Dr. Bharat saran
education, health environment, motivation, career guidance, fifty villagers, kalam ashram.....
आभार गोकुल ..
Dr BHARAT SARAN के साथ युवाओं की बात ll युवाओ को बहुत सारी सीख मिलेंगी इस वीडियो में l डॉ भरत सारण के जीवन में कितना संघर्ष किया कैसे फिफ्टी विल्जर खोला कैस...
बड़ा सहयोग... बड़ा आशीर्वाद
जब फिफ्टी विलेजर्स को सहायोग की बहुत ज्यादा नीड है... कोटि कोटि साधुवाद... आभार
डॉ विरेंद्र सिंह चौधरी सर
संक्षिप्त परिचय
डॉ. वीरेंद्र सिंह एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एक सम्मानित पूर्व छात्र हैं, जो अस्थमा और श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी (मेडिसिन) की डिग्री हासिल की और सिटी हॉस्पिटल नॉटिंघम में रेस्पिरेटरी फेलोशिप हासिल की। स्वास्थ्य सेवा और नवाचार के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, डॉ. सिंह की यात्रा वास्तव में उल्लेखनीय है।
32 वर्षों तक, डॉ. सिंह ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एलर्जी और पल्मोनरी मेडिसिन विभाग, मेडिसिन विभाग में संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के रूप में उनकी भूमिका में समाप्त हुआ, जहाँ उन्होंने प्रशासन में महात्मा गांधी के सिद्धांतों को कुशलता से लागू किया, जिससे एसएमएस अस्पताल के सबसे सफल अधीक्षकों में से एक के रूप में ख्याति अर्जित की। डॉ. सिंह ने आरयूएचएस में मेडिसिन संकाय के डीन और नैतिकता समिति के सचिव के रूप में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, अपनी बहुमुखी क्षमताओं का प्रदर्शन किया और स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन पर एक अमिट छाप छोड़ी।
डॉ. सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख पल्मोनोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने 46 साल के अभ्यास के दौरान 1.5 मिलियन से अधिक श्वसन रोगियों का इलाज किया है। उनके दयालु दृष्टिकोण ने विभिन्न श्वसन स्थितियों से निपटने वाले रोगियों को राहत प्रदान की। उन्हें वैश्विक अस्थमा नेटवर्क के दक्षिण एशिया समन्वयक के रूप में चुना गया था, जो वैश्विक अस्थमा अनुसंधान में अग्रणी संगठन है।
अपनी उम्र की बाधाओं के बावजूद डॉ. सिंह का समर्पण दृढ़ रहा क्योंकि उन्होंने 10,000 से अधिक COVID रोगियों का इलाज किया और तीन बार कोरोना से पीड़ित हुए। राजस्थान के लिए COVID रणनीति तैयार करने में उनकी सलाहकार भूमिका ने महामारी प्रतिक्रिया योजना में उनके प्रभाव को रेखांकित किया।
अपने करियर की शुरुआत में, डॉ. सिंह ने अस्थमा और एलर्जी संबंधी श्वसन रोगों से उत्पन्न चुनौतियों को पहचाना। उनकी अभिनव भावना ने उन्हें 1990 के दशक में पिंक सिटी फ्लो मीटर, पिंक सिटी लंग एक्सरसाइज़र और कई अन्य खोजों सहित आविष्कार के चार पेटेंट दिलाए। इन नवाचारों ने अस्थमा रोगियों के निदान और उपचार को बदल दिया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) से प्रतिष्ठित स्वतंत्रता दिवस पुरस्कार मिला। उनका श्वसन संबंधी शोध प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ था, और उन्होंने अस्थमा में योग के लाभकारी प्रभावों को प्रदर्शित करने के लिए पहला डबल-ब्लाइंड प्लेसबो-नियंत्रित अध्ययन किया था। श्वसन चिकित्सा में उनके आविष्कारों और मौलिक शोध को डॉ. बीसी रॉय पुरस्कार, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस अवार्ड और कैश मेरिट अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
डॉ. सिंह का योगदान आईएलडी इंडिया रजिस्ट्री की स्थापना तक बढ़ा, जिसने इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (आईएलडी) अनुसंधान में क्रांति ला दी। इस रजिस्ट्री से निकले उनके प्रकाशनों ने देश भर में आईएलडी देखभाल को नया रूप दिया। डॉ. सिंह ने 11 वर्षों तक लंग इंडिया के प्रधान संपादक के रूप में कार्य किया, जो चिकित्सा ज्ञान को आगे बढ़ाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्वसन रोगियों को व्यापक और किफायती देखभाल प्रदान करने के लिए, डॉ. सिंह ने अस्थमा भवन की स्थापना की, जो रोगी देखभाल, अनुसंधान और तंबाकू की लत छुड़ाने की पहल को शामिल करने वाली एक संस्था है। सिलिकोसिस समिति के साथ उनकी भागीदारी ने दुर्बल करने वाली बीमारियों से लड़ने के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित किया। तम्बाकू के खिलाफ़ एक कट्टर समर्थक, डॉ. सिंह की भारतीय अस्थमा देखभाल सोसायटी (IACS) ने महत्वपूर्ण रिट याचिकाओं का समर्थन किया, जिसने तम्बाकू के खिलाफ़ कानून (COTPA), गुटखा पर प्रतिबंध और भारत में प्लास्टिक के उपयोग के विनियमन को प्रभावित किया।
अपने पूरे जीवन में, डॉ. सिंह की उत्कृष्टता और रोगी कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एक प्रेरक शक्ति रही है। रोगी का विश्वास जीतने का उनका दर्शन एक मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है, जिसने उन्हें राजस्थान में स्वास्थ्य सेवा मानकों को बढ़ाने के लिए अपने आजीवन मित्र डॉ. एसएस अग्रवाल के साथ विश्व स्तरीय राजस्थान अस्पताल (RHL) की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया।
अभी शुरूआत है.... रहते वक्त सुधार की जरूरत है।
किसी के घर का चिराग़ बिगड़ रहा है.... भटक रहा है..... हम यह सोच कर चुप है कि हमें क्या?
