Awareness by Dr.Nishant Gupta
Awareness about health and other general awareness by Dr. Nishant Gupta MBBS MD CCEBDM
मलेरिया केसे फैलता है, लक्षण एवम बचाव के तरीके
लू से बचाव के नुस्खे एवम उपाय, गर्मी के खिलाफ स्वास्थ्य की रक्षा 😊
https://youtu.be/DXSjrmoaczo?si=8nBDnWavnwJIlrhC
*क्या कुत्ते के चाटने से रेबीज हो सकती है*
*कुत्ते के चाटने पर तुरंत क्या घरेलू उपाय करें*
*जानें जयारोग्य अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ अशोक मिश्रा सर से*
Kutte ne चाटा तो तुरंत ये घरेलू उपाय करें ? dog के चाटने से kya rabies hoti he?dog licking| #कुत्ते Your Query --Kutte ne चाटा तुरंत ये घरेलू उपाय करें ? k...
https://youtu.be/64VWCo4tGkM?si=POE8LZL24KUX_t0R
*कुत्ते के नाखून लगने पर तुरंत ये उपचार करें ? क्या कुत्ते के नाखून लगने से रेबीज बीमारी हो सकती है ?*
*जानें
*डॉ.अशोक मिश्रा सर से* ।
*वरिष्ठ डॉ.अशोक मिश्रा सर Jayarogya hospital के पूर्व अधीक्षक व GR medical College Gwalior में कम्यूनिटी मेडिसन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं। आपको एंटी रेबीज क्लीनिक चलाने का लगभग 20 साल का अनुभव रहा है।*
kutte ke nakhun lagne se kya hota he ?dog ke nakhun lagne se kya hota he?Dog Nails Scratch पार्ट -2| lagne_se_kya_hota_he &_dog_nail_scratches_rabies ...
यह खुशी की बात है...
Happiness Sutras
‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिस को छुपा रहे हो...।’ मतलब यह कि गम भी छुप जाता है मुस्कुराने से तो फिर खुश रहने से क्या गम भाग नहीं सकता? ज़रूर भाग सकता है। लेकिन हम खुश रहने में भी खूब कंजूसी करते हैं। यही तो ऐसा काम है जिसके पैसे नहीं लगते। अगर दिनभर हम ध्यान दें तो 50 से ज़्यादा खुशी के मौके आराम से मिल सकते हैं। फिर देर किस बात की। खुशी के ऐसे ही 5 सूत्रों के बारे में बता रहे हैं लोकेश के. भारती, जिन्हें अब तक शायद आपने मिस किया होगा।
20 मार्च (बुधवार) हैपिनेस डे
'दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है...।’ इसमें बात गम की हो रही है, तुलना भी हो रही है और तुलनाकर के रिज़ल्ट भी बताया जा रहा है कि दुनिया में हमसे ज़्यादा दुखी भी बहुत-से लोग हैं। इसलिए खुश होने का कोई मौका जाने न दें। सिर्फ ध्यान इस बात का रखना है कि खुश रहना और दूसरों पर हंसने में बड़ा फर्क है। दूसरों पर हंस कर खुश नहीं हो सकते। खुशी को खोजने की शुरुआत घर से ही कर सकते हैं। घर में तमाम ऐसे मौके मिल सकते हैं, लेकिन हम उन्हें छोटी-सी बात कहकर टाल देते हैं। हम अक्सर बड़ी खुशियों को ही खुशी मानते हैं, मसलन: जॉब लगी, घर खरीदा, गाड़ी ली, पसंद की लड़की या लड़के से शादी हुई, कहीं बड़ा फायदा हुआ हो। बाकी छोटी-छोटी बातों को तरजीह ही नहीं देते। अरे! अगर बच्चा सोसायटी में खेल कर अपनी बैटिंग के बारे में बताता है कि उसने एक ओवर में ही 3 छक्के लगा दिए तो उसकी खुशी में शामिल होने की बजाय ‘ठीक है’ कहकर टाल देना सही है क्या? बिलकुल नहीं। अगर बेटी या बेटा कुछ रेखाएं खींचकर, आपको खुशी के साथ दिखाने आएं कि देखो मैंने यह बनाया है। ऐसे में पन्ना बर्बाद कर दिया, बेकार है, मैं अभी बिज़ी हूं बोलकर डांट देना क्या सही है? बिलकुल नहीं है। उनकी खुशियों में शामिल हों। कहें, बढ़िया है। इससे भी अच्छा बनाने की कोशिश करो। इसी तरह अगर पत्नी या पति ने सामान्य या सामान्य से कुछ भी अलग मदद की हो, आपकी ज़रूरतों का ध्यान रखा हो तो तारीफ के जरिए उन्हें प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है। न कि ‘ठीक है’ कहकर आगे बढ़ने की।
लब्बोलुआब यह है कि हंसी और खुशी वायरल की तरह है। खुशी का सोचते ही चेहरे पर तबस्सुम चमकने लगती है।
