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10/10/2023

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10/09/2023
10/09/2021

#गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए* 👈

क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा।

क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?

अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे।

आप सब से निवेदन है कि आप।गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नही विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे, वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही इनके रहने से लाल बाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया, तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं और घर के मालिक को कभी विदा नही करते वहीं अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो जीवन मे बचा ही क्या।

हम बड़े शौक से कहते हैं *गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ* इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया, तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए भेज दिया।

इसलिए गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करे।

*निवेदन* - आगामी श्री गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की पारंपरिक मूर्ति ख़रीदे , जिसमे गणेश जी के मूल स्वरुप की प्रतिकृति हो, ऋद्धि-सिद्धि विद्यमान हो ।

बाहुबली गणेश , सेल्फ़ी लेते हुए स्कूटर चलाते हुए ऑटो चलाते हुए बॉडी बिल्डर बाहुबली सिक्स पैक या अन्य किसी प्रकार के अभद्र स्वरुप में गणेश जी को बिठाने का कोई औचित्य नहीं है सनातन धर्म की हँसी उड़ाई जा रही है..

*अपने धर्म का मज़ाक न उड़ायें*

सभी से निवेदन है समझदारी का परिचय देवे , और सही गणेश जी की प्रतिमा का स्थापना करे

ME Deepak sir

*ओम एकदंताय नमो नमः*
 ्संग_की_महिमा  

07/09/2021

हनुमान ने भीम को क्यों दिए अपने तीन बाल।
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एक बार पांडवों के पास नारद मुनि आए और उन्होंने युधिष्ठर से कहा की स्वर्ग में आपके पिता पांडु दुखी हैं। कारण पूछने पर उन्होंने कहा की पांडु अपने जीते जी राजसूय यज्ञ करना चाहते थे जो न कर सके ऐसे में आपको ऐसा कर उनकी आत्मा को शांति पहुंचना चाहिए।

तब पांडवो ने राजसूय यज्ञ आयोजित किया, आयोजन को भव्य बनाने के लिए युधिष्ठर ने यज्ञ में भगवान शिव के परम भक्त ऋषि पुरुष मृगा को आमंत्रित करने का फैसला किया। ऋषि पुरुष मृगा जन्म से ही अपने नाम के जैसे थे। उनका आधा शरीर पुरुष का था और पैर मृग के समान थे। उन्हें ढूंढने और बुलाने का जिम्मा भीम को सौंपा गया। जब भीम, पुरुषमृगा की खोज में निकलने लगे तो श्री कृष्ण ने भीम को चेताया की यदि तुम पुरुषमृगा की गति का मुकाबला नहीं कर पाए तो वो तुम्हें मार देगा।

इस बात से भयभीत भीम, पुरुषमृगा की खोज में हिमालय की ओर चल दिए। जंगल से गुजरते वक़्त उन्हें हनुमान जी मिले। हनुमान जी ने भीम से उसके चिंतित होने का कारण पूछा। भीम ने हनुमान को पूरी कहानी बताई। हनुमान ने कहा यह सच है कि पुरुषमृगा की गति बहुत तेज है और उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उसकी गति मंद करने का एक ही उपाय है। चूँकि वो शिवजी का परम भक्त है इसलिए यदि हम उसके रास्ते में शिवलिंग बना दे तो वो उनकी पूजा करने अवश्य रुकेगा।

हनुमान ने ऐसा कहकर भीम को अपने 3 केश* दिए और कहा की जब भी लगे कि पुरुषमृगा तुम्हें पकड़ने वाले है तो तुम एक बाल वहां गिरा देना। यह एक बाल 1000 शिवलिंगों में परिवर्तित हो जाएगा। पुरुषमृगा अपने स्वाभाव अनुसार हर शिवलिंग की पूजा करेंगे और तुम आगे निकल जाना।

उसके बाद भीम आज्ञा लेकर आगे बढ़े. कुछ दूर जाकर ही भीम को पुरुष मृगा मिल गए जो को भगवान महादेव की स्तुति कर रहे थे। भीम ने उन्हें प्रणाम किया और अपने आने का कारण बताया, इस पर ऋषि ने सशर्त जाने के लिए हां कर दी।

