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अल्लाह के वजूद पर इससे बेहतर कोई वीडियो नहीं देखी मैंने अबतक,
इतना लॉजिक और प्रमाणित तथ्य के साथ आख़िर तक देखें और फ़ख़्र करे मुस्लिम होने पर!
नास्तिक:- क्या अल्लाह लोगों को गुमराह करता है ?
मुफ़्ती साहब का बेहतरीन जवाब
नास्तिक:- क्या अल्लाह ऐसा पत्थर बना सकता है जिसे वो उठा ना सके?
मुफ़्ती साहब का बेहतरीन जवाब
#इस्लाम #मुस्लिम
सनातनी को 72 हूरें चाहिए। 😂😂
#मुफ़्ती साहब ने जबरदस्त धुलाई की
Special For Teachers Day
#मुहम्मद_ﷺ_विश्व_गुरु
शिक्षण हर समाज और समुदाय में एक महत्वपूर्ण, सम्मानित और प्रसिद्ध पेशा है। जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग इसे पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से एक बेहतर भविष्य वाला करियर मानते हैं। यह एक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण करियर है। इस्लाम अपने आप में एक स्कूल है और इसके पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) एक प्यार करने वाले शिक्षक थे, जिनकी शिक्षाएं और बातें आज भी पूरी मानवता को मार्गदर्शन, प्रेरणा और निर्देश देती हैं। एक शिक्षक के रूप में, पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने हमें न केवल हमारे विश्वास के सिद्धांतों को सिखाया, बल्कि हमें निर्देशित किया कि कैसे मामूली नींव और इस्लाम और उससे संबंधित शिक्षाओं के सबसे जटिल प्रश्न हमारे दैनिक जीवन पर लागू होते हैं। वह इस सांसारिक जीवन के राहगीर थे लेकिन उनका पूरा जीवन इस जीवन में मानवता के लिए एक उदाहरण है मृत्यु के बाद के जीवन के लिए ज्ञान अर्जित करने का स्त्रोत है।
मुहम्मद (ﷺ) कुरान में एक शिक्षक के रूप में:
अल्लाह अपनी किताब में ज़िक्र करता है कि इब्राहीम अलै. ने दुआ कि: अल्लाह उनकी नस्ल मेसे पूरी मानव जाति के कल्याण और भलाई के लिए एक पैगम्बर को भेजे।
और अल्लाह ने इब्राहीम अलै. की दुआ को कुबूल किया और पैगम्बर मुहम्मद (ﷺ) को सभी जिन्न और मानव जाति के लिए एक आदर्श शिक्षक के रूप में भेजा गया था।
अल्लाह, इब्राहीम अलै. की दुआ को बताता है क़ुरआन में कुछ इस तरह
📚 सूरह बक़रह 2 : आयत 129
ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
और वह कहता है:
📚सूरह आले इमरान 3: आयत 164
निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों पर बड़ा उपकार किया, जबकि स्वयं उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठाया जो उन्हें आयतें सुनाता है और उन्हें निखारता है, और उन्हें किताब और हिक़मत (तत्वदर्शिता) का शिक्षा देता है, अन्यथा इससे पहले वे लोग खुली गुमराही में पड़े हुए थे।
उपर्युक्त दो आयतों से संकेत मिलता है कि अल्लाह ने पैगंबर (ﷺ) को चार काम करने के लिए भेजा था, जो शिक्षक के मूल कर्तव्य हैं:
1️⃣ पवित्र कुरान की आयत याद करें।
2️⃣ कुरान पढ़ाओ।
3️⃣ बुद्धि (सुन्नत और पैगंबर मुहम्मद ﷺ के कानूनी तरीके) सिखाएं।
