GahlotSahab__

GahlotSahab__

पत्रकारिता एवं जनसंचार

26/09/2022

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था। कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी, कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी, सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी‌!

वो दिन थे, जब सब्जी पे खर्चा पता तक नहीं चलता था। देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी!

तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था।
ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं। लोहे की कढ़ाई में, किसी के घर रसेदार सब्जी पके तो, गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी। धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए समाचारों से दिन रुखसत लेता था!

रातें बड़ी होती थीं, दुआर पे कोई पुरनिया आल्हा छेड़ देता था तो मानों कोई सिनेमा चल गया हो।
किसान लोगो में कर्ज का फैशन नहीं था, फिर बच्चे बड़े होने लगे, बच्चियाँ भी बड़ी होने लगीं!

बच्चे सरकारी नौकरी पाते ही,अंग्रेजी इत्र लगाने लगे। बच्चियों के पापा सरकारी दामाद में नारायण का रूप देखने लगे, किसान क्रेडिट कार्ड डिमांड और ईगो का प्रसाद बन गया,इसी बीच मूँछ बेरोजगारी का सबब बनी!

बीच में मूछमुंडे इंजीनियरों का दौर आया। अब दीवाने किसान,अपनी बेटियों के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे, बेटी गाँव से रुखसत हुई,पापा का कान पेरने वाला रेडियो, साजन की टाटा स्काई वाली एलईडी के सामने फीका पड़ चुका था!

अब आँगन में नेनुँआ का बिया छीटकर,मड़ई पे उसकी लताएँ चढ़ाने वाली बिटिया, पिया के ढाई बीएचके की बालकनी के गमले में क्रोटॉन लगाने लगी और सब्जियाँ मंहँगी हो गईं!

बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई, सच में उस समय सब्जी पर कुछ भी खर्च नहीं हो पाता था, जिसके पास नहीं होता उसका भी काम चल जाता था!

दही मट्ठा का भरमार था, सबका काम चलता था। मटर,गन्ना,गुड़ सबके लिए इफरात रहता था। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि, आपसी मनमुटाव रहते हुए भी अगाध प्रेम रहता था!

आज की छुद्र मानसिकता, दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी, हाय रे ऊँची शिक्षा, कहाँ तक ले आई। आज हर आदमी, एक दूसरे को शंका की निगाह से देख रहा है!

विचारणीय है कि क्या सचमुच हम विकसित हुए हैं या यह केवल एक छलावा है?

18/09/2022
05/09/2022

#महाराजगंज

बलिया गांव के गर्ल स्कूल के नजदीक चंवर में एक महिला का गर्दन कटा हुआ शव बरामद हुआ है।

यह घटना महराजगंज सिवान का है।
महराजगंज थाना की मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम के लिए मृत शरीर को अस्पताल भेजा गया है।

इस घटना से आसपास के इलाकों में कौतूहल का माहौल बना हुआ है।

यह महिला कौन है किस गाँव और किस परिवार की है इसकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।

मृत महिला का कटा हुआ सर मिलने पर ही अधिकारीक पहचान की पुष्टि की जा सकती है।
हालांकि पोस्टमार्टम क्या कहता है यह रिपॉर्ट आने के बाद ही बताया जा सकता है।

फिलहाल पहचान की पुष्टि नहीं हो पाई है।

Photos from Gahlot Sahab's post 02/09/2022

Plzzz Help

14/08/2022

आजादी का अमृत महोत्सव
भुलाए नहीं भूले जा सकते ठाकुर जोधा सिंह गौतम और इनके 51 क्षत्रिय सहयोगी....

1857 की क्रांति की धधकती आग में ईमली के पेड़ पर लटकाए गए थे...!!

Photos from GahlotSahab__'s post 28/07/2022

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाएं, हैरान रह जाएंगे आप भारत सरकार की परमाणु भट्टी के बिना सभी ज्योतिर्लिंग स्थलों में सर्वाधिक विकिरण पाया जाता है शिवलिंग भी परमाणु भट्टे जैसे हैं।

इसीलिए उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वे शांत रहें महादेव के सभी पसंदीदा भोजन जैसे... बिल्वपत्र, अकामद, धतूरा, गुड़ आदि सभी परमाणु ऊर्जा सोखने वाले हैं।

क्योंकि शिवलिंग पर पानी भी रिएक्टिव होता है इसलिए ड्रेनेज ट्यूब क्रॉस नहीं होती भाभा अनुभट्टी की संरचना भी शिवलिंग की तरह है।

नदी के बहते जल के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल औषधि का रूप लेता है इसीलिए हमारे पूर्वज हमसे कहा करते थे कि महादेव शिवशंकर नाराज हो गए तो अनर्थ आ जाएगा देखें कि हमारी परंपराओं के पीछे विज्ञान कितना गहरा है जिस संस्कृति से हम पैदा हुए वही सनातन है।

विज्ञान को परंपरा का आधार पहनाया गया है ताकि यह प्रवृत्ति बने और हम भारतीय हमेशा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बने महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसी कौन सी विज्ञान और तकनीक थी जो हम आज तक समझ नहीं पाए?

