A2P Creations present ..Kurum"pah"

हम लाये स्वादिष्ट और स्वच्छ खाना एक दम देशी तरीके से, अच्छे और मशहूर कारीगरों द्वारा तैयार देशी भोजन

15/04/2024

आज के युवा पीढ़ी इस तरह की रातें गुजारने को तरसते होंगे,

हर शाम जाकर छत पर पानी डालकर उसके धरती को ठंड करते थे, फिर एक - एक कर के तकिया, बिछावन और हाँ मच्छरदानी पहुंचाते थे, ज़ब तक पापा बिछावन लगाते तब तक फटाफट से खाना खा कर चढ़ जाते थे छत पर और बस इसी तरह तारों को देख कर बतीयाना अपनों के साथ।

धीरे धीरे निद्रा लोक में और देर रात्रि हवा में ठंडक 👌🏻
AC फेल है इस हवा के आगे। 😊

आप बताएं, किस-किस ने छत पर सोने का लुफ्त उठाया है? 😊
#शेयर करें अपनो के साथ 💐

22/03/2024

A2P Creations present ..Kurum"pah" Arvind Kumar Pandey Highlighted Arvind Kumar Pandey

21/03/2024
06/03/2024

A2P Creations present ..Kurum"pah" Prashant Pathak Kumud Pandey Upendra Pandey Arvind Kumar Pandey Highlighted Arvind Kumar Pandey Padrauna-Kushinagar

26/02/2024

अलविदा पंकज उधास जी ।💐🙏

सौम्य मुस्कान और शानदार आवाज के गायक पंकज जी बड़े हौले से श्रोताओं के दिलों में एक बार उतरते और जीवनभर मधुर ग़ज़लों के साथ स्थाई निवास कर लेते ।

चिट्ठी आईं है से लोकप्रिय हुए और जल्दी ही एक के बाद एक ग़ज़लों से घर घर सुने जाने लगे ।

चांदी जैसा रँग है तेरा, न कज़रे की धार, एक तरफ उसका घर, थोड़ी थोड़ी पीया करो, तुमने रख तो ली तस्वीर हमारी, आहिस्ता कीजे बातें, सबको मालूम है , मैं नशे में हूँ .....

एक से बढ़कर एक गीत ग़ज़ल के रूप में पंकज उधास हम सबके बीच सदा रहँगे ।

ॐ शांति शांति
💐🙏

20/02/2024

हमारे प्रिय भांजे सत्यम को जन्मदिबस की हार्दिक शुभकामनाएं
A2P Creations present ..Kurum"pah" Rekha Pandey Upendra Pandey Upendra Kumar Pandey Kumud Pandey Prashant Pathak

19/02/2024

तालाब के उस पार वाले अरेंज मैरेज है !
तालाब के इस पार वाले लव मैरेज है !!

बस इतना ही अंतर है शादी मे

सावधान रहे सतर्क रहे!!!😃😃

19/02/2024

का खौफ...
नोएडा के एक फाइवस्टार हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम ने पेशेंट को तुरंत बायपास सर्जरी करवाने की सलाह दी.... पेशेंट बहुत नर्वस हो गया किंतु तुरंत तैयारी में लग गया.....
ऑपरेशन के पहले वाले सारे टेस्ट हो जाने के बाद डॉक्टर की टीम ने बजट बताया....*18 लाख*.... जो कि पेशेंट और परिवार वालों को बहुत ही ज्यादा लगा...
लेकिन... "जान है तो जहान है"... यह सोचकर वह फॉर्म भरने लगा... फार्म भरते भरते व्यवसाय का कॉलम आया तो आपरेशन की टेंशन....और रूपये के इंतजाम की उधेड़बुन में.... ना जाने क्या सोचते सोचते या पता नहीं किस जल्दबाजी में... उसने उस कॉलम के आगे " *E.D."* लिख दिया....
और फिर तो... अचानक हॉस्पिटल का वातावरण ही बदल गया...
डॉक्टरों की दुसरी टीम चेकअप करने आयी... रीचेकिंग हुई... टेस्ट दोबारा करवाए गए... और... टीम ने घोषित किया कि ऑपरेशन की जरूरत नहीं है... मेडिसिन खाते रहिये ब्लॉकेज निकल जायेगा।
पेशेंट को रवाना करने से पहले तीन महीने की दवाइयाँ फ्री दी गई और चैकअप और टेस्ट फीस में भी जबरदस्त 'डिस्काउँट' दिया गया....।

इस बात को छः महीने हो गये... पेशेन्ट अब भला चंगा है... कभी-कभी उस हॉस्पिटल में चैकअप के लिये चला जाता है... उस दिन के बाद उसका चैकअप भी फ्री होता है....और बिना चाय पिलाये तो डॉक्टर आने ही नहीं देते...
पेशेंट बहुत खुश है हॉस्पिटल के इस व्यवहार से... गाहे बगाहे लोगो के आगे इस अस्पताल की तारीफ करता रहता है....

