अमरीश कुमार यादव
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माननीय सुप्रीम कोर्ट में जीरहधीन WP(C) 132/2016 में आए जजमेंट के अनुपालन में महाराष्ट्र सरकार ने स्थायी विशेष शिक्षक प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षकों के पद सृजित करके समग्र शिक्षा अभियान और दिव्यांग एकीकृत शिक्षा योजना के तहत 2006 से सेवा में रहे 3105 विशेष शिक्षकों को समायोजित करने का निर्णय लिया है।
अच्छा तो लगता ही है अपने संघर्षों को शीर्षक मिलते हुए देखना। आगे उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की खबरों में भी हमारे संघर्षों के छपेंगे ऐसे ही तमाम शीर्षक।
Amarish Kumar Yadav
लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार केंद्रीय विद्यालय संगठन में भी विशेष शिक्षक के पद सृजन की प्रक्रिया पूर्ण हुई।
विशेष शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती नियमितताओं को देखना सुखद है। देश के उन तमाम मानुषों को खूब बधाई जो विशेष शिक्षा में नीतिगत ढांचे को मजबूत बनाने की लड़ाई में प्रतिभागी है।
धन्यवाद!
Amarish Kumar Yadav
PGDCBR, DCBR, & ADD on course कोर्स के RCI पंजीकरण हेतु आवश्यक सूचना।
वक्ता के तौर पर देश भर के विशेष शिक्षक साथियों के साथ नासेर्प के ऑनलाइन मंच पर उपस्थित रहूंगा।
https://meet.google.com/bpn-shfh-xvn
सब कुछ पूरा–पूरा वैसा ही जैसा–जैसा हम सबने सोचा था। विशेष शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सभी विशेष शिक्षक साथियों को खूब बधाई।
सभी सहयोगी साथियों को खूब धन्यवाद!
Amarish Kumar Yadav
राष्ट्रीय संयुक्त सचिव
नासेर्प
विकलांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षक की भर्ती।
मानक 1 से 5 के लिए 1861 और मानक 6 से 8 के लिए 1139 कुल 3000 विशेष शिक्षकों की भर्ती (गुजराती माध्यम) तिथि। दिनांक 15/02/2024 को वर्तमान पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा और उम्मीदवारों की तारीख होगी। 19/02/2024 से आज तक। 28/02/2024 के दौरान ऑनलाइन आवेदन वेबसाइट के माध्यम से किया जा सकता है।
कल के इतवारी सुबह की बैठक में उपस्थित रहूँगा बतियाते हुए उस दीर्घ कालखंड के बारे में जब विशेष शिक्षा पूर्णता शुद्ध बजट निकासी वाली योजनाओं से संचालित हो रही थी।
बतियाऊंगा सन 2015-2016 के उस दौर को जब रजनीश कुमार पांडेय जी के नेतृत्व में एक गुट ने अस्थाई योजनाओं से इतर विशेष शिक्षा में स्थाई नीतियों के निर्धारण के लिए लड़ने का निर्णय लिया।
उन रणनीतियों के बारे में भी जरूरी शब्दों का वाचन करूँगा जिससे समझा जा सकता है कि कुछ सीमित साथियों के साथ किन कठिनाइयों का सामना करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट जैसी जगह पर हम तन के खड़े हो सकें।
बातों को विस्तार दूँगा माननीय सुप्रीम कोर्ट में चली लंबी ज़िरह के दौरान की जरूरी कार्यवाहियों के साथ निर्णायक जजमेंट से। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के सापेक्ष आरटीई एक्ट 2009 का वह संशोधन जिसके द्वारा आरटीई एक्ट में 1:10 और 1:15 का विशेष शिक्षक, दिव्यांग छात्र अनुपात, प्रत्येक विद्यालय में न्यूनतम एक विशेष शिक्षक की अनिवार्यता भी बातों के विस्तार में शामिल रहे।
माननीय सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की समस्त कार्यवाहियों का कार्यरत और इंतजारी विशेष शिक्षक साथियों के भविष्य निर्धारण में उपयोगिता को समझना बैठक के केंद्र बिंदु में रहेगा।
विशेष शिक्षा से जुड़े सभी साथी जो विशेष शिक्षा में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं वे अपनी तमाम प्रश्नोत्तरों के साथ बैठक में ससम्मान आमंत्रित हैं।
धन्यवाद!
