Darmsot BoyZ
entertainment and arts
यह बंद दुकान दीनानाथ की है जो इंडिया और पाकिस्तान के बनने के वक़्त बहुत अफसोस के साथ यह दुकान पाकिस्तान छोड़कर इंडिया चले गए लेकिन जाते वक्त बहुत रोए और गाँव के लोगों को यह दिलासा दिलाया कि मैं वापिस आप लोगों के पास लौट कर आऊँगा। लोरा लाई पाकिस्तान में मौजूद इस दुकान पर अभी तक वही ताला लगा है जो दुकानदार जाते वक्त लगाकर चाबी अपने साथ ले गया था। 73 साल से यह दुकान बंद पड़ी है। पाकिस्तानी मकान मालिक जो अब इस दुनियाँ में नही रहा उसने वसीयत की थी कि इस दुकान का ताला तोड़ना नही उसके मरने के बाबजूद उसके बच्चों ने इसका ताला नहीं तोड़ा।वसीहत में लिखा कि मैंने उस दुकानदार को जबान दी है कि यह दुकान तुम्हारे आने तक बन्द रहेगी। मकान मालिक की औलादों
ने आज तक उस ताले को हाथ तक नही लगाया।हालाँकि उन्हें मालूम है की दुकानदार इस दुनियाँ में नही रहा लेकिन वफ़ा की यादगार के तौर पर अब तक यह दुकान दो इंसानों के बीच यादगार की मिसाल बन गई है।कमाल के बंदे थे दोनों-मकान मालिक ते दुकानदार।इंसानों के बीच इतना प्यार !
तक़रीबन 26 साल नौकरी करने के बाद सुरेश बाबू इसी महीने रिटायर होने वाले थे । वे एक प्राइवेट कंपनी में आदेशपाल(चपरासी) के पद पर कार्यरत थे ।
एक तरफ़ जहाँ सुरेश जी को इस बात का सुकून था कि चलो अब तो एक खड़ूस , बत्तमीज औऱ क्रूर बॉस से छुटकारा मिलेगा , वहीं दूसरी ओर उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही थी कि रिटायरमेंट के बाद अब उनका समय कैसे बीतेगा औऱ उनपर जो जबरदस्त आर्थिक जिम्मेदारी है , उसका निर्वहन वे कैसे करेंगे ??
दरअसल सुरेश बाबू को एक मात्र लड़की थी जिसकी पढ़ाई औऱ फ़िर व्याह की चिंता उन्हें खाए जा रही थी ।रिटायमेंट के बाद इस महंगाई में घर के ख़र्च के साथ साथ बेटी की शादी उनके लिए एक बड़ी चुनौती से कम न थी। ऊपर से उनकी बीमार पत्नी के इलाज़ का ख़र्च अलग से मुँह बाए खड़ा था ।
हालांकि लगभग 60 कर्मचारियों वाले उस दफ़्तर में अपने सुप्रीम बॉस सहित कुछ लोगों के बुरे बर्ताव के कारण वे मन ही मन बड़े दुखी रहते थे । फ़िर भी जब महीने की एक तारीख़ को उनके हाथों पर उनकी तनख्वाह आ जाती थी तब उनका सारा दुख दर्द फ़ुर्र हो जाता था ।
सुरेश बाबू ख़ुद भी शारीरिक रूप से दुरुस्त न थे । उनकी याददाश्त तो कुछ कमजोर हो ही चली थी , उनका अब हांथ भी कांपने लगा था । न चाहते हुए भी कुछ न कुछ गलती अक़्सर उनसे भी हो ही जाती थी ।वे क़भी दफ़्तर की सफ़ाई करना भूल जाते तो क़भी चाय में चीनी डालना। क़भी कभार तो गंदे ग्लास से ही किसी कर्मचारी को पानी पिला देते थे जिसके लिए उन्हें कुछ न कुछ भला बुरा सुनना पड़ता था । फ़िर भी सबकुछ चलते जा रहा था ।
आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया जिस दिन सुरेश बाबू का दफ़्तर में आख़री दिन था । सुरेश जी वक़्त से कुछ पहले ही दफ़्तर पहुँच कर अपने नियमित कार्य में जुट गए। सबकुछ रोज़ की ही तरह था , बस आज दफ़्तर में ख़ामोशी कुछ ज़्यादा थी ।