ये वो आग हैं जो अभी दूर किसी कोने में है ।
जिस दिन अपने घरों की ओर बढ़ेगी वो बहुत प्रचंड होगी..... रोक पाना मुश्किल होगा। जो भी गलत आदतों की ओर जा रहे हैं वो देश का भविष्य हैं, ह्यूमन रिसोर्स हैं.... उसको सही दिशा और दशा देना हम सभी की जिम्मेदारी है।
अपने अपने बच्चों को प्रति दिन समय दें। एक बार नाईट में अवश्य पूछे कि दिन भर क्या किया ?
उनकी दिनचर्या का बारीकी से निरीक्षण करते रहें।
गलती करे तो समझा कर सुधारें, कामियों को दूर करें।
उनको सकारात्मक सहयोग करें, अच्छी आदतों के लिए प्रोत्साहित करें, विद्यालयों में पढ़ाई के साथ साथ खेलकुद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेवा जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए तैयार करें।
घर, परिवार में सामाजिक कार्यक्रमों में व त्योहारों में जिम्मेदारियों को छौपें ।
बच्चों में बहुत खूबियां होती है,
उनकी सार्वजनिक प्रशंसा करें । गलती कर दी हो तो एकांत में समझाएं।
बच्चों को पाठ्यक्रम के अलावा प्रेरक व साहित्यक पुस्तकें खरीद कर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
परिवार में बच्चों को साथ बिठा कर सेवा, संस्कार के बारे में वक्त वक्त पर बातचीत करें।
सादर
Dr Bharat Saran
एक आदर्श शिक्षक की उम्मीद में....
"मेरे लिए बेहद भावनाओं से भरा पल था...... जब IPS के 76 वें बैच के दीक्षांत समारोह पर दादा को सैल्यूट कर देश सेवा में पहला कदम रखा..... " आशीष पूनिया (IPS)
अद्भुत और गौरवमयी दृश्य । सफ़ेद राजस्थानी पोशाक पहने बाड़मेर राजस्थान के किसान दादा अपने होनहार आइपीएस पोते आशीष पूनिया को गर्व के साथ निहार रहे है। आईपीएस की यूनिफॉर्म पहने ,चेहरे पर मुस्कान , आंखो में तेज लिए दीक्षांत समारोह परेड पर अपने किसान दादा को सैलूट कर देशसेवा में पहला कदम रखा ।
ये पढ़ाई की ही ताकत है।
एक किसान परिवार को उनका बेटा वास्तविक खुशियां दे ने में सफल रहा। बाड़मेर से हैदराबाद का सफ़र दादा, दादी, मां, पिता के लिए अद्भुत और यादगार बन गया । पहली बार हवाई जहाज में बैठना और पांच सितारा होटलों की सुविधाओं को नजदीक से देखने का अनुभव।
ये सब हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) ने शुक्रवार (20 सितंबर, 2024) को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के नियमित भर्ती (76आरआर) के 76वें बैच की पासिंग आउट परेड का जश्न के समय का अवसर हैं। जिसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मुख्य अतिथि थे ।
बाड़मेर से आशीष पूनिया सभी युवाओं के लिए अनुकारणीय उदाहरण है। एक किसान परिवार, तृतीय श्रेणी शिक्षक के बेटे, कम सुविधाओं में, सेल्फ स्टडी से आईपीएस।
अपनी ट्रेनिंग की पहली सैलरी फिफ्टी विलेजर्स के जरूरत मंद परिवारों के बच्चों को दान में दी।
दादा को अपनी सेवा का पहला सैल्यूट। अनुशासन व संस्कारों के साथ सेवा भाव वाकई प्रेरणिय हैं।
बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ उम्मीद कि आप एक बेहतरीन प्रशासक के रुप में देश व जनता की सेवा कर अनुपम उदाहरण बनोगे।
सादर
Dr Bharat Saran
"मेरा स्लेक्शन हो गया सर,
मैं सुमेर प्रजापत फिफ्टी विलेजर्स के 2013 बैच से बोल रहा हूं ।"
एक अति उत्साही बुलंद आवाज ध्वनि तरंगों से मोबाइल के उस ओर से सुनाई दी......
