Nitin sharma friends club
दोस्ती सब रिश्तो से लाजवाब होती हैं
लोकसभा चुनाव को तैयार बीजेपी टीम पीपाखेड़ी
रामगजमंडी
टीम मदन दिलावर
बेटे मेहुल शर्मा को जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं
बाबा महाकल का आशिर्वाद बना रहे
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
प्रभु श्री राम ने राज पाठ छोड़ा, घर छोड़ा, माता-पिता छोड़ें, अयोध्या नगरी छोड़ी,
लेकिन
धनुष बाण नहीं छोड़ें...
समझ गए क्योंकि ...
‼️धर्मो रक्षति रक्षित: ‼️
्री_राम 🙏
“हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं”
जय श्री राम
चाहता तो में बच सकता था
पर कैसे बच सकता था
जो बचेगा
वो कैसे रचेगा
कैसे उसने ये सब कुछ, मुझसे छुपकर बदला ..!
चेहरा बदला, रस्ता बदला, बाद में घर बदला ..!!
मैं उसके बारे में, ये कहता था लोगों से ..!
मेरा नाम बदल देना, वो शख़्स अगर बदला ..!!
वो भी ख़ुश था, उसने दिल देकर दिल माँगा है ..!
मैं भी ख़ुश हूँ, मैंने पत्थर से पत्थर बदला ..!!
मैंने कहा क्या मेरी ख़ातिर, खुदक़ो बदलोगे ..!
और फिर उसने, नज़रें बदली और नंबर बदला ..!!
इसका श्रेय मूलतः योग्य शिक्षकों को जाता है !!
🌒🌙😍❤️👍
चंद्रमा की सतह पर आज ये छवि स्थायी रूप से अंकित हो गई है क्योंकि रोवर के टायरों पर यह छाप
है अब ये निशान चांद पर हजारों साल तक ऐसे ही बने रहेंगे, क्योंकि चांद पर हवा नहीं होती
लगभग पचहत्तर लाख लोग एक साथ देख रहे थे केवल इसरो के यूट्यूब चैनल पर। इतनी बड़ी भीड़ का एक साझे लक्ष्य पर दृष्टि गड़ाना अपने आप में अद्भुत है। मुझे पता है, अंतिम के दस मिनट तक सबकी धड़कने मेरी ही तरह बहुत बढ़ गयी होंगी। और फिर इसरो के उस हॉल में बैठे उन देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की भीड़ जब उछल कर तालियां बजाती हैं, तो लगता है जैसे जग जीत लिया हो।
मैं उछल पड़ा हूँ। मोबाइल फेंक कर चिल्ला उठा हूँ, "हर हर महादेव!" प्रचंड उल्लास के क्षणों में केवल ईश्वर याद आते हैं। रौंगटे खड़े हो गए हैं, गला भर आया है, आंखें बहने लगीं हैं। मैं जानता हूँ, यही दशा सबकी हुई होगी। पूरे देश की... ऐसी उपलब्धियां, ऐसे क्षण एक झटके में पूरे देश को एक सूत्र में बांध देते हैं।
मेरे बच्चे आश्चर्य से मेरा मुँह देख रहे हैं। वे छोटे हैं, इस उपलब्धि का मूल्य नहीं जानते। सावन के महीने में धरती की राखी लेकर भाई के पास पहुँचे उस संवदिया का चंद्रमा पर उतरना उन्हें याद रहे न रहे, अपने पिता का उछल पड़ना सदैव याद रहेगा। बड़े होने पर समझेंगे वे इस क्षण का मूल्य, कि कैसे हजार वर्षों के संघर्ष से मुक्त होने के सत्तर वर्ष बाद ही इस पुण्यभूमि ने अपने गौरवशाली अतीत की चमक दुबारा बिखेरनी शुरू कर दी थी।
चंद्रयान की ओर टकटकी लगा कर देखते लोगों में अधिकांश को विज्ञान की अधिक समझ नहीं है, पर इस उपलब्धि ने सबकी छाती चौड़ी कर दी है। चंद्रयान के चनरमा तक पहुँचने से मिलने वाली जानकारियों का हिसाब किताब वैज्ञानिक देखें, हम तो केवल यह सोच कर उछल पड़े हैं कि देश सफल हुआ है। हम आपस में भाषा, क्षेत्र, रूप या जाति को लेकर भले हजार बार सहमत-असमत होते रहे हों, बात जब राष्ट्र की आती है तो हम एक होते हैं। यही हमारा मूल चरित्र है।
संसार की इस सबसे प्राचीन सभ्यता के ध्वज का चंद्रमा के उस अनजान भाग तक पहुँचना केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि इस ऐतिहासिक सत्य का नवीनतम प्रमाण है कि इस ब्रम्हाण्ड को सबसे पहले हमने पहचाना था। ग्रहों से सबसे पुराना नाता हमारा है, सितारों का चरित्र सबसे पहले हम समझे थे। वो तो घर में बार बार घुस आते डकैतों से उलझने में देर हो गयी, वरना अपनो से नाता हमसे अधिक कोई क्या ही निभाएगा।
पिछली असफलता के बाद यह सफलता प्रमाण है कि असफलताएं एक सामान्य घटना भर होती हैं। सभ्यता का रथ असफलता के ठोकरों पर नहीं रुकता, वह दौड़ता रहता है। असफलता सफलता को थोड़ी दूर भले कर दें, पर उसके बाद मिलने वाले उल्लास को उतना ही बढ़ा भी देती हैं।
इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है। उसके सारे वैज्ञानिकों को बधाई। और बधाई इस पुण्यभूमि के हर व्यक्ति को, कि जिनके बच्चों ने आज लपक कर चांद को छू लिया है।
ना कागज था. ना कलम थी, ना फोन था...!!!
प्रेम तब भी था...लेकिन पवित्र और मौन था..!
नैनन को मीच मीच नैन कोर खीच खींच,
मोटी कजरारी कारी धार करे मोहिनी,
मुस्काये मंद - मंद मन में ही मीत संग
मीठी-मीठी मौन मनुहार करे मोहिनी,
देख हाल चाल ढाल आइना करे कमाल,
जाने कौन बात पे विचार करे मोहिनी,
बिसराय सुध-बुध खोई खड़ी ऐसन कि,
करके श्रृंगार बार-बार करे मोहिनी,
उँगली लपेट लट करे अटखेलियां तो,
रूप से रति के जीत हार करे मोहिनी,
चटखीली चितवन चंचला चकोरी सी कि,
चांद पे ही चांदनी उधार करे मोहिनी,
बाँह में समेट के जो चुनरी झटक ले तो,
टुकड़े सितारन हजार करे मोहिनी,
रूप-रंग अंग-अंग देख ऐसे ढंग,
भंग दुनिया भरे के दरबार करे मोहिनी,
छटा-छवि-छप भर नजर निहार ले तो,
जल भी जलाये के अंगार करे मोहिनी,
बात बिना बात के ही बिगड़े जो मन से तो,
झूठी मूठी तीखी तकरार करे मोहिनी,
मगन हो मोहन पे मोहन को मोहने के,
बीसियों तो जतन बेकार करे मोहिनी,
जाने न निराली नैनोवाली मतवाली ये कि,
मोहन तो तुझसे ही प्यार करे मोहिनी ।
❤️❤️
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