हंसी और खुशी का है आत्मीय संबंध: वैसे तो हम इन दोनों शब्दों का प्रयोग बिना सोचे कर देते हैं। लेकिन इन दोनों में एक फर्क है। अगर खुशी आंतरिक होती है तो हंसी कई बार सिर्फ बाहरी भी हो सकती है। जब हंसी किसी आंतरिक खुशी की वजह से आए तो वह हंसी ज़्यादा आत्मीय लगती है। पर यह भी सच है कि अगर खुशी न भी हो तो भी हंसना चाहिए क्योंकि हंसी एक अच्छी एक्सरसाइज़ भी है। इससे कई तरह के पॉजिटिव हॉर्मोन निकलते हैं। इसलिए हंसी-खुशी हरेक की ज़िंदगी में शामिल होनी चाहिए। इसे एक तरह का सप्लिमेंट कह सकते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद है।
चुनौतियों को हराने में: जो चीज़ स्ट्रेस से शुरू होती है, उसका हल न होने पर वह आगे बढ़कर चिंता में बदल जाती है। हकीकत यह है कि हर इंसान स्ट्रेस और चिंता से गुजरता है। इस बात को समझना चाहिए कि जब तक होश है और सांसें चल रही हैं, इनसे भाग नहीं सकते। हां, इन्हें मैनेज कर सकते हैं। इन्हें मैनेज करने में और इनसे बाहर निकलने में खुशी को खोजने की आदत बहुत काम आती है। दरअसल, हमारी खुशी खोजने की आदत की वजह से हम अक्सर नेगेटिव परिस्थितियों में, चुनौतियों से मुश्किल लड़ाई को भी आसान बना देते हैं। सीधे कहें तो हम मानसिक रूप से मजबूत होकर उभरते हैं।
सेहतमंद होना
खुश होना है तो अपनी सेहत को सबसे पहले रखें। हर काम से पहले। सेहत को नज़रअंदाज़ कर के करियर में सफल हो भी गए तो आगे उस सफलता को सही रूप में एंजॉय नहीं कर पाएंगे। सेहत का मतलब सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक भी है। दरअसल, अगर किसी को हर दिन 40 मिनट की एक्सरसाइज़ करनी हो, वॉक करना हो, जंक फूड आदि को न कहना हो, स्क्रीन से दूर रहना हो, रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना हो तो यह बिना मानसिक जीवटता के मुमकिन नहीं होता। अगर कोई मानसिक रूप से मजबूत होगा तो वह स्वाभाविक रूप से शारीरिक रूप से भी मजबूत होगा। बात चाहे मानसिक मजबूती की हो या फिर शारीरिक मजबूती की नींद इसका पहला बड़ा सूत्र है। अच्छी, गहरी नींद यह कहती है कि उस शख्स को चिंता, फिक्र, तनाव, डिप्रेशन जैसी मानसिक परेशानी या तो बहुत कम है या है भी तो उसे परेशान नहीं कर पा रही है, जो उसकी मानसिक मजबूती की ही निशानी है।
मानसिक मज़बूती
नींद को भूले तो रूठ जाएगी खुशी
ज़िंदगी की आपाधापी में सबकुछ याद रखने की कोशिश करते हैं, अक्सर खुद को भूल जाते हैं। भूल अपनी नींद को भी जाते हैं। एक अच्छी नींद। एक गहरी नींद। लगातार 7 से 8 घंटे की नींद। यह नींद बेहद ज़रूरी है। अपने शरीर को दुरुस्त रखने के लिए, इम्यूनिटी को बेहतर करने के लिए, शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए, भोजन के पाचन और फिर उसके सही तरीके से जज़्ब होने के लिए, सेक्स लाइफ बेहतर करने के लिए, इन सभी के अलावा नींद जरूरी है मानसिक सेहत के लिए, मानसिक शांति के लिए और हर छोटी खुशी को बड़ी खुशी में बदलने के लिए। इसे शायद सभी ने महसूस किया होगा कि जिस रात हमारी नींद पूरी नहीं होती, उस सुबह हम चिड़चिड़े रहते हैं, ज़्यादा गहराई से सोच नहीं पाते, घर के साथ ऑफिस के काम में भी मन नहीं लगता और बिना मतलब भी गुस्सा होने लगते हैं। यह गुस्सा कभी अपने बच्चों, वाइफ या पत्नी पर, मां-बाप पर तो कभी ऑफिस स्टाफ पर निकल जाता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि हम छोटी-छोटी खुशियों का मज़ा नहीं ले पाते।
अच्छी नींद के लिए सही हो रुटीन
