Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore Shuddhi Deaddiction Centre Indore
Shuddhi nasha mukti kendra is India's leading addiction treatment centre for suffering addicts.
शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र के संचालक राजीव तिवारी को नशा मुक्ति के क्षेत्र में किये गये कार्यो के लिए गायत्री शक्तिपीठ भोपाल द्वारा आज दशहरे के कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। गायत्री शक्तिपीठ परिवार का आभार।
नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत शिव नगर बस्ती में नशा मुक्ति शिवनगर अभियान का शुभारंभ किया इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्री राजीव तिवारी ने उपस्थित बच्चों को जीवन में कभी नशा न करने का संकल्प दिलवाया।
Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore Shuddhi Deaddiction Centre Indore updated their website address.
Dr. Sagar Mudgal examining the mental health of drug addicts at Shuddhi De-addiction Center, Indore.Long-term use of drugs causes many mental health problems such as schizophrenia, obsessive compulsive disorder (OCD), mania, mood disorders, bipolar disorder, insomnia, (psychotic ), Personality Disorder, Phobia, Substance Related Disorder, Cognitive Disorder, Depression, Anxiety etc. If these mental health related problems are not treated on time, they often become incurable. If a person is mentally unwell, then unless his mental illness is treated, his chances of being free from drugs are also very less because he does not have normal intelligence and conscience, so it is difficult to give counseling and psychotherapy. Dr. Sagar Mudgal, (psychiatrist), frequently visite to Shuddhi De-addiction Center and treatment is started immediately for drug addicts who are found to have symptoms of mental illness.
De-addiction centre Indore, Khargone, Khandwa, Dhar, Alirajpur, Jhabua, Dewas, Guna, Ashoknagar, Ujjain, Ratlam, Mandsaur.
शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर में नशा पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करते हुए डॉक्टर सागर मुद्गल।
लंबे समय तक मादक पदार्थों का सेवन करने से बहुत से नशा पीड़ितों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं जैसे कि स्किजोफ्रिनिया, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी), मेनिया, मनोदशा विकार (मूड डिसऑर्डर), बाइपोलर डिसऑर्डर,अनिद्रा (इनसोम्निया), साइकोटिक (psychotic), व्यक्तित्व विकार (Personality Disorder), फोबिया, सब्स्टेन्स रिलेटेड डिसऑर्डर, कॉग्निटिव डिसऑर्डर, अवसाद (डिप्रेशन), एंजायटी आदि हो जाती हैं इनमें से बहुतों को यह समस्याएं शुरुआती दौर में होती है जिस कारण इनको मानसिक रोग विशेषज्ञ द्वारा ही पहचाना जा सकता है। यदि इन मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का समय पर उपचार न किया जाए तो बहुत बार यह लाइलाज हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो जब तक उसके मानसिक रोग का उपचार नहीं हो जाता उसके नशे से मुक्त होने की संभावनाएं भी बहुत कम होती हैं क्योंकि उसके पास सामान्य बुद्धि और विवेक नहीं होता है इस कारण उसको काउंसलिंग और साइकोथेरेपी देना मुश्किल होता है। शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सागर मुद्गल की नियमित विजिट होती हैं एवं जिन नशा पीड़ितों में मानसिक रोग के लक्षण पाए जाते हैं उनका तुरंत उपचार शुरू किया जाता है।
शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर, धार, गुना, अशोकनगर, उज्जैन, देवास, अलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन।
इंदौर पुलिस का बहुत जबरदस्त काम, शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र की ओर से आभार अभिनंदन।
Nasha Mukti Kendra me upchar prakriya by Addiction Counselor - Rajeev Tiwari Nasha Mukti Kendra me upchar prakriya by Addiction Counselor - Rajeev Tiwari
