Videos by फख्र -ए- मेवात فخـــرِ مــیـــوات in Nuh. NUH MEWAT
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Mewat वालो आऔ हमारे साथ_सिम पोर्ट कराने ( जरूर सुने .. )... #highlightseveryone #Mewati #mewativideo
FAKHR-E-MEWAT
"मेवात विकास सभा"
की नई कार्यकारिणी का गठन बीते कल यानी शानिवार को नूंह स्थित अलिफ़ इंटरनेशनल स्कूल में सम्पन्न हुआ ।
जिसमे मुझे मेवात विकास सभा का महासचिव (General Secretary) बनाया गया, मुझे जिस जुम्मेवारी से नवाजा गया हैं , मैं उसके अहल नही था। मेरी कोशिश रहेगी की अपना काम पूरी ईमानदारी से करू, सभी का बेहद शुक्रिया ।।
उम्मीद करते हैं की मेवात के मुद्दों को पूरे मन से, पूरी ईमानदारी से उठाया जाएगा, मेवात विकास सभा ना किसी नेता के ख़िलाफ़ हैं ना ही किसी के साथ हैं ,हम
मेवात की भलाई के लिए हमेशा काम करते हैं औऱ करते रहेंगे इन्शाअल्लाह
इस बार सभा का दायरा दिल्ली,राजस्थान तक भी बढ़ाया है, औऱ बढ़ाएंगे अभी हमे सभी ब्लॉक कमेटी बनानी है, अभी सभा के तकरीबन 10 उपाध्यक्ष औऱ बनने हैं ,जो भी भाई किसी भी ब्लॉक का हो औऱ वो सभा के साथ जुड़ना चाहता है उसका खैरमक़दम हैं ।
अध्यक्ष - अख़्तर हुसैन ‘चंदेनी’
अरीबा नोमान,,109 वीं रैंक हासिल की,,,,,
Ghufran Ahmed सैफी की भांजी अरीबा नोमान ने सिविल सर्विसेज़ परीक्षा में 109वीं रैंक लाकर पूरे देश में सुल्तानपुर का मान बढ़ाया..
हमारी और अनूप सन्डा ब्रिगेड के समस्त साथियों की तरफ से बिटिया को इस शानदार उपलब्धि के लिए अनंत शुभकामनाएं और बधाइयां..💐💐💐💐💐
,,शेर शाह सूरी,,, और भारत
यह तस्वीर शेर शाह सूरी की है ।
शेर शाह सूरी ने सिर्फ़ पाँच साल, पाँच दिन राज किया था, इस बीच वो 31 महीने युद्ध की वजह से राजधानी दिल्ली से दूर रहे थे। इसके बाद भी, उन्होंने सिर्फ़ 5 सालों में जो कर दिखाया, वो आज भी किसी रिकॉर्ड से कम नहीं है।
उन्होंने, पूरे राज्य में ज़मीन के सर्वे और मपाई का सिस्टम शुरू किया। खेती की ज़मीन को नापने के लिए 39 इंच के लोहे की छड़ का स्टैंडर्ड तय किया, जिसे गज़ कहा गया। (सिकंदर गज़ नाम की इस छड़ का सिस्टम आज तक इस्तेमाल होता है) ज़मीन की ख़रीद बिक्री के लिए पट्टा सिस्टम लागू किया।
उन्होंने, रुपया का सिस्टम शुरू किया, जो 178 रत्ती, चाँदी का सिक्का था। एक रुपया 64 दाम का था। इसी दाम को बाद में ‘आना’ कहा गया, भारत मे रुपया शेर शाह सूरी की देन है।
राज्य में, 47 जिले बनाए, जिन्हें सरकार कहा जाता था। हर जिले यानि सरकार में एक फ़ौजी अफ़सर (शिक़दर-ए-शिक़दरान) और