शाम में जब आख़री बार दफ़्तर से घर जाने का वक़्त हुआ तो सुरेश बाबू ने टूटे मन से सोचा कि अंतिम बार खड़ूस बॉस के केबिन में जाकर उससे मिल लिया जाए लेकिन उन्हें बताया गया कि अन्य कर्मचारियों के साथ बॉस एक जरुरी मीटिंग कर रहे हैं , फ़िलहाल उन्हें कुछ देर इंतज़ार करना होगा ।
दो घंटे इंतज़ार के बाद भी जब मीटिंग ख़त्म नहीं हुई तो सुरेश बाबू मन ही मन चिढ़ गए औऱ बॉस को कोसने लगे......साला क्या अहंकारी आदमी है, सिर्फ़ एक मिनट के लिए मुझें बुलाकर मिल लेता ...अकड़ू साला ।
अंत में मायूस होकर सुरेश बाबू ने बिना बॉस से मिले ही अपने घर लौटने का मन बना लिया , ठीक तभी किसी ने आवाज़ दी....साहब तुम्हें बुला रहे हैं ।
सुरेश बाबू झटपट अंदर दाख़िल हुए लेकिन बॉस के केबिन का नज़ारा कुछ बदला बदला सा था।सुरेश जी को देखते ही सभी कर्मचारियों ने ज़ोर से ताली बजाकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया ।फ़िर बॉस ने मेज़ पर रखे एक केक को काटने के लिए सुरेश जी को धीरे से इशारा किया ।
पार्टी समाप्ति के बाद अब बॉस ने बोलना शुरु किया....सुरेश , हम सब ने आज मिलकर सामुहिक रूप से ये फैसला लिया है कि तुम्हें फ़िलहाल नौकरी से कार्यमुक्त न किया जाए औऱ तुम्हारी सेवाएं पहले की तरह ही बहाल रखी जाए क्योंकि हमें एक ईमानदार, जिम्मेदार औऱ वफ़ादार व्यक्ति की सख़्त आवश्यकता है । कुछ मामूली लापरवाहियों को अगर नज़रंदाज़ कर दिया जाए तो तुम एक बेहद ही कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हो। तुम्हें तुम्हारी सेवाओं के बदले प्रत्येक कर्मचारी की तरफ़ से महीने के अंत में पाँच सौ रुपये दिए जाएंगे ।हालांकि ये हमारे ऑफिस के नियम के खिलाफ है , फ़िर भी तुम्हारी आर्थिक जरुरतों के देखते हुए तुम्हारे लिए ऐसा करना पड़ रहा है लेकिन ध्यान रहे तुम्हारी गलतियों के लिए तुम्हें मिलने वाली डांट में कोई रियासत नहीं मिलेगी ।
बॉस ने अपनी बातों को बीच में रोकते हुए रूपयों का एक बंडल सुरेश बाबू के हाथों में थमाया औऱ फ़िर बोलना शुरू किया....आज ही ये पाँच लाख रुपए हम सब ने मिलकर तुम्हारे लिए जमा किए हैं ताकि तुम अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कर सको ।
बॉस ने जैसे ही अपनी वाणी को विराम दी तालियां फ़िर से गड़गड़ा उठी ।
सुरेश बाबू रोते हुए बॉस के चरणों में झुक गए लेकिन बॉस ने उन्हें पकड़कर अपने गले से लगा लिया ।
ऑफिस से निकलने के बाद डबडबाई आँखों को लेकर सुरेश बाबू अपने घर की ओर जाते हुए बस यही सोच रहे थे कि आज तक जिन लोगों को वे खड़ूस औऱ बेरहम समझ रहे थे , वे हक़ीक़त में कुछ औऱ ही निकल गए ।
अक़्सर हमारे नकारात्मक विचारों के कारण किसी भी व्यक्ति के प्रति हमारे मन में जो धारणा बन जाती है वो हमेशा सही नहीं होती । क़भी क़भी लोग इतने भी बुरे नहीं होते जितने हम उन्हें मान बैठते हैं ।
शिव सबसे शानदार भगवान हैं।
वे देवो के देवता है, देवाधिदेव हैं। मनुष्यों के देव हैं, महादेव हैं। लेकिन वे दैत्यों के भी देवता हैं। हर असुर ने उनका पूजन किया, वरदान पाए।
शिव ने भक्त भक्त में भेद नही किया। उसकी जाति नही देखी, रंग और पूजन पद्धति का भेद नही देखा। वे तो मानव और पशु का भी भेद नही देखते। पशुओं के भी देवता वही है, पशुपति हैं।
~~~
