PDM Info Center
PDM Activists are basically Buddhist and Ambedkarite, having faith in democracy and against all the anti-national activities. Jai Bhim !
No Bullet, only Ballot, to resolve all the public issues.
संविधान दिन चिरायु हो
कृषि बिल विरोधी आंदोलन - किसान मजदूरों का आंदोलन या मंडी दलालो का ?
गणतंत्र दिन चिरायु हो !
नया प्रस्तावित संसद भवन, वर्तमान संसद परिसर में ही। तब भी, फिर नए से और प्रतिमा स्थापित करने का प्रश्न क्यों खड़े करते है अखबार ?
वर्तमान संसद परिसर में, बोधिसत्व परमपूज्य डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले, स्वामी विवेकानंद, रबीन्द्रनाथ टैगोर, बिरसा मुंडा, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी, इंदिरा गाँधी, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, कामरेड ए.के.गोपालन, जगजीवन राम, जयप्रकाश नारायण इत्यादि लगभग ४८ महानुभावो की पूर्णकृति व अर्धपूर्णाकृति प्रतिमाये स्थापित है।
और वर्तमान संसद भवन तथा नया प्रस्तावित संसद भवन, यह एक हि संसद परिसर में है। इसलिए, इसी संसद परिसर में पुनश्च नयी प्रतिमाये स्थापित करने का कोई औचित्य नहीं बनता। फिर भी 'नए संसद भवन परिसर में नहीं लगेगी बाबासाहब की प्रतिमा', इस शीर्ष से खबर प्रकाशित करना, यह हेल्दी पत्रकारिता का लक्षण नहीं है।
महापरिनिर्वाण दिवस पर परमपूज्य बोधिसत्व डॉ . बाबासाहब अम्बेडकरजी के हिन्दू व बौद्ध भाइयों की देश हित में चिंता से, ओत-प्रोत विचारों को शत-शत नमन !
बोधिसत्व डॉ बाबासाहब आंबेडकर कभी भी हिन्दू द्धेषी नहीं रहे, क्योंकि वे तथागत भगवान गौतम बुद्ध के विचारो पर चलते थे और इसलिए हिंदुओं के प्रति द्धेष पालने का सवाल ही खड़ा नहीं होता l डॉ बाबासाहब अम्बेडकर जी, नेहरूजी के मंत्रिमंडल में गैर कांग्रेसी मंत्री के रूप में कार्यरत रहे l लेकिन, कांग्रेस तथा उसके सर्वेसर्वा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूजी से कुछ वैचारिक व तात्विक मदभेदों के चलते गुरुवार तारीख २७ सितम्बर १९५१ को, बाबासाहब ने नेहरू मंत्रीमंडल से त्याग पत्र दिया तथा १० अक्तूबर, १९५१ को विस्तृत रूप से अपने त्याग पत्र के कारण स्पष्ट किये l उसमे से एक प्रमुख कारण था,'तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान ( वर्तमान में बांग्लादेश) मुस्लिम शासको द्वारा, हिन्दू-बौद्ध भाइयों पर होनेवाले अत्याचारों से उत्पन चिंताजनक स्थिति पर नेहरू जी की अनदेखी' l बाबासाहब अपने त्यागपत्र में लिखते है,'
Our quarrel with Pakistan is a part of our foreign policy about which I feel deeply dissatisfied. There are two grounds which have disturbed our relations with Pakistan—one is Kashmir and the other is the condition of our people in East Bengal. I felt that we should be more deeply concerned with East Bengal where the condition of our people seems from all the newspapers intolerable than with Kashmir. Not with standing this we have been staking our all on the Kashmir issue. Even then I feel that we have been fighting on an unreal issue. The issue on which we are fighting most of the time is, who is in the right and who is in the wrong. The real issue to my mind is not who is in the right but what is right. Taking that to be the main question, my view has always been that the right solution is to partition