Jain Mantra Yantra And Vastu
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जय पारस प्रभु.. जय देवी माँ पद्मावती..🙏
ॐ ह्रीं श्री उवसग्गहर पार्श्वनाथ धरण पद्मावती देव्यै नमः।।
"पार्श्व प्रभु की शासन देवी, सब संकट हरणी
देव धरणेन्द्र की यक्षिणी, तुम मंगल करणी"
"करता हूँ तुम्हारी पूजा स्वीकार करो माँ
मैं आया शरण तुम्हारी बेडा पार करो माँ"
🙏 रक्षः रक्षः मम माँ देवी पद्मे 🙏
🙏जय पारस प्रभु.. जय देवी माँ पद्मावती..🙏
*एक सेकंड में 100 अरब जीव निगोद से बाहर आते है । उसमें से 99 अरब जीव तिर्यंच गति में जाते है। बचे हुए 1 अरब में से 99 करोड़ जीव देवगती में जाते है।और जो 1 करोड़ बचे हैं,उनमें से 99 लाख जीव नरकगति में जाते है।*
*बचे हुए 1 लाख में से 99 हजार जीव संमुर्च्छीम मनुष्य में उत्पन्न होते हैं।*
*बचे हुए 1 हजार में से 900 जीव अनार्य देश में जन्म लेते है।*
*अब जो 100 जीव बचते हैं उनमें 99 जीव अजैन कुल में जन्म लेते है।*
*और बचा हुआ 1 जीव यानि हमारा खुदका,*
*जिस को 100 अरब में से जैन कुल में आर्य क्षेत्र में जन्म मिला।*
*सोचो दुर्लभ मनुष्य भव में 100 अरब में हम अनंतानंत पुण्य इकट्ठा होने पर जैन कुल पा सकें हैं।*
*इस अत्यंत दुर्लभ 💎जैन कुल💎पाकर भी हम लोग इसे व्यर्थ गँवाते जा रहे हैं🤔समय पर कोई भी कार्य नहीं करते हैं,इसलिए समय निकलने के बाद प्रायश्चित करने का समय भी नहीं मिल पाता है🫣*
*इस जैन कुल को पाने के लिये इस जीव ने कितने ही जतन किये होंगें,तब जाकर मनुष्य पर्याय में 💎निर्ग्रन्थ जैन कुल💎 पाया है,ये महान जैन कुल पाकर भी ये जीव केवल इस जन्म को व्यर्थ गँवाता जा रहा है🫣🤔*
*अधिक से अधिक धर्माराधना करके , आत्मकल्याण करके मनुष्य भव एवं 💎जैन कुल💎को सार्थक करें*
*🙏🌹सादर जय जिनेन्द्र देव की*🌺🙏
घंटाकर्ण मंत्र :-
ॐ ह्रीं घंटाकर्णो महावीर, सर्वव्याधि-विना
शकः |
विस्फोटकभयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबलः |1|
यत्र त्वं तिष्ठसे देव, लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः |
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात-पित्त-कफोद्भवाः |2|
तत्र राजभयं नास्ति, यन्ति कर्णे जपात्क्षयम् |
शाकिनी भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति न |3|
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दंश्यते |
अग्निचौरभयं नास्ति, ॐ श्रीं घंटाकर्ण !
नमोस्तु ते ! ॐ नर वीर ! ठः ठः ठः स्वाहा ||
(इस मंत्र का 21 बार जप करने से राज-भय, चोर-भय, अग्नि और सर्प - भय, सब प्रकार की भूत - प्रेत - बाधा दूर होतें हैं | सर्व विपत्ति-हर्ता मंत्र है | )
‘પ્રણ્મયશ્રી મહાવીરં, સર્વજ્ઞા દોષર્વિજતમ્
કુમતં ખંડનં કુર્વે, જૈન શાસ્ત્રવિરોધિનામં
ઘણ્ટાકર્ણમહાવીર, જૈનશાસનરક્ષકઃ
તસ્ય સહાયસિદ્ધયર્થ, વચ્મિ શાસ્ત્રાનુસારતઃ
ૐ હ્રીં શ્રીં કલીં મહાવીર ઘંટાકર્ણ મહાબલ,
આધિં વ્યાધિં વિપત્તિં ચ મહાભિંતીં વિનાશય .
