The Concern
jaagrukh
Rocky bhai.....
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मंदी क्यों है व्यापार में ???
बर्तन का व्यापारी परिवार के लिये जूते ऑनलाइन खरीद रहा है...
जूते का व्यापारी परिवार के लिये मोबाइल ऑनलाइन खरीद रहा है...
मोबाइल का व्यापारी परिवार के लिए कपडे ऑनलाइन खरीद रहा है...
कपड़े का व्यापारी परिवार के लिये घड़ी ऑनलाइन ख़रीद रहा है...
घडी का व्यापारी बच्चों के लिए खिलोने ऑनलाइन ख़रीद रहा है...
खिलोने का व्यापारी घर के लिये बर्तन ऑनलाइन खरीद रहा है ...
और ये सब रोज सुबह अपनी-अपनी दुकान खोल कर अगरबत्ती लगा कर भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि आज धंधा अच्छा हो जाये...
कहाँ से होगी बिक्री ???
खरीददार आसमान से नहीं आते हम ही एक दूसरे का सामान खरीद कर बाजार को चलाते हैं क्योंकि हर व्यक्ति कुछ न कुछ बेच रहा है और हर व्यक्ति खरीददार भी है...
ऑनलाइन खरीदी करके आप भले 50-100 रु की एक बार बचत कर लें लेकिन इसके नुक्सान बहुत हैं क्योंकि ऑनलाइन खरीदी से सारा मुनाफा बड़ी बड़ी कंपनियों को जाता है जिनमें काफी विदेशी कंपनियां भी हैं...
ये कम्पनियाँ मुठ्ठीभर कर्मचारियों के बल पर बाजार के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेती हैं, ये कम्पनियां बेरोजगारी पैदा कर रही हैं और इनके द्वारा कमाये गये मुनाफे का बहुत छोटा हिस्सा ही पुनः बाजार में आता है...
यदि आप सोचते हैं कि मैं तो कोई दुकानदार नहीं हूं और ना ही व्यापारी , मैं तो नौकरी करता हूँ ऑनलाइन खरीदी से मुझे सिर्फ फायदा है नुक्सान कोई नहीं तो आप सरासर गलत हैं क्योंकि जब समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती है या देश का पैसा देश के बाहर जाता है तो, देश के हर व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसका नुक्सान उठाना पड़ता है चाहे वह अमीर हो या गरीब, व्यापारी हो या नौकरी करने वाला,बीमा ऐजेंट, दुकानदार हो या किसान हर कोई प्रभावित होता है...
धन्यवाद। ,,,,🙏🙏
भाजपा सरकार की नाक के नीचे लखनऊ में एक फ़ूड डिलीवरी बॉय को जातिगत कारणों से अपमानित व उत्पीड़ित करने का मामला बेहद गंभीर है। हर नागरिक के मान-सम्मान और गरिमा को सुनिश्चित करना सरकारों का दायित्व होता है।
ऐसे दबंगों के ख़िलाफ़ बुलडोज़र की चौपहिया कार्रवाई कब होगी?
Are Didi🙄🤣
आज लखनऊ में डालीगंज एरिया में भगवा रैली हुई
जिसमे साफ तौर पर हत्यार लहराए गए
साथ में नारा दिया गया अयोध्या अभी झांकी है
मथुरा काशी बाकी है
अब देश की जनता खुद बताए माहोल कोन लोग खराब कर रहे है
इस रैली में बड़े बड़े नेता शामिल थे
जय श्री राम का नारा लगाइए लेकिन आपसी भाई चारे के साथ
न की देश का माहोल खराब करिए
YE WATAN BHI HAMARA
YE ZAMIN BHI HAMRARI
YE GUL BHI HAMARA
YE GULSH*TA BHI HAMARA
SARE JAHAN SE ACHA
HINDUSTAN HAMARA
HAPPYY INDEPENDENCE DAY
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#कर्ज़_वाली_लड़की
एक 15 साल के भाई ने अपने वालिद से कहा "अब्बूजान बाजी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजा जी ने फोन पर बताया।
उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी।
दीनमोहम्मद जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले...
हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में *दहेज* की बात करने आ रहे हैं.. बोले... *दहेज* के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है..
बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी *दहेज* की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?"
कहते कहते उनकी आँखें भर आइ..
घर के हर एक शख्स के मन व चेहरे पर फिक्र की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी...
खैर..
अगले दिन समधी समधन आए.. उनकी बखूबी इस्तक़बाल किया गया..
कुछ देर बैठने के बाद लड़के के वालिद ने लड़की के वालिद से कहा" दीनमोहम्मद जी अब काम की बात हो जाए..
दीनमोहम्मद जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. ज़रूर..
लड़के के वालिद ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनमोहम्मद जी कि और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनमोहम्मद जी मुझे *दहेज* के बारे बात करनी है!...
दीनमोहम्मद जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को अच्छा लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा..
समधी जी ने धीरे से दीनमोहम्मद जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा.....
आप लडकि कि बिदाई में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब कबूल है... पर *कर्ज लेकर* आप एक रुपया भी *दहेज मत देना.* वो मुझे कुबूल नहीं..
क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी *"कर्ज वाली लडकि"* मुझे कुबूल नही...
मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरे घर को बरकतों से भर देगी..
दीनमोहम्मद जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा...!
*सबक :- कर्ज वाली लड़की ना कोई बिदा करें न ही कोई कबुल करे.*
*आज के दिनो मे बहुत सारे मां बाप परेशान है लोग दहेज मांग रहे है, बहुत सारी लडकिया बिना शादी के घरो मे बैठी है, क्यों के उनके पास पैसा नही, 👉गरीबो से निकाह करो,अामीरो के लिए तो लाईन लगी है...
cp
एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे।
एक ने कहा - "चलो, जंजीर खीचते है". दूसरे ने कहा - "यहां लिखा है 500 रु जुर्माना ओर 6 माह की कैद." तीसरे ने कहा - "इतने लोग है चंदा कर के 500 रु जमा कर देंगे."
