Jay Raja Bhoj Butibori
His kingdom was centered around the region in central India.
दिनांक: १२-२ २०२४ ला. चक्रवर्ती सम्राट श्री राजा भोज जी परमार यांची जयंती होती. त्या जयंती ला साजरी करण्या कारिता सर्व पवार समाज कार्यकर्ता व सर्व बंदु व बघिनी यानि सुकली (बेलदार) या गवा मधे जयंती चा सोहळा पार पडला . तसेच बाहेरून मान्यवर अतिधि उपस्तित होते याचे मी आभार व्यक्त करतो । सर्वानी छान माँ गडकालिका आरती मधे आंनद व मनोकामना व्यक्त केले.
* जय राजा भोज । जय माँ गड कालिका माता ।
✨यशाची रोषणाई🪔
🌼कीर्तीचे अभ्यंग स्नान🌞
💛मनाचे लक्ष्मिपुजन💰
🪅समृद्धीचे फराळ🥟
😊प्रेमाची भाऊबीज👩🏻🤝👨🏼
🙏🏻अशा मंगल दिवाळीच्या खूप खूप शुभेच्छा🙏🏻
🎇🧨🎁🛍️🧡🤩
श्री. माननीय महेन्द्र भाऊ पारधी , अध्यक्ष पोवार समाज बटीबोरी , याना वाढदिवसाच्या हार्दिक हार्दिक शुभेच्या.🎂✨🎂✨🎂✨🎂@ Mahendra Pardhi
🙏 जय राजा भोज 🙏 जय गडकलिका माता 🙏
'Freedom cannot be bought by money. We earned ours through years of struggle against the British Raj. Let us remember all those who fought for our country. Jai Hind!'
🙏🙏
Guru is knowledge. Guru is love. Guru is light. There is no difference between Guru, God and the Soul. Happy Guru Purnima!
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आषाढी एकादशीच्या शुभ मुहूर्तावर तुम्हाला आणि तुमच्या परिवारास आषाढी एकादशी 2022 च्या हार्दिक शुभेच्छा देऊन भगवान विठ्ठल तुम्हाला आणि तुमच्या परिवारास आशीर्वाद देवो!.
Ramayan Chaupai : 2
Jay Raja Bhoj 🙏🚩🚩🙏
Jay Shree Ram 🙏🚩🚩🙏
🚩🚩JAY SHREE RAM 🚩🚩
Sabhi desh bhakto ko Jay Raja Bhoj .
Aj yah video post karne ka karan tak hai ki hum is model world me apne sanskruti ko bhul jane lage hai.. to yahi bate ko dekhte huye ap sabhi ke liye aj yak ramayan ki First Chaupai ..
Is tarah Ramayan ki sabhi chaupai ka video is Jay Raja Bhoj Butibori ke page par upload kiya jayega
वर्ष 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच यह युद्ध हुआ। अकबर की सेना को मानसिंह लीड कर रहे थे। इतिहास के अनुसार मानसिंह के साथ 10 हजार घुड़सवार और हजारों पैदल सैनिक थे। लेकिन महाराणा प्रताप 3 हजार घुड़सवारों और मुट्ठी भर पैदल सैनिकों के साथ लड़ रहे थे। इस दौरान मानसिंह की सेना की तरफ से महाराणा पर वार किया जिसे, महाराणा के वफादार हकीम खान सूर ने अपने ऊपर ले लिया और उनकी जान बचा ली थी।
Akshaya Tritiya is a very important Hindu festival celebrated every year, as per the Hindu calendar, on Tritiya Tithi (third day) of Shukla Paksha of Vaishakh month.
Akshaya Tritiya is also popularly known ad Akha Teej and is believed to mark the birth anniversary (Parshuram Jayanti) of Lord Parshuram, sixth incarnation of Lord Vishnu...
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1 मे 1960 रोजी मुंबईसह संयुक्त महाराष्ट्र राज्यातची निर्मिती झाली. त्यामुळे हा दिवस महाराष्ट्र दिन (Maharashtra Day) म्हणून साजरा केला जातो. हा दिवस मराठी माणसाचा आणि तो मोठ्या उत्साहाने साजरा केला जातो. या दिवशी राज्यात सार्वजनिक सुट्टी असते. महाराष्ट्राच्या निर्मितीसाठी बलिदान दिलेल्या 106 हुतात्म्यांचं स्मरण या दिवशी केलं जातं. 1 मे हा दिवस आंतरराष्ट्रीय कामदार दिन (International Workers Day) म्हणूनही ओळखला जातो.
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Jamsavli Mandir history in Hindi – मंदिर से जुड़ा इतिहास
मध्य प्रदेश का जामसांवली मंदिर (Jamsavli Mandir) की खास बात ये है कि यहां हनुमान जी (Shree Hanuman ji) की मूर्ति निद्रा अवस्था में है। ऐसी किवदंति है कि सालों पहले यहां चोरी करने के लिए कुछ चोर पहुंचे थे। उन्हें पता चला कि इस प्रतिमा के नीचे बहुत धन है। उस समय ये मूर्ति खड़ी अवस्था में थी। चोरों ने तब मूर्ति हटाने का प्रयास किया। इसी दौरान सामग्री को चोरी से बचाने के लिए हनुमान जी की मूर्ति लेट गई।
अद्भुत श्री हनुमान मंदिर आस्था और विश्वास का केंद्र है, जहां सच्चे मन से आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। स्वयं श्री हनुमान जी निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। स्वामी श्री हनुमान की मूर्ति और इसकी स्थापना किसने की, इसका कोई प्रमाण नहीं है। तथ्य के अनुसार स्वयं स्वामी श्री हनुमान प्रकट हुए। जामसांवली मंदिर (Jamsavli Mandir) के इतिहास में 100 साल पहले राजस्व अभिलेखों में महावीर हनुमान का उल्लेख पीपल के पेड़ के नीचे आया था।
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
[1] यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। [क] १२३५ ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।..