https://meet.google.com/nyq-atiq-xpv
Amarish Kumar Yadav
संयुक्त सचिव
नासेर्प
केंद्रीय विद्यालय संगठन से अच्छी ख़बर है। ख़ुश हूँ कि चल रही इन गतिविधियों के पीछे हुए लंबे संघर्ष का हिस्सा हूँ।
आगे तमाम विभागों की सारी आनाकानियों का भी निपटान कराने में होने वाले संघर्ष का भी हिस्सेदार रहूँगा।
Amarish Kumar Yadav
संयुक्त सचिव
नासेर्प
बिहार से अच्छी ख़बर है। बिहार विशेष विद्यालय अध्यापक पात्रता परीक्षा 2023 में अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा में 10 वर्ष की छूट संबंधित आधिकारिक पत्राचार।
कई साथियों का प्रश्न इस प्रकार से है कि “क्या अब शेष राज्य ऑर्डर की अवमानना से मुक्त हैं जब आठ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव साहबानों को ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है?"
उत्तर इस प्रकार से है कि वर्तमान में हमारा मामला सुन रहे माननीय कोर्ट द्वारा तारीख 22/08/2023 पर दिए जजमेंट के सापेक्ष सभी राज्यों को उक्त तारीख तक किये गए अनुपालन पर शपथपत्र दाखिल करना था जिनका धरातलीय परीक्षण करते हुए कोर्ट मित्र ऋषि मल्होत्रा जी को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी। इस क्रम में उपरोक्त आठ राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों को पहले पायदान अर्थात ससमय अनुपालन रिपोर्ट न दाख़िल करने में ही अवमानना का सामना करना पड़ रहा है। शेष अन्य राज्यों की अवमानना स्थिति उनके द्वारा 28/10/2021 के जजमेंट के सापेक्ष अब तक किये गए कार्य का स्थलीय परीक्षण कर कोर्ट मित्र ऋषि मल्होत्रा द्वारा दाखिल की जाने वाली समन्वित रिपोर्ट से तय होगी जिसका संकेत कोर्ट अपने 05/12/2023 के ऑर्डर में निम्न पंक्तियों से दे चुकी है, “That apart, it was ordered that such he affidavits should also contain the details such as the number of school in the respective States and Union Territories besides the number of the sanctioned posts and such other details which are furnished as per order dated
22.08.2023. Thereafter, it was cautioned that in case of failure of any State/ Union Territory to file affidavit in terms of the said order, the matter would be taken seriously, taking note of the nature of the issues involved."
जब मैंने पश्चिम बंगाल से छपे एक समाचार पत्र में मुखपंक्ति देखा कि “पश्चिम बंगाल के पहल से माननीय सुप्रीम कोर्ट ख़ुश" तो मैंने इस बात को स्पष्ट करना और भी जरूरी समझा।
ख़ैर, समय के सापेक्ष सब कुछ तनिक मध्ययम गति से जरूर चल रहा है पर जानती हो....‛तुमसे' जब अगली बार मिलेंगे तो संभवतः उस पूर्णता के साथ मिलेंगे जिनके सपने हमनें साथ में देखे थे।
Amarish Kumar Yadav
बिहार विशेष विद्यालय अध्यापक पात्रता परीक्षा 2023
बिहार विशेष विद्यालय अध्यापक पात्रता परीक्षा 2023
माफ़ करना प्रिय साथियों। मेरे द्वारा लिखे गए उन सभी शब्दों के लिए माफ़ी चाहूँगा जिन शब्दों से हमने देवताओं की शक्ति की प्रबलता के प्रति विश्वास जताया था।
आज कहाँ देवालयों में बचे हैं ऐसे देवता जो धर्म बचाने के लिए दुर्योधनों का जंघा तोड़ दें या आदर्शों के लिए घाव कर दे नाभि में सिंहासनों पर बैठे रावणों के।
ख़ैर, 17अक्टूबर2023 का ऑर्डर अपलोड हो गया है जिसमें कुछ बताने जैसा कुछ नहीं है।
बग़ैर वस्तुस्थिति का अवलोकन किये इस प्रकार के शब्दों को चौथे स्तंभ पर कलमबद्ध करने वालों का जिस दिन #वध प्रारंभ हो जाएगा उस दिन मेरी तरफ से भी #विजयादशमी_की_बधाई रहेगी......।
इंतज़ार रहेगा चौथे स्तंभ के राम का जो जिम्मेदारों से पूछ सके कि उत्तर प्रदेश के किसी भी विकास क्षेत्र में नियुक्त अधिकतम तीन संविदा विशेष शिक्षकों की कार्य क्षमता क्या सच में इतनी संभव है जितना शब्दबद्ध किया गया है, जबकि दिव्यांग बच्चों का छिटकाव विद्यालयवार एवं गंभीर दिव्यांग बच्चों का छिटकाव गाँव अथवा पुरवावार हो।
अरे हाँ, हर जिले में नियुक्त एक फिजियोथेरेपिस्ट की संख्या का जिक्र करना तो भूल ही गए जो सिर्फ थेरेपी का छिड़काव करें तो भी सभी जरूरती दिव्यांग बच्चों तक एक सत्र में पहुँच बना पाना नामुमकिन सा लगता है।
धन्यवाद!
