Rahul nigam
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भावनाओं में बहकर व्यक्ति मानसिक गुलाम बनता है ।
हमें मूर्तियों पर नहीं विचारों पर ध्यान देना था ! भक्त नहीं अनुयाई बनना था ।।
लगभग सबकुछ नॉर्मल होने के बाद भी शिक्षा को सुचारू नहीं किया गया है,
क्योंकि शिक्षा ही सवाल उठाती है, इसलिये इसे खत्म करना ही इनका उद्देश्य है ।
ये कैसा रक्षाबंधन..?
जहाँ दुनियाँ में सबसे ज्यादा बलात्कार होते हैं वहाँ हर साल रक्षा की गारंटी ली जाती है ।
धर्मों का निर्माण ही साजिशों के तहत हुआ है, इसके माध्यम से लोगों का शोषण बहुत ही सरल तरीके से किया जा सकता है ।
अंग्रेजों के जाने का जश्न मनाने वाले जरा 2 मिनट का ध्यान दें,
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अंग्रेज शूद्र/अतिशूद्र के लिए भगवान थे !!
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अंग्रेजों ने भारत पर 150 वर्षों तक राज किया ब्राह्मणों ने उनको भगाने का हथियार बन्द आंदोलन क्यों चलाया? जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम शासक मीर काशीम ने 712 ई. में किया, उसके बाद महमूद गजनबी, मोहमंद गौरी, चन्गेज खांन ने हमला किया और फिर कुतुबदीन एबक, गुलामवंश, तुगलकवंश, खिलजीवंश, लोदीवंश फिर मुगल आदि वन्शो ने भारत पर राज किया । लेकिन ब्राह्मण ने कोई क्रांति या आंदोलन नही चलाया ? फिर अन्ग्रेजो के खिलाफ़ ही अंग्रेज भगाओ आंदोलन क्यों चलाया ???
*जानिए अंग्रेजो की भगाने की अशल वजह .....*
1- अंग्रेजो ने 1795 में अधिनयम 11 द्वारा शूद्रों को भी *सम्पत्ति* रखने का कानून बनाया।
2- 1773 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने *रेगुलेटिग एक्ट* पास किया जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित थी, ।6 मई 1775 को इसी कानून द्वारा बंगाल के सामन्त ब्राह्मण नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी ।
3- 1804 अधिनीयम 3 द्वारा *कन्या हत्या* पर रोक, अंग्रेजों ने लगाई (लडकियों के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, माँ के स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर, एवम् गढ्ढा बनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा जाता था ।
4- 1813 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर *शिक्षा ग्रहण* करने का सभी जातियों और धर्मों के लोगों को अधिकार दिया।
5- 1813 में *दास प्रथा* का अंत कानून बनाकर किया।
6- 1817 में *समान नागरिक संहिता* कानून बनाया, 1817 के पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार पर था। ब्राह्मण को कोई सजा नही होती थी और शुद्र को कठोर दंड दिया जाता था, अंग्रेजो ने सजा का प्रावधान समान कर दिया।
7- 1819 में अधि- नियम नम्बर 7 द्वारा ब्राह्मणों द्वारा *शूद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण* पर रोक लगाई। (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी)
8- 1830 *नरबलि प्रथा* पर रोक - (देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण शुद्रों, स्त्री व् पुरुष दोनों को मन्दिर में सिर पटक पटक कर चढ़ा देता था। )
9- 1833 अधिनियम 87 द्वारा *सरकारी सेवा में भेद भाव पर रोक* अर्थात योग्यता ही सेवा का आधार स्वीकार किया गया तथा कम्पनी के अधीन किसी भारतीय नागरिक को जन्म स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर पद से वंचित नही रखा जा सकता है।
10- 1834 में पहला *भारतीय विधि आयोग* का गठन हुआ । कानून बनाने की व्यवस्था जाति, वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था।