चन्दा इकट्ठा किया गया तो 500 की जगह 1200 रु जमा हो गए. जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के थे
चंदा पहले लड़के के जेब मे रख दिया गया। तीसरे ने कहा, "जंजीर खीचते है, अगर कोई पूछता है, तो कह देंगे बूढ़े ने खीचा है। पैसे भी नही देने पड़ेंगे तब।"
बूढ़े ने हाथ जोड़ के कहा, "बच्चो, मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मुझे क्यो फंसा रहे हो?"
लेकिन नही । जंजीर खीची गई। टीटीई आया सिपाही के साथ, लड़कों ने एक स्वर से कहा, "बूढे ने जंजीर खीची है।"
टी टी बूढ़े से बोला, "शर्म नही आती इस उम्र में ऐसी हरकत करते हुए?"
बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा, "साहब" मैंने जंजीर खींची है, लेकिन मेरी बहुत मजबूरी थी।"
उसने पूछा, "क्या मजबूरी थी?"
बूढ़े ने कहा, "मेरे पास केवल 1200 रु थे, जिसे इन लड़को ने छीन लिए और इस पहले लड़के ने अपनी जेब मे रखे है।" जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के हैं
अब टीटी ने सिपाही से कहा, "इसकी तलाशी लो".
जैसा बूढ़े ने कहा नोट मिलाये गए लड़के के जेब से 1200रु बरामद हुए, जिनको वृद्ध को वापस कर दिया गया और लड़कों को अगले स्टेशन में पुलिस के हवाले कर दिया गया।
पुलिस के साथ जाते समय लड़के ने वृद्ध की ओर घूर के देखा तो वृद्ध ने सफेद दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा -
"बेटा, ये बाल यूँ ही सफेद नही हुए है!"
एक बार एक बादशाह सर्दियों की शाम अपने महल में दाखिल हो रहा था तभी उसने एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के मुख्य दरवाज़े पर बिलकुल पुरानी और फटी वर्दी में पहरा दे रहा था...।
बादशाह ने उस बूढ़े दरबान के करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उससे पूछा...
"सर्दी नही लग रही तुम्हें...इन फटे हुए कपड़ों में कैसे रात गुजारते हो ?"
दरबान ने जवाब दिया..... "बहुत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म कपड़े हैं नही मेरे पास, इसलिए मज़बूरी में बर्दाश्त करना पड़ता है, कोई चारा भी नहीं है.... औऱ ड्यूटी तो करनी ही है ,नहीं तो गुजारा कैसे होगा....." ??
बादशाह का दिल पसीज गया औऱ वह सोचने लगा कि इस बूढ़े के लिए क्या किया जाए ??
कुछ सोचकर बादशाह ने कहा " तुम चिंता मत करो..मैं अभी महल के अंदर जाकर तुरंत अपना ही कोई गर्म कपड़ा तुम्हारे लिए भेजता हूँ...तुम बस थोड़ी देर औऱ इंतज़ार करो...।"
दरबान ने बहुत खुश होकर बादशाह को दिल से सलाम किया साथ ही उसके प्रति अपनी कृतज्ञता औऱ वफ़ादारी का भी इज़हार किया।
लेकिन...... बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ ,वह अपनी रानी औऱ बच्चों के साथ बातचीत में उलझ गया औऱ कुछ देर के बाद वह दरबान के साथ किया हुआ अपना वादा भूल गया।
उधर दरबान बेसब्री से इंतजार करता रहा, करता रहा।वह बार बार झांक कर देखता कि महल के अंदर से कोई आ रहा है कि नहीं । इसी तरह इंतजार में ही दरबान की पूरी रात गुजर गई ।
सुबह महल के मुख्य दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश पड़ी मिली और ठीक उसके करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखा गया ये शब्द भी जो चीख़ चीख़कर उसकी बेबसी की दास्तान सुना रहे थे......" बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से लगातार सर्दियों में इसी फटी वर्दी में दरबानी कर रहा था लेकिन मुझें कोई ख़ास परेशानी नहीं हो रही थी , मगर कल रात सिर्फ़ आपके एक गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी...मैं इस उम्मीद के साथ इस दुनिया से विदा ले रहा हूँ कि भविष्य में आप फ़िर किसी लाचार ग़रीब इंसान से कोई झूठा वादा नहीं करेंगे......।"
" सहारे इंसान को अंदर तक खोखला कर देते हैं और दूसरों के प्रति उसकी उम्मीदें उसे बेहद कमज़ोर बना देती हैं " .....!
"इसलिए हमसब सिर्फ़ अपनी ताकत औऱ सामर्थ्य के बल पर जीना शुरू करें औऱ खुद की सहन शक्ति, ख़ुद की ख़ूबी पर भरोसा करना सीखें क्योंकि हमारा हमसे अच्छा साथी, दोस्त, गुरु और हमदर्द इस दुनिया में शायद औऱ कोई नही हो सकता ।
ये हमें हमेशा याद रखने की जरुरत है कि ज़िंदगी तो अपने दम पर जी जाती है , दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ़ ज़नाज़े उठा करते हैं...........!!
एक आदमी और उसकी पत्नी मैरिज एनिवर्सरी मनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया जा रहे थे।
फ़्लाइट के दौरान अचानक माइक पर पायलट की आवाज़ गूंजी,"लेडीज़ एंड जेंटलमैन, मुझे बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि प्लेन के दोनों इंजन फ़ेल हो गए हैं। मैं इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश कर रहा हूं। मुझको एक अनजाना वीरान द्वीप दिखाई दे रहा है, मैं उसपर प्लेन उतारने जा रहा हूं।इसके बाद यह भी हो सकता है कि हम ज़िंदगी भर के लिए वहीं फंस कर रह जाएंगे।"
प्लेन सुरक्षित ढंग से टापू पर उतार दिया गया।
कुछ देर बाद उस आदमी ने अपनी डरी सहमी पत्नी से पूछा," तुमने मेरे क्रेडिट कार्ड के सब ड्यूज़ जमा करा दिए थे ना?"