The Kendriya Vidyalaya Sangathan (“KVS”) has informed this Court that the proposal in relation to the appointment of Special Educators for disabled students in Kendriya Vidyalaya's (the “Proposal”) has been approved by the Ministry of Education, Government of India and has been forwarded to Ministry of Finance, Government of India for further consideration of the proposal.
Amarish Kumar Yadav
National Guidelines and Implementation Framework on Equitable and Inclusive Education.
★Maintaining pupil teacher ratio, both for the number of teacher for all pupils and number of special education teacher for pupils with disabilities as per the norms and standards for a school of the RTE Act 2009 & the RTE (Amendment) Act 2022.
Amarish Kumar Yadav
इतवारी साँझ में 4अक्टूबर2023 को जारी यह पत्र पढ़ रहा हूँ। सुखद पत्र है महाराष्ट्र के विशेष शिक्षक साथियों के लिए। ख़ुश हूँ।
ये दूसरा राज्य है जहाँ कार्यरत साथियों के लिए समायोजन की बात चल निकली है।
Amarish Kumar Yadav
संयुक्त सचिव
नासेर्प
इतवारी सुबह में अपने कार्यरत विशेष शिक्षक साथियों के लिए ‛खुशखबरी' पढ़ा हूँ।
एक राज्य ने माननीय सुप्रीम कोर्ट से जारी जजमेंट के अनुपालन के सापेक्ष कार्यरत विशेष शिक्षक साथियों के नियमितीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया है।
अमरीश कुमार यादव
संयुक्त सचिव
नासेर्प
देख रही हो! सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन शशक्तिकरण विभाग भारत सरकार द्वारा एक बुकलेट तैयार की गई है “PATHWAYS TO ACCESS: COURTS ON DISABILITY RIGHTS" जिसमें दूसरे नंबर पर माननीय सुप्रीम कोर्ट में 3जजों की बेंच से निस्तारित अपने केस WP(C)132/2016 रजनीश कुमार पांडेय बनाम भारत संघ का जिक्र है।
कितना अच्छा लगता है यह देखकर कि दिव्यांगजन शिक्षा जैसी जरूरी मसले पर अपने अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए अपने केस का संदर्भ ले सकते हैं।
दुःख इत्ता सा है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन शशक्तिकरण विभाग भारत सरकार में बैठे अधिकारी जिन्होंने इस बुकलेट को तैयार किया है उन्होंने भी बिधिवत नहीं पढ़ा है वरना केस का विवरण और शुद्ध हो सकता था।
आदरणीय रजनीश भैया आपको हृदयतल से धन्यवाद कि इस लड़ाई में आपने मुझे सक्रिय भूमिका निभाने का ख़ूब मौका दिया। ख़ुश हूँ कि आपके साथ हमने हचक के लड़ा।
फ़िर कहूँगा, वापसी पर जब हमसे कार्य का लेखा जोखा पूछा जाएगा तो पूरी विनम्रता के साथ कहूँगा कि जब विशेष शिक्षा की भूमि को कब्रिस्तान बनाने का जतन हो रहा था तब हम उस भूमि पर दुरुस्त नीतियों का फूल उगा रहे थे।
धन्यवाद!