पर कई बार ये सोच कर बहुत हैरान होता है कि...25 साल हो गये उसे नौकरी करते... पर... Educatuon Department (E.D.) का एम्प्लॉई होने की वजह से इतनी इज्जत.....इतना सम्मान तो उसके परिवार वालों ने भी कभी नहीं दिया।
(वाट्सएप से साभार)
शेयर करके आप भी किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं
😁😁😂😂😁😁

A2P Creations present ..Kurum"pah"

13/02/2024

पाटण की रानी #रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर 👉 #दिल निकाल लिया था, और कर्णावती शहर के बिच में टांग दिया था, ओर
👉धड से #सर अलग करके पाटन राज्य के बीचोबीच टांग दिया था।

गुजरात से कर्णावती के राजा थे, #राणा_वीर_सिंह_वाघेला( #सोलंकी ), ईस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे, पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फ़ौज
२ घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा।

असल मे कहते है सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पे थी, रानी बहुत सुंदर थी, वो रानी को युद्ध मे जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया।

राज्य का एक साहूकार इस बार सुलतान बेघारा से जा मिला, और राज्य की सारी गुप्त सूचनाएं सुलतान को दे दी, इस बार युद्ध मे राणा वीर सिंह वाघेला को सुलतान ने छल से हरा दिया जिससे राणा वीर सिंह उस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए।

सुलतान बेघारा रानी रुदाबाई को अपनी वासना का शिकार बनाने हेतु राणा जी के महल की ओर 10000 से अधिक लश्कर लेकर पंहुचा, रानी रूदा बाई के पास शाह ने अपने दूत के जरिये निकाह प्रस्ताव रखा,

रानी रुदाबाई ने महल के ऊपर छावणी बनाई थी जिसमे 2500 धर्धारी वीरांगनाये थी, जो रानी रूदा बाई का इशारा पाते ही लश्कर पर हमला करने को तैयार थी, सुलतान बेघारा को महल द्वार के अन्दर आने का न्यौता दिया गया।

सुल्तान बेघारा वासना मे अंधा होकर वैसा ही किया जैसे ही वो दुर्ग के अंदर आया राणी ने समय न गंवाते हुए सुल्तान बेघारा के सीने में खंजर उतार दिया और उधर छावनी से तीरों की वर्षा होने लगी जिससे शाह का लश्कर बचकर वापस नहीं जा पाया।

सुलतान बेघारा का सीना फाड़ कर रानी रुदाबाई ने कलेजा निकाल कर कर्णावती शहर के बीचोबीच लटकवा दिया।

और..उसके सर को धड से अलग करके पाटण राज्य के बिच टंगवा दिया साथ ही यह चेतावनी भी दी की कोई भी आक्रांता भारतवर्ष पर या हिन्दू नारी पर बुरी नज़र डालेगा तो उसका यही हाल होगा।

इस युद्ध के बाद रानी रुदाबाई ने राजपाठ सुरक्षित हाथों में सौंपकर कर जल समाधि ले ली, ताकि कोई भी तुर्क आक्रांता उन्हें अपवित्र न कर पाए।

ये देश नमन करता है रानी रुदाबाई को, गुजरात के लोग तो जानते होंगे इनके बारे में। ऐसे ही कोई क्षत्रिय और क्षत्राणी नहीं होता, हमारे पुर्वज और विरांगानाये ऐसा कर्म कर क्षत्रिय वंश का मान रखा है और धर्म बचाया है।

जय रक्त राजपुताना🚩🚩
🗡🗡 भरत सिंह

10/02/2024

#विश्व_इतिहास में एकलौता उदाहरण .

