WE Love BAPU
we can't live without bapu....
BCZ
WE LOVE BAPU....
क्योंकि हम बापू ?
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 अपनी चाह छोड़ दे, दूसरे की भलाई में ईमानदारी से लग जाय तो उसके दोनों हाथों में लड्डू ! यहाँ भी मौज, वहाँ भी मौज !
💐 अपने दुःख का कारण किसी को मत मानो। जो लोग अपने दुःख का कारण दूसरों को मानते हैं, उनके चित्त में द्वेष बना रहता है और वे जलते रहते हैं, तपते रहते हैं। जो अपने दुःख का कारण किसी और को मानेगा उसका दुःख बढ़ता जायेगा, घटेगा नहीं। अपने दुःख का कारण अपना अज्ञान है, अपनी नासमझी है, अपने कर्म हैं।
💐 सदगुरु मंत्र द्वारा, स्पर्श द्वारा या दृष्टि द्वारा शिष्य के जीवन में प्रवेश करके उसके समस्त पातकों को भस्म कर देते हैं, आंतरिक मल को धो देते हैं।
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 अपने को परिस्थितियों का गुलाम कभी न समझो। तुम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हो ।
💐 मनुष्य के सब प्रयास केवल रोटी, पानी, वस्त्र, निवास के लिए ही नहीं होते, अहं के पोषण के लिए भी होते हैं । विश्व में जो नरसंहार और बड़े बड़े युद्ध हुए हैं वे दाल-रोटी के लिए नहीं हुए, केवल अहं के रक्षण के लिए हुए हैं।
💐 जो सद्गुरु के दैवी कार्य की सेवा खोज लेता है उसका परम सौभाग्य है । ब्रह्मज्ञानी के दैवी कार्य में डटे रहना ऐरे-गैरे का काम नहीं।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 सदा याद रखना कि 'आखिर क्या ? और 'आखिर कब तक ? जो कुछ भी अभी आपके साथ है वह कब तक रहेगा ? अतः खूब सतर्कता से जीवन जियें ।
💐 वाणी का प्रयोग करते समय यह अवश्य ख्याल रखा जाए कि मैं जिससे बात करता हूँ वह कोई मशीन नहीं है, रोबोट नहीं है, लोहे का पुतला नहीं है, मनुष्य है। उसके पास दिल है। हर दिल को स्नेह, सहानुभूति, प्रेम और आदर की आवश्यकता होती है |
💐 संसारी लोगों का संग, आवश्यकता से अधिक भोजन, अभिमानी राजसी प्रवृत्ति, निद्रा, काम, क्रोध, लोभ ये सब गुरुदेव के चिन्तन में अवरोध हैं।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 अगर तू ईश्वर के लिए न नाचा, परमात्मा के लिए न नाचा तो माया तेरे को नचाती रहेगी ।
💐 अपनी आत्मा को देखो, अपने परमेश्वर से नाता जोड़कर चेष्टा करो। अपने दिलबर को पीठ देकर शरीर का अहं सजाओगे तो कहीं के नहीं रहोगे। रावण और कंस इसी में तबाह हो गये। हिटलर और सिकंदर में भी बहुत-सी योग्यताएँ थीं लेकिन… शरीर का नाम भी कब तक रहेगा
💐 गुरुसेवा ऐसा अमोघ साधन है जिससे वर्त्तमान जीवन आनन्दमय बनता है और शाश्वत सुख के द्वार खुलते हैं ।
💐बापुजी का संदेश :-
💐 जिसके जीवन में मुसीबत, समस्या नहीं आती उसका विकास असम्भव है ।
💐 जब-जब भय आता है, दुःख आता है, चिन्ता आती है, कुछ भी कष्ट आता है, आपत्ति आती है तो समझना चाहिए कि हमारे राग को भय हुआ है, हमारे राग को चिन्ता हुई है, हमारे राग को क्रोध हुआ है, हमारे राग को द्वेष हुआ है, हमारे राग के कारण अशान्ति हुई है यह बात समझकर यदि आप उस राग से सम्बन्ध विच्छेद करें तो उसी समय आप राग रहित परमात्मा में पहुँच जाएँगे।
