Charan Singh Archives

Charan Singh Archives

Chronicle of the life and works of Chaudhary Charan Singh, the fifth Prime Minister of India. Please write to [email protected].

This page is a window for the public, and for researchers, to the historically rich Archives of scores of books, thousands of photographs, and tens of thousands of pages of media articles, speeches and private as well as public correspondence by and on Chaudhary Charan Singh that are stored at the Nehru Memorial Museum & LIbrary (NMML) in Delhi, India. Many of these books, photographs, vi

01/11/2024

शिष्टाचार

https://charansingh.org/hi/shop/shishtachar

सन् १९४१ में व्यक्तिगत-सत्याग्रह के आंदोलन में श्री चरण सिंह बरेली सेंट्रल जेल में बंदी रहे। वहां अवकाश की कमी नहीं थी। अपने मित्रों के साथ जेल के एक पेड़ के नीचे कुछ दिन बैठकर पहले के संग्रहित नियमों का पुनरीक्षण हुआ और उनको एक पुस्तक का रूप दे दिया गया। सार्वजनिक जीवन की व्यस्तता से पांडुलिपि कई साल यूं ही रखी रही। विख्यात लेखक श्री भगवती चरण वर्मा ने इस पाण्डुलिपि को देखा और सराहा, और उनके परामर्श से यह जनवरी १९५४ में 'शिष्टाचार’ पहली बार प्रकाशित हुई। सितंबर ४, १९५३ में उत्तर प्रदेश के जब के मुख्य मंत्री श्री गोविंद बल्लभ पंत ने भूमिका में लिखाः

“सदाचार का शिष्टाचार से घनिष्ठ संबंध है। सदाचार सौजन्य की पूंजी है। सदाचार के बिना मनुष्य का जीवन निराधार होता है और शिष्टाचार के बिना सदाचारी पुरुष भी जीवन के माधुर्य से वंचित रह जाता है। हमारे देश में भी सदैव पारस्परिक व्यवहार में स्नेह और सदभाव की झलक दीखती रही है। दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना और यथासंभव ऐसी बात न करना जिससे दूसरे को ठेस पहुंचे, यह नियम हमारे समाज में हमेशा व्यापक रहा है।

सत्य को सदाचार का सर्वश्रेष्ठ आधार ही मानते हैं। सत्य को भी अप्रिय शब्दों में व्यक्त करना उचित नहीं समझा गया है। कुछ दिनों से पराधीनता के फलस्वरूप हमारी सभी बातों में कुछ न कुछ विकार आ गया है जिससे हमारे शिष्टाचार पर धुंधलापन छा गया। अन्यथा हमारे देश के सभी संप्रदाय और वर्गों में सुंदर शिष्टता और तहजीब बरती जाती रही है। जो कुछ भी हमारी मर्यादा विदेशियों के शासन काल में ढीली हो गई थी, उसे अब हमें ठीक करना चाहिए जिससे हमारा सामाजिक जीवन सर्वथा सुपरा और सरस हो जाये। जीवन के सुख और शांति के लिए शिष्टाचार की उपयोगिता सदाचार से कम नहीं है। शिष्टाचार और अनुशासन के द्वारा वैयक्तिक और सामाजिक जीवन स्वस्थ और सुंदर बन सकेगा , इसी विचार से मेरे सहयोगी मित्र श्री चरण सिंह जी ने इस पुस्तक के लिखने का प्रयास किया। मुझे आशा हे की इससे हमारे समाज का हित होगा और विशेषकर नवयुवक वर्ग इससे पूरा लाभ उठावेगा।"

Charan Singh: Ek Sankshipt Jeevni (Hindi) 03/10/2024

पढ़ें चौधरी चरण सिंह का हिंदी में संक्षिप्त जीवन परिचय

https://www.amazon.in/Charan-Singh-Sankshipt-Jeevni-Hindi/dp/B07V4SPDW8/

चरण सिंह अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित चरण सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय श्री सिंह के जीवन पर स्वामी दयानन्द और मोहनदास गांधी के शुरूआती प्रभाव, उनकी स्वतंत्रता संग्राम में विसर्जित भागीदारी, उत्तर प्रदेश तदन्तर दिल्ली में उनका राजनीतिक जीवन, ग्रामीण भारत के जैविक बुद्धिजीवी के रूप में उनका स्थाई महत्व, तथा भारत की आज़ादी के बाद आई विभिन्न सरकारों से 'विकास' के अर्थ पर उनके बौद्धिक मतभेदों के होते हुए उनकी जटिल, परिष्कृत एवं सुसंगत रणनीति के विषय में पाठक को परिचित कराता है। पुस्तक के अन्त में दिया गया कालक्रम उनके जीवन की, बीसवी शताब्दी के चौथे दशक से लेकर आठवें दशक के मध्य तक की, अर्थपूर्ण एवं आकर्षक झांकी प्रस्तुत करता है।

