Pankaj Bansal We-Listen

Equality in Oppotunities

Photos from Pankaj Bansal We-Listen's post 18/03/2024

ओ, रंगरेज़, तेरे रंग दरिया में, डूबना है बस तेरा बन के,
नहीं रहना दूजा बन के,एक भी साँस अलग नहीं लेनी
खेंच लेना प्राण इस तन के, नहीं रहना दूजा बन के ❤️
Jai Shri Radhe-krishna 🌹

08/03/2024
14/07/2022

What a proud moment for India!

At 94 years of age, she is an inspiration to one & all!

Big Congrats to Bhagwani Devi Dagar ji for her stunning performance in the world Master athletics Championships and securing 1 Gold medal and 2 Bronze medals for India.

28/06/2022

सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
उठकर पानी तक ना पीने वाले...!
आज अपने कपड़े खुद धो लेते हैं,वह जो कल तक घर के लाडले थे आज अकेले में रोते हैं !
सिर्फ #बेटियां ही नहीं #बेटे भी पराए होते हैं।

पापा के डांटने पर मम्मी को शिकायत लगाने वाले अब जमाने के नखरे सहते हैं !
खाने में सौ नखरे करने वाले अब कुछ भी खा लेते हैं।
मम्मी के बाजू पर सर रखकर सोने वाले अब बगैर बिस्तर के ही सो लेते हैं !

बहन को छोटी-छोटी बात पर तंग करने वाले अब बहन को याद करके रोते हैं
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं !

यह उन बेटों के लिए जो घर की जिम्मेदारियों की वजह से घर से दूर रहते हैं और वह मजबूत बनते रहते हैं जमाने के सामने।
सिर्फ बेटियां ही नहीं साहब बेटे भी घर छोड़ जाते हैं😥😥

22/06/2022

यह दुर्गा भाभी हैं, वही दुर्गा भाभी जिन्होंने साण्डर्स वध के बाद राजगुरू और भगतसिंह को लाहौर से अंग्रेजो की नाक के नीचे से निकालकर कोलकत्ता ले गयी. इनके पति क्रन्तिकारी भगवती चरण वर्मा थे. ये भी कहा जाता है कि चंद्रशेखर आजाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वो भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था.

14अक्टूबर 1999 में वो इस दुनिया से गुमनाम ही विदा हो गयी कुछ एक दो अखबारों ने उनके बारे में छापा बस.

आज आज़ादी के इतने साल के बाद भी न तो उस विरांगना को इतिहास के पन्नों में वो जगह मिली जिसकी वो हकदार थीं और न ही वो किसी को याद रही चाहे वो सरकार हो या जनता.

एक स्मारक का नाम तक उनके नाम पर नही है कहीं कोई मूर्ति नहीं है उनकी. सरकार तो भूली ही जनता भी भूल गयी,

ऐसी वीर वीरांगनाओं को हम शत शत नमन करते है 🙏
और भविष्य मे ऐसे तमाम वीरों को सम्मान दिलाने के लिये प्रयासरत रहें ... Saabhar Facebook

22/06/2022

94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने पर किराए के मकान से निकाल दिया। बूढ़े के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी, और उन्होंने मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए कुछ समय देने के लिए मना लिया। मकान मालिक ने अनिच्छा से ही उसे किराया देने के लिए कुछ समय दिया।
बूढ़ा अपना सामान अंदर ले गया।

रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया, ”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।”
फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं।

पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकार से पूछा, कि क्या वह उस बूढ़े आदमी को जानता है?
पत्रकार ने कहा, नहीं।

अगले दिन अखबार के पहले पन्ने पर बड़ी खबर छपी। शीर्षक था, *”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा एक दयनीय जीवन जी रहे हैं”।* खबर में आगे लिखा था कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री किराया नहीं दे पा रहे थे और कैसे उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था।
टिप्पणी की थी कि आजकल फ्रेशर भी खूब पैसा कमा लेते हैं। जबकि एक व्यक्ति जो दो बार पूर्व प्रधान मंत्री रह चुका है और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री भी रहा है, उसके पास अपना ख़ुद का घर भी नहीं??