Kashmir. Give the Hindu and Buddhist part to India and the Muslim part to Pakistan as we did in the case of India. We are really not concerned with the Muslim part of Kashmir. It is a matter between the Muslims of Kashmir and Pakistan. They may decide the issue as they like. Or if you like, divide it into three parts; the Cease-fire zone, the Valley and the Jammu-Ladhak Region and have a plebiscite only in the Valley. What I am afraid of is that in the proposed plebiscite, which is to be an overall plebiscite, the Hindus and Buddhists of Kashmir are likely to be dragged into Pakistan against their wishes and we may have to face the same problems as we are facing today in East Bengal. (DR. BABASAHEB AMBEDKAR : WRITINGS AND SPEECHES vol-14-II पेज १३२२ महाराष्ट्र शासन द्वारा प्रकाशित )
इस त्यागपत्र द्वारा अभिव्यक्त उनके मन के भाव को समझे तो, यह स्पष्ट होता है की, विभाजन के दौरान सन १९४७ में पूर्व पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में जबरन धकेले गए बौद्ध और हिन्दू भाइयो के साथ-साथ आजादी के बाद से सन १९५१ तक कश्मीर के हिन्दू और बौद्धों को जबरन पाकिस्तान में धकेलने के सन्दर्भ में नेहरू व कांग्रेस के गलत प्रयासों की, डॉ बाबासाहब अंबेडकरजी को 'बराबर' चिंता थी l
तब भी, 'बाबासाहब, हिन्दू विरोधी थे', यह भ्रम फैलाकर हिन्दू समाज में बाबासाहब के प्रति और बौद्ध समूह में हिन्दुओ के प्रति नफरत फ़ैलाने का काम किया जा रहा है, जो इन दोनों समुदाय के साथ-साथ देश हित में नहीं है l
जय भीम!
पि.डी.एम, नागपुर
७ नवंबर - बाबासाहब आंबेडकर जी की शालेय शिक्षा का आरंभ
अतिविषम परिस्थितियों में, 'उन्होंने' पढाई आरंभ की। संसार के गिने-चुने विद्वानों, में 'वे' अग्रेसर बने। शिक्षा ली और आगे, समुदाय को Educate करने का, बीड़ा उठाया। समाज को जगाते (Agitate) हुये, देश की तमाम, शोषित-पीड़ित जनता को, उत्पीड़न से मुक्ति पाने के लिए, 'संगठित' (Organise) होने का आवाहन कर, 'बहिष्कृत हितकारणी सभा' के गठन का निर्णय लिया और यह सब उनके पढ़ने-पढ़ाने के दम पर हुआ।
एक ओर, 'देश की सरकारे', हमे निशुल्क पढ़ाये, इसके लिए, हम आग्रही बनेंगे और दूसरी ओर, हम पढ़े-लिखे शिक्षक-प्राध्यापक, अपने ही कमजोर समुदाय के बच्चो से, फीस लेकर, उन्हें पढ़ाये, Tuition व Coaching Classes चलाये और 'शिक्षा' को, अपना व्यवसाय बनाये तथा हम अम्बेडकरी, हमारी शिक्षा संस्थानों को, व्यवसाय का जरिया बनाये, यह ठीक नहीं। दूसरा ऐसे की, आज हमारे कुछ शिक्षक-प्राध्यापक, अधिकारी व नौकरीपेशा लोग, समाज के युवाओ को छुपके-छुपके, 'कलम' के बजाय, 'बुलेट' की प्रेरणा दे रहे है। यह, बाबासाहब के लोकतंत्र की धारा से विद्रोह है, जो बिलकुल ही ठीक नहीं।
अम्बेडकरी समुदाय के, प्रत्येक पढ़े-लिखे, शिक्षक-प्राध्यापक, अधिकारी व नौकरीपेशाओं का घर हमारे गरीब बच्चो के लिए, निशुल्क Coaching Centre बने एवम हम सब, शिक्षक की भूमिका अदा करे । प्रत्येक पढ़ा-लिखा, निशक्त पडोसी के बच्चो को निशुल्क Tuition देने का दायित्व निभाए और शिक्षा के क्षेत्र में, 'सच्चा अम्बेडकरी' कहलाने का हक़ पाए।
हम भी आज, संकल्प ले की, हम पढ़ेंगे और अपने निशक्त पडोसी परिवार के बच्चो को, निशुल्क पढ़ाएंगे तथा Tuition भी देंगे।
जय भीम !
-----------पि.डी.एम की पहल
Maoists are Terrorists. Be vocals raise your voice against Maoists.
