Varchaswa Classes
Best Coaching in Etah District
First come and get achivement
वर्चस्व भव: अब नए प्रारूप में नई शुरुआत वर्चस्व के साथ।।
20 फरवरी 2022 से सुपर टेट का बैच प्रारंभ।
Varchaswa Classes
Best Coaching in Etah District
First come and get achivement
New batch start for 4/10/2021 se
टेट,सुपर टेट रीट की क्लास 1/07/2021से आरम्भ हो रही है जल्द संपर्क करे
Sabhi student on ko Suchit Kiya jata hai ki varchaswa class ki main branch Hotel Maya Palace Ke Samne Jila Panchayat GT Road Etah per pahunch g*i hai
वर्चस्व क्लास एटा दिनांक 1 दिसंबर 2020 से आगरा रोड शाखा पर सुपर टेट तथा सीटेट के न नए बैच आरंभ हो चुके हैं
सभी छात्रों को अवगत कराया जाता है कि सीटेट यूपीटेट यूपीएसआई एसएससी की सभी क्लास में विधिवत रूप से दिनांक 15 अगस्त 2020 से आरंभ होने जा रही हैं अपना-अपना रजिस्ट्रेशन जल्द कराएं
जिस व्यक्ति का शासन काल ही दो साल बचा हो वह पाँच साल संविदा की बात कैसे कर सकता है?
सभी छात्र छात्राओं को सूचित किया जाता है कि यूपीएसआई यूपी पुलिस दिल्ली पुलिस दिल्ली एस आई तथा सीटेट सुपर टेट आज की क्लासों के लिए 2 सितंबर 2020 से तत्काल रुप से नए बैच के लिए 94 1085 110 पर संपर्क करें और अपनी सीट सुनिश्चित करें यदि आप लेट करते हैं तो कैलाश छूटने की जिम्मेदारी आपकी होगी ना कि संस्था की
वर्चस्व क्लास के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि वर्चस्व क्लास की आगामी सभी क्लास है दिनांक 20 अगस्त 2020 से आरंभ हो रही है जो छात्र छात्राएं ऑनलाइन तथा ऑफलाइन अध्ययन करना चाहते हैं वह वह सभी दिनांक 20 अगस्त से 94 1085 1110 तथा 9897 3776 99 पर संपर्क कर अपना रजिस्ट्रेशन कराएं
कैसे शुरू करें IAS सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी, जानें
आईएएस परीक्षा की तैयारी करने जा रहे हैं तो कामयाबी के लिये इन बातों को जरूर याद रखें.
राहत वाली खबर! प्लाज्मा डोनर को ट्रैक करने का नया तरीका आया सामने
आईएएस परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले यह जान लें कि इसकी शुरुआत कैसे करनी चाहिये.
IAS अधिकारी बनना हर किसी का ख्बाब होता है, लेकिन IAS बनने का रास्ता बहुत ही संघर्ष से भरा होता है. ये संघर्ष बहुत कम हो जाता है यदि हमें कोई मार्ग दिखाने वाला हो. तो आज हम आपको कुछ ऐसे खास Tips बताने जा रहे है जो आपकी राह की मुश्किलें कम कर देंगी और आपको IAS अधिकारी बनने में मदद करेंगी.
1. सिविल सर्विसेज की तैयारी करने से पहले इस एग्जाम की फिलोसफी को समझना बहुत जरूरी है. आपको क्या-क्या करना है, यह समझना होगा.
2. परीक्षा प्रणाली को समझें.
3. सिलेबस और परीक्षा की संरचना समझें:
मुख्य परीक्षा में निम्नलिखित नौ (9) प्रश्न पत्र शामिल हैं.
👉पेपर 1: निबंध (कुल 250 अंक)
👉पेपर 2: इंग्लिश - English पेपर (कुल 250 अंक)
👉पेपर 3: भारतीय भाषा - Indian Language (कुल 250 अंक)
👉पेपर 4: जनरल स्टडीज - GS पेपर 1 (कुल 250 अंक)
👉पेपर 5: सामान्य अध्ययन - GS पेपर 2 (कुल 250 अंक)
👉पेपर 6: जनरल स्टडीज - GS पेपर 3 (कुल 250 अंक)
👉पेपर 7: जनरल स्टडीज - GS पेपर 4 (कुल 250 अंक)
👉पेपर 8: वैकल्पिक - पेपर 1 (कुल 250 अंक
👉पेपर 9: वैकल्पिक - पेपर 2 (कुल 250 अंक)
आयु सीमा
21 वर्ष से 32 वर्ष के उम्मीदवार यूपीएससी आईएएस परीक्षा के लिये आवेदन कर सकते हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए यह आयु सीमा 21 वर्ष से 35 तक है.