गांधीवादी सांचे में ढले चरण सिंह सादगी, सदाचार और नैतिकता से ओतप्रोत व्यक्ति थे, उनके सद्चरित्र और सादगी के सब कायल थे। इन विशिष्टताओं ने उन्हें एक कुशल प्रशासक और भू-कानूनों के जानकार की प्रतिष्ठा दी। उन्होंने लघु उत्पादकों और लघु उपभोक्ताओं को साथ लाने वाली व्यवस्था, जो न समाजवादी थी न पूंजीवादी, अपितु भारत की गरीबी, बेरोजगारी, गैरबराबरी, जातिवाद और भ्रष्टाचार की समस्याओं को उठाने वाली मूलभूत लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास किया। ये मुद्दे आज भी दुसाध्य हैं और उनके द्वारा सुझाये गये समाधान उनमें सुधार और अंतिम उन्मूलन के लिए आज भी जीवन्त एवं प्रासंगिक हैं।

चरण सिंह 23 दिसम्बर 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के जिला मेरठ में एक अशिक्षित बटाईदार किसान की कच्ची झोपड़ी में पैदा हुए थे। अपनी असाधारण मेधा और परिश्रम के बल पर उन्होंने आगरा कॉलेज से बी.एस-सी., एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की एवं शुरूआत में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। सिंह भारत को अंग्रेजी राज से मुक्ति दिलाने में सक्रिय रहे, राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के लिए उन्हें 1930, 1940 और 1942 में जेल भेजा गया। 1936 से 1947 तक और 1977 से 1980 के बीच केन्द्र सरकार में गृह, वित्त एवं भारत के प्रधानमंत्री के कार्यकाल से पहले सिंह 1967 में, एवं दोबारा 1970 में, प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे। सातवें दशक एवं आठवें दशक के पूर्वार्द्ध में वह भारतीय राजनीति में घटी प्रमुख राजनीतिक घटनाओं के केन्द्र में रहे, और 29 मई 1987 को उनका देहान्त हो गया।

असामान्य क्षमताओं से युक्त विद्वान श्री सिंह ने गांव एवं कृषि को केन्द्र में रखकर भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में अपनी मान्यताओं पर आधारित अनेक पुस्तकें, राजनीतिक पैम्फलेट एवं अनेकानेक लेख अंग्रेजी में लिखे, जो मौजूदा कृषि संकट के दौर में तथा गांवों में रह रही हमारी 67 प्रतिशत आबादी की समस्याओं के समाधान में भारत के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। उनका सबसे पहला प्रकाशन 1948 में उत्तर प्रदेश में "जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार समिति" की 611 पृष्ठ की रिपोर्ट थी। उन्होंने अन्य पुस्तकें लिखीं जिनमे से कई हैं - अबोलिशन ऑफ जमींदारी: टू आल्टरनेटिव्ज (1947),ज्वाइंट फार्मिंग एक्स-रेड: द प्रॉब्लम एण्ड इट्स सोल्यूशन (1959), इंडिया’ज पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशन (1964), इंडिया’ज इकोनॉमिक पॉलिसी: द गांधियन ब्लूप्रिंट (1978) और इकोनॉमिक नाइटमेअर ऑफ इंडिया: इट्स कॉज एण्ड क्योर (1981)

Charan Singh: Ek Sankshipt Jeevni (Hindi) Charan Singh: Ek Sankshipt Jeevni (Hindi)

21/09/2024

चरण सिंह अभिलेखागार के प्रकाशन

https://charansingh.org/books/2077

चौधरी चरण सिंह भारत की प्रगति के ढांचे में गांव को प्राथमिकता दिलवाना चाहते थे, उन्होंने शह्ररों से गाओं की ओर राजनितिक सत्ता और सामाजिक सोच का रुख बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। कृषि में छोटे किसानों की अहमियत, गाओं के समीप लघु उद्योगों में युवाओं के लिए रोज़गार, नैतिकता और सदाचारी पर आधारित उनकी व्यापक बौद्धिक विरासत भारत के लिए आज भी प्रासंगिक हैं।

दिसंबर २०१५ में चरण सिंह अभिलेखागार की स्थापना के पश्चात् सबसे पहले चौधरी चरण सिंह की अंग्रेजी में लिखी पुस्तकों की पहचान की गयी। प्रारंभिक प्रकाशन में हमें ५ साल लगे: उनके द्वारा लिखी गई ६ पुस्तकों को एकत्र करना, प्रत्येक को फिर से टाइप करना और प्रमाणित करना; अंत में विद्वानों द्वारा जाँची और प्रमाणित ग्रंथ सूची और संदर्भ। इन पुस्तकों का पुनः डिज़ाइन और टीपएसेट किया गया, और इनको एक सेट के रूप में मुद्रित किया। इसके साथ ६ पुस्तकों में से प्रत्येक का विस्तृत अध्ययन करके सारांशित किया। इन ७ पुस्तकों को २०२० में पुस्तकालयों के लिए एक व्यापक सेट 'सिलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ चरण सिंह' के रूप में प्रकाशित किया गया।

