शुद्ध बिहारी
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बिहार की मिट्टी और बिहार कि संस्कृति को पूरे देश मे ही नही विदेशो में भी डंका बजवाना है। जय बिहार
किताबें पढ़ना अपने आप मे बेहतरीन अनुभव होता है।"एक योगी का त्यागपत्र " में लेखक वरुण पाण्डेय ने उपन्यास के नायक स्पर्श के माध्यम से आज के नवयुवकों के लिए एक ध्यान देने योग्य चरित्र का प्रस्तुतीकरण किया है। इस उपन्यास में वर्णित स्पर्श और साक्षी के गहन लगाव में जहां आकर्षण का स्पंदन है वहीं ज्ञान और स्पर्श के आध्यात्मिक संबंध में अनुराग की अनुभूति भी है। सात्विक प्रेम को रोचक ढंग से इस उपन्यास में वर्णित किया गया है। प्रेम,करुणा,संकल्प एवं समर्पण जैसे भावों से परिपूर्ण इस उपन्यास में रोमांचित करने के साथ ही साथ भाव-विभोर कर देने की क्षमता है। अगर कोई इच्छुक हो तो इस लिंक से बुक मंगा के पढ़ सकते हैं।
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एक्टर अनुपम श्याम जी नही रहें😥😥🙏🏼🙏🏼🙏🏼
ॐ शान्ति🙏🏼🙏🏼
गजब हरामी दोस्त है ये.....
और भाई आ गया स्वाद....?????😂😂😂
Pure Gold है ये बंदा😊❤️❤️😘😘
तु भी है राणा का वंशज फेंक जहा तक भाला जाए।❤️
अरे वो गंगा माँ की सौगन्ध खाकर एक आया था और बोल रहा था कि देश नही झुकने दूँगा वो गंगा मईया को साफ किया कि नही😊😊
बस ऐसे ही पूछ लिया याद आया तो😂😂🙈🙈
वाह मौज कर दी😂😂
मासूमियत😂😂
😂😂
ध्यान से जाना भाई😁😂😂
जय जय श्री राम
बताइए😁😁
जय जय श्री राम
अयोध्या नगरी
शुद्ध बिहारी टीम के तरफ से The Apna Bihar टीम को दूसरे बर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं ऐसे ही बिहार का नाम उच्चा करे❤️🙏
आदर्श ब्राह्मण
प्रिय भारतीय खिलाड़ी,
सबसे पहले आपको ढेर सारी शुभकामनाएं जो आपने खेलों के महाकुंभ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और आज से शुरू हो रहे ओलंपिक में भागीदारी भी करेंगे।
ये ओलंपिक पिछले बरस ही होना था मगर कोरोना महामारी के चलते इसे एक साल के लिए टालना पड़ा। पिछले एक बरस में दुनिया का न तो कोई ऐसा व्यक्ति है और न ही कोई ऐसा क्षेत्र है जिसे नुकसान न हुआ हो।
ऐसे में आपके जज्बे को सलाम जो आप यहाँ तक पहुँचें है। आप शारीरिक तौर पर तो फिट है ही तभी यहाँ तक की यात्रा कर पाएं है। आप मानसिक तौर पर भी बेहद फिट है जो ऐसे माहौल में भारत के झंडे को अपने-अपने खेलों में गाड़ना चाहते है।
एक भारतीय होने के नाते आपसे अपील भी है कि जीं जान लगा के अपना शत प्रतिशत दीजिएगा क्योंकि हमारे यहाँ ओलंपिक खेलों के पदकों की इतनी कमी है जितना कि सहारा के रेगिस्तान में पानी की कमी है।
ओलंपिक खेलों के शुरू होने पर जितना हम गर्व से लबरेज रहते है उतना ही ओलंपिक के समापन पर पदक न मिलने से क्षुब्ध भी रहते है।
आप सब अपने बूते भर बहुत मेहनत करते है तभी इस मुकाम पर पहुँच जाते है। मगर यहाँ पहुँचने के बाद तो सर्वश्रेष्ठ की दरकार होती है न!
ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य, व्यवसाय, सिनेमा जगत से लेकर राजनीति तक हरेक क्षेत्र में हमारे यहाँ की प्रतिभाएं अपना डंका बजाती है सिवाय ओलंपिक में भागीदार खेलों के!