अधिवक्ता बाळासाहेब आंबेडकर जी ने मंदिर जाकर, किये भगवान विठ्ठल के दर्शन !
https://twitter.com/PdmCentre/status/1301088181639688192?s=20
आतंकवादी संगठन द्वारा प्रकाशित पत्रिका के मुख्य पुष्ट पर बोधिसत्व बाबासाहब आंबेडकर जी का फोटो l
क्या जताना चाहते है ये आतंकवादी की, बाबासाहब___थे।
PDM उनके इस निंदनीय मंशा की निंदा करते है। https://twitter.com/PdmCentre/status/1290198748727975937?s=20
BodhiSatva Dr. Babasaheb, B.R. Ambedkar a first law Minister of India (3.August.1947)
"Cultivation of mind should be the ultimate aim of human existence.
For a successful revolution it is not enough that there is discontent. What is required is a profound and thorough conviction of the justice, necessity and importance of political and social rights.
A people and their religion must be judged by social standards based on social ethics. No other standard would have any meaning if religion is held to be necessary good for the well-being of the people."
‘Babasaheb’ Dr B.R. Ambedkar: Maker and conscience-keeper of modern India
https://twitter.com/PdmCentre/status/1290180632098660354?s=20
सबंध शोषित पीडितांच्या चळवळीची प्रेरणा - साहित्य रत्न, लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे
बोधिसत्व परमपूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी ज्या काळात, देशातील शोषित- पीडितांच्या उत्थानासाठी सार्वजनिक जीवनाची सुरवात केली, त्याच काळात पश्चिम महाराष्ट्राच्या वाळवा तालुक्यातील वाटेगाव या छोटाश्या गावी मातंग समाजातील भाऊराव व वालुबाई या दाम्पत्यांच्या पोटी १ ऑगस्ट १९२० रोजी तुकाराम जन्माला आले. पुढे, याच तुकारामांना जग साहित्य रत्न, लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे म्हणून ओळखू लागले. अण्णा भाऊंचे शिक्षण हे चार भिंतीच्या शाळेत नव्हे तर जीवनाच्या शाळेत झाले. दारिद्र हे जणू त्यांच्या कुटुंबाच्या पाचवीलाच पुजलेले. तेव्हा पोटाची खळगी भरण्याकरिता मिळाली ती नौकरी करत गेले. अश्यातूनच अण्णाभाऊंचा कामगार चळवळीशी संबंध आला.
सन १९१७ मध्ये लेनिन च्या नेतृत्वात, मार्क्स च्या विचारांना मूर्त स्वरूप देणारी क्रांती रशियात घडली. अर्धे जग या विचाराने प्रभावित झाले असतांना, रशिया शेजारी असलेल्या आपल्या भारत देशात हि, 'संसार के मजदूर एक हो, मजदूर एकता जिंदाबाद' या विचारांचे वारे वाहू लागले. शोषित पीडितांना शोषण मुक्त करण्यासाठी वर्ग संघर्ष, हाच एकमेव मार्ग असल्याचे कॉम्युनिस्ट सांगू लागले. तेव्हा जीवनाच्या पूर्वार्धात अण्णा भाऊ या विचाराने फारच झपाटले होते. या विचाराच्या प्रसार व प्रचारासाठी अनेक लोकनाट्ये लिहिलीत तर आपल्या शाहिरीतून मार्क्सवादी विचारांची बीज पेरणी केली. अण्णाभाऊंचे, 'लेनिनग्राडचा पोवाडा, बर्लिनचा पोवाडे फारच गाजले.
'लालबावटा' घेऊन हाती करण्या येथे क्रांती,
कामगारांची नवी पिढी पाऊल टाकती
अण्णाभाऊ साठे म्हणे बदलूनी दुबळे जिणे,
विजयी ते होतील जे रण कीर्ती ।। जी ।।
या पोवाड्यात अण्णाभाऊंनी कॉम्युनिस्ट पक्षाची कामगार विषयक भूमिका विशद केली आहे.
