The Drona Academy
Commitment ~ Consistency ~ Class
The Drona Academy क्षेत्र की अग्रणी शैक्षणिक संस्थान है, जिसका एकमात्र उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर क्षेत्र के बच्चों का भविष्य उज्जवल करना है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह संस्थान पूर्व से निर्धारित पैटर्न की बजाय, विश्व स्तर पर शोध के फलस्वरूप प्राप्त सूचना माध्यमों का सहारा लेती है। यह संस्थान स्थानीय 10 किलोमीटर के क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क वाहन सुविधा के साथ शिक्षित करने
Happy Holi.. ♥️
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं....🙏
बेरोजगारों के लिए रोजगार की संभावना......
मां सरस्वती पूजनोत्सव 2024 ।
जय श्री राम🚩🚩
Happy Birthday.. 🎂🎂
Lakshy Kumar.
Happy Birthday..
Zoya Ahmad
26/12/2023
All Credit Goes To......Santa Claus "Rishiraj"
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तुलसी पूजन दिवस की अनेकानेक मंगलकामनाएं।
Happy Birthday..
"Sonu Kumar"
Follow This Channel.. 👇
Happy Birthday
"Komal Bharti"
Date:- 07-12-2023
Belated Happy Birthday..
"Shreyanshu Kumar"
Date:- 06-12-2023
Belated Happy Birthday
"Dhiraj Kumar Mishra"
Date:- 04-12-2023
Belated Happy Birthday..
"Rashi Kumari"
Date:- 04-12-2023
Assembly Time....
Good Morning Friends. Have a great day.
आगामी 09-12-2023 को विद्यालय में प्रस्तावित Musical Chair Competition का अभ्यास सत्र आयोजित किया गया।
27-11-2023 को गुरु नानक जयंती के अवसर पर विद्यालय में अवकाश था। अतः 28-11-2023 को विद्यालय में बच्चों को गुरू नानक से संबंधित विभिन्न जानकारियां videos के माध्यम से दी गई।
#क्रिकेटनामा_12
फाइनल मैच शुरू होने से पूर्व मैं #क्रिकेटनामा शीर्षक के अंतर्गत रोहित शर्मा, विराट कोहली और मोहम्मद शमी को छोड़कर अन्य सभी खिलाड़ियों के बारे में चर्चा कर लेना चाहता हूं। समयाभाव में निरंतरता के साथ उपलब्ध नहीं हो सका, लेकिन कोशिशें अभी भी जारी हैं। अब बात करते हैं स्पिन-स्टार कुलदीप यादव की।
अतीत की तरह ही विगत कई वर्षों में भारतीय क्रिकेट में स्पिन के की धुरंधर अवतरित हुए हैं। 2011 के बाद अब तक के वर्षों में लीजेंड हरभजन सिंह के अलावा अमित मिश्रा, रविचंद्रन अश्विन, रविन्द्र जडेजा, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल, वाशिंगटन सुंदर, रवि बिश्नोई और राहुल चाहर प्रमुख रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अश्विन, जडेजा और अक्षर प्रमुख धुरी रहे हैं। इनकी बल्लेबाजी की क्षमता इन्हें स्पिनर से बढ़कर ऑलराउंडर बना देती है।
क्रिकेट के शुरुआती दिनों में स्पिन का मतलब जादुई गेंदबाजी होता था, जिसके कारण आज की फटाफट क्रिकेट में भी यह अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।
विशेषज्ञ स्पिनर के रूप में कुंबले, मुरली कार्तिक, हरभजन एवं अमित मिश्रा की पीढ़ी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में युजवेंद्र चहल एवं कुलदीप यादव का पदार्पण हुआ। इन दोनों की जोड़ी ने विश्व क्रिकेट में 'कुलचा' के नाम से मशहूर होने के पहले खूब धमाल मचाया। इनमें कुलदीप यादव चाइनामैन गेंदबाज हैं। आजकल चाइनामैन गेंदबाज विरले ही होते हैं, इसलिए जब भारतीय टीम के कोच महान स्पिनर एवं पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले बने तो उन्होंने कुलदीप को अधिकाधिक अवसर देने का फैसला किया। हालांकि, बीच में चोट एवं खराब फॉर्म ने उन्हें युजवेंद्र चहल के आगे दोयम दर्जे का बना दिया। विडम्बना है कि भारतीय टीम में एक ही विशेषज्ञ स्पिनर की जगह बन पाती है। दूसरे स्पिनर की जिम्मेदारी जडेजा एवं अक्षर (अनुपस्थिति में अश्विन या सुंदर) मिलकर निभा रहे हैं। अच्छा खिलाड़ी होते हुए भी एक समय ऐसा आया कि कुलचा की जोड़ी टूट गई और इनमें चहल बीस साबित हुए। कुलदीप टीम में तो होते थे लेकिन मैच में नहीं। यही वक्त था, जब कुलदीप ने अपने स्नायु तंत्रों को नियंत्रण में रखा, अपनी गेंदबाजी तकनीक बदली, अपनी फिटनेस पर काम किया और मौका मिलते ही छा गए।