दरअसल गुलजारीलाल नंदा को वह स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण रु. 500/- प्रति माह भत्ता मिलता था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस पैसे को अस्वीकार किया था, कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के भत्ते के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं लड़ी। बाद में दोस्तों ने उसे यह स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया यह कहते हुए कि उनके पास जीवन यापन का अन्य कोई स्रोत नहीं है। इसी पैसों से वह अपना किराया देकर गुजारा करते थे।

अगले दिन तत्कालीन प्रधान मंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को वाहनों के बेड़े के साथ उनके घर भेजा। इतने वीआइपी वाहनों के बेड़े को देखकर मकान मालिक दंग रह गया। तब जाकर उसे पता चला कि उसका किराएदार, श्री गुलजारीलाल नंदा, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री थे।
मकान मालिक अपने दुर्व्यवहार के लिए तुरंत गुलजारीलाल नंदा के चरणों में झुक गया।

अधिकारियों और वीआईपीयों ने गुलजारीलाल नंदा से सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं को स्वीकार करने का अनुरोध किया। श्री गुलजारीलाल नंदा ने इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या काम, यह कह कर उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
अंतिम श्वास तक वे एक सामान्य नागरिक की तरह, एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी बन कर ही रहे। 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व एच डी देवगौड़ा के मिलेजुले प्रयासो से उन्हें "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया।

*जरा उनके जीवन की तुलना वर्तमानकाल के किसी मंत्री तो क्या , किसी पार्षद परिवार से ही कर लें !!*


सादर नमन्।। कॉपी

20/06/2022

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।
उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।
रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है
वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है
शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !
तस्वीर -सांकेतिक
प्रेरक कहानी साभार-

18/06/2022

भूख उम्र नहीं देखती साहब 😭😭😭
दोस्तों इस उम्र में भी कोई काम करता दिखाई दे तो उनके पास रुके और उनसे बात करें अक्सर ऐसे लोगों का कोई अपना नहीं होता है और जब हम अपनापन दिखाते हैं तो यह बहुत प्रसन्न होते हैं जब भी मिलो तो इनकी खुद्दारी को नमन करना और इनसे जरूर कुछ ना कुछ लेना ऐसे लोग बस दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत करते हैं,😭😭😭 दोस्तों भूख उम्र नहीं देखते..!

11/06/2022

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं किसानों के लोकप्रिय नेता स्वर्गीय श्री राजेश पायलट जी की पुण्यतिथि पर उन्हें मेरा कोटि-कोटि नमन।

Photos from Pankaj Bansal We-Listen's post 10/06/2022

Bheeshan Garmi ke mahaul me sathiyo ke sath logon ko thanda pani pilane me & pine me atyant aanand ka anubhav hua ... Dhanya hai Hindustan ki sabhyta & prampara 🌹🌹🌹🙏🙏🙏

09/06/2022

अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची! सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा, मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे! इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी! लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे! उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है! अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूँ! मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है!

सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है और उसी भाषण से एक थ्योरी निकली 'Dignity of Labour (श्रम का महत्व)' और इसका ये असर हुआ की जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया जैसे कि - कोब्लर, शूमेंकर, बुचर, टेलर, स्मिथ, कारपेंटर, पॉटर आदि..!

अमरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है इसीलिए वो दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति है। वहीं भारत में जो श्रम करता है उसका कोई सम्मान नहीं है वो छोटी जाति का है नीच है। यहाँ जो बिलकुल भी श्रम नहीं करता वो ऊंचा है। जो यहाँ सफाई करता है, उसे हेय (नीच) समझते हैं और जो गंदगी करता है उसे ऊँचा समझते हैं। ऐसी गलत मानसिकता के साथ हम दुनिया के नंबर एक देश बनने का सपना सिर्फ देख सकते है, लेकिन उसे पूरा नहीं कर सकते। जब तक कि हम श्रम को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखेंगे।जातिवाद और ऊँच नीच का भेदभाव किसी भी राष्ट्र निर्माण के लिए बहुत बड़ी बाधा है।।
कर्म ही इंसान को महान बनाता है।

साभार

07/06/2022

एक होटल में एक आदमी दाल रोटी खा रहा था। अच्छे परिवार का बुज़ुर्ग था। खाने के बाद जब bill देने की बारी आई तो वो बोला की उसका बटुआ घर रह गया है, और वो थोड़ी देर में आकर bill चूका जायेगा।

काउंटर पर बैठे सरदार ने कहा "कोई बात नहीं, जब पैसे आ जाएं तो दे जाना" और वो वहां से चला गया।

Waiter ने जब ये देखा तो उसने काउंटर पे बैठे सरदार को बताया कि ये आदमी पहले भी दो तीन hotels में ऐसा कर चुका है, और ये पैसे कभी नहीं भरेगा।

इसपर Hotel के मालिक ने कहा " वो सिर्फ दाल रोटी खाकर गया है, कोई बटर चिकन या कोफ्ते पनीर खाकर नहीं गया। उसने अय्याशी करने के लिए नहीं, सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए खाना खाया है। वो इसे एक होटल नहीं गुरुद्वारा समझकर आया था, और हम सिख लोग लंगर के पैसे नहीं लेते और न ही किसी भी सनातन धर्म के भंडारे में भी नही लिया जाता।

ऐसा है हमारा सनातन धर्म

धन्य है ऐसी विचारधारा 🙏
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30/05/2022

Well done Mehak...
Faridabad's Mehak Jain ranks 17th in
Congratulations

28/05/2022

I pay homage to Sh. Vijay kumar Pathik ji who devoted his life for the right of farmers & lead the Begu Bijolia aandolan against British govt. in India 🇮🇳🙏

28/05/2022

महान क्रांतिकारी व समर्पित समाज सुधारक विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती पर शत - शत नमन

26/05/2022

घबरा जाना, आधी लड़ाई हारने के समान है, घबराने से आपकी मानसिक ऊर्जा बिना किसी उद्देश्य के नष्ट हो जाती है।
🌻 🌻

26/05/2022

एक_पागल_भिखारी

जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने के लिए छोड़ दे ।

क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर।

मराठी भाषा से हिन्दी ट्रांसलेशन की गई ये सच्ची कथा है ।

जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा।समय निकालकर अवश्य पढ़ें।
👇
हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था। स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े थे।

अनायाश सहज ही मेरा ध्यान गया एक बुजुर्ग की तरफ गया, जो करीब ही एक पत्थर पर बैठे हुए थे। सीधी नाक, घुँघराले बाल, निस्तेज आँखे, जिस्म पर सादे, लेकिन साफ सुथरे कपड़े।
कुछ देर तक उन्हें देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि, वो भिखारी नहीं हैं। उनका दाँया पैर टखने के पास से कटा हुआ था, और करीब ही उनकी बैसाखी रखी थी।

फिर मैंने देखा कि,आते जाते लोग उन्हें भी कुछ दे रहे थे और वे लेकर रख लेते थे। मैंने सोचा ! कि मेरा ही अंदाज गलत था, वो बुजुर्ग भिखारी ही हैं।

उत्सुकतावश मैं उनकी तरफ बढ़ा तो कुछ लोगों ने मुझे आवाज लगाई :
"उसके करीब ना जाएँ डॉक्टर साहब,
वो बूढा तो पागल है । "

लेकिन मैं उन आवाजों को नजरअंदाज करता, मैं उनके पास गया। सोचा कि, जैसे दूसरों के सामने वे अपना हाथ फैला रहे थे, वैसे ही मेरे सामने भी हाथ करेंगे, लेकिन मेरा अंदाज फिर चूक गया। उन्होंने मेरे सामने हाथ नहीं फैलाया।

