Hindi Hai Hum
I have, after years of teaching, learnt that many parents around the world want to teach their child Hindi.. Classes are offered in batches of 5-10 students.
I am here to help such kids and their parents to ensure kid's learn Hindi and also parents can see the progress themselves. I offer online / virtual Hindi classes for elementary students (grade 1-5). With over 10 years of experience teaching in multiple schools I have found fun, interactive ways to teach Hindi to kids.
हिंदी भाषा के विकास की जब भी बात आती है तो मुझे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की दो पंक्तियां याद आती हैंः-
"निज भाषा उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल।
बिनु निज भाषा ज्ञान के, रहत मूढ़-के-मूढ़।।'
उपरोक्त दोहे से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपनी भाषा हिंदी से कितना लगाव था। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले सौ सालों में हिंदी का बहुत विकास हुआ है और दिन-प्रतिदिन इसमें और तेजी आ रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है।
हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिंदी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की एक राजभाषा है। केन्द्रीय स्तर पर भारत में सह-आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है। "एथनोलॉग " के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।
जब हम देशप्रेम या साहित्य सेवा की बात करते है तो अंग्रेजी में बोलते हैं और समझते हैं कि बहुत अच्छा और बडा काम कर रहे हैं। हमारे देश के बुध्दिजीवी कहते हैं कि हिन्दी भाषा विचारों को अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं है और इसलिये इसका व्यापक उपयोग नहीं हो सकता। इस बयान से उनकी हीनभावना और अशिक्षा ही झलकती है। किसी भी भाषा का कितना अच्छा और व्यापक प्रयोग हो सकता है यह उस भाषा पर नही उस भाषा के जानने वाले पर निर्भर करता है। अगर हम अपनी राष्ट्रभाषा पढ लिख समझ कर उसका व्यापक उपयोग नहीं कर सकते तो यह भाषा का नहीं हमारा दोष है।
विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी तीसरे स्थान पर है फ़िर भी साहित्यिक और शैक्षिक के महत्व में इसका स्थान फ्रेंच ज़र्मन और जापानी भाषाओं से बहुत नीचे है जिनके बोलने वाले हिन्दी की तुलना में बहुत कम हैं।
हिन्दी भारत नेपाल इन्डोनेशिया मलेशिया सूरीनाम फ़िज़ी ग़ुयाना मारिशस ट्रिनिडाड टोबेगो और अरब अमीरात जैसे अनेक देशों में बोली जाती है फिर भी विडम्बना यह है कि आज तक इसे अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है।इसका प्रमुख कारण भारतीयों में संकल्प की कमी है। हिन्दी हर प्रकार से एक सशक्त और सम्पन्न भाषा है। हमे भारत के विकास के लिये भारतीय संस्कृति के विकास के लिये और हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के विकास के लिये हिन्दी बोलने लिखने पढने और इसका प्रत्येक क्षेत्र में विकास करने की आवश्यकता है।