नशे से मुक्ति हेतु अमेरिकन फ़ेलोशिप अल्कोहोलिक्स एनोनिमस ने "एक बार में एक दिन" की नई अवधारणा दी जो सबसे सफल साबित हुई है। कहावत है कि एक बार का शराबी हमेशा का शराबी ( once addict always addict ) इस कहावत के अनुसार जो एक बार शराबी हो जाता है तो चाहे उसने कितने भी दिन से नशा बंद कर के रखा हो उसके दुबारा नशा करने की संभावना हमेशा रहती है। हम लोगों के अनुभव बताते है कि नशा बंद करने के 2 साल या 5 साल बाद भी लोग दुबारा नशा कर लेते है इसीलिये एक एडिक्ट को हमेशा यह बात याद रखनी चाहिए है कि वह भी किसी भी दिन दुबारा पी सकता है इसलिए उसे रोज सतर्क रहना चाहिए। इस सतर्कता को बनाये रखने के लिए अल्कोहोलिक्स एनोनिमस ने कहा कि "एक बार में एक दिन" इसके अनुसार हमें अपना नशा बंद करने का कार्यक्रम केवल एक दिन का बनाना है और वो दिन आज का दिन है, हमें केवल आज के दिन अपने नशे को पकड़ के रखना है क्योंकि हम आज भी पी सकते है। हम देखते है कि अधिकतर व्यक्ति कहते है कि अब मैं कभी नही नशा करूँगा तो उसको लगता है कि अब कभी नशा नहीं करना तो आज तो कर लेता हूँ क्योंकि कल से तो हमेशा के लिए बंद कर दूंगा पर कल कभी नहीं आ पाता है, क्योंकि 'कल' एक काल्पनिक दिन है जो कभी नहीं आता है हम कभी नहीं कह सकते कि आज 'कल' है इस कारण लोगों को "कल से बंद कल से बंद" कहते हुए सालों बीत जाते है पर नशा बंद नही होता। इस कार्यक्रम ने कहा कि बस एक दिन 'आज' के दिन बंद और 'आज' कभी नहीं जाता हम हमेशा 'आज' में होते है। केवल आज के दिन बंद करने की अवधारणा की मदद से विश्व में 50 लाख लोग सालों से नशे से दूर है ये लोग कभी नहीं कहते कि हम कभी नही पीयेंगे ये हमेशा कहते है कि हम बस आज नही पीएंगे।
शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर, आगर मालवा, खंडवा, खरगोन, धार, देवास, उज्जैन, रतलाम।
Nasha mukti kendra Bhopal, Raipur, Indore, Bilaspur;
Addiction Treatment centre Bhopal, Raipur, Indore, Bilaspur;
Deaddiction Centre Bhopal, Raipur, Indore, Bilaspur.
Once a person becomes addicted to any substance,then even after he has stopped using, there is a possibility of his lifelong addiction. He always has to take the following precautions to stay away from substance abuse:-
1. He should always avoid going to places (like pubs, bars) where substance is available.
2. He should avoid the friends with whom he used to take drugs because those who are themselves intoxicated do not want to see their partner coming out and encourage the person who has stopped intoxicating.
3. He should not keep intoxicants with him.
4. He should avoid highly emotional situations (fear, guilt , emotion) that may lead him to relapse.
5. He should regularly attend meetings of self-help groups for such as Alcoholics Anonymous and/or Narcotics Anonymous.
6. The literature given by the above should be read regularly.
7. Regular physical exercise should be done, due to which the happy hormone 'endorphin' is secreted in the brain which keeps the mood good, which prevents relapse.
8. Build a routine and perform small tasks such as wardrobe arrangement, gardening, laundry etc. as the brain secretes a happy hormone called 'serotonin' which helps in keeping addiction at bay.
9. Follow the “one day at a time principle”.
10. Connecting with spiritual organizations like Gayatri Parivar, Brahma Kumaris and Jamaat etc. is also effective.
11. Participation in social events also helps to keep away from drugs.
De-addiction center Indore, Vidisha, Guna, Ashoknagar, Betul, Harda, Raipur, Bilaspur, Bhilai, Katni, Mandla, Hoshangabad, Damoh, Katni.
Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore Shuddhi Deaddiction Centre Indore updated their business hours.
Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore Shuddhi Deaddiction Centre Indore updated their phone number.
http://dhunt.in/k7chg?s=a&uu=0x7c2ee9a98eb89526&ss=pd
अध्ययन में दावा: शराब के अधिक सेवन से कैंसर का खतरा, महिलाएं भी रहें सावधान शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक ही होता है, ये तो डॉक्टर भी हमेशा से कहते आए हैं। उनका मानना है कि शराब का ज्यादा सेवन ...
शुद्धि नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के एडिक्शन काउंसलर श्री राजीव तिवारी नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे आप लोग नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से जरूर जुड़ें।
(शाम 5.50 बजे जुड़ने हेतु लिंक)
*स्ट्रीमयार्ड प्रसारण के माध्यम से बहुजन संवाद यूटयूब चैनल पर लाइव जुड़ने के लिए आपको लिंक भेजी जा रही है।*
*लाइव प्रसारण दिनांक 16 जून शाम 6 बजे*
*लैपटॉप / डेस्कटॉप या मोबाइल में कैसे कनेक्ट करें*
1. आपको भेजी गई लिंक WhatsApp से कॉपी करके क्रोम ब्राउजर में पेस्ट करें।
2. माइक / वेब कैमरा एक्सेस (अलाउ) की अनुमति दें।
3. अपना नाम डिस्प्ले बॉक्स में लिखें।
4. फिर ब्रॉडकास्ट स्टूडियो में प्रवेश करें।
5. जब कोई बोल रहा हो तो माइक बंद रखें।
6.जब आप बोलना चाहते हैं तभी अपना माइक ऑन करें।
7. आप कार्यक्रम में अपना कैमरा ऑन रखें
https://streamyard.com/td5qbuuak7
*स्ट्रीमयार्ड से कनेक्ट होने में कोई समस्या होने पर संपर्क नंबर*
तुलाराम अठ्या
7000030481
After admitting patient in Shuddhi Deaddiction Centre Indore, firstly we give them withdrawal treatment ,under which whatever kind of drug patient used to take like alcohol,smack,poppy,hemp etc. physically or mentally on which patients depends on, suddenly stop intake of such drugs, patient's body and brain starts reacting because of which there is physical and mental distress. Which is also called withdrawal symptoms. It is administrated by psychiatrist which is known as withdrawal treatment.
After this, detoxification of the body is done for the toxins that are formed in the body due to long-term intoxication.
Along with both these procedures, psycho-matriculation tests, psychotherapy and counseling are also an important part of treatment by psychologists and counselors.Through this, the person who has been intoxicated for a long time. Patient's thoughts, behavior and feelings are also dependancy, for this, he has feelings towards his family, relatives, friends and colleagues, guilt for the mistakes he has made while drunk and conscious, the future due to wrong actions done in the past. Fear of inferiority and inferiority born due to comparison with others are responsible.
Along with all these, there are sessions of Yoga / Gym, Shirodhara, Pranayama and Meditation which are helpful in keeping the mood of the patient good and keeping him physically and mentally healthy.