ઘણ્ટાકર્ણ મહાવીર એ બાવન વીર પૈકીમાંના એક વીર છે. તે જૈન શાસક રક્ષકવીર છે. તે જૈન ધર્મમાં શ્રદ્ધા રાખતા જૈનોને સહાય કરે છે. જૈન શાસ્ત્રોમાં પરંપરાગતનું વર્ણન છે. હિન્દુ પરંપરાગતોને તેઓ સૌ માને છે. તેવી રીતે જૈનો પણ માને છે. પૂર્વાચાર્યોએ તપ આદરી મંત્રની આરાધના કરી, નવીન માણિભદ્રવીરને જૈન શાસન દેવ તરીકે સ્થાપિત કર્યા છે. પ્રભુની પ્રતિમાની નીચે દેવી હોય છે અને બહારના મંડપના ગોખલાઓમાં અનેક પ્રકારનાં શસ્ત્ર ધારણ યક્ષ- યક્ષિણીની ર્મૂિતઓ મંત્રથી પ્રતિષ્ઠિત કરેલી હોય છે. ઘણ્ટાકર્ણ વીર ચોથા ગુણસ્થાનકવાળા દેવ છે. આથી તે ગૃહસ્થ જૈન શ્રાવકના બંધુ ઠર્યા. આથી જ ગૃહસ્થ જૈનો તેમની સુખડી ખાય છે.
જૈન મુનિઓ, યતિઓ, શ્રી પૂજકો, શ્રાવકો, ઘણ્ટાકર્ણવીરના મંત્ર જપે છે અને તેમની આરાધના કરે છે. મહુડીમાં શ્રી પદ્મપ્રભુના અધિષ્ઠાયક તરીકે શ્રી ઘણ્ટાકર્ણ મહાવીરની સ્થાપના કરી છે. તે પ્રભુભક્તોને સહાયકારી થાય છે. તે બાબતના અનેક ચમત્કારો સંભળાય છે. ઘણ્ટાકર્ણ મહાવીર દેવ પહેલાં પૂર્વ ભવમાં એક આર્ય રાજા હતા. તે સતીઓનું, સાધુઓનું તેમ જ ધર્મી મનુષ્યોનું રક્ષણ કરવામાં જીવન ગાળતા હતા. દુષ્ટ રાક્ષસ જેવા મનુષ્યોના હુમલાઓથી ધર્મી પ્રજાનું રક્ષણ કરતા હતા. તેમને સુખડી પ્રિય હતી. તેઓ અતિથિઓની સેવાભક્તિ કરતા હતા અને ઘણા શૂરા હતા.
*जैन साधु की व्याख्या बहुत ही रोचकता से बतायी गयी है*
*मौका मिले तो 👆 दुबारा ऐसी बाते सुनना चाहिए !*
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सूर्य की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
Sun Mahadasha Remedy in Jain Mantra (Jain Astrology)
काल पुरुष की कुण्डली में सूर्य को आत्मा माना गया है। अगर सूर्य उत्तम हो तो कुण्डली के सभी कष्टों का नाश कर देता है। वहीं सूर्य पीडि़त हो तो जातक की साख पर सबसे पहले नुकसान आता है। किसी भी जातक की कुण्डली में सूर्य की महादशा छह साल तक चलती है।
सूर्य की महादशा (Surya Mahadasha) के अशुभ प्रभाव होने पर जातक में आत्मबल की कमी हो जाती है। जातक को निर्णय लेने में बहुत देरी लगती है। जातक के महत्वपूर्ण विषयों पर अपने पिता से मतभेद होने लगते हैं। पिता के स्वास्थ्य मे उतार चढ़ाव आ सकते है। समाज मे जातक का सम्मान कम होने लगता है। जातक उन्नति नही कर पाता है। यदि नौकरी करता है तो उसकी अपने वरिष्ठ सहकर्मियों से नही बनती हैं। जातक तक की आंखे कमजोर होने लगती। जातक के बाल झड़ने लगते हैं। जातक को हार्ट अटैक, हाइ ब्लड प्रैशर की शिकायत भी हो सकती है। जातक के जीवन में मानसिक शांति का अभाव होने लगता हैं।
सूर्य की महादशा सामान्य तौर पर उत्तम होती है। अगर कुण्डली में सूर्य पीडि़त हो और नकारात्मक परिणाम मिल रहे हों तो सूर्य नमस्कार और सूर्य को जल देने के साथ ही निम्न मंत्र दस माला का जाप नियमित रूप से करने से सूर्य ग्रह से होने वाली पीड़ा को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है।
“ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं”
इस मंत्र के साथ शांति मंत्र की एक माला का जाप भी जरूरी बताया गया है, यह मंत्र इस प्रकार है
