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पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरः अल बकरा-2 की आयत नं. 243:-
तुमने उन लोगों के हाल पर भी कुछ विचार किया जो मौत के डर से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे और हजारों की तादाद में थे। अल्लाह ने उनसे कहा मर जाओ। फिर उसने उनको दोबारा जीवन प्रदान किया। हकीकत यह है कि अल्लाह इंसान पर बड़ी दया
करने वाला है। मगर अधिकतर लोग शुक्र नहीं करते। ,,, अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी चैनल पर शाम 7:30 से लेकर
( के आगे पढिए.....)
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★🌱 सुमरण के अंग की वाणी नं. 20 में कहा है कि :-
गरीब, राम नाम निज सार है, मूल मंत्र मन मांहि। पिंड ब्रह्मंड सें रहित है, जननी जाया नाहिं।।20।।
■ भावार्थ :- संत गरीबदास जी ने कहा है कि मोक्ष के लिए राम के नाम का जाप ही निज
सार है। यानि मोक्ष प्राप्ति का निष्कर्ष है। नाम-स्मरण से ही मुक्ति होती है। नाम भी मूल
मंत्र यानि यथार्थ नाम हो। जिस पूर्ण परमात्मा का जो मूल मंत्र यानि सार नाम है, वह
परमेश्वर पिण्ड यानि नाड़ी तंत्र से बने पाँच तत्व के शरीर से रहित (उसका पाँच तत्व का शरीर नहीं है) है। परमात्मा का जन्म किसी माता से नहीं हुआ।(20)
■ वाणी नं. 21 :-
गरीब, राम रटत नहिं ढील कर, हरदम नाम उचार। अमी महारस पीजिये, योह तत बारंबार।।21।।
■ हे साधक! पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर उस राम के नाम की रटना (जाप करने में) में देरी
(ढ़ील) ना कर। प्रत्येक श्वांस में उस नाम को उच्चार यानि जाप कर। यह स्मरण का अमृत
बार-बार पी यानि कार्य करते-करते तथा कार्य से समय मिलते ही जाप शुरू कर दे। इस
अमृत रूपी नाम जाप के अमृत को पीता रहे। यह तत यानि भक्ति का सार है।(21)
■ यदि यथार्थ नाम प्राप्त नहीं है तो चाहे पुराणों में वर्णित धार्मिक क्रियाऐं करोड़ों गाय
दान करो, करोड़ों धर्म यज्ञ, जौनार (जीमनवार = किसी लड़के के जन्म पर भोजन कराना)
करो, चाहे करोड़ों कुँए खनों (खुदवाओ), करोड़ों तीर्थों के तालाबों को गहरा कराओ जिससे जम मार (काल की चोट) यानि कर्म का दण्ड समाप्त नहीं होगा।
■ वाणी नं. 22 :-
गरीब, कोटि गऊ जे दान दे, कोटि जग्य जोनार। कोटि कूप तीरथ खने, मिटे नहीं जम मार।।22।।
जैसे किसी देव या संत के नाम का मेला लगता है। उसका स्थान किसी छोटे-बड़े
जलाशय के पास होता है। श्रद्धालुओं को उस तालाब से मिट्टी निकलवाने को कहा जाता
है तथा उसको पुण्य का कार्य कहा जाता है। यदि सतनाम का जाप नहीं किया तो मोक्ष नहीं होगा। साधक को अन्य साधना का फल स्वर्ग में समाप्त करके पाप को नरक में भोगना होता है। इसलिए सब व्यर्थ है।(22)
■ वाणी नं. 23 :-
गरीब, कोटिक तीरथ ब्रत करी, कोटि गज करी दान। कोटि अश्व बिपरौ दिये, मिटै न खैंचातान।।23।।
■ चाहे करोड़ों तीर्थों का भ्रमण करो, करोड़ों व्रत रखो, करोड़ों गज (हाथी) दान करो,
चाहे करोड़ों घोड़े विप्रों (ब्राह्मणों) को दान करो। उससे जन्म-मरण तथा कर्म के दण्ड से होने वाली खेंचातान (दुर्गति) समाप्त नहीं हो सकती।(23)