उत्तराखंड के केदारनाथ, तेलंगाना के कालेश्वरम, आंध्र प्रदेश के कालेश्वर, तमिलनाडु के एकम्बरेश्वर, चिदंबरम और अंत में रामेश्वरम मंदिर 79°E 41'54" रेखा की सीधी रेखा में बने हैं। ये सभी मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लैंगिक अभिव्यक्ति दिखाते हैं।

जिन्हें हम आम भाषा में पंचभूत कहते हैं। पंचभूत का अर्थ है पृथ्वी, जल, अग्नि, गैस और अवकाश इन पांच सिद्धांतों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों की स्थापना की गई है।

तिरुवनैकवाल मंदिर में पानी का प्रतिनिधित्व है आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नामलाई में है काल्हस्ती में पवन दिखाई जाती है।

कांचीपुरम और अंत में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व हुआ चिदंबरम मंदिर में अवकाश या आकाश का प्रतिनिधित्व!

वास्तुकला-विज्ञान-वेदों का अद्भुत समागम दर्शाते हैं ये पांच मंदिर भौगोलिक दृष्टि से भी खास हैं ये मंदिर इन पांच मंदिरों का निर्माण योग विज्ञान के अनुसार किया गया है।

और एक दूसरे के साथ एक विशेष भौगोलिक संरेखण में रखा गया है इसके पीछे कोई विज्ञान होना चाहिए जो मानव शरीर को प्रभावित करे।

मंदिरों का निर्माण लगभग पांच हजार साल पहले हुआ था जब उन स्थानों के अक्षांश को मापने के लिए उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी। तो फिर पांच मंदिर इतने सटीक कैसे स्थापित हो गए?

इसका जवाब भगवान ही जाने केदारनाथ और रामेश्वरम की दूरी 2383 किमी है। लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक समानान्तर रेखा में हैं।

आखिरकार यह आज भी एक रहस्य ही है कि किस तकनीक से इन मंदिरों का निर्माण हजारों साल पहले समानांतर रेखाओं में किया गया था।

श्री कालहस्ती मंदिर में छिपा दीपक बताता है कि यह हवा में एक तत्व है तिरुवनिक्का मंदिर के अंदर पठार पर पानी के स्प्रिंग संकेत देते हैं कि वे पानी के अवयव हैं।

अन्नामलाई पहाड़ी पर बड़े दीपक से पता चलता है कि यह एक अग्नि तत्व है। कांचीपुरम की रेती आत्म तत्व पृथ्वी तत्व और चिदंबरम की असहाय अवस्था भगवान की असहायता अर्थात आकाश तत्व की ओर संकेत करती है।

अब यह कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को सदियों पहले एक ही पंक्ति में स्थापित किया गया था।

हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास विज्ञान और तकनीक थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं पहचान सका।

माना जाता है कि सिर्फ ये पांच मंदिर ही नहीं बल्कि इस लाइन में कई मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी लाइन में आते हैं।

इस पंक्ति को 'शिवशक्ति अक्षरेखा' भी कहते हैं शायद ये सभी मंदिर 81.3119° ई में आने वाली कैलास को देखते हुए बने हैं!?

इसका जवाब सिर्फ भगवान शिव ही जानते हैं। आश्चर्यजनक कथा 'महाकाल' उज्जैन में शेष ज्योतिर्लिंग के बीच संबंध (दूरी) देखें।

👇
🔘उज्जैन से सोमनाथ -777 किमी

🔘उज्जैन से ओंकारेश्वर -111 किमी

🔘उज्जैन से भीमाशंकर -666 किमी

🔘उज्जैन से काशी विश्वनाथ -999 किमी

🔘उज्जैन से मल्लिकार्जुन -999 किमी

🔘उज्जैन से केदारनाथ - 888 किमी

🔘उज्जैन से त्र्यंबकेश्वर - 555 किमी

🔘उज्जैन से बैजनाथ - 999 किमी

🔘उज्जैन से रामेश्वरम - 1999 किमी

🔘उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी

हिंदू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं किया जाता है सनातन धर्म में हजारों वर्षों से माने जाने वाले उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है।

इसलिए उज्जैन में सूर्य और ज्योतिष की गणना के लिए लगभग 2050 वर्ष पूर्व मानव निर्मित उपकरण बनाए गए थे।

और जब एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने 100 साल पहले पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा (कर्क) बनाई तो उसका मध्य भाग उज्जैन गया उज्जैन में आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अंतरिक्ष की जानकारी लेने आते हैं।

ऐसे ही रोजक और ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए मुझें follow करें और हमारे साथ जुड़े रहें..!

