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सेंडा माता राजसमंद देवगढ़
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वाह,
अध्यापकजी ने क्या बात कह दी।
अत्यंत मजाकिया अंदाज
प्रतिदिन एक आवश्यक कार्य पूरा करना
टर्नर महोदय हमेशा अपने सामने एक आदर्श वाक्य रखा करते थे और वह वाक्य था-“प्रतिदिन कोई न कोई एक काम अवश्य पूरा कीजिए ।” और वे इस वाक्य को अपने जीवन में चरितार्थ करते थे और निरन्तर अपने काम में जुटे रहते | उन्हें इसमें वास्तविक आनंद मिलता था और वे इसमें लीन रहते थे।
... यदि आप स्वयं ही अपना मूल्य घटाते रहते हैं, अपने को घटिया, दीन-हीन, मलिन समझते रहते हैं, तो निश्चय जानिए दूसरों को क्या पड़ी है कि वे आपका मूल्य बढ़ाएं या उचित मूल्यांकन करें ?
ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं, जो दूसरों की नजरों में स्वयं को गिराता हो और फिर उसने कोई महान् कार्य किया हो।
संसार में सब लोग अत्यन्त व्यस्त हैं। उन्हें इतनी फुर्सत नहीं कि बे आपकी योग्यता की परीक्षा करें, आपके गुणों की परख करें। यह आपका काम है कि आप अपनी योग्यता तथा गुणों से उन्हें प्रभावित करें।
एक धनी व्यक्ति ने, जो पढ़ा-लिखा. न था और अपनी इस कमी को बहुत महसूस किया करता था, सोचा-+"मेरे जीवन का तो जो कुछ हुआ, सो हुआ; लेकिन मैं अपने बच्चों को इतनी शिक्षा दूँगा कि वे अपना जीवन सुख से काट सकें | इस विचार से उसने अपना सुख और आराम बच्चों की भलाई के लिए त्याग दिया। और उसके बच्चों का क्या हुआ, उसी की जुबानी सुनिए-“मैंने उनके प्रशिक्षण में अंधाधुंध खर्च किया। उन्हें यह महसूस नहीं होने दिया कि पैसों का अभाव क्या वस्तु है। मैंने ऐसी व्यवस्था की कि बच्चों पर कोई उँगली न उठाए। उन्हें कोई बुरा शब्द न कहे; परन्तु उस सबका क्या परिणाम निकला ?-बड़ा बेटा डॉक्टर है, पर उसके पास कोई मरीज नहीं आता। मँझला बेटा वकील है, पर उसके पास एक भी मुद्नई नहीं आता। छोटा बेटा दुकानदार है, पर उसकी तिजोरी सदा खाली रहती है। मेरी सारी मेहनत बेकार गई। मैंने उन्हें परिश्रमी तथा मितव्ययी बनाने का यल किया, पर फल क्या निकला! आप जानते हैं कि वे मुझसे क्या कहते . हैं, वे कहते हैं, 'पिताजी, पैसा कमाने से क्या होता है? हमें उसकी कोई कमी नहीं। आपने जो हमारे लिए इतना धन-संचय कर रखा है, क्या वह कम है?”
संसार में सब लोग अत्यन्त व्यस्त हैं। उन्हें इतनी फुर्सत नहीं कि वे आपकी योग्यता की परीक्षा करें, आपके गुणों की परख करें। यह आपक काम है कि आप अपनी योग्यता तथा गुणों से उन्हें प्रभावित करें।
... यदि आप स्वयं ही अपना मूल्य घटाते रहते हैं, अपने को घटिया, दीन-हीन, मलिन समझते रहते हैं, तो निश्चय जानिए दूसरों को क्या पड़ी है कि वे आपका मूल्य बढ़ाएं या उचित मूल्यांकन करें ?
ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं, जो दूसरों की नजरों में स्वयं को गिराता हो और फिर उसने कोई महान् कार्य किया हो।
अमीर लड़का था. उसे एक गरीब किसान की लड़की से प्यार हो गया. लड़की सुंदर होने के साथ-साथ काफी समझदार थी. एक दिन जब लड़के ने उस लड़की को बताया कि "वह उससे प्यार करता है, और उससे शादी करना चाहता है" तो लड़की ने कुछ सोचने के बाद उस लड़के को शादी करने से इनकार कर दिया. क्योंकि - वह गरीब परिवार से रिश्ता रखती थी.
लेकिन कुछ समय बाद जब ये बात उस लड़के को पता चली, तो उस ने लड़की के माता-पिता से बात की और उस लड़की को समझाया. काफी समझाने के बाद वह लड़की मान गयी और दोनों की शादी हो गयी.शादी के बाद, लड़का उसे बहुत प्यार करता था. दोनों का दांपत्य जीवन काफी अच्छा चल रहा था.
लेकिन कुछ महीनों बाद लड़की को चर्मरोग (skin diseases) हो गया. जिसके कारण उसकी खूबसूरती ढलने लगी. अब लड़की को यह डर भी सताने लगा, "कि उसकी खूबसूरती ढलने के कारण, कहीं उसका पति उसे छोड़ न दे." लड़की उस चर्म रोग को ठीक करने का हर संभव प्रयास कर रही थी.
समय बीत रहा था और लड़की की खूबसूरती धीरे-धीरे ढल रही थी. एक दिन वह लड़का एक काम से दूसरे शहर गया. लड़का जब वहां से वापस आ रहा था. तो उसका रास्ते में एक कार के साथ एक्सीडेंट हो गया. उस दुर्घटना के दौरान लड़के की आंखें की रोशनी चली गई.
इस दुर्घटना के कुछ समय के बाद उनका जीवन फिर से सामान्य और सुखी बीतने लगा. वह लड़की चर्मरोग की वजह से दिन प्रतिदिन कमजोर और बदसूरत होती गई. लेकिन पति अंधा होने के कारण उनका दांपत्य जीवन ठीक चलता रहा. और दिखाई न देने के कारण, वह लड़का उस से पहले की तरह प्यार करता रहा.
कुछ सालो बाद बीमारी के कारण उस लड़की की मृत्यु हो गई. पत्नी की मृत्यु होने के बाद, वह लड़का अंदर से दुखी हो गया, और वह शहर छोड़कर जाने वाला था. तभी उसके पड़ोसी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा-- "अब आप तो अपनी पत्नी के बिना अकेले पड़ जाएंगे. वह आपका काफी ख्याल रखती थी. अब आपका जीवन अंधकार में कैसे व्यतीत होगा."
तब उस लड़के ने अपने पड़ोसी की ओर देखा और गहरी सांस लेते हुए कहा-- "मैं कभी अंधा था ही नहीं. लेकिन मैं यह सोचकर अंधे होने का नाटक करता रहा, कि कहीं मेरी पत्नी को उसकी बीमारी और बदसूरती के कारण यह ना लगे. कि मैं उससे प्यार नहीं करता. इसीलिए! मैं इतने सालों तक बिना कुछ कहे हुए अपनी पत्नी की खुशी के लिए अंधा बना रहा." यह बात सुनकर पड़ोसी की आंखों से आंसू छलक
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