सुखवीर सिंह बहळम्बा

सुखवीर सिंह बहळम्बा

Haryanvi ragni writer and singer

14/04/2023

संविधान के जनक याद सदा राखै हिन्दुस्तान तनै ।
छुआ-छूत को मेट भीम सब कर दिये एक समान तनै ।।
1.
भारत देश गुलाम चौगरदै गोर्यां का घेरा था ।
पिता राम जी सकपाल का महू छांवनी डेरा था ।
चौदह अप्रैल ठारासौ इक्याणवैं जन्म हुया तेरा था ।
भीमा बाई माता जी का देख खिल्या चेहरा था ।
तेजस्वी था रूप वा जणनी तुरंत गई पहचान तनै ।।
छुआ-छूत को मेट भीम सब कर दिये एक समान तनै ।।
2.
सदी उन्नीसवीं पूरी होगी दिन वो सात नवंबर था ।
शिक्षा ग्रहण करण खातिर जब तनै छोड्या घर था ।
बी.ए. करकै बॉम्बे से फेर लम्बी चल्या डगर था ।
अमरीका इंग्लैंड पढ़्या फेर चलता रहा सफर था ।
पी.एच.डी.और शास्त्र विद्या सीख्या ज्ञान विज्ञान तनै ।।
छुआ-छूत को मेट भीम सब कर दिये एक समान तनै ।।
3.
कई देशां मै शिक्षा ले कै फेर भारत मै आया ।
पाखंड फंड और फूट-झूठ का जाल बिछा आड़ै पाया ।
अंग्रेजां नै इसी चाल से यो देश लूट कै खाया ।
शोषण बंद हो मेहनतकश का तनै अभियान चलाया ।
दबे हुयां नै उभारण के फेर खोजे कई प्लान तनै ।।
छुआ-छूत को मेट भीम सब कर दिये एक समान तनै ।।
4.
इलाज गरीब को मुफ्त मिलै और शिक्षा भी सरकारी हो ।
हर इंसान कुंआ धर्मशाला बरतण का अधिकारी हो ।
भेद मिटै जाति का सबकी राज मै हिस्सेदारी हो ।
सुखबीरसिंह बहळम्बिया ऐसा हुक्म देश मै जारी हो ।
कानून कायदे धारा ला कै लिख दिया यो संविधान तनै ।।
छुआ-छूत को मेट भीम सब कर दिये एक समान तनै ।।

04/03/2023

आज कल संगठित परिवार नहीं रहे। जो सुख-दुःख की बातें हम भाइयों के साथ करते थे, वही बातें आज साळी और साढ़ू से होती हैं । मेरी नजर में इसका मुख्य कारण मां का बेटी के घर में दखल देना है । जब हमने अपनी बेटी किसी को सौंप दी तो इसकी चिंता भी उन्हीं को करने दें । अगर इसकी चिंता मां ही करती रहेगी और रोजाना बेटी के सुख-दुख की जानकारी लेती रहेगी तो वह बेटी ससुराल वालों में घुल-मिल नहीं पाएगी, और उनको कभी भी अपने नहीं समझ पाएगी । ससुराल की छोटी-मोटी बातें बेटी के मायके तक नहीं जानी चाहिए । हर घर में छोटी-मोटी कहा सुनी होती रहती है, लेकिन जो मां हर रोज घंटों फोन पर बात करेगी वो एक दिन बेटी को अलग कर ही देगी । कुछ दिन बाद अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से दामाद को भी परिवार से अलग कर देती है । जब उसके घर में बहू आती है तो यही हाल उसके घर में भी होता है ।
इस पर एक रागनी लिखने की कोशिश की है ।