Photos from GahlotSahab__'s post 28/07/2022

23 ₹ किलो की लागत आती है देशी घी बनाने में

चमड़ा सिटी के नाम से मशहूर कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 किलोमीटर के दायरे में आप घूमने जाओ

तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी।

यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं,

इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता है,

इस चर्बी से मुख्यतः 3 चीजे बनती हैं।

1- एनामिल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं)

2- ग्लू (फेविकोल इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं)

3- और तीसरी जो सबसे महत्वपूर्ण चीज बनती है वो है "शुध्द देशी घी"

जी हाँ " शुध्द देशी घी"
यही देशी घी यहाँ थोक मंडियों में 120 से 150 रूपए किलो तक भरपूर बिकता है,

इसे बोलचाल की भाषा में "पूजा वाला घी" बोला जाता है,

इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भंडारे कराने वाले करते हैं। लोग 15 किलो वाला टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके पूण्य कमा रहे हैं।

इस "शुध्द देशी घी" को आप बिलकुल नही पहचान सकते
बढ़िया रवे दार दिखने वाला ये ज़हर सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता है,

औधोगिक क्षेत्र में कोने कोने में फैली वनस्पति घी बनाने वाली फैक्टरियां भी इस ज़हर को बहुतायत में खरीदती हैं, गांव देहात में लोग इसी वनस्पति घी से बने लड्डू विवाह शादियों में मजे से खाते हैं। शादियों पार्टियों में इसी से सब्जी का तड़का लगता है। जो लोग जाने अनजाने खुद को शाकाहारी समझते हैं। जीवन भर मांस अंडा छूते भी नहीं। क्या जाने वो जिस शादी में चटपटी सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं उसमें आपके किसी पड़ोसी पशुपालक के कटड़े (भैंस का नर बच्चा) की ही चर्बी वाया कानपुर आपकी सब्जी तक आ पहुंची हो। शाकाहारी व व्रत करने वाले जीवन में कितना बच पाते होंगे अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

अब आप स्वयं सोच लो आप जो वनस्पति घी आदि खाते हो उसमे क्या मिलता होगा।

कोई बड़ी बात नही कि देशी घी बेंचने का दावा करने वाली कम्पनियाँ भी इसे प्रयोग करके अपनी जेब भर रही हैं।

इसलिए ये बहस बेमानी है कि कौन घी को कितने में बेच रहा है।
बेमानी इस बात से भी है कि हम पूजा पाठ में हजारों रुपए दूसरे सामग्री पर खर्च तो कर देते है लेकिन घी वही पूजा वाला लेकर आना है, शुद्ध रूप यह मालूम होने के बाद भी यह घी शुद्ध नहीं है फिर भी हम पैसे बचाने के लिए हम पूजा वाला घी ही लेकर आते है। मात्र 100-200₹ का खर्च आ सकता है के घरेलू पूजा में लेकिन हम यही बचाने के लिए पूरे पूजा का सत्यानाश कर देते है।

बात हो रहा गई कि हम अगर शुध्द घी खाते है तो अपने घर में गाय पाल कर ही आप शुध्द खा सकते है, या फिर किसी गाय/भैंस वाले के घर का घी लेकर खाएँ। यही बेहतर होगा.!!
आगे जैसे आपकी इच्छा..🙏

Photos from GahlotSahab__'s post 21/07/2022

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे रिकॉर्ड टाइम में बनकर तैयार हुआ है. 36 महीने लगते, 28 महीनों में काम हो गया.

PM मोदी ने भी इस बात की तारीफ करते हुए कहा था - "पहले सरकारी योजनाओं को पूरा होने में दशकों लगते थे, वही योजनाएं अब समय से पहले बनकर तैयार हो रही हैं."
और
5 दिन 👇

18/07/2022

पहली तस्वीर कैरिना नेबुला (मिल्की वे गैलेक्सी का एक क्षेत्र) के नासा वेब टेलीस्कोप से ली गई है। नासा ने इस तस्वीर को "मिस्टिक माउंटेन" कहा है क्योंकि ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति रहस्यवादी नींद में पड़ा है

दूसरी तस्वीर वेदों द्वारा वर्णित गर्भोदक्षयी विष्णु की है: योग निद्रा में विष्णु...