वो सब करेगा, जो करना है उसे छोड़कर। हालाँकि आज उत्तर प्रदेश की दुरुस्त कानून व्यवस्था के मद्देनजर मैं नहीं मानता कि उत्तर प्रदेश में गाँजे का सेवन किसी भी स्तर पर संभव है।
पूछा गया है विशेष शिक्षक पद के विरुद्ध कितने विशेष शिक्षक नियुक्त हैं, उत्तर खोज रहा है कि प्राचीन काल से अब तक सामान्य शिक्षकों के पद पर ऐसे कितने शिक्षक हैं जिनके पास विशेष शिक्षा की डिग्री है।
क्या इत्ता भी इन नौकरशाहों को नहीं मालूम कि जो भी सहायक अध्यापक अथवा प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुआ होगा वो एक तय विषय के लिए तय अनुपात पर सृजित पद के विरूद्ध नियुक्त हुआ होगा।
बापू तुम्हारी लड़ाई कित्ती सरल थी जो विशुद्ध आताताई दुश्मनों के विरूद्ध थी, हम थक गए हैं बापू अपने ही आताताई रहनुमाओं से लड़ते-लड़ते।
तुमसे घृणा के उच्चतम स्तर में हूँ। ईश्वर तुम सब को वो हानि दे जिसकी कोई भरपाई न हो।
आक थू।
पूरे देश के विशेष शिक्षक साथियों से कहना है कि इत्ता भी अकुताने की आवश्यकता नहीं है। समय बीत रहा इस बात से हम भली भांति अवगत हैं लेकिन समय के सापेक्ष हमारा ज़ोर कम नहीं है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट से जजमेंट आया, आरटीई एक्ट में संशोधन हुआ, तमाम राज्यों में नियुक्तियों की भी प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। एक्का-दुक्का प्रदेशों में कार्यरत विशेष शिक्षकों के लिए भी अच्छा निर्णय लिया गया है। अभी 17अक्टूबर के पहले पहले और भी बहुत कुछ अच्छा देखने को मिलेगा।
जब इत्ता सब कुछ हो रहा है तो थोड़ा धैर्य रखने की भी आवश्यकता है कि यदि उसी जजमेंट पर पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में पद्सृजन हो रहा है तो होगा उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में भी। यदि मध्य प्रदेश के कार्यरत लोगों को सामान्य शिक्षकों के समान ग्रेड पे तय हुआ है तो तय होगा अन्य राज्यों में भी।
और हाँ ‛तुम', तुम कहते रहो कि ‛कुछ नहीं होगा'। तुम कहते रहो कि ‛विशेष शिक्षा ख़तम हो गया'। क्योंकि तुम इससे इतर कुछ सकारात्मक कहोगे तो कितना अटपटा लगेगा तुम्हारे नकारात्मक भूमिका के साथ।
#नासेर्प
#पश्चिम_बंगाल
#गुजरात माननीय सुप्रीम कोर्ट आदेश की अनुपालना में, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 10/06/2023 को जारी पत्र को साक्षी मानकर गुजरात ने भी अपनी कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।
कह चुका हूँ कि 17अक्टूबर2023 को तय अगली तारीख़ के पूर्व विशेष शिक्षा में बहुत कुछ बेहतर देखने को मिलेगा। बाक़ी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 17अक्टूबर2023 के बाद बेहतर देखा जाएगा।
धन्यवाद!
अमरीश कुमार यादव
संयुक्त सचिव
नासेर्प
पश्चिम बंगाल के विशेष शिक्षकों को बधाई। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पश्चिम बंगाल में पहले फेज की 2715 पदों पर विशेष शिक्षकों के नियुक्तियों की कार्यवाही शुरू हो गई है।
धन्यवाद!
