सनातन गुरुकुल
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कर्ण घंटा सरोवर काशी पूरी के जीर्ण उद्धार के लिए सरकार से निवेदन - राम राम सरकार से निवेदन है कि जिस ठेकेदार ने धन लेकर भी अपना कार्य नहीं किया उस पर उचित कार्यवाही करे और तीर्थ क्षेत्र के जी...
व्यासेश्वर महादेव कर्ण घंटा सरोवर हर हर महादेव काशी पूरी - राम राम
https://www.sanatangurukul.org/pdf.php?id=294
👆🌹काशीपुरी की महिमा (नारद पुराण)🌹
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा ॥
जो अपने बालक को तत्व ज्ञान, विद्या नहीं देते , ऐसी माता शत्रु समान और पित वैरी है; क्यों कि हंसो के बीच बगुले की भाँति, ऐसा मनुष्य विद्वानों की सभा में शोभा नहि देता !
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् ।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम् ॥
जिसका सरल शब्दों में अर्थ है, विद्या से विनय (नम्रता) आती है, विनय से पात्रता (सजनता) आती है, पात्रता से धन और धर्म की प्राप्ति और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है। अर्थात जीवन के हर सुख को पाने का रास्ता बिना सनातन ज्ञान विज्ञान के तय कर पाना असंभव है। मनुष्य जीवन का आदि और अंत, विद्या ही है।
अशिक्षित, अज्ञानी व्यक्ति पशु के समान है जो अपने जीवन में कभी कोई पात्रता हांसिल नहीं कर सकता। सनातन अध्यात्म शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। यह मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित करने का कार्य करती है। इससे मनुष्य के अंदर मनुष्यता आती है।सनातन शिक्षा से समाज, परिवार और देश संसार में सुसंस्कृत भावनाओं का विकास होता है।
लेकिन सनातन ज्ञान पाने के लिए निजी सुख-सुविधाओं का त्याग करना बहुत ज़रूरी है। कठिन परिश्रम और त्याग करके ही सनातन विज्ञान ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। जिस मनुष्य को केवल सुख की अभिलाषा हो उसे विद्या की आशा छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि आलसी व्यक्ति कभी भी विद्या रुपी महा धन को प्राप्त नहीं कर सकता, जो की संसार का सबसे बड़ा धन है। यह कभी समाप्त नहीं होता अपितु बाँटने पर कई गुणा होता जाता है।
आप कितने भी धनी हो, सुन्दर हो, कितने ही बड़े परिवार से जुड़े हो, लेकिन सनातन ज्ञान रहित आपका जीवन खोखला है, व्यर्थ है। जो लोग भौतिक सुख सुविधाओं के मोह में फस कर अध्यात्म ज्ञान का त्याग कर देते हैं, वह लोग अपने जीवन में कोई सफलता प्राप्त नहीं कर पाते, क्योंकि अध्यात्म ज्ञान रुपी आँखों के बिना जीवन, नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन से भी कही ज्यादा कठिन है।
अनेक प्रकार के संशय/सन्देह को उखाड़ फेंकने में समर्थ,
परोक्ष तत्त्व को दिखाने वाला,
सनातन शास्त्र सभी केलिए नेत्र के समान है।
यह जिसके पास नहीं है ,वह वास्तव में अन्धा है।
अनेक संशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम्।
सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः।।
(हितोपदेश)
सनातन विद्या शिक्षित होना एक तपस्या के समान है, जहां हर प्रकार के सुख का त्याग करना होता है। एक बार जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में यह त्याग किया उसके लिए कोई भी काम फिर कठिन नही रहता। सनातन विद्या शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली हर चुनौती के लिए तत्पर रहता है, सजग रहता है।
सनातन विद्या, माता के समान होती है, जो जीवन के हर कार्य के सिद्ध होने का आशीर्वाद आपको देती है। आज के समय में शिक्षा को केवल धनार्जन के तराजू से तोला जाता है, और आज की तथा कथित शिक्षा जो की केवल धनोपार्जन करवाती है उसे ही विद्या माना जाने लगा है जो की कतई उसका मानक नहीं है। यह सुनते ही बुद्धि जीवी वर्ग कहेगा की क्या यह आवश्यक नहीं है ?, आपको इससे किसने रोका है , किसने मना किया है ?
अगर यह आवश्यक है तो सनातन विद्या तो अत्यंत आवश्यक है ॥ उसी का परित्याग क्यों ?