हमने सुनी कहानी थी।
"हाड़ी-रानी"
"सिसोदिया कुलभूषण, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा राजसिंह को रूपनगर की राजकुमारी का प्रणाम। महाराज को विदित हो कि मुगल औरंगजेब ने मुझसे विवाह का आदेश भेजा है। आप वर्तमान समय में क्षत्रियों के सर्वमान्य नायक हैं। आप बताएं, क्या पवित्र कुल की यह कन्या उस मलेच्छ का वरण करे? क्या एक राजहंसिनी एक गिद्ध के साथ जाए?
महाराज! मैं आपसे अपने पाणिग्रहण का निवेदन करती हूँ। मुझे स्वीकार करना या अस्वीकार करना आपके ऊपर है, पर मैंने आपको पति रूप में स्वीकार कर लिया है। अब मेरी रक्षा का भार आपके ऊपर है। आप यदि समय से मेरी रक्षा के लिए न आये तो मुझे आत्महत्या करनी होगी। अब आपकी...."
मेवाड़ की राजसभा में रूपनगर के राजपुरोहित ने जब पत्र को पढ़ कर समाप्त किया तो जाने कैसे सभासदों की कमर में बंधी सैकड़ों तलवारें खनखना उठीं।
महाराज राजसिंह अब प्रौढ़ हो चुके थे। अब विवाह की न आयु बची थी न इच्छा, किन्तु राजकुमारी के निवेदन को अस्वीकार करना भी सम्भव नहीं था। वह प्रत्येक निर्बल की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझने वाले राजपूतों की सभा थी। वह अपनी प्रतिष्ठा के लिए सैकड़ों बार शीश चढ़ाने वाले क्षत्रियों की सभा थी। फिर एक क्षत्रिय बालिका के इस समर्पण भरे निवेदन को अस्वीकार करना कहाँ सम्भव था! पर विवाह...? महाराणा चिंतित हुए।
महाराणा मौन थे पर राजसभा मुखर थी। सब ने सामूहिक स्वर में कहा, "राजकुमारी की प्रतिष्ठा की रक्षा करनी ही होगी महाराज! अन्यथा यह राजसभा भविष्य के सामने सदैव अपराधी बनी कायरों की भाँती खड़ी रहेगी। हमें रूपनगर कूच करना ही होगा।
महाराणा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, "हम सभासदों की भावना का सम्मान करते हैं। राजकुमारी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, और हम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेंगे। राजकुमारी की रक्षा के लिए आगे आने का सीधा अर्थ है औरंगजेब से युद्ध करना, सो सभी सरदारों को युद्ध के लिए तैयार होने का सन्देश भेज दिया जाय। हम कल ही रूपनगर के लिए कूच करेंगे।
महाराणा रूपनगर के लिए निकले, और इधर औरंगजेब की सेना उदयपुर के लिए निकली। युद्ध अब अवश्यम्भावी था।
सलूम्बर के सरदार रतन सिंह चुण्डावत के यहाँ जब महाराणा का संदेश पहुँचा, तब रतन सिंह घर की स्त्रियों के बीच नवविवाहिता पत्नी के साथ बैठे विवाह के बाद चलने वाले मनोरंजक खेल खेल रहे थे। उनके विवाह को अभी कुल छह दिन हुए थे। उन्होंने जब महाराणा का सन्देश पढ़ा तो काँप उठे। औरंगजेब से युद्ध का अर्थ आत्मोत्सर्ग था, यह वे खूब समझ रहे थे। खेल रुक गया, स्त्रियाँ अपने-अपने कक्षों में चली गईं। सरदार रतन सिंह की आँखों के आगे पत्नी का सुंदर मुखड़ा नाचने लगा। उनकी पत्नी बूंदी के हाड़ा सरदारों की बेटी थी, अद्भुत सौंदर्य की मालकिन...
प्रातः काल मे मेघों की ओट में छिपे सूर्य की उलझी हुई किरणों जैसी सुंदर केशराशि, पूर्णिमा के चन्द्र जैसा चमकता ललाट, दही से भरे मिट्टी के कलशों जैसे कपोल, अरुई के पत्ते पर ठहरी जल की दो बड़ी-बड़ी बूंदों सी आँखे, और उनकी रक्षा को खड़ी आल्हा और ऊदल की दो तलवारों सी भौहें, प्रयागराज में गले मिल रही गङ्गा-यमुना की धाराओं की तरह लिपटे दो अधर, नाचते चाक पर कुम्हार के हाथ में खेलती कच्ची सुराही सी गर्दन... ईश्वर ने हाड़ी रानी को जैसे पूरी श्रद्धा से बनाया था। सरदार उन्हें भूल कर युद्ध को कैसे जाता?
रतन सिंह ने दूत को विश्राम करने के लिए कहा और पत्नी के कक्ष में आये। सप्ताह भर पूर्व वधु बन कर आई हाड़ी रानी से महाराणा का संदेश बताते समय बार-बार काँप उठते थे रतन सिंह, पर रानी के चेहरे की चमक बढ़ती जाती थी। पूरा सन्देश सुनने के बार सोलह वर्ष की हाड़ा राजकुमारी ने कहा, " किसी क्षत्राणी के लिए सबसे सौभाग्य का दिन वही होता है जब वह अपने हाथों से अपने पति के मस्तक पर तिलक लगा कर उन्हें युद्ध भूमि में भेजती है। मैं सौभाग्यशाली हूँ जो विवाह के सप्ताह भर के अंदर ही मुझे यह महान अवसर प्राप्त हो रहा है। निकलने की तैयारी कीजिये सरदार! मैं यहाँ आपकी विजय के लिए प्रार्थना और आपकी वापसी की प्रतीक्षा करूंगी।"
रतन सिंह ने उदास शब्दों में कहा, "आपको छोड़ कर जाने की इच्छा नहीं हो रही है।युद्ध क्षेत्र में भी आपकी बड़ी याद आएगी! सोचता हूँ, मेरे बिना आप कैसे रहेंगी।"
रानी का मस्तक गर्व से चमक उठा था। कहा," मेरी चिन्ता न कीजिये स्वामी! अपने कर्तव्य की ओर देखिये। मैं वैसे ही रहूंगी जैसे अन्य योद्धाओं की पत्नियाँ रहेंगी। और फिर कितने दिनों की बात ही है, युद्ध के बाद तो पुनः आप मेरे ही संग होंगे न!"
रतन सिंह ने कोई उत्तर नहीं दिया। वे अपनी टुकड़ी को निर्देश देने और युद्ध के लिए कूच करने की तैयारी में लग गए। अगली सुबह प्रस्थान के समय जब रानी ने उन्हें तिलक लगाया तो रतन सिंह ने अनायास ही पत्नी को गले लगा लिया। दोनों मुस्कुराए, फिर रतन सिंह निकल गए।
तीसरे दिन युद्ध भूमि से एक दूत रतन सिंह का पत्र लेकर सलूम्बर पहुँचा। पत्र हाड़ी रानी के लिए था। लिखा था-
