Sanjay Arya जी
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राधे राधे
बुद्धिमत्ता की बातें करना अलग स्थिति है, और वास्तव में बुद्धिमान होना अलग स्थिति है। दोनों में बहुत अंतर है।
"बुद्धिमत्ता की बातें तो प्रायः बड़ी उम्र के लोग करते हैं। क्योंकि उन्होंने 60/70 वर्ष तक जीवन में बहुत ठोकरें खाई हैं। बहुत दुख झेले हैं। उनके अनुभव से जो बातें निकलती हैं, वे बुद्धिमत्ता की होती हैं।"
बुद्धिमत्ता की बातें करने वाले दूसरे लोग वे होते हैं, "जिनको छोटी उम्र में ही अनेक आपत्तियां झेलनी पड़ी हों। जैसे किसी की माता की मृत्यु हो गई, किसी के पिता की मृत्यु हो गई। कहीं पर माता-पिता का टकराव होने से उनका संबंध विच्छेद अर्थात तलाक हो गया, उनके बच्चों को भी बहुत से कष्ट बचपन में ही भोगने पड़ जाते हैं। जिससे वे छोटी उम्र में बुद्धिमान बन जाते हैं, और वे भी अपने अनुभव के आधार पर बुद्धिमत्ता की बातें करते हैं।"
और बुद्धिमत्ता की बातें करने वाले "तीसरे लोग, वे बच्चे हैं जिन्होंने स्वयं तो बचपन में कोई विशेष दुख नहीं भोगे, परंतु उनके माता-पिता और दादा दादी आदि ने उन्हें कुछ बातें सिखा दी," और कहा, कि "तुम इन बातों को रट लो, याद कर लो, फिर मंच पर सुनाना।" उन छोटे बच्चों ने भी बड़ों के कहने पर कुछ बुद्धिमत्ता की बातें रट लीं, और मंच पर सुना दीं। इस प्रकार से तीन तरह के लोग बुद्धिमत्ता की बातें करते हैं।
"परंतु इन तीनों में से पहले प्रकार के लोग, जो बुढ़ापे में बुद्धिमत्ता की बात करते हैं, उनका तो जीवन चला गया। वे, बातें तो बहुत अच्छी करते हैं, परंतु शरीर में शक्ति सामर्थ्य के घट जाने से बुद्धिमत्ता पूर्ण बातों पर आचरण उतना नहीं कर पाते।"
दूसरे लोग, "जिन बच्चों ने बचपन में ही बहुत दुख भोगे, वे भी बुद्धिमत्ता की बहुत बातें करते हैं, और काफी मात्रा में वे उन पर आचरण भी करते हैं, क्योंकि उनके शरीर में अभी काफी शक्ति बची हुई होती है। इसलिए उनकी प्रगति कुछ अच्छी होती है।"
परंतु तीसरे प्रकार के लोग, "जो छोटे बच्चे होते हैं, जिन्हें अपने जीवन का कोई विशेष अनुभव नहीं होता, वे माता-पिता और दादा दादी आदि के कहने पर बुद्धिमत्ता की बातें रट कर मंच पर सुना देते हैं। बचपन में तो वे, वैसा कर लेते हैं, परंतु जवानी के आने पर वे अब रटी रटाई बातों पर आचरण नहीं कर पाते। इसलिए वे भी कोई अधिक बुद्धिमान नहीं कहलाते। और उन बातों से कोई लाभ विशेष भी नहीं ले पाते।"
सारी बात को कहने का सार यह है, कि "चाहे आप ऊपर बताए तीनों में से किसी भी वर्ग के व्यक्ति हों, आप बुद्धिमत्ता की केवल बातें ही न करें, बल्कि उन पर आचरण भी करें। तभी जीवन सफल होगा, अन्यथा नहीं।
मुझे अभी-अभी एक जानकारी प्राप्त हुई जो मैं आप सबों के बीच शेयर करना चाहता हूँ जानकारी ये है कि Shri Ram Chandra जी के मंदिर Ayodhya से आप सभी भी अपने घर प्रसाद मँगवा सकते हैं वो भी बिलकुल free और कैसे ये सवाल तो है लेकिन इसको एक राम भक्त ने बहुत ही सुलभ तरीका से इसको संचालित किया.
एक वेबसाइट बनाया और उसका नाम है खादी ऑर्गेनिक आप सभी गूगल पे सर्च करेंगे.
केएचएडीएचआई खादी, ओ आरजेएनआईसी ऑर्गेनिक. और इसका जो फर्स्ट वेबसाइट आएगा उसको खोलेंगे.
उसके बाद उसमें आप अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर पूरा जानकारी डालेंगे.
और सबमिट करेंगे.
प्रसाद का पैसा नहीं लगता है, बिल्कुल फ्री है.
हाँ लेकिन आपके घर तक पहुँचाने के लिए.
जो है चार्ज लगता है. इक्यावन रुपया.
अगर आप कूरियर चार्ज नहीं देना चाह रहे हैं तो आपका जो नजदीकी आउटलेट होगा उसपे मंगवा सकते हैं तो वहाँ मंगवाने का चार्ज नहीं लगता है. अगर घर पे मंगवाना चाहते हैं तो इक्यावन रुपया जो है डिलीवरी चार्ज लगता है.
जी आप सबों से निवेदन है कि ये वेबसाइट कल सुबह के आठ बजे से पहले आठ बजे तक का टाइम दिया हुआ है आठ बजे तक बंद कर दिया जाएगा क्योंकि अधिक बहुत ज्यादा संख्या में जो है प्रसाद का ऑर्डर किया गया है तो उतना पहुँचाना अभी संभव नहीं है और फिर बाद में चालू किया जाएगा. तो जब चालू हो जाएगा तो फिर मैं आप सबों को जानकारी दूँगा.
अगर आप सभी प्रसाद अपने घर पे मंगवाना चाहते हैं जो भी राम भक्त हैं तो उनसे निवेदन है कि सुबह आठ बजे से पहले-पहले आप सभी इस वेबसाइट पे जाएं खादी ऑर्गेनिक पे और अपना-अपना प्रसाद मंगवाएं और श्री रामचंद्र जी का आशीर्वाद साथ में पाएं.
बहुत-बहुत धन्यवाद.
और मेरा ये जो जानकारी है ये जो भी राम भक्त देखेंगे, सुनेंगे प्लीज रिक्वेस्ट है आपसे आग्रह कर रहा हूँ कि इसको अधिक से अधिक संख्या में शेयर कीजिए. ताकि और सारे जो राम भक्त हैं उनको भी जानकारी मिले. और वो भी रामचंद्र जी का प्रसाद और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें.
HI EVERY FRIENDS
GOOD MORNING ALL DEAR FRIENDS
Good Evning Alllllllllll
thanks all friends
good after noon
good nigth in advance
मेरी मां 15.12.2023 को इसनश्वर संसार को छोड़कर ईश्वर मे विलीन हो गई
शब्द भी एक भोजन है
बोलने से पहले चख लीजिए
अगर स्वयं को अच्छा नहीं लगे तो दूसरो को न परोसे।
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