बेबाक पत्रकार
हम यहाँ देश के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा
बचपन में पढ़ा था.. अति किसी भी चीज की हो, वह नुकसानदेह साबित होती है।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप!
अति का भला न बोलना, अति की भली न धूप!!
बोलते रहिए अन्यथा गूंगे ही कहलाएंगे.............
अपने सवाल कीजिए, अपनी मांगे उठाइए।
राजनीति करने वाले, कठपुतली बना कर रख देंगे।
कब कौन सा तार छेड़ना है, वे जानते हैं....
आप उसी मतिभ्रम में उलझे हुए नाच रहे हैं।।
वेक अप इंडिया!..गेट अप इंडिया।.. जय हिन्द 🙏
माँ- बाप, परिवार, गुरू और आपकी धार्मिक शिक्षा और संस्कृति से कुल मिलाकर मिले संस्कार ही आपको एक मुकम्मल इंसान बनाते हैं। जिसने मेरा व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं बिगाड़ा, मैं उसे एक थप्पड़ भी नहीं मार सकता।
यदि वह व्यक्ति मुझे या मेरे परिवार को हानि पहुंचाने का प्रयास करता है, और मेरे पास बचाव का अवसर है, तो मैं सर्वप्रथम कानून और पुलिस की सहायता लूंगा न कि धार्मिक नारा लगाते हुए किसी पर या उसके धार्मिक स्थलों पर हमला करने लगूंगा।
यदि ऐसे हालात हो जाते हैं, कि प्राणों पर सीधा संकट है, और पुलिस से सहायता का अवसर भी नहीं, तब परिवार और स्व प्राणों की रक्षा हेतु मैं किसी हमलावर को मार भी देता हूं, तब वह मेरा बचाव का प्रयास कहा जाएगा।
और ऐसा व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के धार्मिक नारे लगाकर किसी दूसरे की धार्मिक आस्था के प्रतीकों या किसी व्यक्ति को नुक़सान पहुंचाता है, तो उसके साथ साथ उसका परिवार, उसके गुरु और धार्मिक शिक्षा, संस्कार सभी कहीं ना कहीं जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।
धार्मिक उन्माद वह जहर है, जो इस संसार में सबसे ज्यादा घातक है। और दुनिया जानती है, कि जेहादी विचारधारा ने इस संसार का जितना नुकसान किया है, उतना किसी प्राकृतिक आपदा और परमाणविक हमले ने भी नहीं किया।
यह माँ- बाप, गुरुओं की भी जिम्मेदारी है, कि वे अपने बच्चे पर विशेष ध्यान दें। उसे धर्मांध होने से बचाएं।
यदि आपके बच्चे किसी की धार्मिक भावनाओं और प्रतीकों पर हमले करते हैं, या निर्दोष पर हमला करने तक से नहीं हिचकते तो आप उससे ज्यादा दोषी हैं।
उस लड़के ने सिर्फ मंदिर पर हमला नहीं किया, बल्कि अब ऐसी मानसिकता यहां क्यों फल फूल रही है, इस पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। एक आई आई टी पास आउट छात्र इस मानसिकता से ग्रसित है, तो शेष से क्या उम्मीद करें। ख़ैर..
हिन्दू हों या मुसलमान यदि आप गार्जियन हैं, तो अपने बच्चों को थोड़ा समय दें। उन्हें धर्मांध हो जाने से बचाएं।
मानवता सबसे बड़ा धर्म है, जो जाति धर्म मजहब और समुदाय के नियमों से पृथक सभी के हितों की चिंता करता है। मानवता धर्म की शिक्षा दें।
इसे आप ऐसे ही नहीं होते रहने दें सकते। कि आज "Go with the flow"....बोला, और कल जब सब लड़ भरें, तब कहिए, "Show must go on" ...... जय हिन्द।
आज से चैत्र नवरात्रि एवं माह-ए-रमजान दोनों प्रारम्भ हो रहे हैं। आप सभी को शुभकामनाएं। आप सभी अपने अपने मंतव्य में सफल हों। आस्थावानों पर माँ कृपा करें।
आपसी तारतम्य बनाए रखें! एक दूसरे के धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें। न कर सकें तो अपमान हरगिज़ ना करें। फर्जी एक दूसरे को पिंच न करें।
जैसा कि जानते ही हैं.. धर्मगत राजनीति का दौर यहां सदियों से चला आ रहा है। कभी हिन्दुओं को लाखों समझौते करने पड़े.. आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में आपको नाममात्र ही करने पड़ रहे हैं।
किसी भी प्रशासनिक आदेश को खुद से सीधा- सीधा जोड़कर देखना ग़लत है, वजह को समझने का प्रयास कीजिए। कहीं आपके क्रियाकलाप किसी को दु:ख तो नहीं पहुंचा रहे हैं। सोचिए...
ख़ैर समझदार को सिर्फ हिंट दिए जाते हैं... बाकी जैसी ☝️ उनकी 🙏 इच्छा।
जाति धर्म समुदाय से पहले राष्ट्र आता है। जो कि है.. महान #भारत 🙏 जय हिन्द
हो सकता है, योगी जी का मुख्यमंत्री के तौर पर यह आखिरी कार्यकाल हो, क्योंकि वे भाजपा में प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार भी हैं।
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Sameer Verma staunch supporter - Equality. Right. Recognition. Scientist. Pro and against superstitio