4️⃣ और अपने अनुयायियों को शुद्ध करने के लिए।
सुन्नत से उदाहरण:
यह जाबिर इब्न अब्दुल्ला (अल्लाह उस पर प्रसन्न हो) से सुनाया जाता है कि पैगंबर (ﷺ) ने कहा:
📗 "अल्लाह ने मुझे इस उम्मीद में लोगों के लिए चीजें कठिन बनाने के लिए नहीं भेजा था कि वे गलतियां करेंगे, बल्कि उन्होंने मुझे एक शिक्षक के रूप में सिखाने (चीजों को आसान बनाने) के लिए भेजा है।" (मुस्लिम 1478)
हज़रत मुआविया बिन अबू हक़म रज़ियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं
📗 “मेरे माँ बाप आप पर क़ुर्बान! मैंने आप से पहले और आप के बाद आप से बेहतर कोई मुअल्लिम(सीखाने वाला) नही देखा।
सहीह मुस्लिम 1199
एक और बयान में उन्होंने (अल्लाह उनसे खुश रहें) कहा:
📗"और मैंने कभी भी अल्लाह के दूत (ﷺ) की तुलना में किसी भी शिक्षक को नहीं देखा है।" (अबू दाऊद 931)।
पवित्र कुरान में अनगिनत आयत हैं और पैगंबर (ﷺ) की सुन्नत में कई हदीस हैं जो पुष्टि करते हैं कि पैगंबर (ﷺ) मानव जाति के सबसे अच्छे और महान शिक्षक थे। एक दूत का यह कर्तव्य है कि वह अपने अनुयायियों को शिक्षित करे और उन्हें सर्वोत्तम तरीके से सिखाए। पैगंबर (ﷺ) के साथियों ने भी गवाही दी कि उन्होंने (ﷺ) ने इस कर्तव्य को इस तरह से पूरा किया कि उन्हें हक़ अदा कर दिया ।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
#सनातनी भाई का सवाल :- क्या क़ुरआन और साइंस के बीच Contradiction/इखेलाफ़ हो सकता है?
मुफ़्ती साहब का बेहतरीन जवाब।
👉 सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब
【सहीह अहादीस की रौशनी में】
1️⃣3️⃣हजरत अनस बिन मालिक रज़ि. का बयान है कि:
हुसैन अलै. रसूलल्लाह सल्ल. के सबसे ज्यादा मुशाबह(हमशक्ल) थे।
📒 सहीह बुखारी 3748
1️⃣4️⃣ सय्यिदा आयशा रज़ि का बयान है कि रसूलल्लाह सल्ल. ने फरमाया :
छः (6) किस्म के लोग ऐसे हैं, जिन पर अल्लाह और तमाम नबियों ने लानत भेजी है; (उनमें से एक किस्म के वो लोग हैं) जो मेरे अहले बैत की बेहुरमती करते हैं ।
📒 जामेअ तिर्मिज़ी 2154
1️⃣5️⃣ सय्यिदना अबु सईद ख़ुदरी रज़ि. बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्ल. ने इरशाद फ़रमाया :
उस ज़ात की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है , हम अहले बैअत से जो कोई भी बुग्ज़ रखेगा , अल्लाह तआला ज़रूर उसे आग में दाखिल करेगा।”
📒 मुस्तदरक अल-हाकिम 4717
मातम
► नबी ए हक़ (صلى الله عليه وسلم) ने फरमाया:
لَيْسَ مِنَّا مَنْ لَطَمَ الْخُدُودَ، وَشَقَّ الْجُيُوبَ، وَدَعَا بِدَعْوَى الْجَاهِلِيَّةِ
जो शख्स अपने गाल पीटे और गरेबान(कपड़े) फाड़े, यानी जमाना ए जाहिलियत [अज्ञानता-काल] की तरह चीख पुकार करे वो हम में से नहीं।
جو شخص اپنے رخسار پیٹے اور گریبان پھاڑے،نیز عہد جاہلیت کی طرح چیخ پکار کرے وہ ہم سے نہیں
He who slaps (his) cheeks, tears (his) clothes and calls to (or follows) the ways and traditions of the days of ignorance is not one of us.