परीक्षा में शामिल होने से पहले उसके पैटर्न को समझना जरूरी है.
UPSC, साल में एक बार यह परीक्षा आयोजित करता है. यह परीक्षा तीन फेज में आयोजित होती है. प्रीलिम्स यानी प्रारंभिक परीक्षा, मेन यानी मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू. प्रारंभिक परीक्षा में दो पेपर होते हैं. पेपर 1 और पेपर 2. सभी मल्टिपल च्वाइस टाइप (multiple choice type) के सवाल होते हैं.
पेपर-1 में जनरल स्टडीज(ह्यूमैनिटीज, जैसे कि इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और जनरल साइंस. इसके साथ ही करेंट अफेयर्स से सवाल भी होते हैं.
वहीं पेपर-2 में क्वांटिटेटिव एप्टिट्यूड(quantitative aptitude), इंग्लिश आदि से सवाल होते हैं. यह पेपर क्वालिफाइंग नेचर का होता है. इसमें पास होने के लिये 33% अंक लाना होता है.
प्रारंभिक परीक्षा को पास करने के बाद मुख्य परीक्षा में भाग लेने का मौका मिलता है. मुख्य परीक्षा में 4 जीएस के पेपर, एक ऑप्शनल पेपर होता है,जिसमें दो पेपर होते हैं और एक एस्से पेपर होता है. इसके अलावा एक इंग्लिश और एक क्षेत्रीय भाषा का पेपर भी होता है. ये पेपर भी क्वालिफाइंग पेपर होते हैं. मेरिट लिस्ट तैयार करने के लिये इनके अंकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
मुख्य परीक्षा के नौ पेपरों में 7 अनिवार्य होते हैं.
मुख्य परीक्षा क्वालिफाई करने के बाद उम्मीदवारों को इंटरव्यू में शामिल होने का मौका मिलेगा.
मुख्य परीक्षा के 7 पेपर्स के अंक और इंटरव्यू के अंकों को मिलाकर ही मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. मुख्य परीक्षा का हर पेपर डिस्क्रिप्टिव होता है और 250 अंकों का होता है. इंटरव्यू 275 अंक का होता है. यानी कुल 2025 अंक होते हैं.
वर्चस्व क्लास सभी क्लासों की ऑनलाइन है सुविधाएं 25 जुलाई से व्यवस्थित कर आप लोगों के बीच में होगी धन्यवाद
इण्टरमीडिएट और हाईस्कूल के छात्र छात्राओं से मेरा अनुरोध।
कल दोपहर 12.30 बजे यूपी बोर्ड इण्टरमीडिएट और हाईस्कूल का परिणाम घोषित करेगा ।
बहुत सारे छात्र और छात्राओं के मनमें यह भय होगा कि मेरा रिजल्ट कहीं खराब ना आ जाए
मेरे प्यारे सभी छात्र और छात्राएं ध्यान दें ये आपके जीवन की पहली सीढी हैं आखिरी नही ।
रिजल्ट आने के बाद आपको तो एक कागज का टुकड़ा मिलेगा
पर ध्यान रहे आप किसी और का टुकड़ा भी हैं
इसलिए आपसे निवेदन है कि आप कोई भी गलत कदम नही उठाएं
और सभी अभिभावकों से भी मेरा अनुरोध हैं कि वो अपने बच्चों को कोसें नहीं बल्कि साथ दें ध्यान रहे कि असफल व्यक्ति ही सफल होता हैं
Dr. R.K.Yadav
प्रिय छात्रों जैसा कि हम वैश्विक महामारी करो ना वायरस से जूझ रहे हैं और उससे बचने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा 3 मई तक लोग डाउन करने का आदेश दिया गया है जिस को ध्यान में रखते हुए आपकी संस्था ने एक निर्णय लिया है कि आप लोगों की तैयारी को निरंतर जारी रखने के लिए हमारी टीम और हमारे सभी अध्यापक अपने अपने घर से आप सभी को दिनांक 17 अप्रैल से दोपहर 1:00 बजे से 3:00 बजे तक ऑनलाइन क्लासेज देंगे आप सभी फेसबुक पेज पर हैं तथा कुछ सॉफ्टवेयर ओं के जरिए आप लोगों से सीधे वार्तालाप कर आपके प्रश्नों का उत्तर भी रहेंगे यह क्लास आपके उज्जवल भविष्य और करोना से बचने के तैयार कराई जा रही है जो बच्चे पेज से जुड़े हैं वह अपने अन्य साथी जो किसी कारणवश पेज व्हाट्सएप ग्रुप से नहीं जुड़ पाए हैं उन सभी को सूचना दें तथा मैं 15 तारीख को व्हाट्सएप ग्रुप में लिंक डाल दूंगा उस लिंक को आप फॉरवर्ड कर दें ताकि वर्चस्व क्लास के सभी उज्जवल वर्चस्व छात्र अपने जीवन का तथा अपनी तैयारी को निरंतर रखने की कोशिश जारी रख सकें धन्यवाद ।।।।। आपका डॉक्टर आरके यादव