💐 गुरु के बिना उपासना-मार्ग के रहस्य मालूम नहीं होते और न उसकी अड़चनें दूर होती है।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 मृत्यु के भय से तो मृत्यु तो बढ़िया है और बदनामी के भय से बदनामी अच्छी है। ʹबदʹ होना बुरा नहीं है।
💐 अपने दुःख का कारण किसी को मत मानो। जो लोग अपने दुःख का कारण दूसरों को मानते हैं, उनके चित्त में द्वेष बना रहता है और वे जलते रहते हैं, तपते रहते हैं। जो अपने दुःख का कारण किसी और को मानेगा उसका दुःख बढ़ता जायेगा, घटेगा नहीं। अपने दुःख का कारण अपना अज्ञान है, अपनी नासमझी है, अपने कर्म हैं।
💐 गुरुदेव के मिलने के पश्चात न जन्म है न मरण। गुरुदेव का मिलन 18 पुराणों का व्यवहार है एवं 18 पूजा में 18 बार वनस्पति अर्पण करने के समान है।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 भय, शोक, चिन्ता आदि ने तुम्हारे लिए जन्म ही नहीं लिया है, ऐसी दृढ़ निष्ठा के साथ सदैव अपने आत्मभाव में स्थिर रहो।
💐 स्वभाव कठोर है तो कमल का ध्यान करें, स्वभाव कोमल हो जायेगा | चंचल स्वभाव है तो ऐसा चिंतन करें कि “मैं शांत आत्मा हूँ, चिद्घन आत्मा हूँ, चैतन्य आत्मा हूँ.... चंचलता मन में है, उसको जाननेवाला, चल मन को जाननेवाला अचल मेरा आत्मा-परमात्मा है | ॐ ॐ ॐ....” थोड़े दिन में स्वभाव ठीक हो जायेगा |
💐 सदगुरु का संतोष ही शिष्य की परम उपासना है, परम साधना है ।
💐 बापूजी के विचार :-
💐 दृढ संकल्पवान तथा सेवाभावी मनुष्य हर क्षेत्र में सफल और हर किसीका प्यारा हो सकता है ।
💐 धन, सत्ता व प्रतिष्ठा प्राप्त करके भी तुम चाहते क्या हो ? तुम दूसरों की खुशामद करते हो किसलिए ? संबंधियों को खुश रखते हो, समाज को अच्छा लगे ऐसा ही व्यवहार करते हो, किसलिए ? सुख के लिए ही न ! फिर भी सुख टिका ? तुम्हारा सुख टिकता नहीं और आत्मज्ञानी महापुरुष का सुख जाता नहीं।
💐 जब गुरु का आश्रय होता है तो गुरु की अदृश्य कृपा हमारी रक्षा अद्भुत ढंग से करती है ।
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 केवल एक आत्मदृष्टि ही सबसे श्रेष्ठ है, जिसे पाने से सारे दुःख नष्ट हो जाते हैं और परम पद प्राप्त होता है
💐 कोई बड़ा धनवान हो चाहे बड़ा सम्राट हो, अंत में तो वह धन को, साम्राज्य को यहीं छोड़कर चला जायेगा और ब्रह्मविद्या नहीं होगी तो किसी न किसी माँ के गर्भ में जाकर लटकने का, फिर जन्म लेने का और मरने का दुर्भाग्य चालू रहेगा। जिसको सत्संग में रूचि है, प्रीति है, श्रद्धा है, वह देर सबेर ज्ञान पाकर मुक्त हो जायेगा।
💐सदगुरु मानने के पश्चात उन्हें भगवान से नीचे कुछ भी समझना पतन का हेतु है।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 जो खुशामद से फूलता नहीं और झूठी निंदा से डरता नहीं , उसके लिए भगवान के द्वार एकदम खुल जाते हैं ।
💐 ओ जीवात्मा तू जन्म-से-जन्मांतर तक भागता आया है। चौरासी लाख योनियों से भागता-भागता इस मनुष्य देह में आया है। अब यदि मनुष्य देह में नहीं चेतेगा तो फिर न जाने कितने कितने जन्मों में भागना पड़ेगा। इसलिए श्रीकृष्ण भी कहते हैं- 'हे अर्जुन ! तू तितिक्षा सह। सत्पुरुषों का संग कर।' सत्पुरुषों के पास जाने में कोई कष्ट आता है तो तू सहन कर ले, तपस्या हो जायेगी।