"I'm sorry. मैं चेक जमा करना भूल गई"..पत्नी बोली
"कोई बात नहीं।क्या तुमने कार लोन की मासिक क़िस्त का चेक दे दिया था?" आदमी ने पूछा।
पत्नी रुआंसी हो गई। डर के मारे कांपते हुए लहजे में बोली,"मुझे माफ़ कर दीजिए, मैं ये चेक भी जमा करना भूल गई थी।"
अब आदमी ने ख़ुशी से झूमते हुए अपनी पत्नी को बांहों में भर लिया और दनादन उसको चूमने लगा।
पत्नी ख़ौफ़ज़दा हो ज़ोर लगा कर उस आदमी की बांहों के घेरे से निकल गई और चिल्लाई,"आप पागल हो गए हैं क्या?ऐसे हालात में भी कोई खुश होता है क्या....??"
जवाब में आदमी चिल्लाया,"हम बच गए....जानेमन, हम बच गए...ये बैंक वाले हमें हर हाल में ढूंढ निकालेंगे !"
एक शाम यूरोप के एक पार्क में मशहूर शायर अल्लामा इक़बाल बैठे खेलते हुए बच्चों को देख रहें थें !!
तभी उनकी नज़र पार्क के एक कोने में एक बच्चे पर पड़ी जो किताब लेकर पढ़ने में मग्न था !!
उनके दिल में बेचैनी बढ़ी और जानने के लिए वो बच्चे के पास पहुँचें और सवाल किया क्या तुम्हें खेलना पसंद नही ??
बच्चे ने जो जवाब दिया वो हर होश वाले की होश उड़ाने के लिए काफ़ी है "" हम दुनियां में मुठ्ठी भर हैं अगर मैं खेलने में अपना वक़्त बिताऊंगा तो मेरी क़ौम मिट जाएगी ,इसलिए मुझे खेलने में वक़्त नहीं बर्बाद करनी क्योंकि मुझे अपनी क़ौम को बचाना है !!
अल्लामा इक़बाल को बहुत हैरत हुई बच्चे का जवाब सुन कर और उन्होंने उससे पूछ बैठे तुम कौन से क़ौम से हो ??
बच्चें ने मासूमियत से कहा "मैं यहूदी हूँ"
बच्चे ने जिस हिम्मत से जवाब दिया अल्लामा का दिमाग़ किसी और दुनियां में चला गया और उनकी आंखों से बेसाख़्ता आंसू निकल आए !!
वो मिस्र से लेकर ईरान , और यूनान से लेकर स्पेन की जीत से लेकर इन मुल्क़ों को गवा देने तक कि वजह तलाश करने लगे !!
शायद दिल चीख़ रहा होगा कि
हाय मेरी क़ौम
हाय मेरे बच्चे
मैं तुम में शाहीन तलाश कर रहा था लेकिन बदकिस्मती से उक़ाब तो यहूदी के घर पल रहे हैं !!
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ मुसलमानों !
तुम्हारी दास्ताँ भी न होंगीं दास्तानों में !!
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
#मोहम्मद_कुन्हाली
हमें अक्सर यही पढ़ाया जाता है की आधुनिक भारतीय नौसेना की स्थापना शिवा जी ने की है जो के गलत बात है, शिवाजी की पैदाइश के 125 साल पहले ही यानी एक 1502 ईस्वी में ही एक मुसलमान “मोहम्मद कुन्हाली” ने पूरी नौसेना को संगठित किया था और पुर्तागालियोँ से जंग किया था, ये जंग पुरे 98 साल तक चली यानी 1600 ईस्वी तक , इस पुरे घटनाक्रम को ” Kunhali Marakkar ” के नाम से जाना जाता है.।
हुआ कुछ यूँ के पंद्रहवीं सदी की शुरुआत में जेरुशलम समेत समूचे मध्य-पूर्व पर मुस्लिम शासकों का कब्ज़ा हो गया था। पूर्व (चीन, भारत और पूर्वी अफ़्रीक़ा) से आने वाले रेशम, मसालों और आभूषणों पर अरब और अन्य मुस्लिम व्यापारियों का कब्जा था – जो मनचाहे दामों पर इसे यूरोप में बेचते थे।
और इसी बीच 29 May 1453 को उस्मानी साम्राज्य की सेनाओं द्वारा बाइजेण्टाइन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लेने की घटना कुस्तुन्तुनिया विजय (Fall of Constantinople ) कहलाती है। यह एक अति महत्वपूर्ण घटना थी। उस्मानी सेना का सेनापति 21 वर्षीय सुल्तान मेहमद द्वितीय था। यह विजय 7 सप्ताह की घेराबन्दी के बाद मिली थी।
इस घटना के फलस्वरूप रोमन साम्राज्य का अन्त हो गया जो लगभग 1500 वर्षों से चला आ रहा था। इस घटना से ईसाईवाद को भी धक्का पहुँचा और उस्मानी सेनाओं के यूरोप में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया था। इस विजय के बाद उस्मानी साम्राज्य की राजधानी एदिर्न (Edirne) से हटाकर कुस्तुन्तुनिया ला दी गयी। विजय के पहले और बाद में अनेकों यूनानी एवं अन्य बुद्धिजीवी कुस्तुन्तुनिया छोड़कर भाग निकले। इनमें से अधिकांश इटली जा पहुँचे जिससे यूरोपीय पुनर्जागरण को बहुत बल मिला।
इस तरह यूरोपियों के पूर्व के व्यापार का रास्ता संपूर्ण रूप से मुस्लिम हाथों में चला गया। वेनिस और इस्तांबुल के बाज़ारों में चीज़ों के भाव बढ़ने लगे। इसके बाद यूरोपीय पुनर्जागरण को बहुत बल मिला और योरप के लोग जागरुक होने लगे और इसके बाद स्पेनी और पुर्तागली (और इतालवी) शासकों को पूर्व के रास्तों की सामुद्रिक जानकारी की इच्छा और जाग उठी।
1475 की शुरुआत से यूरोपीय देशों की नौसेना का उदय और व्यापार शक्ति को देखा गया. इसी सिलसिले मे वास्को डी गामा कप्पड़ पर कालीकट के निकट 20 मई 1498 ईस्वी को भारत में आया था. वह कालीकट के क्षेत्रीय राजा ज़मोरिन से मिला और वापस चला गया.