11- *1835 प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक !* (ब्राह्मणों ने नियम बनाया की शुद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा हो तो उसे गंगा में फेंक देना चाहिये।
पहला पुत्र ह्रष्ट-पृष्ट एवं स्वस्थ पैदा होता है, यह बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न पाए इसलिए पैदा होते ही गंगा को दान करवा देते थे)
12- 7 मार्च 1835 को लार्ड मैकाले ने *शिक्षा नीति राज्य का विषय* कानून बनाया और उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा का माध्यम बनाया गया, (और आज ये ब्रह्मणवादी कोंग्रेस बीजेपी की सरकारों ने शिक्षा का निजीकरण करके वापस आम लोगों से शिक्षा का अधिकार छीन लिया है)
13- 1835 को कानून बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
14- दिसम्बर 1829 के नियम 17 द्वारा विधवाओं को जलाना अवैध घोषित कर *सती प्रथा* का अंत किया।
15- *देवदासी प्रथा* पर रोक लगाई। ब्राह्मणों के कहने से शुद्र अपनी लडकियों को मन्दिर की सेवा के लिए दान देते थे। मन्दिर के पुजारी उनका शारीरिक शोषण करते थे। बच्चा पैदा होने पर उसे फेंक देते थे। और उस बच्चे को हरिजन नाम देते थे।
1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी जिसमें 2 लाख देवदासियां मन्दिरों में पड़ी थी। यह प्रथा आज भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल रही है।
16- 1837 अधिनियम द्वारा *ठगी प्रथा* का अंत किया।
17- 1849 में कलकत्ता में एक *बालिका विद्यालय* जे ई डी बेटन ने स्थापित किया।
18- 1854 में अंग्रेजों ने *तीन विश्वविद्यालय कलकत्ता मद्रास और बॉम्बे* में स्थापित किये 1902 मे विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया गया।
19- 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों ने *इंडियन पीनल कोड* बनाया। लार्ड मैकाले ने इंडियन पीनल कोड के द्वारा सदियों से ब्राह्मणों की गुलामी में जकड़े शुद्रों की जंजीरों को काट दिया और भारत में *जाति, वर्ण और धर्म के बिना एक समान क्रिमिनल लॉ लागू कर दिया।*
20- 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर *चरक पूजा* पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल निर्माण पर शुद्रों को पकड़ कर जिन्दा चुनवा दिया जाता था इस पूजा में मान्यता थी क़ि भवन और पुल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेगें।)
21- 1867 में *बहू विवाह प्रथा* पर पुरे देश में प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से बंगाल सरकार ने एक कमेटी गठित किया ।
22- 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की। यह जनगणना 1941 तक हुई, लेकिन 1948 में पण्डित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दी।
23- 1872 में *सिविल मैरिज एक्ट* द्वारा 14 वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवम् 18 वर्ष से कम आयु के लड़को का विवाह वर्जित करके बाल विवाह पर रोक लगाई।
24- अंग्रेजों ने *महार और चमार* रेजिमेंट बनाकर इन जातियों को सेना में भर्ती किया लेकिन 1892 में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी।
25- *रैयत वाणी पद्धति* अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को भूमि का स्वामी स्वीकार किया।