शर्त ये थी की भीम को उनसे पहले हस्तिनापुर पहुंचाना था और अगर वो ऐसा न कर सके तो ऋषि पुरुष मृगा भीम को खा जाएंगे. भीम ने भाई की इच्छा को ध्यान में रखते हुए हां कर दी और हस्तिनापुर की तरफ पुरे बल से दौड़ पड़े। काफी दौड़ने के बाद भीम ने भागते भागते ही पलट कर देखा की पुरुषमृगा पीछे आ रहे है या नहीं, तो चौंक गए की पुरुषमृगा उसे बस पकड़ने वाले ही हैं। तभी भीम को हनुमान के बाल याद आए और उनमे से एक को गिरा दिया, गिरा हुआ बाल हज़ार शिवलिंगो में बदल गया।

शिव के परमभक्त होने के नाते पुरुषुमृगा हर शिवलिंग को प्रणाम करने लगे और भीम भागता रहा। ऐसा भीम ने तीन बार किया और जब वो हस्तिनापुर के द्वार में घुसने ही वाला था तो पुरुषमृगा ने भीम को पकड़ लिया, हालांकि भीम ने छलांग लगाई थी पर उसके पैर दरवाजे के बाहर ही रह गए।

इस पर पुरुषमृगा ने भीम को खाना चाहा, इसी दौरान कृष्णा और युधिष्ठर द्वार पर पहुंच गए। दोनों को देख कर भीम ने भी बहस शुरू कर दी, तब युधिष्ठर से पुरुषमृगा ने न्याय करने को कहा। तब युधिष्ठर ने कहा की भीम के पांव द्वार के बाहर रह गए थे। इसलिए आप सिर्फ भीम के पैर ही खाने के हक़दार है, युधिष्ठर के न्याय से पुरुषमृगा प्रसन्न हुए और भीम को बक्श दिया। उन्होंने राजसूय यज्ञ में भाग लिया और सबको आशीर्वाद भी दिया।
🙏🏼🙏🏼

सुप्रभात वंदन
जय बजरंगबली
जय श्री सीता राम..

06/09/2021

सती सुलोचना की कथा!!!!!!

सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए एक भयंकर युद्ध में मेघनाद का वध हुआ। उसके कटे हुए शीश को भगवान श्रीराम के शिविर में लाया गया था।

अपने पती की मृत्यु का समाचार पाकर सुलोचना ने अपने ससुर रावण से राम के पास जाकर पति का शीश लाने की प्रार्थना की। किंतु रावण इसके लिए तैयार नहीं हुआ। उसने सुलोचना से कहा कि वह स्वयं राम के पास जाकर मेघनाद का शीश ले आये। क्योंकि राम पुरुषोत्तम हैं, इसलिए उनके पास जाने में तुम्हें किसी भी प्रकार का भय नहीं करना चाहिए।

रावण के महापराक्रमी पुत्र इन्द्रजीत (मेघनाद) का वध करने की प्रतिज्ञा लेकर लक्ष्मण जिस समय युद्ध भूमि में जाने के लिये प्रस्तुत हुए, तब राम उनसे कहते हैं- "लक्ष्मण, रण में जाकर तुम अपनी वीरता और रणकौशल से रावण-पुत्र मेघनाद का वध कर दोगे, इसमें मुझे कोई संदह नहीं है।

परंतु एक बात का विशेष ध्यान रखना कि मेघनाद का मस्तक भूमि पर किसी भी प्रकार न गिरे। क्योंकि मेघनाद एकनारी-व्रत का पालक है और उसकी पत्नी परम पतिव्रता है।

ऐसी साध्वी के पति का मस्तक अगर पृथ्वी पर गिर पड़ा तो हमारी सारी सेना का ध्वंस हो जाएगा और हमें युद्ध में विजय की आशा त्याग देनी पड़ेगी। लक्ष्मण अपनी सेना लेकर चल पड़े। समरभूमि में उन्होंने वैसा ही किया। युद्ध में अपने बाणों से उन्होंने मेघनाद का मस्तक उतार लिया, पर उसे पृथ्वी पर नहीं गिरने दिया। हनुमान उस मस्तक को रघुनंदन के पास ले आये।

मेघनाद की दाहिनी भुजा आकाश में उड़ती हुई पत्नी सुलोचना के पास जाकर गिरी। सुलोचना चकित हो गयी। दूसरे ही क्षण अन्यंत दु:ख से कातर होकर विलाप करने लगी। पर उसने भुजा को स्पर्श नहीं किया। उसने सोचा, सम्भव है यह भुजा किसी अन्य व्यक्ति की हो।