📒 _सहीह बुखारी 1294_
► नबी ए रहमत (صلى الله عليه وسلم) ने हुक्म इरशाद फ़रमाया :
لاَ يَحِلُّ لاِمْرَأَةٍ مُسْلِمَةٍ تُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الآخِرِ أَنْ تُحِدَّ فَوْقَ ثَلاَثَةِ أَيَّامٍ، إِلاَّ عَلَى زَوْجِهَا أَرْبَعَةَ أَشْهُرٍ وَعَشْرًا
एक मुसलमान औरत जो अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखती हो, उसके लिए जायज़ नहीं कि वो किसी की वफात का सोग तीन दिन से ज्यादा मनाये, सिवाय (अपने) शौहर के; कि उसके लिए मुद्दत चार महीने दस दिन है।
ایک مسلمان عورت جو اللہ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتی ہو۔ اس کے لیے جائز نہیں کہ وہ کسی (کی وفات) کا سوگ تین دن سے زیادہ منائے سوا شوہر کے کہ اس کے لیے چار مہینے دس دن ہیں۔
It is not lawful for a lady who believes in Allah and the Last Day, to mourn for more than three days for a dead person, except for her husband for whom she should mourn for four months and ten days.
📒 सहीह बुखारी 5339-5342
👉 सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब
【सहीह अहादीस की रौशनी में】
1️⃣0️⃣ नबी करीम सल्ल. ने सय्यिदना हसन और सय्यिदना हुसैन रज़ि. के बारे में फरमाया : "वो दोनों दुनिया में मेरे दो फूल हैं।"
📒 सहीह बुखारी 3753
1️⃣1️⃣ नबी सल्ल. का फरमान है कि:
अल्लाह से मुहब्बत करो क्योंकि वो तुम्हें अपनी नेमतें खिला रहा है और अल्लाह की मुहब्बत की वजह से मुझसे मुहब्बत करो और मेरी मुहब्बत की वजह से मेरे अहले बैत से मुहब्बत करो ।
📚 बाहवाला:
◆जामेअ तिर्मिज़ी 3789
◆फजाईले सहाबा लि ज़ई सफा 102
1️⃣2️⃣ नबी सल्ल. ने इरशाद फरमाया:
जिस शख्स ने इन (हसन और हुसैन रज़ि) से मुहब्बत की तो यकीनन उसने मुझसे मुहब्बत की और जिसने इन दोनों से बुग्ज़ किया तो यकीनन उसने मुझसे बुग्ज़ किया।
बाहवाला:
◆मुसनद अहमद 9673 - 2/440
◆फजाईले सहाबा लि अहमद 1374
◆फजाईले सहाबा लि ज़ई सफा 103
👉 सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब
【सहीह अहादीस की रौशनी में】
7️⃣ नबी सल्ल. ने हजरत हसन और हजरत हुसैन रज़ि के बारे में फरमाया:
ये दोनों मेरे बेटे और मेरे नवासे हैं। ऐ अल्लाह! मैं इन दोनों से मुहब्बत करता हूँ, तू भी इनसे मुहब्बत कर ; और उस शख्स से भी मुहब्बत फरमा जो इन दोनों से मुहब्बत करे ।
📒जामेअ तिर्मिज़ी 3769
8️⃣ सय्यिदना बरीरा रज़ि का बयान है कि रसूलुल्लाह हमें खुत्बा इरशाद फरमा रहे थे कि अचानक सय्यिदना हसन अलै. और सय्यिदना हुसैन अलै. आ गए । उन्होंने सुर्ख कमीसें पहन रखी थीं, वो चलते चलते गिर पड़ते थे । रसूलल्लाह सल्ल. मिम्बर से नीचे उतरे , और उन दोनों को उठाया और अपने सामने बिठा लिया और फिर फ़रमाया :अल्लाह तआला ने सच फ़रमाया :: “तुम्हारे मालों और औलाद में तुम्हारे लिए आज़माइश है ।" [सूरह तगाबुन : 15 ]
जब मैंने जब इन बच्चों को चलते और गिरते हुए देखा तो मैं सब्र न कर सका हत्ता कि मैंने अपना खुत्बा अधूरा छोड़ कर उन्हें उठा लिया ।" फिर आपने दोबारा खुत्बा शुरू किया।
📚 बाहवाला:
◆जामेअ तिर्मिज़ी 3774
◆सुनन अबू दाऊद 1109
◆सुनन नसाई 1414, 1586
◆इब्ने माज़ा 3600
9️⃣ सय्यिदना शद्दाद रज़ि का बयान है कि रसूलल्लाह हमारे पास नमाज़ ए इशा की इमामत के लिए बाहर तशरीफ़ लाए । उस वक़्त आप सल्ल. ने सय्यिदना हसन रज़ि या सय्यिदना हुसैन रज़ि को उठाया हुआ था। रसूलल्लाह सल्ल. ने नमाज़ के दौरान सज्दे में ताखीर(देर) फरमा दी तो मैंने नमाज़ में ही सिर उठा कर देखा कि आप के नवासे आपकी पुश्त मुबारक पर चढ़े हुए हैं। फिर जब आप सल्ल. नमाज़ से फारिग हुए तो आपने सज्दे में ताखीर की वजह बयान फ़रमाई : "दरअसल मेरा बेटा मुझ पर सवार हुआ तो मुझे ये बुरा महसूस हुआ कि मैं सज्दे से जल्दी सिर उठा लूँ और उस बच्चे की ख्वाहिश मुकम्मल न हो सके ।” [मफ़हूम हदीस]
बाहवाला:
◆सुनन नसाई 1142
◆ मुसनद अहमद 10669
Imaam Hussain Razi. Ka Qatil Kaun Hai?