*मार्मिक अपील*
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*19 मार्च से आगे 7-8 दिन यदि आप अपने को और अपने परिवार को कोरोना से बचा ले जांय तो समझिए आधी से ज्यादा जंग हमने जीत लिया। दरसल 19 ता. से हमारे देश में कोरोना का तीसरा चरण प्रारम्भ होगा जिसे कम्यूनिटी इनफेक्शन कहते हैं। इस समय अन्तराल में कोरोना एक व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैलता है। इस समय यदि अपने परिवार को बचा लें तो जंग जीत सकते हैं।*
*खुद को व परिवार को बचाने के लिए होम* *आइसोलेशन अर्थात अपने घर पर ही रहना उचित है* *ऐसा करके आप स्वयं को और समाज को और* *देश को बचा सकते हो*
जिंदा रहना है तो सीरियस होना होगा वरना आने वाले दो सप्ताह की कल्पना मुश्किल होगी
देश-दुनियां में कोई मुसीबत भारत के लोगों के मजाक, हंसी ठिठोली का साधन बन जाती है। पूरी दुनियां में केाहराम मचाए कोविड 19 का जितना मजाक भारत में बन रहा उसका आधा मजाक भी पूरी दुनियां के लोग मिलकर नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि चीन, जापान, फ्रांस, इटली, ईरान समेत तमाम देशों ने अपनी आंखों के सामने अपनों की लाशें देखी हैं। उनको इसके ख्रतरे का ना सिर्त अंदाजा हुआ बल्कि उसे भुगता भी है। भारत में अभी सिर्फ तीन लाशें ही सामने आई हैं क्योंकि अभी हम वायरस फैलने के सैकंड स्टेज पर चल रहे हैं। कल्पना करना मुश्किल होगा जिस दिन ये तीसरी स्टेज पर पहुंची। जिन देशोें में ये तीसरे चरण में पहुंचा उससे 100 गुना बुरी हालत भारत की होगी क्योंकि यहां के लोगों को इस वायरस के प्रकोप से बचने के बजाय उसकी मजाक बनाने में वक्त बीतता है। मेरे एक मित्र ने कल मुझसे हाथ मिलाने की कोशिश की। मैने हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने मेरा मजाक बनाने के लिए दूसरे व्यक्ति के गले मिल लिए। बोले, देखें मुझे कैसे होत है कैराेना। उनके इस अंदाज ने मुझे भारत में कैरोना के वायरस के तीसरे स्टेज की कल्पना का भयावह दृश्य सामने ला दिया। वजह ये है कि विदेश में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन वो अपनी सरकार के प्रत्येक आदेश को गंभीरत से पालन करते हैं और जो पालन नहीं करते उनके साथ वहां की सेना पालन करवना जानती है। हम जाति, धर्म, राज्य, राजनीति पार्टी और सेखी बघारने के लिए नियमों को तोड़ने में आनंदित होते हैं। मैं जानता हूं कि भारत सरकार, सभी राज्यों की सरकारें, स्वास्थ्य महकमा इस अंदेशे को भांप चुकी हैं। स्कूल, कॉलेज, ट्रेन, मॉल्, मंदिर सब धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं लेकिन कुछ राक्षसी मानसिकता के लोग जो इसे गंभीरता से नहीं समझना चाहते वे खुद भी मरेंगे और दूसरों को खतरे में डालेंगे। मेरा विनम्र आग्रह है कि सरकार जो भी कह रही उसका पालन करें। हाथ साफ करें बार बार, किसी से हाथ ना मिलाएं।