ऐसी दशा में पर-पुरुष के स्पर्श का दोष मुझे लगेगा। निर्णय करने के लिये उसने भुजा से कहा- "यदि तू मेरे स्वामी की भुजा है, तो मेरे पतिव्रत की शक्ति से युद्ध का सारा वृत्तांत लिख दे। भुजा में दासी ने लेखनी पकड़ा दी। लेखिनी ने लिख दिया- "प्राणप्रिये, यह भुजा मेरी ही है।

युद्ध भूमि में श्रीराम के भाई लक्ष्मण से मेरा युद्ध हुआ। लक्ष्मण ने कई वर्षों से पत्नी, अन्न और निद्रा छोड़ रखी है। वे तेजस्वी तथा समस्त दैवी गुणों से सम्पन्न है। संग्राम में उनके साथ मेरी एक नहीं चली। अन्त में उन्हीं के बाणों से विद्ध होने से मेरा प्राणान्त हो गया। मेरा शीश श्रीराम के पास है।

पति की भुजा-लिखित पंक्तियां पढ़ते ही सुलोचना व्याकुल हो गयी। पुत्र-वधु के विलाप को सुनकर लंकापति रावणने आकर कहा- 'शोक न कर पुत्री।

प्रात: होते ही सहस्त्रों मस्तक मेरे बाणों से कट-कट कर पृथ्वी पर लोट जाऐंगे। मैं रक्त की नदियां बहा दूंगा। करुण चीत्कार करती हुई बोली- "पर इससे मेरा क्या लाभ होगा, पिताजी। सहस्त्रों नहीं करोड़ों शीश भी मेरे स्वामी के शीश के आभाव की पूर्ती नहीं कर सकेंगे। सुलोचना ने निश्चय किया कि 'मुझे अब सती हो जाना चाहिए।'

किंतु पति का शव तो राम-दल में पड़ा हुआ था। फिर वह कैसे सती होती? जब अपने ससुर रावण से उसने अपना अभिप्राय कहकर अपने पति का शव मँगवाने के लिए कहा, तब रावण ने उत्तर दिया- "देवी ! तुम स्वयं ही राम-दल में जाकर अपने पति का शव प्राप्त करो।

जिस समाज में बालब्रह्मचारी हनुमान, परम जितेन्द्रिय लक्ष्मण तथा एकपत्नीव्रती भगवान श्रीराम विद्यमान हैं, उस समाज में तुम्हें जाने से डरना नहीं चाहिए। मुझे विश्वास है कि इन स्तुत्य महापुरुषों के द्वारा तुम निराश नहीं लौटायी जाओगी।"

सुलोचना के आने का समाचार सुनते ही श्रीराम खड़े हो गये और स्वयं चलकर सुलोचना के पास आये और बोले- "देवी, तुम्हारे पति विश्व के अन्यतम योद्धा और पराक्रमी थे। उनमें बहुत-से सदगुण थे; किंतु विधी की लिखी को कौन बदल सकता है ?आज तुम्हें इस तरह देखकर मेरे मन में पीड़ा हो रही है। सुलोचना भगवान की स्तुति करने लगी।

श्रीराम ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा- "देवी, मुझे लज्जित न करो। पतिव्रता की महिमा अपार है, उसकी शक्ति की तुलना नहीं है। मैं जानता हूँ कि तुम परम सती हो। तुम्हारे सतीत्व से तो विश्व भी थर्राता है। अपने स्वयं यहाँ आने का कारण बताओ, बताओ कि मैं तुम्हारी किस प्रकार सहायता कर सकता हूँ?

सुलोचना ने अश्रुपूरित नयनों से प्रभु की ओर देखा और बोली- "राघवेन्द्र, मैं सती होने के लिये अपने पति का मस्तक लेने के लिये यहाँ पर आई हूँ। श्रीराम ने शीघ्र ही ससम्मान मेघनाद का शीश मंगवाया और सुलोचना को दे दिया।

पति का छिन्न शीश देखते ही सुलोचना का हृदय अत्यधिक द्रवित हो गया। उसकी आंखें बड़े जोरों से बरसने लगीं। रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण की ओर देखा और कहा- "सुमित्रानन्दन, तुम भूलकर भी गर्व मत करना की मेघनाथ का वध मैंने किया है। मेघनाद को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी।

यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग्य था। आपकी पत्नी भी पतिव्रता हैं और मैं भी पति चरणों में अनुरक्ति रखने वाली उनकी अनन्य उपासिका हूँ। पर मेरे पति देव पतिव्रता नारी का अपहरण करने वाले पिता का अन्न खाते थे और उन्हीं के लिये युद्ध में उतरे थे, इसी से मेरे जीवन धन परलोक सिधारे।