Kya sunni Aalim Qatileen e Hussain Ka diya Karte hai?
#मोहर्रम #हुसैन #अली
👉 सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब
【सहीह अहादीस की रौशनी में】
4️⃣ सैयदना साद बिन अबी वक्कास का बयान है
“जब आयत ए मुबाहिला (सुरह आले इमरान की आयत नम्बर 61) नाज़िल हुई तो रसूलल्लाह सल्ल. ने सय्यदा फातिमा, सैयदना अली, सैयदना हसन, सैयदना हुसैन रज़ि. को अपने पास बुलाया और अल्लाह के हुज़ूर अर्ज़ किया “ ऐ अल्लाह ये मेरे अहले बैत हैं । ”
[सहीह मुस्लिम हदीस 6220]
5️⃣ उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा रज़ि. रिवायत करती हैं कि रसूलल्लाह सल्ल. ने अपनी चादर के नीचे सैयदा फातिमा, सैयदना अली, सैयदना हसन, सैयदना हुसैन रज़ि. को दाखिल फ़रमाया और फिर ये आयत मुबारका तिलावत फ़रमाई
إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّـهُ لِيُذْهِبَ عَنكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيرًا ﴿٣٣﴾
(ऐ पैग़म्बर के अहले बैत) खुदा तो बस ये चाहता है कि तुमको (हर तरह की) बुराई से दूर रखे और जो पाक व पाकीज़ा दिखने का हक़ है, वैसा पाक व पाकीज़ा रखे।
[सूरह अहज़ाब 33:33]
[सहीह मुस्लिम 6261]
6️⃣ खलीफा ए अव्वल अमीरुल मोमिनीन सैयदना अबू बक़्र रज़ि. ने इरशाद फ़रमाया
“मुहम्मद सल्ल. के अहले बैत (से मुहब्बत) में आप सल्ल. की मुहब्बत को तलाश करो”
[सहीह बुखारी हदीस 3751]
नोट: सूरह अहज़ाब की आयात नंबर 28 से 33 की रौशनी में बेशक तमाम उम्महातुल मोमिनीन रज़ि. भी ‘अहले बैत’
में शामिल हैं।
👉 सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब
【सहीह अहादीस की रौशनी में】
नबी ए करीम सल्ल. ने इरशाद फरमाया::
1⃣और बेशक सैयदना हसन और हुसैन रज़ि. जन्नत के नौजवानो के सरदार हैं। (اسناد حسن)
📘 [जामेअ तिर्मिज़ी हदीस 3781]
2⃣ हुसैन मुझसे है और और मैं हुसैन से हूँ, अल्लाह उससे मुहब्बत करे जो हुसैन से मुहब्बत करता है (اسناد حسن)
📘 [जामेअ तिर्मिज़ी हदीस 3775 ]
3⃣ ऐ लोगो आगाह हो जाओ! मैं भी इंसान हूँ, और करीब है कि मेरे पास मेरे रब का क़ासिद(मौत का फ़रिश्ता) आये और मैं उसकी बात क़बूल कर लूं।
मैं अपने बाद तुममें दो अज़ीम चीजें छोड़ कर जा रहा हूँ
1 . पहली चीज तो अल्लाह की किताब है, इसमें हिदायत और नूर है, तुम अल्लाह की किताब को पकड़ो और इससे ताल्लुक मज़बूत करो। अल्लाह की किताब अल्लाह की रस्सी है, जिसने इसकी इत्तेबाअ की वो हिदायत पर है और जिसने इसे छोड़ दिया वो गुमराह हो गया।
2. और दूसरी चीज मेरे अहले बैत हैं।
मैं अपने अहले बैत के मुत्तालिक तुम्हें अल्लाह से डराता हूँ, मैं अपने अहले बैत के मुत्तालिक तुम्हें अल्लाह से डराता हूँ।
(यानी उनके साथ अच्छा सुलूक करना!)