18/07/2022

#झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा #दामोदर_राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ?
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.

अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –

15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.

मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.

मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.

देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.

मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.

हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.

उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.

फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.

सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.

दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।

दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।

उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं।

कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए l
साभार डॉ ऋषि सागर जी
🙏🙏🙏

08/07/2022

राजगीर में गंगाजल को लाने वाले पहले मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार...!!
गंगा नहीं से पाइपलाइन के माध्यम गंगाजल की आपूर्ति कर पानी की कमी को पूरा करने की योजना नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। यह "जल जीवन और हरियाली" का भी हिस्सा है।
इससे आसपास के लोगों के लिए गंगाजल को पीने के लिए आसानी होगी साथ ही पेयजल की समस्या भी ठीक होगी.. ग्राउंड वाटर लेवल भी सामान्य बनेगा..!!
राजगीर के लोगों के लिए व वहां पर्यटन के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह एक किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

13/06/2022

फ़िल्म "सम्राट पृथ्वीराज चौहान" देश में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है...और कई लोगों के सवाल भी है..?
कई लोग यह भी सवाल करते है कि पृथ्वीराज ने गोरी को नहीं मारा या कवि चन्द्रबरदाई की कल्पना मात्र एक कहानी मात्र है..?

शेर सिंह राणा जिसने आफ्गानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की अस्थि को लाने का साहस भरा काम किया...सुनिए उनके द्वारा आपबीती और सच क्या है यह भी जाने..!

NOTE;- इस पोस्ट को share करना ना भूले..ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की सही जानकारी मिल सके..!
शेर सिंह राणा
Sher Singh Rana "SSR"

10/06/2022

Ranchi...

पत्थरबाज़ी डिग्री धारक ने अपनी कुशलता को राँची में दिखाते हुए...!
DM के साथ बहुत से पुलिसकर्मी और लोग घायल हुए है।

मजबूरन प्रशासन को क्रॉस फायरिंग करनी पड़ी..!!

आपलोग अपनी राय दें

Photos from GahlotSahab__'s post 04/06/2022

#महाभारत_में_उल्लेखित_व्यूह_रचना

महाभारत में चक्रव्यूह क्या था, इस युद्ध मे और कितने प्रकार के व्यूहों का उपयोग हुआ? आइये बताते हैं :--

चक्रव्यूह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ
महाभारत में हुआ है। इस व्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी। अर्जुन के अतिरिक्त और कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था। युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की गयी थी। दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य में था। इस व्यूह में बाकी सात महारथी व्यूह की विभिन्न परतों में थे। व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था।

अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया पर वह भी अंतिम द्वार(यानी परत) को पार नहीं कर सका तथा बाद में सात महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी।




महाभारत युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा कुछ और व्यूह रचे गए थे जो निम्न हैं :-
महाभारत ग्रंथ के अनुसार व्यूह-रचना
1. गरुड़-व्यूह
2. क्रौंच व्यूह
3. श्येन व्यूह
4. सुपर्ण(गरुड़) व्यूह
5. सारंग व्यूह
6. सर्प व्यूह
7. खड्ग सर्प व्यूह
8. शेषनाग व्यूह
9. मकर व्यूह,
10. कुर्मा(कछुआ) व्यूह,
11. वराह व्यूह
12. महिष व्यूह
13. त्रिशूल व्यूह,
14. चक्र व्यूह,
15. अर्धचन्द्र व्यूह
16. कमल व्यूह,
17. उर्मि व्यूह,
18. मंडल व्यूह,
19. वज्र व्यूह,
20. चक्रशकट व्यूह
21. शकट व्यूह,
22. सर्वतोभद्र व्यूह
23. शृंगघटक व्यूह
24. चन्द्रकाल व्यूह
25. कमल व्यूह
26. देव व्यूह,
27. असुर व्यूह,
28. सूचि व्यूह,
29. श्रीन्गातका व्यूह,
30. चन्द्र कला
31. माला व्यूह
32. पद्म व्यूह ,
33. सूर्य व्यूह ,
34. दण्डव्यूह
35. गर्भव्यूह
36. शंखव्यूह
37. मंण्डलार्ध व्यूह
38. हष्ट व्यूह
39. नक्षत्र मण्डल व्यूह
40. भोग व्यूह
41. प्रणाल व्यूह
42. मण्डलार्द्ध व्यूह
43. मयूर व्यूह
44. मंगलब्यूह
45. असह्मव्यूह
46. असंहतव्यूह
47. विजय व्यूह