सभी योद्धा सुलोचना को राम शिविर में देखकर चकित थे। वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि सुलोचना को यह कैसे पता चला कि उसके पति का शीश भगवान राम के पास है।

जिज्ञासा शान्त करने के लिये सुग्रीव ने पूछ ही लिया कि यह बात उन्हें कैसे ज्ञात हुई कि मेघनाद का शीश श्रीराम के शिविर में है। सुलोचना ने स्पष्टता से बता दिया- "मेरे पति की भुजा युद्ध भूमि से उड़ती हुई मेरे पास चली गयी थी। उसी ने लिखकर मुझे बता दिया।

व्यंग्य भरे शब्दों में सुग्रीव बोल उठे- "निष्प्राण भुजा यदि लिख सकती है फिर तो यह कटा हुआ सिर भी हंस सकता है। श्रीराम ने कहा- "व्यर्थ बातें मत करो मित्र। पतिव्रता के महात्म्य को तुम नहीं जानते। यदि वह चाहे तो यह कटा हुआ सिर भी हंस सकता है।

श्रीराम की मुखकृति देखकर सुलोचना उनके भावों को समझ गयी। उसने कहा- "यदि मैं मन, वचन और कर्म से पति को देवता मानती हूँ, तो मेरे पति का यह निर्जीव मस्तक हंस उठे। सुलोचना की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि कटा हुआ मस्तक जोरों से हंसने लगा।

यह देखकर सभी दंग रह गये। सभी ने पतिव्रता सुलोचना को प्रणाम किया। सभी पतिव्रता की महिमा से परिचित हो गये थे। चलते समय सुलोचना ने श्रीराम से प्रार्थना की- "भगवन, आज मेरे पति की अन्त्येष्टि क्रिया है और मैं उनकी सहचरी उनसे मिलने जा रही हूँ।

अत: आज युद्ध बंद रहे। श्रीराम ने सुलोचना की प्रार्थना स्वीकार कर ली। सुलोचना पति का सिर लेकर वापस लंका आ गयी । लंका में समुद्र के तट पर एक चंदन की चिता तैयार की गयी। पति का शीश गोद में लेकर सुलोचना चिता पर बैठी और धधकती हुई अग्नि में कुछ ही क्षणों में सती हो गई।
जय सियाराम।
🕉️🕉️🙏🙏

04/09/2021

बहुत सुंदर भाव

एक सेठजी जोकि बड़े कंजूस थे एक दिन दुकान पर् बेटे को बैठा दिया और बोले:-

बिना पैसा लिए किसी को कुछ मत देना,मुझे कुछ जरूरी काम है मैं बस यूं गया और यूं आया..

अकस्मात सेठजी के जाने के पश्चात दुकान पर एक संत आए जो अलग अलग जगह से एक समय की भोजन सामग्री लेते थे, लड़के से कहा:-
बेटा जरा नमक दे दो...

लड़के ने संत को डिब्बा खोल कर एक चम्मच नमक दे दिया.....
सेठ जी आए तो देखा कि एक डिब्बा खुला पड़ा था.......

सेठजी ने कहा:-
क्या बेचा, बेटा बोला वो जो तालाब के पास संत रहते हैं उनको एक चम्मच नमक दिया था......

डिब्बा देखकर सेठ का माथा ठनका और बोले:- अरे मूर्ख इसमें तो जहरीला पदार्थ है...

अब सेठजी भाग कर संतजी के पास गए....

संतजी भगवान के भोग लगाकर थाली लिए भोजन करने बैठे ही थे कि सेठजी दूर से ही बोले:-
महाराज जी रुकिए आप जो नमक लाए थे वो जहरीला पदार्थ था,आप भोजन नहीं करें...

संतजी बोले:- भाई हम तो प्रसाद लेंगे ही क्योंकि भोग लगा दिया है और भोग लगा भोजन छोड़ नहीं सकते .....
हां, अगर भोग नहीं लगता तो भोजन नहीं करते और भोजन शुरू कर दिया...

सेठजी के होश उड़ गए, बैठ गए वहीं पर...

रात पड़ गई तो सेठजी वहीं सो गए कि कहीं संतजी की तबियत बिगड़ गई तो कम से कम बैद्यजी को दिखा देंगे, इससे संत की जान भी बचेगी और वो बदनामी से बच जाएंगे ...
यही सोचते सोचते नींद आ गई....