📘 [सहीह मुस्लिम हदीस 6225-6228]
بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
🔹मुहर्रम का महीना आ चुका है और लोगो ने बेबुनियाद हदीसों और आयतों को फैलाना शुरू कर दिया है।
🔹अब मैं आपके साथ हादसा-ए-करबला,
शहादत ए हज़रत इमाम हुसैन (रज़ि.),
और सहाबा की शान में बेअदबी
ऐसे ही दूसरे मामलों में क़ुरआन और सहीह अहादीस की रौशनी में कुछ दलाइल पेश करना चाहता हूँ ।
🔹इस मज्मून को आखिर तक बराए मेहरबानी गौर से पढ़े
और
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👉 तमाम सहाबा का इज्जतो एहतराम होना चाहिये
_بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ_
مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّـهِ ۚ وَالَّذِينَ مَعَهُ أَشِدَّاءُ عَلَى الْكُفَّارِ رُحَمَاءُ بَيْنَهُمْ ۖتَرَاهُمْ رُكَّعًا سُجَّدًا يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِّنَ اللَّـهِ وَرِضْوَانًا ۖ سِيمَاهُمْ فِي وُجُوهِهِم مِّنْ أَثَرِ السُّجُودِ ۚ ذَٰلِكَ مَثَلُهُمْ فِي التَّوْرَاةِ ۚ وَمَثَلُهُمْ فِي الْإِنجِيلِ ............
मुहम्मद صلى الله عليه و سلم ख़ुदा के रसूल हैं और जो लोग उनके साथ हैं काफ़िरों पर बड़े सख्त और आपस में बड़े रहम दिल हैं तू उनको देखेगा (कि ख़ुदा के सामने) झुके सर बसजूद हैं ख़ुदा के फज़ल और उसकी ख़ुशनूदी के ख्वास्तगार है
उनकी इबादत की अलामत उनके चेहरों पर सजदों के असर से नुमायाँ हैं यही औसाफ़ उनके तौरेत में भी हैं और यही हालात इंजील में (भी मज़कूर) हैं.....
📖 [सूरह अल फ़त्ह 48:29]
🔸 सैयदना अबु सईद खुदरी रज़ि. का बयान है कि सैयदना खालिद बिन वलीद रज़ि ने सैयदना अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ि को झगड़े के दौरान बुरा कहा तो रसूलल्लाह सल्ल. ने सैयदना खालिद रज़ि से फ़रमाया "तुम मेरे सहाबा को बुरा मत कहो, अगर अब तुम (बाद में इस्लाम लाने वालों ) में से कोई शख्स उहद पहाड़ के बराबर सोना खर्च कर डाले तो भी वो उन (पहले वाले मुसलमानो ) में से किसी एक के मुद
(तकरीबन 600ग्राम) खर्च करने को नहीं पहुँच सकता, ना ही इसके आधे को"
📘 _[सहीह बुखारी हदीस 3673 सहीह मुस्लिम हदीस 6488]_
🔸हजरत सईद बिन ज़ैद रज़ि कूफा की बड़ी मस्जिद में हजरत मुगीरा बिन शोअबा रज़ि को (जो हजरत मुआविया रज़ि की तरफ से कूफा के गवर्नर थे) मिलने आये । कुछ देर बाद कैस बिन अल्कमा वहां आया तो हजरत मुगीरा रज़ि ने उसका इस्तकबाल किया । फिर मस्जिद में उसी कैस ने सैयदना अली रज़ि को गालियां दी तो सैयदना सईद रज़ि ने हज़रत मुगीरा रज़ि को तीन बार नाम लेकर डांटा और फ़रमाया कि तुम्हारी मज़्लिस के लोग नबी सल्ल. के सहाबी सैयदना अली को गालियां दें और ना तो तुम उनको मना करो और ना ही उनको अपनी मजलिस से निकालो जबकि मैं गवाही देता हूँ के मैंने खुद नबी सल्ल. से सुना कि अबू बक्र,उमर, उस्मान, अली,तल्हा,जुबैर,अब्दुर्रहमान बिन औफ, साद बिन अबी वक्कास रज़ि और एक नवाँ भी जन्नत में है । मस्जिद वालों ने अल्लाह की कसम देकर पूछा कि नवाँ शख्स कौन है ? तो फरमाया अल्लाह का नाम बहुत बड़ा है वो नवाँ आदमी मैं हूँ और दसवें खुद नबी सल्ल. ।