चरण सिंह अभिलेखागार के कुल १६ प्रकाशन आज अमेज़ॅन पर उपलब्ध हैं। हाल ही में प्रोफेसर पॉल ब्रास की २ खंड में लिखी पुस्तकें "एक भारतीय राजनीतिक जीवन - चरण सिंह और कांग्रेस राजनीति" के हिंदी अनुवाद इस में शामिल की गयीं। हमें गर्व है की सूसन ब्रास ने अभिलेखागार को इन पुस्तकों के प्रकाशन और वितरण की उत्तरदायित्व दिया। इन प्रकाशनों को कृपया पढ़ें और अपने समाज में साझा करें।

चौधरी चरण सिंह के परिवार ने १९९२ से २०१७ तक लगभग २००,००० से अधिक पृष्ट और हज़ारों फोटो, वीडियो और पुस्तकें नेहरू संग्रहालय और पुस्तकालय को दान किये। इन पर आधारित प्रकाशनों की अगले कुछ वर्षों की योजनाएँ कुछ ऐसी हैं: १९७९ में जनता पार्टी के टूटने पर चौ चरण सिंह की एक अप्रकाशित पांडुलिपि; हिंदी में उनके जीवन पर लिखी प्रमाणिक पुस्तकें; ऑल इंडिया रेडियो, प्रिंट मीडिया और उत्तर प्रदेश विधान सभा के समृद्ध संग्रह से उनके सार्वजनिक भाषणों का संग्रह; उनके मौखिक और लिखित साक्षात्कार; मीडिया में उनकी हिंदी और अंग्रेजी में लिखे ढेरों लेख; और उनके द्वारा स्थापित राजनीतिक दलों के सुविचारित घोषणापत्र। प्रत्येक पुस्तक के साथ चौधरी साहब की तस्वीरें ज़रूर जोड़ेंगे।

आपके समर्थन की आशा करते हुए,

हर्ष सिंह लोहित
चरण सिंह अभिलेखागार

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Publications of the Charan Singh Archives

https://charansingh.org/books/2077

Since establishing the Charan Singh Archives in December 2015, we have identified scores of publications around the life and intellectual legacy of Chaudhary Charan Singh many of which remain relevant to India today. The initial publication took us 5 years: identification of the 6 major books he wrote, collecting the original versions, having each re-typed and proofed thoroughly; the bibliographies and references checked and authenticated by scholars. These books were re-designed, typeset and printed as a set. Alongwith this, we summarised each of these 6 books after a detailed study and published a Summary of Selected Works. These 7 books were published in 2020 as part of a comprehensive set for libraries 'Selected Works of Charan Singh’.

CSA now has 16 publications in print and available on Amazon in India, most recently including 2 volumes of the Hindi translations of Professor Paul Brass’ biographical work of Ch. Charan Singh ‘An Indian Political Life’. Susan Brass has kindly allowed us to publish and distribute these.

We propose to publish steadily from over 200,000 pages of archival material at the Nehru Memorial Museum and Library donated by Ch. Charan Singh’s family since 1992. Some plans underway are: an unpublished manuscript on the breakup of the Janata Party in 1979; authenticated books written on his life in Hindi; a collection of his public speeches from All India Radio, from print media, as well as from the rich collection at the Uttar Pradesh Legislative Assembly; another on his oral and written interviews; one on the scores of articles he wrote in Hindi and English in media; and the well-thought out manifestos of the political parties he founded. In each book, we plan to add photographs from his life.
We look forward to your support by purchasing these publications and sharing them with people in your networks.

With best wishes
Harsh Singh Lohit
Charan Singh Archives

Chaudhary Charan Singh Interview Lucknow चौधरी चरण सिंह का साक्षात्कार - लखनऊ, १० फरवरी १९७२।पेपरबैक 03/09/2024

Available for the first time, both in English and Hindi.
पहली बार अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध !

चौधरी चरण सिंह का साक्षात्कार
लखनऊ १० फरवरी १९७२

https://www.amazon.in/dp/8196262523

यह ऐतिहासिक साक्षात्कार नेहरू लाइब्रेरी दिल्ली के दूरदर्शी मौखिक इतिहास कार्यक्रम की बदौलत उपलब्ध है। चौधरी चरण सिंह अपने प्रारंभिक जीवन और स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा गांधी के चरित्र और कार्यक्रमों के स्थायी प्रभावों की यादें साझा करते हैं; 1930 से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ उनका लंबा और गहरा जुड़ाव जब उन्होंने पहली बार मेरठ जिला कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व किया; औपनिवेशिक ब्रिटेन से आजादी के लिए लंबे अहिंसक संघर्ष में उनकी भागीदारी, जिसमें उनकी कई अवधियों की कैद शामिल थी; 1930 के दशक में गाज़ियाबाद में एक युवा वकील का कार्यकाल; 1947 में आजादी के तुरंत बाद कांग्रेसियों के चरित्र और नैतिकता के पतन पर उनके विचार; उत्तर प्रदेश में प्रशासन की खराब और बिगड़ती स्थिति; उत्तर प्रदेश सरकार में उनके अनुभव और जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल और गोविंद बल्लभ पंत सहित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक नेताओं के बारे में उनकी यादें।