#दिल्ली से अतिथि विशेष शिक्षक वेकैंसी नोटिस। हालाँकि दिल्ली में अतिथि विशेष शिक्षकों की नियुक्तियां नियमित विशेष शिक्षक की नियुक्तियों के समानांतर चल रही है फिर भी कितनी निर्लज्जता के साथ माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है।
फ़िर न्याय के लिए कहाँ से उम्मीद रखा जाय। आखिर अब माननीय सुप्रीम कोर्ट के आगे कहाँ न्याय की गुहार लगाई जाए?
व्यथित हूँ।
माफ करना उत्तर प्रदेश के विशेष शिक्षक साथियों। हमारा दुर्भाग्य रहा कि हमारी ये लड़ाई निर्णायक दौर में पहुँचते पहुँचते हम रामराज्य में पहुंच चुके थे। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस लड़ाई के केंद्र में रहा उत्तर प्रदेश आज की तारीख़ में अधिकतम अंधकार में है। मैंने जहाँ तक जाना है, ‛रामराज्य' में न्यायतंत्र इत्ता बेबस तो न रहा होगा जित्ता बेबस उत्तर प्रदेश के आताताई नौकरशाहों ने आधुनिक रामराज्य में बना रखा है।
विशेष शिक्षकों के पद्सृजन एवं नियमित नियुक्तियों के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारों को बार बार आगाह करने के बाद भी उत्तर प्रदेश के नौकरशाहों द्वारा किया जा रहा इस तरह का कृत्य निश्चित तौर पर उनके आताताई हो जाने का स्पष्ट प्रमाण प्रदर्शित करता है।
व्यथित हूँ।
आज संध्याकालीन फ़ुरसत में एक फोन नम्बर डायल किया और फ़ोन उठते ही मैंने कहा, NASERPP के लिए कुछ सीमित शब्द। दूसरे छोर से आवाज आती है #संघे_शक्ति_कलयुगे। कलयुग के शक्तिप्रदर्शन में विशेष शिक्षा के प्रतिनिधित्व का भागीरथ प्रयास है । दूरभाषी वार्ता में दूसरे छोर से के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रजनीश कुमार पांडेय के उपरोक्त शब्द संदर्भित हमारी वार्ता को एक सारगर्भित आरंभ दे रहे थे।
पुनः मेरा प्रश्न, सुप्रीम कोर्ट में Writ petition (Civil) 000132/2016, रजनीश कुमार पांडेय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, केस के माध्यम से दिव्यांग बच्चों और पुनर्वसन पेशेवरों के हितार्थ मजबूत लड़ाई लड़ रहे रजनीश कुमार पांडेय जी को #एसोसिएसन की जरूरत क्यों पड़ी?
रजनीश जी बताते हैं कि हम निश्चित तौर पर दिव्यांग बच्चों और पुनर्वसन पेशेवरों के हितार्थ सुप्रीम कोर्ट में मजबूत कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। चूँकि प्रथम दृष्ट्या ही सारे नियम कानून के पक्ष में हैं अतः निर्णय भी हमारे पक्ष में आने की पूर्ण संभावना है। लेकिन बात करें एसोसिएसन के जरूरत कि तो आप भी जानते हैं हर छोटे बड़े विवादों के लिए हम सुप्रीम कोर्ट में कानूनी व्याख्या हेतु नहीं जा सकते।अतः क्षेत्रीय, ज़िले अथवा प्रदेश स्तर पर आने वाली छोटी छोटी प्रतिकूल परिस्थितियों के त्वरित निस्तारण हेतु सांगठनिक तौर पर मजबूत होना वर्तमान समय की सबसे प्रबल माँग है और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हेतु समय की हर माँग पर खुद को साबित करते हुए प्रतिकूल परिस्थितियों का निस्तारण कराना हमारा दृढ निश्चय।
रजनीश जी विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पहले से भी कई एसोसिएसन कार्य कर रहे हैं फ़िर एक नया एसोसिएसन क्यों?
इसके उत्तर में रजनीश जी सधे हुए शब्दों में कहते हैं कि पहले तो मैं `एसोसिएसन कार्य कर रहे हैं' आपके इस वाक्यांश में सुधार करना चाहूँगा। आप सिर्फ ये कहें कि `कई एसोसिएसन बने हैं' तो ये ज्यादा बेहतर होगा। बाकी कार्य की बात करें तो विशेष शिक्षा के क्षेत्र में RCI ACT1992 अथवा PWd act1995 के 25-30 वर्ष बाद भी विशेष शिक्षा के क्षेत्र में कोई ऐसा कार्य नहीं हुआ जिसे किसी एसोसिएसन के जमीनी हस्ताक्षर के तौर पर इंगित किया जा सके। विशेष शिक्षा फ़ील्ड से संबंधित पूर्व में बने जितने एसोसिएसन हैं आप उनको दो पाले में रख सकते हैं जिनके बीच एक स्पष्ट विभाजक लाइन दृष्टिगोचर होती है। एक पाले में वे एसोसिएसन्स हैं जो नगरों एवं महानगरों में भव्य समारोहों को आयोजित कराने में व्यस्त हैं और दूसरे पाले में वे एसोसिएसन्स हैं जो मानदेय, नवीनीकरण एवं अन्य छोटी छोटी समस्याओं के निस्तारण हेतु ग़ैरप्रायोजित ढंग से संघर्षशील हैं। पर जिस तरह के शैक्षणिक समावेशन हेतु समय समय पर बनी नीतियों को केंद्रीय अथवा प्रदेश सरकारों द्वारा पूर्णतः नजरअंदाज किया जा रहा है तथा के शैक्षणिक समावेशन में लगे पुनर्वसन पेशेवरों के हितों की जिम्मेदारों द्वारा पूर्ण अनदेखी की जा रही है इसके दृष्टिगत जरूरी था एक ऐसा सांगठनिक ढांचा जो विशेष शिक्षा में ढांचागत सुधार हेतु हर स्तर पर दमदारी से अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके। फिर हमारा सुप्रीम कोर्ट केस भी निर्णायक दौर में है और वहाँ से निर्णय आने के बाद आदेशों के देशव्यापी क्रियान्वयन हेतु भी हमें मजबूत पैरवी की आवश्यकता होगी। बस इन्हीं सब उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए कहीं न कहीं एक देशव्यापी मजबूत सांगठनिक ढांचे की आवश्यकता थी जिसकी परिणति के रूप में आपके सामने है।
रजनीश जी आज जबकि कई प्रदेशों में का सांगठनिक विस्तार लय में है ऐसे में कुछ लोगों द्वारा आप पर जो आरोप प्रत्यारोप का मुहिम चलाया जा रहा है उस पर आप क्या सोचते हैं?
`निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।' उपरोक्त दोहे के साथ रजनीश जी कहते हैं कि आप जब भी किसी बड़े उद्देश्य पर कार्य करते हैं तो आपको अपने कार्यों के स्वतः मूल्यांकन में स्वस्थ निन्दकों का बड़ा सहयोग मिलता है और स्वस्थ निन्दकों को मैं हमेशा गम्भीरता से लेता हूँ। रही बात ग़ैरस्तरीय निन्दकों की तो मुझे लगता है कि हर प्रकार के सुधार कार्यों में भी कुछ लोगों का व्यक्तिगत नुक़सान होता है जिनके द्वारा गैरवाजिब आरोप प्रत्यारोप लगाये जाते हैं यह एक सामान्य मानव प्रकृति है और ऐसे लोगों को गंभीरता से न लेना मेरी चारित्रिक प्रकृति है।
रजनीश जी प्राथमिकता में क्या सुप्रीम कोर्ट केस अथवा एसोसिएसन?
मेरे पास इसका जवाब आपके सवाल के हिसाब से नहीं है बल्कि मेरा मानना है कि के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों के दर पर मजबूत पैरवी के साथ & के हितार्थ ढांचागत सुधार में जमीनी हस्ताक्षर हमारी प्राथमिकता में है।
वार्ता के समापन के क्रम में चलाचली की औपचारिकताओं तथा आपसी शुभकामना संदेशों के साथ हमारी वार्ता समाप्त होती है। साथ में प्रारंभ होता हैं उस परिवर्तन का इंतजार जो कि एक लंबे इंतजार के अंत के तौर पर रजनीश जी के शब्दों से परिलक्षित होता है।
धन्यवाद!
कीपैड पर उंगलियां मैंने फेरी हैं।
अमरीश
वार्ता/24/09/2020/संध्या
एक बरस पूर्व की पोस्ट।
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