30/05/2022

मैं सांड़ हूं , लोग कहते हैं कि मैं तुम्हारी फसल उजाड़ रहा हूँ ,सड़कों पर कब्जा कर रहा हूँ ,मैं तुम मनुष्यों से पूंछता हूँ कि कितने कम समय में मैं इतना अराजक हो गया !मैं मनुष्यों का दुश्मन कैसे बन गया ।

अभी कुछ सालों पहले तो लोग मुझे पालते थे, शिवालयों में आज भी मुझे पूजते हैं , पहले चारा देते थे ,लेकिन मनुष्य ज्यादा सभ्य हो गया ट्रैक्टर ले आया ,पम्पिंग सेट से पानी निकालने लगा और मुझे खुला छोड़ दिया ,मैं कहाँ जाता ?कहाँ चरता ?मनुष्य ने चरागाहों पर कब्जा कर लिया ,अब पापी पेट का सवाल है अपने पेट के लिए अपने मित्र मनुष्य से संघर्ष शुरू हो गया ।

यहां तक कि कुछ लोगों ने अपना पेट भरने के लिए मुझे काटना भी शुरू कर दिया ,मैं फिर भी चुप रहा ,चलो किसी काम तो आया तुम्हारे ।मेरी माँ ने मेरे हिस्से का दूध देकर तुम्हे और तुम्हारे बच्चों को पाला लेकिन अब तो तुमने उसे भी खुला छोड़ दिया ।

इधर पिछले सालों से कई मनुष्य मित्रों ने मुझे कटने से बचाने के लिए अभियान चलाया ,लेकिन जब मैं अपना पेट भरने गलती से उनकी फसल खा गया तो वही मित्र मुझे बर्बादी का कारण बताने लगे ,शायद अब यही चाहते हैं कि मैं काट ही दिया जाता ।

मित्र बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हारी जीवन भर सेवा करूंगा तुम्हारे घर के सामने बंधा रहूँगा ,थोड़े से चारे के बदले तुम्हारे खेत जोत दूंगा ,रहट से पानी निकाल दूंगा ,गाड़ी से सामान ढो दूंगा ,बस मुझे अपना लो

लेकिन क्या मेरे इस निवेदन का तुम पर कोई असर होगा ?अरे तुम लोग तो अपने लाचार मां बाप को भी घर से बाहर निकाल देते हो ,फिर मेरी क्या औकात ?

ज़रा सोचों🙏
Share kijiye taki log janwar ki dard ko bhi samjh ske

29/05/2022

बहुत दुःखद
आधुनिक डेयरी में बछड़े को इस तरह के क्लिप लगाए जा रहे है ताकि वो गाय का दूध ना पी सके...
उस बछड़े की माँ का सारा दूध बेचा जा सके !!

इस दुनिया में सबकी चिंता सिर्फ Humun Rights को लेकर है, लेकिन Animal Rights का क्या ?
अगर देखा जाये तो एक बच्चे को माँ के दूध का स्तनपान करने से वंचित किया जा रहा है ! .......

यह अपराध नहीं तो और क्या है..?

23/05/2022

जब आप मथुरा- वृंदावन जाते हैं, तो आपको वृंदावन में ये विशाल मंदिर का खण्डहर देखने को मिलता है , आपके मन में ये विचार भी आता होगा, की इतना विशाल ढांचा किसका है ....तो ये जो मन्दिर आप देखतें हैं, ये वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर था, वृंदावन में ये मन्दिर श्री कृष्ण भगवान का सबसे प्राचीन मन्दिर है ,इसका नाम मदन मोहन हैं, जिसका निर्माण 15वी सदी के अंत मे राजा मान सिंह आमेर के सानिध्य में एक व्यापारी रामदास कपूर ने करवाया था !

उस समय ये मन्दिर वृन्दावन का सबसे भव्य मंदिर हुआ करता था ! लेकिन 200 बर्ष बाद, जब औरंगजेब की नज़र इस पर पड़ी तो उसने इसे भी तोड़ने की ठान ली, इसकी खबर मिलते ही यहां के पुजारियों ने मन्दिर की ( राधा-मोहन) जी की प्रतिमा को यहां से निकालकर कहीं सुरक्षित छिपाकर रखा ,औरंगजेब को प्रभु की प्रतिमा तो नही मिली पर उसने मन्दिर को काफी क्षति पहुचाई फिर भी उसकी सेना पूरे मन्दिर को तोड़ ना पायी....

कुछ समय बाद पुजारियों ने पास की हिन्दू रियासत जयपुर के तत्कालीन राजा जयसिंह जी से सम्पर्क किया, कियूंकि उस समय भारत मे हिंदुओ के लिए सबसे सुरक्षित राज्य जयपुर ही था ! औरँगजेब के आतंक से बचने के लिए बृज के ज्यादातर ब्राह्मणों ने जयपुर में ही शरण ली थी, इसलिए आज भी जयपुर में ब्राह्मणों की अच्छी खासी बसावट है !