26- 1918 में *साऊथ बरो कमेटी* को भारत मे अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधि मण्डल (कानून बनाने की संस्था) में भागीदारी के लिए आया था। *शाहू जी महाराज के कहने पर पिछङो के नेता भाष्कर राव जाधव को एवम् अछूतों के नेता डा अम्बेडकर को अपने लोगों को विधि मण्डल में भागीदारी के लिये मेमोरेंडम दिया।*
27- अंग्रेजो ने 1919 में *भारत सरकार अधिनियम* का गठन किया ।
28- 1919 में अंग्रेजो ने *ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक* लगा दी थी और कहा था की इनके अंदर न्यायिक चरित्र नही होता है।
29- 25 दिसम्बर1927 को डा अम्बेडकर द्वारा *मनु समृति का दहन* किया। मनु स्मृति में शूद्रों और महिलाओं को गुलाम तथा भोग की वस्तु समझा जाता था एक पुरूष को अनगिनत शादियां करने का धार्मिक अधिकार है। महिला अधिकार विहीन तथा दासी की स्थिति में थी। एक - एक औरत के अनगिनत सौतने हुआ करती थी औरतो- शूद्रों को सिर्फ और सिर्फ गुलामी लिखा है जिसको एक राक्षस मनु ने धर्म का नाम दिया है।
30- 1 मार्च 1930 को डा अम्बेडकर द्वारा काला राम मन्दिर (नासिक) प्रवेश का आंदोलन चलाया।
31- 1927 को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया।
32- नवम्बर 1927 में *साइमन कमीशन* की नियुक्ति की। जो 1928 में भारत के अछूत लोगों की स्थिति का सर्वे करने और उनको अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुँचते ही गांधी और लाला लाजपत राॅय ने इस कमीशन के विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। जिस कारण साइमन कमीशन अधूरी रिपोर्ट लेकर वापस चला गया। इस पर अंतिम फैसले के लिए अंग्रेजों ने भारतीय प्रतिनिधियों को 12 नवम्बर 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में बुलाया।
33- 24 सितम्बर 1932 को अंग्रेजों ने *कम्युनल अवार्ड* घोषित किया जिसमें प्रमुख अधिकार निम्न दिए----
A-- *वयस्क मताधिकार*
B--विधान मण्डलों और संघीय सरकार में जनसंख्या के अनुपात में अछूतों को *आरक्षण का अधिकार*
C--सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह अछूतों (SC/ST) को भी *स्वतन्त्र निर्वाचन के क्षेत्र* का अधिकार मिला। जिन क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधि खड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें।
D--प्रतिनिधियों को चुनने के लिए दो बार वोट का अधिकार मिला जिसमें एक बार सिर्फ अपने प्रतिनिधियों को वोट देंगे दूसरी बार सामान्य प्रतिनिधियों को वोट देगे।
34- 19 मार्च 1928 को *बेगारी प्रथा* के विरुद्ध डा अम्बेडकर ने मुम्बई विधान परिषद में आवाज उठाई, जिसके बाद अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया।
35- अंग्रेजों ने 1 जुलाई 1942 से लेकर 10 सितम्बर 1946 तक डाॅ अम्बेडकर को वायसराय की कार्य साधक कौंसिल में *लेबर मेंबर* बनाया। मजदूरों को डा अम्बेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया।
36-- 1937 में अंग्रेजों ने भारत में *प्रोविंशियल गवर्नमेंट* का चुनाव करवाया।
37-- 1942 में अंग्रेजों से डा. अम्बेडकर ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को *अछूतों एंव पिछङो* में बांट देने के लिए अपील किया, अंग्रेजों ने 20 वर्षों की समय सीमा तय किया था।
38- अंग्रेजों ने शासन प्रसासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था।
इन्ही सब वजह से ब्राह्मणों ने अन्ग्रेजो के खिलाफ़ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की आड़ में अंग्रेजो को भगाकर सत्ता अपने हाथ में ले ली । क्योकि अन्ग्रेजो ने शुद्रो और महिलाओं को सारे अधिकार दे दिये थे और सब जातियो के लोगो को एक समान अधिकार देकर सबको बराबरी मे लाकर खडा किया !