नशा जो कि एक बीमारी है इसका पीड़ित किसी मादक पदार्थ का अनियंत्रित उपयोग कर रहा होता है जिस कारण उसका जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है जीवन के सभी पहलू चाहे वह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक या पारिवारिक हो उससे संभल नही रहे होते है। यहाँ यह बात महत्वपूर्ण है कि लंबे समय से इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के विचार, व्यवहार और भावनाएं विकृत हो जाते है उसको अधिकतर विचार नकारात्मक आते है उसका व्यवहार बहुत खराब होता है और भावनाएं भी नकारात्मक हो जाती है। विचार, व्यवहार और भावनाएं विकृत होने का मुख्य कारण लंबे समय से उसके मस्तिष्क में पलने वाले नकारात्मक विचार जैसे अपराधबोध, भय, खुन्नस, अस्वीकार/नकार(denail) और अहंकार होते है। यही नकारात्मक विचार और भावनाएं उसे न चाहते हुए भी नशे की ओर ले जाते है इनके कारण वो इतना बुरा महसूस करता है कि उससे निकलने के लिए उसको मजबूरन नशा करना पड़ता है। किसी नशा पीड़ित को नशे से दूर करने के लिए इन बुरे विचारों का समाधान करना होता है इन्हें ठीक कर के ही उसे नशे से दूर किया जा सकता है। इसके उपचार के लिए उचित काउन्सलिंग और मनोवैज्ञानिक उपचार की आवश्यकता होती है। शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र में इसके लिए सबसे प्रभावी 12 कदमो (12 step program) के कार्यक्रम को चलाया जा रहा है तथा यहाँ अनुभवी 12 स्टेप प्रोग्राम के काउंसलर तथा मनोविज्ञानी उपलब्ध है जो उनके विचारों पर कार्य करते है उनको नकारात्मक से सकारात्मक की तरफ मोड़ते है। विचारों के सकारात्मक होने से उनकी भावनाएं भी सकारात्मक होती जाती है। नशा एक बीमारी है जो शारीरिक से साथ मानसिक भी है इसी लिए उसको दवा के साथ मनोवैज्ञानिक उपचार की भी आवश्यकता होती है।
राजीव तिवारी, एडिक्शन काउंसलर, शुद्धि नशा मुक्ति इंदौर।
आज विश्व पर कोरोनावायरस नाम की महा विपत्ति आई हुई है जिसके कारण लोगों की नौकरियां, व्यापार और उनकी जाने जा रही हैं। नौकरियों से लोगों को निकाला जा रहे हैं, व्यापार में घाटा हो रहा है और कहीं कोरोना ना हो जाए इसका भय बना हुआ है। जिनकी नौकरियां चली गई है और व्यवसाय बंद हो गए हैं वे निराशा (डिप्रेशन) में चले गए हैं। इस विपत्ति को रोकने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं दिख रहा है, फिर से लॉकडाउन लगने का भय लोगों में समाया हुआ है कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने इस भय को और बढ़ा दिया है इस भय की वजह से लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। चूँकि शराब के सेवन से हमारे मस्तिष्क में डोपेमाइन नाम का हार्मोन निकलता है जो कि तनाव को कम करता है और अच्छा महसूस करता है इस कारण वे लोग जो कभी-कभी सीमित मात्रा में शराब लेते थे अपने तनाव को कम करने के लिए अधिक मात्रा में शराब का लेने लगे हैं जो लोग बेरोजगार हो गए हैं वह अब सवेरे से शराब पीने लगे हैं।अधिक मात्रा में शराब लेने के कारण समाज में घरेलू हिंसा और अपराध में वृद्धि हो रही है जबकि यह महामारी अभी काफी समय रहेगी। इस समय लोगों को इस भय और तनाव से बचने के लिए संयम और धैर्य रखना होगा, ईश्वर में विश्वास और आध्यात्मिकता ही इससे बचा सकेगी। किसी भी तरह का भय और तनाव होने पर उसके बारे में अपने इष्ट जनों से सलाह मशवरा करें और अपने दिमाग में चल रहे नकारात्मक विचारों को दूसरों से साझा (शेयर) करें, किसी परामर्शदाता से सलाह लें और भय के कारणों को लिखें, ऐसा करना कहीं ना कहीं नकारात्मक विचारों को कम करता है। यदि आप के परिवार का कोई सदस्य अधिक तनाव में है तो उसको मनोचिकित्सक को दिखाएं और यदि किसी की शराब बढ़ गई हो तो शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर में उसका उपचार कराएं।