परंतु जीवनाच्या उतरार्ध अण्णाभाऊंनी लिहिलेली 'फकिरा' हि जग प्रसिद्ध कादंबरी, बाबासाहेबांना अर्पण करतांना,
" जग बदल घालुनी घाव,
सांगुनी गेले मज भीमराव।
गुलामगिरीच्या या चिखलात,
रुतून बसला का ऐरावत।
अंग झाडुनी निघ बाहेरी,
घे बिनी वरती घाव।
हे गीत गावून बाबासाहेबांच्या विचाराप्रति जाहीरपणे प्रगट स्वीकृती दिली. तेव्हा, जीवनाच्या पूर्वार्धात मार्क्सवादाने प्रेरित होऊन सुरु झालेले अण्णाभाऊंचे आयुष्य आंबेडकरवादाच्या स्वीकाराने संपले, असे म्हणण्यास वाव आहे. धन्य हो ते अण्णाभाऊ. अण्णाभाऊंनी कॉम्युनिस्ट विचारांना तिलांजली दिल्याने, 'हर जोर-जुलूम कि टक्कर मे संविधान हमारा सहारा है' असे म्हणत, या देशातील दलित-शोषित युवक हा मोठ्या संख्येने कॉम्युनिस्ट, नक्सल इत्यादी च्या तावडीत जाण्यापासून बचावला आणि संवैधानिक मार्गाने आपली लढाई लढण्यास पुढे आला.
साहित्यरत्न, लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे यांच्या शंभराव्या जन्म दिनी त्यांच्या विचारांना शत-शत नमन.
जय अण्णा ! जय भीम !
........पी.डी.एम
मौलवी के कहने पर तोड़ी गई बुद्ध की मूर्ति, 4 गिरफ्तार; VIDEO वायरल
https://zeenews.india.com/hindi/pakistan-china/pakistan-four-people-arrested-for-damaged-rare-statue-of-mahatma-buddha/713839
https://twitter.com/PdmCentre/status/1285881730864304128?s=20
https://twitter.com/arifaajakia/status/1284306652364144641?s=20
लोकशाहीर अण्णा भाउ साठे यांना स्मृतिदिनी कोटी कोटी अभिवादन l
https://youtu.be/C99b3a28CtU
केरूमाता - गुफाये बचालो,भाई !
लेणी संदर्भ में फेसबुक तथा अन्य समाज माध्यम पर चल रही बहस को सुनकर मन व्यतित होता है। (खासकर जब तथागत बुद्ध के अनुयायी के रूप में तेरी -मेरी का सवाल खड़ा किया गया ) 'नदी में डूबता हुआ इंसान किस जाती का है',सड़क अपघात में, अपघातग्रस्त हुआ जख्मी, किस मजहब का है और 'आग में जल रहा घर किस समुदाय का है', यह जानने के बाद ही आप, डूबते हुए की, जख्मी की और आग में जल रहे घरवालों की मदत करने का फैसला करोगे, तब हम बुद्ध तो क्या, किसी भी महापुरुष के अनुयायी कहने के लिए पात्र नहीं हो सकते।
लेणी/गुफाये यह इस देश की सांस्कृतिक विरासते है, शिल्पकला की पहचान है। हो सकता है की, उन गुफाओ से हमारे मजहब का या जाती का लेना-देना न भी हो, तब भी, देश की धरोहर के नाते उनके संरक्षण के लिए आगे आना, हम सबका कर्त्तव्य बनता है। हां, जब इंसान को अपने ही विरासत और धरोहर की चिंता न हो, तो बात ही अलग है। ऐसी सोच के लोगो द्वारा, दुसरो की चिंता करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
अपघात में जख्मी, नदी में डूबता इंसान, दूर से हमे आज अपने नजर नहीं आने से, आपने उसे बचाने की कोशिश करने से इंकार कर दिया, और कल पता चला की, उसकी मदत/सहायता नहीं करने से वह, डूब गया, उसने दम तोड़ दिया और वह पराया नहीं, तो आपका अपना ही था, लेकिन तब तक आप अपने को गवा चुके होंगे ।
इसलिए मेरे भाईयों !,महाराष्ट्र के उरण के उल्वे क्षेत्र की केरूमाता गुफाये, किस मजहब की है, इस चक्कर में पड़ने से बेहतर है,आज उन्हे महाराष्ट्र सरकार के सिडको प्राधिकरण द्वारा तोड़फोड़ से क्षति ग्रस्त होने से बचाने की। बचेगी तो, तेरी होगी- या मेरी होगी। नहीं बचने पर क्या ?