सुबह सेठ जी ने देखा कि संतजी सुबह जल्दी ही उठ गए और नदी में स्नान करके स्वस्थ दशा में आ रहे हैं...

सेठजी ने पूछा:-
महाराज तबियत तो ठीक है...❓
संत बोले:- सब भगवान की कृपा है, कह कर मन्दिर खोला तो देखते हैं कि भगवान का श्री विग्रह के दो भाग हो गए और शरीर कला पड़ गया.......

अब तो सेठजी सारा मामला समझ गए कि अटल विश्वास से भगवान ने भोजन का जहर भोग के रूप में स्वयं ने ग्रहण कर लिया और भक्त को प्रसाद का ग्रहण कराया ...🙏
सेठजी ने आज घर आकर बेटे को घर दुकान संभलवा दी और स्वयं भक्ति करने संत की शरण चले गए.....

शिक्षा :- भगवान को निवेदन करके भोग लगा करके ही भोजन करें, भोजन अमृत बन जाता है भगवान खुद विष पी सकते है मगर भक्तों को प्रसाद स्वरूप अमृत पान ही कराते है ।

🌹 जय जय सियाराम 🌹

04/09/2021

मंथरा को अपयश क्यों मिला?

नाम मंथरा मंदमति चेरी कैकेइ केरि।
अजस पेटारी ताहि करि गई गिरा मति फेरि।।

देवताओं के अनुरोध करनेपर , शारदा अयोध्या में ये देखने लगी कि किसके मन में रामविरोधी भावना भरूँ।वह जिसे देखती रामप्रेम में मगन,खोजते-खोजते कैकेई के दहेज में आई मंथरा दिख पड़ी जिसका मन राम प्रेम में मगन नहीं था। बस उन्हें अवसर मिल गया और सरस्वती ने उसे मतिभ्रम कर दी।

मंथरा पूर्व जन्म में प्रह्लाद पुत्र विरोचन की कन्या थी।उसने देवासुर संग्राम में पापी दैत्यों को सहायता की थी,तब देवता हारकर इन्द्र के पास गए तथा उनसे कहे कि उसे वध किए बिना असुरों पर विजय संभव नहीं है अतः आप उसका वध करें।देवराज इन्द्र ने स्त्री वध पाप है कहकर उसे मारने से इन्कार किया फिर देवता श्री हरि विष्णु के शरण गय तो उन्होंने इन्द्र को कहा-
"आततायिनमायान्तम् हन्यादेवा$विचारयन्"
हे देवराज इन्द्र! पापी,अत्याचारी व्यक्ति कौन है उसका विचार न करके जगत कल्याण हेतु मारना ही कर्तव्य है।
पापी, स्त्री होने से अवध्य नहीं हो सकती।,तो श्री हरि सम्मति से इन्द्रने उसपर वज्र चलाया और वह पृथ्वी पर गिर पड़ी।कूबर निकल अाया और पैर भी टेढ़े हो गए।वो विष्णु एवं देवों को गालियाँ देती हुई कि- मैं तुमलोगों से बदला लूँगी कहते मर गई।
"अंते मति सा गति" के सिद्धांतानुसार संयोग वश फिर कैकयदेश में जन्म ली तो अनाथ रूप में और कैकय राजा के दासी हुई तथा कैकेई के साथ ये दहेज दानव अयोध्या आई। पूर्व जन्म के वैरभाव से राम विरोधी हुई।रामभक्त शत्रुघ्न के चरणस्पर्श से पाप मुक्ति मिली तो द्वापर में कुबड़ी भगवद्भक्त हुई।

सुमंगलं
सीताराम जय सीताराम
सीताराम जय सीताराम

03/09/2021

💐💐आज का सुविचार💐💐

ब्लेड की धार तेज होती है, लेकिन पेड़ को नही काट सकता।
कुल्हाड़ी मजबूत होती है, लेकिन बाल नहीं काट सकती।
वैसे ही हर इंसान अपनी अपनी काबिलियत के अनुसार सर्वश्रेष्ठ होता है। इसलिए अपनी तुलना किसी अमीर - गरीब, छोटे - बड़े से कभी ना करें।
मीठे शब्द और अच्छा व्यवहार ही, इंसान को बादशाह बना देता हैं । केवल पैसों से आदमी धनवान नहीं होता, असली धनवान वह है जिसके पास, अच्छी सोच, मधुर व्यवहार, सुंदर विचार, और बहुत ही अच्छे दोस्त होते हैं ।
विचारों को वश में रखिये "वो तुम्हारें शब्द बनेंगे" शब्दों को वश में रखिये "वो तुम्हारें कर्म बनेंगे" कर्मों को वश में रखिये "वो तुम्हारी आदत बनेंगे" आदतों को वश में रखिये "वो तुम्हारा चरित्र बनेगा" चरित्र को वश में रखिये "वो तुम्हारा भाग्य बनेंगे।

🌳🌳सुप्रभात🌳🌳

16/05/2021

“आप की ग़लतियाँ इस बात का सबूत हैं कि आप कोशिश कर रहे हैं.”

