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30/11/2023
30/11/2023

आप सभी को रामायण संदेश परिवार की ओर से कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) की हार्दिक शुभकामनाएं ।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है।माना गया है कि इस दिन देवता स्वर्ग लोक से उतरकर दीपदान करने पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए इस दिन को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। धर्म नगर काशी में इस दिन गंगा स्नान, पूजन, हवन और दीपदान का कार्यक्रम किया जाता है। पूरी काशी को रौशनी से सजाया जाता है और घाटों को दीप जलाकर जगमगाया जाता है। इस सुंदर नजारे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग काशी आते हैं।

काशी में देव दीपावली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करके देवताओं को स्वर्ग वापस लौटाया था। तारकासुर के वध के बाद उसके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण किया। उन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या की और सभी ने एक-एक वरदान मांगा। वरदान में उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि जब ये तीनों नगर अभिजित नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना क्रोध किए हुए कोई व्यक्ति ही उनका वध कर पाए। इस वरदान को पाए त्रिपुरासुर अमर समझकर आतंक मचाने लगे और अत्याचार करने लगे और उन्होंने देवताओं को भी स्वर्ग से वापस निकाल दिया। परेशान देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने काशी में पहुंचकर सूर्य और चंद्र का रथ बनाकर अभिजित नक्षत्र में उनका वध कर दिया। इस खुशी में देवता काशी में पहुंचकर दीपदान किया और देव दीपावली का उत्सव मनया।

देव दीपावली को लेकर दूसरी मान्यता है कि देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं और बैकुण्ठ चतुर्दशी को भगवान शिव से मिलन करते हैं। इस खुशी में देवी-देवता काशी में आकर घाटों पर दीप जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस उपलक्ष्य में काशी में विशेष आरती का आयोजन किया जाता हैं।

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली के त्रिपुरों का नाश किया था। त्रिपुरों का नाश करने के कारण ही भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी प्रसिद्ध है। इस दिन गंगा-स्नान तथा सायंकाल दीपदान का विशेष महत्त्व है। इसी पूर्णिमा को भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था।

कार्तिक माह में लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान आदि करते हैं। कार्तिक महीने के दौरान गंगा में स्नान करने की शुरुआत शरद पूर्णिमा के दिन से होती है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है। कार्तिक पूर्णिमा उत्सव पांच दिनों तक चलता है

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा।

दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान माँगने के लिए कहा।

तब उन तीनों ने ब्रह्माजी से कहा कि, आप हमारे लिए तीन नगरों का निर्माण करवाईए। हम इन नगरों में बैठकर सारी पृथ्वी पर आकाश मार्ग से घूमते रहें। एक हजार साल बाद हम एक जगह मिलें। उस समय जब हमारे तीनों पुर ( नगर ) मिलकर एक हो जायें, तो जो देवता उन्हें एक ही बाण से नष्ट कर सके, वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।

ब्रह्माजी का वरदान पाकर तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली बहुत प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। उनमें से एक सोने का, एक चाँदी का व एक लोहे का था। सोने का नगर तारकाक्ष का था, चाँदी का कमलाक्ष का व लोहे का विद्युन्माली का।

अपने पराक्रम से इन तीनों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इन दैत्यों से घबराकर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया।

चंद्रमा व सूर्य उसके पहिए बने, इंद्र, वरुण, यम और कुबेर आदि लोकपाल उस रथ के घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग उसकी प्रत्यंचा। स्वयं भगवान विष्णु बाण तथा अग्निदेव उसकी नोक बने। उस दिव्य रथ पर सवार होकर जब भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए चले तो दैत्यों में हा-हाकर मच गया।

दैत्यों व देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया। जैसे ही त्रिपुर एक सीध में आए, भगवान शिव ने दिव्य बाण चलाकर उनका नाश कर दिया। त्रित्रुरों का नाश होते ही सभी देवता भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। त्रिपुरों का अंत करने के लिए ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं।

🚩हर हर महादेव ।।🚩
🚩जय सियाराम ।।🚩

30/11/2023

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक- स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।।

💐 ॐ नमः शिवाय 💐

24/11/2023

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥ सकल पदारथ एही जग मांही। कर्महीन नर पावत नाहीं ॥
गोस्वामी तुलसीदास​ जी महाराज 🙏

10/11/2023

!! शुभ धनत्रयोदशी !!

क्षीरोदमथनोद्भूतं दिव्यगन्धानुलेपिनम् !
सुधाकलशहस्तं तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम् !!

जिसका उद्भव समुद्र-मंथन से हुआ, जो दिव्य गन्धों से लिप्त है, जिसके हाथों में अमृत-कलश है, उस धन्वन्तरि को नमन है !

#शुभधनत्रयोदशी #धनत्रयोदशी
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06/11/2023

कभी अकेले चलना पड़े तो भयभीत मत होना
क्यूँकि शमशान,सिंघाशन और शिखर पर इंसान अकेला ही जाता है।
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Photos from G.S pharma's post 13/10/2023

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Photos from G.S pharma's post 25/09/2023
09/09/2023

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ॥
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ॥ 🙏🚩

09/09/2023

Let's celebrate the women who lift us up while inspiring and encouraging one another. Happy !

09/09/2023

आज़ का सुविचार !

Photos from Homoeopathy Research Institute for Disabilities, Chennai's post 09/09/2023
Photos from G.S pharma's post 15/06/2023

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# Dr. Prince Pandey(BAMS )
. NARYAN PAUL (BAMS)
. Jyoti dubey (gynaecologist)

09/06/2023

आयुर्वेद के सिद्धांत और दवाएं हजारों वर्षों से चले आ रहे है और आज भी इनसे शानदार परिणाम मिल रहे है।

किंतु एलोपैथी के सिद्धांत और दवाएं समय- समय पर बदलते रहते है ।आज जो अंग्रेजी दवाएं हम इस्तेमाल कर रहे है कुछ वर्षों बाद बोला जाएगा ,रुको ये दवाएं जहर है इस पर प्रतिबंध लगाया जाए ।।🙄

09/06/2023

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09/06/2023

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17/05/2023

Timeline photos 17/05/2023

Heat and humidity harm your kid's skin, especially during the summer. The best way to keep your baby safe is to keep them in a cool place with loose-fitting clothing and moisturize their skin with products such as Moiste lotion.
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14/05/2023

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26/04/2023

"वन पेशेंट- वन मेडिसिन" की व्यवस्था मरीजो के लिए है " #स्लो #पाइजन। " ये बात एलोपैथी को अब समझ आ रही है।
🌿जबकि आयुर्वेद में मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दवाएं देने का विधान पहले से ही है।

26/04/2023
26/04/2023

har wo kaam jo tumhara dil kahe aur jis main tumhe sachi khushi mile. Apni baking ki strength se dosron ka dil jeetne ka hunar tumhe khoob aata hai. Apne passion ko zaroor poora karo takay muashre main respect haasil kar sako.

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