मैं उनसे बोला : "बाबा, आपको भी कोई शारीरिक परेशानी है क्या ? "

मेरे पूछने पर वे अपनी बैसाखी के सहारे धीरे से उठते हुए बोले : "Good afternoon doctor...... I think I may have some eye problem in my right eye .... "

इतनी बढ़िया अंग्रेजी सुन मैं अवाक रह गया। फिर मैंने उनकी आँखें देखीं।
पका हुआ मोतियाबिंद था उनकी ऑखों में ।
मैंने कहा : " मोतियाबिंद है बाबा, ऑपरेशन करना होगा। "

बुजुर्ग बोले : "Oh, cataract ?
I had cataract operation in 2014 for my left eye in Ruby Hospital."

मैंने पूछा : " बाबा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं ? "

बुजुर्ग : " मैं तो यहाँ, रोज ही 2 घंटे भीख माँगता हूँ सर" ।

मैं : " ठीक है, लेकिन क्यों बाबा ? मुझे तो लगता है, आप बहुत पढ़े लिखे हैं। "

बुजुर्ग हँसे और हँसते हुए ही बोले : "पढ़े लिखे ?? "

मैंने कहा : "आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं, बाबा। "

बाबा : " Oh no doc... Why would I ?... Sorry if I hurt you ! "

मैं : " हर्ट की बात नहीं है बाबा, लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। "

बुजुर्ग : " समझकर भी, क्या करोगे डॉक्टर ? "
अच्छा "ओके, चलो हम, उधर बैठते हैं, वरना लोग तुम्हें भी पागल हो कहेंगे। "(और फिर बुजुर्ग हँसने लगे)

करीब ही एक वीरान टपरी थी। हम दोनों वहीं जाकर बैठ गए।

" Well Doctor, I am Mechanical Engineer...."--- बुजुर्ग ने अंग्रेजी में ही शुरुआत की--- "
मैं, * कंपनी में सीनियर मशीन ऑपरेटर था।
एक नए ऑपरेटर को सिखाते हुए, मेरा पैर मशीन में फंस गया था, और ये बैसाखी हाथ में आ गई। कंपनी ने इलाज का सारा खर्चा किया, और बाद में कुछ रकम और सौंपी, और घर पर बैठा दिया। क्योंकि लंगड़े बैल को कौन काम पर रखता है सर ? "
"फिर मैंने उस पैसे से अपना ही एक छोटा सा वर्कशॉप डाला। अच्छा घर लिया। बेटा भी मैकेनिकल इंजीनियर है। वर्कशॉप को आगे बढ़ाकर उसने एक छोटी कम्पनी और डाली। "

मैं चकराया, बोला : " बाबा, तो फिर आप यहाँ, इस हालत में कैसे ? "

बुजुर्ग : " मैं...?
किस्मत का शिकार हूँ ...."
" बेटे ने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए, कम्पनी और घर दोनों बेच दिए। बेटे की तरक्की के लिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। सब कुछ बेच बाचकर वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जापान चला गया, और हम जापानी गुड्डे गुड़िया यहाँ रह गए। "
ऐसा कहकर बाबा हँसने लगे। हँसना भी इतना करुण हो सकता है, ये मैंने पहली बार अनुभव किया।

फिर बोला : " लेकिन बाबा, आपके पास तो इतना हुनर है कि जहाँ लात मारें वहाँ पानी निकाल दें। "

अपने कटे हुए पैर की ओर ताकते बुजुर्ग बोले : " लात ? कहाँ और कैसे मारूँ, बताओ मुझे ? "

बाबा की बात सुन मैं खुद भी शर्मिंदा हो गया। मुझे खुद बहुत बुरा लगा।

प्रत्यक्षतः मैं बोला : "आई मीन बाबा, आज भी आपको कोई भी नौकरी दे देगा, क्योंकि अपने क्षेत्र में आपको इतने सालों का अनुभव जो है। "