आज का वक्त है, जब बीच के ओवरों में कोई विकेट नहीं मिल रहा होता है तो कुलदीप विकेट निकाल कर देते हैं। वर्तमान विश्व कप में बीच के ओवरों में कुलदीप और जडेजा ने बल्लेबाजों को लगभग जाम कर दिया है। जमे हुए बल्लेबाज कुलदीप को बहुत संभलकर खेल रहे हैं क्योंकि वो जानते हैं कि सेट बल्लेबाज को पवेलियन दिखाने के लिए कप्तान रोहित ने स्पेशल कारतूस रखा हुआ है।
अपने साथियों में 'कुल्लू' के नाम से पहचाने जाने वाले कुलदीप बहुत ही संभ्रांत व्यक्तित्व के हैं। मुश्किल परिस्थितियों में वे अश्विन एवं जडेजा दोनों की सलाह लेते नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर भी काम किया है और निचले क्रम में 20-25 रन का योगदान करने की उनमें क्षमता है। कुलदीप अच्छे क्षेत्ररक्षक भी हैं और अक्सर बाउंड्री लाइन के आस-पास ही खड़े मिलते हैं।
और अंत में,
कुलदीप में अभी काफी क्रिकेट तो बची ही है, साथ ही उन्हें अभी भी बहुत कुछ सीखना है, जिसका प्रयास वो लगातार कर रहे हैं। कुलदीप स्पिन विभाग में भारत के अगले लीजेंड हैं।आज के फाइनल में कुलदीप से जादुई प्रदर्शन की आशा रहेगी। #कलम़कार कुलदीप के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है एवं आज आस्ट्रेलियाई टीम को फिरकी पर नचाने की आशा करता है।
#कलम़कार को मेंशन करें एवं अपनी राय कमेंट बॉक्स में प्रेषित करें।
....✍️ कलम़कार
#क्रिकेटनामा_11
किसी भी श्रृंखला के उपरांत समीक्षा लिखी जाये और उसमें वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के चेसबोर्ड के दूसरे और महत्वपूर्ण घोड़े की चर्चा न हो, ऐसा हो सकता है क्या! आड़ी-तिरछी चाल चलने वाले पहले घोड़े रविचंद्रन अश्विन की चर्चा इसी शीर्षक आलेख के किसी भाग में कर चुका हूं। आज बात होगी रविन्द्र जडेजा की।
इस लड़के के खेल से इतर देखें तो देखने से ही यह हमारे जैसा लड़का दिखता है। स्टारडम इसके पास उतनी ही है, जितनी रोहित और कोहली के पास। लेकिन, यह स्टार नहीं बल्कि मस्तीखोर टीनएजर्स जैसा दिखता है, जो कभी 'दाढ़ी बढ़ाओ चैलेंज' शुरू करता है तो कभी बल्ले से तलवारबाजी। कभी 'पुष्पा' स्टाईल में 'मैं झुकेगा नहीं साला' का स्टाईल मारता है तो कभी अपने साथी खिलाड़ी के कंधे पर लटक जाता है। बिल्कुल आमजन जैसा यह लड़का वो दिखता ही नहीं, जो वो है। हमेशा बेपरवाह की तरह हंसने, बोलने, करने वाला यह लड़का वस्तुत: बहुत शातिर खिलाड़ी है। मस्ती-मजाक करते हुए ही विपक्षी टीम के गेंदबाजों को कभी पीट देता है तो कभी इत्मीनान से बल्लेबाजी करने लगता है। थोड़ा सा भी ग्रिप मिल जाए तो अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को पिच पर नचाने लगता है और ग्रिप न मिले तो 2 मिनट में ओवर खत्म कर देता है। बाउंड्री पर खड़ा रहता है तो ख्यातिप्राप्त बल्लेबाज भी उसकी ओर लम्बे शॉट नहीं लगाते और 30 गज के घेरे में होता है तो बल्लेबाज सिंगल लेने से डरते हैं। वर्तमान विश्व क्रिकेट में क्विक सर्विस का सबसे शानदार नमूना रविन्द्र जडेजा है। विकेट से इधर-उधर जाती इसकी पिछली गेंद आपने कब देखी थी, आपको याद है!
