भक्ति में भक्ति

भक्ति में भक्ति

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06/10/2021

जय माता दी 🙏🙏

19/04/2021

🙏🌹ॐ नमः शिवाय 🙏🌹

त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिग के संबन्ध में एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार गौतम ऋषि ने यहां पर तप किया था. स्वयं पर लगे गौहत्या के पाप से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि ने यहां कठोर तपस्या की थी. और भगवान शिव से गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए वर मांगा था. गंगा नदी के स्थान पर यहां दक्षिण दिशा की गंगा कही जाने वाली नदी गोदावरी का यहां उसी समय उद्गम हुआ था.

19/04/2021

🙏🌹जय महाकाल 🙏🌹

🌺🙏महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग🌺🙏

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबन्धित के प्राचीन कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार एक बार अवंतिका नाम के राज्य में राजा वृ्षभसेन नाम के राजा राज्य करते थे. राजा वृ्षभसेन भगवान शिव के अन्यय भक्त थे. अपनी दैनिक दिनचर्या का अधिकतर भाग वे भगवान शिव की भक्ति में लगाते थे.

एक बार पडौसी राजा ने उनके राज्य पर हमला कर दिया. राजा वृ्षभसेन अपने साहस और पुरुषार्थ से इस युद्ध को जीतने में सफल रहा. इस पर पडौसी राजा ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अन्य किसी मार्ग का उपयोग करना उचित समझा. इसके लिए उसने एक असुर की सहायता ली. उस असुर को अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.

राक्षस ने अपनी अनोखी विद्या का प्रयोग करते हुए अवंतिका राज्य पर अनेक हमले की. इन हमलों से बचने के लिए राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव की शरण लेनी उपयुक्त समझी. अपने भक्त की पुकार सुनकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होनें स्वयं ही प्रजा की रक्षा की. इस पर राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव से अंवतिका राज्य में ही रहने का आग्रह किया, जिससे भविष्य में अन्य किसी आक्रमण से बचा जा सके. राजा की प्रार्थना सुनकर भगवान वहां ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए. और उसी समय से उज्जैन में महाकालेश्वर की पूजा की जाती है.

19/04/2021

🙏🌹हर हर महादेव 🙏🌹

होके नंदी सवारी आया भोला भंडारी संग आई गोरा मैया भी
भोला का दर्शन पाओ शम्भु का दर्शन पाओ

भस्मी लपेटे सारे बदन पे गंगा को जटा से बहाए,
हाथ में तिरशूल सर्प गले में डम डम डमरू भजाए
आये जग के पालनहारे
भोला का दर्शन पाओ शम्भु का दर्शन पाओ

मेरे शिव शंकर की किरपा से चलता है सारा संसार
जो भी आये उनकी शरण में होता है सब का उधार
शिव सब को लगते प्यारे
भोला का दर्शन पाओ शम्भु का दर्शन पाओ

तेरे नाम के सब रे दीवाने तुझको माने दुनिया सारी,
गाता रहू मैं तेरी महिमा तेरे नाम का मैं हु पुजारी
अपनी किरपा उध्य पे करना
भोला का दर्शन पाओ शम्भु का दर्शन पाओ

19/04/2021

🙏🌹ॐ नमः शिवाय 🙏🌹

ओम त्र्यंबकम याजमाहे सुगंधिम पुष्ठी वर्धनम
उर्वारुकैमिवा बंधनाथ श्रीमती सुब्रमण्यम

19/04/2021

🙏🌹मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग 🙏🌹

कथा के अनुसार भगवान शंकर के दोनों पुत्रों में आपस में इस बात पर विवाद उत्पन्न हो गया कि पहले किसका विवाह होगा. जब श्री गणेश और श्री कार्तिकेय जब विवाद में किसी हल पर नहीं पहुंच पायें तो दोनों अपना- अपना मत लेकर भगवान शंकर और माता पार्वती के पास गए.