ज़मोरिन तो ख़ुद पुर्तगालियोँ का विरोधी था पर उसका भतीजा और कुछ लोकल सौदागर ने पुर्तागालियोँ का साथ दिया इस वजह कर सन् 1500 में पुर्तगालियों ने कोचीन के पास अपनी कोठी बनाई। बादशाह ज़मोरिन से उसने कोठी की सुरक्षा का भी इंतजाम करवा लिया क्योंकि अरब व्यापारी उसके ख़िलाफ़ थे। इसके बाद कालीकट और कन्ननोर में भी पुर्तगालियों ने कोठियाँ बनाई। उस समय तक पुर्तगाली भारत में अकेली यूरोपी व्यापारिक शक्ति थी। उन्हें बस अरबों के विरोध का सामना करना पड़ता था।
वास्को डी गामा 1502 ईस्वी में, भारत की यात्रा पर वापस आया और भारत के व्यापारियों और निवासियों के साथ नौसेना युद्घ शुरू कर दिया.
ठीक उसी समय में पुर्तगालियों ने गोवा पर अपना अधिकार कर लिया। ये घटना जमोरिन को पसन्द नहीं आई और वो पुर्तगालियों के खिलाफ हो गया।
ज़मोरिन ने इस जंग कि ज़िम्मेदारी मोहम्मद नाम के कुन्हाली को दी . जो बहुत बहादुर था इसने पुरी जहाज़ी बेड़ा को संगठित किया और जंग मे लग गया, इसी बीच ज़मोरिन के भतीजे के साथ मिलकर पुर्तागालियोँ ने ज़मोरिन को मारना चाहा पर वफ़दारी का सबुत पेश करते हुए कुनहालीयो ने ज़ेमोरिन के साथ साथ उसके रियासत की भी हिफ़ाज़त की.
इससे खुश हो कर हिन्दू राजा Zamorin (Samoothiri) के द्वारा ‘मरक्कर’ का ख़िताब कुनहालीयो को दिया गया जिन्होने पुर्तगालियो से बादशाह के जान की हिफ़ाजत की और पुर्तगालियों के खिलाफ़ कालीकट केरला में दशकों तक विद्रोह किया था.
मराक्कर मलयालम ज़ुबान का एक लफ़्ज़ है जिसमे ‘मरक्कालम’ यानी ‘नाव’ और ‘कर’ यानी ‘समर्पित होना’ आता है,
ये युद्ध 1502 से 1600 ई तक चला , 98 साल तक चलने वाली ये जंग एक आंदोलन का रुप ले चुका था जो योरप के खिलाफ लड़ा हुआ किसी भारतीय का पहला हथयार बन्द आंदोलन था, जिसे ” Kunhali Marakkar ” के नाम से जाना जाता है.।
चुँके ये जंग 98 साल तक चली तो ये तय है कि इस आंदोलन मे कम से कम चार पुशतोँ ने तो हिस्सा लिया ही होगा , आंदोलनकरीयो मे चार नाम बहोत मशहुर हैँ
1. Kutti Ahmed Ali – Kunhali Marakkar I
2. Kutti Pokker Ali – Kunhali Marakkar II
3. Pattu Kunhali – Kunhali Marakkar III
4. Mohammed Ali – Kunhali Marakkar IV
कुछ लोगो का मानना है अरबी सौदागर थे जो यहाँ बस गए थे और बादशाह ज़ेमोरिन की नौका सेना मे भरती हो गए थे और उसकी क़ियादत कर रहे थे..
98 साल तक चलने वाली ये जंग हिन्दुस्तानी लगभग जीतने ही वाले ही थे ..!!
लेकिन कहते हैँ ना सियासत मे कोई भी अधिक दिन तक किसी का दोस्त या दुशमन नही होता है वही यहाँ भी हुआ और इस पुरे आंदोलन पर भी अजीबो ग़रीब सियासत हावी रही जिस बादशाह के लिए नाविको के ख़ानदान ने नौ दहाईयोँ तक जंग करते रहे पर उसी बादशाह का वारिस पुर्तागालियोँ से जा मिलता है.
अकसर देखा गया है लोगो ने अपने बादशाह को धोका दे कर उसे हरवा या मरवा दिया है पर कुन्हालीयोँ के साथ उल्टा हुआ , यहाँ बादशाह ने ही अपनी फ़ौज को धोका दिया और योरप के लोग से मिलकर अपने ही लोग को 600 ई° मे मरवा ड़ाला. ज़मोरीन के वारीसो ने 6000 सिपाही के साथ ज़मीनी हमला किया और पुर्तगालियों ने जहाज़ी बेड़ा से हमला कर दिया जिसके नतीजे मे सारे कुन्हाली मारे गए और ये आंदोलन हमेशा के लिए ख़त्म हो गया , फिर इसे काफी बाद मे मराठो ने मज़बुत किया .
इस वाक़िये पर S. S. Rajan ने 1968 में एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम भी ” Kunjali Marakkar ” रखा गया था जो उस साल नेशनल फिल्म अवार्ड का खिताब पाई थी.
बतख़ मियां अंसारी :: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक गुमनाम योद्धा
बतख़ मियां न होते तो न गांधी नहीं होते और न भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास वैसा होता जैसा हम जानते हैं।
बात 1917 की है जब साउथ अफ़्रीक़ा से लौटने के बाद स्वतंत्रता सेनानी शेख़ गुलाब, शीतल राय और राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर गांधीजी मौलाना मज़हरुल हक़, डॉ राजेन्द्र प्रसाद और अन्य लोगों के साथ अंग्रेजों के हाथों नीलहे किसानों की दुर्दशा का ज़ायज़ा लेने चंपारण के ज़िला मुख्यालय मोतिहारी आए थे। वार्ता के उद्देश्य से नील के खेतों के तत्कालीन अंग्रेज मैनेजर इरविन ने उन्हें रात्रि भोज पर आमंत्रित किया। तब बतख़ मियां अंसारी इरविन के रसोइया हुआ करते थे।
इरविन ने गांधी की हत्या के लिए बतख मियां को जहर मिला दूध का गिलास देने को कहा। बतख़ मियां ने दूध का ग्लास देते हुए गांधीजी और राजेन्द्र प्रसाद के कानों में यह बात बता दी। गांधी की जान तो बच गई लेकिन बतख़ मियां और उनके परिवार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी।
उन्हें बेरहमो से पीटा गया, सलाखों के पीछे डाल दिया गया और उनके छोटे से घर को ध्वस्त कर उसे कब्रिस्तान बना दिया गया।
देश की आज़ादी के बाद 1950 में मोतिहारी यात्रा के क्रम में देश के पहले राष्ट्रपति बने डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने बतख मियां की खोज ख़बर ली और प्रशासन को उन्हें कुछ एकड़ जमीन आबंटित करने का आदेश दिया।
बतख मियां की लाख भागदौड़ के बावजूद प्रशासनिक लालफीताशाही के कारण वह जमीन उन्हें नहीं मिल सकी। निर्धनता की हालत में ही 1957 में उन्होंने दम तोड़ दिया।
मियां बीवी दोनो एक ही फ्लाइट में काम कर रहे थे, बीवी 'पायलट' थी और मियां 'कंट्रोल टावर इंस्ट्रक्टर' ..!!