गैरां धोरै पिटते हांडैं जो कद्र करैं ना भाइयां की ।
साळी सासू हों सलाहकार उड़ै चौधर चलै लुगाइयां की ।।
1.
छोटी-छोटी बातां पर जो दीन ईमान डबो दे ।
मां जायां तैं घात करै वो भाईचारा खो दे ।
घर कुणबे की कहा सुणी भी साढ़ू आगै रो दे ।
साळी लाकै नमक मिर्च फेर मां कै आगै पो दे ।
भूल कै सब मर्याद वा सासू रक्षक बणैं जमाइयां की ।।
साळी सासू हों सलाहकार उड़ै चौधर चलै लुगाइयां की ।।
2.
फेर बुढ़िया के अंदर सोई खास मंथरा जागै ।
चलै फोन पर कोचिंग घंटों ज्ञान के गोळे दागै ।
बेटी और जमाई नै सुबह-शाम पढ़ावण लागै ।
सासू नै मम्मी बोलै वो छोरा जणनी मां नै त्यागै ।
मात-पिता नै कहै थारी ना मैं देखूं शकल कसाइयां की ।।
साळी सासू हों सलाहकार उड़ै चौधर चलै लुगाइयां की ।।
3.
बीचों-बीच दीवार चिणी जा कर न्यारा फेर घर लें ।
गैरां के संग लेण-देण और आणा-जाणा कर लें ।
ब्याह-वाणे मै भी बांहण तैं पहल्यां साळी झोळे धर लें ।
बांहण नै लाड्डू दो किलो उड़ै साळी कट्टे भर लें ।
साळे साढ़ू बणे रहो ना लोड़ घणी असनाइयां की ।।
साळी सासू हों सलाहकार उड़ै चौधर चलै लुगाइयां की ।।
4.
और किसे का ना दोष ये मां खुद बेटी का घर खोवैं ।
बेटा ब्याहणा चाहवैं जब ये बहू संस्कारी टोहवैं ।
वाहे आग लगै घर मै जब बैठ कूण मै रोवैं ।
सुखबीरसिंह खुद पड़ैं काटणे जो औरां खातिर बोवैं ।
घणीं बहळम्बिया सच कहणी भी होज्या बात लड़ाइयां की ।।
साळी सासू हों सलाहकार उड़ै चौधर चलै लुगाइयां की ।।

16/11/2022

तर्ज- ये पर्दा हटादो,

प्यावै तो इसी प्यादे, मेरे बिल्कुल होंश उड़ादे,
इस तरियां मस्त बणादे, दर्द नै भूल जाऊं मैं ।।
1.
काम क्रोध मद लोभ मोह मै खोदी जिंदगी सारी ।
पांचों पापी प्यारे बण कै देगे लाख बिमारी ।
यो रोग बदन का कटज्या, कुछ दर्द तड़पणा घटज्या,
या दूत्ती तृष्णा डटज्या, सांस इब सुख का चाहूं मैं ।।
2.
बण कै निंदक दुनियां का मनै धन भी खूब कमाया ।
घी,मीट्ठा,दही,नमक छूटगे काम बता के यो आया ।
ये कोठी महल चौबारे, चलैं कूल्लर ए.सी. न्यारे,
ये बैड पलंग भी सता रहे, नींद इब कित तैं ल्यांऊं मैं ।।
3.
कह्या करैं थे जो समझदार इब पागल मनै बतांवैं ।
कदम-कदम पर खोट काढ़ कै बाळक ज्यूं समझांवैं ।
आड़ै आवै जब कोए प्यारा, ये करकै गुप्त इसारा,
उसने दूर बिठालें न्यारा, हाले दिल किसनै सुणाऊं मैं ।।
4.
ॐ नाम की बूटी हो तो घोळ मनै तूं प्यादे ।
सुखबीरसिंह नै दोबारा सतबीरसिंह तैं मिलादे ।
यो अंधकार सब मेटूं, जब सतगुरु जी तैं फेटूं,
मैं तो जा चरणां मै लेटूं, दुबारा ना वापिस आऊं मैं ।।
प्यावै तो इसी प्यादे, मेरे बिल्कुल होंश उड़ादे,
इस तरियां मस्त बणादे, दर्द नै भूल जाऊं मैं ।।

सुखबीरसिंह बहळम्बा- 9466074844

07/11/2022

हम आज अपने आप को कुछ ज्यादा शिक्षित व समझदार मान कर जिंदे माता-पिता को तो इज्जत दे नहीं रहे, लेकिन कुछ कुरितियों को आंख बंद कर के ढ़ो रहे हैं। एक रागनी में दर्शाया है।