दुनिया के इस बेस्ट फील्डर से भी कभी-कभार गलतियां होती हैं लेकिन महत्वपूर्ण समय में यह खिलाड़ी बेहद ख़तरनाक होता है। महेंद्र सिंह धोनी का तीसरा शागिर्द, जो अपनी मस्तीखोरी के कारण कैप्टन एलीमेंट नहीं बन सका लेकिन हर कप्तान की पहली पसंद है।
अपनी लापरवाही के कारण इसने अपने करियर के शुरुआती दिनों में अपना नुकसान भी खूब किया है, लेकिन कहा जाता है कि अगर आपको कोई 'गुरु' मिल जाए तो आपकी सभी कमियां आपकी ताकत बन जाती है। धोनी के रूप में इसे भी 'गुरु' और बड़ा भाई मिला, जिसने उसे इतना आत्मविश्वासी बना दिया कि आज वह विश्व क्रिकेट का सिरमौर है।
कोई शक नहीं कि हार्दिक पांड्या एक बेहतरीन ऑलराउंडर हैं, लेकिन सही मायने में भारतीय टीम का पहला सम्पूर्ण ऑलराउंडर रविन्द्र जडेजा ही है। घरेलू क्रिकेट में उपरी क्रम में धांसू बल्लेबाजी करने वाले इस खिलाड़ी को 5,6,7,8 क्रम पर बल्लेबाजी करवाने वाले कप्तान धोनी ने अपनी छत्रछाया में कमाल का क्रिकेटीय ज्ञान दिया और परफेक्ट फिनिशर बनाया। बीच के ओवरों में कम रन खर्च कर विकेट लेने में माहिर जड्डू क्रिकेट के सभी प्रारुप में अपना बराबर महत्व भी रखता है और इसे साबित भी करता है।
विश्व कप की इस टीम में इस खिलंदड़ी स्वभाव वाले खिलाड़ी को गंभीरता देने के लिए ही अनुभवी अश्विन को टीम में शामिल किया गया है क्योंकि सबको पता है कि टीम में इसका महत्व विराट और रोहित से किसी भी मामले में कमतर नहीं है।
और अंत में,
परम्परागत क्रिकेटर जैसा कोई भी गुण नहीं रखने वाला यह खिलाड़ी जिस प्रकार परिस्थितियों से जूझकर भारतीय क्रिकेट टीम का सितारा बना है, यह एक उदाहरण है। #कलम़कार रविन्द्र जडेजा से फाइनल में विशिष्ट प्रदर्शन की उम्मीद करता है और उनके बाकी क्रिकेट प्रदर्शन में बेहतर करने के लिए मंगलकामनाएं देता है।
#कलम़कार को मेंशन करें एवं अपनी राय कमेंट बॉक्स में प्रेषित करें।
....✍️ कलम़कार
#क्रिकेटनामा_10
...तो आज वनडे क्रिकेट विश्व कप 2023 का फाइनल मुकाबला होना है। क्या बारिश की संभावना है? नहीं लेकिन अगर बारिश हो जाती है या फिर मौसम की वजह से कोई व्यवधान होता है तो रिजर्व दिन भी रखा गया है। मैंने #क्रिकेटनामा शीर्षक की शुरुआत इस विश्व कप के दौरान ही की थी। विश्व कप के फाइनल से पूर्व वर्तमान भारतीय टीम की खूबियों एवं खामियों की चर्चा उक्त शीर्षक आलेख में करता आ रहा हूं। विश्व कप के बाद क्रिकेट सम्बंधित अन्य आलेख भी इसी शीर्षक के अंतर्गत लिखता रहूंगा। आज के इस अंक में चर्चा वर्तमान में विश्व क्रिकेट के सिरमौर गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की।
एक युवा गेंदबाज, जोकि घरेलू क्रिकेट में भी नया था और खास चर्चा में भी नहीं था, क्रिकेट के महान योद्धा और यॉर्कर पर विश्वप्रसिद्ध हेलिकॉप्टर शॉट लगाने वाले महेंद्र सिंह धोनी को पहली ही यॉर्कर पर क्लीन बोल्ड करता है और भारतीय सितारों में एक सितारा जुड़ जाता है, नाम है जसप्रीत बुमराह।