" आज हमारी सेना युद्ध के पूरी तरह तैयार खड़ी है। सम्भव है दूसरे या तीसरे दिन औरंगजेब की सेना से भेंट हो जाय। महाराणा रूपनगर गए हैं सो उनकी अनुपस्थिति में राज्य की रक्षा हमारे ही जिम्मे है। आपका मुखड़ा पल भर के लिए भी आँखों से ओझल नहीं होता है। आपके निकट था तो कह नहीं पाया, अभी आपसे दूर हूँ तो बिना कहे रहा नहीं जा रहा है। मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ। आपका- सरदार रतन सिंह चूंडावत।"
रानी पत्र पढ़ कर मुस्कुरा उठीं। किसी से स्वयं के लिए यह सुनना कि "मैं आपको बहुत प्रेम करता हूँ" भाँग से भी अधिक मता देता है। रानी ने उत्तर देने के लिए कागज उठाया और बस इतना ही लिखा-
"आपकी और केवल आपकी...."
पत्रवाहक उत्तर ले कर चला गया। दो दिन के बाद पुनः पत्रवाहक रानी के लिए पत्र ले कर आया। इसबार रतन सिंह ने लिखा था-
"उसदिन के आपके पत्र ने मदहोश कर दिया है। लगता है जैसे मैं आपके पास ही हूँ। हमारी तलवार मुगल सैनिकों के सरों की प्रतीक्षा कर रही है। कल राजकुमारी का महाराणा के साथ विवाह है। औरंगजेब की सेना भी कल तक पहुँच जाएगी। औरंगजेब भड़का हुआ है, सो युद्ध भयानक होगा। मुझे स्वयं की चिन्ता नहीं, केवल आपकी चिन्ता सताती है।"
रानी ने पत्र पढ़ा, पर मुस्कुरा न सकीं। आज उन्होंने कोई उत्तर भी नहीं भेजा। पत्रवाहक लौट गया। अगले दिन सन्ध्या के समय पत्रवाहक पुनः पत्र लेकर उपस्थित था। रानी ने उदास हो कर पत्र खोला। लिखा था-
"औरंगजेब की सेना पहुँच चुकी। प्रातः काल मे ही युद्ध प्रारम्भ हो जाएगा। मैं वापस लौटूंगा या नहीं, यह अब नियति ही जानती है। अब शायद पत्र लिखने का मौका न मिले,सो आज पुनः कहता हूँ, मैंने अपने जीवन मे सबसे अधिक प्रेम आपसे ही किया है। सोचता हूँ, यदि युद्ध में मैं वीरगति प्राप्त कर लूँ तो आपका क्या होगा। एक बात पूछूँ- यदि मैं न रहा तो क्या आप मुझे भूल जाएंगी? आपका- रतन सिंह।"
हाड़ा रानी गम्भीर हुईं। वे समझ चुकीं थीं कि रतन सिंह उनके मोह में फँस कर अपने कर्तव्य से दूर हो रहे हैं। उन्होंने पल भर में ही अपना कर्तव्य निश्चित कर लिया। उन्होंने सरदार रतन सिंह के नाम एक पत्र लिखा, फिर पत्रवाहक को अपने पास बुलवाया। पत्रवाहक ने जब रानी का मुख देखा तो काँप उठा। शरीर का सारा रक्त जैसे रानी के मुख पर चढ़ आया था, केश हवा में ऐसे उड़ रहे थे जैसे आंधी चल रही हो। सोलह वर्ष की लड़की जैसे साक्षात दुर्गा लग रही थी। उन्होंने गम्भीर स्वर में पत्रवाहक से कहा-"मेरा एक कार्य करोगे भइया?"
पत्रवाहक के हाथ अनायास ही जुड़ गए थे। कहा, "आदेश करो बहन"
"मेरा यह पत्र और एक वस्तु सरदार तक पहुँचा दीजिये।"
पत्रवाहक ने हाँ में सर हिलाया। रानी ने आगे बढ़ कर एक झटके से उसकी कमर से तलवार खींच ली, और एक भरपूर हाथ अपनी ही गर्दन पर चलाया। हाड़ी रानी का शीश कट कर दूर जा गिरा। पत्रवाहक भय से चिल्ला उठा, उसके रोंगटे खड़े गए थे।
अगले दिन पत्रवाहक सीधे युद्धभूमि में रतन सिंह के पास पहुँचा और हाड़ी रानी की पोटली दी। रतन सिंह ने मुस्कुराते हुए लकड़ी का वह डब्बा खोला, पर खुलते ही चिल्ला उठे। डब्बे में रानी का कटा हुआ शीश रखा था। सरदार ने जलती हुई आँखों से पत्रवाहक को देखा, तो उसने उनकी ओर रानी का पत्र बढ़ा दिया। रतन सिंह ने पत्र खोल कर देखा। लिखा था-
"सरदार रतन सिंह के चरणों में उनकी रानी का प्रणाम। आप शायद भूल रहे थे कि मैं आपकी प्रेयसी नहीं पत्नी हूँ। हमने पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर फेरे लिए थे सो मैं केवल इस जीवन भर के लिए ही नहीं, अगले सात जन्मों तक के लिए आपकी और केवल आपकी ही हूँ। मेरी चिन्ता आपको आपके कर्तव्य से दूर कर रही थी, इसलिए मैं स्वयं आपसे दूर जा रही हूँ। वहाँ स्वर्ग में बैठ कर आपकी प्रतीक्षा करूँगी। रूपनगर की राजकुमारी के सम्मान की रक्षा आपका प्रथम कर्तव्य है, उसके बाद हम यहाँ मिलेंगे। एक बात कहूँ सरदार? मैंने भी आपसे बहुत प्रेम किया है। उतना, जितना किसी ने न किया होगा।"
रतन सिंह की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। वे कुछ समय तक तड़पते रहे, फिर जाने क्यों मुस्कुरा उठे। उनका मस्तक ऊँचा हो गया था, उनकी छाती चौड़ी हो गयी थी। उसके बाद तो जैसे समय भी ठहर कर रतन सिंह की तलवार की धार देखता रहा था। तीन दिन तक चले युद्ध में राजपूतों की सेना विजयी हुई थी, और इस युद्ध मे सबसे अधिक रक्त सरदार रतन सिंह की तलवार ने ही पिया था। वह अंतिम सांस तक लड़ा था। जब-जब शत्रु के शस्त्र उसका शरीर छूते, वह मुस्कुरा उठता था। एक-एक करके उसके अंग कटते गए, और अंत मे वह अमर हुआ।
रूपनगर की राजकुमारी मेवाड़ की छोटी रानी बन कर पूरी प्रतिष्ठा के साथ उदयपुर में उतर चुकी थीं। राजपूत युद्ध भले अनेक बार हारे हों, प्रतिष्ठा कभी नहीं हारे। राजकुमारी की प्रतिष्ठा भी अमर हुई।
महाराणा राजसिंह और राजकुमारी रूपवती के प्रेम की कहानी मुझे ज्ञात नहीं। मुझे तो हाड़ी रानी का मूल नाम भी नहीं पता। हाँ! यह देश हाड़ा सरदारों की उस सोलह वर्ष की बेटी का ऋणी है, यह जानता हूँ मैं।
जय राजपूताना 🙏