पायलट बीवी : हेलो कंट्रोल टावर, ये फ्लाइट 358 है, यहां कुछ प्रॉब्लम है ।"
कंट्रोल टावर से शौहर : आपकी आवाज़ ठीक से नही आ रही है, क्या आप दोबारा अपनी प्रॉब्लम बता सकती हैं ..?"
बीवी : कुछ नही ... जाने दो ... तुम्हे मेरी आवाज़ आती ही कब है ..?"
शौहर : प्लीज़ अपनी प्रॉब्लम बताएं ।"
बीवी : अब तो रहने ही दो ।"
शौहर : प्लीज़ बताएं ।"
बीवी : कुछ नही ... मैं ठीक हूं ... तुम रहने ही दो ।"
शौहर : अरे बोलिए क्या प्रॉब्लम है ..?"
बीवी : तुम्हे मेरी प्रॉब्लम से क्या मतलब ..?"
शौहर : बेवकूफ औरत इस फ्लाइट में 200 पैसेंजर्स भी हैं, प्रॉब्लम बता ।"
बीवी : तुम्हे कभी मेरी परवाह नही रही, अभी भी 200 पैसेंजर्स की परवाह है, बस मुझे नही करनी बात ।"
.. और जहाज़ ये रहा 👇
सिसली और अल्लामा इक़बाल
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
सिसली को अंग्रेजी में Sicily इतालवी में Sicilia स्पेनिश में Sicilian और अरबी में इसे Sicilia ( صقلیہ ) कहते हैं यह भूमध्य सागर का सबसे बड़ा द्वीप है जो इटली प्रायद्वीप से मेसीना जलमडरूमधय के द्वारा अलग होता है और ट्यूनीशिया से 90 मील चौड़े सिसली जलमडरूमधय द्वारा अलग है
कभी यह आज़ाद देश होता था फिर इटली ने इसे अपने में मिला लिया अभी यह इटली का स्वायत्त क्षेत्र है
सन् 831 से 1090 तक करीब ढाई सौ साल यहां मुस्लिम हुकूमत रही पहले टयूनिशिया का अग़ालिबा वंश फिर खिलाफते फातमिया और आखिर में बनी क्लब के लोग शासक रहे उन्होंने पालीरमो को सिसली की राजधानी बनाया था जो अभी तक राजधानी है
उंदुलस ( स्पेन ) की तरह यहां के मुसलमानों का इतिहास बहुत शानदार है मुस्लिम शासनकाल में सिसली कला ज्ञान शिक्षा व सांस्कृति का केंद्र रह चुका है इसे यूरोपीय इतिहासकारों ने भी स्वीकार किया है क्रूसेड सलीबी जंगों के समय यानी 1224 में इस देश से तमाम मुसलमानों को निकाल दिया गया
अल्लामा इक़बाल सन् 1908 में यूरोप के दौरे से वापस लौटे इस सफर में वह स्पेन भी गए थे जहां कुरतबा की मस्जिद की ज़ियारत की और उस पर अपनी मशहूर नज़्म लिखी जिसमें उन्होंने उंदुलस के लिए अपने जज्बात का इज़हार किया
उसी सफर में वह सिसली भी गए थे और सिसली यानी صقلیہ पर नज़्म लिखी जो बांगे दरा का हिस्सा है इस में वह खुद भी रोए हैं और दूसरों को भी रुलाया है यहां उनकी नज़्म पेश की जा रही
رو لے اب دل کھول کر اے دیدہِ خوننابہ بار
وہ نظر آتا ہے تہذیب حجازی کا مزار
تھا یہاں ہنگامہ ان صحرا نشینوں کا کبھی
بحر بازی گاہ تھا جن کے سفینوں کا کبھی
زلزلے جن سے شہنشاہوں کے درباروں میں تھے
بجلیوں کے آشیانے جن کی تلواروں میں تھے
اک جہان تازہ کا پیغام تھا جن کا ظہور
کھا گئی عصر کہن کو جن کی تیغ ناصبور
مردہ عالم زندہ جن کی شورش قم سے ہوا
آدمی آزاد زنجیر توہم سے ہوا
غلغلوں سے جس کے لذت گیر اب تک گوش ہے
کیا وہ تکبیر اب ہمیشہ کے لیے خاموش ہے؟
آہ اے سسلی! سمندر کی ہے تجھ سے آبرو
رہنما کی طرح اس پانی کے صحرا میں ہے تو
زیب تیرے خال سے رخسار دریا کو رہے
تیری شمعوں سے تسلی بحر پیما کو رہے
ہو سبک چشم مسافر پر ترا منظر مدام
موج رقصاں تیرے ساحل کی چٹانوں پر مدام
تو کبھی اس قوم کی تہذیب کا گہوارہ تھا
حسن عالم سوز جس کا آتش نظارہ تھا
نالہ کش شیراز کا بلبل ہوا بغداد پر
داغ رویا خون کے آنسو جہاں آباد پر
آسماں نے دولت غرناطہ جب برباد کی
ابن بدروں کے دل ناشاد نے فریاد کی
غم نصیب اقبال کو بخشا گیا ماتم ترا
چن لیا تقدیر نے وہ دل کہ تھا محرم ترا
ہے ترے آثار میں پوشیدہ کس کی داستاں ؟
تیرے ساحل کی خموشی میں ہے انداز بیاں
درد اپنا مجھ سے کہہ، میں بھی سراپا درد ہوں
جس کی تو منزل تھا، میں اس کارواں کی گرد ہوں
رنگ تصویر کہن میں بھر کے دکھلا دے مجھے
قصہ ایام سلف کا کہہ کے تڑپا دے مجھے
میں ترا تحفہ سوئے ہندوستاں لے جاؤں گا
خود یہاں روتا ہوں، اوروں کو وہاں رلواؤں گا
#औरंगज़ेब_और_कैलाश_पर्वत
मुगल सल्तनत का वो हार ना मानने वाला मुगल शहंशाह जिसके शौर्य और पराक्रम के सामने चीन का ताकतवर शहंशाह!