हमारी नींद के लिए ज़रूरी है मेलाटोनिन। यह एक केमिकल है जिसे स्लीपिंग हॉर्मोन भी कहते हैं। यह वही हॉर्मोन है जो नींद की दवा में होता है। यह हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक (हमारी आदतों और रुटीन से हमारे सोने, जागने, खाने, पीने आदि की टाइमिंग फिक्स हो जाती है) को सही तरीके से चलाने में मदद करता है। रात के वक्त नियमित नींद के लिए यह हॉर्मोन आमतौर पर शरीर खुद ही निकालता है। यह दिमाग में मौजूद पिनियल ग्लैंड से निकलता है। कब सोना है और कब उठना, यह इंसान खुद चाह कर भी पूरी तरह तय नहीं कर सकता। कई बार इसका फैसला व्यक्ति की बायोलॉजिकल क्लॉक और घड़ी के अलार्म दोनों तय करते हैं। जिस तरह जल्दी सोना सबके लिए संभव नहीं, उसी तरह जल्दी उठना भी सभी के लिए मुमकिन नहीं होता। अमूमन दिन में हमारे शरीर के भीतर मेलाटोनिन का स्तर घट जाता है और रात में इसमें बढ़ोतरी हो जाती है। इसलिए दिन में हमें कम नींद आती है और रात में ज़्यादा।
शरीर फिटअगर कोई शख्स फिजिकली फिट न हो, वह एक्सरसाइज़ न करता हो, ओवरवेट हो, ऐसे में मुमकिन है कि वह किसी लाइफस्टाइल बीमारियों- शुगर, बीपी आदि की परेशानी से भी ग्रसित हो। हर दिन के 24 घंटे में 1 घंटा निकाल लें। उस 1 घंटे में से 30 मिनट एक्सरसाइज़ जरूर करें। डंबल उठाएं। अपनी बाजुओं को मज़बूत करें। शरीर की मांसपेशियों को दमदार बनाएं। दमदार मांसपेशियां आपकी कई परेशानियों का हल है। इनके अलावा ब्रिस्क वॉक करें। इन सबसे आप फिट होंगे। फिट होंगे तो खुशी भी कमरे में ही मौजूद होगी, दरवाजे के बाहर इंतज़ार नहीं करेगी। इनके अलावा अगर 10 मिनट का मेडिटेशन भी शामिल कर लें, 5 मिनट की डीप ब्रीदिंग कर लें तो चीज़ें बदल ही जाएंगी।
रिश्ते सींचना
‘अपने तो अपने होते हैं।’ लेकिन हम तो परायों की खुशियों में भी शामिल होकर खुश होने के लिए कहते हैं। घर का कोई भी सदस्य, अगर किसी अच्छी बात पर खुश होता है तो उस खुशी के हिस्सेदार बन जाएं। आपकी खुशी कई गुना बढ़ जाएगी। वैसे आजकल तो 2 बच्चों का कॉन्सेप्ट कम होता जा रहा है, लेकिन कई घरों में 2 बच्चे हैं। अगर आपके बच्चे आपस में चीज़ों को शेयर करना सीख लें, एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होना सीख लें, एक-दूसरे की गलतियों को ढकना सीख लें, अगर वे आपस में प्लैनिंग करके आपसे खुशी-खुशी कोई बात मनवाना सीख लें तो यह मान लें कि परवरिश सही तरीके से चल रही है। घर में खुशी का माहौल है और सबसे अहम कि उनकी बातों में, उनकी योजनाओं में शामिल होकर खुश होना सीखें।
पढ़ाई को लेकर पैरंट्स अक्सर बच्चों पर दबाव बना देते हैं। अगर नंबर कम आए तो डांट पड़ती है। बच्चा ईमानदार हो, मेहनती हो, स्मार्ट तरीके से काम करता हो तो इसकी गारंटी ज़्यादा है कि आगे चलकर पैरंट्स से आगे निकल ही जाएगा। इसलिए 75-80 फीसदी या इससे कम भी नंबर आ जाएं तो उसे सेलिब्रेट करें और आगे के लिए प्रोत्साहित करें।
वक्त निकालना भी ज़रूरी
आजकल लोगों से पैसे ले लो, लेकिन वक्त न लो। वक्त की यह किल्लत रिश्तेदारों के लिए तो होती ही है, अब अपने परिवार के लिए भी होने लगी है। अपने बच्चे, अपने मां-बाप के लिए भी लोगों के पास वक्त नहीं होता। अक्सर ऐसा होता है कि ऑफिस के काम की वजह से परिवार को वक्त नहीं दे पाने से खुशियों के कई पलों से हम यों ही महरूम रह जाते हैं। कभी अपने बच्चों के साथ 1 घंटा वक्त निकालकर तो देखिए। उनसे बात करके देखिए। उनकी परेशानियों और जरूरतों को सुनकर तो देखिए। उन 60 मिनट में अगर आपके चेहरे पर 60 बार मुस्कुराहट न आ जाए तो दोबारा फिर से कोशिश करिए। शायद बच्चों को खुलने में वक्त लग रहा हो। यह कोशिश जारी रखें। एक बार बच्चे आपसे अपनी बात शेयर करना सीख गए तो यह अच्छी परवरिश की निशानी भी हो बन जाती है।
बुज़ुर्ग मां-बाप से बातें
न्यूक्लियर फैमिली के कॉन्सेप्ट ने ही सीनियर सिटिजन होम्स की संख्या बढ़ाई है। कई लोग उनकी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर उन्हें ऐस होम्स में पहुंचा देते हैं। उन्हें उनके अधिकारों से महरूम कर देते हैं। उन्हें उनके पोतों-पोतियों से दूर न करें। उन बच्चों में वे अपनी छवि देखते हैं। बुज़ुर्ग भी बच्चों की तरह ही होते हैं। वे भी छोटी-छोटी बातों पर बहुत खुश हो जाते हैं। अगर आपने उनसे बैठकर 5 मिनट भी हाल-चाल ले लिया तो उनकी बूढ़ी रगों में खून की रफ्तार तेज़ हो जाती है और आपको संतुष्टि अलग से मिलती है कि अपनों का हाल जान लिया है।
