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27/02/2022
14/09/2021

My son Utkarsh got 28th rank in Politechnic (G.T.I.)
Entrance exam in Uttar Pradesh.

15/08/2021
11/05/2021

आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस है

यह हर वर्ष 11 मई को मनाया जाता है। इसका श्रीगणेश पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। 11 मई 1998 को भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अगुवाई में राजस्थान के जैसलमेर के पास पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था। इस दिन को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

11 मई 1998 को भारत मे पोखरण में अपने शक्ति-1 न्यूक्लियर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इस ऑपरेशन को सरकार ने पोखरण-II का नाम दिया था, जिसे ऑपरेशन शक्ति कोड नेम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट को राजस्थान स्थित भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में पूर्ण दिया गया था। आपको बता दें कि ये भारत सरकार द्वारा पोखरण में किया गया दूसरा टेस्ट था। इससे पहले मई 1974 में भी पोखरण-I के नाम से टेस्ट किया गया था, जिस ऑपरेशन को कोड नेम स्माइलिंग बुद्धा नाम दिया गया था।

आज का दिन इन कारणों से भी है महत्त्वपूर्ण:
भारत सरकार 1998 से हर साल विज्ञान के क्षेत्र में माइलस्टोन (मील का पत्थर) स्थापित करने वाले वैज्ञानिकों को आज के दिन सम्मानित करती है। इस साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवसका मुख्य फोकस 'कॉमर्शियलाइजिंग इंडिजीनस टेक्नोलॉजी' पर किया गया है। हर वर्ष टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड ऑफ इंडिया इस दिन विज्ञान और प्रोद्योगिकी (Science and Technology) के क्षेत्र में काम करने वाले अचीवर को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित करती है।

DRDO ने आज के दिन ही त्रिशूल शॉर्ट रेंज मिसाइल का परीक्षण किया था जो भूमि से हवा में तेजी से मारने की क्षमता रखती है। यही नहीं आज के दिन ही नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेट्रीज ने भारत का पहला इंडिजीनस एयरक्राफ्ट Hansa-1 को बनाया किया था।

08/05/2021

प्राणवायु (ऑक्सीजन) चाहिए
एक बर्तन (सिलेंडर) भर चाहिए
जिंदगी और मृत्यु पर ठन आई है
चारों ओर खूब कोलाहल मचा है
बस एक बर्तन भर चाहिए
लेकिन सोच तो जरा ऐ मनुष्य
ये परिस्थिति क्यों कैसे आई है
असीमित प्राणवायु का स्रोत
जिसका नही देना पड़ता अर्थ कोई
तूने स्वयं अपने हाथों नष्ट कर दिया
एक बर्तन भर के लिए छटपटा रहा
प्रकृति ने दी है हर एक चीज तुझे
जिसको तूने किया है नष्ट, भ्रष्ट
ज्ञानी है या अज्ञानी तू सोच
बेकार का दम्भ छोड़
चल फिर प्रकृति की ओर ।।

आज की इस कठिन और विकराल परिस्थिति में केवल और केवल प्रकृति अर्थात बाहर की प्राणवायु एवं अंदर की प्रतिरोधक शक्ति ही हमें पुनः जीवन की ओर ले जा सकती है, तो क्यों न हम सभी अपनी आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति का मोल समझाएं और उन्हें पुनः प्रकृति की ओर मोड़ने का एक छोटा सा प्रयास करें।

05/05/2021
27/02/2021

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