आज विश्व पर कोरोनावायरस नाम की महा विपत्ति आई हुई है जिसके कारण लोगों की नौकरियां, व्यापार और उनकी जाने जा रही हैं। नौकरियों से लोगों को निकाला जा रहे हैं, व्यापार में घाटा हो रहा है और कहीं कोरोना ना हो जाए इसका भय बना हुआ है। जिनकी नौकरियां चली गई है और व्यवसाय बंद हो गए हैं वे निराशा (डिप्रेशन) में चले गए हैं। इस विपत्ति को रोकने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं दिख रहा है, फिर से लॉकडाउन लगने का भय लोगों में समाया हुआ है कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने इस भय को और बढ़ा दिया है इस भय की वजह से लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। चूँकि शराब के सेवन से हमारे मस्तिष्क में डोपेमाइन नाम का हार्मोन निकलता है जो कि तनाव को कम करता है और अच्छा महसूस करता है इस कारण वे लोग जो कभी-कभी सीमित मात्रा में शराब लेते थे अपने तनाव को कम करने के लिए अधिक मात्रा में शराब का लेने लगे हैं जो लोग बेरोजगार हो गए हैं वह अब सवेरे से शराब पीने लगे हैं।अधिक मात्रा में शराब लेने के कारण समाज में घरेलू हिंसा और अपराध में वृद्धि हो रही है जबकि यह महामारी अभी काफी समय रहेगी। इस समय लोगों को इस भय और तनाव से बचने के लिए संयम और धैर्य रखना होगा, ईश्वर में विश्वास और आध्यात्मिकता ही इससे बचा सकेगी। किसी भी तरह का भय और तनाव होने पर उसके बारे में अपने इष्ट जनों से सलाह मशवरा करें और अपने दिमाग में चल रहे नकारात्मक विचारों को दूसरों से साझा (शेयर) करें, किसी परामर्शदाता से सलाह लें और भय के कारणों को लिखें, ऐसा करना कहीं ना कहीं नकारात्मक विचारों को कम करता है। यदि आप के परिवार का कोई सदस्य अधिक तनाव में है तो उसको मनोचिकित्सक को दिखाएं और यदि किसी की शराब बढ़ गई हो तो शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर में उसका उपचार कराएं।
राजीव तिवारी, addiction counselor
अंतरराष्ट्रीय एवं भारतीय कानून के अनुसार किसी भी तरह की बीमारी का उपचार करते समय रोगी की गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नशा एक बीमारी है इसके उपचार के दौरान या बाद इसके मरीज की गोपनीयता रखना वैधानिक है, परंतु देखने में आता है कि बहुत सी संस्थाएं अपना प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मरीज की पहचान उजागर करती हैं, इसमें यह संस्थाएं अपने टेस्टिमोनियल लिखती हैं कि फलाने व्यक्ति फलाने व्यक्ति हमारे यहां इलाज कराने आए थे और हमने उन्हें ठीक कर दिया इसके अलावा फेसबुक पेज और यूट्यूब के चैनल पर संस्था में हो रही एक्टिविटी के वीडियो और फोटो शेयर करते हैं जोकि गैर कानूनी है ऐसा किया गया है यदि कोई व्यक्ति जो कि मरीज को पहचानता है मरीज के वीडियो या फोटो वह देखता है के बाद वह मरीज के बारे में दुष्प्रचार कर सकता है या उसका मजाक उड़ा सकता है। जब मरीज को पता चलेगा उसके घर वालों ने उसे ऐसी संस्था में भर्ती कर दिया था जिन लोगों ने वीडियो, उसका नाम पता या फोटो सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर डालकर उसकी पहचान उजागर की है वह बुरा महसूस करेगा और उसके मन में घरवालों के प्रति खुन्नस आएगी यह उसके साथ नाइंसाफी है। परिवार का कर्तव्य है कि मरीज को भर्ती करने से पहले जिस संस्था में भर्ती कर रहे हैं उसके गूगल पेज, वेबसाइट, फेसबुक पेज और यूट्यूब को देख ले यदि आपको उसमें उनके मरीजों के नाम, वीडियो या फोटो दिखाई देते हैं तो ऐसे केंद्रों में मरीज को बिल्कुल भर्ती ना करें हमें इलाज कराना है हम उनके कस्टमर हैं ना कि उनके प्रचार के साधन। शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर कभी किसी भी माध्यम पर अपने यहां उपचार को आए व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं करता।