एक मीटर की दूरी से बात करें, साथ में खाना ना खाएं, कुछ अंदेशा हो तो चिकित्सक को दिखाएं। वरना जिस दिन मजाक बनाने वालों की मां, बाप, पत्नी, बेटा, बेटी या कोई और इसकी चपेट में आया उस दिन सारी मजाक धरी रह जाएगी और फिर चुनाव के वक्त् सरकार को कोसोगे कि सरकार ने हमारे परिजन की जान नहीं बचाई। या पर्याप्त उपचार नहीं मिला। सरकार अभी इजाज के मामले में कई देशों से आगे हैं लेकिन जिस तरह वहां की जनता से वहां की सरकारों का साथ दिया उस तरह हम भी अपनी केन्द्र और अपनी-अपनी राज्य सरकार के आदेशों का पालन करें। गंभीर हो जाएं। वरना आने वाले दो सप्ताह बाद वो नजारा देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं कर पाओगे। पता नहीं कल्पना करने लायक बचोगे भी या नहीं पर अगर साथ दिया। सही तरीके से चले। खुद पर और परिवार पर ध्यान दिया तो हमारे डाक्टरों के पास इसक पूरा इलाज है aa किन्तु वो सीमित संसाधनों के साथ । कुछ लोग ठीक करके घर भेज दिए हैं। जो भर्ती है उनमें से ज्यादातर की तबियत में सुधार हो रहा है। मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि प्लीज भविष्य को बचाने के लिए वर्तमान में थोडी सावधानी बरतें।
*सलाम है डाक्टर-नर्सिंग स्टॉफ को*
*आज पूरे देश की शान हमारे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ बन चुक है। खुद की जान खतरे में डाकटर कई घंटे और कई दिनों तक अपने घर से दूर रहकर आमजनों की जान बचाने में जुटे हैं। उनको सेल्यूट है। हम सब उन चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के परिवारों को सांवत्वना और भरोसा दें।*
मैं इस कल्चर का विरोध नहीं कर रहा पर आग्रह है कि कुछ दिनों के लिए झुंड में न रहें, बैठें तो भी दूरी बनाकर, घरो में रहें। ताकि ना आप किसी को वायरस दे सको और ना आप अपने घर में दूसरे से वायरस ला सके।
क्या होगा अगर कुछ दिन ये नहीं करोगे तो
1. क्या होगा अगर कुछ दिन दोस्तों के साथ बात नहीं कर पाओगे, फोन पर कर लो
2. क्या होगा अगर कुछ दिन बाजार नहीं जाओगे, नंगे तो नही हो इतने कपड़े तो घर पर होंगे
3. क्या होगा अगर अपनी मांगें मनवाने के लिए कुछ दिन धरना-प्रदर्शन विरोध नही करोगे जब सब ठीक हो जाए तब कर लेना
4. क्या हो जाएगा अगर कहीं घूमने नहीं जाओगे तो सब सामान्य हो जाए तब चले जाना
5. क्या होगा अगर दिन में 10 बार हाथ धो लोगे।
6. क्या होगा अगर मजाक उड़ाने की वजाय लोगों को जागरुक करने के लिए मैसेज करोगे।
7. क्या होगा जो जागरुक मैसेज दूसरों को फॉरवर्ड करते हो उसका खुद भी पालन कर लोगे
8. क्या फर्क पड़ता है कि सरकार किसकी है और वे क्या कह रहे हैं, मतलब इतना रखो वो आपके हित के लिए कर रहे हैं।
क्योंकि मौत ना जाति, ना धर्म, ना क्षेत्र, ना उम्र, ना राज्य, ना इलाका और ना लिंग और ना सूरत देखकरआती है।
इसलिए मेरी विनम्र अपील, अभी वक्त है। मान जाओ। मेरी पोस्ट पढ़कर कुतर्क करने की वजाय जितने शब्द अच्छे लगे उसे पालन कर लो। वरना कुछ लोगों के लिए लिखने वाले की पोस्ट पर कुर्तक और तर्क करने की आदत होती है। और तर्क-कुर्तक भी करना है तेा कर लेंगे चार महीने बाद सब सामान्य हो जाएगा अभी अपनी, अपने परिवार, मित्र पड़ोसियों के हित में सोचें।।
धन्यवाद, रवी कुमार यादव
वर्चस्व क्लास की ओर से कोचिंग संस्थान के सभी छात्रों को यह सूचित किया जाता है कि कि संस्थान के सभी छात्र कोरोना वायरस से अपने बचाव के मध्य नजर घर से बाहर निकलते समय या संस्थान आते समय मास्क का प्रयोग जरूर करें ,हाथों को साफ रखें आपस में 1 मीटर की दूरी बनाए रखें