■ वाणी नं. 24 :-
गरीब, पारबती कै उर धर्या, अमर भई क्षण मांहिं। सुकदेव की चौरासी मिटी, निरालंब निज नाम।।24।।
■ वाणी नं. 24 का भावार्थ है कि जैसे पार्वती पत्नी शिव शंकर को जितना अमरत्व (वह
भगवान शिव जितनी आयु नाम प्राप्ति के बाद जीएगी, फिर दोनों की मृत्यु होगी। इतना
मोक्ष) भी देवी जी को शिव जी को गुरू मानकर निज मंत्रों का जाप करने से प्राप्त हुआ है।
ऋषि वेद व्यास जी के पुत्र शुकदेव जी को अपनी पूर्व जन्म की सिद्धि का अहंकार था। जिस कारण से बिना गुरू धारण किए ऊपर के लोकों में सिद्धि से उड़कर चला जाता था। जब श्री विष्णु जी ने उसे समझाया और स्वर्ग में रहने नहीं दिया, तब उनकी बुद्धि ठिकाने आई। राजा जनक से दीक्षा ली। तब शुकदेव जी की उतनी मुक्ति हुई, जितनी मुक्ति उस नाम से हो सकती थी। परमेश्वर कबीर जी अपने विधान अनुसार राजा जनक को भी त्रेतायुग में मिले थे। उनको केवल हरियं नाम जाप करने को दिया था क्योंकि वे श्री विष्णु जी के भक्त थे। वही मंत्र शुकदेव को प्राप्त हुआ था। जिस कारण से वे श्री विष्णु लोक के स्वर्ग रूपी होटल में आनन्द से निवास कर रहे हैं। वहीं से विमान में बैठकर अर्जुन के पौत्र यानि अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को भागवत (सुधा सागर की) कथा सुनाने आए थे। फिर वहीं लौट गए।
क्रमशः..........
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#ज्ञानगंगा_Part80
"सतभक्ति करने से कैंसर व किडनी रोग ठीक हुआ"
मैं भक्तमति जय श्री दासी, गाँव सुलगाँव, जिला खण्डवा, तहसील - पुनासा (म. प्र.) की निवासी हूँ। मेरी शादी के आठ साल बाद मेरी तबियत खराब हो गई थी। मेरे पति ने मुझे गाँव के आस-पास के डॉक्टरों को दिखाया गया, परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी हालत और ज्यादा खराब होती गई, फिर मुझे इंदौर मैडिकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहाँ पर में 15 रोज तक भर्ती रही। मेरी एक जांच मुम्बई में हुई । जिसमें 25 हजार रूपयें खर्च हुए। जिसमें पता चला कि मेरी दोनों किडनीयों में इंफेक्शन है और आजीवन गोली खानी पड़ेगी। 6 साल तक मेरा ईलाज डॉ. अंशद रियाज के पास चला लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसके बाद हमने इंदौर में आई.जी. चौराहा स्थित अनूप नगर में डॉ. नरेश पाहवा एम. डी. (मेडिसन), डी. एम. (नेफ्रोलाजी, पी. जी. आई. चण्डीगढ़ किडनी रोग एवं ट्रांसप्लान्ट विशेषज्ञ) से इलाज करवाया। मेरे ईलाज पर 5 लाख रूपये खर्च हो चुके थे और दवाई का 15 हजार रूपये प्रति महीना खर्चा आता था। उस समय मेरी उम्र मात्र 26 साल थी और संतान रूप में एक बेटा था। लेकिन 1 साल तक ईलाज करने के बाद डॉ. नरेश ने बोल दिया की ये लड़की 10 साल से ज्यादा जीवित नहीं रहेगी। ये वचन मेरे परिवार पर वज्रपात से कम नहीं थे। क्योंकि जब अन्तिम समय निरधारित हो जाए, तो जीवन का शेष समय' मौत से भी कठिन हो जाता है।