सनातन ज्ञान ही सबसे बड़ी संपत्ति है, भौतिक सुख सुविधाओं से सनातन ज्ञान के महत्व की तुलना करना कतई सही नहीं है। सनातन ज्ञान आपको विनम्र बनाता है, समाज में सुसंस्कारित रूप से जीना सिखाता है। केवल जीवन जीने की कलाओं को ही सनातन शिक्षा विज्ञान नहीं सिखाता है अपितु इह लोक के साथ साथ परलोक कैसे सिद्ध हो ईश्वर की प्राप्ति सरलता से कैसे प्राप्त हो यह भी ईश्वर कृपा से जन मानस सनातन विज्ञान द्वारा समझ के अभ्यास में ले सकता है, जो की इस मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य है ॥
जीवन के इस युद्ध में लड़ने के लिए, सनातन शिक्षा रुपी शास्त्रों से सुसज्जित होना बहुत आवश्यक है। अपने उद्देश्य और मूल उद्देश्य को जानने और पूरा करने के लिए योग्य बनने का प्रयास करे ॥
जहाँ विद्या है वहाँ परम ज्ञान है
जहाँ परम ज्ञान है वहाँ परमार्थ है
जहाँ परमार्थ है वहाँ सत्य है
जहां सत्य है वहाँ धर्म है
जहां धर्म है वहाँ सुरक्षा है
जहाँ सुरक्षा है वहाँ शांति है
जहाँ शांति है वहाँ आनंद है
जहाँ आनंद है वहाँ सत चित आनंद अर्थात सतचितआनंदघन परमात्मा है ।
💐राम राम💐
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भक्त प्रह्लाद कि रक्षा हेतु अधर्मी बुआ का नाश अग्नि देव ने किया और अधर्मी पिता का नाश करने स्वयं भगवान नरसिंह रूप में आये ।
⛳️कुछ समझे ?⛳️
हमारे प्रत्येक सनातन पर्व में सदा अधर्म के नाश की शिक्षा दी गई है ।
गीता में गुरु द्रोण , भीष्म पितामह पर भी बाण भगवान श्री कृष्ण ने बाण चलवाये , इसलिए कि वह अधर्म के साथ खड़े थे ।
श्री राम ने अधर्मी रावण का वध किया ।
धर्म की जय और धर्म का सम्मान आवश्यक है ।
किंतु जहाँ अधर्म का सम्मान होता है और धर्म की अवहेलना वहाँ देव प्रकोप करते हैं।
*धर्म एक सनातन नित्य नवीन पुरातन*
*जिसका ना आदि, ना जिसका अंत*
*जिसका नाम शिव और अर्थ कल्याण*
*जब धर्म की जय होगी*
*तभी अधर्म का नाश होगा*
*तभी प्रणियो में सद्ध्भावना होगी*
*और विश्व का कल्याण होगा*
*और जयकारे लगेंगे हर हर महादेव*
*भगवान को मानते हो तो भगवान की भी मानो।*
सभी सनातनियों को होलिका दहन हमारे परम पवित्रम सनातन पर्व की हार्दिक बधाई 💐राम राम💐
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शिव रात्रि व्रत कथा तथा व्रत विधान -गरुड़ पुराण राम राम
“इंद्रप्रस्थ” दिल्ली का असली नाम है। जो बंधु वर्ग पहले से जानते हैं वो राम राम लिखे और जो अब जान गये वह राम राम लिखे।
जय श्री राम -राम राम
स्कन्द पुराण से ज्ञानवापी तीर्थ का प्रमाण sanatangurukul.org/pdf.php?id=1255
👆🌹काशी में ज्ञानवापी तीर्थ का प्राकट्य तथा स्नान की महिमा (स्कन्द पुराण).🌹
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राम राम
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जब धर्म की जय होगी
तभी अधर्म का नाश होगा तभी प्रणियो में सद्ध्भावना होगी और विश्व का कल्याण होगा और जयकारे लगेंगे हर हर महादेव
💐राम राम💐
धर्म की जय और धर्म का सम्मान आवश्यक है ।
किंतु जहाँ अधर्म का सम्मान होता है और धर्म की अवहेलना वहाँ देव प्रकोप करते हैं।
धर्म एक सनातन
नित्य नवीन पुरातन
जिसका ना आदि, ना जिसका अंत
जिसका नाम शिव और अर्थ कल्याण
जब धर्म की जय होगी
तभी अधर्म का नाश होगा
तभी प्रणियो में सद्ध्भावना होगी और विश्व का कल्याण होगा
और जयकारे लगेंगे हर हर महादेव
समझ में आए तो राम राम नहीं तो राम नाम सत्य है और यह ही तथ्य है ।
