विश्व बौद्ध महासभा भारत

विश्व बौद्ध महासभा भारत

अपना दीपक स्वम बनो...
परिवर्तन के लिए आंदोलन करना पड़ता है..

19/02/2024
09/02/2024

क्या हम भारत के लोग न्यायपालिका पर भरोसा कर सकते हैं?? मुझे तो न्यायपालिका पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।।

05/02/2024

जागो और जगाओ

01/02/2024
01/02/2024
01/02/2024
01/02/2024
31/01/2024

रविवार,11 फरवरी 2024, सुबह 10 बजे

प्रकृति की गोद में ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य, गीत संगीत, खेलकूद, चित्रकला प्रतियोगिता, धम्म गायन प्रतियोगिता, रस्साकसी, म्युजिकल चेयर, स्पून दौड़ का धमाल और मनोरंजन भरपूर सहित बौद्ध परिवारों का होगा ऐतिहासिक मिलन

चलो बुद्ध जयंती पार्क (बुद्धा गार्डन) दिल्ली

29वां बौद्ध परिवार मिलन मेला
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रविवार, 11 फरवरी ,2024, सुबह: 10 बजे
स्थान: बुद्धा जयंती पार्क, गेट नo 1, नई दिल्ली

कृपया अधिक से अधिक संख्या में परिवार सहित शामिल हों।

आयोजक: दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया ( रजि0) दिल्ली प्रदेश

🎗️ सी० एस०भण्डारी ( अध्यक्ष )
9868362868
🎗️ नरेंद्र कुमार बौद्घ
(सचिव )
9810937672
🎗️ डाॅo सतेन्द्र कुमार (सहसचिव )
9810937672
🎗️ राजपाल सिंह गौतम (कोषाध्यक्ष)
9136898932
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निवेदक: यूथ फाॅर बुद्धिस्ट इंडिया

Compassionate Goodwill | Vipassana Research Institute 26/01/2024

भविष्य में कभी भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं कहोंगे.. गोयनका जी ने ऐसी घोषणा शंकराचार्यो से लिखित में करवाई थी.

शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वतीजी और विपश्यना आचार्य सत्यनारायण गोयन्काजी की संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति—
स्थल: महाबोधि सोसाइटी कार्यालय, सारनाथ, वाराणसी
समयः दोपहर: 3:30, दिनांक 12-11-1999.
जगद्गुरु कांची कामकोटि पीठ के श्रद्धेय शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वतीजी और विपश्यनाचार्य गुरुजी सत्यनारायण गोयन्काजी की सौहार्दपूर्ण वार्तालाप की संयुक्त विज्ञप्ति प्रकाशित की जा रही है।
दोनों इस बात से सहमत हैं और चाहते हैं। कि दोनों प्राचीन परंपराओं में अत्यंत स्नेहपूर्वक वातावरण स्थापित रहे। इसे लेकर जिन पड़ोसी देशों के बन्धुओं में किसी कारण किसी प्रकार की गलतफहमी पैदा हुई हो, उसका जल्दी ही निराकरण हो। इस संबंध में निम्न बातों पर सहमति हुई —

1) किसी भी कारण से पहले के समय में आपसी मतभेदों को लेकर जो भी साहित्य निर्माण हुआ, जिसमें भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार बता कर जो कुछ लिखा गया, वह पड़ोसी देश के बंधुओं को अप्रिय लगा, इसे हम समझते हैं। इसलिए दोनों समुदायों के पारस्परिक संबंधों को पुनः स्नेहपूर्वक बनाने के लिए हम निर्णय करते हैं। कि भूतकाल में जो हुआ, उसे भुला कर अब हमें इस प्रकार की किसी मान्यता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

2) पड़ोसी देशों में यह भ्रांति फैली कि भारत का हिंदू समुदाय बुद्ध के अनुयायिओं पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए इन कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। यह बात उनके मन से हमेशा के लिए निकल जाय, इसलिए हम यह प्रज्ञापित करते हैं। वैदिक और बुद-श्रमण की परंपरा भारत की अत्यंत प्राचीन मान्य परंपराओं में से हैं। दोनों का अपना-अपना गौरवपूर्ण स्वतंत्र अस्तित्व है। किसी एक परंपरा द्वारा अपने आपको ऊंचा और दूसरे को नीचा दिखाने का काम परस्पर द्वेष, वैमनस्य बढ़ाने का ही कारण बनता है। इसलिए भविष्य में कभी ऐसा न हो। दोनों परंपराओं को समान आदर एवं गौरव का भाव दिया जाये।