1. विक्रम संवत अनुसार अवंतिका (उज्जैन) के महाराजाधिराज राजा विक्रमादित्य आज से (2021 से) 2292 वर्ष पूर्व हुए थे। कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। -(गीता प्रेस, गोरखपुर भविष्यपुराण, पृष्ठ 245)। कल्हण की 'राजतरंगिणी' के अनुसार 14 ई. के आसपास कश्मीर में अंध्र युधिष्ठिर वंश के राजा हिरण्य के नि:संतान मर जाने पर अराजकता फैल गई थी। जिसको देखकर वहां के मंत्रियों की सलाह से उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने मातृगुप्त को कश्मीर का राज्य संभालने के लिए भेजा था। नेपाली राजवंशावली अनुसार नेपाल के राजा अंशुवर्मन के समय (ईसापूर्व पहली शताब्दी) में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नेपाल आने का उल्लेख मिलता है।
2. विक्रमादित्य का नाम विक्रम सेन था। नाबोवाहन के पुत्र राजा गंधर्वसेन भी चक्रवर्ती सम्राट थे। गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमादित्य और भर्तृहरी थे। उनके पिता को महेंद्रादित्य भी कहते थे। उनके और भी नाम थे जैसे गर्द भिल्ल, गदर्भवेष। विक्रम की माता का नाम सौम्यदर्शना था जिन्हें वीरमती और मदनरेखा भी कहते थे। उनकी एक बहन थी जिसे मैनावती कहते थे।
🚩🚩 Jay Raja Bhoj . 🚩🚩🚩
मध्यप्रदेश के उज्जैन के कालीघाट स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है। गढ़ नामक स्थान पर होने के कारण गढ़ कालिका हो गया है। आओ जानते हैं इस मंदिर की 3 चमत्कारिक बातें।
1. तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। मंदिर के कुछ अंश का जीर्णोद्धार ई.सं. 606 के लगभग सम्राट श्रीहर्ष ने करवाया था। स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया। कालिकाजी के इस स्थान पर गोपाल मंदिर से सीधे यहां जाया जा सकता है।
2. उज्जैन में दो शक्तिपीठ माने गए हैं पहला हरसिद्धि माता और दूसरा गढ़कालिका माता का शक्तिपीठ। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। कहते हैं कि हरसिद्धि का मंदिर वहां स्थित है जहां सती के शरीर का अंश अर्थात हाथ की कोहनी आकर गिर गई थी। अत: इस स्थल को भी शक्तिपीठ के अंतर्गत माना जाता है। इस देवी मंदिर का पुराणों में भी वर्णन मिलता है
3. लिंग पुराण में कथा है कि जिस समय रामचंद्रजी युद्ध में विजयी होकर अयोध्या जा रहे थे, वे रुद्रसागर तट के निकट ठहरे थे। इसी रात्रि को भगवती कालिका भक्ष्य की शोध में निकली हुईं इधर आ पहुंचीं और हनुमान को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु हनुमान ने महान भीषण रूप धारण कर लिया। तब देवी वहां से चली गई। जाते समय अंश गालित होकर पड़ गया। जो अंश पड़ा रह गया, वही स्थान कालिका के नाम से विख्यात है।
मां अंजनी के तुम हो राजदुलारे
राम-सीता को लगते सबसे प्यारे
हैप्पी हनुमान जयंती 2022
जिनके मन में श्रीराम है,
भाग्य में उसके वैकुण्ठ धाम है,
उनके चरणो में जिसने जीवन वार दिया,
संसार में उसका कल्याण है।
राम नवमी की शुभकामनाएं !
🚩🚩May Lord Rama’s heavenly favour always be with you. I wish you and your loved ones a very Happy Ram Navami.
🚩🚩
On the occasion of Chaitra Navratri, I wish the Goddess Durga is there to shower her blessings and love on your and your family. A very Happy Chaitra Navratri to you.
गुढीपाडवा (Gudi Padwa 2022) म्हणजे हिंदू नववर्षाचा (New Year) पहिला दिवस. चैत्र महिन्याची सुरुवात ज्या दिवसाने होते त्या दिवशी गुढीपाडवा सण साजरा केला जातो. महाराष्ट्रात (Maharashtra) गुढीपाडवा सण मोठ्या उत्साहात आणि पारंपारिक पद्धतीने साजरा केला जातो. अगदी लहान मुलांपासून ते वयोवृद्धांपर्यंत सर्वजण मराठमोळ्या पद्धतीने कपडे परिधान करुन नव वर्षाचे स्वागत करतात. त्याचप्रमाणे नववर्षानिमित्त काढण्यात आलेल्या मिरवणुकीत सहभागी होतात. त्याचसोबत एकमेकांना नववर्षाच्या शुभेच्छा देतात
नवीन पल्लवी वृषलतांची,
नवीन आशा नववर्षाची,
चंद्रकोरही नवीन दिसते,
नवीन घडी ही आनंदाची,
गुढीपाडव्याच्या हार्दिक शुभेच्छा!
Salute to our soldiers who never thought about themselves but always thought about the country. Warm wishes on Martyrs’ Day.
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