नकली दुनियां दो रंगी का झूठा बाजै ढ़ोल आड़ै ।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।
1.
बूढ़े हों जब मात-पिता बड़े मुश्किल होवैं गुजारे ।
नौकर बण कै बहू बेट्यां कै आगै फिरैं बिचारे ।
खांसी चीस भड़क हो जब दें गेर कूण मै न्यारे ।
दो दिन सेवा करणी पड़ज्या तो होज्यां कड़वे खारे ।
खून पी लिया मरता कोन्या ये सुणने हों सैं बोल आड़ै ।।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।
2.
धोरै बैठे पूत दवा का खर्च गिणावण लागे ।
करी टहल का मरते दम एहसान जतांवण लागे ।
छोड़ खोड़ नै वो जीव गया, फेर रुदन मचांवण लागै ।
वस्त्र तार पुराणे चाद्दर नई उढ़ांवण लागे ।
पल्ला ठा मुंह देखैं सुबकैं करदें नकली रोल आड़ै ।।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।
3.
जिंदे तैं ना बात करी इब चरणां शीश झुका रहे सैं ।
जिंदे नै कोए तीर्थ ना इब गंगा हाड बुहा रहे सैं ।
जिंदा भूखा रहज्या था इब काज पै खर्चा ला रहे सैं ।
खुशी जन्म की हुया करै आड़ै मोत पै जश्न मना रहे सैं ।
जन्म-मरण की खुशी गमी का पाट्या कोन्या तोल आड़ै ।।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।
4.
झगड़ैं थे जो जिंदे तैं इब कई फोटू बणवावैं सैं ।
कोए भीत पर कोए आळे मै धरकै दीप जळावैं सै ।
नए-नए साहुकार अलग एक मंदिर भी चिणवावैं सैं ।
साल में आकै एक बार आड़ै पूरा ढोंग रचावैं सैं ।
जिस भाई का ब्योंत नरम हो उसका करैं मखोल आड़ै ।‌।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।
5.
मूरत पर पकवान दुशाले जिंदे भूखे ठिर रहे सैं ।
सौ-सौ फुट की सजी मूर्ति, जिंदे सड़ कै मर रहे सैं ।
मरे हुए महापुरुषां तैं कुछ जिंदे भी धोखा कर रहे सैं ।
उनके नाम तैं करकै चंदा ये अपणे घर नै भर रहे सैं ।
सुखबीरसिंह बहळम्बिया एक दिन खुलज्या सबकी पोल आड़ै ।।
जिंद्यां की कुछ कदर नहीं सै मरे हुयां का मोल आड़ै ।।

सुखबीरसिंह बहळम्बा - 9466074844

27/10/2022

शासक रक्षक शिक्षक लेखक अपणा फर्ज निभाओ जी ।
भारत को चमकाना है तो सब मिल कर कदम बढ़ाओ जी ।।
1.
परित्याग व्यसनों का करकै सब नै आप सुधरणा हो ।
होज्या बंद बाजार नशे का कानून पारित करणा हो ।
बल बुद्धि धन मान घटै उन बुरी लतों से डरणा हो ।
द्वेष मिटै विश्वास बढै़ इसा प्रेम दिलों मै भरणा हो ।
भाई चारा कायम करकै स्वर्ग धरा पर ल्याओ
जी ।।
भारत को चमकाना है तो सब मिल कर कदम बढ़ाओ जी ।।
2.
जात-पात और भेद-भाव का जहर दिलों से बाहर करो ।
भारत को माता कहते हो तो भाइयों से भी प्यार करो ।
भोजन, शिक्षा और चिकित्सा सबका ही एकसार करो ।
आपस के झगड़े बंद होज्यां ऐसे नक्शे त्यार करो ।
सरकारी कागज पर से यो जाति शब्द हटाओ जी ।।
भारत को चमकाना है तो सब मिल कर कदम बढ़ाओ जी ।।
3.
न्यारे-न्यारे बांटण आळी राजनीति भी बंद चाहिये ।
अमन चैंन पर चोट करै इसा नहीं फैलाणा गंद चाहिये ।
राष्ट्र हित की बात करो जै भारत मै आनन्द चाहिये ।
भारतवासी धर्म सभी का नारा एक जयहिन्द चाहिये ।
रळे पड़े टैलैंट रेत मै उनको ऊपर ठाओ जी ।।
भारत को चमकाना है तो सब मिल कर कदम बढ़ाओ जी ।।
4.
हर बच्चे की शिक्षा का इब प्रबंध चाहिये सरकारी ।
जात मजहब और आरक्षण की बंद होज्या मारा मारी ।
काबिल कर्मी त्यागी नेता योग्य चाहिये अधिकारी ।
गीत, भजन और कथा, फिल्म के शुद्ध चाहियें सैं प्रचारी ।
सुखबीरसिंह बहळम्बिया घर-घर यो संदेश पहुंचाओ जी ।।
भारत को चमकाना है तो सब मिल कर कदम बढ़ाओ जी ।।

