सुल्तानपुर बेलवाई शिवधाम Turist Place:- 9594190620
मुझे ईमानदारी और सज्जनता का ब्रांड बन?
जय सियाराम जी 🚩🎉🌹
ग्राम सभा मीरपुर प्रतापपुर में चकबंदी की प्रक्रिया की कवायद शुरू हो चुकी है अब आप सब लोग अपना राय जरूर दे??
#खतौनी कौन सा प्रयोग हो??? 🙏
#पुरानी खतौनी से ही होना चाहिए?🎉
#अपनी राय जरूर दे धन्यवाद??🙏
यादें
धर्म और प्रेम दो ऐसे शब्द है,,
जिन पर मानव जाति ने सबसे ज्यादा अत्याचार किया गया है।।
🚩🙏 राधे राधे 🙏🚩
यादें
धर्म और प्रेम दो ऐसे शब्द है,,
जिन पर मानव जाति ने सबसे ज्यादा अत्याचार किया गया है।।
🚩🙏 राधे राधे 🙏🚩
#आओ कहानी सुने
#दखलंदाज़ी___
#एक लड़की अपनी माँ के साथ पुलिस थाने मे अपने पति एवं ससुराल वालो के खिलाफ शिकायत करने जाती है !
#वहां की आफिसर लड़की से पुछती है ...
#क्या तुम्हारा पति मारता हैं ?
#क्या वो तुमसे अपने माँ बाप से कुछ मांग के लाने को कहता है ?
क्या वो तुम्हे खाने पहनने को नहीं देता
#क्या तुम्हारे ससुराल वाले कुछ भला बुरा कहते है
#क्या वो तुम्हारा ख्याल नहीं रखता ?
#इन सब सवालो का जवाब लड़की ने नही में दिया !
#इस पर लड़की की माँ बोली कि मेरी बेटी बहुत परेशान है !
#वो इसे घर की छोटी-छोटी बातों पर टोकाटाकी करते हैं
#मोबाइल पर बात करने पर भी आपत्ति करते हैं/
#वो इसे टार्चर करते है !
#अफसर अच्छे से समझ गयी ! #उसने लड़की की माँ से पुछा - क्या आप बेटी से रोज फोन पर बात करती हैं?
#माँ ने कहा- हाँ हाँ क्यों नहीं, मैं अपनी बेटी का पराये घर में ध्यान तो रखूंगी ना, इतने नाजो से पाला है उसे।।।
#पुलिस अफसर समझ गई और फिर उसने पूछा -
#बहन जी क्या आप घर में दही ज़माती हो ?
#लड़की की माँ नें कहा- हाँ !
#अफसर : तो जब दही ज़माती हो तो बार बार दही को ऊंगली मार कर जाचती हो ?
#लड़की की माँ : जी अगर बार बार ऊंगली मार के जाचुंगी तो दही कहा जमेगा ? वो तो खराब हो जाएगा
#अफसर : तो बहिन जी इस बात को समझिये #शादी से पहले लड़की दूध थी !
#अब उस को ज़म कर दही बनना है !
#आप बार बार ऊंगली मारेंगी तो वह ससुराल में बसेगी कैसे ? वहाँ के रहन - सहन को सिखेगी कैसे?
#आपकी लड़की ससुराल में परेशांन नहीं है !
#आप की दखलंदाज़ी ही उसके घर की परेशानी का कारण है !
#उसे उसके ससुराल में एडजस्ट होने की शिक्षा दीजिये ! #उसको वहाँ के हिसाब से रचने - बसने दीजिये
#सपोर्ट अवश्य करना चाहिये लेकिन यह समझना चाहिये कि बेटी के घर में ज्यादा दखलंदाज़ी ही उसके घर की परेशानी का कारण बन सकती है !
#हर माँ को ये समझना चाहिए इस समझ की आज समाज में बहुत ज़रूरत है इसी प्रकार से जीवन की कई परिस्थितियों को संभाला जा सकता है।🙏🏻🙏🏻
#सदैव प्रसन्न रहिये ! जो प्राप्त है वही पर्याप्त है ! !!
