Dulhan Ek Anmol Ratna Hai

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My chacha ji shri A

22/08/2023

कविता: अभिवादन में हो हरि का नाम
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अभिवादन में हो, हरि का नाम।
सहज भाव से हो कल्याण ।।
अपने मूल की पहचान,
करो करो, हे हिन्दुस्तान।
अपने मूल का सम्मान,
करो करो, हे हिदुस्तान...।। (1)

अभिवादन में हो, हरि का नाम।
जय श्री राम सादर प्रणाम् 🙏 (2)

गुड मार्निंग, गुड नाइट, हाय-बाय,
सामने है इसका दुष्परिणाम।
स्वाहा हो गई संवेदनशीलता,
और सूखी लकड़ी हुआ ईन्सान ।। (3)

श्रद्धाभाव संपन्न मन,
और पैरों तले हो अभिमान ।
नमस्कार, नमस्ते कहें प्रेम से,
अथवा सप्रेम करें प्रणाम् 🙏 ।। (4)

जो चाहें आशीर्वाद हृदय से,
शीश झुकायें, हाथ उठाएं और
श्रद्धाभाव से करें सादर प्रणाम्।
जैसी श्रद्धा होगी मन में,
सामने आये सो परिणाम।। (5)

अपनी बराबरी वालों में,
नमस्कार, नमस्ते से हो जाये काम।
अगर इसमें भी शर्म आती है,
बोलो हर हर महादेव, या जय श्री राम।। (6)
हरि ऊँ, हरे कृष्णा बोलें,
राधे-राधे, या राधेशयाम ।
जय श्रीकृष्णा, ऊँ नमो नारायण,
या प्रेम से कहें, जय सीताराम।। (7)

अगर बड़ों में ही
अभिवादन का शिष्टाचार न हो,
तो आप क्या देंगे आगे पैगाम ?
अगर सनातनी सुगंध लुप्त हुआ,
तो बहुत बूरा होगा अंजाम ।। (8)

सप्रेम प्रणाम् में है वो ताकत,
जो बदलता है परिणाम..।
अपने बच्चों के खातिर,
अभिवादन में लें हरि का नाम।। (9)

देखिये कितना रस मिलता है,
जब हाथ जोड़कर कहते,
"जय श्री राम🙏सादर-प्रणाम् "
जगता है रामत्व हृदय में,
जगे हनुमत् शक्ति, बनते काम।। (10)

मैकाले ने जहर पिलाई,
जुबां आज भी बनी गुलाम..!
गुड मार्निंग, हाय-बाय वाला,
बना मैकाले का विद्वान..।। (11)

ये जंजीर तोड़कर फेंको,
आजाद करो अपनी जुबां।
श्रद्धाभाव से सनातनी अभिवादन हो,
जाग उठेगा हिन्दुस्तान....।।
जाग उठेगा हिन्दुस्तान....।।
जाग उठेगा हिन्दुस्तान....।। (12)

हाथ जोड़कर 🙏विनती मेरी,
सुनो सत्य सनातन की संतान।
महाभूल को अभी सुधारो,
आपके चरणों में आह्वान...।।
आपके चरणों में आह्वान...।।
आपके चरणों में आह्वान...।। (13)

अगर ये भी कर ना सको,
तो लानत है उसपे,
जहाँ शेष नहीं रहा स्वाभिमान।
लानत है उस डिग्री पे,
धिक् धिक् मैकाले का विद्वान।।
धिक् धिक् मैकाले का विद्वान।।
धिक् धिक् मैकाले का विद्वान।। (14)

सविनय निवेदन🙏
अखिलेश कुमार राय
(उर्फ मुन्ना राय), काशी

28/07/2023

कविता: प्रेरणा प्रकाश
------------
जरा अक्ल लगाओ, नकल पे न जाओ,
सामने खुला आकाश..।
क्यों ना गढ़ो तू आदर्श अपना,
दिल मांगे प्रेरणा-प्रकाश, रे भैया..
दिल मांगे प्रेरणा-प्रकाश ।। (1)

दृष्टिदोष सर्वत्र दिखे,
रजस तमस का वास।
शुद्ध सात्विक भाव बड़ा ही दुर्लभ,
चहुँओर भोग विलास, रे भैया..
चहुँओर भोग विलास ...।। (2)