💐 हमने गुरु की आज्ञा मानी तो हमारी तो हजारों लोग आज्ञा मानते हैं।
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 विचारवन्त एवं प्रसन्न रहो। जीवमात्र को अपना स्वरूप समझो। सबसे स्नेह रखो। दिल को व्यापक रखो।
💐 सबसे सुगम और सबसे कठिन साधन है ʹजपʹ । गुरुमंत्र का जप सुगम से सुगम और कठिन से कठिन है। अगर उसकी महत्ता समझते हो, उसमें रसबुद्धि रखते हो, उसमें सर्वोपरि ऊँचाइयों की समझ रखते हो, उसमें सर्वोपरि ऊँचाइयों की समझ रखते हो तो तुम्हारे लिये गुरुमंत्र जप, नाम की कमाई सुगम से सुगम हो जायेगी और ऊँचे में ऊँची पदवी तक पहुँचा देगी। अगर भगवन्नाम की, गुरुमंत्र की कद्र नहीं जानते हो तो कठिन से कठिन है, मन नहीं लगेगा।
💐 गुरुदेव का मिलना अड़सठ तीर्थों स्नान है, द्वादश प्रकार के पुण्य की प्राप्ति के समान है।
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 स्वयं रसमय बनो, औरों को भी रसमय करो । स्वयं अंतरात्मा में सुखी रहो और दूसरों के लिए सुखस्वरूप हरि के द्वारा खोलने का पुरुषार्थ करो ।
💐 ब्रह्मज्ञानी सद्गुरु की निःस्वार्थ सेवा चमत्कारिक परिणाम लाती है ।
💐 जो ईश्वर को समर्पित होकर कर्म करता है उसको ईश्वर की प्रीति प्राप्त होती है और धीरे-धीरे ईश्वरत्व का ज्ञान हो जाता है। फिर उसको पता चलता है कि कई जन्मों तक संसार के लिए कर्म करता रहा – पति के लिए, पत्नी के लिए, पुत्र के लिए, अपने शरीर आदि के लिए… किन्तु किया कराया सब मृत्यु की झपेट में चौपट होता रहा। ʹलखपति करोड़पति….ʹ होकर आनंद ले लिया, आखिर क्या ? जब तक अपने असली आनंद को नहीं जाना तब तक कितनी भी गाड़ियों में घूमे, कितना ही धन इकट्ठा कर लिया, आखिर क्या ?
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 आत्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके।
💐 आप ज्ञान के अंकुश से अशुभ विचारों को अपने हृदयरूपी मंदिन में आने ही न दो। यदि किसी प्रकार आपके मन में अशुभ विचार ने आकर वास किया तो बस, अपनी कुशल न समझना। इसका परिणाम यह निकलेगा कि वह आपसे अयोग्य, शैतानी कार्य करवा के आपका अपने बल से सर्वनाश कर देगा।
💐 गुरुदेव मिलें तो मनुष्य के लिए बुरा और भला समान हो जाता है (अर्थात् वह स्थितप्रज्ञ हो जाता है), माथे में भाग्यरेखा चमक उठती है।
💐बापुजी का संदेश :-
💐 सुख दुःख की परिस्थितियों पर तुम्हारा वश हो या न हो परंतु सुखी दु:खी होना तुम्हारे हाथ की बात है ।
💐 आपके मन में अथाह सामर्थ्य है। आप मन में जैसा संकल्प करो वैसा शरीर में घटित हो जाता है। आप जैसा दृढ़ संकल्प करते हो वैसे ही बन जाते हो। अपने को निर्बल कहो तो संसार में ऐसी कोई शक्ति नहीं जो आपको बलवान बना सके। अपने सर्वशक्तित्व का अनुभव करो तो आप सर्वशक्तिमान हो जाते हो।
💐 सद्गुरु की कृपा एवं आत्मीयता तभी हमारे अंतःकरण को रँगेगी , जब हम उनके साथ श्रद्धा - भक्ति से जुड़ जायेंगे ।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 तुम यदि अपने-आपमें रहो तो तुम्हें मिला हुआ शाप भी तुम्हारे लिए वरदान का काम करेगा।
💐 गुरुदेव मिलें तो भगवन्नाम जपने की प्रेरणा होती है, त्रिभुवन का ज्ञान हो जाता है तथा उच्चातिउच्च पद प्राप्त होता है।