#जिसका मन मस्त है , उसके पास समस्त है ! !!
👍👍👍👍👍
#आओ कहानी सुने
#लक्ष्मी मौसी
#घर से बाहर निकलते ही सबसे पहले मे इधर उधर देखता था कहीं गली मे या अपने दरवाजे पर लक्ष्मी मौसी तो नहीं खडी ..... लक्ष्मी मौसी....हमारे पास ही दो घर छोडकर रहती है...जब कभी मुझे बाहर निकलते देखती हैं उन्हें कुछ ना कुछ बाजार से मंगाना ही होता है....
कभी सब्जी तो कभी दवाई तो कभी दूध....
तंग आ गया हूं उनसे.....कभी कभी तो मन करता है जी भरकर सुना दूं..... खुद के बेटे को तो गांव से बाहर बडे शहर भेज दिया और मुझे यहां नौकर समझ रखा है.... पर अकेली रहती है अंकल भी शायद बीमार रहते है इसलिए चुप हो जाता हूं यही सोचकर....
अपनी बाइक मैं अब घर से दूर ले जाकर स्टार्ट करता हूं कि कहीं आवाज सुन कर आ ना जाएं....
आज बाइक लेकर अभी गांव की गली के मोड़ से मुड़ने ही वाला था कि सामने से लक्ष्मी मौसी दिख गई....
हाथों में बड़ा सा झोला लिए पैदल.... पसीने से तर बतर....
ना जाने क्या हुआ मुझे .... मैंने बाइक रोक दी....
राम राम मौसी.... पैदल....क्युं.....कोई रिक्शा नहीं था क्या....
सांसे काफी तेज चल रही थी उनकी....अपने पल्लू से पसीने को पोछ थोड़ा रुक कर बोली....
राम राम बेटा....राम राम....वो रिक्शावाला.....
ज्यादा पैसे मांग रहे था झोले को किसी तरह बमुश्किल उठाकर वह फिर चलने को हुई.... उन्हें इस हाल में देख मैं पसीज गया....लाओ मौसी.... मैं ले चलता हूं....
उन्होंने एकटक मेरी और देखा फिर कुछ सोचने लगी...
चलिए ना ....क्या सोचने लग गई आप....
उन्होंने कुछ बोला नही.... मैंने खुद उनके हाथों का सामान लिया और उन्हें पीछे बिठाकर उनके घर ले आया....
अंकल मोबाइल फोन पर बातें कर रहे थे...
बेटा.....मैं भी बहुत बीमार रहता हूं तेरी मां भी थक चुकी है ....अभी बाजार गई है सब्जियों को लाने....
फिर मेरी दवा लाने बड़े बाजार जाएगी....गांव के बच्चे कितना करेंगे हमारे लिए....सच कहूं तो वो भी बचने लगे हैं हमसे.....
अंकल की ये बात सुन मैं कहीं ना कहीं खुद से नज़रें चुराने लग गया था अंकल हाथ में दवा की पर्ची लिए फोन पर बातें किये जा रहे थे....
हमें अपने साथ ही रखता तो......ना जाने उधर से क्या बोला गया.... अंकल फोन रखकर रोने से लग गए....
लक्ष्मी मौसी उनको चुप कराते हुए बोली....आप क्यूं उससे रोज रोज ये विनती करते है मैं हूँ ना.....
जब तक सांस है मैं खींच लुंगी अपनी गृहस्थी....मौसी ने उनके हाथ से दवा की पर्ची ले ली....उनका माथा अभी भी पसीने से भीगा हुआ था....उनकी ये परिस्थिति देख दिल में दर्द सा उठ आया....
अरे तुम.... तुम जाओ बेटा...तुम्हें देर हो रही होगी....मुझे छोड़ने के लिए साथ आ गए.....
मौसी ने भरी हुई आवाज से मुझे जाने को कहा.... उन्हें देख मेरी आँखें भी भर आई...
मुझे क्षमा कर दीजिएगा मौसी...मै पड़ोस में रहकर आपकी इन परिस्थितियों से अनजान था....आप मुझे पर्ची दीजिये मैं दवा लेकर आता हूं....
