Pritam Azad Gautam
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लोकतंत्र का सबसे बाड़ा facetival आज के हि दिन भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है |जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।[1][2][3] [4][5] भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम १९३५(1935) को माना जाता है।[6] भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है।
इस दिवस पर हर समुदाय के देश वासियों को बहुत बहुत बधाई और प्रण लेते हैं कि भारत का संविधान ' ' उद्देशिका' ' पर थोड़ा सा भी आंच नहीं आने देंगे !
संविधान में 395 अनुच्छेद को 22 भागों और 12 अनुसूचियों में विभाजित किया गया था। भारतीय संविधान में मूल रूप से आठ अनुसूचियाँ थीं।
जय भीम! नमो बुद्धाय!
– प्रीतम आजाद गौतम
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तानाशाही का भी हद होता शर्म करो बेशर्मों
त्याग और समर्पण मूर्ति की प्रतिमूर्ति बलिदान की मिशाल माता रामाबाई बाई अम्बेडकर जी के स्मृति दिवस पर उन्हे कोटि कोटि नमन !
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क्या भविष्य बोलता #तथागतबुद्ध #बहुजन #मूलनिवासी
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प्रो0 डॉ0 लक्ष्मण यादव
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हम, हम हैं जनाब तुम नहीं
मंदार हिल पर्वत बांसी बांका
मंदारगिरी दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र
#बाबा #बुद्ध #साहेब #भारत #बहुजन बाबा साहेब डॉ0 भीम राव आंबेडकर कि झांकी
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14 अप्रेल 2023 बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर की जन्म जयंती समारोह की अवसर पर झांकी!
जय भीम! नमो बुद्धाय!
– प्रीतम आजाद गौतम
19वी सदी के महान समाज सुधारक ज्योतिराव फूले
ज्योतिराव फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था और वे सब्जियों की खेती करने वाली माली जाति से संबंधित थे।
शिक्षा: वर्ष 1841 में फुले का दाखिला स्कॉटिश मिशनरी हाईस्कूल (पुणे) में हुआ, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की।
विचारधारा: उनकी विचारधारा स्वतंत्रता, समतावाद और समाजवाद पर आधारित थी|
फुले थॉमस पाइन की पुस्तक ‘द राइट्स ऑफ मैन’ से प्रभावित थे और उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने का एकमात्र तरीका महिलाओं निम्न वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना था।
प्रमुख प्रकाशन: तृतीया रत्न (1855); पोवाड़ा: छत्रपति शिवाजीराज भोंसले यंचा (1869); गुलामगिरि (1873), शक्तारायच आसुद (1881)।
संबंधित सगठन: फुले ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर वर्ष 1873 में सत्यशोधक समाज का गठन किया, जिसका
वर्ष 1873 में सत्यशोधक समाज का गठन किया, जिसका अर्थ था सत्य के साधक ’ताकि महाराष्ट्र में निम्न वर्गों को समान सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकें।
नगरपालिका परिषद सदस्य: वह पूना नगरपालिका के आयुक्त नियुक्त किये गए और वर्ष 1883 तक इस पद पर रहे।
महात्मा का शीर्षक: 11 मई, 1888 को महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्त्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
समाज सुधारक:
वर्ष 1848 में उन्होंने अपनी पत्नी (सावित्रीबाई) को पढ़ना-लिखना सिखाया, जिसके बाद इस दंपति ने पुणे में लड़कियों के लिये पहला स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला, जहाँ वे दोनों शिक्षण का कार्य करते थे।
वह लैंगिक समानता में विश्वास रखते थे और अपनी सभी सामाजिक सुधार गतिविधियों में पत्नी को शामिल कर उन्होंने अपनी मान्यताओं का अनुकरण किया।
वर्ष 1852 तक फुले ने तीन स्कूलों की स्थापना की, लेकिन 1857 के विद्रोह के बाद धन की कमी के कारण वर्ष 1858 तक ये स्कूल बंद हो गए थे।
ज्योतिबा ने विधवाओं की दयनीय स्थिति को समझा तथा युवा विधवाओं के लिये एक आश्रम की स्थापना की और अंततः विधवा पुनर्विवाह के विचार के पैरोकार बन गए।
ज्योतिराव ने ब्राह्मणों और अन्य उच्च जातियों की रुढ़िवादी मान्यताओं का विरोध किया तथा उन्हें "पाखंडी" करार दिया।
वर्ष 1868 में ज्योतिराव ने अपने घर के बाहर एक सामूहिक स्नानागार का निर्माण करने का फैसला किया, जिससे उनकी सभी मनुष्यों के प्रति अपनत्व की भावना प्रदर्शित होती है, इसके साथ ही उन्होंने सभी जातियों के सदस्यों के साथ भोजन करने की शुरुआत की।
उन्होंने जन जागरूकता अभियान शुरू किया जिसने आगे चलकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर और महात्मा गांधी की विचारधाराओं को प्रभावित किया, जिन्होंने बाद में जातिगत भेदभाव के खिलाफ बड़ी पहलें की।
कई लोगों द्वारा यह माना जाता है कि दलित जनता की स्थिति के चित्रण के लिये फुले ने ही पहली बार 'दलित' शब्द का इस्तेमाल किया था
उन्होंने महाराष्ट्र में अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिये काम किया।
मृत्यु: 28 नवंबर, 1890 को उनकी मृत्यु हो गई। उनका स्मारक फुलेवाडा, पुणे, महाराष्ट्र में बनाया गया है।
आज भीम आर्मी के तरफ से उनके जन्म जयंती पर नमन करते हुए अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं!
जय भीम! नमो बुद्धाय!
–प्रीतम आजाद गौतम
जगजीवन राम (5 अप्रैल 1908-6 जुलाई 1986)जिन्हें सहपूर्ण रूप से बाबूजी भी कहा जाता था, एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं राजनेता थे।
जगजीवन राम
Jagjivan Ram 1991 stamp of India.jpg
भारत के उप प्रधानमंत्री
कार्यकाल
24 मार्च 1977-28 जुलाई 1979
भारत के रक्षा मंत्री
कार्यकाल
1977 - 1978
कार्यकाल
1970 - 1974
जन्म
5 अप्रैल 1908
चांदवा, भोजपुर जिला, बिहार, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 6 जुलाई 1986 (उम्र 78)
राजनीतिक दल
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी– इंद्रानी देवी
आज उनके जन्म दिवस पर नमन करते हुवे अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं
जय भीम! नमो बुद्धाय!
–प्रीतम आजाद गौतम
आज भारत और पुरी दुनियां में प्रसिद्ध महान योद्धा, महान प्रशासक भारत को विश्व गुरु बनाने वाले एवं दया, करुणा और मैत्री के उपासक बोधिसत्व चक्रवर्ती सम्राट अशोक की 2327वी जयंती हैं महान सम्राट अशोक को नमन करते हुवे अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं !
सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध पन्थ का प्रचार किया। सम्राट अशोक के सन्दर्भ के स्तम्भ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी अन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है।
कलिंग युद्ध के दो वर्ष पहले ही सम्राट अशोक बुद्ध ने था जिससे से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये!
जय सम्राट अशोक! जय भीम! नमो बुद्धाय!
– प्रीतम आजाद गौतम
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