श्री राम को मानते हो तो श्री राम की भी मानो, रामचरितमानस को केवल पढ़ना ही नहीं समझना और आत्मसाथ भी करना है । अब भी नहीं समझे तो फिर कभी नहीं समझ पाओएगे। 💐राम राम💐
भारत वर्ष जो हिंदू राष्ट्र था है और रहेगा
वह अब पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित हो
💐राम राम 💐
💐जय श्री सीता राम जय जय श्री सीता राम 💐
नरक में गिराने वाले पापो का संक्षिप्त परिचय - शिव पुराण
राम राम
🚩सभी सनातनी सम्मानित भाई, बहनों और मित्रों को राम राम
मैं आज एक बहुत बड़ी समस्या रखना चाह रहा हूं हम भारत में रहने वाले व्यक्ति फिर भी अपनी संस्कृति को भूलकर दूसरी कुरुतियो के बारे में लगातार प्रचार करने में लगे हुए हैं हमारे कुछ लोगों को यह भी नहीं पता कि हमारा भारतीय नव वर्ष चेत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि में आता है सभी सम्मानित लोग चाहे वह धार्मिकता से जुड़े हुए हो चाहे वह राजनीतिक हो चाहे हो किसी सरकारी संस्था से जुड़े हुए हो सभी पहली जनवरी की नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे हैं कोई कह रहा है कि मैं एडवांस में दे रहा हूँ लेकिन इस बात का प्रचार कोई भी नहीं कर रही है कि हमारा भारतीय नव वर्ष चेत्र के हम तिथि में आता है बताइए यह जनवरी का नववर्ष कैसे हुआ आपको अपनी संस्कृति के बारे में पता हो तो फिर भी क्यों जनवरी का प्रचार किया जा रहा है आज गरीब आदमी के घर में खाने के लिए अनाज नहीं है पेड़ पौधों पर हरी पत्तिया नहीं है ठंड कितनी है बड़े बुजुर्ग लोग बच्चे सही तरह से सांस नहीं ले पा रहे हैं धुंद सड़कों पर इतनी हैं सड़कों पर एक्सीडेंट जैसी घटनाएं होती जा रही हैं इस समय हर व्यक्ति का कारोबार समाप्त हो जाता है कम हो जाता है कुछ लोग ठंड में बैठ कर घर में मीट शराब का सेवन करते हैं क्या यही नया साल है भारतीय नव-वर्ष जब आता है चेत्र के महीने में पेड़ पौधे हरे भरे होते हैं वातावरण शुद्ध होता है बुढा हो या बच्चा सभी अपने आप को स्वस्थ और जवान समझते हैं गरीब परिवारों के घरों में नया अनाज आ जाता है कारोबार सब प्रगति की बडे चले आते हैं प्रकृति खुद संदेश दे रही है कि मैं इस भूमि को धरातल को पेड पौधो से हरी-भरी कर रही हूं जो पुरानी पत्तिया थी वह चली गई और नई पते आ गई हर जीव जंतु के अंदर खून का नया संचार हो गया है जितने भी सरकारी दफ्तर हैं वह भी अपना खाता 31 मार्च को बंद कर के दो अप्रैल को नया खाता चलाते हैं फिर भी हम नहीं समझ पाते तो मेरा आप लोगों से निवेदन है अपने ही नव वर्ष का प्रचार करें असत्य का नही
पहली जनवरी का प्रचार ना करें मै आपसे विनम्र निवेदन ही कर सकता हूं
🚩🚩🙏 🙏 🙏🚩🚩
जय जय श्री राम
🙏🏻एक विनम्र आग्रह आप सभी से : -
इस दिसंबर माह में अभी से कुछ मित्र जन नव वर्ष की शुभकामनायें पश्चिमी सभ्यता के वशीभूत होकर दे रहे हैं जबकि भारतीय कलैंडर के अनुसार हम सभी सनातन धर्मी भारतीयो का "हिन्दू नव वर्ष" भारतीय नव वर्ष चेत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि में आता है ना कि 1 जनवरी को ।
🙏🏻अपना "हिन्दु नव वर्ष" ,हमारा भारतीय नव वर्ष चेत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि में आता है प्यारे भाईयो , बहनों और मित्रो ।।🚩🚩🚩🚩🚩
राम राम
*आप को भी तीन मास अग्रिम नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी सम्वत् 2081 तदनुसार आने वाली जो कि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि काल उक्त समत (अंग्रेज़ी ईस्वी 09 अप्रैल 2024) को होगी अभी से ही बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।।* *सत्य सनातन धर्म 2081 की ओर अग्रसर है और अंग्रेज़ी कैलेंडर 2024 पर पिछड़ा हुआ चल रहा है.* 🙏*सत्य सनातन धर्म की जय हो🙏* *💐राम राम 💐*