“ऊं ह्रीं पद्मप्रभ नमस्तुभ्यं मम शांति: शांति:”
भगवान पद्मप्रभ के अधिष्ठायक देव कुसुम की उत्तर या पूर्व की ओर मुंह करके लाल वस्त्र, लाल आसन, लाल माला, लाल फूल, कुंकुंम का स्वस्तिक तथा लाल चंदन द्वारा पूजा की जानी चाहिए।
ॐ ह्रीं नमः यह छोटा सा जैन मंत्र बहुत ही शक्तिशाली और तुरंत फलदाई मंत्र अद्भुत लाभ powerful mantra ॐ ह्रीं नमः सबसे छोटा पर सबसे शक्तिशाली बीज मंत्र ॐ ह्रीं नमः यह छोटा सा जैन मंत्र बहुत ही शक्तिशाली और तुरंत फलदाई मंत्र
मोक्ष किस प्रकार मिलता है ?
अपने पाप कर्मों का संपूर्ण क्षय होने के बाद ही मोक्ष मिलता है । पुण्य से स्वर्ग के सुख मिलते हैं, धर्म क्रियाओं से पुण्य का बंध होता है। संसार में रहकर पाप कर्मों का समूल विनाश संभव नहीं । इसलिए सर्व विरति को ही धर्म कहा है । वहाँ पाप का समूल विनाश करने का बहुत अच्छा अवसर है।
मोक्ष में जितने जीव मोक्ष गए हैं उनसे अनंत गुणा जीव .....प्याज आदि कंदमूल हैं। इन विचारों को आत्मसात् करके कंदमूल का त्याग मोक्ष में जाने की चाह वाले के लिए आवश्यक है ।
मोक्ष मनुष्य गति से ही प्राप्त होता है । इसलिए जितना जल्दी हो उतना शीघ्रातिशीघ्र इस तत्व ज्ञान को समझने का, जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए।
मोक्ष कौन जा सकता है l
1 गाउ = 2000 धनुष - अधिक से अधिक 500 धनुष की कायावाला, कम से कम 2 हाथ की शरीर वाला।
एक समय में अधिक से अधिक 108 आत्माएँ मोक्ष जाती हैं। मोक्ष जाने का बंध होता है तो अधिक से अधिक 6 महीने तक बंध रहता है।
चैत्र सुदी पूनम के दिन शत्रुजय तीर्थ में पुंडरिक स्वामी के साथ 5 करोड़ मुनि मोक्ष गए।
कार्तिक सुदी पूनम के दिन शत्रुजय तीर्थ में द्राविड़-वारिखिल्ल के साथ 10 करोड़ मुनि मोक्ष गए।
आसोज की पूनम दिन शत्रुजय में 5 पाण्डवों के साथ 20 करोड़ मुक्ति को प्राप्त हुए।
आज के विज्ञान ने एक सेकंड के अरब अरब अरब अरब करोड़वें भाग को Plank Second कहा है । जैन धर्म की परिभाषा में समय इससे भी सूक्ष्म है । एक समय में 108 से अधिक मोक्ष नहीं जाते हैं । किन्तु एक सेकंड के अरबवें भाग में करोड़ों जीव मोक्ष जाते ही हैं। अपनी बुद्धि में 20 करोड़ जीव एक साथ मोक्ष गये ऐसा लगता है।
चौथे आरे में जन्मा हुआ जीव पांचवे आरे में मोक्ष गया
है । गौतम स्वामी भगवान महावीर के मोक्ष जाने के 12 वर्ष बाद मोक्ष गये ।
सुधर्मास्वामी 20 वर्ष बाद और जंबुस्वामी 64 वर्ष बाद भरत वर्ष में से मोक्ष गए।
मोक्ष सिर्फ 15 कर्मभूमि में ही होता है। इससे बाहर होता ही नहीं है । यह नियम है । अढाई द्वीप का प्रमाण 45 लाख योजन है । उसके चारें ओर मानुषोत्तर पर्वत है। उसके बाहर कोई भी मानव का जन्म या मरण नहीं होता।
मोक्ष में संपूर्ण स्वभाव प्रकट होने से वहाँ किसी प्रकार का कोई दुःख नहीं है । वहां संतोष, तृप्ति आदि आत्मिक गुणों का विकास है । वहाँ शांति, समाधि, प्रसन्नता है । दोष के जागरण में दुःख और गुणप्राप्ति में आनंद है।
इच्छा हो वहां दुःख आता ही है, क्योंकि सर्व दुःखों का मूल ही इच्छा है । एक ही इच्छा करना है कि - मैं अनिच्छा वाला बनूँ। (Desire to be Desire less.)