27/04/2021

27अप्रैल 2021
ग्वालियर में आज 1208 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे।
श्री हनुमान जी महाराज कृपा करे संकट से शीघ्र निकाले

25/04/2021

25अप्रैल 2021
ग्वालियर में आज 1107 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे।

24/04/2021

इनको बोलते है सच्चा जन सेवक जो जनता के हर सुख और दुख में हमेशा साथ खड़े रहते है । मुझे गर्व है।

31/01/2021

#हिंदुओं #जानो #अपने #धर्म और #संस्कृति के #बारे #मे

*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*
*1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन*
*4. नकुल। 5. सहदेव*

*( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )*

*यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन*
*की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।*

*वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..*
*कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -*
*1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह*
*4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम*
*7. सह 8. विंद 9. अनुविंद*
*10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण*
*13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण*
*16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान*
*19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र*
*22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन*
*25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु*
*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*
*31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण*
*34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन*
*37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल*
*43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*
*46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर*
*49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी*
*52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र*
*55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक*
*61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी*
*64. दुष्पराजय 65. अपराजित*
*66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष*
*68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त*
*71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु*
*74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी*
*77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी*
*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु*
*83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा*
*86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य*
*88. कुण्डभेदी। 89. विरवि*
*90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम*
*92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा*
*94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु*
*96. सुजात। 97. कनकध्वज*
*98. कुण्डाशी 99. विरज*
*100. युयुत्सु*

*( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,*
*जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )*

*"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*

*ॐ . किसको किसने सुनाई?*
*उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।*

*ॐ . कब सुनाई?*
*उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।*

*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*
*उ.- रविवार के दिन।*

*ॐ. कोनसी तिथि को?*
*उ.- एकादशी*

*ॐ. कहा सुनाई?*
*उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।*

*ॐ. कितनी देर में सुनाई?*
*उ.- लगभग 45 मिनट में*

*ॐ. क्यू सुनाई?*
*उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।*

*ॐ. कितने अध्याय है?*
*उ.- कुल 18 अध्याय*

*ॐ. कितने श्लोक है?*
*उ.- 700 श्लोक*

*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*
*उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।*

*ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा*
*और किन किन लोगो ने सुना?*
*उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने*

*ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*
*उ.- भगवान सूर्यदेव को*

*ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?*
*उ.- उपनिषदों में*

*ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*
*उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।*

*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?*
*उ.- गीतोपनिषद*

*ॐ. गीता का सार क्या है?*
*उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना*

*ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?*
*उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574*
*अर्जुन ने- 85*
*धृतराष्ट्र ने- 1*
*संजय ने- 40.*

*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद*

*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*

*33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू*
*धर्म मेँ।*

*कोटि = प्रकार।*
*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,*

*कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।*

*हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...*

*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-*

*12 प्रकार हैँ*
*आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,*
*शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,*
*सविता, तवास्था, और विष्णु...!*

*8 प्रकार हे :-*
*वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।*

*11 प्रकार है :-*
*रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,*
*अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,*
*रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।*

*एवँ*
*दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।*

*कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी*

*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*
*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*
*लोगो तक पहुचाएं। ।*

*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

*१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है*

*THIS IS VERY GOOD INFORMATION FOR ALL OF US ... जय श्रीकृष्ण ...*

*अब आपकी बारी है कि इस जानकारी*
*को आगे बढ़ाएँ ......*

*अपनी भारत की संस्कृति*
*को पहचाने.*
*ज्यादा से ज्यादा*
*लोगो तक पहुचाये.*
*खासकर अपने बच्चो को बताए*
*क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं* *बताएगा...*