💐 अगर मनुष्य अपने जीवन में सब दुःखों की निवृत्ति और परम सुख की प्राप्ति चाहता है तो उसे अपने जीवन में सत्त्वगुण की प्रधानता लानी चाहिए। निर्भयता, दान, इन्द्रिय दमन, संयम, सरलता आदि सदगुणों को पोषण दे और दुर्गुणों को निकाले। ज्यों ही सदगुणों में प्रीति बढ़ेगी त्यों दुर्गुण अपने-आप निकलते जाएँगे। अभी सदगुणों में प्रीति नहीं है इसलिए हम दुर्गुणों को पोसते हैं। थोड़ा जमा….. थोड़ा उधार….. ऐसा करते रहते हैं।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 मंत्र (भगवान) आपदा को शूली में से काँटा कर देते हैं।
💐 जब-जब भय आता है, दुःख आता है, चिन्ता आती है, कुछ भी कष्ट आता है, आपत्ति आती है तो समझना चाहिए कि हमारे राग को भय हुआ है, हमारे राग को चिन्ता हुई है, हमारे राग को क्रोध हुआ है, हमारे राग को द्वेष हुआ है, हमारे राग के कारण अशान्ति हुई है यह बात समझकर यदि आप उस राग से सम्बन्ध विच्छेद करें तो उसी समय आप राग रहित परमात्मा में पहुँच जाएँगे।
💐-गुरु हैं तो दस दिशाओं में भटकना बंद हो जाता है।
💐 बापूजी का संदेश :-
💐 जो सेवा में रुचि रखता है उसी का विकास होता है
💐 अंतर देव को जानो जिस पर काल का प्रभाव नहीं पड़ता है। ये सब छूटने वाली स्थिति है । अछूट की निगरानी रखो । छूटने वाले में इतना आसक्त न हो कि अछूट रह जाए । दुःख-सुख धन-निर्धनता, सब छूटने वाला है ।
💐 सदगुरु स्वयं सत्य हैं, सत्य हैं, सदा सत्य हैं। अन्य सभी देवता असत्य हैं। सदगुरु सदा भगवन्नाम दृढ़ करवाते हैं।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 आप सर्वत्र मंगलमय देखने लग जाइये, चित्त अपने-आप शान्त हो जायेगा।
💐 गुरुदेव हैं तो श्री कृष्ण (ईश्वर) से भेंट हो सकती है। गुरुदेव हैं तो भवसागर से पार हो सकते हो, वैकुंठ प्राप्त कर सकते हो अथवा जीवन्मुक्त भी हो सकते हो।
💐 नश्वर वस्तुओं का राग मिटाने के लिए शाश्वत में राग बढ़ा दो। शाश्वत में राग बढ़ाने से रागरहित अवस्था आ जाएगी। बिना रागरहित हुए भोगी योगी नहीं हो सकता, स्वार्थ सेवा में नहीं बदलता, भक्त भगवान को नहीं मिल पाता। रागरहित होने से भोगी योगी बन जाता है, स्वार्थी सात्त्विक सेवक बन जाता है और भक्त भगवान से मिल जाता है, जीव ब्रह्म से मिल जाता है।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 बाह्य संदर्भों के बारे में सोचकर अपनी मानसिक शांति को भंग कभी न होने दो |
💐 जहाँ अपना स्वार्थ रहता है वहाँ भगवान बेपरवाह होते हैं। अपना स्वार्थ गया, भगवान का कर दिया तो भगवान सँभालते हैं। तुलसी का पत्ता लेकर जो बहुत अच्छी वस्तु ‘मेरी-मेरी’ लगती है, उसके ऊपर रख दो, ‘मेरा गहना नहीं, भगवान का है और शरीर भगवान का है….’ ऐसा करके गहना पहनो। फिर तिजोरी के ऊपर तुलसी का पत्ता रख दो कि ‘मेरी नहीं है, ठाकुर जी की है।’
💐 सदगुरू की छाया तो मिले पर सदगुरू में अटूट श्रद्धा बनी रहे यह बात जरूरी है। ईश्वर में तो श्रद्धा हो सकती है लेकिन सदगुरू में श्रद्धा बनी रहे यह कठिन है।
💐 बापुजी के विचार :-
💐 दुःखों और चिंताओं से भागो नहीं। तुम ताल ठोककर उन्हें आमंत्रण दो कि वे आ जायें। वे कहाँ रहती हैं.... जरा देखूँ तो सही !