वे चतुर और कुटिल नही हैं, भोलेनाथ हैं। उनके भक्त उन्हीं के वरदानों से, बार बार उन्हें ही संकट में ला देते हैं। लेकिन फिर भी, वे औघड़ दानी है।
शिव की महानता उनकी साधारणता में है। हीरे- मोती- सिक्के और नोट नही जनाब। बस, लोटा भर जल चढ़ा दीजिए।
शिव डमरू की आवाज में खुश हैं, बेल के पत्तो में खुश है। कतरा भर भांग की बूटी में खुश हैं, धतूरे के एक फूल, बेल के तीन पत्तो से खुश हैं।
शिव श्मशान की राख से खुश हैं। उनके पूजन का कोई नियम नही, कायदा नही, वक्त नही, सिस्टम नही। बस- शिव का नाम लीजिए। या न भी लीजिए।
क्योकि शिव ही सत्य हैं, सुंदर हैं। तो जिसमे सत्य है, सुंदरता है, वह शिव ही है। लेकिन सुंदरता भी शर्त नही। उनके गण, उनके भक्त, असुंदर भी है.. चलेगा।
~~~
गंजेड़ी, भंगेड़ी, शराबी भी बिना अपराध बोध के, भरपूर नशे में प्रभु को याद करता है, तो जै भोलेनाथ ही कहता है। तो क्या आश्चर्य की शिव सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देव हैं। विश्वास नही???
तो जरा आंख बंद कीजिए, अपने घर से पांच किलोमीटर के दायरे में सारे छोटे बड़े मन्दिरो और देवस्थलों को याद कीजिए। मेरा दावा है की अस्सी प्रतिशत सिर्फ शिव के स्थान मिलेंगे।
क्योकि शिव को मंदिर नही चाहिए। तालाब के किनारे, वृक्ष के नीचे, घने वन में, सड़क के किनारे, खुले में शिव बैठे हैं, और मस्त हैं। उसी लोटे से तालाब में खुद नहाइये, और फिर उसी तालाब का पानी, उसी लोटे में भरकर, तालाब के किनारे शिवलिंग पर चढ़ा आइये।
शिवा इज मोर देन हैप्पी!!!
~~~~
ईश्वर अगर सर्वव्यापी है, तो शिव इस कसौटी में 100 में से 100 नम्बर हैं। वे कण कण में हैं, गण गण में, घट घट में हैं। स्फटिक नही, सोना नही, हीरा नही, संगमरमर नही,। हर मामूली पत्थर, बर्फ का टुकड़ा, मिट्टी की लोई, शिव बन सकती है, महादेव हो सकती है।
तो वे किसी फवारे में हैं, किसी मस्जिद में भी धूनी रमाये हुए हैं, यह मानने के लिए सर्वे की जरूरत सिर्फ उन्हें है, जिन्होंने शिव को लिंग में सीमित कर दिया है।
जिन्होंने हर-हर और घर-घर से महादेव को हटाकर किसी मलिन को स्थापित कर दिया है।
~~
तो याद रखो, शिव को अपने गण प्रिय है। अपने जन प्रिय है। वो धर्म और जाति नही देखते, पीड़ा देखते हैं और उनकी आर्तनाद पर दौड़े आते है।
और अब अत्याचार की सीमाएं पार हो रही हैं।
डरता हूँ जाने किसकी अनकही आर्तनाद शिव सुन लें। दौड़े आयें। त्रिशूल से वज्रपात हो, मृत्यु का तांडव हो, और तीसरा नेत्र तुम्हारे तिनकों से बने साम्राज्य को भस्म कर दे।
मैं डरता हूँ, क्योकि इन्ही तिनकों के बीच मेरा बसेरा भी है।
~~~
तुम भी डरो।
डरो कि शिव का क्रोध असीमित है। शिव से बड़ा काल अभी तक कल्पित नही हुआ। अपने कर्म के फल से डरो। काल के क्रम से डरो।
महाकाल के न्याय से डरो।
DARMSOT BOYZ
आईला! इन 20 जानवरों की शक़्ल तो हॉलीवुड स्टार्स से काफ़ी मिलती-जुलती है हॉलीवुड स्टार्स के इन हमशक़्ल की कल्पना भगवान ने भी नहीं की होगी.
Click here to claim your Sponsored Listing.
Videos (show all)
Category
Contact the establishment
Telephone
Address
125055
Sirsa
https://youtube.com/channel/UCHpGirULOqUg3_4cq7kl39A Plz subscribe my channel