24/10/2022

लक्ष्मी जी से अपील है कि हमारे घर में धन की बारिश बेशक ना करना, परंतु आज किसी को भूखा मत रहने देना । सभी साथियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।

20/10/2022
18/10/2022

इलैक्शन पर एक कविता, थोड़ी सी कड़वी है पर सच्चाई है ।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसे नै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
1.
घर-घर मै पंचायती करड़ा जोर होर्या सै ।
कोए बिठादे कोए ठावै यो शोर होर्या सै ।
खुस्क चौधरी उनका टेढ़ा त्योर होर्या सै ।
आंगळी ला ला देखै कुण कमजोर होर्या सै ।
इसी ठोक दे फूंक भूलज्या होंस ढडिण पर सिखर चढ़ा देगा ।।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसे नै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
2.
कैंडिडेट स्पोटर अपणी खाज मेटैंगें ।
नकली करते राम राम घणें रोज फेटैंगें ।
खुद नै करमठ कहैं और कै दोष लपेटैंगें ।
पीवणियां की मोज फ्री मै छक छक लेटैंगें ।
करै नशे का विरोध बणैं प्रधान आज वो भी ल्हुकमा प्यादेगा ।।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसे नै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
3.
लुटू खाऊ फिरैं शिकारी वै सबनै तक ज्यांगें ।
जिस दिन सिकुड़ै हाथ वै जालिम गाळ भी बक ज्यांगे ।
बेहूद्यां के पैर पकड़ माँ बाप भी थक ज्यांगे ।
चौधर के चक्कर मै खूड और भांडे बिक ज्यांगे ।
नहीं लगैगी वार उजड़ज्या ढूंढ़ दुबारा कौण बसा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसे नै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
4.
चालबाज बदमाश पुराणें जख्म उघाड़ैंगें ।
बर्फी भुजिया दारू प्याकै मन भी पाड़ैंगें ।
पद के भूखे नए बाळकां नै घणें बिगाड़ैंगें ।
कितका करैं विकास गाम नै कति उजाड़ैंगें ।
बणकै जागा बदल भूलज्या बात वो गिरगिट रूप दिखा देगा ।।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसे नै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
5.
सुखबीरसिंह बहळम्बिया जिस दिन देश जागैगा ।
कोए आदमी नफ़रत के ना गोळे दागैगा ।
लुटणा पिटणा टांग खींचणा बिल्कुल त्यागैगा ।
काबिल और नाकाबिल नै सही परखण लागैगा ।
सर्वसम्मति करै समझ कै चुणै गाम नै वो स्वर्ग बणा देगा ।।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।
चल्या इलैक्शन दौर कोए जा डूब किसेनै पार तिरा देगा ।
बचकै रहियो आच्छ्यां तैं भी यो भूंड करा देगा ।।

सुखबीरसिंह बहळम्बा - 9466074844

15/10/2022

सभी संस्कृति प्रेमियों को सुखबीर सिंह बहळम्बा की राम राम, साथियो मैंने जो लिखा है उनमें से एक रचना आपकी सेवा में हाजिर है ।

नहीं बरतणा आवै वो सदा ओडे ले ले रोवै ।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
1.
हिरणाकुश नै मौत जीत ली जीणा फेर भी ना आया ।
सत मार्ग गया भूल घमंड मै बैर हरि तैं लाया ।
भगत प्रहलाद से पुत्र कै भी पथ मै कांटे बोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
2.
चार वेद छः शास्त्र ठारह पुराण की शिक्षा पाई ।
शिव नै देदी दस बुद्धि पर नहीं बरतणी आई ।
अभिमानी शिक्षा शक्ति नै सदुपयोग बिन खोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
3.
रविदास और संतकबीर की नहीं बड़ी कोए जात सुणी ।
खुद को टोहया ज्ञान हुया फेर जग नै उनकी बात सुणी ।
बिन पुंझड़ का ढोर अक्ल बिन डळे सुरग मै ढ़ोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढ़ूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
4.
सुंदर स्वस्थ शरीर मिला तूं और बता के लेगा ।
भर्या खजाना भीतर टोह ले दुनियां नै तुंहें देगा ।
मिल रहया उसनै देख बरत कै फेर नहीं दुःख होवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
5.
मानव तन अनमोल रत्न मत नशे विषयों मै खोणा ।
पल पल की बड़ी कीमत है दिये छोड़ भूल मै सोणा ।
घट के पट ले खोल क्यूं कर रह्या हरकत मुंह दबकोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
6.
मांगण का दे ख्याल छोड़ क्यूं दर दर धक्के खाता ।
कठिन तपस्या होगी जब आड़ै आज्या आप विधाता ।
लागै तूं भगवान जिसा जै मैल जिगर का धोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।
7.
जन्म बहळम्बै जननी फूल्लां गुरू सतबीर सिंह पागे ।
सुखबीरसिंह का सुत्या भाग ये तीनों धाम जगागे ।
यो हे प्रबंध करिये राम जै फेर मनै कदे भळोवै ।।
दुनियां उसनै फिरै ढूंढ़ती जो खुद नै खुद टोहवै ।।