अपने दोनों पुत्रों को इस प्रकार लडता देख, पहले माता-पिता ने दोनों को समझाने की कोशिश की. परन्तु जब वे किसी भी प्रकार से गणेश और कार्तिकेयन को समझाने में सफल नहीं हुए, तो उन्होने दोनों के समान एक शर्त रखी. दोनों से कहा कि आप दोनों में से जो भी पृ्थ्वी का पूरा चक्कर सबसे पहले लगाने में सफल रहेगा. उसी का सबसे पहले विवाह कर दिया जायेगा.

विवाह की यह शर्त सुनकर दोनों को बहुत प्रसन्नता हुई. कार्तिकेयन का वाहन क्योकि मयूर है, इसलिए वे तो शीघ्र ही अपने वाहन पर सवार होकर इस कार्य को पूरा करने के लिए चल दिए. परन्तु समस्या श्री गणेश के सामने आईं, उनका वाहन मूषक है., और मूषक मन्द गति जीव है. अपने वाहन की गति का विचार आते ही श्री गणेश समझ गये कि वे इस प्रतियोगिता में इस वाहन से नहीं जीत सकते.

श्री गणेश है. चतुर बुद्धि, तभी तो उन्हें बुद्धि का देव स्थान प्राप्त है, बस उन्होने क्या किया, उन्होनें प्रतियोगिता जीतने का एक मध्य मार्ग निकाला और, शास्त्रों का अनुशरण करते हुए, अपने माता-पिता की प्रदक्षिणा करनी प्रारम्भ कर दी.

शास्त्रों के अनुसार माता-पिता भी पृ्थ्वी के समान होते है. माता-पिता उनकी बुद्धि की चतुरता को समझ गये़. और उन्होने भी श्री गणेश को कामना पूरी होने का आशिर्वाद दे दिया.

शर्त के अनुसार श्री गणेश का विवाह सिद्धि और रिद्धि दोनों कन्याओं से कर दिया गया.

पृ्थ्वी की प्रदक्षिणा कर जब कार्तिकेयन वापस लौटे तो उन्होने देखा कि श्री गणेश का विवाह तो हो चुका है. और वे शर्त हार गये है. श्री गणेश की बुद्धिमानी से कार्तिकेयन नाराज होकर श्री शैल पर्वत पर चले गये़ श्री शैल पर माता पार्वती पुत्र कार्तिकेयन को समझाने के लिए गई.

और भगवान शंकर भी यहां ज्योतिर्लिंग के रुप में अपनी पुत्र से आग्रह करने के लिए पहुंच गयें. उसी समय से श्री शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई, और इस पर्वत पर शिव का पूजन करना पुन्यकारी हो गया.

श्री मल्लिकार्जुन मंदिर निर्माण कथा इस पौराणिक कथा के अलावा भी श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के संबन्ध में एक किवदंती भी प्रसिद्ध है. किवदंती के अनुसार एक समय की बात है, श्री शैल पर्वत के निकट एक राजा था. जिसकानाम चन्द्रगुप्त था. उस राजा की एक कन्या थी.

वह कन्या अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति हेतू महलों को छोडकर श्री शैलपर्वत पर स्थित एक आश्रम में रह रही थी. उस कन्या के पास एक सुन्दर गाय थी. प्रतिरात्री जब कन्या सो जाती थी. तो उसकी गाय का दूध को दुह कर ले जाता था.

एक रात्रि कन्या सोई नहीं और जागकर चोर को पकडने का प्रयास करने लगी. रात्रि हुई चोर आया, कन्या चोर को पकडने के लिए उसके पीछे भागी परन्तु कुछ दूरी पर जाने पर उसेकेवल वहा शिवलिंग ही मिला. कन्या ने उसी समय उस शिवलिंग पर श्री मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण कार्य कराया.