हर्ष सिंह लोहित
चरण सिंह अभिलेखागार

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Chaudhary Charan Singh Interview
Lucknow 10 Feb 1972

https://www.amazon.in/dp/8196262523

This historical interview is available to us thanks to the far-sighted Oral History program of the Nehru Memorial Museum and Library (NMML), Delhi. Chaudhary Charan Singh shares memories of his early life and the abiding influences of the character and programs of Swami Dayanand Saraswati and Mahatma Gandhi; his long and deep association with the Indian National Congress since 1930 when he first headed the Meerut District Congress Committee; his participation in the long non-violent struggle for freedom from colonial Britain including his multiple periods of incarceration; his career as a young lawyer in Ghaziabad in the 1930s; his views on the downfall of the character and morality of Congressmen soon after Independence in 1947; the poor state of the administration in Uttar Pradesh; his experience in government and his recollections of national and regional political leaders including Jawaharlal Nehru, Vallabhbhai Patel and Govind Ballabh Pant.

With Regards

Harsh Singh Lohit
Charan Singh Archives

Chaudhary Charan Singh Interview Lucknow चौधरी चरण सिंह का साक्षात्कार - लखनऊ, १० फरवरी १९७२।पेपरबैक यह ऐतिहासिक साक्षात्कार नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML), दिल्ली के दूरदर्शी मौखिक इतिहास कार्यक्रम की ....

Economic Nighmare of India 20/08/2024

Economic Nightmare of India

https://www.amazon.in/dp/B08RXB3VR4

The last of Charan Singh’s major works, Economic Nightmare of India: Its Cause and Cure was published in 1981. This updated Singh’s long-standing critique of the lopsided capital-intensive, industrial and urban-biased development path followed by India since Independence in 1947. Singh strings together, in his usual systematic manner, damning data on growing poverty, malnutrition, unemployment, indebtedness and income inequality in India. He warns of a bleak future unless national priorities change to address the vast majority living in rural India.

Singh takes us through a tour of the land system in India, the neglect of agriculture, the exploitation of the peasant and deprivation of the village by priorities of the urban elite. He juxtaposes the opposing patterns of development envisaged by Gandhi and Nehru, and the ills that ‘Socialist’ thinking brought to society including an inefficient public sector. He also goes on to condemn the concentration of economic power in the hands of a few business families, widening income disparities and unemployment.

Singh champions nationwide self-employment, eschewing models based on communism or capitalism as practiced in other nations, as the basis of a self-sufficient and democratic nation. Singh shares solutions that replace the Nehruvian approach with the Gandhian: focus on the village, agriculture, and rural employment. He marshals arguments in favour of primacy to employment over growth in GDP; decentralised industrialization based on labour-intensive techniques of production; strengthening of the small farm peasant economy and avoiding labour displacing mechanisation of agriculture; increasing investments in social and economic infrastructure in rural areas for education, medical facilities, sanitation, civic amenities to dramatically reduce migration to the slums of the cities.

Economic Nighmare of India Economic Nighmare of India

Joint Farming X-Rayed 01/07/2024

Joint Farming X-rayed

https://www.amazon.in/dp/B08T6L9R1M

Written in opposition to the adoption of joint farming as India’s agricultural policy at the Indian National Congress’ Nagpur Resolution of January 1959, which was a culmination of high-pitched propaganda led by jawaharlal Nehru in favour of collective/cooperative farming, Joint Farming X-rayed presents Charan Singh’s substantive intellectual break with the political party he had served for 35 years.

Published in September 1959, this is a devastating critique of joint farming as a means of increasing agricultural productivity. Singh finds it unsuitable for the Indian countryside based on varied geography, limited land and capital, a complex social structure, a vast population and commitment to democratic principles. He also brings to bear an extraordinary amount of evidence from multiple continents and numerous disciplines to present a picture of the havoc collectivisation unleashes on farm productivity, in which he presciently anticipates the failure of collective farms across the Communist world.

His alternate vision identifies land as the limiting factor in capital production, and posits agriculture, not industry, as the priority for sustainable capital formation. The book locates independent small owner-cultivators, decentralised village industries, intensive farming and population control as the solutions for India. Singh puts forth a cogent plan for a new India constructed from the bottom-up, in opposition to the Nehruvian top-down plan aping alien models unsuited to her genius and limitations, made by men who Singh considered were themselves alienated from the ground realities of the country.

