Salman Ajaz
BSc/D.Pharma/Samaj sevak
रात को सोने से पहले यही सवाल एक बार खुद से पूछ लेना। पत्रकारिता खुद छोड़ दोगे।
इस दलित युवक की ऊंची जाती के लड़को द्वारा केवल इसलिए हत्या कर दी गई, क्यूंकि ये मूँछ रखता था, शान से अपनी जिंदगी अपने दम पर जीना चाहता था.. लेकिन हम उस देश के वासी हैं, जहां इंसान की इसलिये हत्या कर दी जाती है कि वो मूँछ क्यूं रखा, अपनी शादी में घोड़ी पर क्यूं चढ़ा, सर उठा के समाज में क्यूं चल रहा.. कश्मीर फाइल बनाने वालों और उसे देख रोने वाले ढोंगी ही दलित समाज को दबा के रखना चाहते हैं, इन्हे केवल दलित का वोट चाहिए, दलित की अज़ादी नहीं, मंदिर में दलित का प्रवेश तक नहीं देखा जाता इनसे...
Shamsh Jaunpuri
Salman Ajaz
बाबरी मस्जिद राम मंदिर तोड़ कर नहीं बनाई गई थी लेकिन हिंदुओं की आस्था की बुनियाद पर मस्जिद कहीं और बना ली जाए और ये जगह राम मंदिर के लिए छोड़ दी जाए - कोर्ट
हिजाब इस्लाम में अनिवार्य नहीं है - कोर्ट
तीन तलाक देने वाले को 3 साल की सज़ा होगी - कोर्ट
आप मस्जिद के बाहर नमाज़ नहीं पढ़ सकते - कोर्ट
और भी बहुत सी बर्बादी की दास्ताँ है और आप पूछते हो कि सियासी हिस्सेदारी किस बात की ?
कर्नाटक हाइकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नही,
जज साहब ! क़ुरआन कहता है कि "कह दो अपनी बीवियों से अपनी बिटिया से और मोमिन औरतों से जब भी वो बाहर जाएं तो जिल्बाब पहने,वो कपड़ा जो बहुत ढीला ढाला हो" Surah Al-Ahzab No -33
आयत नुंबेर 33
जज साहब ने फैसला इस्लाम पढ़कर नही बल्कि आदेश पढ़कर दिया है?
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