*📜😇 दो पक्ष-*

*कृष्ण पक्ष ,*
*शुक्ल पक्ष !*

*📜😇 तीन ऋण -*

*देव ऋण ,*
*पितृ ऋण ,*
*ऋषि ऋण !*

*📜😇 चार युग -*

*सतयुग ,*
*त्रेतायुग ,*
*द्वापरयुग ,*
*कलियुग !*

*📜😇 चार धाम -*

*द्वारिका ,*
*बद्रीनाथ ,*
*जगन्नाथ पुरी ,*
*रामेश्वरम धाम !*

*📜😇 चारपीठ -*

*शारदा पीठ ( द्वारिका )*
*ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )*
*गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,*
*शृंगेरीपीठ !*

*📜😇 चार वेद-*

*ऋग्वेद ,*
*अथर्वेद ,*
*यजुर्वेद ,*
*सामवेद !*

*📜😇 चार आश्रम -*

*ब्रह्मचर्य ,*
*गृहस्थ ,*
*वानप्रस्थ ,*
*संन्यास !*

*📜😇 चार अंतःकरण -*

*मन ,*
*बुद्धि ,*
*चित्त ,*
*अहंकार !*

*📜😇 पञ्च गव्य -*

*गाय का घी ,*
*दूध ,*
*दही ,*
*गोमूत्र ,*
*गोबर !*

*📜😇 पञ्च देव -*

*गणेश ,*
*विष्णु ,*
*शिव ,*
*देवी ,*
*सूर्य !*

*📜😇 पंच तत्त्व -*

*पृथ्वी ,*
*जल ,*
*अग्नि ,*
*वायु ,*
*आकाश !*

*📜😇 छह दर्शन -*

*वैशेषिक ,*
*न्याय ,*
*सांख्य ,*
*योग ,*
*पूर्व मिसांसा ,*
*दक्षिण मिसांसा !*

*📜😇 सप्त ऋषि -*

*विश्वामित्र ,*
*जमदाग्नि ,*
*भरद्वाज ,*
*गौतम ,*
*अत्री ,*
*वशिष्ठ और कश्यप!*

*📜😇 सप्त पुरी -*

*अयोध्या पुरी ,*
*मथुरा पुरी ,*
*माया पुरी ( हरिद्वार ) ,*
*काशी ,*
*कांची*
*( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,*
*अवंतिका और*
*द्वारिका पुरी !*

*📜😊 आठ योग -*

*यम ,*
*नियम ,*
*आसन ,*
*प्राणायाम ,*
*प्रत्याहार ,*
*धारणा ,*
*ध्यान एवं*
*समाधि !*

*📜😇 आठ लक्ष्मी -*

*आग्घ ,*
*विद्या ,*
*सौभाग्य ,*
*अमृत ,*
*काम ,*
*सत्य ,*
*भोग ,एवं*
*योग लक्ष्मी !*

*📜😇 नव दुर्गा --*

*शैल पुत्री ,*
*ब्रह्मचारिणी ,*
*चंद्रघंटा ,*
*कुष्मांडा ,*
*स्कंदमाता ,*
*कात्यायिनी ,*
*कालरात्रि ,*
*महागौरी एवं*
*सिद्धिदात्री !*

*📜😇 दस दिशाएं -*

*पूर्व ,*
*पश्चिम ,*
*उत्तर ,*
*दक्षिण ,*
*ईशान ,*
*नैऋत्य ,*
*वायव्य ,*
*अग्नि*
*आकाश एवं*
*पाताल !*

*📜😇 मुख्य ११ अवतार -*

*मत्स्य ,*
*कच्छप ,*
*वराह ,*
*नरसिंह ,*
*वामन ,*
*परशुराम ,*
*श्री राम ,*
*कृष्ण ,*
*बलराम ,*
*बुद्ध ,*
*एवं कल्कि !*

*📜😇 बारह मास -*

*चैत्र ,*
*वैशाख ,*
*ज्येष्ठ ,*
*अषाढ ,*
*श्रावण ,*
*भाद्रपद ,*
*अश्विन ,*
*कार्तिक ,*
*मार्गशीर्ष ,*
*पौष ,*
*माघ ,*
*फागुन !*

*📜😇 बारह राशी -*

*मेष ,*
*वृषभ ,*
*मिथुन ,*
*कर्क ,*
*सिंह ,*
*कन्या ,*
*तुला ,*
*वृश्चिक ,*
*धनु ,*
*मकर ,*
*कुंभ ,*
*मीन!*

*📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -*

*सोमनाथ ,*
*मल्लिकार्जुन ,*
*महाकाल ,*
*ओमकारेश्वर ,*
*बैजनाथ ,*
*रामेश्वरम ,*
*विश्वनाथ ,*
*त्र्यंबकेश्वर ,*
*केदारनाथ ,*
*घुष्नेश्वर ,*
*भीमाशंकर ,*
*नागेश्वर !*