बुजुर्ग : " Yes doctor, और इसी वजह से मैं एक वर्कशॉप में काम करता हूँ। 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है मुझे। "

मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं बोला :
"तो फिर आप यहाँ कैसे ? "
बुजुर्ग : "डॉक्टर, बेटे के जाने के बाद मैंने एक चॉल में एक टीन की छत वाला घर किराए पर लिया। वहाँ मैं और मेरी पत्नी रहते हैं। उसे Paralysis है, उठ बैठ भी नहीं सकती। "
" मैं 10 से 5 नौकरी करता हूँ । शाम 5 से 7 इधर भीख माँगता हूँ और फिर घर जाकर तीनों के लिए खाना बनाता हूँ। "

आश्चर्य से मैंने पूछा : " बाबा, अभी तो आपने बताया कि, घर में आप और आपकी पत्नी हैं। फिर ऐसा क्यों कहा कि, तीनों के लिए खाना बनाते हो ? "

बुजुर्ग : " डॉक्टर, मेरे बचपन में ही मेरी माँ का स्वर्गवास हो गया था। मेरा एक जिगरी दोस्त था, उसकी माँ ने अपने बेटे जैसे ही मुझे भी पाला पोसा। दो साल पहले मेरे उस जिगरी दोस्त का निधन हार्ट अटैक से हो गया तो उसकी 92 साल की माँ को मैं अपने साथ अपने घर ले आया तब से वो भी हमारे साथ ही रहती है। "

मैं अवाक रह गया। इन बाबा का तो खुद का भी हाल बुरा है। पत्नी अपंग है। खुद का एक पाँव नहीं, घरबार भी नहीं,
जो था वो बेटा बेचकर चला गया, और ये आज भी अपने मित्र की माँ की देखभाल करते हैं।
कैसे जीवट इंसान हैं ये ?

कुछ देर बाद मैंने समान्य स्वर में पूछा : " बाबा, बेटा आपको रास्ते पर ले आया, ठोकरें खाने को छोड़ गया। आपको गुस्सा नहीं आता उस पर ? "

बुजुर्ग : " No no डॉक्टर, अरे वो सब तो उसी के लिए कमाया था, जो उसी का था, उसने ले लिया। इसमें उसकी गलती कहाँ है ? "

" लेकिन बाबा "--- मैं बोला "लेने का ये कौन सा तरीका हुआ भला ? सब कुछ ले लिया। ये तो लूट हुई। "
" अब आपके यहाँ भीख माँगने का कारण भी मेरी समझ में आ गया है बाबा। आपकी तनख्वाह के 8000 रुपयों में आप तीनों का गुजारा नहीं हो पाता अतः इसीलिए आप यहाँ आते हो। "

बुजुर्ग : " No, you are wrong doctor. 8000 रुपए में मैं सब कुछ मैनेज कर लेता हूँ। लेकिन मेरे मित्र की जो माँ है, उन्हें, डाइबिटीज और ब्लडप्रेशर दोनों हैं। दोनों बीमारियों की दवाई चल रही है उनकी। बस 8000 रुपए में उनकी दवाईयां मैनेज नहीं हो पाती । "
" मैं 2 घंटे यहाँ बैठता हूँ लेकिन भीख में पैसों के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करता। मेडिकल स्टोर वाला उनकी महीने भर की दवाएँ मुझे उधार दे देता है और यहाँ 2 घंटों में जो भी पैसे मुझे मिलते हैं वो मैं रोज मेडिकल स्टोर वाले को दे देता हूँ। "

मैंने अपलक उन्हें देखा और सोचा, इन बाबा का खुद का बेटा इन्हें छोड़कर चला गया है और ये खुद किसी और की माँ की देखभाल कर रहे हैं।
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन खुद की आँखें भर आने से नहीं रोक पाया।

भरे गले से मैंने फिर कहा : "बाबा, किसी दूसरे की माँ के लिए, आप, यहाँ रोज भीख माँगने आते हो ? "

