DR. B.R Ambedkar Awareness & Lord Buddha Thaught
अम्बेडकर के विचार और सिंद्धांत समता मूलक समाज एवं भगवान बुद्ध के उपदेश
Namo Buddhay
Jai Bhim Namo Buddhay
#बुद्ध ने कहा “ #अप्प_दीपो_भवः” यानि अपना दीपक स्वयं बनो।अपने हिसाब से अपना मार्ग चुनो और उस मार्ग पर आगे बढ़ो।अपने विवेक से अपने फ़ैसले लो।अब अगर कोई हमला करेगा तुम पर तो तुम किताब खोलकर देखोगे कि बुद्ध ने "हमले" के बारे में क्या बोला है?जब उन्होंने तुमसे कह दिया कि अपना मार्ग स्वयं चुनो तो वो मार्ग युद्ध का हो या ध्यान का,ये तुम्हें ही चुनना है।चारों तरफ़ से बमबारी हो रही है और अगर तुम ध्यान लगा के बैठोगे तो मारे जाओगे।शरीर होगा तभी ध्यान में उतर पाओगे।
बुद्ध का सारा ज़ोर तुम्हें विवेकवान बनाने पर था न कि विवेकहीन।अहिंसा या हिंसा,तुम्हें अपने विवेक और परिस्थिति के अनुसार चुननी होगी।
नमोबुद्धाय
Buddhay #
#बुद्ध को लाईट ऑफ एशिया कहा जाता है,
यदि #फाह्यान, #ह्वेनसांग जैसे #बौध्द #यात्री #भारत न आये होते तो आप जान ही नहीं पाते कि भारत में भी कोई #बुद्ध की #समृद्ध #सभ्यता रही और यदि #अंग्रेज भारत न आते तो आप नालंदा जैसी विश्व विख्यात #यूनिवर्सिटी को नहीं ढूंढ पाते जहां कभी विश्वभर के विद्यार्थी पढ़ने आते थे और उसी की बदौलत भारत को #विश्वगुरु का तमगा मिला।
भारत के प्रधानमंत्री जब विदेशों में जाते हैं तो वे कहते हैं कि मैं बुद्ध के देश से आया हूँ। मेरे देश ने दुनिया को बुद्ध दिया है युद्ध नहीं। #शांति और #प्रेम के सन्देश के साथ पैदल चलकर आज #बुद्ध लगभग 56 से अधिक देशों में पहुंचे जबकि हथियार बन्द भगवान सीमाओं को न लांघ सके विचारणीय बात है न? बुद्ध ने भारत को नपुंसक नहीं बनाया बल्कि विश्व को जाग्रत किया।
#बुद्ध की सभ्यता आज भी जमीन के नीचे दफ़न है जिसके सबूत हर जगह पर मिलते हैं लेकिन बाक़ी बड़ी सभ्यताएं केवल किताबों में मिलेंगी हकीकत में कभी नहीं मिल पायेगी। विज्ञान और चेतना से इनको डर लगता है क्योंकि जबतक तकनीक व तर्कशक्ति कमजोर होगी तबतक मिथ्यायें विराजमान रहेगी। स्थापित सभ्यता ज़मीन के नीचे 7 फ़ीट तक मिलेंगी, बुद्ध की सभ्यता 27 फ़ीट से नीचे है।
यह सभ्यता समाप्त किसने की वह बहस बहुत लंबी है लेकिन इतना समझ लीजिये कि #सिंधुघाटी, #मोहनजोदड़ो, #राखीगढ़ी, #नालंदा, #तक्षशिला आदि तक यदि विज्ञान कभी पहुंच गया तो किताबी सभ्यता भरभरा कर गिर पड़ेगी। यह सब रहस्य ही बना रहे इसीलिये जरूरी है इंसान को अवलोकनकर्ता नहीं बल्कि अनुसरणकर्ता बनाया जाय। वह भावनात्मक हो तथ्यात्मक नहीं। वह प्रचारक हो, विचारक नहीं।
ओशो ने ठीक ही कहा था कि दुनिया में सबकुछ पचाया जा सकता है लेकिन #बुद्ध को पचाना असम्भव है। बुद्ध सबसे पहले आडम्बर और कल्पनाओं की ओढ़ी हुई चादर छीन लेते हैं उसके बाद इंसान दूसरों की नग्नता नहीं पहले खुद को देखता है। बुद्ध कभी भी बुद्धूओं को समझ नहीं आ सकते हैं। बुद्ध ईश्वरीय व धार्मिक विचारधाराओं तथा लड़ाइयों से बहुत दूर हैं।
#बुद्ध को केवल जागृत चेतना से समझा जा सकता है...
🙏Namo Buddhay
Jai Bhim Namo Buddhay
Buddhay 🙏🙏🙏28.10.22
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