(1662-1722) पल भर खड़ा ना हो सका और हार स्वीकार करते हुये भारत के कब्जाये हुये भाग पर मुगल शहंशाह औरंगजेब का सहज अधिपथ्य स्वीकार कर लिया!
ये वो औरंगजेब आलमगीर थे जिसकी सेना ने चीन के बहादुरी के तमगे प्राप्त यौद्धाओं को अपनी घौडो की टापो के नीचे कुचल कर धराशायी कर दिया जिसकी तलवार का सामना कोई विरोधी शहंशाह नही कर सका। शायद इसी बहादुरी के परिचायक के रूप मे मुगल अपने ध्वज मे ैर का चित्र अंकित कराते थे!!
फिर आज़ादी के बाद जब चीन ने दुश्साहस करते हुये कैलाश पर्वत, कैलाश मानसरोवर और अरुणाचल प्रदेश पर कब्ज़ा कर लिया तो नेहरू जी UNO पहुंचे कि चीन ने ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर लिया है, हमारी ज़मीन हमें वापस दिलाई जाए, इस पर चीन ने जवाब दिया कि हमने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया है बल्कि अपना वो हिस्सा वापस लिया है जो
#मुगल_शहंशाह_औरंगज़ेब ने हमसे 1680 में छीन कर कब्जा कर लिया था..
चीन ने शुरूआती मुगल काल मे भी इस हिस्से पर कब्ज़ा रखा था, जिस पर औरंगज़ेब ने उस वक़्त के चीन के राजा Qing Dynasty Kangxi (1662-1722 ) को सख्त खत लिख कर गुज़ारिश की थी
कैलाश मानसरोवर हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा है जो हमारे हिन्दू भाईयों की आस्था का स्थल है, लिहाज़ा इसे छोड़ दें, जब लगभग डेढ़ महीने तक कोई जवाब नहीं आया तो मुगल शहंशाह औरंगजेब ने अपनी विशाल सेना के दुारा चीन पर चढ़ाई कर दी जिस सेना के घौड़ो की टापो की धमक मात्र से चीन की धरती कंपन करने लगी और सिर्फ डेढ़ दिन में ही हिंदुस्तानी ज़मीन औरंजेब ने जंग लड़ कर वापस छीन ली!
ये था असली 56-57-58-59-60 इंच के मर्द सीनो की जिंदा दिली जिसका इतिहास चीन अपने यहां आज भी सुरक्षित लिखे हुये है!
ये वही औरंगज़ेब है जिसको कट्टर इस्लामी आतंकवादी कहा जाता है, सिर्फ उसी ने हिम्मत दिखाई और चीन पर
करके धूल चटाने की!
क्या है कोई दूसरा मर्द का बच्चा जो औरंगजेब के बनाये चीनी इतिहास को दुबारा से अपने नाम पे चीनियों से लिखवा पाये??
इतिहास के इस हिस्से की Authenticity को चेक करना हो तो आज़ादी के वक़्त के UNO के हल्फनामे को जो आज भी संसद में महफूज़ हैं पढ़ सकते हैं!
मोदी जी चीन का कुछ कीजिये देश की जनता कहीं औरंगजेब को कहने और करने वाला मर्द शहंशाह और अपना हीरो ना मानले जो संघियों को कतई हजम नही होगा!
बहुत शानदार सूरमाओ वाली हुकूमत की है
औरंगजैब रहमतुल्लाह अलैहे ने और वो एक इंसाफ पसंद नेक दिल आदिल शहंशाह थे!
#मुग़ल बादशाह ंगजेब रअ0 वो थे जिन्होंने #हिंदुओं के आस्था के लिए,
#चीन में घूसकर #मानसरोवर को छीन लिया था,
अगर आज भी #मुगलों की हुकूमत होती तो जिस तरह चीन ने मोदी के रहते हमारे 23 सैनिकों को #शहीद किया उनकी हिम्मत नहीं होती!