मनी मैनेजमेंट
अगर हमारी ज़रूरतें ज़्यादा हों, वे पूरी न हो पाएं तो हम दुखी होंगे ही। बहुत पुरानी एक कहावत है कि किसी भी घर में कलह का कारण अक्सर मुफलिसी ही होती है। पैसे की तंगी की वजह से हमारे शब्दों के चुनाव अक्सर गलत हो जाते हैं। फिर विवाद बढ़ता जाता है। ऐसे में खुद को पूरी तरह ज़रूरतहीन बना लेना तो मुमकिन नहीं, लेकिन अपनी ज़रूरतों को कम कर लेना आसान तो है। रहीम की ये पंक्तियां अपने आप ही बहुत कुछ कह देती हैं:
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह।।
अगर ज़रूरतें कुछ कम कर लेते हैं तो मन पर तनाव कम होने लगता है क्योंकि खर्च कम हो जाता है। एक सच्ची घटना से समझ सकते हैं। सुरेश (बदला हुआ नाम) के 2 बच्चे हैं। 2 साल पहले तक दोनों बच्चों को सुरेश एक बड़े ब्रैंड के स्कूल में पढ़ा रहे थे। स्कूल का नाम बड़ा था तो फीस भी ज़्यादा थी। सुरेश को हर महीने या फिर 3 महीने पर एक मोटी रकम स्कूल को देनी पड़ती थी। यह रकम चुकाना उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था। वह हर बार कुछ हजार कर्ज़ में चला जाता था। घर की बाकी ज़रूरतों पर अक्सर समझौता करना पड़ता था। यहां तक कि बच्चों को उनके जन्मदिन पर कपड़े देने, छोटी-सी पार्टी देने के बारे में भी सोचना पड़ता था।
ऐसी ही वजहों से घर में अक्सर कलह होती थी। इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा था। उन्हें बिना वजह डांट सुननी पड़ती थी। वे भी तनाव में रहते थे। सुरेश ने पत्नी से इस मसले पर कई बार चर्चा की थी, वह तैयार तो होती थी लेकिन लोग क्या कहेंगे, यह सोचकर टाल देती थी और सुरेश की भी इसमें मौन सहमति हो जाती थी। आखिरकार स्थिति ऐसी हो गई कि सुरेश पर कर्ज़ काफी बढ़ता गया। फिर सुरेश और उनकी पत्नी ने कम फीस वाली अच्छा स्कूल को खोजना शुरू किया। एक पसंद का स्कूल मिल गया। वहां उन लोगों ने अपने बच्चे का एडमिशन करा दिया। यहां पर फीस पुराने स्कूल से 50 फीसदी कम थी।
अब बच्चे क्लास में बहुत अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। चीज़ें काफी कंट्रोल में हैं। हर दिन का तनाव कम हुआ है। अब छोटी-छोटी चीज़ों में खुशियां खोजी जाने लगी हैं। कहने का मतलब साफ है कि ज़रूरतें कम करिए। ज़रूरी न हो तो खर्च न करिए। सेविंग्स की आदत डालिए ताकि जब पैसे की अतिरिक्त ज़रूरत हो तो किसी से मांगना न पड़े। देखिए खुशियां कमरे के अंदर आपके साथ ही होंगी।
मददगार बनना
किसी भूखे को खाना खिलाकर, किसी ज़रूरतमंद की मदद कर जो खुशी मिलती है, वह शायद ही किसी दूसरे काम में न मिले। अगर आपको दूसरों की मदद करने में दिलचस्पी है तो यह आपकी खुशी की बड़ी वजह हो सकती है। गर्मियों का मौसम शुरू होने वाला है। धूप में काम करने वाले- पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, रिक्शा, ठेला वालों को अगर ठंडा पानी पिला दे तो उनके चेहरे पर खुशी देखते ही बनती है। बालकनी में पक्षियों के लिए 1 कटोरी पानी रखने से ही बालकनी भी चहचहाने लगती है।
इनके अलावा चाहें तो जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा में मदद कर सकते हैं। जिन्हें किताब, कलम आदि उपलब्ध नहीं हो पातीं, उन्हें दिलाने से बहुत मदद मिलती है। ज्यादातर बड़े लोग शिक्षा और सेहत में मदद करने के लिए आगे आते हैं। अगर हमने किसी की मदद कर दी तो दुआएं भरपूर मिलती हैं। ये दुआएं हमारी खुशियों की ज़मापूंजी होती हैं।
क्रिएटिव होना
वहीं यह भी सच है कि हर शख्स को किसी न किसी चीज़ का शौक ज़रूर होता है। लेकिन ज़िंदगी को जीतने की जंग में खुद से ही हारने लगता है। लोग शौक को भूल जाते हैं।