इतने बड़े खिलाड़ी का विकेट लेने का जश्न अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लेने पर भी गेंदबाज जश्न मनाता है लेकिन बुमराह अपने पसंदीदा क्रिकेटर को पहली ही गेंद पर आउट करने के बाद स्वयं हतप्रभ रह जाता है। वह जश्न नहीं मनाता बल्कि सम्मानवश खड़ा रहता है और महेंद्र सिंह धोनी को तब तक देखता रहता है, जब तक कि वो पवेलियन नहीं चले जाते।
यहां महेंद्र सिंह धोनी उस गेंदबाज की गेंदबाजी से अधिक उसके व्यवहार एवं जमीनी व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं और मैच के बाद उसे शाबाशी देते हैं। साथ ही, उनके उज्जवल भविष्य के लिए कुछ महत्वपूर्ण क्रिकेट टिप्स भी।
अब तक जसप्रीत अखबार के पन्नों में कुछेक शब्दों में ही सिमटे हुए थे। कुछ दिनों के बाद जसप्रीत आईपीएल में दिखते हैं और उनकी विकेट टेकिंग अबैलिटी जल्दी ही उन्हें बूम-बूम बना देती है। आईपीएल की अनेक देनों में से सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है जसप्रीत। जसप्रीत के खतरनाक यॉर्कर ने ऐसी खलबली मचाई कि कुछ ही दिनों में वह भारतीय क्रिकेट का सिरमौर गेंदबाज बना दिया।
जब जसप्रीत भारतीय टीम में आये थे, तब भी मेरी तरह के सामान्यजन उन्हें कुछ मैचों तक ही टीम में देख रहे थे लेकिन उन्हें टीम तक लाने वाले क्रिकेटीय दिमाग को पता था कि यह खिलाड़ी एक स्थायी सदस्य बनने वाला है। जसप्रीत को टीम में मुख्य गेंदबाज की भूमिका मिली। सही मायने में भारतीय टीम अब तक एक ऐसा गेंदबाज पाने के लिए तरस रही थी जो किसी भी पिच पर और किसी भी परिस्थिति में 140+ की रफ्तार से सटीक गेंदबाजी कर सके। जसप्रीत की इसी प्रतिभा ने उस वक्त के कई गेंदबाजों, जो वस्तुत: मध्यम गति गेंदबाज थे, के भारतीय टीम में खेलने के सपने पर लगभग विराम लगा दिया। अब भारतीय टीम सिर्फ तेज गेंदबाजों में इन्वेस्टमेंट करने लगी थी।
और अंत में,
तेज गेंदबाजों के लिए सबसे मुश्किल उनकी फिटनेस होती है जिसमें जसप्रीत अवश्य ही दुर्भाग्यशाली रहे हैं। लेकिन, आज के दौर में क्रिकेट समझने वाले किसी भी खिलाड़ी से तेज गेंदबाज के रूप में पहली पसंद पूछने पर जसप्रीत का नाम सबसे पहले आता है, जो इस खिलाड़ी के महत्व को साबित करने के लिए काफी है। "रेगिस्तान के जहाज" की तरह छोटी सी रन अप के साथ भागता जसप्रीत सामने में किसी भी बल्लेबाज के दिमाग को शांत नहीं रहने देता, यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। आज की टीम में जसप्रीत का होना टीम को 10 ओवर के लिए निश्चिंत कर देता है। उन्हें विकेट मिले या नहीं, बल्लेबाज खुलकर नहीं खेल पाएंगे, ये निश्चित है। अक्सर शांत दिखने वाला यह खिलाड़ी सामने वाली टीम को कैसे अशांत रखता है, इसकी गवाही उनका विश्व कप 2023 का प्रदर्शन दे रहा है। #कलम़कार जसप्रीत से फाइनल में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने की उम्मीद करता है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
