावटी तलाश जारी थी लेकिन पुख़्ता सबूतों और जनता के बीच बढ़ते गुस्से के दबाव में भाजपा सरकार को आख़िरकार इन बलात्कारियों को गिरफ़्तार करना ही पड़ा, ये वही भाजपाई हैं जिन्होंने बीएचयू की एक छात्रा के साथ अभद्रता की सभी सीमाएँ तोड़ दी थीं। देशभर की एक-एक नारी देख रही है कि भाजपा नारी-सम्मान के साथ कैसा मनमाना खिलवाड़ कर रही है और महिला अत्याचार, उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपियों को बचा रही है।
चड्डी गैंग की पोल खोल
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