#हाड़ी_रानी

Photos from A2P Creations present ..Kurum"pah"'s post 28/01/2024

फ्री होम डिलीवरी

स्वादिष्ट खाने का का घर बैठे आनंद उठाये


सम्पर्क करें
शिवांश - +919839503955
अमन पांडेय - +919648233207
अरविंद कुमार पांडेय - +91 8858147988

KURUM"PAH"
KURUM"PAH" THE FAMILY RESTAURANT
हरका चौक, कुबेरस्थान रोड़
पडरौना, कुशीनगर

The Cafe'
KURUM"PAH" THE CAFE & RESTAURANT
तिवारी सदन, रामधाम पोखरा
पडरौना, कुशीनगर

मुख्यमंत्री के पड़ोसी जिला कुशीनगर पडरौना शहर से Arvind Kumar Pandey A2P Creations present ..Kurum"pah" Everyone Padrauna-Kushinagar Happy Janmashtami Jay Shree Krishna Salad Dressing Highlighted Kushinagar, India Archana Pandey Archana Pandey Arvind Kumar Pandey

26/01/2024

BY AGE 40 YOU SHOULD BE SMART ENOUGH TO REALIZE THIS:

1. Someone makes 10x more than you do in a 9-5 job because they have more "leverage" with their work.

2. Distraction is the greatest killer of success. It stunts and destroys your brain.

3. You shouldn't take advice from people who are not where you want to be in life.

4. No one is coming to save your problems. Your life's 100% your responsibility.

5. You don't need 100 self-help books, all you need is action and self discipline.

6. Unless you went to college to learn a specific skill (ie. doctor, engineer, lawyer), you can make more money in the next 90 days just learning sales.

7. No one cares about you. So stop being shy, go out and create your chances.

8. If you find someone smarter than you, work with them, don't compete.

9. Smoking has 0 benefit in your life. This habit will only slow your thinking and lower your focus.

10. Comfort is the worst addiction and cheap ticket to depression.

11. Don't tell people more than they need to know, respect your privacy.

12. Avoid alcohol at all cost. Nothing worse than losing your senses and acting a fool.

13. Keep your standards high and don't settle for something because it's available.

14. The family you create is more important than the family you come from.

15. Train yourself to take nothing personally to save yourself from 99.99% of mental problems.

24/01/2024

आवश्यकता है,

KURUM"PAH" THE FAMILY RESTAURANT पडरौना,

कारीगर Chef- 2
हेल्पर - 5
सफाई कर्मी - 2

उचित सैलरी, रहना, खाना फ़्री

सम्पर्क करें
अरविंद कुमार पांडेय
KURUM"PAH" THE FAMILY RESTAURANT
हरका चौक, कुबेरस्थान रोड़
पडरौना, कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
व्हाट्सएप नो - +91 9565106255

Photos from A2P Creations present ..Kurum"pah"'s post 24/01/2024
22/01/2024

*🪷।। प्राण - प्रतिष्ठा।।🪷*
==================
मूर्तिकार की कल्पना, उंगलियों की जादूगरी, छेनी की हजारों चोट और रेती की घिसाई। और इस तरह महीनों की तपस्या के बाद वह मूर्ति उभरती है, जिसमें देवता निवास करते हैं। पर मूर्ति से देवता होने की प्रक्रिया भी इतनी सहज कहाँ...

सोच कर देखिये, पूरा संसार बड़े बड़े पत्थरों, पहाड़ों से भरा हुआ है। बड़े बड़े पहाड़ तोड़ कर सड़क के नीचे डाल दिये जाते हैं। घर की दीवालों में जोड़ दिए जाते हैं, फर्श में लगा दिए जाते हैं। पर उन्ही में किसी पत्थर का भाग्य उसे देवता बना देता है न? सौभाग्य-दुर्भाग्य का भेद केवल मनुष्य के लिए ही नहीं, हर जीव जन्तु, नदी तालाब, माटी पत्थर के लिए भी होता है।

प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व देव की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है। ऐसा क्यों? इसका शास्त्रीय उत्तर तो विद्वान जानें, मुझे जो लौकिक उत्तर समझ में आता है, वह सुनिये।

जब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती तब तक वह केवल मूर्ति होती है, पर प्रतिष्ठा होते ही वे देव हो जाते हैं। तो देव की पहली दृष्टि किसपर पड़े? कौन सहन कर पायेगा वह तेज? क्या कोई सामान्य जन? कभी नहीं। तो इसका सबसे सहज उपाय ढूंढा गया कि देव की पहली दृष्टि सीधे देव पर ही पड़े। इसीलिए आंखों की पट्टी खोलते समय उनके सामने आईना लगा दिया जाता है। इस भाव से कि आपन तेज सम्हारो आपै... इस तरह देव की पहली दृष्टि उन्ही पर पड़ती है, वे अपना तेज स्वयं ही सम्हारते हैं। कितना सुंदर विधान है न?