फिर सैयदना सईद रज़ि ने फरमाया अल्लाह की कसम जो शख्स नबी सल्ल. के साथ किसी एक गज़वे मैं भी शरीक हुआ और उसका चेहरा गुबार आलूद (मिट्टी में भर गया) हुआ तो उसका ये अमल तुम लोगों के हर अमल से अफज़ल है चाहे तुम्हे सैयदना नूह अलै. जितनी लंबी उम्र ही क्यों ना मिल जाये।
📘 [सुनन अबू दाऊद हदीस 4650; मुसनन्द अहमद हदीस 1629 ]
✨सहाबा किराम एक दूसरे का बहुत एहतराम करते थे और खुद को किसी से बड़ा नहीं समझते थे:
🔸सैयदना मुहम्मद बिन हनफिया रह. बयान करते हैं की मैंने अपने वालिद (सैयदना अली रज़ि) से सवाल किया
"(इस उम्मत में) रसूलल्लाह सल्ल. में बाद कौन शख्स लोगों में सबसे अफज़ल है ?"
उन्होंने फ़रमाया "सैयदना अबूबक्र रज़ि." मैंने पूछा उनके बाद कौन ?
उन्होंने फ़रमाया "सैयदना उमर रज़ि." फिर मुझे अंदेशा हुआ की आप अब सैयदना उस्मान रज़ि. का नाम लेंगे इसलिए मैंने कहा फिर तो आप ही हैं ? तो आपने ( बतौर इंकिसार/नम्रतापूर्वक) फ़रमाया "मैं तो आम मुसलमानो में से एक आदमी हूँ ।
📘 [सहीह बुखारी हदीस 3671]
जारी...
माहे मुहर्रम और आशूरा [10 मुहर्रम] के रोज़े के फजाइल
#मुहर्रम
#अल्लाह का महीना
#आशूरा का रोजा
```पोस्ट लिंक::```
https://wp.me/p9A0OZ-1nB
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💫 मुहर्रम – हुर्मत वाला महीना 💫
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📖 _क़ुरआन सूरह तौबा 9:36_
इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने जिस दिन आसमान व ज़मीन को पैदा किया (उसी दिन से) ख़ुदा के नज़दीक ख़ुदा की किताब (लौहे महफूज़) में महीनों की गिनती बारह महीने है उनमें से चार महीने (अदब व) हुर्मत के हैं, यही दीन सीधी राह है, तो उन चार महीनों में तुम अपने ऊपर (बदअमनी फैला कर) ज़ुल्म न करो…
🔹 ```ये चार महीने ये है ::```
1⃣मुहर्रम उल हराम (पहला महीना)
2⃣रज़ब मुर्रजब (सातवाँ महीना)
3⃣जील काअदा (ग्यारहवाँ महीना)
4⃣जील हिज्जा (बाहरवाँ महीना)
► रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
जमाना घूम फिर कर उसी हालत में आ गया है जैसे उस दिन था, जिस दिन अल्लाह ने आसमान और जमीन पैदा किये थे। साल बारह महीने का होता है; जिनमें से 4 हुर्मत वाले है।
🔹तीन तो लगातार है ::
▪जील काअदा (ग्यारहवाँ महीना)
▪जील हिज्जा (बाहरवाँ महीना)
▪मुहर्रम उल हराम (पहला महीना)
🔹और चौथा ::
▪रज़ब मुज़र (सातवाँ महीना)
जो कि जमादिल आखिर और शाबान के बीच में आता है।
📚 सहीह बुख़ारी जिल्द #4, हदीस #3197
➕ 6 मजीद हवाले
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💫 आशूरा का रोज़ा 💫
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अल्हम्दुलिल्लाह आशूरा के रोज़ों के ताल्लुक से:
✨सहीह बुख़ारी में 20 से ज्यादा अहादीस मौजूद है; मुत्ताले के लिये सिलसिलेवार 8 अहादीस देखें : #2000-2007
✨इसी तरह, सहीह मुस्लिम में 40 अहादीस मौजूद है; मुत्ताले के लिये सिलसिलेवार 34 अहादीस देखें : #2637-2670
► रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
1) रमज़ान के बाद सबसे अफ़्ज़ल रोज़े, अल्लाह के महीने मुहर्रम के है।
2) फ़र्ज़ नमाज़ के बाद सबसे अफ़्ज़ल नमाज़, रात की नमाज़(तहज्जुद) है।
📚 _सहीह मुस्लिम जिल्द #3, हदीस #2755-2757_
➕6 मजीद हवाले
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💫 9 मुहर्रम का रोज़ा 💫
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► रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अगर मैं आने वाले साल तक जिंदा रहा तो मैं (मुहर्रम की) नौवीं तारीख का भी जरूर रोज़ा रखूँगा।
📚सहीह मुस्लिम जिल्द #3, हदीस #2666
📚सहीह मुस्लिम जिल्द #3, हदीस #2667
📚मिश्कात उल मसाबीह हदीस #2041
► इब्ने अब्बास रज़ि का कौल है:
(मुहर्रम के)नौवें और दसवें दिन का रोज़ा रखो और यहूदियों की मुखालफत करो।
📚सुनन तिर्मिज़ी जिल्द #2, हदीस #755
📚सुनन अल कुबरा अल बैहकी हदीस #8187 जिल्द #4 सफा #287
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💫 10 (यौम ए आशूरा) मुहर्रम का रोज़ा 💫
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► रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
मैं अल्लाह से उम्मीद रखता हूँ कि आशूरा के दिन का रोज़ा एक साल पहले के गुनाहों को मिटा देगा।
📚सहीह मुस्लिम हदीस #2746
📚मिश्कात उल मसाबीह हदीस #2044
📚सुनन तिर्मिज़ी जिल्द #2, हदीस #752
📚सुनन इब्ने माज़ा जिल्द #2, हदीस #1738
► अब्दुल्लाह इब्ने उमर (रज़ि.) से रिवायत है कि:
रसूलल्लाह (ﷺ) ने यौम ए आशूरा [10 मुहर्रम] का रोज़ा रखा था और शुरुआती दौर में अपने सहाबा (रज़ि.) को भी इसे रखने का हुक्म दिया था।
▪जब रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ हो गये तो आशूरा को बतौरे फ़र्ज़ छोड़ दिया गया [यानी अब ये एक निफ्ली रोज़ा है, फ़र्ज़ नहीं।]
🔹 दूसरी रिवायत में है कि रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
▪[रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ हो जाने के बाद]अब जिसका जी चाहे आशूरा का रोज़ा रखे और जिसका जी चाहे न रखे।
📚सहीह बुख़ारी जिल्द #3, हदीस #1892-1893
➕32 मजीद हवाले
► अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रज़ि.) ने फरमाया कि:
मैंने रसूलल्लाह (ﷺ) को यौमे आशूरा और रमज़ान के रोजों के अलावा किसी दूसरे दिन के रोज़ों का एहतेमाम करते हुये नहीं देखा।
▪[आप सल्ल. आशूरा के दिन को बाकी तमाम दिनों पर फ़ज़ीलत दिया करते थे।]
📚सहीह बुख़ारी जिल्द #3, हदीस #2006
📚सहीह मुस्लिम हदीस #2662
📚मिश्कात उल मसाबीह हदीस #2040