चैनल भी बनाया है तो चैनल को भी सबस्क्राईब कर लेना । चैनल का लिंक है ।👉 https://youtu.be/FwmNj4a_2vc

05/10/2022

ये पोस्ट सिर्फ संवाद के लिए डाली है, कृपा विवाद मत करना ।
कोई भी परंपरा जब तक शिक्षा देती हो और समाज को आगे बढ़ाने में मदद करती हो तो निभाना चाहिए । लेकिन जब कोई परंपरा समाज को नुकसान पहुंचाने लगे तो उस परंपरा को छोड़ देने में ही भलाई है । हर इंसान के अंदर रावण भी और राम भी है । हमें अपने अंदर के रावण को मारना होगा, राम राज्य स्थापित हो जाएगा । जो इंसान अपने अंहकार को जिंदा रखने के लिए हर रिश्ते को बली चढ़ा देता है वही रावण है । अगर हमारे पास हमारी जरूरत से ज्यादा पैसा है तो उसमें आग लगाकर जलना ठीक नहीं है । इससे हम किसी जरूरतमंद की मदद भी तो कर सकते हैं । जरा सोचिए इतना कपड़ा, लकड़ी और बारूद इकट्ठा करके हर साल फूंक दिया जाता है, और वातावरण में जहर घोला जाता है । आज हम जिन सुविधाओं को भोग रहे हैं और इंसान कहलाते हैं वो सारी सुविधाएं विचार करने वाले जागरूक लोगों की देन है । मुझे लगता है कि हमें रावण-दहन वाली परंपरा पर विचार करना चाहिए, इसका समय आ गया है । आप भी अपने विचार जरूर दीजिए ।

03/10/2022

अगर सफल होने की तमन्ना है तो अपनी कमियां और दूसरों के गुणों को देखना शुरू कर दे, रास्ते अपने आप खुल जायेंगे ।

29/09/2022

सभी साथियों से अनुरोध है कि आपको मेरे से कोई शिकायत है तो खुल कर मेरी पोस्ट पर बोल सकते हैं । अगर मैं बहकता हुआ दिखाई देता हूँ तो सीधा करने के लिए आप कठोर शब्दों का प्रयोग करेंगे तो भी मैं आपका स्वागत करूंगा । लेकिन आपको किसी और से तकलीफ है तो अपनी भड़ास निकालने के लिए अपनी ही पोस्ट डाल लें । मेरे लिए सभी आदरणीय हैं, सभी ने मेरा सम्मान और सहयोग किया है । किसी की बेइज्जती करने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है । जय हिंद , जय माँ सरस्वती,

26/08/2022

गुरू जीयों के आशीर्वाद और आप सभी संस्कृति प्रेमियों के सहयोग से 22-08-2022 को प्रधानाचार्य श्री रामबीर सिंह जी राम द्वारा रचित पुस्तक *सुखबीर सिंह एक परिशीलन* का विमोचन महामहिम राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक जी के करकमलों द्वारा किया गया । कई साथियों ने पूछा है कि किताब कहां मिलेगी ? तो आपको बता देना चाहते हैं कि विडियो में नीचे पट्टी पर नाम और नंबर है । आप संपर्क कर सकते हैं । सभी साथियों का हृदय की गहराइयों से धन्यवाद जय माँ सरस्वती

15/08/2022

सभी देशवासियों से अपील है कि जिस चाव हमने आज तिरंगा फहराने का जोश दिखाया है, कल ध्यान रखना कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज का कहीं भी अपमान ना होने पाए,