Joint Farming X-Rayed Joint Farming X-Rayed

26/06/2024

एक ऐतिहासिक सिंघनाद
२३ मार्च १९७६
चौधरी चरण सिंह का उत्तर प्रदेश विधान सभा में दिया गया वह अभूतपूर्व भाषण जिसे भारतीय इतिहास कभी भुला नहीं सकता
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https://www.charansingh.org/up-vidhan-sabha
आज के दिन, ४७ साल पहले, तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने २५ जून १९७५ को गैर-संविधानिक आपातकाल (इमरजेंसी) की घोषणा कर हिंदुस्तान के मुख्य राजनयिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में बंदी बना लिया। अनुमान लगाया जाता है इंदिरा गाँधी के कांग्रेस अनुशाशन ने देश भर में १००,००० लोगों को आपातकाल के दौरान बंदी रखा। स्वतंत्र हिंदुस्तान में लोकतंत्र के लिए यह सबसे संकटपूर्ण तथा दुखद घटना रही है।
२५ जून १९७५ से ७ मार्च १९७६ तक चौधरी चरण सिंह दिल्ली के तिहाड़ में बंदी रखे गए। बरहाल, ८ महीने की आज़ाद हिंदुस्तान में इस अभूतपूर्व जेल कैद के पश्चात् २३ मार्च १९७६ को वह उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता विरोधी दल उत्तर प्रदेश होने के नाते आपातकाल व्यवस्था और कांग्रेस के सरकारी अत्याचारों के खिलाफ चार घंटे खड़े होकर गरजे, परन्तु सेन्सर व्यवस्था के कारण एक भी शब्द समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं हो सका। चौधरी साहब ७४ वर्ष के थे, लेकिन बब्बर शेर से कम नहीं थे।

01/06/2024

कारवां, नवम्बर २०२१ (मासिक पत्रिका)

पुस्तकेंः सदाबहार हरित क्रांति

चरण सिंह की कृषि हितों की हिमायत आज भी कायम
बिनीत प्रियरंजन

https://charansingh.org/hi/archives/2071

प्रियरंजन अंग्रेजी के स्वतंत्र पत्रकार तथा गद्य और कविता के रचनात्मक युवा लेखक हैं। २०२० में बिनीत ने चौधरी चरण सिंह द्वारा अंग्रेजी में लिखित और प्रकाशित ६ प्रमुख पुस्तकों का अध्ययन किया, और प्रत्येक पुस्तक का सारांश चरण सिंह अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित ‘चरण सिंहः समरी ऑफ़ सिलेक्टेड वर्क्स' में लिखा।

विशिष्ट रचनाएं (Vishisht Rachnayen) 01/05/2024

विशिष्ट रचनाएं

https://www.amazon.in/dp/B08QRHBMTP

विशिष्ट रचनाएंः चौधरी चरण सिंह’ भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री चरण सिंह द्वारा १९३३ और १९८५ के बीच लिखित २२ महत्वपूर्ण लेखों और भाषणों का संग्रह है। इस पुस्तक के अध्ययन से आज का पाठक वर्ग जान सकेगा कि मौजूदा समय की चुनौतियां न तो नई हैं और न ही समाधानहीन। इनसे निपटने के लिए एक मन-सोच अथवा जिगरा चाहिए, जो निश्चय ही धरा-पुत्र चरण सिंह में था। उनका लेखन उस प्रकाशस्तंभ की तरह है जो समुद्र में भटके हुए जहाजों को किनारे तक आने का रास्ता दिखाता है। उनके लेखन के आलोक में हम मौजूदा चुनौतियों को सही परिप्रेक्ष्य में न केवल समझ सकते हैं अपितु उनका समाधान भी पा सकते हैं। इन लेखों में उनकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि के दर्शन होते हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से इन लेखों को सामाजिक लेखन, आर्थिक लेखन, राजनीतिक लेखन एवं उपसंहार - चार खण्डों में विभाजित किया गया है।

चौधरी चरण सिंह की अध्यात्मिक अंतश्चेतना और राजनीतिक मेधा महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं महात्मा गांधी से अनुप्रेरित रही, तो सरदार पटेल उनके नायक रहे। इन विभूतियों पर चौधरी साहब ने अपने विचार लेखों में प्रस्तुत किये हैं। जाति-प्रथा, आरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण, राष्ट्रभाषा जैसे सामाजिक मुद्दों के साथ ही शिष्टाचार जैसे विरल विशय पर भी दो लेख खण्ड एकः सामाजिक लेखन में दिये गये हैं।

चौधरी साहब भारत की उन्नति का मूल आधार कृषि, हथकरघा और ग्रामीण भारत को मानते थे। उनकी दृष्टि में ग्रामीण भारत ही वह नियामक तत्व रहा जिसे प्रमुखता देकर देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है, साथ ही बेरोजगारी जैसी विकट समस्या को भी दूर किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में भूमि सम्बंधी सुधारों और जमींदारी समाप्त करने को लेकर चौधरी चरण सिंह पर धनी किसानों के पक्षधर होने के आरोप विरोधियों ने लगाये। उनका उन्होंने बेहद तार्किक ढंग से उत्तर दिया है। गांव-किसान और खेती के प्रति उपेक्षापूर्ण नीतियां एवं काले धन की समस्या जैसे तथा उपरोक्त विषयों पर केन्द्रित लेख खण्ड दोः आर्थिक लेखन के अन्तर्गत दिये गये हैं।