प्रत्येक वर्ष यहां शिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. वही स्थान आज श्री मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है. इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों की इच्छा की पूर्ति होती है. और वह व्यक्ति इस लोक में सभी भोग भोगकर, अन्य लोक में भी श्री विष्णु धाम में जाता है

18/04/2021

. "होरी के गीत"

ब्रज में हरि होरी मचाई।
हे इत ते निकरीं सुघर राधिका, उत ते कुँवर कन्हाई
अरे खेलत फाग परस्पर हिलमिल, शोभा बरनी न जाई
घर-घर बजत बधाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
हे बाजत ताल मृदंग झाँझ डफ, मंजीरा शहनाई
उडत अबीर गुलाल कुमकुमा, रह्यो सकल ब्रज छाई
मानो इंदर झड़ी लगाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
लै लै रंग कनक पिचकारी, सनमुख सबे चलाई
छिरकत रंग अंग सब भीजे, झुक झुक चाचर गाई
परस्पर लोग लुगाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
राधा ने सैन दई सखियन को, झुंड झुंड घिर आई
लपट झपट गई श्यामसुंदर सों, बरबस पकर ले आई
लालजु के सनमुख नवाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
हे हे छीन लिए मुख मुरली पीताम्बर, सिर ते चुनरी ओढाई
अरे सेंदुर माथ, नयन बिच काजर, नकबेसर पहराई
मानो नई नार बनाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
हे कहा सिसकत मुख मोड मोड, अरे कहाँ गई चतुराई
अरे कहाँ गए तोरे तात नन्द, और कहाँ यशोदा माई
जो लेती न तोहे छुडाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
फगुवा दिये बिन जान न पावो, कोटिक करो उपाई
लेहूँ काढ कसर सब दिन की, तुम चितचोर सबाई
बहुत दधि माखन खाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥
रास विलास करत वृन्दावन जहाँ तहाँ यदुराई
राधा श्याम की जुगल जोरि पर, सूरदास बलि जाई
प्रीत उर रहि न समाई, ब्रज में हरि होरी मचाई॥

18/04/2021

जबसे मिला तू संवारे किस्मत सवर गई,
मेरी अँधेरी ज़िन्दगी अब रोशन हो गई,
जबसे मिला तू संवारे ..........

खेता रहा हु नाव मैं पतवार के बिना,
जन्मो जन्मो का संवारे तेरा दास मैं बना,
तेरी दया से अब मेरी हालत सुधर गी,
जबसे मिला तू संवारे ............

खाता रहा हु ठोकरे दर दर की मैं सदा,
हाथो को तूने थाम के चलना सिखा दिया,
तूने दखाई राह को मंजिल ही मिल गी,
जबसे मिला तू संवारे ...........

बाबा कभी ना छोड़ना अब साथ तू मेरा,
यु ही सदा तू थामाना अब हाथ ये मेरा,
तेरी मेहर से हर्ष की बगिया निखर गई,
जबसे मिला तू संवारे ..........

18/04/2021

🙏🌹जय श्री कृष्णा 🙏🌹

जीवन के संघर्ष में
व्यस्त रहता हूँ
इन्सान हूँ मुरझा कर भी
मस्त रहता हूँ


सिर्फ दुनिया के सामने
जीतने वाला ही विजेता नहीं होता

किन रिश्तों के सामने
कब और कहाँ हारना है
यह जानने वाला भी विजेता होता है

18/04/2021

🙏🌹जय श्री कृष्णा 🙏🌹

सुनो मेरे कृष्ण कन्हैया
तुम्हीं हो, मेरे मन के साथी,
तुझे ज़िन्दगी ने अपना सारथी बना लिया है।

तुम्ही हो जिंदगी,का सवेरा,
तुझे ही अपना सुरज बना लिया है।

जिंदगी के अंधेरे,में हो मेरा फरिश्ता,
तुझे ही अपना उजाला बना लिया है।

ये दिल जपता, तेरी ही माला,
तुझे ही संगीत का सरगम बना लिया है।
लगा के मन में,तेरी ही मूरत,
अपने तन को ही,तेरी द्वारिका बना दिया।।

18/04/2021

🙏🌹जय श्री राधेकृष्णा 🙏🌹

॥ दोहा ॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम।

अरुण अधर जनु बिम्बा फल,
पिताम्बर शुभ साज॥

जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय,
राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर नाग नथैया।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

रंजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजयंती माला॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।
कटि किंकणी काछन काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो।
अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।
मसूर धार वारि वर्षाई॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नखधारि बचायो॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो।
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

केतिक महा असुर संहारयो।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखि प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हांके।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥

मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥

राना भेजा सांप पिटारी।
शालिग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥

तब शत निन्दा करी तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया।
डूबत भंवर बचावत नैया॥

सुन्दरदास आस उर धारी।
दयादृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि।

अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि॥

17/04/2021

आरती कीजे हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||

जाके बल से गिरिवर कांपे |
रोग दोष जाके निकट ना जांके ||
अनजनी पुत्र महा बलदाई |
संतन के प्रभु सदा सही ||

दे बीरा रघुनाथ पठाए |
लंका जारि सिया सुधि काये ||
लंका सो कोटि समुद्र की खायी |
जात पवन सुत बार ना लायी ||
लंका जरि असुर संघारे |
सियाराम जी के काज सवारे ||

लक्षमण मुर्षित पड़े सकारे |
लाये सजीवन प्राण उभारे ||
पैठी पाताल तोरि जमकारे |
अहिरावन की भुजा उखारे ||
बाए भुजा असुर दल मारे |
दाहिने भुजा संत जन तारे ||

सुर नर मुनि जन आरती उतारे |
जय जय जय हनुमान उचारे ||
कंचन थाल कपूर लौ छाई |
आरती करत अंजना माई ||
जो हनुमान जी की आरती गावे |
बसि बैकुंठ परमपद पावे ||

17/04/2021

हे राम भक्त हनुमान तुझे,
मैंने तो अब पहचान लिया,
तुम दुष्ट संहारक हो तेरा,
भक्तों ने सहारा मान लिया।।



सुग्रीव बाली से डरकर जब,
उस निर्जन गिरी पर रोता था,
तब तू ही तो धीरज देकर ही,
उसके दुखड़ो को हरता था,
फिर राम से उसे मिलाया और,
सुग्रीव को अभय प्रदान किया,
हे राम भक्त हनुमान तुम्हे,
मैंने तो अब पहचान लिया।।

जब रावण ने मुनि वेश बना,
माता सिता को हर डाला,
हनुमत ने लंक जलाकर के,
माता का संशय हर डाला,
फिर चूड़ामणि लाए माँ की,
प्रभु मन को भी विश्राम दिया,
हे राम भक्त हनुमान तुम्हे,
मैंने तो अब पहचान लिया।।

जब शक्ति लगी लक्ष्मणजी को,
तब तू ही बूटी लाया था,
बूटी रूपी ओषध से फिर,
लक्ष्मण का प्राण बचाया था,
तब राम ने कहा पवनसुत से,
तूने तो ऋणी ही बना डाला,
हे राम भक्त हनुमान तुम्हे,
मैंने तो अब पहचान लिया।।

लंका में था जब युद्ध मचा,
रावण ने तुझे ललकारा था,
तब राम नाम लेकर तूने,
रावण के मुक्का मारा था,
रावण मुर्छित हो जागा तब,
बोला कपिबल ने कमाल किया,
हे राम भक्त हनुमान तुम्हे,
मैंने तो अब पहचान लिया।।

हे राम भक्त हनुमान तुझे,
मैंने तो अब पहचान लिया,
तुम दुष्ट संहारक हो तेरा,
भक्तों ने सहारा मान लिया।।

17/04/2021

संकट कटे है मेरे बालाजी तेरे दर पे

तू है बड़ा दयालु सुन ली मेरी कहानी
किसी ने जानी मेरी इक तूने मेरी जानी
तुझे कैसे मैं बुला दू ओह घाटे वाले दानी
संकट कटे है मेरे बालाजी तेरे दर पे

मैंने जो भी माँगा तुझसे तूने मुझे दिया है
रंक से बनाया राजा उपकार क्या किया है
बदला मेरा नसीबा झूमे मेरा जिया है
संकट कटे है मेरे बालाजी तेरे दर पे

