KC Singh Thakuri
सत्य मेव जयते
चमोली के पाण्डुकेश्वर में भगवान #कुबेर विधि विधान के साथ अपने मूल मंदिर में विराजमान हुए. भगवान कुबेर #बदरीनाथ में भगवान बदरी विशाल के साथ 6 महीने तक गर्भगृह में विराजमान होते हैं. जबकि, शीतकाल में 6 महीने तक भगवान कुबेर पाण्डुकेश्वर में विराजते हैं.
श्रीराम चरण पादुका के दर्शन करने का सौभाग्य मिला. यह चरण पादुका अयोध्या राम मंदिर में स्थापित की जाएगी. चरण पादुका को 1 किलो सोना, 8 किलो चांदी और अष्टधातु से तैयार किया गया है. साथ ही चरण पादुका पर सोने का अर्क चढ़ाया गया है. चरण पादुका देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों और शंकराचार्य के पीठों से होते हुए हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी पहुंची थी.
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं, जिसके बाद धाम में वीरानी छाई हुई है।
Gangotri Temple Door Closed For Winter.
Uttarakhand, also known as the Land of Gods, is home to a rich and vibrant culture that is steeped in tradition and history.
B A D R I N A T H D H A M
आओ संग में एक कहानी बनाते हैं, चलो कहीं घूम के आते हैं!
बदरीनाथ धाम। आओ कभी देवभूमि उत्तराखंड...
'There is no Wi-Fi in the forest, but I promise you will find a better connection.'
Gangotri Dham Uttarakhand
Snowfall in Madmaheshwar Temple of Uttarakhand! Divine of Himalayas!
हिमालय में स्थित धामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बर्फ की सफेद चादर, बर्फीली हवा और ठंड के बीच चतुर्थ केदार भगवान #रुद्रनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आज 18 अक्टूबर को सुबह 8 बजे विधि विधान के साथ आम श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है. इस अवसर पर बाबा का धाम भोले के जयकारों से गुंजयमान हो गया. अब 6 महीने के बाद ग्रीष्मकाल में ही रुद्रनाथ के कपाट खुलेंगे. यहां शिव के रुद्र और शांत दोनों रूपों के दर्शन होते हैं. शीतकाल में बाबा गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में भक्तों को 6 महीने तक दर्शन देते हैं.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं..
उत्तराखंड के पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर धाम प्रसिद्ध है. #मदमहेश्वर
Rudranath Temple Uttrakhand
Kedarnath Prasad
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जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में ग्रामीणों ने आज भी अपनी सांस्कृतिक धरोहरों और परंपराओं को संजोए रखा है. अभी भी मेले थौलों में आस्था और संस्कृति का अनूठा समागम देखने को मिलता है. जिसमें फूलोई या फूल्यात भी शामिल है. जो मायके आई ध्याणियों के खास होता है. ये तस्वीरें अलेथ गांव की है.
जोशीमठ के नृसिंह मंदिर परिसर में तिमुंड्या मेले का आयोजन हुआ. यह मेला डोली के बदरीनाथ धाम प्रस्थान होने से पहले आयोजित होता है. जो काफी भव्य होता है.
श्रीनगर क्षेत्र में एक प्राचीन सिद्धपीठ मौजूद है, जिसे धारी देवी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि चारों धाम की रक्षा धारी देवी ही करती हैं, जो रोजाना तीन रूप भी बदलती है. मां धारी सुबह कन्या तो दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं.
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