💐 स्वयं अंतरात्मा में सुखी रहो और दूसरों के लिए सुखस्वरूप हरि के द्वारा खोलने का पुरुषार्थ करो । स्वयं दुःखी मत रहो, दूसरों के लिए दुःख के निमित्त मत बनो । न फूटिये न फूट डालिये । न लड़िये न लड़ाइये, (अंतरात्मा परमात्मा से) मिलिये और मिलाइये (औरों को मिलाने में सहायक बनिये) ।
💐 सद्गुरु की कृपा एवं आत्मीयता तभी हमारे अंतःकरण को रँगेगी , जब हम उनके साथ श्रद्धा - भक्ति से जुड़ जायेंगे ।
💐 बापुजी के विचार :-
💐 यदि आपके दिल में पवित्रता, सच्चाई और विश्वास है तो आपकी दृष्टि लोहे के पर्दे को भी चीर सकेगी |
💐 जो सेवा में रुचि रखता है उसी का विकास होता है । आप अपना व्यवहार ऐसा रखो कि आपका व्यवहार तो हो एक-दो-चार दिन का लेकिन मिलने वाला कई वर्षों तक आपके व्यवहार को सराहे, आपके लिए उसके हृदय से दुआएँ निकलती रहें । स्वयं रसमय बनो, औरों को भी रसमय करो ।
💐जिसको अपने गुरुदेव की महिमा पर पूर्ण भरोसा होता है ऐसा शिष्य इस दुर्गम माया से अवश्य पार हो जाता है।
💐 बापुजी के विचार :-
💐 दीपावली (12 नवंबर )की रात्रि को लक्ष्मी-गणेश पूजन के साथ बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती जी का भी पूजन किया जाता है, जिससे लक्ष्मी के साथ-साथ आपको विद्या भी मिले, आपके जीवन में मुक्ति के पुष्प महकें ।
💐 दीपोत्सव के दिनों में देवराज इंद्र ने राजा बलि को स्वर्ग का राजतिलक किया था और बलि ने उसका सदुपयोग किया था इसलिए नरक चतुर्दशी से लेकर नया साल इन तीन दिनों में जो लोग राजा बलि का मानसिक पूजन (तिलक करना, फूल माला पहनाना आदि ) करके दीपोत्सव करते हैं उन्हें उत्साह, सुख-शांति, सांसारिक भोग और ईश्वर के रास्ते जाने में मदद मिलती हैं।
💐 दीपावली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी जिससे वे धनाढ्यपतियों के भी धनाढ्य कुबेर भंडारी के नाम से प्रसिद्ध हुए, ऐसा इस काल का महत्व है | रात्रि को दीया जलाकर इस सरल मंत्र का यथाशक्ति जप करें :
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा'
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 यदि आप संसार के प्रलोभनों एवं धमकियों से न हिलें तो संसार को अवश्य हिला देंगे | इसमें जो सन्देह करता है वह मंदमति है, मूर्ख है |
💐 आप अपनी करने की शक्ति का सदुपयोग करके उस अमर पद को पा लो। जो करो, ईश्वर को पाने के लिए ही करो। अपनी अहंता-ममता को आत्मा-परमात्मा में मिलाकर परम प्रसाद में पावन होते जाओ...
💐 सच्चे गुरु से अधिक प्रेमपूर्ण, अधिक हितैषी, अधिक कृपालु और अधिक प्रिय व्यक्ति इस विश्व में कोई नहीं हो सकता।
🔹पूज्यश्री का आज का संदेश : 9 Nov 2023
💐 नारायण... नारायण... नारायण...
💐 क्या हाल है? बापू को ये हो गया वो हो गया ऐसा करके दुःखी होने की जरूरत नहीं है। हृदय सुधा ले रहा हूँ और आराम भी है। निश्चिंत रहो, ठीक है, हृदय सुधा भी गजब का काम करती है, मंत्र भी है।
💐 मैं अकेला नही हूँ तुम सभी के संकल्प भी है। थोड़े दिन में देख लेना। ठीक है? मायूस मत होना। घबराहट मत करना। कल्पनाओ में मत आना। शरीर के तो धर्म होते रहते है, उतार-चढ़ाव ठीक है। किसीको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
💐 दीवाली तुम्हारी और मेरी बढ़िया जाएगी। इन शब्दों से संतोष हो जाना चाहिए सभी को। दीवाली मेरे साधको की, शिष्यों की बढ़िया जाएगी और मेरी भी। मेरी भी बढ़िया जाएगी तो समझ गए।
💐ॐ आनंद... ॐ आनंद... तुम लोगो के संकल्प भी है, संतोष हो गया…।
पूज्य सन्त श्री बापुजी के आज के दर्शन 🙏🙏💐
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 भगवान का विधान बड़ा मंगलमय है । भगवान में आस्था रखनेवाले लोग लौकिक - अलौकिक दोनों प्रकार के लाभ पाते हैं ।
💐 जब-जब व्यक्ति ईश्वर एवं सदगुरु की ओर खिंचता है, आकर्षित होता है, तब-तब मानो कोई न कोई सत्कर्म उसका साथ देता है और जब-जब वह दुष्कर्मों की ओर धकेला जाता है, तब-तब मानो उसके इस जन्म अथवा पूर्व जन्म के दूषित संस्कार अपना प्रभाव छोड़ते हैं। अब देखना यह है कि वह किसकी ओर जाता है ? पुण्य की ओर झुकता है कि पाप की ओर ? संत की ओर झुकता है कि असंत (दुष्ट, दुर्जन, संत निंदक) की ओर ?