भव से निकाला मुझको मेरा हाथ तूने थामा,
दे कर के ज्ञान मुझको बदला है मन का यामा
जब तक जीये गा तेरा गुणगायेगा ये धामा
संकट कटे है मेरे बालाजी तेरे दर पे

16/04/2021

🙏🌹जय माता दी 🙏🌹

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

16/04/2021

🙏🌹जय माता दी 🙏🌹

दो नैना मैं बस गया मेरे चसका इन दरबारा का
मेरी मैया मेरी मैया मेरी मैया सामने आजा सै जब
गूंजे शोर जैकारा का

दिन मैं मैया रात ने मैया जागते सोते मैया सै
मैया बिन जिंदगानी का ना दूजा कोए खिवैया सै
और ठिकाना कोन्या कोए दुनिया मैं लाचारा का

घर के धंधे नुए चलैंगे भक्ति गैल जरुरी सै
माँ की कृप्या बिना या जिंदगी बिलकुल ही बे नूरी सै
भाई काम अधूरा रहता कोन्या माँ के सेवादारा का

बचपन तै मैं माँ का पुजारी माँ बेटे का नाता सै
व्रत करूँ नवरात्रे राखु पढू कहानी गाथा मैं
कमल सिंह जा बदल जीत मैं दुखड़ा सारी हारा का

16/04/2021

🙏🌺 जय लक्ष्मीमाता 🙏🌹

जय हे महालक्ष्मी माँ,
नैया मेरी पार करो ।
झोली फैलाए खड़ी,
मैया भण्डार भरो ॥

तू है दयालु मैया, ममता भरी,
लाखों दुखियो की तुने विपदा हरी ।
हम भी आए शरण तिहारी,
हम पे भी करो, ध्यान धरो ॥

आई दिवाली आई दीपक जले,
तेरी कृपा हो तो सब फूले फले ।
सुख सम्पति से घर भर जाए,
इतना सा उपकार करो ॥

16/04/2021

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

16/04/2021

🙏🌹जय माता लक्ष्मी 🙏🌹

जय हे महालक्ष्मी माँ,
नैया मेरी पार करो ।
झोली फैलाए खड़ी,
मैया भण्डार भरो ॥

तू है दयालु मैया, ममता भरी,
लाखों दुखियो की तुने विपदा हरी ।
हम भी आए शरण तिहारी,
हम पे भी करो, ध्यान धरो ॥

आई दिवाली आई दीपक जले,
तेरी कृपा हो तो सब फूले फले ।
सुख सम्पति से घर भर जाए,
इतना सा उपकार करो ॥

15/04/2021

🌸🌷जय श्री हरि 🌸🌷

15/04/2021

।।दोहा।।
श्री विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
।।चौपाई।।
नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर कल भाजे
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया,हिरण्याक्ष को मार गिराया
धर मत्स्य तन सिन्धु बताया,चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया
देवन को अमी पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण
सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ
निगम सदा ये विनय सुनावै

15/04/2021

ॐ जय लक्ष्मी रमना, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा
सत्य नारायण स्वामी, जन पातक हरणा, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

रतन जड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे
नारद करत निरंतर, घंटा ध्वनि बाजे, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

प्रगट भए कलि कारण, द्विज को दरश दियो
बूढो ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी
चंद्रचूड़ एक राजा जिनकी विपति हरी, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दिनी
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्ही, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो
श्रद्धा धारण किन्ही तिनको काज सरयो, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी
मन वांछित फल दीन्हो, दीन दयाल हरी, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल मेवा
धूप दीप तुलसी से राजी सत्यदेव, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावे
तन मन सुख सम्पति, मन वांक्षित फल पावे, ॐ जय लक्ष्मी रमना...