खण्ड तीनः राजनीतिक लेखन के अन्तर्गत भारत की लम्बी गुलामी के मूल कारणों का विश्लेषण, गांधी-चिंतन, देश में पहली गैर-कांग्रेसी जनता पार्टी की सरकार की आधारभूत नीतियां, देश विख्यात माया त्यागी कांड का समाजशास्त्रीय विश्लेषण, भाषा आधारित राज्यों के खतरे आदि मुद्दों के अलावा उनके नायक सरदार पटेल की स्मृति पर आधारित लेख हैं। इसी खण्ड में चौधरी साहब के ऐतिहासिक महत्व के दो भाषण भी संकलित हैं, जो लोकशाही पर संकट और राष्ट्रीय विघटन के खतरों के प्रति सचेत करते हैं।

अंतिम खण्ड चारः उपसंहार है, जिसमें चौधरी साहब ने राजनीति, समाज नीति और देश से सम्बंधित अधिकतर मुद्दों पर संक्षेप में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं।

विशिष्ट रचनाएं (Vishisht Rachnayen) ‘विशिष्ट रचनाएं: चौधरी चरण सिंह’ भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री चरण सिंह द्वारा १९३३ और १९८५ के बीच लिखित २२ म...

Abolition of Zamindari 22/04/2024

Abolition of Zamindari

https://www.amazon.in/dp/B08RX8Q82P

Published in 1947 when Charan Singh was a Member of the Indian National Congress’ Zamindari Abolition and Land Reforms Committee (ZALRC) in Uttar Pradesh, Abolition of Zamindari: Two Alternatives details Singh’s case and method for ending landlordism. He was, in fact, to become the principal architect of the ending of zamindari in Uttar Pradesh as Minister of Revenue in the 1950s.

Singh deploys his considerable knowledge of the land tenure system, the psyche of the Indian peasant and literature from across the world to identify alternatives for the removal of zamindari available to India. He proposes a solution from the bottom up, positing the self-cultivating small peasant and decentralized village industry as the cornerstone of an economic policy uniquely suited to the problems of the nascent Indian nation.

Singh’s vision, based on the primacy of peasant owner-cultivators, is organically opposed to the Marxist model as practiced then in Soviet Russia and popular in intellectual and political circles in India of the time. His commitment to a democratic Indian future is absolute, and in search for an equitable society he recommends radical land reforms and a restructuring of Indian agriculture based on intensive utilization of land, coupled with an emphasis on small-scale machinery augmenting labour, employing millions in the process.

Abolition of Zamindari Published in 1947 when Charan Singh was a Member of the Indian National Congress' Zamindari Abolition and Land Reforms Committee (ZALRC) in Uttar Pradesh, Abolition of Zamindari: Two Alternatives details Singh's case and method for ending landlordism. He was, in fact, to become the principal arch...

30 Mar 2024 President Murmu Presents Bharat Ratna At Rashtrapati Bhavan Investiture Ceremony 01/04/2024

भारत रत्न चौधरी चरण सिंह
https://youtu.be/MAoAACHBUso
राष्ट्रपति जी ने आज ३० मार्च २०२४ को चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया। भारत रत्न भारत का 'उच्चतम स्तर की असाधारण सेवाओं' के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। उनके पोते जयंत चौधरी ने भारत के लाखों किसानों और हस्त कारीगरों की ओर से पुरस्कार प्राप्त किया।
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Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh
https://youtu.be/MAoAACHBUso
The President of India recognised Chaudhary Charan Singh on 30 March 2024 with the Bharat Ratna, the highest civilian award the nation can bestow on a citizen, for his ‘exceptional services of the highest order' to India. Jayant Chaudhary, his grandson, received the award on behalf of hundreds of millions of Kisans and Artisans of India and the family.

30 Mar 2024 President Murmu Presents Bharat Ratna At Rashtrapati Bhavan Investiture Ceremony Chaudhary Charan Singh was recognised with the Bharat Ratna, the highest civilian award of India for his services to India. Jayant Chaudhary, his grandson, r...

Chaudhary Charan Singh on Farm Prices 30/03/2024

चौधरी चरण सिंह और कृषि मूल्य - एक दृष्टिकोण
https://youtu.be/TziOoaOqqGs
हमारे पिछले मेलर ने विजय सरदाना के एक यूट्यूब वीडियो का लिंक साझा किया था, जिसमें हमने खुशी व्यक्त की थी कि बड़े पैमाने पर लोग चरण सिंह अभिलेखागार का उपयोग उनके लेखन के विशाल संग्रह और भारत की आबादी के विकास के लिए उनके नुस्खों का अध्ययन करने के लिए कर रहे हैं। इस मेलर ने यह गलत धारणा फैलाई कि चरण सिंह अभिलेखागार किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के दृष्टिकोण का समर्थन नहीं करता है। हम स्पष्ट करते हैं कि हम उन सभी तंत्रों के समर्थक हैं जो ग्रामीण आजीविका और किसानों की आय बढ़ाते हैं। इसमें कई नीतियां शामिल होनी चाहिए जो हमारी राजनीति में शहरी और औद्योगिक पूर्वाग्रह को दूर करती हैं, जिसमें समर्थन मूल्यों का विवेकपूर्ण उपयोग भी शामिल है।

