Abhishek Bhojpuriya

Abhishek Bhojpuriya

भोजपुरी फिल्म अभिनेता एवं कवि

06/08/2024

का बताईं बा का बात उनका इश्क में,
कटत बरुए दिन रात उनका इश्क में,
होली ओझल नजरी से हाल का कहीं-
करीं फोटो से हम बात उनका इश्क में।
- अभिषेक भोजपुरिया

#मनुहार

03/03/2024

सपना सकारे खातिर सफर सरकत बा,
पंख पसार के पसरत बानी पहर-पहर।
मन मगन कि मिल जाई मंजिल,
सांस सपरत बा सगरी शहर - शहर।
- अभिषेक भोजपुरिया

23/02/2024

कुछ यूँ आप मेरी खास हैं,
मेरी‌ जिन्दगी मेरी सांस हैं,
तेरे होने का एहसास यूँ है-
दूर हो के भी आप पास हैं।
- अभिषेक भोजपुरिया
#मनुहार

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 12/11/2023

आज के राष्ट्रीय सहारा व प्रातः किरण अखबार में दीपावली व कुम्हार जाति के स्थिति को लेकर मेरा लेख छपा है। धन्यवाद डाॅ० विद्या भूषण श्रीवास्तव सर व टीम‌ सहारा एवं प्रातः किरण।

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 13/08/2023

आज के राष्ट्रीय सहारा अखबार के छपरा संस्करण में हमार लेख "आजादी के लड़ाई में भोजपुरयन के बड़ जोगदान" छपल बा। धन्यवाद डाॅ० विद्या भूषण श्रीवास्तव सर आ टीम राष्ट्रीय सहारा!

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 08/06/2023

हाल दिल के बयां करीं कइसे उनका से,
उ देखते पीछे परदा के समा जात बारी।
जब कबो बोलऽतानी सुनऽ जाने जिगर,
ऊ ओढ़नी के आर में शरमा जात बारी।

कशक दिल के दिलवे में रह जात बा,
आके चुपके से केहू कुछ कह जात बा,
आहट जब होत बा लगे हमरा उनकर
पुरुआ प्यार के तन मन में बह जात बा।

- Abhishek Bhojpuriya

07/02/2023

"प्रेम का महीना फरवरी" एक हिंदी कविता आज के #किरणदूत अखबार में प्रकाशित।

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 25/01/2023

पिछले दिनों गाजियाबाद आईडल का आयोजन लेखक व अभिनेता डाॅ० महेश कुमार व्हाईट जी द्वारा ढिढोरा म्यूजिक के बैनर तले किया गया था। इस अवसर पर मुझे अतिथि के तौर पर सम्मानित किया गया। मैं पुरी टीम को धन्यवाद देता हूं जो मुझे बुलाया व सम्मान किया। मेरे साथ में गाजियाबाद में बुलेट रानी व मिस जाटिनी के नाम से मशहूर अभिनेत्री शिवांगी डबास, डाॅ० महेश कुमार व्हाईट अरविन्द चौधरी समेत अन्य लोग हैं।

08/01/2023

आज हमारा मैट्रो अखबार में मेरी फिल्म #मैडम_थानेदार के शूटिंग की खबर। धन्यवाद लाल बिहारी लाल जी।

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 07/01/2023

आज के तीन अखबारों में मेरी आने वाली भोजपुरी फीचर फिल्म #मैडम_थानेदार की खबर। धन्यवाद राजीव रंजन जी एवं पुनित कुमार मौर्या जी।

24/12/2022

हेल्लो हाय से मेरे दिल पर तेरी आहट होती है,
सर्द मौसम में तेरी आवाज से गर्माहट होती है,
रहता इंतजार जिसका बेसब्री से आठो पहर -
जब ना हो बात तो बेचैन मेरी चाहत होती है।
- अभिषेक भोजपुरिया

03/12/2022

भारत रत्न आ भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ० राजेन्द्र प्रसाद जी के जयन्ती पर शत् शत् नमन!

30/11/2022

केहू के आंखि में अपना बदे चाह देखिले
उहो करत होखे हमरा ला परवाह देखिले
कबो त करिहें ईयाद मोरा सनेह के सनेही-
एह आस में हर घड़ी उनकर राह देखिले।
🖋 - अभिषेक भोजपुरिया

13/11/2022

आँखों ने आँखों से बात कही,
रुह से रुह की मुलाकात कही,
भाग दौड़ है दिन के उजाले में
सुकून है तुमसे, ये रात कही।

मेरी बेकरारी का आलम क्या है
कभी तो पुछो मेरी धड़कनों से,
सांसे थाम्ही और न सोंचा कुछ
दिल में‌ आया वो जज्बात कही।