"बहुत बहुत बधाइयां, शुभकामनाएं हम सभी की ओर से। "
सर मेरा ऑल राजस्थान में 11 वीं रैंक आई है.... वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान विषय में.... मेरे आस पास का मैं पहला विद्यार्थी हूं, सर जिसका सलेक्शन हुआ है।..
कभी हकला कर बोलने वाला विद्यार्थी सुमेर आज धारा प्रवाह अपनी सफ़लता को बयां कर रहा था।
अचानक मुझे 2013 के वो दिन याद आ गए जब फिफ्टी विलेजर्स का दूसरा साल था, मेरी MBBS का तीसरा साल । एक दुबला पतला लड़का हकलाती आवाज़ में आकार बोलता है " सर, मेरे पिताजी के कमर में बोरियां डालने से दर्द हो रहा है। तो कोई काम नहीं कर सकते । परिवार चलाने के लिए वो ही काम करते हैं। फिफ्टी विलेजर्स में रसोई में काम कर लेंगे।"
उस समय प्रारंभिक दौर में संस्थान में एक व्यक्ति की जरूरत थी जो समझदार हो और बच्चों को खाना बनाने में मदद करें। सुमेर के पिता श्री केसा राम जी प्रजापत ने 2 साल तक संस्थान में रसोई का काम संभाला। पूरी इमानदारी और जिम्मेदारी से।
सुमेर लाल का नीट में कई प्रयास के बाद नहीं हुआ। बीएससी बीएड कर लिया।
आज एक सुखद अहसास हुआ कि जरूरत मंद परिवार मे खुशियों का माहौल है।
यही फिफ्टी विलेजर्स का उद्देश्य है।
सभी दानदाताओं का आभार जिनके सहयोह से ये बच्चें पढ़ पा रहे हैं।
सादर
Dr Bharat Saran
आगे की कहानी सुमेर की ज़ुबानी
मैं सुमेर लाल पिता का नाम श्री केसाराम जी प्रजापत ग्राम पंचायत पिपराली ,तहसील गुड़ामालानी ,जिला बाड़मेर
मेरा चयन आज राजस्थान संस्कृत शिक्षा विभाग मैं वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान विषय से 11वीं रैंक के साथ हुआ है।
यह परिणाम मेरे माता-पिता ,बड़े भाई गुरुजनों एवं *50 विलेजर्स सेवा संस्थान* बाड़मेर को समर्पित करता हूं l
*शुरुआती शिक्षा*
मेरी प्राथमिक शिक्षा मेरे क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीमडा नाडा में पूर्ण हुई ।
बाद में दसवीं तक की पढ़ाई राजकीय माध्यमिक विद्यालय पिपराली में पूर्ण हुई।
पिछड़े समाज एवं मध्यमवर्गीय परिवार के साथ में,मेरे माता-पिता किसान है,....
दसवीं का एग्जाम देने के बाद है, आगे की पढ़ाई का कोई विचार नहीं था, लेकिन कुछ लोगों के कहने पर पॉलिटेक्निक व आईटीआई करने की सोच रखी थी, ताकि जल्दी जॉब मिल जाए।
तो गर्मियों की छुट्टियों में ,मैं मेरे बड़े भाई ठाकराराम के साथ पालनपुर गुजरात में कमठे के काम पर चला गया.... वहां मेरे काम करते वक्त मेरे बड़े भाई के पास है मेरे गुरुदेव ओमप्रकाश जी सर का (तत्कालीन मेरे विज्ञान के गुरुजी) फोन आता है की बाड़मेर में एक परीक्षा होगी जो 50विलेजर्स संस्थान के नाम का एक एग्जाम है जो की सुमेर को दिलवाना है
इस बात का पता बिल्कुल नहीं था कि किसका एग्जाम है ?क्या सिलेबस है..?.
अब गुरु जी के साथ है हम पांच विद्यार्थी बाड़मेर आकर यह 50 विलेजर्स की परीक्षा दी (2013) और उनमें से मेरा एक का चयन हो गया...
ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के कारण मुझे अपने सही ढंग से विचार व्यक्त करने तक नहीं आते थे, समय गुजरता गया और मैं 50 विलेजर्स संस्थान में अध्ययन करता रहा, मैने 12वीं कक्षा उतीर्ण कर ली इसके बाद संस्थान में रहते हुए मैंने पीजी कॉलेज बाड़मेर से बीएससी मैं प्रवेश लिया ।
संस्थान में रहते हुए डॉक्टर भरत जी sir के निर्देशन में विभिन्न सरकारी स्कूलों में (मांगता ,लंगेरा, खड़ीन) एवं समर कैंप में अध्यापन कार्य करवाया , जिससे मेरे को बहुत ही फायदा हुआ, ... यह एक स्पीच थेरेपी की तरह काम किया।
और हां मैं बताना चाहूंगा कि जब मैं संस्थान में प्रवेश लिया तो मेरे घबराहट लेवल इतना था कि मैं खड़े होकर अपना सही तरीके से परिचय तक, नहीं दे पाता था... लेकिन संस्थान में आने से मुझे अच्छे साथी ,सीनियर व गुरु जन मिले जिससे मेरी सारी समस्याएं दूर हो गई
विशेष कर *डॉक्टर भरत सारण* sir का, जीवन में आभारी रहूंगा कि उनके सानिध्य में मुझे जीवन में बहुत ही ज्यादा सीखने को मिला, उन्होंने मेरे जीवन में आत्मविश्वास पैदा करके मुझे वरिष्ठ अध्यापक ऑल राजस्थान में 11वीं रैंक के साथ चयन करने का उनका एक बड़ा योगदान है...
मैं एक बार मैं अपने गुरुजनों एवं 50 विलेजर्स संस्थान बाड़मेर का फिर हृदय की अतल गहराइयों से आभार प्रकट करता हूं मैं संस्थान को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि शिक्षा के इस गरिमा पूर्ण पेशे से राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान अच्छे तरीके से निभाऊंगा, एवं संस्थान की विचारधारा को आगे तक ले जाने का प्रयास करूंगा।...संघर्ष से कभी डरना नहीं चाहिए
क्योंकि यह भी एक कहानी है
जो सफल होकर सबको सुनानी है!
Thanks to all
बहुत बहुत आभार सर
श्री कुंजीलाल जी मीणा ( सीनियर IAS , पूर्व प्रमुख शासन सचिव व वर्तमान में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के सचिव ) द्वारा फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान बाड़मेर के विद्यार्थियों को संवाद कार्यक्रम में मार्गदर्शित किया । इस दौरान आपने अपने जीवन के प्रारंभिक दौर ग्रामीण क्षेत्र के किसान परिवार से शासन सचिव तक पहुंचने की संपूर्ण संघर्ष की कहानी, पढ़ाई के तरीके, जिम्मेदारियों, सेवा, चुनौतियां, सफलताओं, विफलताओं व प्रेकीय घटनाओं के अनुभव साझा किए।
विद्यार्थियों के लिए ये संवाद कार्यक्रम ऊर्जा, प्रेरणा, सेवा, जज़्बा प्रदान करने वाला रहा।
आपके द्वारा दिए गए अति महत्वपूर्ण 2 घंटे हमारे लिए अनुकरणीय है।
आपका हम सभी तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं।
सादर ।
Happy teacher’s day to all respected teachers!
पढ़ने वाले स्टूडेंट्स कृपया ध्यान दें...... आपके जीवन निर्माण की गाड़ी इस वक्त मेहनत, पुस्तक , अभ्यास, समय प्रबंधन, पुनरावृत्ति के प्लेट फार्म पर खड़ी है.... जो भी यात्री सुखद भविष्य का सफर करना चाहते हैं वो अपने शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक स्वस्थ्य का ध्यान रखते हुए माता पिता और गुरुजनों के बताएं मार्ग पर चलते हुए अपनी सुनहरी मंजिल का रास्ता खुशी खुशी तय कर सकते हैं। इस दौरान मोबाइल नामक उपकरण का संयमित उपयोग करें और इन्टरनेट का डाटा रात्रि कालीन 9 बजे से बंद कर दें। आपको प्रारंभिक मासिक विचारों की तकलीफ़ का सामना करना पड़ सकता है । बाद में जीवन निर्माण के लिए ये उपाय सबसे बेहतरीन साबित होगा।
मन और बुद्धि के विश्लेषणों से सावधान रहें..... एक बार आजमाकर देखें..... फ़ायदा होने की पूर्ण गारंटी है।
इस दौरान मोबाइल के अति उपयोग से प्रभावित विधार्थी या अभिभावक किसी भी प्रकार की सहायता या मार्गदर्शन के लिए संपर्क करें
9413942612
सुखद यात्रा के लिए शुभकामनाएं।
सादर
Dr Bharat Saran
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बदलते मौसम और हालातों का कोई जबाब नहीं..... बस आप हमेशा सकारात्मक ऊर्जा के साथ जियो।