3) सत्कर्म के द्वारा कोई भी व्यक्ति समाज में ऊंचा स्थान प्राप्त कर सकता है और दुष्कर्म के द्वारा नीचा,पतित, हीन लेता है। इसलिए हर व्यक्ति सत्कर्म करके तथा काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, मात्सर्य, अहंकार इत्यादि अशुभ दुर्गुणों को निकाल कर अपने आप को समाज में उच्च स्थान पर स्थापित करके सुख-शांति का अनुभव कर सकता है।
उपर्युक्त तीनों बातों पर हम दोनों की पूर्ण सहमति है तथा हम चाहते हैं कि भारत के सभी समुदाय के लोग पारस्परिक मैत्री भाव रखें तथा पड़ोसी देश भी भारत के साथ पूर्ण मैत्री भाव रखें
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इस घोषणा द्वारा यह स्वीकार किया गया कि व्यक्ति जन्म से ऊंचा या नीचा नहीं होता, चाहे वह कहीं भी जन्मा हो । यदि वह सत्कर्म करता है तो समाज में पूज्य ही माना जायगा।
इसके बाद केवल एक को छोड़ कर बाकी सभी शंकराचार्यों ने और अनेक महामंडलेश्वरों ने भी इस समझौते पर अपनी स्वीकृति के हस्ताक्षर किये। यह सब विपश्यना के आधार पर हुआ। परंतु इस समझौते की सच्चाई को समाज में फैलाने का महत्त्वपूर्ण कार्य अभी होना बाकी है। समझौते की यह सच्चाई लोगों तक फैलेगी तभी उनकी भी भ्रांतियां दूर होगी।
अब समय आ गया है कि इसका अधिक से अधिक प्रकाशन करके, इस पर अमल किया जाय ताकि ग़लतफ़हमी दूर हो और देश की एक बड़ी समस्या का समाधान हो सके।
भारत के बाहर अन्य देशों में जात-पांत का भेदभाव नहीं है, परंतु कुछ एक पश्चिमी देशों में काले-गोरे का भेद अवश्य है। अब काले और गोरे दोनों ही विपश्यना में सम्मिलित हो रहे हैं। हसी जाति के कुछ लोगों को विपश्यना में पुष्ट करके आचार्य पद पर बैठाया और वे विपश्यना के शिविर लगाते हैं, जिनमें काले और गोरे सभी सम्मिलित होते हैं।
भगवान बुद्ध की शिक्षा ग्रहण करने वाला व्यक्ति जन्म के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेदभाव नहीं करता। विपश्यना धीमी गति से यही काम कर रही है। आज यह बहुत नन्हा-सा प्रारंभिक प्रयोग है जो आगे चल कर प्रबल रूप से संसार के सारे विपश्यी साधकों को प्रभावित करेगा और बाबासाहेब का सपना पूरा होगा । इसका मुझे पूर्ण विश्वास है । इसीमें सब का मंगल समाया हुआ है। भारत का ही नहीं, बल्कि सारे मानव समाज का कल्याण समाया हुआ हैं।
मंगलमित्र,
सत्यनारायण गोयन्का

Compassionate Goodwill | Vipassana Research Institute Vol.9 No.13 January 2000 Words of Dhamma Sabbapāpassa akaraṇaṃ kusalassa upasampadā; sacittapariyodapanaṃ, etaṃ buddhāna sāsanaṃ. Abstain from unwholesome deeds, perform wholesome deeds; purify your own mind- this is the teaching of the Buddhas. Dhammapada - 183 Compassionate Goodwill ...

22/01/2024

देश के सारे मेडिकल कॉलेज में प्राण प्रतिष्ठा विभाग की स्थापना की जानी चाहिए ताकि यह कार्य डॉक्टर भी कर सकें।।

11/01/2024

बसपा लाओ देश बचाओ

04/01/2024

BJP हटाओ देश बचाओ

01/01/2024

BhimaKoregaon शौर्य दिवस की आप सबको मंगलकामनाएँ। यह भारत की सामाजिक आज़ादी का पर्व है। सामाजिक तौर पर आज़ाद व्यक्ति ही राजनीति आज़ादी की सोच सकता है। जो अपने घर में गुलाम है, उसके लिए क्या स्वतंत्रता और क्या मुक्ति?

बधाई आप सब को।

मायावती से ये कैसा डर ? 21/12/2023

मायावती से ये कैसा डर ? भाजपा से नही माया से डर लगता है

14/12/2023

आनंद ! जहाँ तक संभव हो स्त्री की ओर नज़र भर देखना भी नहीं.

भिक्षुणी संघ की स्थापना से पहले एक बार आनंद ने तथागत से पूछा- “भगवंत ! स्त्रियों के साथ व्यवहार करते समय भिक्षु को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?”
तथागत ने उसी पल साफ़ उत्तर दिया - “आनंद ! जहाँ तक संभव हो स्त्रियों के प्रति अपनी नज़र को भी बचाए रखना चाहिए”
“ भगवान! लेकिन अगर संयोग ही ऐसे पैदा हुए हो कि नारी की ओर नज़रें गड़ा कर मुझे देखना ही पड़े, तो मुझे क्या करना चाहिए ?” आनंद ने फिर पूछा.
“आनंद ! यदि ऐसे हालात पैदा हो जाए तो मौन रहना, वाणी का बिलकुल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए .” भगवान ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए बताया .
“तथागत ! लेकिन बातचीत की शुरुआत यदि स्त्री कर देती हैं तो भिक्षु को इसकी प्रतिक्रिया में क्या करना होगा ?” आनंद बोले.
हे आनंद ! ऐसे संयोग पैदा होने पर भिक्षु को चाहिए कि वह सजग (alert) रहें, सतर्क (aware) रहे, होश में रहे. भीतर जो जागृति पैदा हुई है उस पर ध्यान केंद्रित कर उसका स्मरण करते रहना ही सही रास्ता है.”
“सजग, सावधान, जागृत, होश में रहने वाला व्यक्ति कभी भटक नहीं सकता. राग द्वेष मोह में नहीं फँस सकता. स्वाद, गंध, शब्द, रुप, रंग के जाल में नहीं फँस सकता. इसलिए आनंद ! हर क्षण चित्त से जागृत रहना, सजग रहना, होश में रहना.”
“होश में रहने वाला व्यक्ति नशा नहीं कर सकता. क्रोध, लोभ, चोरी, व्यभिचार नहीं कर सकता. एस धम्मो सनंतनो- यही संसार का सनातन नियम है.यही धम्म है.”
सबका मंगल हो ..सभी प्राणी सुखी हो
प्रस्तुति :डॉ. एम एल परिहार, जयपुर- 94142 42059

14/12/2023
27/11/2023

विश्व के सभी समानता एवं भाईचारा पसन्द लोगों को सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव जी महाराज के पवित्र प्रकाश उत्सव की हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं...

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