एकादशी महात्म्य - गरुड़ पुराण राम राम
व्रत के विषय में अनेक ज्ञातव्य बाते अग्नि पुराण - राम राम
परम शांति प्राप्ति का उपाय - भागवत पुराण - राम राम
जिसने क्षत्रिय धर्म वर्ण त्त्यागा वह ख़तरी कहलाये और धर्म त्यागने वालो ने धर्म की रक्षा की 😀
समझ में आये तो राम राम नहीं तो राम नाम सत्य है और यह ही तथ्य है ।
गीता, पुराण अभी मत पाढाओ संन्यासी थोड़ी बनाना है अपने बालक को , यह कहने वाले बुद्धिजीवियों को बताये कि अपने गृहस्थ आश्रम का त्याग कर संन्यास ग्रहण करने का क्या दंड है ? राम राम
https://youtu.be/qHKhZDEC3so?feature=shared
गरुड़ पुराण घर में क्यों पढ़ना आवश्यक है । गरुड़ पुराण पढ़ना क्यों आवश्यक है ।www.sanatangurukul.org
जो परम पिता श्री राम है वह ही राष्ट्र पिता हो सकते हैं।
हिंदुओ अपना सत्य इतिहास अपने सनातन वेद पुराण रामायण महाभारतगीता उपनिषदों से जानो
कटु सत्य
आज का ईसाई पहले हिंदू था
आज का मुस्लिम पहले हिंदू था
आज का सिख पहले हिंदू था
👆कटु किन्तु सत्य 👇
पाँच पीडी पहले सारे सिख हिंदू थे , और अपना धर्म परिवर्तन करके सिख बने की मुग़लों से संघर्ष करना हे
उसके लिए धर्म परिवर्तन की क्या आवश्यकता थी ?
क्या सिख की जगह
“सनातनि सेना “ राम सेना , शिव सेना , हिंदू सेना नहीं बन सकती थी ?
धर्म परिवर्तन पिछले पाँच सो साल से चल रहा हे , क्या ये हिंदू कभी समझा ?
भागवत गीता में साफ़ लिखा हे 👇अपने धर्म के बारे में , पर क्या कभी किसी तथा कथित गुरु ने पढ़ा या पढ़ाया ?
हिंदू को मूर्ख बनाना क्या सबसे आसान नहीं हे ?
💐गीता अध्याय 3 श्लोक 35 💐
अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में मरना भी कल्याण कारक है, दूसरे का धर्म भय को देने वाला है।
क्या उपरोक्त प्रशन पर विचार किया जा सकता हे ?
सिक्खों ने मुल्लों से लड़ने के लिए एक अलग सम्प्रदाय बनाया , और हैरानी की बात ये हे की मुग़लों से लड़ते लड़ते भी इतनी मस्जिदें , मदरसे, गुंबद , मुल्ला नाम से शहर , मुल्ला नाम से सड़कें कैसे बन गायीं???
हिंदू अंग्रेज़ी पढ़ते पढ़ते ईसाई कैसे बन गए ?
भाई जान कहते कहते हिंदू मुल्ला कैसे बन गए ?
विद्वता ज्ञान के साथ कर्म में भी होनी चाहिए
ज्ञान जो अभ्यास में नहीं लिया वो मात्र श्रम था ।
लाल कपड़े में सादर रखी गीता खोलकर पढ़ने और उस का पाठ करने से पुण्य मिलेगा और अभ्यास करने से सद्दगती ।
अपने को विद्वान दिखाने वाला कौन- एक हिंदू
अपने ६८ करोड़ तीर्थ भ्रमण ना करके दूसरे संप्रदायों पर मोमबत्ती जलाने वाला , कहीं चद्दर चढ़ाने वाला , कहीं बिना ग्रंथ पढ़े माथा टेकने वाला कौन-हिंदू
अपने अनगिनत सनातन ग्रंथ नहीं पढ़े , दूसरों के ग्रंथो को बिना पढ़े मानने वाला और अपने ग्रंथो की सत्यता पर प्रशन उठाने वाला कौन -हिंदू
जब हमारे पास हमारा सत्य सनातन धर्म हे तो हमारे लिए अन्य कोई सम्प्रदाय या पंथ विचारणीय ही क्यों ?
और उपरोक्त बातों पर विरोध देने वाले भी बुद्धि जीवी कौन होंगे -हिंदू
ज़रा सोचिए .....
राम राम
जिस घर में महाभारत का पाठ और उसका अभ्यास होता है उस घर में महाभारत नहीं होता वरना कौन सा घर है जहां महाभारत नहीं है । *पंचम वेद* - *महाभारत*राम राम*
शादी एक contract है और
विवाह , लग्न, ब्याह यह संस्कार है ।
विवाहिता को धर्म पत्नी , अर्धांगनी, श्रीमती इत्यादि सम्मानित नामो से संबोधन करना चाहिए।
राम राम