Rati Muktak रति मुक्तक
Poetry Frenzy काव्य उन्माद
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#रतिमुक्तक
प्रातः प्रणय निवेदन हो उनका मेरी भी ये अभिलाषा थी
सर्द सुलगती सुबह में सहवास की आशा थी
गुनगुने हाथों से मेरे नग्न उभारों को सहलाया था
उनकी नस नस में नीरव जोश आया था
खोल ब्लाउज के बटन फिर की मनमानी कुछ
कुछ उनके लब बोले उंगलियों ने लिखी तन पे कहानी कुछ
उत्सुक यौवन हाहाकार मेरा भी था मचा रहा
उनका यौवन मेरे भीतर था शोर मचा रहा
उनकी हुंकार मेरी सिसकारी थी कमरे में भरी हुई
थोड़ी शरमाई थोड़ी सकुचाई थोड़ी थी मैं डरी हुई
कभी होंठों पर गीला सा चुम्बन देकर चूचकों को चूस लिया
मेरे यौवन से लबरेज योनि की मांद में फिर अपने जवान शेर को घुसा दिया
फिर जो उसने अंदर मेरे आपाधापी की
थोड़ी सिहरी सेज पर थोड़ी तो मैं कांपी थी
बिस्तर पर सुबह सुबह भूचाल कोई आया था
जोश था मदहोश था जवानी का दोनों में या बवाल कोई आया था
फिर उनके रगड़ने से मचलने सिसकने मैं लगी
कसमसाने और कसकने में लगी
मगर वो ba रुके ना दिया ध्यान थे मदमस्त अपने पौरुष के गुमान में
स्त्रीत्व मेरा निढाल हुआ फिर बिना किसी व्यवधान में
दोनों ने पाया चरम साथ सुख सर्द सुबह का निराला था
मतवाली उनके प्रेम में मैं थी वो मेरे प्रेम में मतवाला था
#रतिमुक्तक
लिंग की लेखनी से योनि की मेरी गुफा पर चित्रकारी करो l
बेशर्मी से प्यार बेहद बेइंतहा मुझे रात सारी करो
गढ़ो कोई शिल्प वक्ष की मेरी इन शिलाओं पर
होंठ पर मेरे चूम लो ढूंढ लो हरेक तिल पीठ पर जंघाओं पर
नितम्बो को मान तबले दो थपकियां कभी।
ठोकरों से निकाल दो मेरी दबी सिसकियां सभी
रख दो जीभ अपनी जांघो के बीच उस गुप्त द्वार पे।
करते रहो, करते रहो, ध्यान देना नही कसम से चीत्कार पे
मसल दो चूचकों को बेदर्द बालमा उम्र भर बस तेरी रहूं कुछ ऐसा करो।
सैयां मेरे, मेरे जानेमन चुम्बनो से गीला रहे तन कुछ ऐसा करो
खोजो मेरी हर गहराई को दो छाप अपनी ऊंचाई की।
सुनो तेरी हरकतों से छप छप की आवाज आई कहीं
होना है सफल तुमको मेरी मार्ग योनि संग योग में।
होना है सफल तुमको आज मुझसे संभोग में
चरम से चरम बस मिल जाने दो
तेरी आगोश में मुझे मचल जाने दो
मुझमें ही भीतर निकल जाओ तुम
तुझमें फिर मुझे निकल जाने दो l
#रतिमुक्तक
मुझे मेरे ही पास ला दो
खुद के होने का एहसास करा दो
भर लो भींच लो
खुद की ओर खींच लो
मेरे तपते तरसते यौवन को अपने पौरुष से सींच दो
#रतिमुक्तक
सुबह सुबह का मधुर मिलन दिन भर का सुकून दिन भर का सुरुर
प्रेम भर का एक आलिंगन यौवन का नशा यौवन का गुरुर
सर्द सुबह में गरम गरम
संकोच न कोई शरम
एक दूजे का सुख संतुष्टि और
बस परम धरम बस परम धरम
#रतिमुक्तक
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