PDM
मध्य प्रदेश, गुना अत्याचार प्रकरण : जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक का तबादला, ६ पुलिस कर्मी निलंबित।
महाराष्ट्र : अरविन्द बनसोड प्रकरण ????? https://twitter.com/PdmCentre/status/1283732568534405121?s=20
सन्माननीय अमोल रामकृष्ण मिटकरी जी सादर जय भीम ! फुले, अम्बेडकर, शाहू जी के महाराष्ट्र में बनसोड परिवार पर अत्याचार l राज्य के पुलिस की जांच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी एवं आरोपी मयूर उर्फ़ मिथिलेश उमरकर को बाइज्जत बरी कराने की दिशा में बढ़ रही है l आप, महाराष्ट्र में फुले, अम्बेडकर, शाहू विचारो के प्रखर पुरोधा होने के नाते, आप से अपेक्षा है की, बनसोड परिवार को न्याय दिलाने के लिए, इस प्रकरण की जांच यथा शीघ्र जांच सीबीआई द्वारा कराने हेतु, आप अपनी सरकार पर निश्चित ही दबाव बनाएंगे l
आज २७ जून l गत माह इसी दिन याने २७ मई को, महाराष्ट्र के गृहमंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता अनिलजी देशमुख के विधानसभा क्षेत्र तथा उनके पैतृक गांव 'वड़विहिरा' से करीबन ५ किलोमीटर दुरी पर बसे 'थड़ीपवनी' गांव(तालुका - नरखेड़, जिला - नागपुर) में ३२ वर्षीय युवा अम्बेडकरी कार्यकर्ता, अरविन्द बनसोड को राष्ट्रवादी कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष बंडोपंत उमरकर जी के बेटे व नरखेड़ पंचायत समिति के सदस्य मयूर उर्फ मिथिलेश उमरकर तथा उनके साथियो ने मिलकर मरते दम तक पिटाई की l बाद में २९ मई को अरविन्द बनसोड जी का देहांत हुआ l
हत्या के इस मामले को 'आत्मह्त्या' का मामला बनाने में राज्य की पुलिस ने अब तक कोई कसर नहीं छोड़ी l आज पूरा एक महिना बीत गया लेकिन, राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुखजी ने, उनके 'वड़विहिरा' गांव से ५ किलोमीटर की दुरी पर बसे 'पिंपलधरा' नामक गांव में, मृतक अरविन्द बनसोड के परिवार का निवास होते हुए भी, पीड़ित परिवार से भेट हेतु गृहमंत्री, पीड़ित के गांव नहीं गये l
इस घटना को १० दिन नहीं बीते की, पश्चिम महाराष्ट्र के पिम्परी चिंचवड़ (सांगवी) में घटी honor killing की घटना में 'अम्बेडकरी युवक की हत्या हुई l इसी जून माह में, मराठवाड़ा के हिंगोली जिले के सावरखेड़ा गांव में दलित बस्ती पर हमला हुआ l जिसमें पांच जन गंभीर रूप से जख्मी हुये l 'थड़ीपवनी' तो विदर्भ में ही आता है l अब बचा कोकण क्षेत्र l देखते है, अनिलजी देशमुख जी के गृहमंत्री के कार्यकाल में, वे अत्याचार का, कोंकण में कोटा पूरा करते है, या नहीं l
बिहार के नवादा में, मध्यप्रदेश के शिवपुरी में हत्या की घटनाये घटी l पी.डी.एम. ने इन घटनाओ की दखल ली और अत्याचार की निंदा करते हुए सरकारों से पत्राचार किया l महाराष्ट्र के नागपुर जिले में घटित अरविन्द बनसोड की हत्या प्रकरण की free & fair जांच के लिए CBI जांच की पी. डी. एम. मांग कर रहा है l यह मांग, महाविकास आघाडी सरकार की धूमिल प्रतिमा को साफ़ करने के पक्ष में है l फिर भी, महाराष्ट्र सरकार, CBI जांच की मांग को 'क्यों नज़र अंदाज़' कर रही है ?