#अंग्रेज शूद्रों के लिए भगवान बनकर आये थे ।।
भारत एक ऐसा देश है जहां असफलता का भी जश्न कामयाबी बताकर वहां की जनता द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है
दुनियां में, बहिन बेटियों की सुरक्षा के लिए रक्षाबन्धन भारत में मनाया जाता है,
और दुनियां में सबसे ज्यादा बलात्कार भारत में होते हैं ।
सबको बराबर न्याय व्यबस्था की शुरुआत अंग्रेजों ने की, उसके तहत बंगाली ब्राह्मण को प्रथम बार सजा हुई, उससे पहले सिर्फ शूद्रों को सजा का प्रावधान था
🙏🌹आत्मविश्वास जिंदगी की सबसे खूबसूरत सुबह होती है जो आपके पूरे दिन को खूबसूरत बनाएरखती हैं. जिनका वक्त खराब है। उनका साथ जरूर दे, मगर जिनकी नियत खराब है उनसे दूर रहना ही बेहतर है 🙏🌹
अंग्रेज भारत में शूद्रों के लिए भगवान बनकर आये थे ।
#बाबा साहब अम्बेडकर
मुलायम सिंह ने मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की मंशा खुले मंच से साझा की,
लेकिन किसी यादव को कोई दिक्कत नही हुई🙄
जिसने @@$$ को बिजनिस पार्ट बना लिया हो वो संबिधान पर उंगली उठाएगी 😜😜😜
सामाजिक क्राँति से ही सामजिक परिबर्तन संभव है
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना ...
ओबीसी और एससी वाले कितने भी बीजेपी के तलबे चाट लें लेकिन उनकी नजर में उनकी औकात सिर्फ शुद्रों की है, और हिन्दू धर्म के अनुसार शुद्रों का काम सवर्णो की गुलामी करना है ।
#झा
ब्राह्मण अपनी पहचान पंडित के रूप में कराता है, वैश्य- बनिया के रूप में और क्षत्रिय- ठाकुर के रूप में,
फिर ये हिन्दू कौन हैं
🤔🤔🤔
इस आपदा में सरकार गरीबों से दान की अपील कर रही है, लेकिन मंदिरों में बेकार पड़े 187500 कुंतल सोने को उपयोग में क्यों नही ले रही🤔🤔
इस 20 लाख करोड़ का लाभ 85%( मूलनिवासियों ) लोगों को किस माध्यम से दिया जाएगा..?
🤔🤔🤔
जो कोहराम आज कोरोना को लेकर मचा है, काश यही कोहराम भुखमरी को लेकर मचा होता तो कोई भी इंसान भूख के कारण नही मरता ।😢😢😢
भुखमरी के वायरस से रोज़ाना 8000 बच्चे मरते हैं,जबकि इसका बैक्सीन मौजूद है जिसे भोजन कहा जाता है लेकिन इसको लेकर कभी डिबेट नही हुई☹️
एक बार बुद्ध अपने भिक्खु संघ को देशना दे रहे थे, तो बुद्ध का ध्यान पीछे बैठे कुछ भिक्षुओं पर गया जो आपस में झगड़ रहे थे ।
बुद्ध ने पूंछा - भिक्षुओं क्या बात है, क्यों झगड़ रहे हो...?
भिक्षु बोला - बुद्ध ये माणवक आपकी प्रसंशा कर रहा है और दूसरा भिक्षु आपकी निंदा कर रहा है ।
बुद्ध बोले - भिक्षुओ ," अगर कोई व्यक्ति बुद्ध की तारीफ करता है तो आपको बल्लियों उछलने की जरूरत नही है"
बल्कि आपको हर पहलुओं से परखने के बाद सोचना चाहिए कि, क्या बुद्ध वास्तव में प्रशसनीय है...?
उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति बुद्ध की बुराई करता है तो दुःखी होने की जरूरत नही है बल्कि आपको हर पहलुओं पर बुध्द को परखने के बाद सोचना चाहिए कि, " क्या बुद्ध प्रशंसनीय हैं"..?
जो व्यक्ति इन बातों का ध्यान रखता है वो कभी भी मात नही खा सकता , और कभी अपने फैसले पर नही पछता सकता ।
भवतु सब्ब मंगलं
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हरिओम उपाध्याय निवर्तमान.जिला सोशल मीडिया प्रमुख हिन्दु युवा वाहिनी चंद्रनगर फ़िरोज़ाबाद
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मुसाफ़िर नही हैं,ये यूं ही सफर नही करते! लफ्ज दिल से ना निकले तो असर नही करते!!