#कलम़कार को मेंशन करें एवं अपनी राय कमेंट बॉक्स में प्रेषित करें।
....✍️ कलम़कार
#क्रिकेटनामा_9
मुझे नहीं पता कि आज के सेमीफाइनल में क्या परिणाम होने वाला है। पलड़ों में भारतीय टीम भारी ही नहीं, विजेता भी नज़र आ रही है। क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है, जहां आंकड़े नहीं बल्कि आपका मैदान पर किया गया प्रदर्शन मायने रखता है।
#क्रिकेटनामा_9 में हमलोग आज जिस खिलाड़ी की चर्चा करेंगे, उसे जब पहली बार टीम में शामिल किया गया था तो आलोचकों ने कहा कि ये विराट कोहली और के एल राहुल की मिक्स शैली वाला खिलाड़ी है। जब वो दोनों टीम में हैं तो इसे कहां खिलायेंगे और अगर टॉप-11 में इसे जगह ही नहीं मिलेगी तो फिर इसे टीम में क्यों रखा!
खैर, कुछेक मैचों के बाद ही इस युवा ने साबित कर दिया कि ये तो सच है कि वह विराट और के एल की मिक्स शैली वाला खिलाड़ी है, लेकिन इन दोनों के बैटिंग ऑर्डर के बीच ही उसकी जगह पक्की है।
हम बात कर रहे हैं श्रेयस अय्यर की। वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम में विराट और के एल के बाद तकनीकी रूप से सबसे मजबूत बल्लेबाज श्रेयस अय्यर हैं। इनमें आप पांच साल पूर्व के विराट कोहली और वर्तमान के के एल राहुल की झलक देख सकते हैं।
यह युवा बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम में सबसे बेहतर बल्लेबाज है। इसका बल्लेबाजी क्रम भी बीच के ओवरों वाला ही है। तेज गेंदबाजों को खेलने में भी यह लड़का बराबर का प्रतिभावान है। दो-चार मैचों में शॉर्ट लेंथ बॉल पर आऊट हो जाने से कोई खिलाड़ी कमजोर नहीं हो जाता बल्कि प्रतिभावान खिलाड़ी वह होता है, जो इन अस्थाई समस्याओं से तुरंत ही निजात पा सके, जिसे वर्तमान CWC 23 में ही अपनी सकारात्मकता से श्रेयस ने साबित कर दिया है।
अय्यर जब क्रीज़ पर आते हैं तो अमूमन समय लेते हैं। पहली 10 से 15 गेंदों में वे पिच का उछाल भांपने की कोशिश करते हैं। अगर उनके क्रीज़ पर आने के दौरान स्पिन अटैक हो तो वे अगेंस्ट द स्पिन खेलने से बचते हैं और शॉर्ट बॉल का इंतज़ार करते हैं। इस दौरान सिंगल, डबल से स्कोरबोर्ड चलता रहता है। बैकफुट पर पुल और कट उनके पसंदीदा शॉट हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें प्रॉपर लेंग़्थ का इंतज़ार करना होता है।
तेज़ गेंदबाज़ के लिए भी अय्यर बड़ा शॉट लगाने के लिए तैयार रहते हैं। गेंद की लेंग्थ बस गुडलेंग्थ से थोड़ी छोटी या शॉर्ट ऑफ लेंग्थ होनी चाहिए। इस पर अय्यर का हॉरिज़ॉन्टल बैट, बॉटम हैंड के पावर के साथ आता है और वे करारा प्रहार करते हैं, जो हवा में दूर तक जाता है। अगर गेंद की लेंग्थ बस गुडलेंग्थ से थोड़ी छोटी है तो यह शॉट मिड ऑन के ऊपर से सिक्स होगा, लेकिन अगर यह शॉर्ट ऑफ लेंग्थ है तो यह शॉट मिड विकेट के ऊपर से सिक्स होगा। अय्यर दुनिया के उन चुनिंदा बल्लेबाज़ों में से हैं, जो एक ही शॉट में बॉटम हैंड के पावर के साथ रिस्ट भी घुमा देते हैं। पुराने ज़माने में मार्क वॉ ऐसा करते थे। ब्रायन लारा, रिकी पोंटिग, युवराज सिंह और अब विराट कोहली के बाद अय्यर में ये टैलेंट है।