पुजारियों का राजा जय सिंह से संपर्क होने के बाद ,इस मन्दिर की प्रतिमा को पहले जयपुर लाया गया..फिर जयपुर महाराजा ने इस प्रतिमा को अपने जीजा श्री करौली नरेश को सौंप दिया,कियूंकी करौली राजवँश खुद भगवान श्री कृष्ण का वंशज है, और इस वंश ने इस प्रतिमा के लिए करौली में एक भव्य मंदिर की स्थापना की जिसका नाम भी मदन मोहन जी का मन्दिर रखा, आज भी करौली में आपको छोटी मथुरा के दर्शन दिख जाएंगे....

कुछ लोग इस पोस्ट को काल्पनिक कहेंगे, इसलिए उनके लिए नीचे कुछ तथ्यात्मक link दे रहा हूँ, जिसे पढ़कर वो तसल्ली कर सकते हैं !!!

https://timesofindia.indiatimes.com/travel/vrindavan/madan-mohan-temple/ps47879256.cms

https://www.punjabkesari.in/dharm/news/sri-radha-madan-mohan-temple-in-vrindavan-1092236

https://en.wikipedia.org/wiki/Radha_Madan_Mohan_Temple,_Vrindavan

https://timesofindia.indiatimes.com/religion/religious-places/history-of-madan-mohan-mandir/articleshow/68206127.cms

Photos from GahlotSahab__'s post 22/05/2022

यह गर्भ प्रतिमा कुंडादम वडक्कुनाथ स्वामी मंदिर (कोयंबटूर से लगभग 60 किमी) की एक दीवार पर खुदी हुई है।

कल्पना कीजिए कि एक्स-रे की खोज से एक हजार साल पहले उस समय के लोगों को यह जानकारी कैसे मिली होगी।
मंदिर की अन्य दीवारों पर, हर महीने अजन्मे बच्चे की स्थिति की एक मूर्ति उकेरी जाती है।

सनातन हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना, पहला और अंतिम वैज्ञानिक धर्म है। सनातन ने दुनिया को विज्ञान दिया, उसे दृष्टि दी, जीने की कला दी, साहित्य दिया, संस्कृति दी, विज्ञान दिया, विमान का विज्ञान दिया, चिकित्सा विज्ञान दिया, अर्थशास्त्र दिया।

इसलिए मैं कहता हूं,
सनातन धर्म जैसा कोई दूसरा धर्म नहीं है।
सनातन धर्म लाखों वर्षों से वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहा है, हमारे ऋषियों ने विज्ञान की नींव रखी है,
सनातन ऋषियों ने अपनी हड्डियों को पिघलाने के बाद, विज्ञान और दर्शन को दुनिया के लिए दृश्यमान बना दिया है।

पूरी दुनिया कभी भी सनातन ऋषियों के ऋण से मुक्त नहीं होगी, हमारे ऋषियों ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।

12/05/2022

समुंद्र में बहकर आया 'गोल्डन रथ'..
कहाँ से आया ये रहस्यमयी रथ, जांच में जुटे अधिकारियों की टीम..!
आप भी देखें

11/05/2022

पटना के विश्वेश्वरैया भवन में लगी आग😟
ऊँची उठ रही है आग से बनी धुँए की लपटें।
विश्वेश्वरैया भवन में पिछले कुछ महीनों से निर्माण कार्य चल रहा है।

03/03/2022

रजौली के अजनिश कुमार ने एस्टोनिया के प्रथम भारतीय राजदूत बनकर पूरे क्षेत्र का नाम ऊंचा कर दिया है। भारतीय डिप्लोमेसी में बढ़ी है नवादा की धमक, इससे पहले ब्रुनेई में भारत के उच्चायुक्त थे अजनिश कुमार।
क्षेत्र में खुशी का माहौल है, हर एक स्थानीय इस खबर से खुश है।

15/01/2022

मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई..💐

14/01/2022

लड़की के दिमाग में घुसा कम्प्यूटर

इस लड़की की कैलकुलेशन की क्षमता को देखकर इंसान है हैरान...
बोल रहे है ये लड़की नहीं है ये कम्प्यूटर

12/01/2022

गाड़ी पलटी और निकला शराब
वाह रे कानून बंदी शराब..!!

04/01/2022

सौराष्ट्र के पूर्व रणजी क्रिकेटर अंबाप्रतापसिंह जडेजा का मंगलवार को राजकोट में निधन हो गया है. वह हाल ही में कोविड-19 की चपेट में आ गए थे. सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (SCA) ने बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की है.