ग्रामीण मूल के एक युवा छात्र विष्णु गावर ने चरण सिंह अभिलेखागार से दो पुस्तकें प्राप्त करने के बाद कृषि मूल्य निर्धारण पर चौधरी चरण सिंह के विचारों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति बनाई है। हमें खुशी है कि उन्होंने चौधरी चरण सिंह को पढ़ने और इस विषय पर स्पष्टता लाने का प्रयास किया है।

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Chaudhary Charan Singh on farm prices
https://youtu.be/TziOoaOqqGs
Our previous mailer shared a link to a YouTube video by Vijay Sardana, in which we expressed our happiness that people at large are utilising the Charan Singh Archives to study his vast body of writings and his prescriptions for the development of India’s equally vast population. This mailer incorrectly spread the impression that the Charan Singh Archives does not support minimum support prices for farmers produce. We clarify that we are supporters of all mechanisms that enhance rural livelihoods and farmer incomes. This should include multiples policies that remove the urban and industrial bias in our polity, including the judicious use of support prices.

Vishnu Gawar, a student with rural roots, has created a brief presentation on Chaudhary Charan Singh’s views on farm pricing after accessing two books from the Charan Singh Archives. We are delighted he has taken the effort to read them and bring clarity on this issue.

Chaudhary Charan Singh on Farm Prices I took these extracts from books of Chaudhary Charan Singh and these books are freely available on Charan Singh Archives-https://charansingh.org/books

शिष्टाचार (Shishtachar) 02/03/2024

शिष्टाचार

https://www.amazon.in/dp/B08QF6H8CN

सन् १९४१ में व्यक्तिगत-सत्याग्रह के आंदोलन में श्री चरण सिंह बरेली सेंट्रल जेल में बंदी रहे। वहां अवकाश की कमी नहीं थी। अपने मित्रों के साथ जेल के एक पेड़ के नीचे कुछ दिन बैठकर पहले के संग्रहित नियमों का पुनरीक्षण हुआ और उनको एक पुस्तक का रूप दे दिया गया। सार्वजनिक जीवन की व्यस्तता से पांडुलिपि कई साल यूं ही रखी रही। विख्यात लेखक श्री भगवती चरण वर्मा ने इस पाण्डुलिपि को देखा और सराहा, और उनके परामर्श से यह जनवरी १९५४ में 'शिष्टाचार’ पहली बार प्रकाशित हुई। सितंबर ४, १९५३ में उत्तर प्रदेश के जब के मुख्य मंत्री श्री गोविंद बल्लभ पंत ने भूमिका में लिखाः

“सदाचार का शिष्टाचार से घनिष्ठ संबंध है। सदाचार सौजन्य की पूंजी है। सदाचार के बिना मनुष्य का जीवन निराधार होता है और शिष्टाचार के बिना सदाचारी पुरुष भी जीवन के माधुर्य से वंचित रह जाता है। हमारे देश में भी सदैव पारस्परिक व्यवहार में स्नेह और सदभाव की झलक दीखती रही है। दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना और यथासंभव ऐसी बात न करना जिससे दूसरे को ठेस पहुंचे, यह नियम हमारे समाज में हमेशा व्यापक रहा है।

सत्य को सदाचार का सर्वश्रेष्ठ आधार ही मानते हैं। सत्य को भी अप्रिय शब्दों में व्यक्त करना उचित नहीं समझा गया है। कुछ दिनों से पराधीनता के फलस्वरूप हमारी सभी बातों में कुछ न कुछ विकार आ गया है जिससे हमारे शिष्टाचार पर धुंधलापन छा गया। अन्यथा हमारे देश के सभी संप्रदाय और वर्गों में सुंदर शिष्टता और तहजीब बरती जाती रही है। जो कुछ भी हमारी मर्यादा विदेशियों के शासन काल में ढीली हो गई थी, उसे अब हमें ठीक करना चाहिए जिससे हमारा सामाजिक जीवन सर्वथा सुपरा और सरस हो जाये। जीवन के सुख और शांति के लिए शिष्टाचार की उपयोगिता सदाचार से कम नहीं है। शिष्टाचार और अनुशासन के द्वारा वैयक्तिक और सामाजिक जीवन स्वस्थ और सुंदर बन सकेगा , इसी विचार से मेरे सहयोगी मित्र श्री चरण सिंह जी ने इस पुस्तक के लिखने का प्रयास किया। मुझे आशा हे की इससे हमारे समाज का हित होगा और विशेषकर नवयुवक वर्ग इससे पूरा लाभ उठावेगा।"

शिष्टाचार (Shishtachar) सन् १९४१ में व्यक्तिगत-सत्याग्रह के आंदोलन में श्री चरण सिंह बरेली सेंट्रल जेल में बंदी रहे। वहां अवकाश की कमी नही...

MSP की कानूनी गारंटी पर चौधरी चरण सिंह का जवाब #vijaysardana #kisanandolan #pmoindia #msp #food 24/02/2024

MSP for agricultural crops
https://youtu.be/V0tFeO8zJz0
The Charan Singh Archives purpose of making Chaudhary Saheb’s written works available on the internet has been met in this instance. Shri Vijay Sardhana has downloaded the 1978 book ‘India’s Economic Policy - the Gandhian Blueprint’ by Chaudhary saheb from the Archives and has analysed the current demand of the farmers agitation for MSP in light of what the book says. This is a must-hear interview as it demonstrates Chaudhary Charan Singh’s deep understanding of India’s economy and the balanced policies required to develop the nation, not only agriculture.