हमारा अम्बेडकरी समाज, इस असमंजस में पड़ा है कि, 'किस पार्टी की सत्ता में अत्याचार हुआ, तो आवाज उठानी चाहिए और किस पार्टी की सत्ता में अत्याचार हुआ, तो आवाज नहीं उठानी चाहिए l पहले, हम समाज के साथ रहते थे और अब हमे सत्ता के साथ रहने की आदत पड़ी है l
Amol Mitkari - NCP Anil Deshmukh Nitin Raut Sushma Andhare Fc Suresh Mane PrakashAmbedkar Ncp Nagpur Shahar
सामाजिक आरक्षण व न्याय के जनक राजश्री छत्रपति शाहू महाराज जी को शत शत नमन
आरक्षण से लाभान्वित हो कर आर्थिक व सामाजिक दृष्टी से उन्नत समूह, 'सरकारो ने उन्हें यह नहीं दिया, वह नहीं दिया, सरकार उनकी उपेक्षा करती है', etc शिकायते करते हुआ हमेशा आंदोलन के मूड में रहा है। लेकिन , आरक्षण के कारण, समाज के प्रतिनिधि के रूप में उसे जो कुछ भी मिला है, उसका कितना लाभ उसने अपने समाज को दिया है और अपने ही समाज समूह में, अंतिम पायदान पर खड़े तथा आरक्षण के लाभ से उपेक्षित को भी, आरक्षण सुविधाओं का लाभ मिले और वह भी ऊसके समान आर्थिक, सामाजिक उन्नत हो सके, इस बात की कभी उसने कितनी चिंता की है, इस ओर भी वह पलट कर देखे व सोचे तो अच्छा होगा । उसके उन्नति की बात तो छोड़ो, उसने या उसके बेटी-बेटो ने, उन्हें सन्मान की नजरो से भी कभी देखा है, या व्यवहार किया है ? साथियो ! इसका उत्तर 'नहीं' ही मिलेगा।
आरक्षण का अधिकार प्राप्त अनुसूचित जाती /जनजाति के कुछ समूह तथा कुछ समूहों के कुछ परिवार, सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से प्रगत हुए है लेकिन कुछ जरुरतमंद समूह अब भी उपेक्षित ही है l ऐसे हालात में, आरक्षण का लाभ इन समूहों तक भी पहुंचे और उसकी भी कुछ उन्नति हो, इसलिये वह चीख रहा है और अंतर्गत संघर्ष की मानसिकता में आ गया है। ऐसे में, आरक्षित सूची में सम्मिलित सभी जाती/जनजाति समूह तथा इन समूहों के अंतिम वर्ग को भी बचे-कूचे आरक्षण का लाभ मिले व उसकी भी आर्थिक व सामाजिक उन्नति हो, इसलिये सरकार, आरक्षण की नीति पर पुनर्विचार करे और आरक्षण का सबको लाभ मिले, इसलिये आज जरुरत इस बात की है की, आरक्षण के सधन लाभार्थी, सम्पूर्ण अनुसूचित जाती/जनजाति के हित में, प्राप्त आरक्षण सुविधा का त्याग कर सामाजिक आरक्षण के जनक राजश्री छत्रपति शाहू महाराज के 'सामाजिक आरक्षण' के सपने को साकार करने के लिए बड़े ही उदार मन से योगदान करे।
अरविन्द बन्सोड प्रकरण में न्याय की संभावना बड़े, इसलिए
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच जरुरी
नागपूर
दि. 18/06/2020
सेवा में,
सम्माननीय बंधुवर्य डा नितिनजी राऊत,
सादर जय भीम !