04/01/2022

ब्रेकिंग न्यूज़

पटना : गर्दनीबाग-बेउर मोड़ पर भीषण सड़क हादसा।

तेज रफ्तार हाइवा ने पुलिस गश्ती जीप को मारी जोरदार टक्कर, टक्कर होते ही गश्ती जीप में लगी आग।
मौके पर 3 पुलिसकर्मियों की मौत, 2 गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है।
यह घटना सुबह को हुई है ऐसा सूत्र के माध्यम से बताया गया है।
मौके पर पुलिस पदाधिकारी मौजूद है।

Photos from GahlotSahab__'s post 17/12/2021

बिहार के मेकर,कलाकारों द्वारा बनाई गई वेब सीरीज बुलेट पेन मचा रही धूम

वेब सीरीज के निर्माता,एक्टर,एक्ट्रेस लगभग तमाम टेक्नीशियन बिहारी हैं।

नई वेब सीरिज बुलेट पेन पिछले दिनों एम एक्स प्लेयर पर रिलीज हुई। बता दें कि इस सीरिज के निर्माता, लीड हीरो,हीरोइन व टेक्नीशियन मूलतः बिहारी हैं। डायरेक्टर रितेश एस कुमार की वेब सीरिज कई रहस्यों और रोमांच से भरपूर है। इसके प्रोड्यूसर सुरेंद्र सिंह हैं। फ़िल्म में निर्माता ने बिहार को ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर किया है। सत्य घटना पर आधारित इस वेब सीरीज में बिहारी लड़का अभय यादव की कहानी है कि कैसे एक साधारण सा लड़का सिस्टम की नाकामी के कारण उसके साथ धोखा किया जाता है और उससे तंग आ कर वो बंदूक उठा लेता है। अभिनेता मनोज कुमार राव, सृजिता तिवारी,आदित्या सिंह,अमित कुमार व निजरे इनायत ने प्रमुख किरदार निभाए हैं। तमाम कलाकारों ने बेहतरीन अदाकारी से सभी का दिल जीत लिया। बता दें कि अभी इस सीरिज के 6 एपिसोड ही रिलीज किए गए हैं। जिसे दर्शको का बेहतरीन रेस्पॉन्स मिल रहा है।
आज पटना कालिदास रंगालय में आयोजित प्रेस वार्ता सम्मेलन में फ़िल्म से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे।
फ़िल्म के निर्माता सुरेंद्र सिंह ने प्रेस संबोधन में कहा बिहार में असीम संभावनाएं हैं । यहाँ के कलाकारो में अभिनय क्षमता की कोई कमी नही है,जरूरत है सरकार के प्रोत्साहन की। हमने इस वेब सीरीज के रूप में एक कोशिश की है दर्शको के रिस्पॉन्स से खुश हूं आगे भी बिहार के लोकेशनो, कलाकारों व टेक्नीशियनो के साथ ही फिल्मे बनाऊंगा।
अभिनेता मनोज कुमार राव ने कहा मुझे इस फ़िल्म में काम करने का मौका मिला मै न नही कर पाया, इस फ़िल्म को आप सम्पूर्ण बिहारी कह सकते हैं,जिसे देश भर में देखा जा रहा है। गर्व होगा जब इसे यहाँ के जनता एक बार देखें और अपनी प्रतिक्रिया हमे दे । ताकि इस फ़िल्म में रह गयी कमी अगली फिल्म में पूरा कर सकूं।

अभिनेत्री सृजिता तिवारी कहती हैं फ़िल्म में काम करना ,फिल्मे रिलीज होना और अंततः दर्शको को पसंद आना किसी भी कलाकार का अंतिम सपना है। अतः आज ये सब जो हो रहा किसी सपने से कम नही है।

अभिनेता आदित्य सिंह ने भी फ़िल्म के रिलीज होने पर खुशी जाहिर की है। सम्राट साइन विजन प्रेजेंट वेब सीरीज बुलेट पेन के निर्माता व स्टोरी राइटर सुरेंद्र सिंह ,निर्देशक रितेश एस कुमार, डीओपी त्रिलोकी चौधरी, एडिटर अर्जुन प्रजापति व पीआरओ सर्वेश कश्यप हैं।

PR_TrilokaEntertainmentMediaNetwork

(Chief Head Bihar & Jharkhand
Chandan Singh Gahlot)

16/12/2021

Press Invite:

We cordially invite you for the press conference to celebrate the success of Film Directed by *Ritesh S Kumar* Producer *Surendra Singh* *Released On MXPLAYER*

The press conference will be addressed :-

1) Ritesh S Kumar (Film Director)