15/04/2021

🌹🙏भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी 🌹🙏

एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !!आज सुबह सुबह कहा जाने कि तेयारी हो रही है?? विष्णु जी ने कहा हे लक्ष्मी मै धरती लोक पर घुमने जा रहा हुं, तो कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मै भी आप के साथ चल सकती हुं???? भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुच कर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल मत देखना, इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने हां कह के अपनी मनवाली।
ओर सुबह सुबह मां लक्ष्मी ओर भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये, अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी, चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी, ओर धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी, ओर मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी, ओर भुल गई कि पति को क्या वचन दे कर आई है?ओर चारो ओर देखती हुयी कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।

उत्तर दिशा मै मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया, ओर उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी,ओर बहुत ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे,यह एक फ़ुलो का खेत था, ओर मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे गई ओर एक सुंदर सा फ़ुल तोड लाई, लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो मै आंसु थे, ओर भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये, ओर साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।

मां लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भुल की माफ़ी मागी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने जो भुल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी?? जिस माली के खेत से तुम नए बिना पुछे फ़ुल तोडा है, यह एक प्रकार की चोरी है, इस लिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नोकर बन कर रहॊ, उस के बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ मे वपिस बुलाऊंगा, मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी( आज कल की लक्ष्मी थोडे थी?

ओर मां लक्ष्मी एक गरीब ओरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, ओर मालिक का नाम माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस छोटे से खेत मै काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,

मां लक्ष्मी जब एक साधारण ओर गरीब ओरत बन कर जब माधव के झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा बहिन तुम कोन हो?ओर इस समय तुम्हे क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मै एक गरीब ओरत हू मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मेने कई दिनो से खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम देदॊ, साथ मै मै तुम्हरे घर का काम भी कर दिया करुगी, बस मुझे अपने घर मै एक कोने मै आसरा देदो? माधाव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मै तो बहुत ही गरीब हुं, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटिया होती तो भी मेने गुजारा करना था, अगर तुम मेरी बेटी बन कर जेसा रुखा सुखा हम खाते है उस मै खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।

माधाव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपडे मए शरण देदी, ओर मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नोकरानी बन कर रही;

जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उस से दुसरे दिन ही माधाव को इतनी आमदनी हुयी फ़ुलो से की शाम को एक गाय खरीद ली,फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खारीद ली, ओर सब ने अच्छे अच्छे कपडे भी बनबा लिये, ओर फ़िर एक बडा पक्का घर भी बनबा लिया, बेटियो ओर बीबी ने गहने भी बनबा लिये, ओर अब मकान भी बहुत बडा बनाबा लिया था।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी, ओर अब २-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर मै ओर खेत मै काम करती थी, एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उस ने अपने घर के सामने दुवार पर एक देवी स्वरुप गहनो से लदी एक ओरात को देखा, ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही ओरत है, ओर पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है.
अब तक माधव का पुरा परिवार बाहर आ गया था, ओर सब हेरान हो कर मां लक्ष्मी को देख रहै थे,माधव बोला है मां हमे माफ़ कर हम ने तेरे से अंजाने मै ही घर ओर खेत मे काम करवाया, है मां यह केसा अपराध होगया, है मां हम सब को माफ़ कर दे

अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली है माधव तुम बहुत ही अच्छे ओर दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेती की तरह से रखा, अपने परिवार के सदस्या की तरह से, इस के बदले मै तुम्हे वरदान देती हुं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की ओर धन की कमी नही रहै गी, तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हक दार हो, ओर फ़िर मां अपने स्वामी के दुवारा भेजे रथ मे बेठ कर बेकुण्ठ चली गई।

14/04/2021

🙏🌹जय श्री गणेश 🙏🌹

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

14/04/2021

गणपति जी महाराज रखना मेरी लाज,
माँ गोरा के राज दुलारे,
शिव शंकर की आँख के तारे पूर्ण करियो काज,
रखना मेरी लाज .....

