Choka kaana

Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Choka kaana, Hotel, birlanagar, Gwalior.

05/04/2022
03/04/2022
24/03/2022
23/02/2022
16/02/2022
12/02/2022
12/02/2022
07/02/2022
07/02/2022
31/01/2022
27/01/2022
1दम सस्ते 5min मे 6 सबसे आसान Tastyपार्टी स्नैक्स देखलेंगे तो यही बनायेंगें| 6 Indian Snacks Recipes 16/01/2022

1दम सस्ते 5min मे 6 सबसे आसान Tastyपार्टी स्नैक्स देखलेंगे तो यही बनायेंगें| 6 Indian Snacks Recipes 6 instant indian Party snacks recipes with less ingredients easy snacks recipe. Easy Indian Snack Recipes Healthy Snacks Recipe | Non fried Healthy snack bre...

07/01/2022
06/01/2022
🚩🇮🇳 हिंदू राष्ट्र 🇮🇳🚩 30/12/2021

🚩🇮🇳 हिंदू राष्ट्र 🇮🇳🚩 🇮🇳 जय माँ भारती, वन्दे मातरम् Add Member करें 🙏🚩 https://t.me/HinduRastraGroup ऊंच-नीच की करो विदाई हिंदू हिंदू भाई भाई🚩

28/12/2021
27/12/2021
23/12/2021
20/12/2021
14/12/2021
07/01/2021
12/12/2020

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की बलिदान के बाद उस बेटे का क्या हुआ ?

वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था, जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थीं.

अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं, हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –

15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.

मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा, मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.

मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.

देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.

मेरा इलाज तो हो गया, मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.
हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.

उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक़सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए, पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.
फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.
सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.

दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।

इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी की रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे, तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी, बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है, लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो गया ।
दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासी तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।

दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ की याद में उनके कई चित्र बनाये हैं, जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।

उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरि नगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह मध्यम वर्ग परिवार है।
लोगों ने तो भुला ही दिया है, जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजों के खिलाफ, आइए इस को आगे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराएं !!

साभार- Rajesh Kumar Yadav

12/12/2020
03/11/2020
Timeline photos 28/10/2020

64 योगिनी रहस्य और उनके मंत्र ।

क्या बड़े कोरड़पति और अरबपति इनका आशीर्वाद प्राप्त कर धनवान बनते हैं….जाने इस गूढ़ रहस्य को !

अक्सर देखा गया है की कई लोग, अनायास ही अचानक बहुत धनवान और आशवर्यावान हो जाते हैं, किसी भी काम में छोटा मोटा हाथ आजमाते हैं और किस्मत ऐसी पलटी मारती है की उनके ऊपर धन ऐश्वर्य की बरसात होने लगती है. ऐसा मात्र मेहनत से सम्भव दिखाई नहीं देता …कुछ तो ऐसा होता है जिसके प्रभाव से उनके पास अचानक धन का प्रभाव आने लगता है …जानिये कुछ इस तरह की दिव्य शक्तयों के बारे में जिसको लेकर बहुत से लोग अनजान होते हैं परन्तु ये सत्य है की कोई इन दिव्या शक्तियों को यथावत सिद्ध करले तो उसके जीवन में वो चमत्कार होने लगते हैं जो स्वप्न की कल्पना की तरह लगते हैं !

योगिनी साधना एक बहुत ही प्राचीन तंत्र विद्या की विधि है. इसमें सिद्ध योगिनी या सिद्धि दात्री योगिनी की आराधना की जाती है. इस विद्या को कुछ लोग द्वतीय दर्जे की आराधना मानते हैं लेकिन ये सिर्फ एक भ्रांति है. योगिनी साधना करने वाले साधकों को बहुत ही आश्चर्यजनक लाभ होता है. हर तरह के बिगड़े कामों को बनाने में इस साधना से लाभ मिलता है. माँ शक्ति के भक्तों को योगिनी साधना से बहुत जल्द और काफी उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त होते हैं. इस साधना को करने वाले साधक की प्राण ऊर्जा में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. माँ की कृपा से भक्त के जीवन की सारी मुश्किलें हल हो जाती हैं और उसके घर में सुख और सम्रद्धि का आगमन हो जाता है.

जब भाग्यवश काफी प्रयासों के बाद भी कोई काम नहीं बन रहा है या प्रबल शत्रुओं के वश में होकर जीवन की आशा छोड़ दी हो तो इस साधना से इन सभी कष्टों से सहज ही मुक्ति पाई जा सकती है। इस साधना के द्वारा वास्तु दोष, पितृदोष, कालसर्प दोष तथा कुंडली के अन्य सभी दोष बड़ी आसाना से दूर हो जाते हैं। इनके अलावा दिव्य दृष्टि (किसी का भी भूत, भविष्य या वर्तमान जान लेना) जैसी कई सिद्धियां बहुत ही आसानी से साधक के पास आ जाती है। परन्तु इन सिद्धियों का भूल कर भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अन्यथा अनिष्ट होने की आशंका रहती है।