कोरोना वायरस की कोई भी लक्षण अगर नजर आते हैं तो तुरंत जिला अस्पताल में जाकर तुरंत इसकी जांच कराएं और स्वयं को व अपने परिवार व समाज को सुरक्षित रखने में अपना छोटा सा सहयोग करें
बड़े हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि वर्चस्व क्लास पर दिनांक 16 मार्च 2020 से नए बैच आरंभ हो रहे हैं जोकि. सुपर टेट ,सीटेट ,तथा यूपी पुलिस ,के होंगे सीटे सीमित है जल्द से जल्द संपर्क करें 94 1085 1110
ब्रह्मा जी की पुत्री अहिल्या को यह वरदान प्राप्त था कि वह सदा ही 16 वर्ष की आयु के सदृश ही रहेंगी। ब्रह्मा जी ने एक स्पर्धा करवाई, जिसे गौतम ऋषि ने जीता और अहिल्या को पत्नी रूप में प्राप्त किया।
अहिल्या के रूप की चर्चा तीनों लोकों में थी। अपने रूप, गुण, सौन्दर्य और पतिव्रत धर्म के पालन के कारण ही वह भक्तों के मन में बसी हुई हैं।
देवराज इन्द्र ने जब अहिल्या के बारे में सुना तो उन्होंने सूर्य से उसकी सुन्दरता के बारे में पूछा।
सूर्यदेव ने इन्द्र देव की भावना भांप कर अपनी असमर्थता जताई। तब इंद्र ने चंद्रमा से पूछा तो उसने कहा कि अहल्या से अधिक रूपवती, गुणवान और पतिव्रता स्त्री सारी सृष्टि में कोई और नहीं है।
ऐसा सुनकर इन्द्र ने छल रूप से अहिल्या को पाने का प्रयास करते हुए चंद्रमा की सहायता ली। योजना बनाई कि जब ऋषि गौतम प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान को जाते हैं वही समय अहिल्या को पाने के लिए सही है।
इंद्र ने चन्द्रमा को अपने काम में साथ देने के लिए उन्हें ऋषि के आश्रम के ऊपर ही टिके रहने के लिए कहा ताकि जब वह किसी को आश्रम की ओर आता देखे तो वह आश्रम के ऊपर से हट जाए क्योंकि चंद्रमा के हटने पर किसी को शक भी नहीं होगा तथा इन्द्र को ऋषि के आने की सूचना भी चंद्रमा के इस संकेत से मिल जाएगी।
अहिल्या को पाने की लालसा से आधी रात को ही इंद्र ने मुर्गा बन कर बांग लगाई और ऋषि गौतम प्रात: हो गई सोचकर गंगा स्नान के लिए आश्रम से निकल गए।
तब इंद्र ने झट से ऋषि गौतम का वेश बनाया और आश्रम में जाने लगे तो अहिल्या ने अपने तपोबल के प्रभाव से इंद्र को पहचान लिया और कहा कि ‘यदि मेरे पति हो तो आश्रम में आ जाओ’। इंद्र के छल की लालसा को देखकर अहिल्या ने उसे श्राप दिया कि तुम्हें कोढ़ हो जाए। दूसरी तरफ जब ऋषि गौतम ने गंगा स्नान करने के लिए कमंडल में जल भरा तो गंगा मां ने कहा कि अभी तो आधी रात हुई है, तो ऋषि आश्रम की ओर वापस चल पड़े।
आश्रम के बाहर उन्होंने अपने वेश में ही इन्द्र को अपने साथ टकरा कर जाते हुए देखा और छत पर चन्द्रमा को पहरेदारी करते देखकर सारी स्थिति को भांप लिया। ऋषि पत्नी अहिल्या उनके जल्दी आश्रम में लौट आने की चिंता में जैसे ही बाहर आई तो ऋषि गौतम ने अहिल्या को शिला होने और चन्द्रमा को इन्द्र का साथ देने के लिए उसमें दाग होने और ग्रहण लगने का तत्काल श्राप दे दिया।
जिसके प्रभाव से अहिल्या आश्रम के बाहर एक पत्थर की शिला बन गई। देवर्षि नारद ने तब ऋषि गौतम को अहिल्या के बेकसूर होने के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि श्राप तो नहीं मिटाया जा सकता परन्तु उन्होंने अहिल्या को एक वरदान भी दिया कि सूर्यवंशी भगवान श्री राम जब उस शिला के साथ अपने चरणों का स्पर्श करेंगे तो वह पूर्ववत हो जाएगी।
धर्मग्रंथों में चंद्रमा के कलंक लगने और ग्रहण लगने के बारे में भी अनेक कथाएं मिलती हैं, परंतु ऋषि गौतम का श्राप भी उनमें से एक है।