उस समय पूर्ण परमात्मा ने जोत से जोत जगाई, मेरी मौसी जी की बेटी रेखा को कैंसर की बिमारी थी। सन् 2013 में उन्होंने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लिया। सतभक्ति करने से उनका कैंसर रोग ठीक हो गया था। उन्होंने ही मुझे नाम उपदेश लेने के लिए प्रेरित किया। मैंने 22 अप्रैल 2018 को नाम उपदेश लिया, पूर्ण विश्वास से सतभक्ति करने से 15 दिन के अंदर ही मेरी गोली दवाई बंद हो गई। सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की दया से आज मैं बिल्कुल ठीक हूँ। आज में पहले जैसे सारा काम कर लेती हूँ। मैं एक किसान परिवार से हूँ, आज में खेतों में काम करती हूँ। जबकि बीमारी के समय मैं अपना खाना भी खुद से नहीं खा पाती थी । अगर आप मेरा अनुभव पढ़कर कुछ पूछना चाहे तो मेरे फोन नम्बर 9977413652 पर आप फोन करके पूछ सकते हैं और मेरी सारी बीमारी की रिपोर्ट मैंने संभल कर रखी हैं, प्रमाण के लिए दिखा व Whatsapp भी कर सकती हूँ। अपने जगत के भाई बहनों से प्रार्थना है कि संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लो और अपना और अपने परिवार का कल्याण करवाओ।
मनुष्य जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारम्बार । तरूवर से पता टूट गिरे, फिर बहुर न लगता डार।
भक्तमति जयश्री दासी, गांव-सुलगांव तह- पुनासा जिला खण्डवा (म. प्र. ) फोन नं. - 9977413652
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
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#ज्ञानगंगा_Part79
"भक्त सतीश की आत्मकथा"
मैं भक्त सतीश दास 193 सेक्टर 7, आर. के. पुरम. नई दिल्ली का रहने वाला हूँ । उपरोक्त पंक्तियाँ हमारे जीवन में चरित्रार्थ होती हैं। क्योंकि सतगुरु बन्दी छोड़ रामपाल जी महाराज का दिसम्बर सन् 1997 को प्रीतमपुरा दिल्ली में सत्संग था तो हम अपने एक मित्र के कहने पर सत्संग सुनने गए, परन्तु पारम्परिक पुजाऐं हुआ छोड़ने की बातें सुनने के बाद सत्संग में दिल नहीं लगा। सतगुरु जी शास्त्रों में पढ़-पढ़कर हमें समझा रहे थे तो हमारे मन में आया कि किताबों को तो हम घर में ही न पढ़ लेंगे। इस प्रकार ज्योति निरंजन (काल) ने हमारी बुद्धि स्थिर कर दी और हमारा भक्ति वाला चैनल बंद कर दिया ।
सतगुरु हमें समझाते हैं कि -
गुरु बिन किन्हें न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भूस छड़े किसाना । गुरु बिन भरम ना छूटे भाई, कोटि उपाय करो चतुराई ।।
इस प्रकार हमारी बुद्धि स्थिर होने की वजह से हम ईधर-उधर की बातें करते हुए घर वापिस आ गए। सन् 1999 में मेरी पत्नी श्रीमति मंजू को ब्रेन ट्यूमर (दिमागी कैंसर) हो गया, जिसका हमें सफदरजंग हॉस्पीटल में निरीक्षण व ईलाज के समय पता चला। इसके बाद मैंने उसको पंत हॉस्पीटल तथा AIIMS नई दिल्ली और इसके बाद अपोलो हॉस्पीटल नई दिल्ली में भी डॉक्टर को दिखाया । सभी डॉक्टरों ने तुरन्त ऑप्रेशन की सलाह देते हुए कहा कि ऑप्रेशन के दौरान इसके एक हाथ में पैरालाईसिस हो सकता है। अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर ने तो रिपोर्ट देखने के बाद यहाँ तक कहा कि इसकी दोनों आँखें अभी तक ठीक कैसे हैं? और उसी समय आई स्पेशलिस्ट से टैस्ट करवाने के लिए कहा। मैंने तभी चैक करवाई। तब आई स्पेशलिस्ट और न्यूरो सर्जन