इस शॉट की उन्होंने खास प्रैक्टिस की है। वे इसके लिए इतनी जल्दी खुद को तैयार कर लेते हैं कि बैकफुट के साथ-साथ फ्रंटफुट पर भी उतना ही करारा प्रहार करते हैं। यही लाइन अगर ऑफ स्टम्प के बाहर हो तो अय्यर क्रीज़ की गहराई का इस्तेमाल करके अपना वेट बैकफुट पर शिफ्ट करके कट मारते हैं। गेंद की गति तेज़ हुई तो यह चौका है, लेकिन गेंद की गति उतनी न हुई, जितना कि अय्यर ने अनुमान लगाया है, तो सीधा कैच बैकवर्ड पॉइंट के फील्डर के हाथों में होगा। जैसा कि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आउट हुए इसलिए अय्यर तेज़ी से कट करते हैं कि मिस टाइम भी हो तो ओवर द फील्डर हेड हो।
अय्यर स्क्वेयर ऑफ द विकेट बहुत रन बनाते हैं और जब वे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड में खेलेंगे तो बतौर बल्लेबाज़ बहुत सफल होंगे।
स्पिन बॉलिंग के खिलाफ अय्यर डाउन द विकेट आकर कदमों का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि अपनी जगह खड़े रहकर ही गेंद की लेंग्थ तक पहुंचते हैं और करारा प्रहार करते हैं। यहां ही बॉटम हैंड आता है, जो एक्स्ट्रा पावर जनरेट करता है।
अय्यर ने अपनी ग्रिप भी बदली है। वे बैट को ऊपरी हिस्से से ग्रिप करते हैं और बायां हाथ बैट के निचले हिस्से की तरफ होता है, जिससे बैकफुट पर करारा प्रहार किया जा सकता है। सचिन तेंदुलकर बैट को बिल्कुल नीचे से पकड़ते थे, जिससे उनके बैट का फेस खुला रहे और वे बेहतर टाइम कर पाएं। टाइमिंग के लिए ये बेहतरीन ग्रिप है। अय्यर हीटिंग/करारे शॉट के लिए दोनों हाथों के बीच गैप रखते हैं, जिससे एक्स्ट्रा माइल डिस्टेंस कवर किया जा सके।
कुल मिलाकर शांत दिखने वाला ये बल्लेबाज़ इस वर्ल्ड कप में इतने लंबे छ्क्के मार रहा है कि अब तक सबसे लंबा सिक्सर (104 मीटर) अय्यर के नाम है।
भारतीय टीम मैंनेजमेंट के जौहरी द्रविड़ एंड कंपनी अय्यर की ये काबिलियत जानते हैं और इसीलिए अपने स्ट्रोक्स खेलने वाला अपनी धुन में मस्त श्रेयस अय्यर को सूर्य कुमार यादव और ईशान किशन पर तरजीह दी जाती है।
श्रेयस यूं तो टी-20 के लिए भी उपयुक्त खिलाड़ी है, लेकिन तब जब उस टीम में विराट कोहली न हो। श्रेयस का कैरेक्टर वनडे क्रिकेट में विराट की जगह तीन नंबर बल्लेबाज ही नहीं बल्कि रोहित की जगह कप्तान बनने की भी है। यह खिलाड़ी भविष्य में निश्चय ही वनडे टीम का कप्तान बनने की योग्यता भी रखता है। श्रेयस की बल्लेबाजी की शैली गेंदबाज को परखकर, स्थितियों को समझकर खेलने की है। जहां आवश्यकता पड़ने पर वह आतिशबाजी भी ढ़ंग से करता है और तकनीकी रूप से मजबूत खिलाड़ी होने के कारण डिफेंस में शायद विराट के समकक्ष है। आतिशबाजी करता श्रेयस, सूर्या की तरह आड़ा-तिरछा नहीं खेलता बल्कि प्रॉपर क्रिकेटीय शॉट खेलता है।