💐 जीवन के परम ध्येय अर्थात् आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति गुरूभक्तियोग के अभ्यास द्वारा ही हो सकती है।
💐बापुजी का संदेश :-
💐 जो सेवा खोज लेता है न , उसकी स्वार्थ की ग्रंथियाँ खुल जाती हैं ।
💐 न बेवकूफ बनो, न बेवकूफ बनाओ । न दुःखी रहो न दुःखी बनाओ । दुःखाकार और सुखाकार वृत्तियाँ आती हैं, चली जाती हैं । तुम दोनों के साक्षी हो । अपने-आपमें रहो । दुःख आया, सुख आया तो उनसे प्रभावित न होओ । सत्संग होता रहे, सत्कर्म होते रहें ।
💐आत्मवेत्ता सद्गुरुदेव के अंतःकरण के संतोष में ही सारी साधनाओं का , सारे यज्ञ , तप , व्रतों का साफल्य है ।
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 अपने अन्दर के परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास करो | जनता एवं बहुमति को आप किसी प्रकार से संतुष्ट नहीं कर सकते |
💐 आप अपनी करने की शक्ति का सदुपयोग करके उस अमर पद को पा लो । जो करो, ईश्वर को पाने के लिए ही करो । अपनी अहंता-ममता को आत्मा-परमात्मा में मिलाकर परम प्रसाद में पावन होते जाओ...
💐 परमात्मा के साथ एकरूप बने हुए महान आध्यात्मिक महापुरुष की जो सेवा करता है वह संसार के कीचड़ को पार कर सकता है।
💐साधको के लिए छोटी पर आवश्यक बातें:-
💐साधकों ये बाते छोटी छोटी तो अवश्य हैं परन्तु आपको यदि इन बातों का ज्ञान नहीं है. तो आपको साधना में असफलता का मुह देखना पड़ सकता है.अतः इन्हे अवश्य याद रखें 🙏🙏
१. जिस आसन पर आप अनुष्ठान,पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए।कुछ लोगो की आदत होती है कि आसन पर बैठने के पहले खड़े खड़े ही आसन को पैर से सरका कर अपने बैठने के लिए व्यवस्थित करते है.ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर की जाने वाली साधनाये सफल नहीं होती है.अतः आसन को केवल हाथो से ही बिछायें.
२. अपनी जप माला को कभी खुटी या कील पर न टांगे,इससे माला कि सिद्धि समाप्त हो जाती है.जप के पश्चात् या तो माला को किसी डिब्बी में रखे,गौ मुखी में रखे या किसी वस्त्र आदि में भी लपेट कर रखी जा सकती है.जिस माला पर आप जाप कर रहे है उस पर किसी अन्य कि दृष्टि या स्पर्श न हो इसलिए उसे साधना के बाद वस्त्र में लपेट कर रखे.इससे वो दोष मुक्त रहेगी।साथ ही कुछ लोगो कि आदत होती है जिस माला से जप करते है उसे ही दिन भर गले में धारण करके भी रहते है.जब तक किसी साधना में धारण करने का आदेश न हो. *जप माला को कभी धारण ना करे.*
३. साधना के मध्य जम्हाई आना,छींक आना,गैस के कारन वायु दोष होना,इन सभी से दोष लगता है और जप का पुण्य क्षीण होता है.इस दोष से मुक्ति हेतु आप जप करते समय किसी ताम्र पात्र में थोडा जल तथा कुछ तुलसी पत्र डालकर रखे.जब भी आपको जम्हाई या छींक आये या वायु प्रवाह की समस्या हो,तो इसके तुरंत बाद पात्र में रखे जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो से लगाये इससे ये दोष समाप्त हो जाता है.साथ ही साधको को नित्य सूर्य दर्शन कर साधना में उत्पन्न हुए दोषो की निवृति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।इससे भी दोष समाप्त हो जाते है.साथ ही यदि साधना काल में हल्का भोजन लिया जाये तो इस प्रकार की समस्या कम ही उत्पन्न होती है
४. ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ लोग बैठे बैठे बिना कारण पैर हिलाते रहते है.या एक पैर के पंजे से दूसरे पैर के पंजे या पैर को आपस में अकारण रगड़ते रहते है.ऐसा करने से साधको को सदा बचना चाहिए।क्योंकि जप के समय आपकी ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्रार की और बढ़ती है.परन्तु सतत पैर हिलाने या आपस में रगड़ने से.वो ऊर्जा मूलाधार पर पुनः गिरने लगती है.क्योंकि आप देह के निचले हिस्से में मर्दन कर रहे है.और ऊर्जा का सिद्धांत है जहा अधिक ध्यान दिया जाये ऊर्जा वहाँ जाकर स्थिर हो जाती है.इसलिए ही तो कहा जाता है कि जप करते समय आज्ञा चक्र या मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए।अतः अपने इस दोष को सुधारे।
५. साधना काल में अकारण क्रोध करने से बचे,साथ ही यथा सम्भव मौन धारण करे.और क्रोध में अधिक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने से बचे.इससे संचित ऊर्जा का नाश होता है.और सफलता शंका के घेरे में आ जाती है.