२७ मई २०२० को, नागपुर से लगभग १०० किलोमीटर की दुरी पर बसे नरखेड़ तहसील के थड़ीपवनी (राज्य के गृह मंत्री माननीय अनिल देशमुख जी का विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) में, पिंपलधरा निवासी ३२ वर्षीय अम्बेडकरी युवा कार्यकर्ता की, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नरखेड़ पंचायत समिति के सदस्य मिथिलेश उर्फ़ मयूर उमरकर ने अपने साथियो के साथ मिलकर मरते दम तक पिटाई करने के कारण २९ मई २०२० को अरविन्द की मृत्यु हुयी, लेकिन इस प्रकरण में पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज न करते हुए आत्महत्या का मामला दर्ज किया।
आज अखबारों की खबर के माध्यम से पता चला की, १७ जून को, आपने पिंपलधरा गांव जाकर बंसोड़ पीड़ित परिवार से भेट की, अच्छा लगा, आपका धन्यवाद। इसी खबर के माध्यम से, ये भी पता चला की, 'सुभे के मुख्यमंत्री सन्माननीय उध्हव ठाकरे जी ने प्रकरण की गंभीरता से दखल लेकर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए है'। १३ जून की शाम पि.डी.एम संगठन द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी को ईमेल द्वारा प्रकरण की गंभीरता से अवगत कराया गया था।
माननीय महोदय, हमारी जानकारी के अनुसार, १) मृतक अरविन्द बन्सोड जी की मृत्यु पूर्व जबानी दर्ज नहीं कराई गयी, २) जलालखेड़ा पुलिस स्टेशन में लगे CCTV कॅमेरे के २७ मई के CCTV फुटेज की अभी तक जब्ती नहीं हुयी, वैसेही ३) घटनास्थल, यह स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, शाखा थड़ीपवनी के बाहर लगे CCTV कॅमेरे के रेंज में आता है, बावजूद इस शाखा में लगे CCTV कॅमेरे के २७ मई के CCTV फुटेज की अभी तक जब्ती नहीं हुयी, ४) इस घटना के प्रत्यक्ष दर्शी एवं अहम साक्षीदार श्री गजानन राऊत का बयान वैसे ही मृतक के छोटे भाई का बयान, उनके कहे मुताबिक दर्ज नहीं करवाया गया, ५) प्रथमदृष्टि में यह हत्या का मामला होते हुए भी, उसे आत्महत्या का मामला मानकर उसी दिशा में जांच बढ़ाई जा रही है, ऐसे मे दूर-दूर तक न्याय मिलने के आसार नजर नहीं आते, इस बात को आप भी भली भाती समझते है।
माननीय महोदय, जांच की गलत दिशा के चलते भी, न्याय मिलेगा, अगर आपका ऐसा विश्वास है तो बात अलग है। हमारा यह मानना है की, सरकारे इस तरह के आश्वासन देकर उठे माहौल को ठंडा करने का प्रयास करती है। इससे ज्यादा इस आश्वासन के कोई मायने नहीं होते। इसलिए इस प्रकरण की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा नये सिरे से समय पर जांच, होने पर ही न्याय की कुछ सम्भावनाये बनती है।
इसलिए माननीय महोदय, आपसे करबद्ध अनुरोध करते है की, राज्य सरकार, इस प्रकरण की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच हेतु, केंद्र सरकार से उचित सिफारिश करे। आशा करते है की, आप इस सन्दर्भ में निश्चित पहल करेंगे और इसके लिए अम्बेडकरी संगठन अपने छोटे-मोटे मतभेद भुलाकर आपका साथ देंगे।
माननीय महोदय दूसरा ऐसे की, पीड़ित परिवार को, डा आंबेडकर फाउंडेशन, भारत सरकार, नई दिल्ली की ओर से राहत राशि मिले, इसलिए मृतक अरविन्द के पिता जनार्दन बन्सोड जी से १५ जून को सुबह प्राप्त निवेदन, उचित अनुशंसा के साथ फाउंडेशन को भेजा गया है। ७ जून को, उत्तर प्रदेश में विकास जाटव नामक युवक की हत्या हुयी। इसलिए, पीड़ित के परिवार को २५ लाख रुपये की राहत राशि की मांग के सन्दर्भ में आपने १० जून २०२० को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय जी को पत्र लिखा। अरविन्द बन्सोड जी के प्रकरण में, पीड़ित परिवार को महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी २५ लाख रुपये की राहत राशि मिले, इसलिए भी आप पहल करते, तो और अच्छा होता।