ऐसे में भूले हुए शौक अगर खुद आकर कहे, हमें क्यों भूल गए? आ जाओ फिर से अपना बना लो तो अंदर की खुशी छलक पड़ती है, वैसे ही जैसे बरसों पुराना कोई ‘बसपन’ का यार या प्यार अचानक ही सामने आकर हलो! कहे दे। इसलिए खुशी को लाने की पहली सीढ़ी है शौक को भूलना नहीं, उसे पाल लेना: गीत, संगीत, डांस, कुछ भी।
इनके अलावा अगर कुछ भी रचना करने का शौक हो और उसे मिस कर रहे हैं तो अच्छी तरह याद कर लें। सच तो यह है कि क्रिएटिव होकर रचने से आंतरिक खुशी मिलती है। चाहे वह खाना बनाने में कुछ नया प्रयोग करना हो या फिर शायरी करने का शौक हो। कुछ नया कर के देख लें। खुशियों की रीडिंग बहुत बढ़ जाएगी।
मुस्कान के फायदे ही फायदे
हंसता हुआ चेहरा नूरानी ही होता है। अगर कोई शख्स खुश है तो वह अपने आप ही खास बन जाता है।
अच्छा महसूस करना
हंसने से हमारे शरीर में एंडॉर्फिस केमिकल और ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनता है। इन्हें फील-गुड हॉर्मोस भी कहा जाता है। ये मूड को बेहतर बनाने का काम करते हैं। एंडॉर्फिस केमिकल निकलने की वजह से, घबराहट वाले हॉर्मोन एड्रिनलिन आदि की मात्रा कम हो जाती है। इससे कई बार परेशानी में होने के बाद भी दिल की धड़कनें असामान्य नहीं होतीं। हम समस्याओं को सही तरीके से सुलझा पाते हैं। हमारे फील-गुड हॉर्मोस इन्हें बैलेंस कर देते हैं।
..तो दोस्तों की कमी नहीं
कहते हैं कि ज़िंदगी में हंसी को शामिल करें और फिर देखिए दोस्तों की कोई कमी नहीं होगी। यह हंसी जब आंतरिक खुशी के साथ हो तो क्या कहने! हकीकत यह है कि आज तनाव वाली चीज़ें ज़्यादा हैं और तनाव कम करने वाली कम। ऐसे में जब कोई शख्स हंसते और मुस्कुराते हुए कोई बात कहता है तो ज़्यादातर लोग ऐसे शख्स को पसंद करते हैं। उनसे बातें करना चाहते हैं। अमूमन ऐसा शख्स जो पॉजिटिव बातें करता है, हंसने और हंसाने वाली बातें करता है तो उसके ग्रुप के लोग या रिश्तेदार उससे खुश रहते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि ऐसे शख्स से बार-बार मिला जाए। बिना किसी कोशिश के ऐसे शख्स के रिश्ते बेहतर हो जाते हैं।
एनर्जी में इज़ाफा
जब हम एक्सरसाइज़, वॉक या योग करते हैं तो हमारे शरीर में खून का बहाव तेज होता है। इससे शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सिजन की ज़्यादा मात्रा पहुंचती है। इससे कोशिकाएं ज़्यादा ऐक्टिव होती हैं। उनमें ऊर्जा का उत्पादन ज़्यादा होता है। इसका फायदा हमारे सभी टिशू और अंगों को होता है। वे बेहतर तरीके से और पूरी क्षमता से काम कर पाती हैं क्योंकि सभी टिशू और अंग अरबों कोशिकाओं के मिलने से ही बने हैं। हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। खुशी के साथ हंसी भी एक तरह का योग या एक्सरसाइज़ है। हंसी के दौरान खून का बहाव 20 फीसदी तक तेज होता है, हमारी सांसें तेज होती हैं, धड़कनें बढ़ती हैं, ऊर्जा की खपत होती है। यह वज़न काबू करने में भी मददगार है।
स्किन दमकती रहेगी
चूंकि हंसी-खुशी की वजह से शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा में इज़ाफा होता है तो इसका सकारात्मक असर हमारी स्किन पर भी पड़ता है। यह असर एक दिन या एक महीने में नहीं होता। ऐसा देखा जाता है कि जो लोग हंसमुख होते हैं, उनकी स्किन ऐसे लोगों की तुलना में कुछ ज़्यादा दमकती है जो हंसने में कंजूसी करते हैं।
सेक्स हॉर्मोन ज्यादा ऐक्टिव
हंसने से शरीर में कई हॉर्मोस ज़्यादा ऐक्टिव होते हैं। उनमें सेक्स हॉर्मोस भी शमिल हैं। मसलन: टेस्टास्टरोन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन आदि। इसका पॉजिटिव असर यह होता है कि लोगों की परफॉर्मेस बेहतर हो जाती है। हंसी है यानी तनाव कम है। जब तनाव कम होता है तो सहवास के समय ध्यान नहीं भटकता।
दूसरे भी खुश
हंसी के साथ अच्छी बात है कि यह संक्रामक होती है। एक ने हंसना शुरू किया तो उसे देखकर वजह जाने या बिना जाने दूसरा शख्स भी हंसने लगता है। फिर दूसरे से तीसरा और चौथा, इस तरह यह फैलती जाती है।