ख्वाहिशों के समंदर में उतर रहा,
मोहब्बत की सड़क से गुजर रहा,
बना एहसास तेरा, साथी सफर का
चल दिया है अब, ना हो घात कही।

मेरी मंजील तेरा प्यार, दिल है रास्ता,
मन मन्दिर की देवी, है तुझमें आस्था
आजमा लो तुम हर एक कसौटी पर
दे दस्तक तेरे दिल पर, हालात कही।
आँखों ने आँखों से वो बात कही।

✍🏻 - अभिषेक भोजपुरिया

07/11/2022

दिव्यकृति सर से पढें भोजपुरी में Khesari Lal Yadav जी के गाये रैप के माध्यम से

07/11/2022

विवाह का यह मंत्रोच्चारण का तरीका बढिया है। आप भी देखें।

03/11/2022

हमारा मर्जी है, हम नहीं जीतेगा।

Photos from Abhishek Bhojpuriya's post 31/10/2022

नई दिल्ली से प्रकाशित अखबार ओपन सर्च के संपादकीय पेज पर छठ व्रत को लेकर छपा मेरा लेख।

30/10/2022

आस्था का महापर्व छठ
-अभिषेक भोजपुरिया
भारतीय संस्कृति पुरी दुनिया में निराली है, यह बात जग जाहिर है और सारी दुनिया भी मानती है। यहां अनेकता में एकता है तो सर्व धर्म सम्प्रदाय का नारा भी बुलन्द होता है। वहीं गंगा जमुनी तहज़ीब का भी ख्याल होता है। भारत वर्ष मे अनेक धर्म के लोग बसते हैं जो अपने अपने धर्म के देवी देवताओं को पुजते हैं। कोई राम मे सारा संसार को ढुढ़ता है तो कोई अल्लाह का इबादत करते नही थकता। वही समर्पण गुरु गोविन्द सिंह मे दिखती है तो ईसा मसीह में आत्मा बसती है। भगवान बुद्ध, जैन धर्म को मानने वाले भी सम्पूर्ण विश्व में शांति हो का संदेश देते हैं। यहां हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई सब एकजुटता का संदेश पुरे विश्व को देते हैं।
यह देश बहुत सारे उत्सवों का साक्षी बनता है। यहां पर इन चार धर्मों के अलावे लोग सम्प्रदाय मे भी विश्वास करते हैं और हर कोई अलग अलग सम्प्रदाय को मानता है। यहां कभी राम जन्म लेते हैं तो कभी कृष्ण। कहीं पैगम्बर मोहम्मद अनियायी हैं तो कहीं गुरु गोविन्द सिंह। कहीं बुद्ध तो कहीं महाबीर। सबके अवतार लेने का एक ही मकसद। बुराई पर अच्छाई की जीत। सबने अपने अपने धर्म मे इंसान को इंसान से प्रेम करने का संदेश दिया तो वहीं बुरे कर्मों से बचने पर भी विशेष बल दिया।
यहां होली का रंग सबके उपर चढ़ के सबके मिजाज को रंगीन बनाता है और दुश्मन को भी गले लगाता है तो वहीं ईद की सेवाईयां सबके मन मे मिठास घोलती है। लोहरी अपनों को करीब लाती है वहीं क्रिसमस सबको प्यार बांटता है। यहां सबसे अधिक हिन्दुओं का उत्सव मनाया जाता है। कभी होली, कभी तीज कभी दशहरा तो कभी दीपावली। यानी पुरे साल खुशी का माहौल।
इन्ही सब उत्सव मे से एक है 'छठ' जो कि पूर्वांचल के तरफ बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। खास कर यह व्रत भोजपुरिया माटी में। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड में यह काफी ही उत्साह के साथ मनाया जाता है या यूँ कहें कि यहां के लिए यह एक राष्ट्रीय पर्व है। आज बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के अलावें इस देश के हर राज्य मे मनाया जा रहा है। यहां तक कि विदेशों मे भी। जहां जहां पूर्वांचल के लोग गये वहां वहां अपनी संस्कृति को अपने साथ ले कर गये। आज छठ पुरे देश विदेश में मनाया जाता है। बिहार, यूपी, झारखंड में तो सरकारी छुट्टी घोषित कर दी जाती है।
दर असल छठ लोक आस्था का महा पर्व माना जाता है। यह दुनिया का पहला ऐसा उत्सव है जिसमे डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और अगले सुबह उगते सूर्य की। यह व्रत स्त्री प्रधान होता है परन्तु पुरुष भी इसे अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए करते हैं। इस व्रत को करने के लिए पुरे चार दिन समय लगता है। व्रती लोग मिट्टी का चुल्हा बनाती हैं। पहले दिन नहाय खाय होता है, अर्थात सुबह पहले स्नान किया जाता है तब खाना बना के कुछ खाया जाता है। दुसरे दिन खरना होता है जिसमें व्रती लोग मिट्टी के चुल्हे पर प्रसाद के रुप मे मीठा डालकर खीर तथा रोटी बनाती हैं। उसको छठ मा को समर्पित कर पहले व्रती लोग ग्रहण करती हैं फिर घर के बाकी सदस्य ग्रहण करते हैं।
खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती लोग अन्न का एक निवाला तो दूर, पनी तक भी मुह में नही डालती। यह निर्जला व्रत होता है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे श्रद्धा के साथ जो भी इस व्रत को करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। कोई पुत्र प्राप्ति के लिये करता है तो कोई धन दौलत के लिए। कोई अपने कष्टों के निवारण के लिए तो कोई नौकरी के लिए। छठ मा के कृपा से सबकी मनोकामना पुर्ण भी होती है। यह व्रत जितना उत्साहदेय है उतना ही कष्टपूर्ण भी। इसमें लगभग छत्तीस घंटा बिना कुछ खाये पिये रहना पड़ता है। छठ का प्रसाद काफी शुद्धता के साथ बनाना पड़ता है। खरना का रोटी बनाने के लिए गेहूँ को धो कर सुखने के लिए व्रती को खुद डालना होता है। यह नजर भी रखना पड़ता है कि कोई इसको पैर से न सटाए या कोई चिड़िया एक भी दाना चुग कर जुठा न कर दे। इसके अलावें व्रत के दिन बनने वाला मूल प्रसाद ठेकुआ, पुरी आदि बड़ा तो बड़ा कोई बच्चा तक गलती से भी अपने मुँह न लगाये। अगर ऐसा हो गया तो उसका तुरंत दुष्परिणाम भुगतने को भी मिलता है। इसके अलावे इस व्रत के परसाद में केला, नारियल, नींबू, नास्पाती, अनारस, अरुई, सुथनी, अदरक, पान पत्ता, कसैली, अरता का पत्ता बाकी फल आदि लगता है। ये सब फल कभी भी किसी तरह से जुठा नही होना चाहिए। छठ गीत मे भी इन सब बातों को वर्णित किया गया है -
" केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुग्गा मेरराय,
सुगवा के मरबो धनुष से सुग्गा गिरिहें मुरछाय।"
आपको बताते चलें कि यह व्रत पूर्ण रुपेण प्राकृति पूजा है‌। यह एक ऐसा व्रत है जो समाज के बहुजन आबादी के लोगों के प्रतिनिधित्व से सम्पन्न होता है जिनको आम जीवन में लोग छोट समझते हैं। छठ में दउरा और सूप का महत्व सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह दोनों ही समान इसी समाज का एक हिस्सा है जो कि डोम जाति बनाता है। वैसे तो इनसे सारा संभ्रांत वर्ग दूर भागता है क्योंकि उसे आज भी अछूत की श्रेणी में रखा गया है। परंतु संयोग देखिए कि इस डोम के दिए डाला मउर के बिना किसी का व्याह सम्पन्न नहीं होता तो किसी के मरने के बाद मुखाग्नि न मिलने पर जीवन का उद्धार नहीं हो पाता। छठ एक ऐसा व्रत है जहां दउरा कलसूप अर्घ्य देने के लिए डोम जाति बनाता है, फल फलहार तुरहा समेत अन्य कृषक जातियों का, दुध अहिर का, हल्दी, मुरई, सुथनी कुशवाहा का, दिया ढकनी, कोशी कुम्हार का, पान पत्ता पनहेरी का, फूल मलहोरी समेत अनेक जातियों के समावेश से होता है। इस व्रत में पारम्परिक पूजा पद्धति तथा किसी ब्राह्मण पुजारी की आवश्यकता नहीं होती। इसमें व्रती को पति अथवा पुत्र या कोई भी अन्य व्यक्ति अर्घ्य दिला के व्रत सम्पन्न कराता है।
छठ व्रत एक बौद्धकालीन पूजा है। ऐसी मान्यता है कि इसकी शुरुआत बुद्ध के काल से होती है। क्योंकि इसमें जो भी क्रिया होती है वो सब बुद्ध से सम्बंधित है। छठ में सिरसोप्ता बनाया जाता है जो कि बौद्ध स्तूप जिसे मनौती स्तूप कहा जाता है का रुप होता है। स्तूप का ही बिगड़ा नाम सिरसोप्ता है। इसके अलावे छठ का महत्वपूर्ण परसाद ठेकुआ का जो बनावट होता है, उसपर धम्मचक्र बना होता है। इसके अलावे जो लम्बवत ठेकुआ बनता है, उसमें धम्म चक्र के साथ पीपल के पत्ते का रुप होता है।
व्रत के दिन सारा जन मानस छठ घाट की सफाई करता है जो कि किसी नदी तलाब या कुआँ के समक्ष किया जाता है। इस व्रत में सफाई बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपने अपने मनोकामना पूर्ति के लिए लोग घर से भुईंलोटन करके छठ घाट तक पहुँचते हैं। घाट पहुँच के जल बिच खड़ा होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आस्था ऐसी कि अन्य धर्म मसलन बहुत सारे मुसलमान भी करते हैं। इसमे पति पत्नी साथ साथ चलते हैं। आगे पति अपने सर पर दौरा लिए चलता है और पीछे पीछे पत्नी छठ मा की महिमा का गुनगान करते। कुछ लोग बहंगी बना कर भी पहुंचते हैं। इस पर भी छठ गीत वर्णित है। एक बटोही छठ मा का बहंगी जाता हुआ देख कर व्रती से पूछता है-
" कांच ही बास के बहंगिया, बहंगी लचकता जाय,
नरियल भरल ऊ जे दउरा, दउरा बहंगी सजाय।"
भरिया जे होखी ना महादेव,
बहंगी घाटे पहुँचाय।
बाट जे पुछेला बटोहिया, ई बहंगी केकरा के जाय।
आन्हर हवे रे बटोहिया, बहंगी छठी माई के जाय।
अर्घ्य देने के बाद व्रती लोग कोसी भरती हैं, जिसमे सात या नौ ईख तथा मिट्टी का दिया सात या ग्यारह का प्रयोग होता है। इसके पास बैठ कर छठ मा के गीतों के साथ अपनी मनोकामना भी मांगी जाती है। इसके एक गीत को देखें-
" चननी ताने चलले महादेव, घुटी भर धोती भिजे,
धोती मोरा भिजता त भिजे देहू, चननी मोरा नाही भिजे।
कोसी भरे चलली गउरा देई, नव लाखा हार भिजे,
हार मोरा भिजता त भिजे देहु, कोसी मोरा नाही भिजे।"
इस तरह छठ मा का महिमा का गुणगान होता है। रात्री विश्राम के बाद पुनः व्रती सब घाट पर आती हैं और सुबह का कोसी भरती हैं। फिर जब सुबह की सूर्य की लाली दिखाई देती है तो उसको अर्घ्य देकर इस छठ पूजा का समापन करती हैं। फिर व्रती कुछ पी कर या खा कर अपना व्रत तोड़ती हैं। इस तरह से लोक आस्था का महापर्व छठ पुरे हर्षोल्लास के साथ समस्त भोजपुरिया जनमानस दुनिया के जिस कोने में भी बसे हैं, वो मनाते हैं।