लड्डुवन का तुझे भोग लगाए सब मिल कर तेरी महिमा गाये,
तीज सबा में आज रखना मेरी लाज,
गणपति जी महाराज रखना मेरी लाज,

मूसे की प्रभु तेरी सवारी,
मन को भाये सूरत प्यारी,
देवो पर तेरा राज रखना मेरी लाज,
गणपति जी महाराज रखना मेरी लाज,

देर करो ना आन पधारो,
सब भक्तो के काज सवारों,
धीरे के भी आज रखना मेरी लाज.
गणपति जी महाराज रखना मेरी लाज,

14/04/2021

🙏🌹जय श्री गणेश 🙏🌹

गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी,
मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी ।

सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं ।
गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥

तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता ।
हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश जी ॥

"अपरे वाला" बड़ा अज्ञानी , कैसे गाये तेरी बानी ।
"राजू" पर भी किरपा करके, काटो सकल क्लेश जी ॥

14/04/2021

🙏🌼 जय श्री गणेश 🙏🌼

देवा लम्बोदर गिरजा नन्दना,
देवा पूर्ण करो मनोकामना, देवा सिद्ध करो सब कामना,
देवा लम्बोदर गिरजा नन्दना,

तू दुःख हरता
तू सुख करता
विद्या दायी गजाननः
देवा लम्बोदर गिरजा नन्दना

पाँव पैझनिया रुनझुन बाजे
रुनझुन बाजे छम छम बाजे
नृत्य करत हे गजाननः
देवा लम्बोदर.....

सबसे पहले पूजा तुम्हारी,
हर बुधवार देवा पूजा तुम्हारी,
मोदक भोग लगाओ न,
देवा लम्बोदर...

14/04/2021

🌹🙏 श्री गणेशाय नमः 🌹🙏

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय
धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।

13/04/2021

🙏💐जय बजरंग बली 🙏💐

ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान

नाम लेते बन जाते है सारे बिगड़े काम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान
मन में सूरत राम की और मुख में राम का नाम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान

बाल रूप में रवि को निगले घोर अँधेरा छाया,
देव लोक में सब गबराए कुछ भी समज न आया
इंद्र के बजर को सेहन किये तब नाम पड़ा हनुमान
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान

सारी सेना थक के हारी मसी तक पता लगाये
भोर से पेहले लागी संजीवनी लखन के प्राण बचाए
कर न सके तीनो लोक में कोई ऐसे किये है काम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान

इक दिन था दरबार लगा उस दिन का खेल निराला
हनुमान को मात सिया ने दी मोतियाँ की माला
मिथिया लागी बजरंग को उस में न थे राम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान

13/04/2021

🙏🌹जय बजरंग बली 🙏🌹

जय पवन पुत्र हनुमान की जय बोलो
कोई हुआ न होगा ऐसा श्री राम भक्त के जैसा
जो राम की सेवा में बाजी लगा दे जान की
जय पवन पुत्र हनुमान की

जाके समुंदर पार फूंकदी पापी रावण की लंका
वो लंका बीच अकेले ने श्री राम का बजा दिया डंका
ऊँगली पे सबको नचा दिया ढा दी नगरी अभी मान की
जय पवन पुत्र हनुमान की

जब शक्ति लगी लक्ष्मण जी के प्रभु पे संकट आया भारी
द्रोणागिरी पर्वत पोहंचे लेने को भुट्टी बलधारी
पूरा पर्वत ही ले आये विपता ताली श्री राम की
जय पवन पुत्र हनुमान की

इक छोटी सी बात थी अलबेले ने चीर दी छाती,
फिर दिखा सभी को दीनी श्री राम सिया की छाती
जिस माला में मेरे राम न हो वो माला है किस काम की
जय पवन पुत्र हनुमान की

13/04/2021

🙏🌹जय बजरंग बली 🙏🌹

राम के दुलारे माता झांकी के प्यारे तुम्हे नमन हजारो बार है
जय बोलो बजरंग बलि की आज मंगल वार है,

मंगल को जन्मे मंगल मूर्ति हनुमत मंगल कारी है,
महा विशाला अति विकराला हनुमान बलधारी है
पवन बेग से उड़ने वाले मनुष तेज रफ्तार है,
जय बोलो बजरंग बलि की आज मंगल वार है,