बेज़ुबान भी देते साथ
पैदा होने के 3 महीने के बाद से ही बच्चा हंसना शुरू कर देता है। जब कोई शख्स मूक और बधिर होता है तो वह भले ही बात न कर सके, लेकिन हंसना वह भी जानता है। यहां तक कि अगर दुर्घटना की वजह से किसी शख्स की बोलने या सुनने की शक्ति चली जाए तो भी उसका हंसना जारी
रहता है।
बच्चों को भी खुशी की आदत
वैसे तो बच्चों में खुश रहने की स्वाभाविक आदत होती है, लेकिन नेगेटिव बातों, नंबर्स गेम्स ने उनकी हंसी कम कर दी है। इसलिए यह बड़ों की ज़िम्मेदारी है कि उन्हें यह आदत डालें कि वे खुशी खोज सकें।
----------------
हंसी-खुशी की 5 सबसे खास बातें
1. एक बार हंसने के दौरान अमूमन 10 से 12 मांसपेशियां शामिल होती हैं, भले ही यह हंसी बनावटी क्यों न हो। लेकिन आंतरिक खुशी की वजह से हंसी का शरीर पर कुछ अलग प्रभाव होता है।
2. खुशी की छोटी डोज़ हो या बड़ी, सेहत के लिए फायदेमंद है। हंसना-मुस्कुराना सभी के लिए ज़रूरी है। हकीकत यह है कि जानवर भी खुश होते हैं, हंसते हैं।
3. आंतरिक खुशी के साथ हंसने से शरीर में ज़्यादा मात्रा में एंडॉर्फिन केमिकल बनता है जो दूसरे ज़रूरी हॉर्मोन को ज़्यादा ऐक्टिव रखने का काम करता है। शरीर को फायदा होता है।
4. कोई शख्स 10 मिनट की सामान्य बातों के दौरान अमूमन 7 से 10 बार खुश होता है, हंसता या मुस्कुराता है। अहम बात यह कि उसे इस बात का पता भी अमूमन नहीं चलता।
5. एक स्टडी के मुताबिक महिलाएं पुरुषों की तुलना में 25 से 30 फीसदी ज़्यादा मुस्कुराती हैं। इससे उन्हें तनाव भी कम होता है। वे अपने काम ज़्यादा बेहतर तरीके से कर पाती हैं।
-------
😂😂
चिंटू अगर किसी लड़की का नाम खुशी हो और वह रो रही हो तो कोई गंभीरता से नहीं लेगा।
मिंटूः क्यों?
चिंटूः क्योंकि लोग सोचेंगे कि ये खुशी के आंसू हैं, न कि गम के।
😂😂
Depression से दूर रहने के 7 सरल उपाय |
*जानें वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सा विशेषज्ञ*
*मुकेश चँगुलानी सर से*
*लिंक क्लिक कर देखें पूरा वीडियो* --
https://youtu.be/Cr2dk2xPQgc?si=0LxHc1a8Uk3d0CYU
*
डिप्रेशन दूर करने के 7 सरल उपाय | depression se bahar kaise nikle in hindi? Vikas की सोचें| #Stress िप्रेशन दूर...
हेलमेट जरूर पहने ✌️
हड्डी टूटने पर या फ्रैक्चर होने पर तुरंत एक ये काम करें ।*
*जानें जीआर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ आर. एस. बाजोरिया सर से*
लिंक क्लिक कर देखें पूरी वीडियो --
https://youtu.be/vS6ACnKUUA4?si=JvEBvK-I8HiAAyVt
*हड्डी टूटने पर या फ्रैक्चर होने पर अगर ये एक गलती की तो हड्डी गई काम से ?*
Fracture hone par kya kren full Information in hindi?हड्डी टूटने पर क्या करें?फ्रैक्चर में ये न करें Fracture hone par kya kren full Information in hindi ? हड्डी टूटने पर क्या करे...
What is Heart attack?
The blood carrying oxygen is supplied to heart by coronary artery. In case of blockage of those arteries for more than 20 to 30 minutes, the heart will stop receiving enough oxygen. The part of the heart that is not receiving enough oxygen will die. As opposed to the common dramatic image of a person clutching his chest, it can persist for hours with a slow appearance of the symptoms. However, at times it can be intense and immediate.
Chest pain and heaviness are common symptoms of heart attack. Here are some of the other ones.
Discomfort
Burning sensation in chest
Tightness in arm, jaw, back, or neck
Cold sweat
Shortness of breath
Nausea
Dizziness
Lightheadedness
Pain between shoulder blades
What to do in Heart Attack?
Make the person lie down. If Aspirin available, give immediate 300mg aspirin to chew and take the person to hospital.