18/07/2022

अठारह जुलाई सन् सोलह को इसी नजर फिरी भगवान की ।
सुबह-सुबह धड़कन बंद होगी हरियाणे की श्यान की ।
सवा पैंसठ वर्ष पांच दिन पूरे कर कै सैल जहान की ।
मोक्ष धाम को चली आत्मा गुरू सतबीर सिहं विद्वान की ।
सुखबीर हरि हुक्म आगै कोए अड़ज्या इसा दबंग कोन्या ।।
संस्कृति कै भी आंसू आगे ,आज मास्टर सतबीर सिहं कोन्या ।।

03/07/2022

शहीद विपरिन यादव के बलिदान दिवस पर गांव कमानिया के बुजुर्गों और सेवानिवृत सैनिकों ने बहुत आशीर्वाद, प्यार और सम्मान दिया । पूरे गांव व सभी संस्कृति प्रेमियों का हृदय से धन्यवाद, जयहिन्द जय माँ सरस्वती

03/06/2022

किसान के खेत में सरेआम चोरी

10/05/2022

निहालचंद जी बाजे भगत आड़ै लखमीचंद और मुंशीराम ।
जगदीश, मेहरसिंह, मांगेराम, धनपतसिंह घणे और भी नाम ।
ये सुखबीरसिंह का गाणा, गुरू सतबीर सिंह का ज्ञान सै ।।
आपस का प्रेम बढ़ाणा, या खास म्हारी पहचान सै ।।

30/04/2022

आप सभी संस्कृति प्रेमियों के सहयोग से किस्सा चौरंगीनाथ और सुन्द्रादे, मतलब पूर्णमल का अगला भाग है । जिसकी रागनी नंबर 22 की चौथी कली है ये । पूरी रागनी लिंक पर सुन सकते हैं । और पूरा किस्सा सुनना चाहते हैं तो वो भी सुना दिया जाएगा, जय माँ सरस्वती

23/03/2022

कुर्बानी नै देश जगा दिया रंग ल्याया यो काम तेरा ।
शहीदोेें केेे मै शहीदेआजम लिख्या भगतसिंह नाम तेरा ।।
1.
सन उन्नीस सौ सात जन्म तेरा अठाईस सितम्बर था ।
धन-धन है मां विद्यावती जिनै जनम्या शेर बब्बर था ।
सब कुणबे के मर्द जेळ मै वो क्रांतिकारी घर था ।
आजादी के आंदोलन का चारों ओर जिक्र था ।
मां, आजादी कद आवैगी यो प्रश्न था सुबह-श्याम तेरा ।।
शहीदों के मै शहीदेआजम लिख्या भगत सिंह नाम तेरा ।।
2.
प्राथमिक शिक्षा पढ़ते-पढ़ते क्रांति पुस्तक पढ़ण लग्या ।
चारों ओर शोर सा था वो कानां के मै बड़ण लग्या ।
जलियांवाळा बाग का मंजर छाती के मै गडण लग्या ।
अंग्रेजां के जुल्म देख कै जोश गात मै चढ़ण लग्या ।
या नरक गुलामीं कुछ ना जीणा, होग्या चैन हराम तेरा ।।
शहीदों के मै शहीदेआजम लिख्या भगतसिंह नाम तेरा ।।
3.
नौ जवानां की सभा बणा कै देशभक्त घणें त्यार करे ।
भारत मां के पूत जागल्यो न्यूं समझा घर से बाहर करे ।
पूरे देश मै गुप्त घूम कै क्रांति के प्रचार करे ।
असेंबली मै बम्ब पाड़्या तनै न्यूं गोरे लाचार करे ।
गूंज सुणी वा गळी-गळी मै, जाग्या देश तमाम तेरा ।।
शहीदों के मै शहीदेआजम लिख्या भगतसिंह नाम तेरा ।।
4.
जब फांसी की सजा सुणाई षड़यंत्र थे गजब घड़े ।
तेईस मार्च तीनों वीर फेर लाकै नारे चाल पड़े ।
रंगदे बसंती गाणा सुण कै सबके होगे रूंग खड़े ।
हंसकै फंदा चूम झूलगे धरती अम्बर आंण भिड़े ।
सुखबीरसिंह ना हटै फर्ज तैं गैल बहळम्बा गाम तेरा ।।
शहीदों के मै शहीदेआजम लिख्या भगतसिंह नाम तेरा ।।

जिनै = जिसने

सुखबीरसिंह बहळम्बा-9466074844

21/03/2022

पूरी सुनोंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आपके बोल रहे अनुपम खेर जी