प्राणप्रतिष्ठा के पूर्व विग्रह को जलाधिवास, अन्नाधिवास, फलाधिवास, घृताधिवास और फिर शय्याधिवास में रखा जाता है। एक रात जल में निवास होता है, फिर अन्न से ढक कर रखा जाता है, फिर पुष्पादि से.... घी और फिर शय्या... जहाँ जहाँ जीवन है, जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं, वहाँ वहाँ से तेज प्राप्त करती है मूर्ति! उसके बाद होता है देव का आवाहन, और फिर वे विराजते हैं विग्रह में... इसके बाद खुलता है पट। लम्बी चरणबद्ध प्रक्रिया है... देवत्व यूँ ही नहीं आता।

कल कहीं एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न पढ़ा। किसी ने लिखा था कि मनुष्य ईश्वर की प्राण प्रतिष्ठा कैसे कर सकता है? बकवास प्रश्न है यह। मनुष्य मूर्ति में ही नहीं, सृष्टि के कण कण में देवता को देख सकता है, पर इसके लिए हृदय में श्रद्धा होनी चाहिये। जैसे बिना आंखों के आप संसार को नहीं देख सकते, वैसे हीं बिना श्रद्धा के आप ईश्वर को नहीं देख सकते। हम देख लेते हैं देवत्व गङ्गा में, वृक्षों में, पहाड़ों में, अग्नि में, आकाश में... यह हमारी श्रद्धा की शक्ति है, हमारी संस्कृति की शक्ति है, हमारे धर्म की शक्ति है।

बाकी एक बात और! इस बार केवल एक मन्दिर में देव की प्राण प्रतिष्ठा ही नहीं हो रही। यह युगपरिवर्तन का उद्घोष है, यह भारतीय स्वाभिमान की पुनर्प्रतिष्ठा है।

आइये, देव के पट खुलने की प्रतीक्षा करें... वह क्षण धर्म के जयघोष का होगा, सनातन के विजय का होगा, असंख्य योद्धाओं की तृप्ति का होगा...
जय जय श्रीराम

Photos from A2P Creations present ..Kurum"pah"'s post 06/01/2024

A evening

Photos from A2P Creations present ..Kurum"pah"'s post 30/12/2023

फ्री होम डिलीवरी

स्वादिष्ट खाने का का घर बैठे आनंद उठाये


सम्पर्क करें
शिवांश - +919839503955
अमन पांडेय - +919648233207
अरविंद कुमार पांडेय - +91 8858147988
KURUM"PAH" THE FAMILY RESTAURANT
हरका चौक, कुबेरस्थान रॉड
पडरौना, कुशीनगर

मुख्यमंत्री के पड़ोसी जिला कुशीनगर पडरौना शहर से A2P Creations present ..Kurum"pah" Everyone Arvind Kumar Pandey Ritik Singh Gautam Padrauna-Kushinagar

30/10/2023

अब यह बात अतिशयोक्ति नहीं रह गयी कि यह भारतीय क्रिकेट का सबसे अच्छा समय चल रहा है।
यह सच है कि मेरे सारे प्रिय क्रिकेटर रिटायर हो चुके। हम लोग झूमते थे सचिन के हर चौके छक्के पर! हम मुग्ध हो जाते थे सौरभ गांगुली के हाफ क्रीच में आ कर मारे गए छक्कों पर! हम तालियां पीटते थे द्रविड़ और लक्ष्मण की कलाकारी वाली बैटिंग पर, जब केवल कलाइयों को घुमा कर वे बॉल को सीमा रेखा के बाहर पहुँचा देते थे। हम फैन थे सहवाग और युवराज की धुंआधार पारियों के... पर, पर, पर... किंतु, परन्तु... यह दौर ही दूसरा है भाई साहब! अब की टीम उनसे बहुत आगे दिख रही है।
हमारे प्रिय क्रिकेटरों के दौर में हम कभी निश्चिन्त नहीं हो पाते थे कि आज का मैच हमारी टीम जीत ही जाएगी। पर आज मैच शुरू होने के पहले ही हम आश्वस्त होते हैं कि अपनी टीम जीत रही है। यह बहुत बड़ा बदलाव है, यह बहुत बड़ी बात है।
आज टीम बैटिंग में कमजोर दिखती है तो बॉलर कमाल दिखा जाते हैं। पहली पारी में बॉलर कमजोर पड़ जाँय तो बैट्समैन रनों का पहाड़ खड़ा कर के जीत लेते हैं। यह अद्भुत है। इन्हें जीत की आदत लग गयी है।
कभी रिकी पोंटिंग की ऑस्ट्रेलिया टीम के लिए लगता था कि ये हार ही नहीं सकते। यदि वे पहली पारी में सौ रन पर ऑल आउट हो गए तो विरोधी टीम को साठ रन पर समेट कर जीत जाएंगे। अब यही बात भारतीय टीम के लिए कही जा सकती है। भारतीय टीम आज उसी रुतबे के साथ खेल रही है।
मैं रोहित शर्मा को भारत का महानतम बैट्समैन नहीं कह सकता, पर प्रदर्शन में ऐसी निरंतरता शायद ही किसी की रही हो। मैं कोहली को सचिन से बड़ा नहीं बता सकता, पर वह रिकॉर्डों का पहाड़ उनसे तेज चढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में बैटिंग के सारे रिकॉर्ड उसी के पास होंगे। जडेजा, सूर्य कुमार, राहुल... और जाने कितने हैं। जब भी जरूरत होती है, ये खेल जाते हैं। यह बहुत बड़ी बात है।
हमने श्रीनाथ या अनिल कुंबले को गेंदबाजी करते देखा है, हम उनके बड़े प्रशंसक रहे हैं। पर यह भी सच है कि विकेट चटका लेने का भरोसा बुमरा या सिराज ने उनसे अधिक दिया है। वह गेंद उठा ले तो तय लगता है कि विकेट गिरा ही देगा। बुमरा, सिराज सामी, कुलदीप... ये सब कमाल हैं।
आईसीसी की रेटिंग के अनुसार टीम के चार बैट्समैन वनडे के टॉप पन्द्रह का हिस्सा हैं। टीम के तीन बॉलर टॉप पन्द्रह का हिस्सा हैं। और तो और, जिस ऑलराउंडर का रोना हम हमेशा रोया करते थे, अब उसमें भी हमारे दो खिलाड़ी टॉप 15 का हिस्सा हैं। मतलब आपके ग्यारह में से 9 खिलाड़ी आईसीसी की रेटिंग के हिसाब से विश्व के टॉप 15 का हिस्सा हैं। अब यह टीम भी विश्व कप न लाये तो कौन लाएगा?
भारत के पास इतने खिलाड़ी हैं कि यदि टीम के सारे बड़े खिलाड़ियों को बाहर बैठा दिया जाय, तब भी उसकी रिजर्व वाली टीम दस में से आठ मैच जीत लेगी। फिर यह विश्वकप तो भारत का ही होना चाहिये। कोई संदेह नहीं...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