जब खुद का बेटा सब जानकर ही अनजान बना बैठा है तो तुम क्यों माफ़ी मांग रहे हो बेटा....
कयोंकि आप मुझे भी तो बेटा कहती है मौसी......
मैंने अपने इस हक से उनके हाथों से पर्ची ले ली....
उन्होंने भी मेरे माथे को चूम अपना हक जता दिया.....
दोस्तों..... बडे बुजुर्ग कहते थे मौसी अर्थात मां जैसी .....
जब मौसी आपको स्नेह और ममता देने मे मां बन जाती है तो आप किसी मौसी , चाची , आंटीजी के बेटे कयूं नहीं बन सकते .......जब कोई आपको बेटा कहता है ना तो निश्चित ही आप के अंदर भी उनके प्रति आदर सम्मान और कुछ आशाएं दिखाई देती है .....
आओ इस बदलती हुयी दुनिया, बदलते हुए रिश्तों के बीच एक दूसरे के प्यार सम्मान और स्नेह भरी ममता को समझते हुए हम भी एसे बने रिश्तों का सम्मान करें। 🙏🙏🙏
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नींबू (साइट्रस लिमोन) विटामिन सी, साइट्रिक एसिड और आवश्यक तेल से भरपूर एक फूल वाला पौधा है जिसका व्यापक रूप से भोजन और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
नींबू के रस का सेवन गुर्दे की पथरी को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है क्योंकि यह कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल के जमाव को रोकता है जो पथरी बनने का मुख्य कारण है। यह अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गतिविधि के कारण किडनी की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को भी रोकता है।
यह खांसी और जुकाम में फायदेमंद है क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जो विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। नींबू को गर्म पानी में शहद के साथ नियमित रूप से लेने से वजन घटाने में भी मदद मिल सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार, नमक के साथ नींबू का सेवन मतली को प्रबंधित करने में मदद करने का एक सामान्य उपाय है क्योंकि यह पाचन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
लेमन एसेंशियल ऑयल को जैतून के तेल जैसे कुछ अन्य वाहक तेल के साथ मिलाकर तनाव कम करने में मदद मिलती है। तनाव के लक्षणों को कम करने के लिए स्कैल्प पर इसकी मालिश की जा सकती है। इसकी रोगाणुरोधी गतिविधि के कारण इसका उपयोग विभिन्न त्वचा संक्रमणों के प्रबंधन के लिए भी किया जा सकता है।
नींबू के रस के अम्लीय गुण [1-4] के कारण त्वचा और खोपड़ी की जलन से बचने के लिए पतला रूप में नींबू के रस का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
नींबू का Synonyms क्या है ?
साइट्रस लिमोन, नीम्बू, निंबुका, लिम्बु, एलुमिकाई, लेबू, लिम्बु, निबू, निम्मकाया
नींबू का स्रोत क्या है?
संयंत्र आधारित
Lemon : Benefits, Precautions and Dosage | 1mg Lemon is an ayurvedic ingredient which might be beneficial for treating health conditions like Common cold, Influenza (flu), Kidney stone, Scurvy, Swelling, Meniere's disease, Meniere's disease. Here are the potential benefits, precautions, dosage and side effects.
#एक भक्त ने 2.45मिनेट तक शंख बजाया👌 #राष्ट्रपति मुर्मू और योगीजी सभी देखने लगे।🙅ध्यान से सुनिए।🙅🙅
#भगवान_शिव के "35" रहस्य!!!!!!!!
#भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।
🔱1. आदिनाथ शिव : - सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।
🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : - शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
🔱3. भगवान शिव का नाग : - शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।
🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : - शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।
🔱5. शिव के पुत्र : - शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
🔱6. शिव के शिष्य : - शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
🔱7. शिव के गण : - शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।
🔱8. शिव पंचायत : - भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।
🔱9. शिव के द्वारपाल : - नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।
🔱10. शिव पार्षद : - जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।
🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : - शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई।
🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : - ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : - भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।
🔱14. शिव चिह्न : - वनवासी से लेकर सभी साधारण व्यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।
🔱15. शिव की गुफा : - शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।
🔱16. शिव के पैरों के निशान : - श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर 'रांची हिल' पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को 'पहाड़ी बाबा मंदिर' कहा जाता है।
🔱17. शिव के अवतार : - वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।
🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : - शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।
🔱19. तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
🔱20.शिव भक्त : - ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
🔱21.शिव ध्यान : - शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
🔱22.शिव मंत्र : - दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
🔱23.शिव व्रत और त्योहार : - सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
🔱24.शिव प्रचारक : - भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
🔱25.शिव महिमा : - शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।
🔱26.शैव परम्परा : - दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
🔱27.शिव के प्रमुख नाम : - शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : - शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
🔱29.शिव ग्रंथ : - वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
🔱30.शिवलिंग : - वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : - सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्योति पिंड पृथ्वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्योतिर्लिंग में शामिल किया गया।
🔱32.शिव का दर्शन : - शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
🔱33.शिव और शंकर : - शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
🔱34. देवों के देव महादेव : देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।
🔱35. शिव हर काल में : - भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे,
*🌝आज की प्रेरणादायक कहानी* 📃
एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल में जा रहे थे। ढलान पर से गुजरते अचानक शिष्य का पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़कने लगा। वह खाई में गिरने ही वाला था कि तभी उसके हाथ में बांस का एक पौधा आ गया। उसने बांस के पौधे को मजबूती से पकड़ लिया और वह खाई में गिरने से बच गया।
बांस धनुष की तरह मुड़ गया लेकिन न तो वह जमीन से उखड़ा और न ही टूटा. वह बांस को मजबूती से पकड़कर लटका रहा। थोड़ी देर बाद उसके गुरू पहुंचे।उन्होंने हाथ का सहारा देकर शिष्य को ऊपर खींच लिया। दोनों अपने रास्ते पर आगे बढ़ चले।
राह में संत ने शिष्य से कहा- "जान बचाने वाले बांस ने तुमसे कुछ कहा, तुमने सुना क्या?"