खैर! अभी आपको बस यही शुभकामनाएं देना चाहते है कि आप अब जब अपनी खेल की जगहों पर उतरे तो अपना सर्वश्रेष्ठ दें और देश के सूखे खेल पदक कोष को गोल्ड रिजर्व से भर दें।
एक भारतीय,
संकर्षण शुक्ला
कल सुरेश रैना के खुद को ब्राह्मण बताने पर बिलबिलाए मूर्खों को देखा। ये तब भी बिलबिलाए थे जब रविन्द्र जडेजा ने स्वयं को राजपूत बताया था। ये तब भी बिलबिलाए थे जब मनोज मुन्तजिर ने चंद्रशेखर आजाद के लिए "जियो तिवारी जनेवधारी" लिखा था। ये हमेशा बिलबिला जाते हैं।
जानते हैं सुरेश रैना ब्राह्मण क्यों है? सुरेश रैना ब्राह्मण है क्योंकि जब मध्यकाल में क्रूर विदेशी लुटेरे रोज ही हजारों ब्राह्मणों की हत्या कर उनके जनेव तौलते थे, तब भी उसके पूर्वज डरे नहीं और अपना धर्म नहीं छोड़ा। जब क्रूर मुगलों के राक्षस सैनिक मन्दिरों पर हमला कर के सारे निहत्थे ब्राह्मणों को काट डालते थे, वे तब भी नहीं डरे और अपना धर्म नहीं छोड़ा। जब कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकियों ने हिन्दुओं का जीवन नरक बना दिया, वे तब भी नहीं डरे और अपने धर्म पर अडिग रहे। आठ सौ वर्षों के अत्याचार के बाद भी अपने धर्म के साथ खड़े रहने वाले वीरों की सन्तति को यह अधिकार है कि वह छाती ठोक कर अपनी जाति बताये और गर्व से कहे कि हम हम हैं।
मिशनरियों से मिले चन्द सिक्कों के बदले अपना ईमान बेंच चुके वामी धूर्तों ने पिछले कुछ समय से ऐसा मूर्खतापूर्ण मीडियाई माहौल गढ़ दिया है कि वहाँ ब्राह्मण होने का अर्थ कठघरे में खड़ा होना हो गया है। इस देश में न एक बोरा चावल के बदले रिलीजन का धंधा करने वालों को शर्म नहीं आती, न ही मासूम वनवासी बच्चियों को बेचने का धंधा करने वाले लोग शर्मिंदा होते हैं। इस देश में जाति के नाम पर चल रही सैकड़ों प्राइवेट लिमिटेड पार्टियों के लोगों को भी कभी शर्म नहीं आयी, न ही किसी धूर्त ने उनसे जाति का नाम लेने के कारण प्रश्न पूछा। जो लोग कहते हैं कि हमारे सम्प्रदाय में जातियां नहीं होतीं, वे भी रिजर्वेशन का लाभ लेने के लिए अपनी जाति बताते हैं और उन्हें शर्म नहीं आती। और ब्राह्मण से यह उम्मीद कि वह स्वयं को सेक्युलर बना दे? किसे मूर्ख समझते हो बौद्धिक टुच्चों?
कोई व्यक्ति ब्राह्मण हो, राजपूत हो, यादव हो, वैश्य हो या किसी भी जाति का हो, वह यदि अपने धर्मनिष्ठ पूर्वजों की महान परम्परा पर गर्व करना चाहता है, तो वह गर्व कर सकता है। वह गर्व कर सकता है शिवाजी या बाजीराव पर, वह गर्व कर सकता है प्रताप और पृथ्वीराज पर, वह गर्व कर सकता है आल्हा-ऊदल या गोकुल पर... वह गर्व कर सकता है अपने किसान बाप-दादाओं पर...हमारे माथे पर जो तिलक और सर पर जो शिखा है न बाबू, वह हमारे पूर्वजों की हजारों वर्ष की कठिन तपस्या का फल है। चन्द बिके हुए लोगों की धूर्त धारणाएं हमसे हमारा अधिकार नहीं छीन सकतीं।
और शोषण की बी ग्रेड कथाएं ले कर मत उतरना धूर्तों; क्योंकि तुम्हारा वैचारिक बाप भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता कि जब आठ सौ वर्ष तक देश में मुश्लिम शासन था तो ब्राह्मण शोषण कैसे कर लेते थे।
और हाँ! सम्भव है कि कल सुरेश रैना तुम्हारी किचकिच से बचने के लिए माफी मांग लें, पर मैं कह रहा हूँ अहम ब्रह्मास्मि। बिगाड़ लो जो बिगाड़ सकते हैं।
@सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।
मित्रों !! आज मैं एयरपोर्ट पर गया था । मुझे मेरे नीले संगठन की तरफ से पहली बार हवाई जहाज़ में बैठने का मौका मिला ।
मित्रों ! मैंने देखा कि एयरपोर्ट पर सबको नहीं जाने दिया जा रहा था । यह भेदभाव देखकर मुझे गुस्सा तो आया लेकिन मैं उसे पी गया ।
मेरी Flight थी Vistara ! हर जगह नीला नीला देखकर मैं गदगद हो गया । आज मुझे गर्व का भाव आया ।
मैं जब फ्लाइट में चढ़ा तो मुझे मेरी सीट मिल गयी और मैं बैठ गया ।
लेकिन मित्रों !! मैंने आगे देखा तो हमारी सीट से ज्यादा जगह वाली आरामदायक सीटों पर कुछ लोग बैठे थे , पूरा पैर फैलाकर ।
और तो और उनको हवाई सुंदरियाँ ( Air Hostess ) कुछ ज्यादा ही आवभगत कर रही थी । उनको खाना पानी से लेकर सब सुविधा दी जा रही थी ।
यह देखकर मेरा माथा ठनका कि इस नीले जहाज में भी मनुवाद घुस गया है क्या ??