बुजुर्ग : " दूसरे की ? अरे, मेरे बचपन में उन्होंने बहुत कुछ किया मेरे लिए। अब मेरी बारी है। मैंने उन दोनों से कह रखा है कि, 5 से 7 मुझे एक काम और मिला है। "

मैं मुस्कुराया और बोला : " और अगर उन्हें पता लग गया कि, 5 से 7 आप यहाँ भीख माँगते हो, तो ? "

बुजुर्ग : " अरे कैसे पता लगेगा ? दोनों तो बिस्तर पर हैं। मेरी हेल्प के बिना वे करवट तक नहीं बदल पातीं। यहाँ कहाँ पता करने आएँगी.... हा....हा... हा...."

बाबा की बात पर मुझे भी हँसी आई। लेकिन मैं उसे छिपा गया और बोला : " बाबा, अगर मैं आपकी माँ जी को अपनी तरफ से नियमित दवाएँ दूँ तो ठीक रहेगा ना। फिर आपको भीख भी नहीं मांगनी पड़ेगी। "

बुजुर्ग : " No doctor, आप भिखारियों के लिए काम करते हैं। माजी के लिए आप दवाएँ देंगे तो माजी भी तो भिखारी कहलाएंगी। मैं अभी समर्थ हूँ डॉक्टर, उनका बेटा हूँ मैं। मुझे कोई भिखारी कहे तो चलेगा, लेकिन उन्हें भिखारी कहलवाना मुझे मंजूर नहीं। "
" OK Doctor, अब मैं चलता हूँ। घर पहुँचकर अभी खाना भी बनाना है मुझे। "

मैंने निवेदन स्वरूप बाबा का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला : " बाबा, भिखारियों का डॉक्टर समझकर नहीं बल्कि अपना बेटा समझकर मेरी दादी के लिए दवाएँ स्वीकार कर लीजिए। "

अपना हाथ छुड़ाकर बाबा बोले : " डॉक्टर, अब इस रिश्ते में मुझे मत बांधो, please, एक गया है, हमें छोड़कर...."
" आज मुझे स्वप्न दिखाकर, कल तुम भी मुझे छोड़ गए तो ? अब सहन करने की मेरी ताकत नहीं रही...."

ऐसा कहकर बाबा ने अपनी बैसाखी सम्हाली। और जाने लगे, और जाते हुए अपना एक हाथ मेरे सिर पर रखा और भर भराई, ममता मयी आवाज में बोले : "अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे..."

शब्दों से तो उन्होंने मेरे द्वारा पेश किए गए रिश्ते को ठुकरा दिया था लेकिन मेरे सिर पर रखे उनके हाथ के गर्म स्पर्श ने मुझे बताया कि, मन से उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकारा था।

उस पागल कहे जाने वाले मनुष्य के पीठ फेरते ही मेरे हाथ अपने आप प्रणाम की मुद्रा में उनके लिए जुड़ गए।

*हमसे भी अधिक दुःखी, अधिक विपरीत परिस्थितियों में* *जीने वाले ऐसे भी लोग हैं।*
*हो सकता है इन्हें देख हमें* *हमारे दु:ख कम प्रतीत हों, और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बदले....*

हमेशा अच्छा सोचें, हालात का सामना करे...

कहानी से कुछ प्रेरणा मिले तो जीव मात्र पर दया करना ओर परोपकार की भावना बच्चों में जरूर दें।

24/05/2022

बाबा मोहन राम, काली खोली धाम मिलकपुर, भिवाड़ी में बाबा के आशीर्वाद से पानी का प्याऊ लगवाने का सौभाग्य मिला, सभी आते जाते हुए श्रद्धालुओं व यात्रियों को जब इसका लाभ मिलते देखा तो मन को बहुत ही शांति मिली और सुखद अनुभूति हुई.....

23/05/2022

I assured that you will check closely this image and think about it

19/05/2022

Equality in opportunities to everyone....

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PEHEL with khushboo PEHEL with khushboo
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Team Chandan Gaur Team Chandan Gaur
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Faridabad, 121005