25/10/2023

लगभग एक करोड़ #मंदिर होंगे #देश भर में.. हर मंदिर में #पुजारी हों, ऐसा जरूरी नहीं.. लेकिन कई #मंदिर ऐसे भी हैं जिनमें सौ सौ पुजारी होते हैं... तो अगर औसत निकालें तो हर मंदिर पर एक पुजारी... हर पुजारी का कम से कम चार सदस्यों का परिवार... यानी मंदिर की वजह से चार करोड़ लोग पल रहे हैं सिर्फ पुजारियों के ....
उसके बाद हर मंदिर के बाहर औसतन दो पूजा सामग्री की दुकानें वैसे पूजा सामग्री की दुकानें तो बहुतायत रहतीं हैं... लेकिन हम उदाहरण के लिए यहां दो दुकानों को ही जोड़े हैं...तो फिर से 2×4=8 सदस्य... यानी करीब आठ करोड़ लोग इन दुकानों की वजह से पल रहे हैं......
उसके बाद वहाँ करीब एक करोड़ सफाई वाले, उनके चार सदस्यों के परिवार, माने चार करोड़ लोग फिर से मंदिर पर डिपेंड ...इसके अलावा जो लोग फूल, नारियल या पूजा सामग्री बनाते हैं उनके परिवार की भी संख्या कम से कम एक करोड़ ले लिजिये... उसके बाद बड़े त्यौहारों जैसे #होली #दीपावली में रंग, गुलाल बनाने से लेकर पटाखे बनाने वाले... #गणेश_उत्सव, #लक्ष्मीपूजा, #सरस्वती_पूजा, #नवरात्रि में मूर्ति बनाने वाले... #विसर्जन में साउण्ड और DJ बजाने वाले... #झालर लगाने वाले.. #पांडाल बनाने वाले , #टेंट वाले.. #मेले लगने पर #खिलौने से लेकर #कान की #बालियों तक की #दुकानें लगाने वाले, #मिठाईयों , #फलों की दुकान लगाने वाले.... झूला और पानी-पूरी के ठेले लगाने वाले ... #पुस्तकें बेचनेवाले... #यात्राओं के लिये विभिन्न यातायात के साधन वाले, ना जाने कितने ही करोड़ लोग मंदिर और त्यौहारों की वजह से कमा और परिवार पाल रहे हैं...उसके बाद कई बड़े बड़े मंदिर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का खजाना भी तो भर रहे हैं....
अगर मेरा अंदाजा गलत नहीं है तो कम से कम तीस करोड़ लोग डायरेक्ट या इन-डायरेक्ट तरीके से मंदिर की वजह से कमा रहे हैं... इतनी नौकरियां देने का बूता तो सरकार तक का नहीं है.... मैं छुआछूत या भेदभाव के खिलाफ हूं ...लेकिन सिर्फ सेक्युलर दिखने और प्रगतिशील होने के लिये मैं ब्राम्हणों को गरिया नहीं सकता...जो गलत है उसे गलत कहता हूं और कहता रहूंगा ... लेकिन #मंदिर और #त्यौहार व्यवस्था का आरोप ब्राम्हणों के सर मढ़ कर जो बेशर्म गरियाये जा रहें हैं
तो उन बेशर्मों को शर्म आनी चाहिये......
नमन है उन #ब्राम्हण पूर्वजों को जिन्होंने दूरदर्शिता दिखा कर काफी पहले ही भारत को #मंदिर और #त्यौहार देकर #आर्थिक रूप से इतना मजबूत विकल्प दिया है...... इनको गरियाना है तो गरिया लीजिये ...सारे मंदिर तोड़ लीजिये ..सारे त्यौहार बंद कर दीजिये ...लेकिन साथ में यह भी बताइये कि इस तीस करोड़ आबादी को कौन सा रोजगार देने की तैयारी कर रखें हैं ... और मंदिर तथा त्यौहारों की वजहों से जो रोजगार मिला है क्या वह सिर्फ #ब्राम्हणों को मिला है?? क्या इसका सीधा लाभ नहीं मिला है दलित और पिछड़े वर्ग को......??🤔