सिया के सेवक दास राम के सारी अवध के प्यारे है
दीन हीन साधू संतो के रक्षक है रखवारे है
त्रेता युग से इस कलयुग तक हो रही जय जय कार है
जय बोलो बजरंग बलि की आज मंगल वार है,

मंगल के दिन क्यों जाता है मंदिर में हनुमान के
शनि देव जी खुश रेहते है लकी उस इंसान से
उसके अब अविनाश के उपर किरपा की भरमार है
जय बोलो बजरंग बलि की आज मंगल वार है,

13/04/2021

🙏🌹जय श्री राम 🙏🌹

आज मस्ती में बेठे हनुमान जी,
जपे राम राम जी,
करे सांसो की माला से ध्यान जी,
जपे राम राम जी,

एसे निराले है इनके कारनामे जी,
तेनो युगों में लोहा इनका सभीमान जी,
कोई दूजा ना इनके सामान जी,
जपे राम राम जी........

बाल बरम चारी को माया का जाल क्या,
इनके सामने आये काम की मजाल क्या,
इनकी सेवा है सबसे महान जी,
जपे राम राम जी,

लाडले है राम के ज्ञान का भंगार है,
शिव के अवतारी है महिमा आपार है,
इनके भक्तो का भक्त है चोहान जी,
जपे राम राम जी,

13/04/2021

🙏बजरंग बाण 🙏

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभह, सिद्ध करैं हनुमान ॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुनी लीजै प्रभु विनय हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।।

जैसे कूदि सिन्धु के पारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका ।
जाय विभीषन को सुख दीहना, सीता निरखि परम पद लीन्हा ।
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटी लंक को उजारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।
जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर है दु: ख करहु निपाता ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

जय हनुमान जयति बलसागर, सुर समुह समरथ भटनागर।
ॐ हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की कीलें ।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।
जय अंजनी कुमार बलबन्ता, शंकर सुवन वीरहनुमन्ता।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की।
सत्य होहु हरि शपथ पाईके, राम दूत धरु मारु धाई के ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु: ख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
जनक सुता हरि दास कंहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

जय जय जय धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दु: ख नाशा ।
चरन पकरी कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावहौं।
उठ उठ चलु तोहि राम दुहाई, पाय परौं कर जोरि मनाई ।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हन हनुु हनुमंता ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहउ फिर कब न उबारै ।
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राणकी ।
यह बजरंग बाण जो जापै, तासौ भूत-प्रेत सब कांपै ।
धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी।।

॥ दोहा ॥
पुरप्रतीहि दृड सदन है, पाठ करे धर ध्यान ।
वाधा सब हरतरही, सब काम सफल हनुमान।।

12/04/2021

🙏🌹 हर हर महादेव 🙏🌹

12/04/2021

🙏🌹 हर हर महादेव 🙏🌹

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

12/04/2021

🙏🌹ॐ नमः शिवाय 🙏🌹

ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय,
हर हर भोले नमः शिवाय

महाकालेश्वराय महाकालेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
महाकालेश्वराय महाकालेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय,
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय,
हर हर भोले नमः शिवाय

जटाधराय शिव जटाधाराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
जटाधराय शिव जटाधाराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

कोटेश्वराय शिव कोटेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
कोटेश्वराय शिव कोटेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

त्रम्भकेशवराय शिव त्रम्भकेशवराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
त्रम्भकेशवराय शिव त्रम्भकेशवराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम रामेश्वराय शिव रामेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम रामेश्वराय शिव रामेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम भद्रेश्वराय शिव भद्रेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम भद्रेश्वराय शिव भद्रेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम योगेश्वराय शिव योगेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम योगेश्वराय शिव योगेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम ममलेश्वराय शिव ममलेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम ममलेश्वराय शिव ममलेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम भीमेश्वराय शिव भीमेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम भीमेश्वराय शिव भीमेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम गंगाधाराय शिव गंगाधाराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम गंगाधाराय शिव गंगाधाराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

ओम गंगेश्वराय शिव गंगेश्वराय,
हर हर भोले नमः शिवाय,
ओम गंगेश्वराय

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