मिथिला में राजा जनक के धनुष यज्ञ को दिखाने के लिए गुरु विश्वामित्र उन्हें साथ लेकर जा रहे थे तो ‘आश्रम एक दीख मग माहीं, खग, मृग, जीव जन्तु तंह नाहीं, पूछा मुनिहि सिला प्रभु देखी, सकल कथा मुनि कहा बिसेषी’।
गुरु विश्वामित्र ने बताया ‘गौतम नारी श्राप बस उपल देह धरि धीर, चरण कमल रज चाहति, कृपा करो रघुबीर’।
श्री राम जी के पवित्र एवं शोक का नाश करने वाले चरणों का स्पर्श पाते ही वह तपोमूर्ति अहल्या प्रकट हो गई और भक्तों को सुख देने वाले प्रभु को सामने देखकर वह प्रभु चरणों से लिपट गई।
*परसत पद पावन सोकनसावन प्रगट भई तपपुंज सही।
देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि रही॥
अति प्रेम अधीरा पुलक शरीरा मुख नहिं आवइ बचन कही।
अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जलधार बही॥
भावार्थ:-श्री रामजी के पवित्र और शोक को नाश करने वाले चरणों का स्पर्श पाते ही सचमुच वह तपोमूर्ति अहल्या प्रकट हो गई। भक्तों को सुख देने वाले श्री रघुनाथजी को देखकर वह हाथ जोड़कर सामने खड़ी रह गई। अत्यन्त प्रेम के कारण वह अधीर हो गई। उसका शरीर पुलकित हो उठा, मुख से वचन कहने में नहीं आते थे। वह अत्यन्त बड़भागिनी अहल्या प्रभु के चरणों से लिपट गई और उसके दोनों नेत्रों से जल (प्रेम और आनंद के आँसुओं) की धारा बहने लगी॥
*धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ चीन्हा रघुपति कृपाँ भगति पाई।
अति निर्मल बानी अस्तुति ठानी ग्यानगम्य जय रघुराई॥
मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जन सुखदाई।
राजीव बिलोचन भव भय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई॥
भावार्थ:-फिर उसने मन में धीरज धरकर प्रभु को पहचाना और श्री रघुनाथजी की कृपा से भक्ति प्राप्त की। तब अत्यन्त निर्मल वाणी से उसने (इस प्रकार) स्तुति प्रारंभ की- हे ज्ञान से जानने योग्य श्री रघुनाथजी! आपकी जय हो! मैं (सहज ही) अपवित्र स्त्री हूँ, और हे प्रभो! आप जगत को पवित्र करने वाले, भक्तों को सुख देने वाले और रावण के शत्रु हैं। हे कमलनयन! हे संसार (जन्म-मृत्यु) के भय से छुड़ाने वाले! मैं आपकी शरण आई हूँ, (मेरी) रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए॥
*मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना।
देखेउँ भरि लोचन हरि भव मोचन इहइ लाभ संकर जाना॥
बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना।
पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना॥
भावार्थ:-मुनि ने जो मुझे शाप दिया, सो बहुत ही अच्छा किया। मैं उसे अत्यन्त अनुग्रह (करके) मानती हूँ कि जिसके कारण मैंने संसार से छुड़ाने वाले श्री हरि (आप) को नेत्र भरकर देखा। इसी (आपके दर्शन) को शंकरजी सबसे बड़ा लाभ समझते हैं। हे प्रभो! मैं बुद्धि की बड़ी भोली हूँ, मेरी एक विनती है। हे नाथ ! मैं और कोई वर नहीं माँगती, केवल यही चाहती हूँ कि मेरा मन रूपी भौंरा आपके चरण-कमल की रज के प्रेमरूपी रस का सदा पान करता रहे॥
*जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥
एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि चरन परी।
जो अति मन भावा सो बरु पावा गै पति लोक अनंद भरी॥
भावार्थ:-जिन चरणों से परमपवित्र देवनदी गंगाजी प्रकट हुईं, जिन्हें शिवजी ने सिर पर धारण किया और जिन चरणकमलों को ब्रह्माजी पूजते हैं, कृपालु हरि (आप) ने उन्हीं को मेरे सिर पर रखा। इस प्रकार (स्तुति करती हुई) बार-बार भगवान के चरणों में गिरकर, जो मन को बहुत ही अच्छा लगा, उस वर को पाकर गौतम की स्त्री अहल्या आनंद में भरी हुई पतिलोक को चली गई॥