2) Surendra Singh (Film Producer)

3) Manoj Kumar Rao (Actor)

4) Aaditya Singh (Actor)

5) Srijeeta Tiwari (Actress)

Date: 17th Dec, Friday
Time: 12:00 pm
Venue: Patna : Kalidas Rangalay

Map link: https://www.google.com/search?client=ms-android-samsung-gj-rev1&sxsrf=AOaemvI2eF3_VM1a2OGp7DZAekMb8wN5Sg:1639640800050&q=kalidas+rangalaya&spell=1&sa=X&ved=2ahUKEwivqMj76ef0AhWqwYsBHf22DooQBSgAegQIARAC&biw=412&bih=758&dpr=1.75

Kindly:
Triloka Media Network
(PR_Agency)

Chandan Singh Gahlot
(Managing Head Bihar & Jharkhand Triloka Media Network)

Sarvesh Kashyap
PRO

Thank you

13/11/2021

इश्क चाय से था और नजरें कॉफी ढूंढ रही थी..!
फिर क्या कॉफी को नजरों में रखा और उसके अंदर चाय को डालकर इश्क भी कर लिया..😊

10/11/2021

राजस्थान से एक बड़ी खबर:..:

जोधपुर-बाड़मेर हाइवे पर पचपदरा के समीप हुई भीषण सड़क दुर्घटना में यात्रियों से भरी बस की ट्रक से टकराने आगजनी हुए जिसमें कई यात्रियों के आग में झुलसने से मौत और गंभीर घायल होने की सूचना मिल रही है।
यह काफी दुःखद खबर है।

छठी मईया से घायलों के अतिशीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्राथना करता हूँ.
ईश्वर दिवंगतों की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें। 🙏

10/11/2021

आस्था, पवित्रता व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 *जय छठी मईया*

08/11/2021

अफ़ग़ानिस्तान में मिला यह सिक्का एक भारतीय हिन्दू राजा का है जो किसी यूनानी घुड़सवार को हाथी के पीछे बांध कर ले जा रहा है ये सिकन्दर के समय का बताया जा रहा है!
सबसे बड़ा सवाल...क्या सिकंदर भारत की सीमा एक सनातनी हिन्दू से हार गया था..?
क्या सिकन्दर को विश्व विजेता कहना सही होगा जबकि उसने भारत के एक ही छोर से युद्ध करके लौट गया...सिकन्दर के सेनापति ने अपनी पुत्री का विवाह भी राजा पोरस के साथ किया था..?

क्या हार हुए राजा को कोई अपनी पुत्री सौंपता है..?

07/11/2021

बाबा केदारनाथ और भीमशिला आज दोनों एक दूसरे के तारणहार हो चुके हैं....
भीमशिला ने जहां 2013 के त्रासदी में बाबा केदारनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मन्दिर की महाप्रलय से रक्षा की, तो वहीं इस सेवाभाव के बदले बाबा ने भीमशिला को पूजनीय बनाकर अमर कर दिया...!!

आज भारतीय पुरातत्व विभाग आश्चर्यचकित है कि बाबा केदारनाथ मंदिर के चौड़ाई के ही बराबर का ये भीमशिला आखिर प्रकट कहाँ से हुआ...?

आज पूरी दुनियां का हिन्दू समाज व अन्य धर्मों के लोग भी इस चमत्कार को नमस्कार कर रहे हैं....

तो आइये आप सब भी दर्शन कीजिये मन्दिर के पीछे स्थित भीमशिला का, जो 2013 में आई आपदा के समय हिंदुओं के महादेव का रखवाला बन केदारनाथ मंदिर के पीछे अपना गदा गाड़कर पूरे प्रलय का अभिमान चकनाचूर कर मन्दिर को लेशमात्र भी क्षति नही होने दिया...!!

बाद में पूरी बाढ़ के पानी तथा उसके साथ आने वाले बड़े-बड़े पत्थरों को इसी शिला ने रोक कर केदारनाथ मंदिर की रक्षा की थी। भीमशिला की चौड़ाई मन्दिर की चौड़ाई के बिलकुल बराबर है...!!

भोले बाबा की महिमा वही जानें...हम बाबा केदारनाथ की जय जयकार कर उनका गुणगान करें. ..!!

हर हर महादेव 🔱

Want your public figure to be the top-listed Public Figure in Patna?
Click here to claim your Sponsored Listing.

Videos (show all)

गजब का कैलकुलेटर है
हाइवा और गस्ती जीप में हुई टक्कर- पटना
प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा
क्या है मामला क्षत्रिय सम्राट मिहिरभोज को गुर्जर सम्राट होने का
कुमार विस्वास
Raksha Bandhan

Category

Address

Patna

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm