YashV Art
I am Yashvardhan, a government teacher by profession but an artist by passion. DM me for order work.
My blackboard drawing in my today's art class...
Construction...(can you guess the movie?)
“कंचें" (बॉल पॉइन्ट पेन से पेपर पर)...
मेरा मानना है कि हर आर्टिस्ट में थोड़ा-बहुत विन्सेंट वान गाॅग होता है। हर आर्टिस्ट खुद को वान गाॅग से थोड़ा-बहुत रीलेट कर पाता है। इसी क्रम में अगर मैं विन्सेंट वान गाॅग होता तो लिखता...
डियर थिओ,
आज मुझे ड्राइंग और पेंटिंग करते लगभग पाँच साल हो गयें। दस सालों के लंबे-चौड़े गैप के बाद ड्राइंग शुरू करने पर पहले पहल तो लगा मैं ड्राइंग करना भूल ही चुका हूँ लेकिन बचपन में जो पागलों की तरह ड्राइंग किया करता था वो आज भी मेरे हाथ की मशल मेमोरी में दर्ज है। शुरू-शुरू में मैंने वही गलतियाँ की जो अक्सर बिगीनर्स करते हैं... बिना फ्रीहैण्ड स्केचिंग पर ध्यान दिए कलर और शेडिंग की ओर आकर्षित होना, खैर... जल्द ही मैं सही ट्रैक पे आ गया। इस पाँच सालों के दौरान मैंने ड्राइंग की बहुत सारी बारीकियाँ सीखीं लेकिन ड्राइंग को एक बिजनेस के तौर पर नहीं अपना सका। ऐसा नहीं कि मैंने ख़ुद को हाईलाइट करने की कोशिश नहीं की लेकिन हर बार असफल ही रहा। एक बार दो लोकल अखबारनवीसों ने मुझसे पोट्रेट बनाने की गुजारिश की तो बदले में मैंने उनसे मेरे बारे में अखबार में छापने की शर्त रखी, लेकिन वो तरकीब व्यर्थ ही गई। मैंने शुरुआत में बहुत ही कम पैसों में ढेर सारे कमीशन वर्क लिये और सोचा कि धीरे-धीरे कीमत बढ़ाऊंगा, लेकिन न तो दाम बढ़ा पाया और न ही कमीशन वर्क जारी रख पाया। थिओ, इन गर्मियों में तुमने ही तो कहा था, “ मेरे विचार से अपनी ज़िंदगी की परेशानियों का दूसरों से जिक्र करना ठीक नहीं, उन्हें अपने तक ही सीमित रखना चाहिए"... लेकिन फिर भी क्या करें, वो कभी-कभार जाहिर हो ही जाती हैं। ऐसा भी नहीं कि इस दौरान कुछ सकारात्मक नहीं हुआ। मैंने एकाध संपर्क कमाया और बहुत से आर्टिस्टों से कनेक्ट हुआ। परशुराम सर ने एक लोकल प्रदर्शनी में मेरे आर्टवर्क्स लगायें, जिसके लिए दिल से उनका शुक्रगुजार हूँ। मेरे एक मित्र रूप कुमार ने मेरा एक साक्षात्कार यूट्यूब पे अपलोड किया जिसपर ठीकठाक व्यूज़ आयें। इसके अलावा एक मित्र ने मुझे एक समारोह में बतौर आर्टिस्ट सम्मानित भी किया।
थिओ, आजकल जब किसी चीज को बड़े गौर से एकटक देखता हूँ तो कुछ रैंडम शेप्स नजर आते हैं... कभी किसी बच्चे के तो कभी शैतान के। लेकिन जब उन्हें कागज़ पे उकेरने की कोशिश करता हूँ तो लगभग ओझल हो जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे अचानक एक ख़्याल दिमाग में कौंधता है और पल भर में गायब भी हो जाता है और लाख कोशिशों के बावजूद पकड़ में नहीं आता।
थिओ, स्लाईट्लि कलर ब्लाइंड होने की वजह से पेंटिंग में एक्ज़ैक्ट कलर पिक करना काफी मुश्किल है मेरे लिए, फिर भी इस कमजोरी को एक ताकत में तब्दील करना चाहिए, ऐसा सोचता हूँ। शायद अपनी पेंटिंग में कोई रैंडम कलर लगाऊँ और मेरी एक यूनिक स्टाइल उभर कर सामने आए। पता नहीं?
आजकल प्लेन एयर पेंटिंग करने की कोशिश कर रहा हूँ। पहले लगता था ऐसे लाइव बनाने पर लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी लेकिन, जानते हो! लोगों को एक आर्टिस्ट को ड्राइंग करते देखना बड़ा भाता है।
ड्राइंग की कई विधाएँ आजमाने के बाद मैं बार-बार पोर्ट्रेट की तरफ रुख करता हूँ। शायद पोर्ट्रेट ही मेरी ताकत है। पोर्ट्रेट की इतनी प्रैक्टिस कर चुका हूँ कि आजकल फेस रिज़ेम्बल कराने में कोई खास मसक्कत नहीं करनी पड़ती।
आजकल कुछ बुक कवर बनाकर थोड़ा-बहुत कमा लेता हूँ। मैंने कुछ बुक कवर डिजाइन किए और वो क्लाइंट्स को काफ़ी पसंद भी आयें। ये काम भविष्य में भी जारी रखूँगा।
मैं लगभग तीन साल से फ्रीहैण्ड ही ड्राइंग कर रहा हूँ और अब कल्पना से ड्रॉ करने में मुश्किल नहीं होती। तुम्हें तो पता ही होगा... कल्पना से ड्रॉ करना ही तो एक असली आर्टिस्ट की निशानी होती है।
थिओ, इतनी ड्राइंग और पेंटिंग कर लेने के बाद अब मुझे डिटेल्स नहीं दिखती, अब शेप्स नज़र आते हैं। अब समझ आता है कि क्यूँ एक्सपेरिएंस्ड आर्टिस्ट को चीजे अब्सट्रैक्ट दिखती है और वो डिफरेंट शेप्स पेण्ट करके पूरी पेंटिंग खत्म कर देतें हैं।
इन पाँच सालों के दरमियान स्कूल में लगभग सारे बच्चों का पोर्ट्रेट बना चुका हूँ। अब स्कूल में जो नए बच्चे आते हैं वो मुझे ऐसे घेरे रहते हैं जैसे मधुमक्खियाँ अपने छत्ते को घेरे रहती हैं और पूछते रहते हैं, “मेरा पोर्ट्रेट कब बनाओगे सर?" क्या कहूँ... अच्छा भी लगता है और कभी-कभी खींज भी होती है।
अब महसूस होता है कि मेरे लिये समय का सदुपयोग करने का सबसे अच्छा जरिया ड्राइंग ही है और इसे जारी रखूँगा क्यूँकि मेरे लिए ड्राइंग का पैशन ठीक वैसे ही है जैसे एक नाविक का समुद्र के लिए होता है।
—तुम्हारा भाई
विन्सेंट ( YashV Art )
Happy Birthday Major Dhyan Chand...
(My blackboard drawing on the occasion of National Sports Day)...
From mobile click to freehand drawing (Charcoal on 11x14 inches paper)...
मेरे क्लास की खिड़की से अक्सर कुछ ऐसी तस्वीरें मिल जाया करती हैं जिसे मैं अपने मोबाइल से क्लिक करके कागज़ पर उकेरने से ख़ुद को रोक नहीं पाता, उन्हीं तस्वीरों में से ये तस्वीर थी एक प्यारी सी बच्ची की... आँखों में सहजता और मासूमियत थी और ओठों पे हल्की सी प्यारी सी स्माइल।
Practice works...
Sona deke koi,
Eit Pathar kharidta hai kya.. Amma?
Freehand ball point pen drawing by me...
Phool?? Jaya(shreya)??😁😁😁
(freehand quick sketch by me)
Freehand portrait in charcoal of class 8 student Tannu by me...
From mobile click to freehand drawing(ink on paper)...
Freehand ball point pen sketch by me...
Freehand charcoal portrait of class 6 student “Arpita" by me...
“Madhubala ji" (freehand portrait in charcoal by me)...
My blackboard drawing in my today's art class... Can you recognise the cricket player?
“Mahatma Gandhi"
Freehand charcoal drawing by me...
“अरुण योगीराज जी स्वनिर्मित मूर्ति के साथ” (यह फ्रीहैण्ड पोर्ट्रेट मेरे द्वारा चारकोल पेंसिल के माध्यम से बनाया गया है)...
Work in progress (freehand charcoal portrait of Arun Yogiraj sir)...
Suggestions for improvement are most welcome...
“Ye dosti hum nahi todenge"
Freehand graphite pencil drawing on paper...
My approach to drawing portraits from front view :
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First of all, I draw one vertical and one horizontal straight lines according to the inclination of the face. The horizontal line represents eye level, which is horizontally in the center of the skull, and the vertical line goes vertically from middle of the nose and lips. Then I draw contour lines using block-in method that represent the outer edges of the face. Then I divide the middle horizontal straight line into five equal parts.Then I locate the eyes in the second and fourth parts. The ears are located between eye level and the base of the nose. Lips are closer to the nose than the chin. The nose is located between the inner ends of the eyes. The corners of the mouth generally align with the inside edges of the pupils. Hair extends slightly outside the skull.
In picture: freehand outline of a portrait by me.
If you are interested in an explanation of all the art-isms from Impressionism to today and explanation of the artworks of the artists within each art-ism, this is a great book.
“Sai Pallavi"
Watercolour on paper.
My son's superhero “PooPooMan" created by me... (Doms watercolor pens on A4 size paper)
I tell the story of "poopooman" (which is an imaginary character created by me) to my son every day, so I thought why not give a real shape to the character created by me and I picked up a pencil and tried to draw it on paper. Now you tell me whether I succeeded to some extent or not? 😁😁😁