जय श्री राम 🚩🚩🙏🙏
नमो नमः 🚩🙏🚩

सोनू पाण्डेय राष्ट्रवादी

25/10/2023

कुछ नाजायज वामपंथी कहते हैं कि धर्म खाने को नहीं देगा... आज समाचार पत्र उठाकर देखा तो कई हजार करोड़ की बिक्री हुई है...फूलमाला से लेकर साग सब्जी, मिट्टी के दीप, मोमबत्ती, मिठाईयां, फल, विभिन्न धातुओं के बर्तन, श्री लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियां, कपड़े, विभिन्न प्रकार के वाहन, सोना चांदी इत्यादि इत्यादि ......
बाजारों में यह भीड़ छठ पूजा तक ऐसे ही रहेगी.. परिणाम स्वरूप समाज के सभी वर्गों सामान्य से लेकर पिछड़े, अति पिछड़े,घोर घनघोर पिछड़े, दबे कुचले, शोषित, वंचित, उपेक्षित, दलित, महादलित, घोर दलित... सत्ता लोलुपता के लिए गढ़े हुए विभिन्न राजनीतिक शब्दों से अलंकृत किए गए सभी मानव प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से धन अर्जित करते रहे हैं और करते रहेंगे.. और प्रतिदिन अपने जातियों में जाकर ब्राह्मण व ब्राह्मणवाद को पाखंड बताकर कोसते रहेंगे....!!
कौन कहता है कि धर्म खाने को नहीं देता है??

25/10/2023

1920 में क्वेटा शहर में हुए रावण दहन का दृश्य है क्वेटा आज पाकिस्तान में है फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले बतायें कि अगर भारत भी अपनी जमीन पर वापस कब्ज़ा लेने का प्रयास करे तो क्या वह उसका भी समर्थन करेंगे??

16/10/2023

Arvind Kumar Pandey

We are looking for ,

• Outlet Manager
• Receptionist (Female Preflare)
• Kitchen Chef
• Kitchen Assistant
• Kitchen Helper
• Waiter/Waitress
• Service Boy
• Delivery Boy (Must have two-wheeler license)
• Outlet Helper
• Tea Corner (Tea Stall) Attendant

We offer..
Attractive Salary
Food
Bonus
Tranning

Send Your CV and document ASAP...

Everyone

A2P Creations present ..Kurum"pah"
#दद्दाकहिन

16/10/2023

We are looking for ,

• Outlet Manager
• Receptionist (Female Preflare)
• Kitchen Chef
• Kitchen Assistant
• Kitchen Helper
• Waiter/Waitress
• Service Boy
• Delivery Boy (Must have two-wheeler license)
• Outlet Helper
• Tea Corner (Tea Stall) Attendant

We offer..
Attractive Salary
Food
Bonus
Tranning

Send Your CV and document ASAP...

Everyone

A2P Creations present ..Kurum"pah"
#दद्दाकहिन

24/09/2023
Want your restaurant to be the top-listed Restaurant in Padrauna?
Click here to claim your Sponsored Listing.

Videos (show all)

Today our one of Chef Sandeep son is celebrating his birthday, KURUM"PAH" family wishing him best wishes ...Wish you a v...
Very peaceful and calm place..
Your most welcome.for delicious  food...स्वागत है आप सबका स्वादिष्ट भोजन के साथ कुल्हड़ चाय और लस्सी का आनंद ले

Category

Telephone

Website

Address

Harka. Chauk Kubersthan Road
Padrauna
274206

Other Restaurants in Padrauna (show all)
The DARK E The DARK E
Kasia Road, Front Of Sky Lark Hotel
Padrauna, 274304

We Serve the passion not the food at The Dark 'E' Restaurant, please let us serve for you at least o

Rajanyadav0111 Rajanyadav0111
Padrauna, 274303

rajanyadavhelping

Aftab Khan Aftab Khan
Padrauna, 274304

Madhusudan Patal Golu Babu Madhusudan Patal Golu Babu
Padrauna

गोलू फास्ट फूड कॉर्नर

Muhammad Javed ajmeri Muhammad Javed ajmeri
Padrauna, 274303

SHAM-E-Padrauna SHAM-E-Padrauna
Near Bawli Chowk
Padrauna, 274304

A multicuisine restaurant

The Galaxy - Restaurant The Galaxy - Restaurant
Front Of Sky Lark Hotel, Kushinagar
Padrauna, 274304

We deliver taste and quality.

FF Niraj Gaming FF Niraj Gaming
Shalikpur
Padrauna, 274802

Mai es Pez par Gaming Se Rileted Video Dalunga And Aapako Dikhaunga

New Chapan Bhog Restaurant New Chapan Bhog Restaurant
Tamkuhi Road Sevarahi
Padrauna, 274406

We are providing best quality multy cuisine Like Indian Food, South Indian Food, Chinese, Tandoor .

Sima singh Sima singh
Padrauna, 274407

ojha ji ojha ji
Kotwa Gulab Rai
Padrauna, 274406

ojho ji

chhote electric chhote electric
Hyd
Padrauna, 274307

i.am a high leval electri contractor