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💫 यौम ए आशूरा के रोज़े की हिक्मत 💫
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► अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रज़ि) रिवायत करते है कि:
जब रसूलल्लाह (ﷺ) मदीना तशरीफ़ लाये तो (दूसरे साल) आप ﷺ ने देखा कि यहूदी आशूरा के दिन का रोज़ा रखते है।
आप ﷺ ने उनसे इसकी वजह मालूम फरमाई तो उन्होंने बताया कि, “ये एक अच्छा दिन है। इसी दिन अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल को उनके दुश्मन (फिरौन) से निजात दिलाई थी। इसलिये मूसा अलै. ने इस दिन का रोज़ा रखा था।”
▪फिर आप ﷺ ने फरमाया कि, “फिर तो मूसा अलै. के हम(मुसलमान) तुमसे ज्यादा हक़दार है।”
▪चुनांचे आप ﷺ ने उस दिन का रोज़ा रखा और सहाबा रज़ि. को भी हुक्म दिया।
📚सहीह बुख़ारी जिल्द #3, हदीस #2004
📚सहीह मुस्लिम हदीस #2656
➕14 मजीद हवाले
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✨ अल्लाह हम सभी को मुहर्रम की अज़मत समझने और इसमें नेकियाँ कमाने की तौफ़ीक़ अता करे।
🥁 ढोल बजाने की शरई हैसियत:
✨ _नूर-ए-हिदायत ﷺ ने फरमाया:_
🔹बेशक! अल्लाह ने मेरे लिए शराब, जुआ और
ढोल बजाना
हराम करार कर दिया है।
📒 ```सुनन अबू दाऊद हदीस 3696```
—
⚖️ _एक तारीखी फैसला:_
🔸एक शख्स ने किसी दूसरे शख्स का ढोल तोड़ दिया,
तो वो दूसरा शख्स अपना मामला क़ाज़ी शुरैह रह. के पास ले गया तो उन्होंने पहले शख्स पर कोई जुर्माना नहीं लगाया। यानी उसे ढोल की कीमत अदा करने का हुक्म नहीं दिया,
✅क्योंकि वो (ढोल बजाना) हराम काम है और इसी वजह से उस (जुर्माने) की कोई कीमत नहीं थी।
📙 ```मुसन्नफ इब्ने अबी शैबा 3/395```
नास्तिक/गैर मुस्लिम/हिन्दू:- ऐसा क्यों है कि #मुहम्मद सल्ल. का इतिहास में बहुत कम ज़िक्र मिलता है?
या उनके होने का इतिहास में कोई सबूत मौजूद नहीं है?
मुफ़्ती यासिर नदीम वाजिदी साहब और अमीर हक़ भाई का बेहतरीन जवाब सुनिए।
क्या UCC से इस्लाम खतरे में आ जायेगा?
क्या इससें मुसलमान बर्बाद हो जाएंगे?
जवाब कमेंट में वीडियो देखें 👇👇
जुमा का ख़ुत्बा खामोशी से सुनना वाजिब है
#जुमा
सवाल :- क्या ( ) के आने से #इस्लाम खतरे में आ जायेगा?
क्या इससे #भारतीय #मुसलमान बर्बाद हो जाएगा?
जवाब जानने के लिए पूरी वीडियो देखिए
मुफ़्ती यासिर नदीम वाजिदी साहब का बेहतरीन जवाब
#यूनिफार्म_सिविल_कोड
#अजान #निकाह #तलाक
ने इसलिए #इस्लाम_छोड़ा की इन्हें पांच वक्त की नमाज़ क़ुरआन में नहीं मिली। 😂😂
एक #हिन्दू फर्जी ex muslim बन कर आ गया।😂😂 धुलाई हो गयी
और जब पूछा गया कि सूरह फ़ातिहा में कितनी रकाअत होती है तो जवाब सुनिए जनाब का। 😂😂
पूरी वीडियो सुनिए और कमेंट करके बताये क़ुरआन की किस किस सूरत में पांचो नमाज़ों का ज़िक्र है?
इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें दोस्तो
#मुसलमान #इस्लाम #क़ुरआन #सूरह_फ़ातिहा
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