What is a cardiac arrest?
Cardiac arrest is much more sudden than a heart attack. It occurs due to an electrical malfunction in the heart that causes arrhythmia. This is a condition of irregular heartbeats. In cardiac arrest, the heart stops beating effectively, which will lead to insufficient quantity of blood supply to heart and brain. This diminishes the body’s capability to sustain life.
Sadly, due to the sudden occurrence, there are no usual symptoms of cardiac arrest. However, when someone is having a cardiac arrest, they won’t be:
Responsive
Conscious
Breathing normally
What to do in Cardiac arrest?
Immediately start the CPR, that can work wonders. If defibrillator available, then give defibrillation and take the person to the hospital.
*डिप्रेशन पीड़ित व्यक्ति की मदद कैसे करें* ? लिंक क्लिक कर लें पूरी जानकारी --
https://youtu.be/MpFNyzPe4pM?si=BiNbTW1HZac9-dHe
*Depression क्या है ? डिप्रेशन के ये 10 लक्षण हैं | 15 दिन तक ये विचार आएं तो समझें कि ये डिप्रेशन है | जानें वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ मुकेश चुंगलानी सर से*
Depression क्या है ? डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं ? Depression & Stress in hindi | तनाव ऐसे कम करें | Depression क्या है ?डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं ? Depression & Stress in hin...
बच्चे कैसे पढ़ाई करें ? *हर एक्जाम में मिलेगी सफलता ऐसे पढ़ें* टिप्स जानें, न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अविनाश शर्मा सर से। पूरा वीडियो देखें Anshuman sharma Gwalior यूट्यूब चैनल पर |
**शुगर (डायबिटीज) में क्या खाएं और क्या न खाएं ? शुगर कैसे कंट्रोल करें ? जानें जयारोग्य अस्पताल के पूर्व अधीक्षक व वरिष्ठ डॉक्टर अशोक मिश्रा सर से |*कृप्या लिंक क्लिक कर देखें पूरा वीडियो --*
Diabetes Diet Plan|डायबिटीज में क्या खाएं व क्या न खाएं?Foods To Control Diabetes|Perfect Diet| #dr Plan Diet Plan| डायबिटीज में क्या खाएं व क्या न खाएं ? Foods To Control Diabetesमैं...
नशे से बचाव करे
जानिए Tuberculosis या TB से सम्बन्धित जानकारी ,लक्षण ,इलाज , योजना, डॉट्स एवम अन्य जानकारी !!
Steroid is dangerous for health, kindly use in prescription of qualified Doctor ⛑️
ढोल से बचो , गरबा करो 👏
तुम्हारा व्यवहार !
कैसे बदलता है!!
जब तुम पुलिस वाले से मिलते हो ,पुलिस थाने जाते हो, तुम्हें कोई जल्दी नहीं होती,साहब की प्रतीक्षा चुपचाप करते हो!
कलेक्टर ऑफ़िस , मंत्रालय और कोर्ट जाते हो, तो सर झुकाए खड़े रहते हो!
इनकम टैक्स आफ़िस में,
माय गॉड! साहब की कृपा दृष्टि की राह देखते तुम कितने निरीह लगते हो!
इन सब जगह तुम्हें कोई जल्दी नहीं होती, पैसे लेकर भी जाते हो!
पूछते भी नहीं कि साहब कब आयेंगेमेरा
तुम मेमने से, वे शिकारी जैसे!
एयर पोर्ट पर तुम सा सोफेस्टीकेटेड कोई नहीं!
क्योंकि फ्लाईट कितनी भी लेट हो कुछ कर नहीं पाओगे, नहीं तो जिंदगी भर के लिये बैन कर दिये जाओगे!
स्कूल में कुछ कर नहीं पाते, बच्चे का भविष्य बिगड़ जायेगा!
लेकिन तुम आपना सारा फ्रस्ट्रेशन कहाँ निकालते हो? निरीह अस्पताल कर्मियों पर , जो रात भर जाग कर भी तुम्हारे बीमार रिशतेदार की सेवा में लगे होते हैं , बिना थ्के बिना सोये बिना रुके!
जरा भी इलाज में देरी हुई तुम आस्माँ सर पर उठा लेते हो!
भले ही घर में आठ दिन से पड़े हुए हों दवाये नियम से ना ली हो
रोग कितना भी बढ़ा लिया हो
लेकिन अस्पताल जाते ही तुरंत ईलाज शुरु हो जाना चाहिए 'डॉक्टर और नर्स सारे मरीज छोड़कर बस। तुम्हें या तुम्हारा मरीज ही देखें बार बार देखे! मधुर स्वरों में बात करे भले ही
तुम कर्कश वाणी में बोलो क्योंकि तुम इलाज के पैसे दे रहे हो!
और हाँ डॉक्टर यदि चाय पीता हुआ दिख जाये तो तुम्हारे तेवर बदल जाते हैं,चपरासी ( वार्ड बॉय) को बार बार पूछ कर हलकान कर दोगे ...कितनी देर लगेगी!