६. साधक जितना भोजन खा सकते है उतना ही थाली में ले.यदि आपकी आदत है अन्न जूठा फेकने की है तो इस आदत में सुधार करे.क्योंकि अन्नपूर्णा शक्ति तत्त्व है, अन्न जूठा फेकने वालो से शक्ति तत्त्व सदा रुष्ट रहता है.और शक्ति तत्त्व कि जिसके जीवन में कमी हो जाये वो साधना में सफल हो ही नहीं सकता है. *क्योंकि शक्ति ही सफलता का आधार है.*
७. हाथ पैर की हड्डियों को बार बार चटकाने से बचे ऐसा करने वाले व्यक्ति अधिक मात्रा में जाप नहीं कर पाते है क्योंकि उनकी अंगुलिया माला के भार को अधिक समय तक सहन करने में सक्षम नहीं होती है.और थोड़े जाप के बाद ही अंगुलिओ में दर्द आरम्भ हो जाता है.साथ ही *पुराणो के अनुसार बार बार हड्डियों को चटकाने वाला रोगी तथा दरिद्री होता है.अतः ऐसा करने से बचे.*
८. मल त्याग करते समय बोलने से बचे,आज के समय में लोग मल त्याग करते समय भी बोलते है,गाने गुन गुनाते है,गुटखा खाते है,या मोबाइल से बाते करते है.यदि आपकी आदत ऐसी है तो ये सब करने से बचे क्योंकि ऐसा करने से जिव्हा संस्कार समाप्त हो जाता है.और ऐसी जिव्हा से जपे गए मंत्र कभी सफल नहीं होते है.आयुर्वेद तथा स्वास्थ्य कि दृष्टि से भी ऐसा करना ठीक नहीं है.अतः ऐसा ना करे.।
९. यदि आप कोई ऐसी साधना कर रहे है,जिसमे त्राटक करने का नियम है तो आप नित्य बादाम के तैल की मालिश अपने सर में करे.और नाक के दोनों नथुनो में एक एक बूंद बादाम का तेल या गाय का घी डाले। इससे सर में गर्मी उत्पन्न नहीं होगी और नेत्रो पर पड़े अतिरक्त भार की थकान भी समाप्त हो जायेगी।साथ ही आंवला या त्रिफला चूर्ण का सेवन भी नित्य करे तो सोने पर सुहागा।
१०.जप करते समय अपने गुप्तांगो को स्पर्श करने से बचे.साथ ही माला को नाभि से नीचे न ले जाएं व भूमि से स्पर्श न होने दे.यदि आप ऐसा करते है तो जप की तथा माला की ऊर्जा भूमि में समा जाती है.
११.जब जप पूरा हो जाये तो आसन से उठने के पहले आसन के नीचे थोडा जल डाले और इस जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो पर अवश्य लगाये। ऐसा करने से आपके जप का फल आपके पास ही रहता है।
🙏🙏💐🙏🙏💐📿💐🙏🙏💐🚩💐🙏🙏
💐 बापुजी का संदेश :-
💐 राग जहाँ भी आपने लगाया वहाँ दुःख दिये बिना नहीं छोड़ेगा।
💐 पुरुषार्थ के बिना कोई सिद्धि नही होती। जिस पुरुष ने अपना पुरुषार्थ त्याग दिया है और दैव (भाग्य) के आश्रय होकर समझता है कि "दैव हमारा कल्याण करेगा" तो वह कभी सिद्ध नहीं होगा। पत्थर से कभी तेल नहीं निकलता, वैसे ही दैव से कभी कल्याण नहीं होता।
💐परमात्मा के साथ एकरूप बने हुए महान आध्यात्मिक महापुरुष की जो सेवा करता है वह संसार के कीचड़ को पार कर सकता है।
🌷 बापुजी का संदेश :-
💐 जो विचार भय, चिन्ता या खिन्नता पैदा करें उन विचारों को विष की नाईं त्याग दो।
💐 वे लोग झगड़ते रहते हैं, अशांत रहते हैं जो सुख को महत्त्व देते हैं, सेवा को महत्त्व नहीं देते हैं, प्रभुप्रेम को, जप-तप को, अंतरात्मा के रस को महत्त्व नहीं देते हैं। जो बाहर से सुखी होना चाहते हैं, वे बाहर भी परेशान, अंदर भी परेशान !