*अस प्रभु दीनबंधु हरि कारन रहित दयाल।
तुलसिदास सठ तेहि भजु छाड़ि कपट जंजाल॥
भावार्थ:-प्रभु श्री रामचन्द्रजी ऐसे दीनबंधु और बिना ही कारण दया करने वाले हैं। तुलसीदासजी कहते हैं, हे शठ (मन)! तू कपट-जंजाल छोड़कर उन्हीं का भजन कर॥
माँ केवल माँ हे और माँ जेसा कोई और हे नही
माँ से नाल से जुड़ा हुआ जीव और उसका जन्म संस्कार
👉🌹में जितना लिख सका मेरी गुरु माँ का आशीर्वाद और जो न लिख सका वो मेरी न्यूनता हे जी डॉक्टर आर , के यादव 🙏
माँ और माँ >> सब देवता माँ के स्नेह लेने ही माँ की कोख से जन्म लिए कहते हे भगवन की माँ की ममता मेरी सब सकती से भी ज्यादा बड़ा आशीर्वाद हे जीव के जीवन में
एक माँ का दूध अमृत ही होता हे जो में जीव को नही दे पाता मात पिता के बिना
जितना लिखा जाए कम हे और जितना कहा जाए वो न्यूनतम हे और ऐसी कोई शास्त्र नही जो माँ की महिमा का बखान कर सके
माँ केवल माँ हे और माँ जेसा कोई और हे नही
प्रथम गुरु माँ ही होती हे
इस को यु जाने
श्री गणेश गजानन जी ने मात पिता की परिक्रमा कर ही संसार को बता दिया की मात पिता का जीवन में क्या महत्व हे
श्री परशु राम जी ने मात पिता की भक्ति का अनुकरणीय इतिहास कम हे मेरा लेख
श्री राम भगवान हम और आप जानते हे मात पिता की भक्ति कैसे की भगवान ने
श्री कृष्ण भगवन ने मात पिता की भक्ति का संसार को ज्ञान दिया हे अनुपम कृपा पूर्ण
श्री युधिस्टर और सभी पांडव भाइयो द्वारा मात पिता का जितना आदर संसार प्रसिध हे
श्री भीष्म पितामह द्वारा मात पिता को स्मान्न्न आज भी अमर हे
श्री विवेकानंद जी का मात पिता को स्नेह विस्व प्रसिध हे
और भी देवता और मनुष्यो के द्वारा मात पिता की भक्ति के अनुकरणीय भाव आज भी हे हमारे हर शास्त्र और पुराण में कोई ग्रन्थ और कोई संसार की विद्या मात पिता के आशीर्वाद के बिना पूर्ण होती हे मेरी जानकारी में नही हे
मात पिता का आदर करना मात्र ही सर्वप्रथम पूजा हे और जिस हृदय में मात पिता के प्रति आदर और करुणा और विन्रमता के भाव हे वो व्यक्ति किसी भी कार्य में सफलता अवसये प्राप्त करता हे और भगवान कृपा उस के भाग्ये वृद्धि में चार चाँद लगा देती हे
में जितना लिख सका मेरी गुरु माँ का आशीर्वाद और जो न लिख सका वो मेरी न्यूनता ही है
डॉक्टर आरके यादव वर्चस्व क्लास एटा
राष्ट्रीय सर्व शिक्षा उत्तम केंद्र द्वारा चलाई गई योजना में वर्चस्व क्लास की एमडी साधना सिंह अतिथियों का सम्मान व स्वागत करते हुए
वर्चस्व क्लास आगरा रोड ने अपना कीर्तिमान स्थापित करते हुए अपनी दूसरी शाखा आशीष कंपलेक्स में स्थापित की है जिसका शुभारंभ माननीय एसडीएम सदर अबुल कलाम और एटा के पूर्व चेयरमैन राकेश गांधी अनिल यादव प्रधान जी और ओमबीर यादव जिला पंचायत सदस्य के के कर कमलों के द्वारा होता हुआ
आज बसंत पंचमी हे दर्शन करते है मां सरस्वती के।
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ,
अज्ञानता से हमें तार दे माँ
तू स्वर की देवी ये संगीत तुझ से,
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझ से,
हम है अकेले, हम है अधूरे,
तेरी शरण हम हमें प्यार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ...
मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने,
विद्या का हमको अधिकार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ...