सकारात्मक पहल की अपेक्षा में
आपका विनम्र,
अशोक मेंढे
सेवा में,
सन्माननीय डा. नितीनजी राऊत,
मंत्री, महाराष्ट्र सरकार
तथा पालक मंत्री, नागपूर
प्रतिलिपि : सन्माननीय उद्धव जी ठाकरे, मुख्य मंत्री, महाराष्ट्र राज्य, मुंबई। इन्हे १३ मई के निवेदन के सन्दर्भ में स्मरण हेतु पुनश्च प्रेषित।
अम्बेडकरी कार्यकर्ता अरविन्द बंसोड़ की, राष्ट्रवादी कांग्रेस के पदाधिकारियो द्वारा हत्या(२७ मई २०२०) का मामला
*१२ जून २०२० को पि डी एम की टीम ने घटनास्थल 'थड़ीपवनी' तथा पीड़ित परिवार के निवासस्थान 'पिंपलधरा' गांव को को भेट देकर पीड़ित के परिवार से व इस प्रकरण के अहम तथा प्रत्यक्ष गवादार से चर्चा कर घटना की जानकारी ली।
*१३ जून २०२० शनिवार को रात ७ बजे, ईमेल द्वारा सुभे के मुख्यमंत्री माननीय उद्धव जी ठाकरे के नाम से सम्बोधित निवेदन भेजा गया।
*१४ जून २०२० रविवार को दोपहर १२ बजे, सुभे के मुख्यमंत्री कार्यालय से सन्देश प्राप्त हुआ की, उपरोक्त निवेदन, उचित कारवाही हेतु गृह विभाग के प्रधान सचिव को उचित कारवाही हेतु भेजा गया।
*१५ जून २०२० सोमवार :- पि डी एम ने अपने १३ जून के निवेदन में यह बात कही थी, 'घटनास्थल व पीड़ित का निवास्थान, यह दोनों राज्य के गृह मंत्री माननीय अनिलजी जी देशमुख के विधान सभा क्षेत्र में आते है तथा गृह मंत्री जी के मूल गांव से करीब है। बावजूद इसके माननीय गृह मंत्री जी ने इस निंदनीय घटना को १७ दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार से मुलाखात नहीं की। आरोपी के पिता राष्ट्रवादी कांग्रेस के जिला पदाधिकारी है, माताजी ग्राम पंचायत की सरपंच है और स्वयं आरोपी यह पंचायत समिति सदस्य है। दूसरा ऐसे की, जिले के पालक मंत्री महोदय जी ने भी पीड़ित परिवार के गांव जाकर मुलाखात नहीं की। पूर्व विधायक सुनील शिंदे जी की अंत यात्रा में शामिल होने के लिए १२ जून को, महाराष्ट्र विधान सभा के सम्माननीय अध्यक्ष नानाभाउ पटोले, गृह मंत्री अनिलजी देशमुख, विधायक प्रकाश गजभिये जी सहित कांग्रेस और राष्ट्रवादी के दिग्गज नेता तथा विधायक सावरगांव में उपस्थित थे। सावरगांव से मृतक अरविन्द बंसोड़ जी का गांव लगभग ५० किलोमीटर की दुरी पर था। फिर भी यह महानुभाव, मृतक अरविन्द बंसोड़ जी के गांव 'पिम्पलधरा' जाने का कष्ट उठाने से बचते रहे, और ऐसे में इन १७ दिनों में पुलिस के जाँच की दिशा 'आरोपियों को सजा न मिले' शतप्रतिशत इस दिशा में बढ़ गयी। इसलिए इस हत्याकांड की CBI जाँच ही, पीड़ित परिवार को न्याय दिला सकती है। तब समता सैनिक दल, वंचित बहुजन आघाडी सहित अनेको अम्बेडकरी संगठनो के साथ-साथ पि डी एम ने भी न्याय हेतु CBI जाँच की मांग आगे बढ़ाई।
इस मांग को बगल देने के लिए, शायद १९ दिन बाद मृतक अरविन्द बंसोड़ जी के पिताजी को नागपुर बुलाकर १ लाख रूपए की राहत राशि दि गयी और गांव को भेट देने से टाला गया।
सभी अम्बेडकरी संगठना अपने मतभेद व पार्टीभेद भुलाकर इस अन्याय के खिलाफ सड़क की लड़ाई के मूड में है, बस इंतज़ार है लॉकडाउन के ख़त्म होने का।
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर बुद्ध भूमि प्रशिक्षण संस्थान कामठी रोड, खैरी के सचिव भदन्त प्रज्ञा ज्योति थेरो जी के समयोचित मार्गदर्शन का पी.डी.एम् द्वारा पुनर्प्रसारण आज दोपहर ३ बजे
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