ने सलाह दी कि हर पंद्रह दिन बाद इसकी आँखों की जाँच करवाते रहना, कभी भी खत्म हो सकती है, क्योंकि ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है। मेरी पत्नी व मैं दोनों ही पैरों से विकलांग हैं और हाथ व आँखें खत्म होने की बात सुनकर स्वांस ऊपर का ऊपर और नीचे का नीचे रह गया, लेकिन कोई चारा न पाकर अंत में पंत हॉस्पीटल नई दिल्ली में ऑप्रेशन करवाने की सोची और डॉक्टर के कहने पर INMAS हॉस्पीटल तिमारपुर दिल्ली से M.R.I करवा ली और अन्य सारे टैस्ट भी करवा लिए। केवल ऑप्रेशन की तारीख लेनी थी। हमें पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पहले सुने सत्संग की ये पंक्तियां याद आई-
जिन मिलते सुख उपजे, मिटें कोटि उपाध भुवन चतुर्दश ढूंढियों, परम स्नेही साध ।।
और हमारा भक्ति चैनल परमेश्वर ने ऑन कर दिया और मन में भावना उत्पन्न हुई कि ऑप्रेशन से पहले नाम लेकर देख लेते हैं। फिर अपने दोस्त के साथ
प्रीतमपुरा दिल्ली में जाकर 4 फरवरी 2001 को पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत पूर्व वाली सभी पूजाऐं छोड़ दी। सतगुरु देते हुए कहा कि परमात्मा ने चाहा तो क हो जायेगा। हमने सतगुरु की आज्ञा पाठ करवाया और इसके बाद डॉक्टर से नई दिल्ली गये। जो डॉक्टर पहले ऑप्रेशन की सलाह दे रहे थे, वही डॉक्टर दूसरे एम. आर. आई. को देखकर कहने लगा की अभी ऑप्रेशन की कोई जरूरत नहीं है। तब सतगुरु की वाणी याद आई कि -
सतगुरु दाता है कलि माहिं, प्राण उधारण उतरे सांई । सतगुरु दाता दीन दयालं, जम किंकर के तोड़े जालं ।।
और हम सतगुरु को याद करके फूट-फूट कर रोने लगे कि हे परमेश्वर हम आपकी महिमा को किन शब्दों में व्याख्यान करें। इस प्रकार पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब के अवतार तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की कंप्या से हमारा ऑप्रेशन टल गया और उसके बाद हमने एक पैसे की गोली दवाई भी नहीं खाई है और सुखमय जीवन जी रहे हैं।
20 नवंबर 2004 को रात को काल के झपट्टे के कारण मेरी पत्नी मंतक समान हो गई थी, परमेश्वर का अमंत जल पिलाने के बाद होश आया। फिर हम उसे सतगुरु जी के पास लेकर आए तो सतगुरु जी ने बताया कि आज इनकी मृत्यु होनी थी। कबीर परमेश्वर ने इनकी उम्र बढ़ा दी है और अब उसको भक्ति करनी है।
फिर 22 नवंबर 2004 को मेरी पत्नी को सोनीपत सत्संग में ही लकवे (पैरालाईसिस) का अटैक पड़ा और उसकी वजह से उसके हाथ की ताकत समाप्त होने लगी और उसी समय सतगुरु जी का हाथ अपने हाथ में दिखाई देने लगा और लगभग पाँच मिनट तक दिखाई देता रहा। जब लकवे (पैरालाईसिस) का असर समाप्त हो गया तब सतगुरु जी का हाथ अदश्य हो गया और आज तक वह बिल्कुल ठीक है।
सतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जो कबीर परमेश्वर के ज्यों के त्यों अवतार आए हैं ने हमारे को सिद्ध कर दिया कि
गरीब जम जौरा जासे डरें, मिटे कर्म के अंक कागज कीरें दरगह दई, चौदह कोटि न चप । ।
भक्त सतीश मेहरा,
RLF-907/17, राज नगर-II, पालम कालोनी, नई दिल्ली। मो. 09718184704
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