ये आलीशान मस्जिद लोदीपुर में है. जो जहानाबाद ज़िला के खीज़्रसराय में है। गांव से पच्छिम जानिब तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी पर फल्गु नदी के किनारे बनी हुई है इस मस्जिद की बनावट काफी खूबसूरत है। नदी के पश्चिम साइड में लोदीपुर गांव है जबकि पूरब साइड में कुंडवा गांव है।
इस मस्जिद के इतिहास के बारे में पास के ही पंचमहला गांव के मास्टर खुर्शीद अहमद "आँसू" साहब ने एक किताब लिखी है।
2005-06 तक कुंडवां गांव के लोग इस मस्जिद में ईद, बकरीद की नमाज़ अदा करते थे। अभी का मालूम नही है।
लोदी सल्तनत के के नाम पर लोदीपुर है। सिकंदर लोदी के जीवन की बड़ी कामयाबी में एक कामयाबी बिहार फ़तह करना था।
#बिहार #मगध
"अरे लक्ष्मी नहीं सरस्वती रूठी है पागलों": Syed Imran Balkhi
आज बल्खी साहेब ने संघ के बारे मे सही व्याख्यान किया है "गंगा बोली लोग कहते हैं जो शाखा में जाते रहें हैं उनके घरों में ऊल्लू डेरा डाल देते हैं, लक्ष्मी के आते ही सरस्वती अपने हंस के साथ वहां से पलायन कर जाती है।संघीतकारों का 95 वर्षीय अनुभव तो यही रहा है कि दुनिया उनको गुरुत्व ही नहीं देती वे विश्व गुरू बन्ने का सपने सजाये संसार त्याग देते हैं"
मेरी भी यही सोंच रही है संघ के बारे मे कि "वहॉ सरस्वती नही होतीं हैं" वहॉ लोग कुऑ के मेढक होते हैं।आज जो देश बरबाद हुआ वह सरकार के लोगो मे सरस्वती के नही होने के कारण हुआ है।मिसाल के तौर पर जय शंकर साहेब को देखिये यह तीस साल विदेश सेवा मे रहे, चीन मे राजदूत रहे मगर भारत का भूगोलिय नक्शा इन को आज तक पता नही चला।यह अंधकार मे विदेशनीति बना रहे हैं।
भारत 80% तेल विदेश से ख़रीदता है और देश मे केवल आठ दिन का तेल होता है।चीन पड़ोसी है मगर प्रधानसेवक "क़ब्रिस्तान-शमशान" का नारा लगाते हैं और 370 हटा देते हैं।
शाखा की सरकार आई तो सरस्वती जी चीन मे बास करने लगी, उस को महाशक्ति बना दिया। चीन गॉव बसाने लगा, भूस्खलन करवाने लगा मगर हम लक्ष्मी लूटा लूटा कर चुनाव लडते रहे।
"अरे पागलों इस शताबदी मे भारत माता से लक्ष्मी नहीं सरस्वती रूठ गई"
बनारस राजघाट पर मुग़ल आर्किटेक्ट पर बना ये खूबसूरत मक़बरा महाराजा बनारस ने अपने वीर सेनापति "लाल खां" की याद में 1773 ईस्वी में बनवाया था।
बनारस राजघाट गंगा के तट पर मौजूद लाल खां का मकबरा खुद में बनारस का इतिहास समेटे हुए है। लाल खां काशी नरेश के सेनापति थे। अपनी वीरता से उन्होंने काशी के विस्तार और विकास में बड़ा योगदान दिया था। हालांकि लाल खां अफ़ग़ान थे लेकिन उन्होंने बनारस की सरज़मीं पर दफन होने की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी।
सेनापति लाल खां के वक़्त बनारस मुग़ल सल्तनत के अधीन था। मुग़लो के बाद बनारस अवध नवाबों के अधीन रहा और नवाबों के बाद बनारस में अंग्रेजों का राज रहा।
है अयां यूरिशे तातार के अफसाने से
पासबां मिल गए काबा को सनमखाने से
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विश्व का कोई भी धर्म दीन या विचारधारा हो वह राजनीतिक संरक्षण पा कर फलते फूलते और तरक्की करते हैं और जब उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिलना बंद होता तो या तो वह टूट कर बिखर जाते हैं या समाप्त हो जाते और अधिक तर अपना अस्तित्व व वजूद भी खो बैठते हैं
लेकिन इस्लाम ने खुद को एक अलग दीन साबित किया है यह मुसीबतों में भी फला फूला , राजनीतिक संरक्षण मिला तब भी कामयाब रहा न मिला तो अधिक कामयाब रहा मुसलमानों की जीत हार होती रही पर इस्लाम को इसकी परवाह नहीं रही वह अपना रास्ता बनाता रहा लोगों के दिलों पर कब्ज़ा जमाता गया
मुसलमानों पर दो सबसे खराब जमाने आए पहला जब चंगेज व हिलाकू ने करोड़ों मुसलमानों को कत्ल कर दिया बग़दाद पर कब्जा जमा लिया अब्बासी ख़िलाफत को खत्म कर दिया मंगोल क़ौम की यह बहुत बड़ी सफलता थी उन्होंने उस जमाने की सुपर पावर को अपने घोड़ों तले रौंद दिया था
मंगोल क़ौम एक विजयी क़ौम थी लेकिन वह मुसलमानों पर विजय पाने के बाद भी हार गई उन्होंने मुसलमानों पर जरुर विजय प्राप्त की पर इस्लाम से हार गई उस ने इस्लाम कबूल कर लिया और काबा का पासबां बन गई यह एक दीन के तौर पर इस्लाम की बहुत बड़ी जीत थी जिसका उदाहरण मिलना मुश्किल है
मुसलमानों पर दूसरा बुरा जमाना उस समय आया जब अज़ीम उस्मानी खलीफा सुलेमान कानूनी के बाद उनका कोई वारिस उन जैसा साबित नहीं हुआ कहने को उस्मानी ख़िलाफत बीसवीं शताब्दी तक क़ायम रही और वह तीन महाद्वीपों पर फैली भी रही परंतु सुलेमान कानूनी के बाद उसकी हैसियत खत्म हो चुकी थी लगभग उसी समय में औरंगजेब आलमगीर के बाद हिंदुस्तान का भी वैसा ही हाल हुआ
उसी से कुछ पहले स्पेन से मुस्लिम शासन समाप्त कर दिया गया स्पेन से मुसलमानों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया गया रूस में लाखों मुसलमानों को साइबेरिया के मैदान में फेंक दिया गया
मुसलमानों का बुरा हाल अभी तक चल रहा है स्थिति में कुछ सुधार जरूर हुआ है लेकिन कोई बड़ी तब्दीली नहीं हुई है
मुसलमानों का यह बुरा दौर भी इस्लाम के लिए एक अच्छा समय साबित हुआ इस्लाम बहुत तेज़ी से फैला कुरान हदीस और इस्लामी शिक्षा के दूसरे क्षेत्रों में तरक्की हुई