साधना विधि

इस साधना को सोमवार रात्रि मे या अमावस्या/पुर्णिमा के रात्रि मे सम्पन्न करे। साधना के शुरुआत मे गणेश मंत्र और गुरुमंत्र का जाप भी करले,अगर आपके कोइ गुरु ना हो तो भगवान शिव को गुरू मान कर ॐ नम: शिवाय का जाप करें ।अब किसी पात्र मे शिवलिंग रखे और शिवलिंग का सामान्य पुजन करे,जल भी चढाये । एक सफेद रंग का पुष्प अपना मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर अर्पित करे। 64 योगिनी मंत्र को एक-एक बार पढना जरुरी है परंतु आप मे पात्रता हो तो 1,3,5,7,11.....108 की संख्या मे आप ज्यादा मंत्र का उच्चारण कर सकते है। यह तांत्रोत्क बीज मंत्रो से युक्त योगिनी मंत्र है,जिसकी अधिष्ठात्री देवि ललिताम्बा है,जो साधक का कोइ भी इच्छा पुर्ण कर सकती है।

योगिनी मंत्र जाप से पुर्व और अंत मे "ॐ नमः शिवाय" का जाप भी करना जरुरी है। आगे योगिनी मंत्रो को बोलते हुए किसी भी प्रकार के शिवलिंग पर अष्टगंध युक्त चावल चढाये-

पुजन के बाद शिव जी का आरती करे और एक बार फिर उनसे अपना मनोकामना पुर्ण करने हेतु प्रार्थना करे। साधना सम्पूर्ण होते ही चढाये हुए चावल शिवलिंग के उपर से निकालकर सुरक्षित रख दे और दुसरे दिन जल मे प्रवाहित कर दे ।

64 योगिनीयो के सिद्ध मंत्र ।

१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा ।

२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा ।

३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा ।

४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा

५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा ।

६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा ।

७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा ।

८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा ।

९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा ।

१०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा ।

११. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा ।

१२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा ।

१३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा ।

१४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा ।

१५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा ।

१६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा ।

१७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा

१८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा

१९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा ।

२०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा ।

२१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा ।

२२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा ।

२३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा ।

२४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा ।

२५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा ।

२६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा ।

२७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा ।

२८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा ।

२९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा ।

३०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा ।

३१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा ।

३२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा ।

३३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा ।

३४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा ।

३५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा ।

३६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा ।

३७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा ।

३८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा ।

३९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा ।

४०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा ।

४१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा ।

४२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा ।

४३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा ।

४४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा ।

४५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा ।

४६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा ।

४७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा ।

४८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा ।

४९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा ।

५०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा ।

५१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा ।

५२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा ।

५३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा ।

५४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा ।

५५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा ।

५६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा ।

५७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा ।

५८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा ।

५९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा ।

६०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा ।

६१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा ।

६२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा ।

६३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मीh मनोरमायोनि स्वाहा ।

६४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।

ओउम
श्रीगुरवे नमः
ॐ नमः शिवाय

28/10/2020
03/08/2020

Khao ji

23/07/2020

Laddu

14/07/2020
13/07/2020
Want your hotel to be the top-listed Hotel in Gwalior?
Click here to claim your Sponsored Listing.

Category

Website

Address

Birlanagar
Gwalior

Other Hotels in Gwalior (show all)
HOTEL ROYAL Aanandam HOTEL ROYAL Aanandam
474001
Gwalior, 474001

YOUR HAPPINESS DESTINATION.

Hotel Gold Inn Hotel Gold Inn
Phool Bagh Square
Gwalior, 474002

Banquets | Fort View Resturant | Budgeted Stays Best Roof top Resturant in town

ShriBhumi Hotels ShriBhumi Hotels
108 Kherapati Colony
Gwalior, 474002

Spend less on stays , more on travel !

Hotel Haveli and restaurant Hotel Haveli and restaurant
Gwalior Bypass Highway Near Jaigurudev Aashram Ramaua
Gwalior, 475001

Hotel Haveli located at NH 44 Gwalior bypass highway near jaigurudev aashram Ramaua Madhya Pradesh 475001. Luxury Family Restaurant.

Grand Paradise Restaurant Grand Paradise Restaurant
Near Anandpur Trust Morena Link Road Ganga Malanpur GWALIOR
Gwalior, 474003

OUR RESTAURANT IS A NEW PERSPECTIVE ON FOOD... ~A GOOD PLACE FOR ALL FOODIES.....

Hotel Royal Inn Gwalior Hotel Royal Inn Gwalior
Main Road Near SP Office, City Center
Gwalior, 474011

This residence features conference/meeting rooms and there is free of charge Wireless Internet connectivity throughout the hotel in both public and room areas. Food is available th...

G.D. Palace Marriage Garden And Hotel G.D. Palace Marriage Garden And Hotel
Shabd Pratap Ashram Urwai Gate Road
Gwalior, 474012

Venue for Weddings, Birthday events, Ring ceremony, Engagement program and A.C and Non A.C. rooms ,A

Iphone steor Iphone steor
Thatipur Road, Khalifa Colony, Thatipur
Gwalior, 474011

Kartar Singh Tomar Kartar Singh Tomar
Phe Colony
Gwalior, 474003

Singh Is King

Virat Guest House Virat Guest House
Gwalior, 474002

Virat guest house Gwalior located near suruchi hotel gole ka mandir. the rooms here have pretty colurfull decals on the walls. tourist attraction that can be easily visited from he...

Amrit Hasta Amrit Hasta
F-02 Sai Krupa Apartments, 38 Kanti Nagar
Gwalior

Amrit Hasta provides Healthy Food at your Doorstep!! We provide Interesting Salads,Soup,Combos& fulf