08/02/2022

सच के सामने सब नेताओं की बोलती बंद हो गई

05/02/2022

बसंत पंचमी को भी छोटूराम जयंती मनाई जाती है ,

कितणी पड़ली मार फेर भी ना खोल्ही आंख किसान तनै ।
छोटूराम की बातां पर इब देणा होगा ध्यान तनै ।।
1.
सारी दुनियां करै तरक्की तूं क्यूं घटता जार्ह्या सै ।
आंख खोल कै देख लिये कुण तेरी कमाई खार्ह्या सै ।
ऐस करणिया बण कै प्यारा मूर्ख तनै बणार्ह्या सै ।
क्षेत्र और जात मजहब पर म्हारा लठ बजवार्ह्या सै ।
वो खून चूसता जार्ह्या सै क्यूं करी हवालै ज्यान तनै ।।
सर छोटूराम की बातां पर इब देणा होगा ध्यान तनै ।।
2.
देखण लाग्या बाट बिराणी खुद तनै बढ़णा छोड़ दिया ।
खेल्हण लाग्या तास कर्म से ऊपर चढ़णा छोड़ दिया ।
मूरत आगै पसर गया तनै लिखणा पढ़णा छोड़ दिया ।
करे तजुर्बे पुरुखों नै तनै न्यूं भी कढ़णा छोड़ दिया ।
रीत पुराणी खत्म करी और ना सीख्या नया ज्ञान तनै ।।
सर छोटूराम की बातां पर इब देणा होगा ध्यान तनै ।।
3.
छोटूराम जो दिखा गए उस राह पर कदम बढ़ाणे हों ।
आंवण आळी पीढ़ी खातिर नक्शे आज बणाणे हों ।
उत्तम शिक्षा मिले बिना म्हारे बाळक क्यूकर श्याणे हों ।
हर भाषा और ज्ञान विज्ञान के सारे पाठ पढ़ाणे हों ।
अपणे दुश्मन और प्यारे की करणी हो पहचान तनै ।।
सर छोटूराम की बातां पर इब देणा होगा ध्यान तनै ।।
4.
मेरा किसान जै शिक्षित होज्या तो दूणी बढ़ज्या पैदावार ।
कोए भूख से नहीं मरैगा भर देंगे अन्न के भंडार ।
छोटे-बड़े व्यापारी का भी बढ़िया चालै कारोबार ।
अन्न, वस्त्र ,घर सबको मिलज्या आपस मै ना हो तकरार ।
सुखबीरसिंह बहळम्बिया हिन्द का रखणा होगा मान तनै ।।
सर छोटूराम की बातां पर इब देणा होगा ध्यान तनै ।।

04/02/2022

सुख का सांस कदे ना आवै झंझट मै रहै ज्यान तेरी ।
टोटा कर्जा और रगड़्यां मै जिन्दगी गई किसान तेरी ।।
1.
हुया सूक कै लाकड़ तन का हाडां पर तेरै मांस नहीं ।
आए साल बढै़ कर्जा पर उतरण की कोए आस नहीं ।
ब्याज-ब्याज मै नाज गया तेरा और बेचण नै धांस नहीं ।
हारी और बीमारी आज्या तो पावै धेला पास नहीं ।
र्यां-र्यां करकै पड़ैं मांगणे कड़ै बचै फेर श्यान तेरी ।।
टोटा कर्जा और रगड़्यां मै जिन्दगी गई किसान तेरी ।।
2.
लांडी खूंढ़ी तेथण खोल्ला तेरे ठाण पर पावै ।
उसका दूध भी जा डेरी मै बाळक खड़े लखावैं ।
रोज छ्योंक आड़ै लागै किततैं चटणी भी ना थ्यावै ।
धरती बीघा डेढ़ रही ना तूं बिश्वेदार कव्हावै ।
कार्ड भी लीला बणवार्ह्या कदे होज्या पहचान तेरी ।।
टोटा कर्जा और रगड़्यां मै जिन्दगी गई किसान तेरी ।।
3.
चौगरदे तैं दम घुटज्या जब घर मै बेटी स्याणी हो ।
यारे-प्यारे टोकण लागैं भाइयां बीच खिजाणी हो ।
बिना ब्योंत फेर लेकै कर्जा चोखे घर मै ब्याहणी हो ।
महिने पाछै मांगणियां की करड़ी खैंचा ताणी हो ।
ताने दे-दे सेल चभोवैं कित गई मर्द जबान तेरी ।।
टोटा कर्जा और रगड़्यां मै जिन्दगी गई किसान तेरी ।।
4.
झूठा चोर और बेईमान कहैं करण लागगे निन्दा ।
पेट गुजारा भी ना चलता ना दीखै कोए धंधा ।
ऊठ रात नै न्यूं सोचै ल्यूं घाल गळे मै फंदा ।
सुखबीरसिंह बहळम्बिया न्यूं बता रहले क्योकर जिन्दा ।
रोज मरै और मरणा बाकी माट्टी हुई बिरान तेरी ।।
टोटा कर्जा और रगड़्यां मै जिन्दगी गई किसान तेरी ।।