*📜😇 पंद्रह तिथियाँ -*

*प्रतिपदा ,*
*द्वितीय ,*
*तृतीय ,*
*चतुर्थी ,*
*पंचमी ,*
*षष्ठी ,*
*सप्तमी ,*
*अष्टमी ,*
*नवमी ,*
*दशमी ,*
*एकादशी ,*
*द्वादशी ,*
*त्रयोदशी ,*
*चतुर्दशी ,*
*पूर्णिमा ,*
*अमावास्या !*

*📜😇 स्मृतियां -*

*मनु ,*
*विष्णु ,*
*अत्री ,*
*हारीत ,*
*याज्ञवल्क्य ,*
*उशना ,*
*अंगीरा ,*
*यम ,*
*आपस्तम्ब ,*
*सर्वत ,*
*कात्यायन ,*
*ब्रहस्पति ,*
*पराशर ,*
*व्यास ,*
*शांख्य ,*
*लिखित ,*
*दक्ष ,*
*शातातप ,*
*वशिष्ठ !*

*॥ हरे कृष्णा हरे कृष्ण*
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥*
*॥ हरे राम हरे राम*
*॥ राम राम हरे हरे ॥*

*इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी संस्कृति का ज्ञान हो।*

*🙏🏻॥ जय श्री कृष्णा ॥🙏🏻*
🚩🚩 *जय हनुमान* 🚩🚩
🚩🚩 **🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Photos from Newstk's post 09/10/2020
23/08/2020

My Guru Ji and my heart krishna

25/07/2020

जय जय श्री राम🚩🚩🚩

18/04/2020

जय जय श्रीराम

15/04/2020

राज्य के जो मजदूर अन्य राज्यों में फंसे हैं, उनके भोजन व आवास की व्यवस्था राज्यों के साथ समन्वय बनाकर की है।

संकट के इस समय में फंसे हुए श्रमिकों की तात्कालिक आवश्यकता पूरी करने के लिए उनके खाते में ₹1000 भेजने का फैसला किया है:

10/04/2020

Who ka sach

Photos from Newstk's post 09/04/2020

सप्तऋषि

08/04/2020

समस्त दानदाता जो इस कठिन समय मे मानवता के अग्रदूत बन लोगों की मदद कर रहे हैं उनसे सादर अनुरोध है:

- हमें जल्द से जल्द पके भोजन की व्यवस्था को खत्म करना है क्योंकि इसमें कोरोना के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई कमज़ोर हो रही है. कोई social distancing protocol सुनिश्चहित नहीं हो पा रही है. अच्छे विचारधारा के बावजूद मौजूदा व्यवस्था कही ना कही अपने प्राथमिक लक्ष्य के विपरीत है।

- बहुत से लोग कच्चा राशन का वितरण भी कर रहे हैं अपने सुविधा और choice के स्थान पर. इसमे अनुरोध है की ज़िला प्रशासन ने planning की है हमें शहर के 26 hot spot जहाँ अधिकांश जरूरतमंद लोग निवासरत है को यदि 10 दिवस का राशन मिल जाए तो वो 10 दिन नहीं निकलेंगे और वहाँ हमें पका खाना नहीं पहुँचाना पड़ेगा. प्रशासन ने ऐसे 8 स्थानो पर पर्याप्त राशन पहुँचा दिया है.

- यदि कच्चा राशन बाटने वाली संस्थाएँ या लोग ज़िला प्रशासन के माध्यम से वितरण करे तो हम समस्त ज़रूररत मंद लोगों और क्षेत्रों को एक-एक कर saturate कर देंगे और वहाँ पका खाना लेकर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. इसमें वितरण कर्ता स्वयं सेवक और लोग भी सुरक्षित रहेंगे।

- अभी हो ये रहा है की एक ही स्थान पर प्रशासन और अन्य लोग भी बाट रहें है.

- इस प्रकार कही बार-बार राशन बँट रहा और कही कुछ भी नहीं.

अतः कच्चे राशन का वितरण ऐसे ना करें

कच्चे राशन के सहयोग हेतु आप श्री नरवरिया महिला बाल विकास के नम्बर पर सूचित करें

+91 93011 16307

07/04/2020

हमारे प्रधान मंत्री के दिन की शुरुआत

05/04/2020

Pakistan ke halaat

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