मुझे अत्यंत खुशी हुई कि चौधरी साहब की लिखित रचनाओं को इंटरनेट पर उपलब्ध कराने का चरण सिंह अभिलेखागार का उद्देश्य पूरा हुआ।

श्री विजय सरधाना ने चौधरी साहब की 1978 में रचित पुस्तक 'भारत की आर्थिक नीति - एक गांधीवादी रूपरेखा' डाउनलोड की और उसके आलोक में एम.एस.पी. की वर्तमान मांग का विश्लेषण किया है। यह सुनने योग्य वीडियो है, चौधरी चरण सिंह की भारत की अर्थव्यवस्था और आवश्यक नीतियों की गहरी समझ को दर्शाता है।
अमर रहें चौधरी चरण सिंह - भारत के सर्वोच ग्रामीण बुद्धिजीवी।

MSP की कानूनी गारंटी पर चौधरी चरण सिंह का जवाब #vijaysardana #kisanandolan #pmoindia #msp #food Chaudhary Charan Singh ji's reply on demand to legalize MSPMSP की कानूनी गारंटी पर चौधरी चरण सिंह का जवाबI like to share and discuss complex issues in simple...

Charan Singh: A Brief Life History 02/02/2024

Charan Singh - A Brief Life History

https://www.amazon.in/dp/9387280411?ref=myi_title_dp

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Charan Singh's view of India as a village economy focused around agriculture, with government-led massive rural employment creation in cottage & small industry was a solution that could have kept rural migrants at home. He was not in favour of large cities, where labor lived in poor and exploited conditions. In 2020 when we see millions of labour walking back home, we should remember his simple prescriptions.

This life history in English of Charan Singh, published by the Charan Singh Archives, takes the reader through the early influences of Swami Dayanand and Mohandas Gandhi on Singh, his immersion in the freedom struggle, his long political life in Uttar Pradesh and subsequently in Delhi, and his abiding importance as an organic intellectual of village India with a complex, sophisticated and coherent strategy for India’s development at variance from all post-Independence governments.

Singh was a man of simplicity, virtue and morals in the Gandhian mould, his upright character and honesty recognised by all. This enabled him a reputation as a strong administrator, an upholder of the law of the land. He believed in a fundamentally democratic society of small producers and small consumers brought together in a system neither socialist or capitalist but one that addressed the uniquely Indian problems of poverty, unemployment, inequality, caste and corruption. Each of these issues remains intractable today, and his solutions as fresh and relevant to their amelioration and ultimate eradication.

A scholar of extraordinary capability, Singh wrote a number of books, political pamphlets and numerous articles in English on his belief of the centrality of villages and agriculture in India’s political economy which are even more relevant to India today as we struggle with an agrarian crisis and 67% of our population in the villages. His first publication was the 611-page report of the Zamindari Abolition and Land Reforms Committee in Uttar Pradesh in 1948. He also wrote, amongst others, Abolition of Zamindari: Two Alternatives (1947), Joint Farming X-Rayed: The Problem and Its Solution (1959), India’s Poverty and Its Solution (1964), India’s Economic Policy: The Gandhian Blueprint (1978) and Economic Nightmare of India: Its Cause and Cure (1981).

“ Charan Singh's political life and economic ideas provide an entry-point into a much broader set of issues both for India and for the political and economic development of the remaining agrarian societies of the world. His political career raises the issue of whether or not a genuine agrarian movement can be built into a viable and persistent political force in the 20th century in a developing country. His economic ideas and his political programme raise the question of whether or not it is conceivable that a viable alternative strategy for the economic development of contemporary agrarian societies can be pursued in the face of the enormous pressures for industrialisation. Finally, his specific proposals for the preservation and stabilisation of a system of peasant proprietorship raise once again one of the major social issues of modern times, namely, whether an agrarian economic order based upon small farms can be sustained against the competing pressures either for large-scale commercialisation of agriculture or for some form of collectivisation.”

Brass, Paul. Economic & Political Weekly, 25 Sept 1993. Chaudhuri Charan Singh: An Indian Political Life.

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This page is a window for the public, and for researchers, to the historically rich Charan Singh Archives of scores of books, thousands of photographs, and hundreds of thousands of pages of media articles, speeches and private as well as public correspondence of Charan Singh that are physically stored at the Nehru Memorial Museum & Library (NMML) in Delhi, India.

A selected collection of these books, photographs, videos and papers have been made easily available to browse and download on www.charansingh.org, the official website of the Archives.

This page is managed by Harsh Singh Lohit, grandson of Chaudhary Charan Singh, from Gurgaon, Haryana. He can be reached at [email protected].

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१५ अगस्त १९७९ : लाल किले से धरतीपुत्र, किसानो के मसीहा, गाओं के सूत्रधार चरण सिंह

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