💐 सद्गुरु की कृपा एवं आत्मीयता तभी हमारे अंतःकरण को रँगेगी , जब हम उनके साथ श्रद्धा - भक्ति से जुड़ जायेंगे ।
🌷 बापुजी के विचार :-
💐 विजयादशमी (24 अक्टूबर ) का पूरा दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त है अर्थात् इस दिन कोई भी शुभ कर्म करने के लिए पंचांग - शुद्धि या शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती ।
💐 विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है और उसके पत्ते देकर एक-दूसरे को यह याद दिलाना होता है कि सुख बाँटने की चीज है और दुःख पैरों तले कुचलने की चीज है । धन-सम्पदा अकेले भोगने के लिए नहीं है । तेन त्यक्तेन भुंजीथा... । जो अकेले भोग करता है, धन-सम्पदा उसको ले डूबती है ।
💐 भगवान श्री रामचंद्रजी ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करानेवाले 'आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ किया था और रावण के साथ युद्ध में विजय प्राप्त की थी। आप भी दशहरे के दिन शाम को सूर्यास्त के समय इस 'आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करके अपने आंतरिक और बाह्य शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
🌷 बापुजी का संदेश :-
💐 उत्साह एवं पुरुषार्थ जिसके जीवन में होगा वह अवश्य ही विजयी हो जायेगा ।
💐 धन में, वैभव में और बाह्य वस्तुओं में एक आदमी दूसरे आदमी की पूरी बराबरी नहीं कर सकता। जो रूप, लावण्य, पुत्र, परिवार, पत्नी आदि एक व्यक्ति को है वैसे का वैसा, उतना ही दूसरे को नहीं मिल सकता। लेकिन परमात्मा जो वशिष्ठजी को मिले है, जो कबीर को मिले हैं, जो रामकृष्ण को मिले हैं, जो धन्ना जाट को मिले हैं, जो राजा जनक को मिले हैं वे ही परमात्मा सब व्यक्ति को मिल सकते हैं। शर्त यह है कि परमात्मा को पाने की इच्छा तीव्र होनी चाहिए।
💐 सदगुरु के सच्चे शिष्य तो मौत को भी भगवान की लीला समझते हैं।
🌷 बापुजी का संदेश :-
🌻 जो स्वार्थरहित होकर संसार की सेवा करता है, उसकी माँग सबको होती है ।
🌻 तुम्हारे जो प्राण चल रहे हैं उनको अगर तुमने साथ लिया, प्राण-अपान की गति को सम करने की कला सीख ली तो तुम्हारे लिए स्वर्गीय सुख पाना, आत्मिक आनंद पाना, संसार में निर्दुःख जीना आसान हो जायेगा । वाहवाही होने पर भी निरहंकारी रहना आसान हो जायेगा । निंदा होने पर भी निर्दुःख रहना, स्तुति होने पर भी चित्त में आकर्षणरहित दशा रहना, चित्त की समता और आत्मिक साम्राज्य का अनुभव करना तुम्हारे लिए सरल बन जायेगा ।
🌻संत की आज्ञा का पालन करना यह बड़ी सेवा है ।
🎉 Facebook recognized me as a top rising creator this week!
We Love Bapuji 💐💐🙏
"बापुजी का संदेश :-
आत्मलाभात् परं लाभं न विद्यते ।
आत्मसुखात् परं सुखं न विद्यते ।
आत्मज्ञानात् परं ज्ञानं न विद्यते ।
"आत्मलाभ से बड़ा कोई लाभ नहीं, आत्मसुख से बड़ा कोई सुख नहीं और आत्मज्ञान से बड़ा कोई ज्ञान नहीं "
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
आप सभी साधक भाई बहनों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। 💐💐
#कहानी_नहीं_हकीकत_है
बापूजी का संदेश 💐
👉आशाराम बापू के मामले में कोर्ट के निर्णय आने से पहले उन्हें बदनाम करने वाले तमाम पत्रकार खामोश क्यों है, जबकि उनके ही भक्त के पारिवारिक वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित मामले में दीपक चौरसिया,अजीत अंजुम,चित्रा त्रिपाठी, सैयद सोहेल समेत उनके साथियों को साजिश रचने, समेत कई धाराओं के तहत आरोपी माना है।
👉इनकी गिरफ्तारी कब होगी ??
👉पॉक्सो मामले में बापूजी एवम इन पत्रकारों पर जीरो FIR दर्ज होती है लेकिन गिरफ्तारी केवल बापूजी की होती है इन पत्रकारों की नही, क्यों ??
👉दूसरी तरफ कोर्ट, बापुजी की जमानत पर सरकारी वकील को बार बार समय पर समय दिए जा रहे हैं, आखिर क्यों ??
इस वीडियो में बड़ा खुलासा!!
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