कपिल दो मासा सोना लेने गया था, इच्छा बढ़ती गई, दुःखी होता गया । अंतर से शुभ भाव की धारा बह चली, केवल ज्ञानी हो गया, कुछ समय बाद मोक्ष चला गया।
भव्य जीव ही मोक्ष जाते हैं लेकिन सभी भव्य जीव मोक्ष जाते ही हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है । इसलिए पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए।
भव्य जीव आठवें अनंता है । अभव्य चौथा अनंता है और मोक्ष में पांचवा अनंता जीव गए हैं । इसलिए सभी भव्य जीव मोक्ष नहीं जाते । अन्यथा मोक्ष जाने वाले जीव आठवें अनंता कहे जाते।
जहां नए कर्म बंधे होते हैं वहां दुर्गति, जहां बहुत सारे कर्म नाश होते हैं वह सद्गति।
देव गति के और नरक गति के जीव चौथे गुणस्थानक से आगे नहीं जा सकते हैं।
तिर्यंच गति के जीव पांचवे गुणस्थानक से आगे नहीं जा सकते।
सात लाख सुत्र का क्रम गुणस्थानक के आधार पर बनाया गया है, ऐसा लगता है।
It is Jainism which provides us a day to wash-out bitter experience of past on this auspicious day of Samvatsari (Forgiveness day).
If by my thoughts, words or actions, I have hurt you intentionally or unintentionally during the course of the year or before that, I seek your whole hearted forgiveness with folded hands.
Micchami Dukkdam! 🙏🏻
कल सड़क से गुजर रहा था।
कड़ी चिलचिलाती धूप और इस जाल में जीवन के अंतिम सफर पर निकलते यह प्राणी।
हम आलू तरोई भिंडी लेते हैं तो भी ध्यान से देखते हैं कि आलू हरा तो नहीं है।
भिंडी ताजी है या नहीं,लौकी में अक्सर नाखून गड़ाकर देखता हूं कि नरम है या नहीं।
यह सब मुर्गियां बीमार कमजोर दिख रही है।
इनके पंख उखड़ चुके हैं।
नीचे लाल लाल त्वचा झलक रही है।
मुझे बहुत खराब लगा।
मुझे उस दिन की बात याद आ गई जब शाम को मैंने काम वाली बाई से कहा कि चाय बना लाओ।
तुलसी की पत्तियां डाल लेना।
वो गई और फिर लौटकर आई और कहा - साब शाम हो गई है तुलसी..।ल?
उसकी बात पूरी हो इससे पहले मैंने कह दिया कि तुलसी के पत्ते रहने दो।
शाम को पौधे सो जाते हैं।
यह बात हमारी मां ने भी बताई थी , उसकी मां ने भी बताई ही होगी।
कुछ माएं रात में पौधों को छूने को भी मना करती हैं।
और कुछ मांए गर्दन रेतने को प्रेरित करती है।
जब माएं भी एक जैसी नहीं होती।
तो क्या ईश्वर अल्लाह एक जैसे होते होंगे?
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