जरूर वह कोई सवर्ण ही होंगे जिनको हम मूल निवासियों से ज्यादा तवज्जो मिल रही है ।
मुझसे रहा नहीं गया और मैन हवाई सुंदरियों से इस पर आपत्ति उठायी ।
तो हवाई सुंदरी ने मुझे बताया कि वह "Business Class सीट" है और मेरी सीट Economy Class है ।
मित्रों !! यह सुनते ही मेरे तन बदन में आग लग गयी ।
मैंने सोचा नीला हवाई जहाज के बावजूद भी यहाँ इतना बड़ा भेदभाव !!
क्या इन्होंने बाबा साहब का संविधान नहीं पढ़ा ??
मित्रों !! संविधान खतरे में था ।
मैंने तुरंत उस सीट पर बैठे व्यक्ति को धक्का देकर उठा दिया और स्वयं बैठ गया क्योंकि समान अधिकार पाना सबका हक है । किसी को मात्र उसके पैसे की वजह से business class की सीट पर बिठाना बाबा साहब का अपमान है ।
यह देखकर कई मनुवादी मेरा विरोध करने लगे ।
यह सब हो ही रहा था मित्रों ,मतलब मैं समान अधिकार के लिए लड़ ही रहा था तब तक मेरी नज़र सामने दरवाजे पर गयी , जिस पर लिखा था "Cockpit" । और मित्रों आप लोग आश्चर्य करेंगे कि उस दरवाजे पर लिखा था "Restricted Entry" "Only Crew"
मित्रों !! आप नहीं जानते कि यह देखकर मैं कितना आग बबूला हो गया ।
मुझे समझ आ गया कि इस जहाज को नीला दिखाकर अंदर ही अंदर मनुवाद चल रहा है ।
मैंने सोचा कि आज यह भेदभाव मैं खत्म कर के ही दम लूँगा । मैंने उस दरवाजे को खटखटाया तो अंदर से दरवाजा किसी ने खोला ।
मित्रों आप यकीन नहीं करोगे कि वहाँ दो घोर मनुवादी कान में कुछ लगाकर आराम से सीट पर बैठे थे और इंजन के बटन दबा रहे थे और mic में कुछ बोल रहे थे ।
मैंने कहा यह सुविधा सबको मिलनी चाहिए ।
हमें mic क्यों नहीं दिया गया ? हमें cockpit के अंदर या इंजन रूम में घुसने क्यों नहीं दिया गया ??
बस मित्रों !! मेरे अंदर का ज्वालामुखी फट पड़ा । मैं Business Seat को भूलकर सीधे cockpit में घुसने लगा । हवाई सुंदरी ने कहा कि इसमें सिर्फ Pilot का ही प्रवेश है ।
मैंने कहा यही भेदभाव हमारे साथ 5000 वर्षों से तुम लोग करते आ रहे हो और अब भी मन नहीं भरा ??
सबको समान अधिकार दो । यह कहते हुए मैं धक्का देकर कॉकपिट में घुस कर उस ब्राह्मणवाद की सीट पर जा बैठा ।
लेकिन मित्रों !! उन लोगों ने मुझे मारा और फ्लाइट से नीचे उतार दिया ।
यह देखकर मैंने अपनी नीली सेना बुलवा लिया और पूरे हवाई जहाज को आग लगाकर उन हवाई सुंदरियों पर और Pilot से लेकर बिज़नेस सीट पर बैठने वाले सभी लोगों पर करोङों का मुकदमा कर Atrocity act लगवा दिया ।
मित्रों मुझे एक बात नहीं समझ आती कि ये मनुवाद कितना हावी है कि बाबा साहब के संविधान को भी नहीं मानती ? ये लोग इतने नीच हैं कि हमें न cockpit में घुसने दें और न ही Business सीट दें ।
यह भेदभाव कब तक चलेगा मित्रों ??
आप सब मेरा साथ दें । मेरे एक नीले साथी ने बताया है कि यह भेदभाव और यह मनुवाद पूरे विश्व में सभी Flights में अपना पैर पसार चुका है ।
लेकिन हम आवाज़ उठाएंगे ।
पायलटवाद मुर्दाबाद ।
Business क्लास मुर्दाबाद ।
साथियों इसको इतना फैलाओ कि यह भेदभाव सभी हवाई सुंदरियों से लेकर सभी Flights में खत्म हो जाये ।
सफलता के हर सीढ़ी पर एक कुत्ता जरूर मिलेगा।
अगर आप सभी कुत्तों से उलझेंगे तो आगे कैसे बढ़ पाएंगे😊😊🙈🙈
अब क्या करें एक्सपर्ट लोग सलाह दे 🙄🙄🙄🙄
Heart touching voice
This needs to be viral
घर डूबे तो डूबे,
पर बियाह ना रुके😎😎😎😎🙄🙄
😁😂😂😂
इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नही होता।🙏🏼🙏🏼
ये शिकन सिर्फ किसान ही समझ सकता है।
We Biharis prefer direct bhojan 😁😁😁
ई ब्रेकफास्ट वास्ट कौन ची होता है जी ?? 🙄
खत्म.......TATA.....BYE...BYE..
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