किसी और मरीज की जांच चल रही हो तब भी तुम्हें सब्र नहीं है!
कितनी देर लगेगी
लेकिन जब तुम्हारी जांच चलती है तब कितनी भी देर लगे तब तुम डॉक्टर से सारी बातें कर लेना चाहते हो बगैर ये सोचे कि बाहर बैठे लोग भी जल्दी में हैं!
और हाँ इलाज का पैसा देना तुम्हें लूट लगता है
तुम्हारी एक ही थीम है
पैसा वन स्टार इलाज फाईव स्टार!
तुम्हारा
हितैषी
एक डॉक्टर
Dr SURESH MUNDRA
Shared unedited
Awareness related to important part of our body that is Eyes 👁️
Pictures taken from RJN Hospitals 🏥 Gwalior
Basic support Training given to all people of hospitals ,paramedical staff,General people's, Headed by Dr. Snehlata Dubey mam Head of Department, Obstetrics and Gynaecology,Birla hospital 🏥 Gwalior
आयो सीखें इमरजेंसी मैं एक आम इन्सान भी दूसरे इंसान की जान बचा सकता है ,इस चीज के लिए डाक्टर होने की जरूरत नहीं है बस आपको कुछ बेसिक स्टेप्स आने चाइए ,आप गोल्डन पीरियड जो कुछ मिनट्स का होता है मरीज की जान तो बचा ही सकते है आगे का काम हॉस्पिटल या डॉक्टर देख लेंगे , पूरी प्रोसेस का वीडियो मेरे यू ट्यूब चैनल Dr. Nishant Gupta पर डाला हुआ है ,आप मास्टर ट्रेनर द्वारा सिखाया गया CPR देख सकते है धन्यवाद 🙏
Happy wedding anniversary to Amazing couple 🩷 , भैया भाभी यूंही हंसते मुस्कुराते रहो ⛑️🤘🥳😍👩❤️👩
गोरा होने के चक्कर मैं लोग हो रहे चर्म रोगों के शिकार,आओ जाने Dr. Anubhav Garg Head Department of Dermatology ,GRMC &JAH HOSPITAL 🏥 से??
Filarias ( हाथी पाव) क्यू और केसे होता है एवम बचाव के तरीके 🙏
कैंसर क्यू होता है,केसे होता है ,एवम बचाव के तरीके !!
थोड़ा समय निकाल कर हड्डी के मरीज जरूर पढ़े
जानकारी Dr.Abhilek Mishra sir द्वारा दी गई है जो जयारोग्य ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल मैं पदस्थ हैं
रेबीज एक जानलेवा बीमारी हैं, 100 पर्सेंट Fatal Disease , कृपया सब अपना और साबका इस बीमारी से रोकथाम के लिएं एंटी रेबीज इंजेक्शन और Immunoglobins अवश्य लगवाए ,15 मिनट्स तक घाव को कपड़े धोने के साबुन से चलते नल के पानी से अवस्य धोए ,एवम चुना,मिर्ची कुछ न लगाए ,कराह वाले बाबा के चक्कर मैं न पड़े ,जान से हाथ धो बैठोगे,जरूरत होने पर मुझे संपर्क करे ! धन्यवाद
ठंड में हड्डी के दर्द से निजात पाए , Awareness By Dr.Abhilekh Mishra Sir JAH Group of Hospitals 🏥
आयो सीखें इमरजेंसी मैं एक आम इन्सान भी दूसरे इंसान की जान बचा सकता है ,इस चीज के लिए डाक्टर होने की जरूरत नहीं है बस आपको कुछ बेसिक स्टेप्स आने चाइए ,आप गोल्डन पीरियड जो कुछ मिनट्स का होता है मरीज की जान तो बचा ही सकते है आगे का काम हॉस्पिटल या डॉक्टर देख लेंगे , पूरी प्रोसेस का वीडियो मेरे यू ट्यूब चैनल Dr. Nishant Gupta पर डाला हुआ है ,आप मास्टर ट्रेनर द्वारा सिखाया गया CPR देख सकते है धन्यवाद 🙏
Click here to claim your Sponsored Listing.
Videos (show all)
Contact the practice
Website
Address
Gwalior
Gwalior
krishna yoga & fitness classes near by sun temple Birla hospital gwalior cont 6261393769
Abhiyank Estate, Near Silver Estate, City Centre
Gwalior, 474011
Dr. Kumar Clinic, situated at City Centre, Gwalior is renowned for the treatment of Sexual Problems.
206, Dayakunj, Vinay Nagar, Sec./24, Urwai Gate, ShabdAshram
Gwalior, 474012
We use a variety of techniques and therapies in the treatment and rehabilitation of patients who are affected by physical problems caused by illness, disability, injury or ageing.
Vijay Nagar Extension
Gwalior, 474001
Get Personalized Diet Charts according to your health issues, your convenience and motive
Gwalior
��� i am rich beacuse i have the worlds best Mother and father Medical Student BHMS Future Docter
73 Saraswati Nagar, Govindpuri
Gwalior, 474011
keep your family healthy with kangen ionized water.