तू श्वेत वर्णी कमल पे विराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साझे,
मन से हमारे मिटाके अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ...आज
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
अल्बर्ट आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले भारत के महान गणितज्ञ - *पद्मश्री वशिष्ठ नारायण सिंह जी (मरणोपरांत)*
महामहीम ने देश की विभिन्न हस्तियों को अनेक पदकों से सम्मनित किया ऐसे ही आज एक ऐसे व्यक्ति को पद्मश्री से सम्मानित किया गया जिसके आगे अमेरिकी अंरिक्ष एजेंसी NASA भी नतमस्तक हो गयी थी। लेकिन उसी व्यक्ति को भारत में गुमनामी की जिंदगी जीते हुए इस दुनिया से विदा होना पड़ा।
हम बात कर रहे है प्रख्यात गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह की ,अलबर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की योग्यता का डंका देश-दुनिया में बजा। भोजपुर जिले के वसंतपुर गांव से शुरू हुआ सफर नासा तक पहुंचा, लेकिन युवावस्था में ही वे स्कित्जोफ्रेनिया (भूलने की बीमारी) से ग्रसित हो गए। दो दशक से वे गुमनामी में जी रहे थे।
वशिष्ठ ने आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत E=MC2 को चैलेंज किया था। साथ ही, गौस की थ्योरी पर भी सवाल उठाए थे। यहीं से उनकी प्रतिभा का लोहा दुनिया ने मानना शुरू किया था।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने प्रतिभा को पहचाना
डॉ. वशिष्ठ ने नेतरहाट विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। वह संयुक्त बिहार में टॉपर रहे थे। वशिष्ठ जब पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, जब बीएससी प्रथम वर्ष मेथे तो पटना विश्वविद्यालय का संविधान संसोधन करके उन्हें बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा दिलाई गयी। उसी समय कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1965 में वशिष्ठ को अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बने। इसी दौरान उन्होंने नासा में भी काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए। उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और आईएसआई कोलकाता में काम किया।
मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे वशिष्ठ नारायण
डॉ. वशिष्ठ 44 साल से स्कित्जोफ्रेनिया (भूलने की बीमारी) से जूझ रहे थे। जब वे नासा में काम करते थे, तब अपोलो (अंतरिक्ष यान) की लॉन्चिंग से पहले 31 कम्प्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए। इस दौरान उन्होंने कागज पर ही कैलकुलेशन करना शुरू कर दिया। जब कम्प्यूटर ठीक हुए तो उनका और कम्प्यूटर्स का कैलकुलेशन बराबर था।
शादी के बाद बीमारी के बारे में चला पता
1973 में वशिष्ठ नारायण की शादी वंदना रानी सिंह से हुई थी। तब उनके असामान्य व्यवहार के बारे में लोगों को पता चला। छोटी-छोटी बातों पर काफी गुस्सा करना, कमरा बंद कर दिनभर पढ़ते रहना, रातभर जागना, उनके व्यवहार में शामिल था। इसी बर्ताव के चलते उनकी पत्नी ने जल्द ही उनसे तलाक ले लिया। 1974 में उन्हें पहला दिल का दौरा पड़ा था। 1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव लौट गए थे।
1989 में हो गए गायब
अगस्त 1989 को रांची में इलाज कराकर उनके भाई उन्हें बेंगलुरु ले जा रहे थे। रास्ते में खंडवा स्टेशन पर उतर गए और भीड़ में कहीं खो गए। करीब 5 साल तक गुमनाम रहने के बाद उनके गांव के लोगों को वे छपरा में मिले। इसके बाद राज्य सरकार ने उनकी सुध ली। उन्हें विमहांस बेंगलुरु इलाज के लिए भेजा गया। जहां मार्च 1993 से जून 1997 तक इलाज चला। इसके बाद से वे गांव में ही रह रहे थे।
तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शत्रुध्न सिन्हा ने इस बीच उनकी सुध ली थी। स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्हे 4 सितंबर 2002 को मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। करीब एक साल दो महीने उनका इलाज चला। स्वास्थ्य में लाभ देखते हुए उन्हें यहां से छुट्टी दे दी गई था।
फिलहाल जीते जी वशिष्ष्ठ नारायण सिंह को सम्मान जीते जी मिलना चाहिए था वो न तो देश की सरकार ने दिया और न ही इस समाज ने मुफलिसी की जिंदगी जीते हुए वशिष्ठ नारायण एक सन्देश भी देते गए की इस महान देश में प्रतिभाओ की कोई कद्र नहीं है ,हलांकि वर्तमान की सरकार ने पदम्श्री दे कर वशिष्ठ नारायण सिंह को उचित श्रद्धांजलि देने की कोशिश की है।
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