मर्यादा ह्रास हर क्षेत्र में,
बुद्धि चरती घास....।
उपभोक्तावाद की बाढ़ यहाँ पे,
शिक्षा में कहाँ प्रकाश? रे भैया..
शिक्षा में कहाँ प्रकाश...? (3)

सादा जीवन, उच्च विचार,
दुर्लभ होत आभास......।
परिवार से लेकर विश्वविद्यालय,
सबके रंग उदास, रे भैया...
सबके रंग उदास ......।। (4)

सनातनी नींव गृहस्थाश्रम,
धरती प्रेम-विश्वास......।
जो हावी हो गई विकृति,
तो होगा महाविनाश.., रे भैया..
होगा महाविनाश.........।। (5)

घर-गृहस्थी की महिमा अद्भुत,
जहाँ शिव-शक्ति का वास ।
संस्कार सुमन खिले...,
श्रृजनशक्ति करे निवास, रे भैया..
श्रृजनशक्ति करे निवास..।। (6)

वतन को देत रतन यही...,
गृहस्थाश्रम बड़ी खास ।
उठो जागो इसे बचाओ,
विनती करे ये दास, रे भैया...
विनती करे ये दास .....।। (7)

संत शास्त्र सान्निध्य बिना,
घर निसिचर के वास ..।
कुमति कुपात्र की बाढ़ भयो,
विपत्ति से नहीं त्रास, रे भैया..
विपत्ति से नहीं त्रास...? (8)

आँधी है बडी तेज यहाँ पे,
होना नहीं हताश......।
मूल को पकड़ो हाथों से,
डिगे ना विश्वास, रे भैया...
डिगे ना विश्वास......।। (9)

अपने अंदर झाँक जरा,
करो खुद पे विश्वास...।
कर्म का योगी बनके दिखा,
तुझमें अनन्त प्रकाश, रे भैया..
तुझमें अनन्त प्रकाश...।। (10)

आत्मावलोकन कर लो भैया,
तुझमें शक्ति खास... ।
पल-पल जीवन बीत रहा,
करो अज्ञान का नाश, रे भैया..
करो अज्ञान का नाश..।। (11)

शास्त्र बिना संस्कृति नहीं,
संस्कृति बिना सब नाश..।
शुद्धि बिन बुद्धि ना मिले,
बढ़े विरोधाभास, रे भैया..
बढ़े विरोधाभास........।। (12)

जो जाये जमाना कुएँ में,
फिर भी भक्त ना होत हताश ।
ये बेला आत्मसुधार की..,
ना करना बकवास, रे भैया..
ना करना बकवास.....।। (13)

मन में भक्ति, बढ़ती शक्ति,
यज्ञभाव से पूर्ण विकास..।
हर काम हमारा निर्मल हो,
देव भी बनते दास, रे भैया..
देव भी बनते दास ....।। (14)

मान को फेंको कुयें में,
मैया भारती मांगे "दास"..।
सेवा सुमिरन सत्संग करो,
जग में होत सुवास, रे भैया..
जग में होत सुवास .....।।(15)

सामूहिक वन्दन बढ़े स्पंदन,
जयकारा गुंजे आकाश...।
संस्कृति मिटाये विकृति,
करो शास्त्र-प्रकाश, रे भैया..
करो शास्त्र-प्रकाश ...।। (16)

ज्ञानामृत माँ भगवद्गीता,
करे भ्रान्ति का नाश...।
कहत कुमार सूनो भाई साधो,
बनो प्रेरणा-प्रकाश, रे भैया..
बनो प्रेरणा-प्रकाश ...।। (17)

वो जीवन क्या जीवन है?
जहाँ नहीं उल्लास...।
हर हर गीता, घर घर गीता,
करो एक छोटा-सा प्रयास, रे भैया..
छोटा-सा प्रयास ..।।
छोटा-सा प्रयास ..।।
छोटा-सा प्रयास ..।। (18)

सविनय निवेदन🙏
अखिलेश कुमार राय
(हर हर गीता, घर घर गीता अभियान)
काशी
इस अभियान से जुड़ने के लिए
Contact No. Mob-9958870349

26/09/2022

Poem: Maa Gyaneshwari

O my mother, O my mother,
I love you, I love you...
You're kind, says my mind.
I thank you, I thank you.
I thank you, I thank you. (1)

