महाकवि मैथिली पुत्र "प्रदीप"
A tribute to Mahakavi maithili putra 'pradeep' �(02/04/1939 - 30/05/2020)
पिताजी क पांचम पुण्यतिथि आ चारिम बर्खीक अवसर पर 14 6.2024 क आयोजित कार्यक्रम के संबोधित करैत वरिष्ठ साहित्यकार डॉ भीमनाथ झा।
Ramkumar Jha
आइ बाबा कऽ पाँचम पुण्यतिथि चारिम बर्खी पर श्रद्धांजलि स्वरुप हुनकर रचना कऽ अंश हुनके समर्पित 🙏
जन्मकालमे अंधकार छल क्रम क्रम भेल प्रकाश ।
झंझावात अनेको देखल, दीप न भेल उदास।।
आदिशक्ति जननीक, कृपादृग भेटल भेलहु समीप।
जगदम्बा स्नेह प्राप्त कए हम बनिगेलहु "प्रदीप"।।
सीता छथि आदर्श जगतकेर,
शौर्य धारिनी सीता।
सीता छथि सन्मार्ग दायिनी,
स्नेह शालिनी सीता॥
सीता सनि अपनहि छथि सीता,
ध्वनिमय सीता-सीता।
शौर्य शालिनी महाप्रकृति,
सर्वोच्च शक्ति श्रीसीता॥
सत्य धर्म के शिक्षा,
जगकेँ देलन्हि मा सीता।
हिंसा तथा अहिंसा केर,
शुचिभेद सिखेलन्हि सीता॥
सीता छथि साकार शक्ति,
दुर्गतिनिवारिणी सीता।
संसारक सुखधाम,
राम केर ध्यान सूझाबथि सीता॥
~महाकवि मैथिली पुत्र प्रदीप
धरती सँ मणिद्विप जैय छी हे दुर्गे! सेवकक रहब सहाय।🙏🏻🙏🏻
भोले! करुणामय सरकार।
अढरण-ढरण अहाँ शिव शंकर महिमा अपरम्पार।
भोले करुणामय सरकार॥
यदपि दिगम्बर अहाँ कहाबी, छी बाघम्बर धारी।
पारवती पति पार के पाओत, हे शंकर त्रिपुरारि।
अहिंक दया सागर में भरी, डुबकी बारंबार।
भोले करुणामय सरकार।।
अपने पंचानन शिव शंकर अम्बा दस मुख धारी।
चम-चम कर त्रिशूल दशो दिसि प्रबल प्रभाव पसारी।
अर्ध चन्द्रसिर सुधा संग छथि निर्मल गंगाधर।
भोले करुणामय सरकार॥
वाहन वरद अहाँक, जननि रखने छथि सिंह सवारी।
गणपति मूस, मयूर खड़ानन ई अदभूत परिवारी।
सह- सह साँप सगर तन करइछ डमरू वेदोच्चार।
भोले करुणामय सरकार॥
तेसर नेयन प्रदीप मुदा छी शान्तिपथक अनुगामी।
पसरल पुनः अशान्ति जगत मे हे करुणामय स्वामी।
हे गौरी हर शिवशंकर, अपने पर सभ भार ।
भोले करुणामय सरकार॥
अदरण हरण अहांका शिवशंकर महिमा अपरम्पार।
भोले करुणामय सरकार॥🙏
~महाकवि मैथिली पुत्र 'प्रदीप'
गुरू चरणमे अभिनन्दन।
गुरूदेव चरणमे अभिनन्दन।
अपने मे मातृ ममत्व सदा,
माताक हृदय मे गुरूक रूप।
जेहि ठाम न भाव अहाँक गुरू,
से हृदय सदा थिक अन्धकूप।
जे गुरूक कृपा नहि पाबि सकय,
तकरे होइत अछि दुर्गजन॥
गुरूदेव चरण............
छी स्वयं अहाँ श्री ब्रह्म रूप,
छथि ब्रह्म अहीं मे व्याप्त सदा।
ब्रह्मण्य देव छी अहीं सदा,
अपने श्रृष्टिक सभ मर्यादा।
तें अहिंक भावसँ प्रमुदित अछि,
सभ शिष्य समूहक स्पन्दन।
गुरूदेव ................
अपने छी गंगाजल समान,
शिव शंभु जटा कैलाशधाम।
गुरूदेव महेश्वर स्वयं अहाँ,
अपनेक तुल्य नहि अछि प्रमाण।
गंगासागर सन छी विशाल,
कल कल निनादिनी अभिगुंजन।
गुरूदेव .............
अपने श्री विष्णु समान गुरू,
दर्शन मे महासुदर्शन छी।
सर्वश्व शक्ति- सम्पन्न अहाँ,
श्रृष्टिक अनुपम आकर्षक छी।
कमलाशन हे श्री कमलनेत्र,
पालन कर्ता संहार सृजन।
गुरूदेव...............
आरती हेतु सत् - सत् प्रदीप,
राखल अछि अपने केर समीप।
महिमा अपार के गिाबि सकत,
कवि कोविद हो वा स्वर महीप।
कण कण मे महिमा आछि व्यापित,
भगवान भक्त मे अनुबंधन।
गुरूदेव चरणमे अभिनन्दन॥
गुरूदेव चरणमे अभिनन्दन॥
आषाढ़ी नवरात्रा कऽ नवमी पूजा के संध्या आरती 🙏🙏
आषाढ़ी नवरात्रा कऽ नवमीक संध्या पूजा 🙏
जय माँ त्रिशूलनी 🙏🏻 (आषाढ़ी नवरात्रा)
वरिष्ठ साहित्यकार एवं मिथिला लेखक मंचक महासचिव श्री चन्द्रेशजी क अभिभाषण।
मैथिली लोक संस्कृति मंचक महासचिव प्रो. उदयशंकर मिश्र जी के अभिभाषण।
बाबुजी पुस्तकालय क संस्थापक श्री राजेश सिंह ठाकुर जी क अभिभाषण।
मैथिली गायिका डॉ. ममता ठाकुर एवं कुमारी अणिमा क प्रस्तुति।
मैथिली गायिका डॉ. ममता ठाकुर जी के प्रस्तुति ।
साहित्यकार श्रीविजय शंकर झा जी क अभिभाषण।
साहित्यकार डॉ. योगानंद झा जी क अभिभाषण।
साहित्यकार प्रो. चन्द्रमोहन झा 'परवा' जी क अभिभाषण।
मैथिली गायिका डॉ. ममता ठाकुर जी के प्रस्तुति।
साहित्यकार श्री फूलचंद्र झा 'प्रवीनजी' क प्रस्तुति।
मैथिली कवित्रि श्रीमती मुन्नी मधु जी के प्रस्तुति।
साहित्यकार श्री हितेंद्र झा जी के अभिभाषण।
समाजसेवी श्री अनिल झा जी के अभिभाषण।
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