इस्लाम जो मात्र 150-160 वर्ष पहले यानी 1870 के आसपास विश्व का चौथा बड़ा धर्म था आज वह दूसरा बड़ा धर्म है और पहले पायदान पर पहुंचने की ओर तेज़ी से क़दम बढ़ा चुका है
सन् 1790 तक कुरान का तर्जुमा विश्व के मात्र तीन भाषाओं फ़ारसी लैटिन और फ्रेंच में हुआ था आज 92 भाषाओं में आनलाईन तर्जुमे मौजूद हैं
यही हाल हदीस फिकह इतिहास और इस्लामिक स्टडीज जैसे विषयों में भी हुआ काफी कुछ तरक्की हुई और विश्व को इस्लामी लिटरेचर तक पहुंचना और उसका समझना आसान हो गया
इसलाम ने राजनीतिक संरक्षण के साथ और बगैर किसी संरक्षण के भी खुद को साबित किया है और किसी भी दीन धर्म और विचारधारा के लिए यह बड़ी बात होती है
वह धर्म व विचारधारा अधूरा है जो बगैर राजनीतिक संरक्षण के अपना अस्तित्व खो दे और अगर अस्तित्व बाक़ी भी रखे तो उसका विस्तार रुक जाए
इस्लाम अधूरा दीन नहीं है इसके तकमील का ऐलान खुद अल्लाह ने किया है
اليوم أكملت لكم دينكم واتممت عليكم نعمتي ورضيت لكم الاسلام دينا ( سورہ المائدہ آیت نمبر 3)
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ईरान में खोज़िसतान के शासक हुर्मुज़ान को गिरफ्तार करके मदीना लाया गया जब वह मदीना पहुंचा तो उसे एक पेड़ के नीचे सोते हुए आदमी के पास ले जाया गया और बताया गया कि यही उमर हैं
वह ताज्जुब में पड़ गया उसे यकीन नहीं आ रहा था कि यही वह उमर हैं जो इतने बड़े शासक हैं जिनका रौब पूरी दुनिया पर बैठा हुआ है जिन्होंने शक्ति के हर संतुलन को तहस-नहस कर दिया है खुद उसके देश पर कब्ज़ा कर लिया उसे बंदी बना लिया है वह पेड़ के नीचे सो रहा है ना कोई सेक्योरिटी है ना कोई ताम झाम है गर्मी से बचने के लिए पेड़ के नीचे बैठे नींद आ गई सो गए यह देख कर उसने एक बात कही जो आरबी भाषा में कहावत बन गई
" ऐ उमर जब तुम ने फैसला किया तो इंसाफ किया जिस से तुम सुरक्षित हो गए और इस तरह सो पाए "
जहां फैसलों में इंसाफ नहीं होता वहां शांति और सुरक्षा हो ही नहीं सकती फिर चाहे आप ज़ेड प्लस सुरक्षा रखो या कुछ और
एक व्यक्ति जो हमेशा #कुत्तों की प्रतियोगिता का आयोजन करता था।
एक बार उसने एक चीते को प्रतियोगिता में शामिल किया।
लेकिन अजीब बात है कि जब प्रतियोगिता शुरू हुई तो चीता अपनी जगह से नहीं हिला,
और कुत्ते अपनी पूरी ताक़त के साथ प्रतियोगिता जीतने की कोशिश कर रहे थे।
#चीता ख़ामोशी से देख रहा था।
जब मालिक से पूछा गया कि चीते ने प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लिया?
मालिक ने एक रोचक जवाब दिया
"कभी-कभी अपने आप को सबसे अच्छा साबित करना वास्तव में अपने आप का अपमान करना है।
हर जगह अपने आप को साबित करने की कोई ज़रूरत नहीं है..!
कुछ लोगों के सामने #चुप रहना सबसे #अच्छा_जवाब है।"
इसीलिए कुछ लोगो के बीच #रेस नही चुप रहना जरूरी समझा जाता है और लोग #खामोशी को कमजोरी समझ लेते हैं...!!
* #बड़ा_बेवक़ूफ*
बादशाह ने ऐलान किया कि मेरी सल्तनत में जो सबसे बड़ा बेवक़ूफ हो उसे पेश करो-
बादशाह भी..... बादशाह होते हैं खैर हुक्म था अमल हुआ..
और बेवक़ूफ के नाम से सैंकड़ों लोग पेश कर दिए गए-
बादशाह ने सबका इम्तिहान लिया और फायनल राउंड में एक शख्स कामयाब बेवक़ूफ क़रार पाया-
बादशाह ने अपने गले से एक क़ीमती हार उतार कर उस बेवक़ूफ के गले में डाल दिया-
वो बेवक़ूफ ऐज़ाज़ पाकर अपने घर लौट गया-
एक अरसे बाद वो बेवक़ूफ बादशाह से मिलने के ख्याल से आया- बादशाह मर्ज़ुल मौत में आखरी वक़्त गुज़ार रहा था-
बादशाह को बताया गया बादशाह ने मुलाक़ात का शर्फ बख्श दिया-
वो बेवक़ूफ हाज़िर हुआ:
बादशाह सलामत..!आप लेटे हुए क्यूं हैं..??"
बादशाह मुस्कुराया और बोला:
मैं अब उठ नहीं सकता क्यूंकि मैं एक ऐसे सफर पर जा रहा हूं जहां से वापसी नहीं होगी और वहां जाने के लिए लेटना भी ज़रूरी है..!!"
बेवक़ूफ ने हैरत से पूछा:
वापस नहीं आना...???? क्या हमेशा वहीं रहना है?"
बादशाह बेबसी से बोला:
"हां........ हमेशा वहीं रहना है..!"
बेवक़ूफ ने कहा:
तो आपने तो वहां यक़ीनन बहुत बड़ा महल,बड़े बागीचे, बहुत से गुलाम और बहुत सामाने ऐश रवाना कर दिया होगा..!"
बादशाह चीख मार कर रो पड़ा बेवक़ूफ ने हैरत से बादशाह को देखा उसे समझ ना आई कि बादशाह क्यूं रो पड़ा है-
रोते हुए बादशाह की आवाज़ निकली:
"नहीं...... मैंने वहां एक झोपड़ी भी नहीं बनाई..."
बेवक़ूफ ने कहा:
क्या...... ऐसा कैसे हो सकता है...आप सबसे ज़्यादा समझदार हैं- जब आपको पता है कि हमेशा वहां रहना है ज़रूर इंतज़ाम किया होगा-"
बादशाह के लहजे में बला का दर्द था:
आह....!!! अफसोस सद अफसोस कि मैंने कोई इंतज़ाम नहीं किया-"
बेवक़ूफ उठा...अपने गले से वो हार उतारा और बादशाह के गले में डाल कर बोला:
तो फिर हुज़ूर.....इस हार के हक़दार आप मुझसे ज़्यादा हैं...!!!"
इंसान इस आरज़ी दुनियां के ऊंचे मक़ाम पर पहुंचने की हर मुमकिन जद्दो जहद से गुरेज़ नहीं करता जो हर एक के लिए लोहे के चने चबाने के बराबर है मगर दायमी ज़िंदगी का आला मक़ाम जो बड़ी आसानी से ना सही मगर कोशिश से हर कोई पा सकता है- उसकी हमे कोई परवाह ही नहीं..!!
तल्ख हक़ीक़त