I'm child, may be wild.
but I'm searching you...
Give me knowledge, give me nectar,
Please rescue, please rescue.
Please rescue, please rescue. (2)

Give me courage, give me power.
Shraddha and divine shower. (3)

I miss purity of mind.
Ways and means, not able to find. (4)

I want my mind clean.
Give me some divine scheme.(5)

Sorrow and sufferings all around.
Make my mind very sound. (6)

Rational thinking, give me please.
Keep me free from disease. (7)

Self ignorance
is the cause of sorrow.
But self knowledge I can't borrow.(8)

Give me knowledge, make me wise.
Art of living, please advise. (9)

I'm hearing your glories more.
My mistake, please ignore.(10)

O my mother, Shaarada Ambe.
Jai Jai Jai, Jai Maa Jagadambe. (11)

You're the only source of
virtues and knowledge.
Praised by vedas and said by sages. (12)

Life looks like a boat in ocean.
Let me sail through devotion.(13)

Many dangers are in place.
But by grace, I can face. (14)

O my mother, Maa Gyaneshwari.
Move me from darkness to light.
Make my intellect, sharp and bright. (15)

I don't know my fate,
Let me do something great.(16)

O my mother, Maa Saraswati,
Greatness lies only in
the service done for you...
Nothing else bigger,
in my view, in my view...
in my view, in my view.... (17)

Please grant me freedom,
from "I and my".
Let me know "who am I"?
Let me know "who am I" ?
Let me know "who am I" ?(18)

I wish to become one with you.
As you tell me, so I do.
As you tell me, so I do.
As you tell me, so Ido. (19)

Let me become one with you,
it can make me really rich.
This is what scriptures sound,
and vedic masters teach.
This is what scriptures sound,
and vedic masters teach.
This is what scriptures sound,
and vedic masters teach..(20)

🙏My sincere prayers to Maa Gyaneshwari (Goddess Saraswati) and greetings of Navaraatri to all..

Akhilesh Kumar Rai

22/09/2022

भोजपुरी गीत:
आजा मेरी बाहों में, गले से लगा लूँ ...
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आजा मेरी बाहों में,
गले से लगा लूँ ...,
बाहों में भरके, मंगिया सजा दूँ।
हो.....ओ.....ओ...
रब्बा...हो....ओ...ओ.. (1)

अंखियाँ देखत हैं राह तुम्हारी।
मेरी सनम, मेरे प्राणों से प्यारी।। (2)
आ....आ........आ...
हो....ओ.......ओ....

तू ही मेरी राधा, तू ही मेरी रानी।
तू ही मेरे जीवन की, प्रेम कहानी।। (3)
हो....ओ.....ओ.....
रब्बा हो.....ओ ....ओ....

प्यार का तराना, हर साँस तेरा।
तू ही मेरी आरजू, विश्वाश मेरा।। (4)

कहता है दिल तू, मेरा कश्मीर है।
मेरे घर के आँगन में, मेरा तकदीर है।। (5)
हो....ओ....ओ....
रब्बा हो....ओ....ओ...

प्यार से करूँ मैं अपने, प्यार की पुजा।
सनम तुझसे बढके ना, दुनिया में दूजा। (6)
हो.....ओ....ओ....
रब्बा... हो ....ओ ...ओ....

मंगिया सिन्दूर शोभे, होठों पे लाली।
घरवा में लागे जैसे, रोज दिवाली।। (7)

चाँद जैसे मुखड़े पे,
हो...हो....हो......
चाँद जैसे मुखड़े पे, मनमोहे बिंदिया।
दिनवा में सुख दे, रतिया में निंदिया।। (8)

जीयरा जुडाय देखे..2, नयनन कजरा.।
सुख दे, शुभ दे, सनम तोरे अंचरा..।।
सुख दे, शुभ दे, सनम तोरे अंचरा..।।
सुख दे, शुभ दे, सनम तोहे अंचरा..।।(9)

गले मंगलसूत्र शोभे.....
हो........हो........हो....
गले मंगलसूत्र शोभे, कनवा में बाली..।
कहे मोरे मनवा, स्वर्ग मैने पा ली।।
कहे मोरे मनवा, स्वर्ग मैने पा ली।।
कहे मोरे मनवा, स्वर्ग मैने पा ली।। (10)

हो....ओ...ओ.......
रब्बा ....हो...ओ...ओ...

