Shiv Sewa Welfare Samiti
सेवाभाव अर्थात दूसरों की सेवा करने का जज्बा कमोबेश हर व्यक्ति में होता है।
सेवाभाव अर्थात दूसरों की सेवा करने का जज्बा कमोबेश हर व्यक्ति में होता है। प्राय: हर इंसान, चाहे वह किसी भी पेशे या व्यवसाय से जुड़ा हो, गरीब हो अथवा अमीर, खुले हाथ वाला हो या कंजूस, स्त्री हो या पुरुष, न सिर्फ स्वयं जीवन में आगे बढ़ना चाहता है, उन्नति करना चाहता है अपितु समाज के लिए भी कुछ न कुछ अवश्य करना चाहता है। आप विचार कीजिए आपने कितनी बार किसी न किसी अवसर पर किसी की मदद करने की सोची, लेकिन सोचते ही रह गए और मदद नहीं कर पाए। आखिर हम चाहते हुए भी कुछ क्यों नहीं कर पाते?
दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर अपनी दिव्य दृष्टि से देख रही है, सुपर पवार बनने की होड़ में कई देश अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन अलग-अलग रंगमंच (देश) मे कर रहे है। जिन कस्बों, स्थलों या फिर कहिए दानवता की प्रदर्शनी का स्थान या रंगमंच जहां नाटक को दर्शाया जा रहा है, वहाँ हर रोज रक्त की नदियां बह रही है। रक्त की नदियां तो उस रंगमंच (देश) मे बह रही है, पर उसकी छीटें देश के प्रत्येक देशवासियों पर पड़ता है , जिसे हर कोई तब महसूस करता है, जब हम किसी भी बाजार के रंगमंच पर किसी चीज को खरीद रहे होते है। रंगमंच के चंद किरदार सिर्फ अपने फायदे के लिए उस रंगमंच के इर्द गिर्द मानवता को बेरहमी से कुचलते या नष्ट करते हुए देखे जा रहे है। जिस मानवता की बात श्वामि विवेकानंद जी ने की थी, क्या वह मानवता हमें दिख रही है? विश्व-मानवता की रक्षा की चुनौती कितनी बड़ी है ??
नई शिक्षा नीति 2020 कितना कारगर होगा?
भारत सरकार ने 29 जुलाई, 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी दी। यह नीति 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेती है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इनमें से कुछ बदलावों में शामिल हैं :
# कक्षा 3 से 5 तक मातृभाषा में शिक्षा
# कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा में व्यावहारिक कौशलों पर जोर
# कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा में दो धाराओं (विज्ञान और कला) के बजाय पांच धाराओं (विज्ञान, कला, वाणिज्य, कृषि और इंजीनियरिंग) का प्रस्ताव
उच्च शिक्षा में अधिक लचीलापन और विविधता
नई शिक्षा नीति के इन बदलावों को शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी माना जा रहा है। इन बदलावों के माध्यम से सरकार का उद्देश्य भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने और छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।
# # नई शिक्षा नीति के कारगर होने के लिए निम्नलिखित कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
# शिक्षा के लिए पर्याप्त बजट : नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सरकार को शिक्षा के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करना होगा।
# शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार : नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा।
# शिक्षकों के प्रशिक्षण : नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा को अधिक अनुभवात्मक और व्यावहारिक बनाने के लिए शिक्षकों को नई शिक्षा प्रणाली के अनुसार प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
# माता-पिता और छात्रों का सहयोग : नई शिक्षा प्रणाली को सफल बनाने के लिए माता-पिता और छात्रों का सहयोग भी आवश्यक है।
यदि इन कारकों पर ध्यान दिया जाता है, तो नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में कारगर साबित हो सकती है।
# # नई शिक्षा नीति के संभावित लाभ :
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार : नई शिक्षा नीति के अनुसार छात्रों को अधिक अनुभवात्मक और व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
# छात्रों के कौशल में विकास : नई शिक्षा नीति के अनुसार छात्रों को विभिन्न कौशलों का विकास करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इससे छात्रों को रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी।
# शिक्षा में अधिक समानता : नई शिक्षा नीति के अनुसार सभी छात्रों के लिए समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध होंगे। इससे शिक्षा में अधिक समानता आएगी।
# # नई शिक्षा नीति के संभावित चुनौतियाँ:
शिक्षकों की तैयारी: नई शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा को अधिक अनुभवात्मक और व्यावहारिक बनाने के लिए शिक्षकों को नई शिक्षा प्रणाली के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।
# बुनियादी ढांचे में सुधार : नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा। यह एक महंगा कार्य हो सकता है।
# माता-पिता और छात्रों का सहयोग : नई शिक्षा प्रणाली को सफल बनाने के लिए माता-पिता और छात्रों का सहयोग भी आवश्यक है। यह प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
# # # कुल मिलाकर, नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो यह भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने और छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद कर सकती है।
मोबाइल गेम्स: लाभ और खतरा
लाभ:
कौशल विकास: कुछ गेम्स, जैसे कि पजल या रणनीति वाले खेल, मानसिक कौशल और लॉजिक को बढ़ावा देते हैं, जो छात्रों के बढ़ते हुए बुद्धिमत्ता के लिए उपयोगी हो सकते हैं.
तंदुरुस्ती और फिटनेस: कुछ वीडियो गेम्स, जैसे कि वायर्टुअल रियलिटी (VR) खेल, फिटनेस और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं.
सामाजिक सीख: ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम्स छात्रों को साथी छात्रों के साथ सहयोग करने और टीम वर्क कौशल विकसित करने का मौका देते हैं.
खतरे:
समय का अत्यधिक खर्च: गेम्स को अधिकतम समय देने से शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, और छात्रों के लिए पढ़ाई को बाधित कर सकता है.
व्यक्तिगत सुरक्षा: ऑनलाइन गेम्स में अवश्यक सुरक्षा की कमी हो सकती है, और छात्रों को वायरस, साइबर बुलींग, या अन्य ऑनलाइन सुरक्षा संबंधित खतरों से बचाने के लिए जागरूक रहना चाहिए.
सामाजिक असमर्थन: अत्यधिक गेमिंग के कारण, छात्रों का समाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है, और वे वास्तविक दुनिया के साथ सामाजिक संवाद से दूर हो सकते हैं.
अतः अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों के गेमिंग का सामय सीमित रखें, सुरक्षा को महत्व दें, और उन्हें उपयोगकर्ता सावधानियों का पालन करने की सीख दें, ताकि गेम्स का उपयोग शिक्षा में सहायक हो सके।
शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है, शिक्षा ही जीवन है। सीखना कक्षा में शुरू हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से वहाँ समाप्त नहीं होता है। शिक्षक आगे की राह के लिए संकेत स्थापित करते हैं जो कि जीवन ही है। समस्त शिक्षक समुदाय को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ। 🙏
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