और अंत में,
चयन समिति की चयन प्रक्रिया में विरले ही वीरों को चुना जाता है, जो करियर की लम्बी पारियां खेलते हैं। श्रेयस एक पूर्ण बल्लेबाज ही नहीं बल्कि उत्कृष्ट क्षेत्ररक्षक भी हैं। #कलम़कार श्रेयस के उज्जवल भविष्य की मंगलकामना करता है एवं सेमीफाइनल में उत्कृष्ट बल्लेबाजी की उम्मीद करता है।
#कलम़कार को मेंशन करें एवं अपनी राय कमेंट बॉक्स में प्रेषित करें।
....✍️ कलम़कार
#क्रिकेटनामा_8
सूर्यकुमार यादव- वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम की दूसरी कमजोर कड़ी। #क्रिकेटनामा_7 में मैंने शार्दूल ठाकुर के रूप में पहली कमजोर कड़ी की चर्चा की थी। इस अंक में सूर्या की बातें करता हूं।
2007 WC के बाद की पीढ़ी का एक और बैट्समैन है सूर्या। यह खिलाड़ी टी-20 का बहुत ही खतरनाक खिलाड़ी हैं, लेकिन वनडे में उतना ही फिसड्डी। पिछले अंक में जो सारांश मैंने लिखा था उसे एक बार पुनः पेश करता हूं -
"हम भारतीय लोग, क्रिकेट के इतने दीवाने हैं कि एकाध मैच में अच्छा प्रदर्शन कर लेने वाले खिलाड़ियों को सीधा सचिन तेंदुलकर के टक्कर में लाकर खड़ा कर देते हैं। अपेक्षाएं इन खिलाड़ियों पर भार बन जाती है और वो, वह भी नहीं रह पाते, जो वो हैं।"
सवाल है कि इन्हें ओवररेटिंग करता कौन है? सोशल मीडिया में एक्टिव जातिवादी सोच रखने वाले लोग या फिर सोशल मीडिया के ऐसे फुग्गे, जिन्हें रेटिंग कैसे दी जाती, पता नहीं लेकिन, विश्लेषक बनते फिरते हैं कि ये टॉप रैंकिंग वाला खिलाड़ी है।
वनडे क्रिकेट के लिए सूर्या सिरदर्द हैं। एकाध या अधिकाधिक तीन वर्ष का इनका अंतरराष्ट्रीय करियर बचा हुआ है। ओवररेटिंग का परिणाम यह होगा कि यह खिलाड़ी टी-20 में भी असफल होने लगेगा। असमय ही उसका करियर समाप्त हो जायेगा।
यहां आलोचना चयन समिति की होनी चाहिए। उनको इस खिलाड़ी को विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। अगले वर्ष टी-20 विश्व कप है, उसके लिए यह खिलाड़ी काफी अहम कड़ी साबित हो सकता है।
अक्सर, सोशल मीडिया में श्रेयस और सूर्या की भी तुलना होती है। श्रेयस तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बल्लेबाज हैं और वह क्रिकेट के सभी प्रारूपों में खेलने वाले खिलाड़ी हैं। सूर्या के साथ ऐसा नहीं है। वह दर्शकों का अधिक मनोरंजन करते हैं, ये अलग बात है।
और अंत में,
आड़ी-तिरछी क्रिकेट से रन भाग्य से बनते हैं, जिसकी प्रासंगिकता सिर्फ टी-20 क्रिकेट में ही है। वनडे क्रिकेट में तकनीकी रूप से मजबूत खिलाड़ी ही करियर की लम्बी पारी खेल पाए हैं। #कलम़कार सूर्या के बचे हुए क्रिकेट करियर के लिए शुभकामनाएं देता है और उम्मीद करता है कि आगामी T-20 विश्व कप में वह सफल रहें।
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....✍️ कलम़कार
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