कहत कुमार सून....अ...
सून....अ.... सुकुमारी........।
सुमन सुगंधित मोहे फुलवारी।।
सुमन सुगंधित मोहे फुलवारी।।
सुमन सुगंधित मोहे फुलवारी।।(11)

अम्बर से ऊँचा...
मेरे प्यार का तराना।
तोहे संग जीवन बन गया गाना।।
तोहे संग जीवन बन गया गाना।।
तोहे संग जीवन बन गया गाना।।(12)

आजा मेरी बाहों में, गले से लगा लूँ।
बाहों में भरके, मंगिया सजा दूँ।।
बाहों में भरके, मंगिया सजा दूँ।।
बाहों में भरके, मंगिया सजा दूँ।।

"परिणय सूत्र से मिले,
अपने प्यार को समर्पित है ये गीत।
जिसने दिया है मेरे मन को प्रीत और
जीवन को संगीत "।।

🙏 सप्रेम
अखिलेश कुमार राय
(उर्फ मुन्ना राय )
ओमान

19/09/2022

गीत: मेरा प्यार तुझको मेरा नमन

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन,
हाँ ....आ....
मेरा प्यार तुझको मेरा नमन।
कहता है दिल मेरा, कहता है मन।
मेरा प्यार तुझको मेरानमन (1)

तेरे प्यार ने मुझको जीना सीखाया।
प्रेम का अमृत मुझको पिलाया।
मेरे कोरे कागज पे...2,
भर दिया रंग........।। (2)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन...

तेरे बिना मन बंजर बना था।
जन्मों से सुखा समन्दर बना था।
तेरे प्यार में मेरा..2
मन हुआ नम.......... (3)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन...

मुझे क्या पता कि रंग कैसा होगा?
जीवन-संगिनी का संग कैसा होगा?
तेरे संग प्यार में....2
खिल गया मन.........।। (4)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन...

विवाह के बारे में भ्रांति सुना था।
मूर्खों के मुख से, अशांति सुना था।
पर तेरे प्यार से...2
रौशन चमन..........।। (5)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन ...

तेरा प्यार जैसे गंगा की धारा।
लहरों पे लोटे जीवन हमारा।
प्रेम की गंगा में....2
चंगा है मन .........। (6)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन...

पुरखास गाँव से मोकामा गया था।
प्यार का तराना बिल्कुल नया था।
ब्रह्म विवाह से....2
धन्य जीवन.............।। (7)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन।।

आशीर्वाद सभी का, और सबकी दुआ।
परिणय पहले, तब प्यार हुआ ।
दुल्हन के रूप में.....2
मिला रतन .............।। (8)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन..

गंगा की गोदी में मोकामा बसा है।
विद्या के सागर में प्यार का नशा है।
देखूँ जो सुरत को.....2
नित नुतन..........।। (9)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन...

बिन तेरे जीवन को मैंने न जाना।
प्यार का समंदर दिया मोकामा।
ॠण कभी-भी, ये ॠण कभी-भी,
होगा न कम।.......। (10)

मेरे प्यार तुझको मेरा नमन...

मन को घुमाने ले जाते हैं लोग।
छप्पन भोग पीछे जाते हैं लोग।
मेरे घर को स्वर्ग .......2
बनाई दुल्हन.......।। (11)

मेरा प्यार तुझको मेरा नमन।।
हाँ..मेरा प्यार तुझको मेरा नमन।
हाँ..मेरा प्यार तुझको मेरा नमन🙏।।

ईश्वर की असीम कृपा, मेरे कुल के पितृगण,
मेरे माता-पिता, घर-परिवार, और समाज के आशीर्वाद से अनमोल रत्न के रूप में प्राप्त
मेरे सौभाग्य (मेरा प्यार 💚मेरी दुल्हन)
को समर्पित है यह गीत...
और भगवान से प्रार्थना है 🙏
शादी से सबको मिले ऐसी प्रीत ..
शादी से सबको मिले ऐसी प्रीत ..
शादी से सबको मिले ऐसी प्रीत ..

सभी दम्पत्तियों एवं युवापीढ़ी के लिए
ढेर सारी शुभकामनायें 🙏...

अखिलेश कुमार राय
(उर्फ मुन्ना राय)
ग्राम-पुरखास
जिला-गोपालगंज
(बिहार)

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