जनता बाजार, छपरा, बिहार

25/10/2022

#डोमिनिया एक ऐसा छठ गीत जो आज तक किसी ने नहीं गाया। जानिए छठ व्रत को Blogger Abhishek Bhojpuriya के साथ। Sushant Asthana

24/10/2022

नई दिल्ली से प्रकाशित अखबार "ओपन सर्च" में कुम्हार जाति की स्थिति पर विचार रखती हुई छपी मेरी लेख। धन्यवाद ओपन सर्च टीम एवं विजय जी।

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दिव्यकृति सर से पढें भोजपुरी में Khesari Lal Yadav जी के गाये रैप के माध्यम से
विवाह का यह मंत्रोच्चारण का तरीका बढिया है। आप भी देखें।
हमारा मर्जी है, हम नहीं जीतेगा।
"डोमिनिया" एक ऐसा छठ गीत जो आज तक किसी ने नहीं गाया। जानिए छठ व्रत को ब्लाॅगर भोजपुरिया के साथ
जानिए चम्पारण के इस गाँव को जहां नील की खेती के खिलाफ शुरु किया था गाँधी जी ने आंदोलन
राजसी ठाट को त्याग कर, इस जगह सिद्धार्थ बने गौतम बुद्ध
Sushant Asthana भैया का शानदार प्रस्तुति। बेहद खुबसूरत गायकी के साथ एक भक्ती गीत‌। बधाई भैया!
अगर आप हैं प्रकृति प्रेमी तो आपको बिहार का यह मांझर कुंड जरुर घुमनी चाहिए।
दर्शन कीजिए ताराचंडी धाम का ब्लाॅगर भोजपुरिया के साथ
बिहार में अगर घूमने निकलें तो रोहतास के करमचट डैम जरुर जाएं। पहाड़ियों से घीरा बहुत ही खुबसूरत जगह है।
"प्यार का पंचनाम" हिंदी लघु फिल्म जल्द ही आप सबके बीच
भोजपुरी गीतों में अश्लीलता कब से शुरु हुई यह जरुर जानें || भोजपुरी गीतों में अश्लीलता पार्ट -2|| Abhishek Bhojpuriya

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