JNCT & JNCTS
poems of college life . and also other poems ..
जाते जाते हलक गर्म कर गई
तू कहीं आखिरी कश तो नही। ..................................... :'(
तुम्हें लौटकर नहीं आना चाहिए था..
तुम्हें तब तक नहीं आना चाहिए था जब तक मैं टूट नहीं जाता बिल्कुल उसी तरह जिस तरह आसमान से टूटने वाले तारे का फ़िर कभी कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है..!!
तुम्हें लौटकर तब तक नहीं आना चाहिए था,
जब तक मेरी चाहतों का अंत नहीं हो जाता,
वैसे ही, जैसे जो सांसें एक बार रुक जाने के बाद फ़िर कभी नहीं चला करती हैं..!!
मैं खाली होते देखना चाहता था आसमान को तारों की बुनी हुई कढ़ाई से,
मैं रोज़ रात ना जाने कितने तारों को इसीलिए तोड़ लिया करता था, की इनके संग टूटते जाती हैं मेरी ख़्वाहिशें..
और मैं खाली कर देना चाहता था एक दिन सारे आसमान को, ठीक मेरी तरह, जैसे मैं खाली था तुम्हारे बगैर..!!
जब मैं रौंद दिया जाता, जैसे सिगरेट रौंदी जाती है ख़तम होने के बाद, पैरों तले, जब मैं इस तरह ग़मो के द्वारा रौंद दिया जाता तब तुम्हें आना था तो आ जातीं, पर तुम्हें नहीं आना चाहिए था लौटकर, जब मेरी जिंदगी जल चुकी थी आधी, और मैं बस पूरी तरह रौंदे जाने को था..!!
तुम्हें लगता होगा कि मैं तुम्हारे आने से परेशान हूँ,
लेकिन ऐसा नहीं है, मैं तुम्हारे "लौटकर" आने से परेशान हूँ..!!
मैंने हर आहटों पर बढ़ जाने वाली अपने दिल की धड़कनों को क़ाबू में करना सीख लिया था,
मैंने कागज़ों को कोरा छोड़ना सीख लिया था,
मैंने सीख लिया था कि कैसे मुर्दा होकर भी जिंदा कहलाया जाता है इस ज़हान में,
मैंने सीख लिया था रेत से लहरों के सहारे किनारों पर लग जाना, अब तुम्हारी कहाँ जरूरत थी..???
फिर तुम क्यों लौटकर आ गईं..??.
किसी ने कहा था
"सबसे खतरनाक होता है सपनो का मर जाना"
लेकिन जानती हो,
"सबसे खतरनाक होता है, कई पीछे छूट चुके
प्रेम का लौटकर वापस आ जाना"
ये मुर्दों में जान डालने की नाक़ाम कोशिश करता है..!!
😞😞
दिन भर की थकान के बाद, जब रात को मैं बिस्तर पर होता हूँ, तो बिल्कुल बेसुध सा सोता हूँ... नींद इतनी गहरी होती है कि कभी कोई ख़्वाब मेरी आँखों के आस पास भी नहीं होते हैं...
बस इसीलिए अक्सर मैं सारी रात जागता हूँ..
और फिर देखता हूँ मनचाहे ख़्वाब..खुली आँखों से..जिनमें तुम्हारे अलावा किसी और को आने की इजाज़त नहीं होती है..
"मेरे रतजगे ही करते हैं मुक़म्मल..
ख़्वाब और उन ख्वाबों में आना तेरा"
Happy fathers day
डियर पापा,
मेरे अंदर वो जो बचपन वाला हिस्सा बच गया है, वो अब तुम्हे बड़ी गौर से देखता है और इंतज़ार करता रहता है कि कब तुम सफ़ेद कुर्ते और पैजामे को छोड़ कर फिर से वही बैलबॉटम, चौड़ी लेदर की बेल्ट और मोटी धारियों वाली शर्ट पहन कर मेरा हाथ पकड़ो और बोलो कि चलो घूमने चलते हैं। पता है मुझे कि शारीरिक रूप से तुम अब उतने ताक़तवर तो नहीं, तुम्हारा वो धूप वाला चश्मा भी अब बुजुर्ग हो कर ऐनक बन गया है पर फिर भी तुम हो तो मेरे पहले हीरो या फिर यूँ कहो कि सुपरहीरो क्योंकि सबकी तरह मुझे भी यही लगता था कि मेरे पापा स्पाइडरमैन या सुपरमैन से कम नहीं जो कि अगर ज़रूरत पड़ी तो उड़ के भी दिखा देंगे। इसलिए आज जब तुम्हे इंडिया टुडे की जगह रामायण पढ़ते देखता हूँ तो बड़ा अजीब सा लगता है। मैं तुम्हारे कन्धों पर तो कभी नहीं बैठा हाँ पर तुम्हारे कन्धों का दर्द ज़रूर महसूस किया है मैंने, और वो ज़िम्मेदारियाँ बस हँसते हँसते ही निभा लिया करते थे तुम, और मुझे मेरे पापा को हँसते हुए देख कर यही लगता था कि दुनिया में सब ठीक है। मेरे लिए सन्डे केवल इसलिए स्पेशल नहीं होता था कि मुझे ज्यादा टी वी देखने को मिलती थी बल्कि इस बात के लिए भी सन्डे का इंतज़ार होता था कि तुम दिन भर के लिए घर पे होते थे, मेरे साथ, खेलते हुए, पढ़ाते हुए, खाना खाते हुए और कभी कभी पिक्चर जाते हुए। आज भी इंतज़ार करता हूँ रोज़ जल्दी घर लौटने का ताकि तुम्हारे साथ बैठ कर बात कर सकूँ या फिर तुम्हारे साथ मैच देख सकूँ पर अफ़सोस ज़िन्दगी अब उतना वक़्त नहीं देती और मैं बस यूँ ही देखता रह जाता हूँ तुम्हे, सुबह अखबार पढ़ते हुए और रात को सोते हुए। खैर..... आज संडे है, चलो कहीं घूमने चलते हैं।
तुम्हारा
छुटकू
जो लिखा है वो ही सत्य है...संदेह हो तो ब्लॉक कर निकल लें !
हो सकता है पढ़कर आप रिपोर्ट कर दें,
पर आज लगातार सातवें दिन अख़बार में बलात्कार की ख़बर पढ़ा।
अच्छा तो नहीं ही लगेगा...पर एक सत्य यह भी है कि, भेद-भाव (Descrimination) बलात्कार की घटना में शरीर को नोच रहे बलात्कारियों के दिमाग में तो कतई नहीं होता ।
क्या जाति और क्या मज़हब..???
किसी को हवस ने नहीं बख़्शा !
ख़ैर, एकबात जो जानकार आपको बेहद हैरानी होगी...जो आप भी जानते हैं...पर कभी समझ नहीं पाएँ।
" नारी " के हर अंग पर अधिकार केवल उस नवजात का ही होता है जो 9 महीनें उसकी गर्भ में पलता है ।
" मॉ " उसकी धड़कन तक को गर्भ में ही सुन लिया करती है...उसकी सॉसें भी महसूस करती है... !
और वो बच्चा/नवजात जब दुनिया में आता है तो, वह नारी के उस हिस्से से पैदा होता है, जिसके बारे में व्याभिचार आते ही आपकी रूह से लेकर आपके शरीर तक का अंत हो जाता है..यह परम सत्य है।
" मॉ " के शरीर का वो हिस्सा जिसके दूध और स्तनपान ने बच्चे को जिंदा रखा है....उसे बल देता है, शक्ति देता है, उसके बारे में गलत ख़्याल आना आपके खुद के दूध पर भी सवाल खड़ा करता है...आपके उस चरित्र पर सवाल खड़ा करता है, जिसका हिस्सा आप भी बचपन में थे...
क्योंकि, यकीन मानिये, मॉ की कोख़ से कोई ENERGY DRINK लेकर पैदा नहीं होता।
उस हिस्से को बर्बाद करना...जख्म देना... प्रताड़ित करना..कहॉ तक सही है..??
याद रखें, इनसब के बाद भी वो नारी या तो खुद को संभाल लेती है या, फिर देह त्याग देना बेहतर समझती है !
पर एक चीज और बदल जाती है, जो आप कभी समझ नहीं पाएँगें...जिसपर सवाल उठना लाज़मी है!
वो है, आपकी "मर्दान्गी" !
तब आप मर्द नहीं होते... बिल्कुल नहीं !
सवाल ही पैदा नहीं होता कि, आपको मर्द कहा जाए...पर याद रखें, वो हमेशा " नारी " ही रहेगी।
त्याग की प्रतिमूर्ति...प्रतिकार की नहीं ।।
किसे पता कि उसके हिस्से क्या आएगा...??
पर मर्द रूप में जन्में हैं, तो उसे ही सफल बनायेगें.. ताउम्र !
दरअसल, ये धन बटोरने और हवस से भी ज्यादा सुखद है...
रिपोर्ट लोग करते हैं, आज भी करेगें... कुछ अश्लीलता के लिए, तो कुछ अपनी मर्दान्गी को हूबहू परिभाषित होते देखकर।
पर ये तय कभी नहीं कर पाएँ कि, आप जो जानते हैं केवल वो ही सत्य नहीं है...उसके सिवा भी सत्य है...जो मर्दान्गी को परिभाषित करती है...
कायरता और हिजड़ेपन को नहीं !
बाकी, आप सब जानते हैं...सुनते हैं...पढ़ते हैं...पर यह बात तब समझ आएगी जब पीड़ित में कोई अपना होगा... प्रताड़ित कोई अपना होगा...
"तबतक, या तो आप बेवकूफ़ कहलायेगें या फिर मैं" ।।
साला समझ ही नहीं पा रहे कि आख़िर क्या भसड़ मची है जिंदगी में।
खाना खाते है तो कुछ खा नही पाते, competition दे है रहे मगर पढ़ नही पाते,
10 मिनट अगर गलती से पढ़ने बैठ भी जाऐ, तो साला पूरे 10 घंटे क़ा ब्रेक लें लेते है। एको सेकंड कम नही, मिनट की तो बात ही क्या करे।
हर रोज सोचते है, कल से एफबी, वाट्सअप नही चलाएंगे तो मतलब नही चलाएंगे, सीधे पढ़ाई पर ध्यान लगाएंगे,
पर ससुर हम मध्यमवर्गीय लोग़ बस हर काम सोच कर रह जाते है साला कर कुछ नही पाते।
प्रेम की बात करे तो क्या करे?
अपनी तो गाड़ी साथ छोड़ दी है अब,पता नही उनको क्या लगता है पता नहि वो हमसे प्रेम करती भी है या नही , हम तो उनसे बहुत ही प्रेम करते है हमेशा , हम अगर रूठते भी है तो खुद ही मान जाते है , वो हमें मनाती भी नही है , हमको तो लगता है कि वो हमसे ज़रा भी प्यार नही करती, हम ये बात अच्छी तरह से जानते है कि वो किसी और के साथ रिश्ते में है , लेकिन पता नही क्यू मेरा दिल ये बात स्वीकार नही करता अब क्या करे साहब दिल तो बच्चा है , क्या क्या सपने देखे थे हम अकेले ही देखे थे लेकिन उनके साथ ,इधर रोज ssc की class लेने के बाद उनका ख्याल आया ही जाता था एल तरफ सरकारी नौकरी और दूसरी तरफ मोहब्बत दोनो को साथ लेके चलना पड़ता था सच बताऊ तो कोई ऐसा दिन नही जिस दिन उनका ख्याल ना आये अब या पहले हमेशा , future planing , ये वो बहुत कुछ लेकिन उ हमरे फीलिंग का ज़रा भी रेस्पेक्ट नही करती है , उ जे कहते है ना की one साइडेड लव हाँ वही है हमारा
उनके हाथ की चाय आज भी याद है मुझे , वैसे तो मैं चाय पीता नही था , लेकिन उन्होंने उस दिन बड़े प्यार से कहा कि पी लो , मैं मना नही कर पाया , उसके बाद वो हमसे पूछी की चाय कैसा था सच बताऊ तो वैसा चाय मैं रोज पीना चाहता था , लेकिन वो इस बात से बेखबर थी , और मैं बता भी नहीं पाया , मैं बताना भी नही चाहता था उनको , सोचा की जब उस लायक हो जाऊंगा तब उनको बताऊंगा , लेकिन उ हमरे बताने से पहले ही किसी और की हो गयी
इसमें उनकी भी कोई गलती नही हम उतने अच्छे भी नही थे की वो हमारा साथ देती , हमारे #मिर्जापुर वाले मुन्ना भैया कहा करते थे इ प्यार ना बहुत चूतिया चीज है स्वीटी
नई प्रेमिकाये वेटिंग लिस्ट में है उनका आवेदन स्वीकार करे या ना करे इस पर गहरा विचार विमर्श कर रहे है।
हम तो साला अभी भी बेरोजगार।
(अच्छी भसड़ मचाए है bc).....
बाकी बहुतो कुछ चल रहा जिंदगी में अब क्या-क्या बताऐ,कहे थे न ऊपर……
साला समझ ही नहीं पा रहे कि आख़िर क्या भसड़ मची है जिंदगी में।
अब औऱ क़ा क़ा बताऐ तुमको बस इत्ता समझिए…
ज़िन्दगी की वो कहानी हो गयी है कि का बताये , ना निगल सकते है ना ही उगल सकते है
बस ये जान लीजिए की कट गया और चुटिया कटने के बाद भी प्यार करते रहना यह एक ऐसा गुण है जो प्रकृति ने सिर्फ मर्दो को दिया है
तुम्हारी तस्वीर के पीछे
कुछ लिखना चाह रहा था
बहुत से लफ्ज़ आये
ज़हन में, कुछ शेर भी
मगर तुमको लफ़्ज़ों में
बांधना कहाँ मुमकिन है
एक बार "ख्वाहिश" लिखा
और मिटा दिया
क्या लिखूं , क्या लिखूं
हार कर ..
आखिर में बस "ज़िन्दगी"
लिख कर छोड़ दिया ..!!
🖋Anupam singh rajput
हैप्पी होली
काश वक़्त रहते समझा होता तुमने मेरे एहसासों को
पर अब न वक़्त है , न एहसास।
ास
बस यूँ ही मेरे मुस्कराने की तुम वजह बने रहना.
जिंदगी में न सही मगर मेरी जिंदगी बने रहना...!!
साम्प्रदायिक सद्भावना का ये मनोहारी दृश्य सिर्फ हिंदुस्तान में दिख सकता है पाकिस्तान में कभी नहीं। इसलिए हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाये रखें ❤️
आप अकेले क्या इश्क ️ करेंगे,
आइए आधा-आधा कर लेते हैं...!💓
💕Blue pearl💞
ख़त्म हो जाता जब इश्क़ जिस्मों क़ा !
फ़िर लोग तोहफ़े सड़कों पर यूँ ही छोड़ जाते है!!
आजकल के दौर में तोहफ़े माँगने बड़ा चलन है , लेकिन संभालने का हुनर नहीं है !!
Copied #
1st year 1 semester ❤️❤️
हर साँस में खालीपन तुम छोड़ गए हो
इतना किसी को लूटना अच्छा तो नहीं है
तुम दिल पे हाथ रख दो, तो तुमको भी चुभेगा
इतना भी दिल टूटना अच्छा तो नहीं है
तू मुझको ही न मिलकर मुझको ही मिला है
ये कैसा मरासिम है जो हो कर भी नहीं है
ये खुद से है नाराज़गी या तुम से गिला है
आंखों में लहू छूटना अच्छा तो नहीं है
न होश ही है मुझको न खुद का पता है
कुछ याद अगर है भी तो वो तेरा ही चेहरा
आ जाओ अगर तुम तो खुद से मैं मिलूंगा
यूँ खुद का खुद से रूठना अच्छा तो नहीं है
इक दिल है जिसमे है बसी बस याद तुम्हारी
तुमने ही कहा था कि ये है मेरा घरोंदा
क्यूं हाथ से तुमने ये अपने खाक कर दिया
यूँ खुद का ही घर फूँकना अच्छा तो नहीं है
हर बार का किस्सा था, बारिश थी और था मैं
हर बार की बरसात में आंखें भी बह गयीं
अब ढूँढता हूँ अश्क़ जो था नाम पर तेरे
आंखों में अश्क़ सूखना अच्छा तो नहीं है
हर साँस में खालीपन तुम छोड़ गए हो
इतना किसी को लूटना अच्छा तो नहीं है....
!!
ये बनारस है
वाराणसी जं० पर लिखा था।
तेरे ख़ूबसूरत चेहरे पर
जो मैंने ग़ज़ल लिखी है
खुदा भी क्या ताक़ीद करेगा
जो मैंने असल लिखी है
माथे को तेरे चाँद मैंने
आँखों में हज़ारों सितारे लिखी है
गालों को तेरे सुबह शाम के सूरज
होंठों को गुलाब लिखी है
तेरे ख़ूबसूरत चेहरे पर
जो मैंने ग़ज़ल लिखी है
गर्दन को तेरी मोर लिखा है
गले को कमल की तरजी दी है
सीने को तेरे आग लिखा है
बस यही कोशिश की है
तेरे ख़ूबसूरत चेहरे पर
जो मैंने ग़ज़ल लिखी है
ऊँगलियों को तेरी शोख़ लिखा है
हाथों को मलमल की मिसाल दी है
बाँहों को तेरी रस दिये हैं
ज़ुल्फ़ें तेरी सोने में रंग दी हैं
तेरे ख़ूबसूरत चेहरे पर
जो मैंने ग़ज़ल लिखी है
चाल को तेरी हिरनी लिखा है
हक़ीक़त में तू कमल पर
एक शब की बूँद भी है
तू एक मासूम की दुआ जैसी
तू क़यामत भी है
तेरे ख़ूबसूरत चेहरे पर
जो मैंने ग़ज़ल लिखी है...
जिसको तलब हो हमारी वो लगाये बोली,
सौदा बुरा नहीं.....
बस "हालात" बुरे है..!!
अपनी शामों में हिस्सा फिर किसी को ना दिया, इश्क़ तेरे बिना भी मैंने तुझ से ही किया..!!
कह देना समुंदर से हम ओस के मोती हैं… दरिया की तरह तुझ से मिलने नहीं आएँगे..!!
वो दर्द था जिगर का
आँखों से बयान होता रहा
तू छोड़ कर मत जा
दिल बेज़ुबान
रो रो कर कहता रहा
हम मुसलफ़ी में
जकड़े खड़े रहे
दिल कुछ कहता रहा
दिमाग़ कुछ कहता रहा
अब के मज़ार पर
चादर नहीं चढ़ाई हमने
दिल चौखट पर खड़े हो कर
मन्नतों का हिसाब लेता रहा
तेरे यहाँ भी बस
ग़रीब पर मार है
ना जाने क्यों मैं तुझको
खुदा कहता रहा..!!
रह रह के अब भी तुझको मैं चिठ्ठियां लिखूं
थोड़ा सा प्यार और थोड़ी सिसकियां लिखूं
कल रात मेरी गुज़री तेरे इंतज़ार में
कल शब का चाँद लिखूं और खिड़किया लिखूं
तुझको ही तो सोच कर रोया मैं ज़ार ज़ार
उन आसुओं के बीच में मैं हिचकियां लिखूं
महका तेरे आने की खबर से मेरा चमन
खड़की जो कल रात भर वो पत्तियां लिखूं
शम्मा भी मेरे संग जागी करवटों में क्यूं
पिघली जो कतरा-कतरा, मोमबत्तियां लिखूं
है तेरे इंतज़ार में पूरा मेरा शहर
तेरी राह ताकती हुई मैं बस्तियां लिखूं..!!
ज़िक्र फूलों का था
और तेरा नाम आया
चाँद की बात चली
और तेरा नाम आया
जब उठी बात मेरी
दीवानगी की शहर में
पूछी जो वजह
तेरा नाम आया
यूँ तो मैं काफ़िर था
सजदा किया ही नहीं
उठे जो हाथ दुआ में
तेरा नाम आया
किसके इशारे से है
बाग़ में रौनक़ें
हवा में मदहोशी पूछा तो
तेरा नाम आया..!!
#
धड़कनों का शोर
बढ़ता जा रहा है
है कोई जो पास
आता जा रहा है
मेरे मुताबिक़ क़ब्ज़ा उसने
कर लिया है दिल पर
दिमाग़ इस बात को
झुठलाता जा रहा है
हमारी खिड़कियों पर बेवजह
अब दस्तक होने लगी है
हमें भी यूँ लगता है
जैसे कोई आ जा रहा है
कम्बख्त दोस्त भी अब
अकेला नहीं छोड़ते
शक़ से पूछते हैं कि
कहाँ जा रहा है
आइना जैसे सच्चा
लगने लगा है
मेरी ही सूरत को अब
ख़ूबसूरत बता रहा है
यक़ीन नहीं है मुझको
फिर भी मान लेता हूँ
कोई तो है जो मेरे
दिल पर छा रहा है..!!
कैसे कहाँ और
कब कहा
कुछ याद नहीं
उन शब्दों का
कुछ मतलब भी था
कुछ याद नहीं
तूने सुना या
ना सुना
कुछ याद नहीं
वो तेरी मोहब्बत थी
या मेरी दीवानगी
कुछ याद नहीं
सुबह की धूप थी
या जाती हुई शाम
कुछ याद नहीं
वो तेरी आँखों में या
झुकी हुई पलकों में था
कुछ याद नहीं
वो तेरा इकरार था
या तेरा एहसास
कुछ याद नहीं
मैं ज़िंदा रहा..!!!
या फनाह हुआ
कुछ याद नहीं
पूरा था सब कुछ
फिर भी अधूरा रह गया
ज़िंदगी के पन्ने ख़ूब भरे
एक पन्ना कोरा रह गया
वो मुझको मानता था
खुदा के बाद हर एक बात में
ना जाने क्यों और कैसे
मैं उसका दोस्त बन कर रह गया
बेहतरीन जाल जो बुने थे
चालाकी से अपनों के लिए
वो ख़ुद आज उन जालों में
बेबस क़ैद हो कर रह गया
मैं करता उससे कोई भी
कैसी भी शिक़ायत
मेरी बात सुनने से पहले
मेरे पाँवों में आकर रो गया
इस सन्नाटे में शायद
कोई सुनता नहीं मेरी चीख़
जाग तो सब रहे पर
ज़मीर सबका सो गया..!!
दूर रहने की कसक
कोई मुझसे पूछे
रोज़ मिलता हूँ फिर भी
मिल नहीं पाता
घंटों वो मेरे
सामने रहती है
फिर भी ठीक से
देख नहीं पाता
दिल में कितना
ग़ुबार छुपा हो
ज़ुबां पे शब्द
ला नहीं पाता
एक अहसास सा
सिर्फ़ रह गया है उससे
कोई भी रिश्ता
मैं जोड़ नहीं पाता
बड़ी कश्मकश है
कैसे कहूँ
कहना है पर
कह नहीं पाता... ||
हसरतें सारी दिल की
दिल में रह गयीं
बातें सारी हमारी
अधूरी सी रह गयीं
जिसको तुम मिलना
कह कर आए थे
मुलाक़ात आख़िरी
बन कर रह गयी
मेरे दामन में
सितारे तो बहुत थे
मेरी चादर मैली
हो कर रह गयी
मुर्दों के शहर में
जहाँ इंसान भी बसते थे
मेरी चीख़ बेज़ुबान
हो कर रह गयी..!!
माना कि, ना देखा है, ना छुआ है, ना पाया है तुझको,
लेकिन, तेरे इश्क़ में इबादत सा सुकूं आया है मुझको..!!❤❤
हवा बन के तेरी खुली ज़ुल्फ़ में भटका रहूँगा
अपनी बालियाँ छू लेना, वहीं पे अटका रहूँगा..!!
फिर सजा लो अपने लबों पर
इस मोहब्बत को
क्यों रुसवा होकर
रूसवाई सी बात करती हो
मैं ना रहूँगा जब इस दुनियाँ में
तब किस से बात करोगी
आज जो तुम मुझसे यूँ
उखड़े उखड़े बात करती हो
मोहब्बत कुछ हसीन यादों का
एक हसीन सिलसिला है
क्यों नहीं तुम समझने वाली यह
बात करती हो
जवाँ तो मेरी हसरतें ता उम्र रहीं
शहर गवाह है मेरी बात का
हाथ बढ़ा कर तुमने वापिस खींचा
तोहमत मेरे नाम करती हो
अब भी मौक़ा है चले आओ
उम्र दस्तूर जवानी को रवानगी दे दो
दुनियाँ को कहाँ फ़ुरसत जो कुछ कहे
दुनियाँ से डर के बात करती हो...!!
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In the present world of cut throat competition and high tech technology it has become extremely essential for every student to be the best at what they do.