धांस नहीं = सूंघने के लिए भी नहीं ( बिल्कुल खाली )
खिजाणी = बेइज्जती

सुखबीरसिंह बहळम्बा-9466074844

23/01/2022

आजाद हिन्द इसी फौज बणाई भर्या देश मै जोश तनै ।।
गोरे दिये खदेड़ देश तैं नेता चन्द्र बोस तनै ।।
1.
सन ठारह सौ सत्ताणवैं मै वो तेईस जनवरी का दिन था ।
प्रभावती माता की कोख से हुया शेर उत्पन्न था ।
जानकी नाथ बोस पिता का परिवार संपन्न था ।
गोरे कर रहे जुल्म देश मै चारों और बिघन था ।
सुण-सुण चर्चे दर्द बढ़्या जब होंण लग्या कुछ होश तनै ।।
गोरे दिये खदेड़ देश तैं नेता चन्द्र बोस तनै ।।
2.
भेज दिया स्कूल पिता नै लाग्या करण पढ़ाई ।
कटक शहर के स्कूल मै तनै प्राइमरी शिक्षा पाई ।
विवेकानंद साहित्य पढ़ कै बुद्धि खूब जगाई ।
पहुंच गया इंग्लैंड पढ़ण मै करड़ी सुरती लाई ।
भारत माता कैद पड़ी यो घणा सतावै रोष तनै ।।
गोरे दिये खदेड़ देश तैं नेता चन्द्र बोस तनै ।।
3.
सारी दुनिया घूम-घूम कै देख्या तनै सकल जहान ।
राजनीति और कूटनीति का पूर्ण रूप से लिया ज्ञान ।
एमीली से शादी होगी बेटी एक हुई संतान ।
जर्मन मै हिटलर के संग भी पूरी होगी जान पहचान ।
सिंगापुर मै फौज बणा कै गरज दिखाई धोंस तनै ।।
गोरे दिये खदेड़ देश तैं नेता चन्द्र बोस तनै ।।
4.
सारे साथी कट्ठे कर कै बर्मा मै ललकार्या था ।
खून दियो आजादी द्यूंगा गूंज उठ्या यो नारा था ।
बाज्या बिगुल लड़ाई का जब देश जागग्या सारा था ।
सुखबीरसिंह कूदगे जंग मै जिननै भारत प्यारा था ।
अंग्रेजां की जगह-जगह दई पकड़ कै गर्दन मोस तनै ।।
गोरे दिये खदेड़ देश तैं नेता चन्द्र बोस तनै ।।

सुखबीरसिंह बहळम्बा- 9466074844

23/01/2022

मेरा नजरिया गलत भी हो सकता है । मुझे लगता है कि रागनी कल्चर दम तोड़ रहा । मेरे हिसाब से इसके जिम्मेदार कोई और नहीं, सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए गाने वाले रागनी कलाकार और हमारे पुराने कवियों को जातियों में जकड़ कर बनाई गई आयोजक कमेटियां है । और मेरे जैसे जिनको कोई नहीं जानता था हमने भी अपनी पहचान बनाने के लिए इनका सहयोग किया है । रागनी जगत इन्ही के बीच सिमटकर रह गया है । बचाना चाहते हो तो अभी भी बचा सकते हो । एक दूसरे की टांग खींचना बंद करके सही दिशा में चलना होगा । कुछ गलत बोल दिया हो तो हाथ जोड़ माफी भी मांग सकता हूं । जय हरियाणा जय हरियाणवी संसकृति ।

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पूरी सुनोंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आपके बोल रहे अनुपम खेर जी
भोळे से किसान तेरा क्यूं हाल माङा सै !!मौज करै जग तेरे जी नैं  रोज खाङा सै !!1.कितणी पीढ़ी कर कर मरगे कित गई थारी कमाई,अ...

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