शिष्य ने कहा- "नहीं गुरुजी, शायद प्राण संकट में थे इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया और मुझे तो पेड-पौधों की भाषा भी नहीं आती. आप ही बता दीजिए उसका संदेश।"
गुरु मुस्कुराए- खाई में गिरते समय तुमने जिस बांस को पकड़ लिया था, वह पूरी तरह मुड़ गया था। फिर भी उसने तुम्हें सहारा दिया और जान बचा ली।
संत ने बात आगे बढ़ाई- बांस ने तुम्हारे लिए जो संदेश दिया वह मैं तुम्हें दिखाता हूं।
गुरू ने रास्ते में खड़े बांस के एक पौधे को खींचा औऱ फिर छोड़ दिया। बांस लचककर अपनी जगह पर वापस लौट गया।
हमें बांस की इसी लचीलेपन की खूबी को अपनाना चाहिए। तेज हवाएं बांसों के झुरमुट को झकझोर कर उखाड़ने की कोशिश करती हैं लेकिन वह आगे-पीछे डोलता मजबूती से धरती में जमा रहता है।
बांस ने तुम्हारे लिए यही संदेश भेजा है कि जीवन में जब भी मुश्किल दौर आए तो थोड़ा झुककर विनम्र बन जाना लेकिन टूटना नहीं क्योंकि बुरा दौर निकलते ही पुन: अपनी स्थिति में दोबारा पहुंच सकते हो।
शिष्य बड़े गौर से सुनता रहा। गुरु ने आगे कहा- "बांस न केवल हर तनाव को झेल जाता है बल्कि यह उस तनाव को अपनी शक्ति बना लेता है और दुगनी गति से ऊपर उठता है। बांस ने कहा कि तुम अपने जीवन में इसी तरह लचीले बने रहना।
गुरू ने शिष्य को कहा- "पुत्र पेड़-पौधों की भाषा मुझे भी नहीं आती। बेजुबान प्राणी हमें अपने आचरण से बहुत कुछ सिखाते हैं।"
🤔जरा सोचिए कितनी बड़ी बात है। हमें सीखने के सबसे ज्यादा अवसर उनसे मिलते हैं जो अपने प्रवचन से नहीं बल्कि कर्म से हमें लाख टके की बात सिखाते हैं। हम नहीं पहचान पाते, तो यह कमी हमारी है।
*नित याद करो मन से शिव परमात्मा को☝🏻*
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*🌝आज की प्रेरणादायक कहानी* 📃
एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल में जा रहे थे। ढलान पर से गुजरते अचानक शिष्य का पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़कने लगा। वह खाई में गिरने ही वाला था कि तभी उसके हाथ में बांस का एक पौधा आ गया। उसने बांस के पौधे को मजबूती से पकड़ लिया और वह खाई में गिरने से बच गया।
बांस धनुष की तरह मुड़ गया लेकिन न तो वह जमीन से उखड़ा और न ही टूटा. वह बांस को मजबूती से पकड़कर लटका रहा। थोड़ी देर बाद उसके गुरू पहुंचे।उन्होंने हाथ का सहारा देकर शिष्य को ऊपर खींच लिया। दोनों अपने रास्ते पर आगे बढ़ चले।
राह में संत ने शिष्य से कहा- "जान बचाने वाले बांस ने तुमसे कुछ कहा, तुमने सुना क्या?"
शिष्य ने कहा- "नहीं गुरुजी, शायद प्राण संकट में थे इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया और मुझे तो पेड-पौधों की भाषा भी नहीं आती. आप ही बता दीजिए उसका संदेश।"
गुरु मुस्कुराए- खाई में गिरते समय तुमने जिस बांस को पकड़ लिया था, वह पूरी तरह मुड़ गया था। फिर भी उसने तुम्हें सहारा दिया और जान बचा ली।
संत ने बात आगे बढ़ाई- बांस ने तुम्हारे लिए जो संदेश दिया वह मैं तुम्हें दिखाता हूं।
गुरू ने रास्ते में खड़े बांस के एक पौधे को खींचा औऱ फिर छोड़ दिया। बांस लचककर अपनी जगह पर वापस लौट गया।
हमें बांस की इसी लचीलेपन की खूबी को अपनाना चाहिए। तेज हवाएं बांसों के झुरमुट को झकझोर कर उखाड़ने की कोशिश करती हैं लेकिन वह आगे-पीछे डोलता मजबूती से धरती में जमा रहता है।
बांस ने तुम्हारे लिए यही संदेश भेजा है कि जीवन में जब भी मुश्किल दौर आए तो थोड़ा झुककर विनम्र बन जाना लेकिन टूटना नहीं क्योंकि बुरा दौर निकलते ही पुन: अपनी स्थिति में दोबारा पहुंच सकते हो।
शिष्य बड़े गौर से सुनता रहा। गुरु ने आगे कहा- "बांस न केवल हर तनाव को झेल जाता है बल्कि यह उस तनाव को अपनी शक्ति बना लेता है और दुगनी गति से ऊपर उठता है। बांस ने कहा कि तुम अपने जीवन में इसी तरह लचीले बने रहना।
गुरू ने शिष्य को कहा- "पुत्र पेड़-पौधों की भाषा मुझे भी नहीं आती। बेजुबान प्राणी हमें अपने आचरण से बहुत कुछ सिखाते हैं।"
🤔जरा सोचिए कितनी बड़ी बात है। हमें सीखने के सबसे ज्यादा अवसर उनसे मिलते हैं जो अपने प्रवचन से नहीं बल्कि कर्म से हमें लाख टके की बात सिखाते हैं। हम नहीं पहचान पाते, तो यह कमी हमारी है।
*नित याद करो मन से शिव परमात्मा को☝🏻*
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😊 🙏🏻 *ओम शांति और सुप्रभात दिव्य आत्मन*🌹
*_आपका जीवन दुनिया के लिए आपका संदेश है।_*
*_जिवन ऐसा जिये की य़ह सर्व के लिए उदहारण बने तथा इससे सर्व को प्रेरणा भी मिले।_*
🙏 *परमात्मा की याद में आध्यात्मिक पथ पर चलते रहिए।*